Nirvicharita मुंबई (भारत)

Nirvicharita “VIC Date 6th April 1976 : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi तुम लोगों को बुरा लगेगा इसलिये मराठी में बोलने दो। मैं कह रही हूँ कि तुम्हारे सामने जो भी प्रश्न हैं, उन प्रश्नों को तुम अचेतन में छोड़ो, वो मेरे पैर में बह रहा है। माने ये कि कोई भी प्रश्न , अब तुमको अपनी लड़की का | प्रश्न है समझ लो। उसमें खोपड़ी मिलाने से कुछ नहीं होने वाला। जो भी प्रश्न है वो यहाँ छोड़ दो। उसका उत्तर मिल जायेगा। अब तुम अगर सोचते हो कि इस चीज़ से लाभ होगा , वो नहीं बात। जो परमात्मा सोचता हैं तुम्हारे लिये जो हितकारी चीज़ है, वो घटित हो जायेगी । वो तुम कर भी नहीं सकते हो । इसलिये उसको छोड़ दो तुम क्यों बीच में तंगड़ियाँ तोड़ रही हो? तुम क्यों परेशान हो रही हो ? तुमको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं। तुम छोड़ तो दो| जो तुम्हारे सारे प्रश्नों को सॉल्व करने के लिये पूरी इतनी कमिटी बैठी हुयी है, उनके पास छोड़ो तुम | सहजयोग में यही तो कमाल है, कि सर का बोझा उतर गया उनकी खोपड़ी पर। छोड़ के देखो। ऐसे कमाल होंगे, ऐसे कमाल होंगे, कि बस्। लेकिन मनुष्य की खुद्दारी की बात हो जाती है। आखिर तक वो यही सोचते रहता है कि, ‘मुझी को करना है। और सोचते रहिये, एक के ऊपर एक ताना, बाना चलता रहेगा। कितना भी आप करते रहिये। आखिर आप पाईयेगा, कि आप कहीं भी नहीं पहुँचे और पागलखाने Read More …