Public Program 2, Science, Trigunatmika मुंबई (भारत)
Trigunatmika Date 30th March 1975 : Place Mumbai : Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, Scanned from Hindi Chaitanya Lahari] अधिकतर प्रगल्भ है. developed है मनुष्य पूरी तरह से इन तीन शक्तियों में पूर्णतया कल मैंने आपसे बताया था, सबको सुनाई दे रहा है या नही ? पीछे में सुनाई दे रहा है ? आपसे मैंने यह बताया था कि मनुष्य का शरीर उसका मन, उसकी बुद्धि, आदि उसका जितना भी पूरा व्यक्तित्व है. उसकी जितनी भी mature हो गया है, बड़ा हो गया है। अब उसकी तैयारी हो गयी है कि उन तीनों शक्तियों का संचय, जो एक शक्ति परमात्मा का प्यार है उनका प्रेम है उसे जाने। जो एक शक्ति ही तीनों में बंट गई है वो एकाकार हो जाए. उस personality है वह सब कुछ तीन तरह के शक्ति से बना हुआ है। एक शक्ति जिससे कि हम अस्तित्व बनकर रहते हैं। वह मनुष्य में प्राण स्वरूप होती है जिसका स्थान हृदय में होता है। दूसरी शक्ति जो कि हमारे पेट में होती है जिसके कारण हमारी आज मनुष्य दशा तक उत्क्रान्ति हुई है, वह है धर्म। और तीसरी शक्ति जो एक चेतनामय है जिससे हमें बुद्धि आदि अनेक चेतना के अवलम्बन मिले हैं। लेकिन यह तीनों ही शक्तियाँ सर्वव्यापी परमात्मा के प्रेम से पाई जाती हैं। परमात्मा बन सर्वव्यापी प्रेम इन तीनों शक्तियों को संचालित करता है, समग्र बनाता है, माने integrate कर देता है। जैसे कि जड़ वस्तु में भी जो vibrations दिखाई देते हैं. जिसे electromagnetic vibrations कहते हैं. Read More …