The Creation New Delhi (भारत)
“The Creation”, New Delhi (India), 20 February 1977 [Hindi translation from English] आज हमने ‘सृजन’ विषय पर बात करने का निर्णय किया है, परन्तु हमारे आयोजक मेरे लिए श्यामपट और चाॉँक की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं। में नहीं जानती, बिना रेखाचित्र बनाए मैं इसकी व्याख्या करने का प्रयत्न करूंगी। यह अत्यन्त कठिन विषय हे, परन्तु आपके लिए मैं इसे सुगम (बोधगम्य) बनाने का प्रयत्न करूंगी और ये अनुरोध भी करूंगी कि ‘सृजन’ जैसे दुर्गण विषय को समझने के लिए आप अपना पूरा चित् इस पर बनाए रखें। आज एक अन्य आशीर्वाद भी है। आज का महानतम आशिष ये है कि आपमें से बहुत से लोग चैतन्य लहरियों को अनुभव कर सकते हैं। केवल इतना ही नहीं, आप ये भी जानते और महसूस करते हैं कि चेतन््य लहरियाँ सोच सकती हैं और प्रेम कर सकती हैं – ये बहुत बड़ा वरदान है। नि:सन्देह आपमें से कुछ लोगों को ये प्राप्त नहीं हो पाई हैं, परन्तु जिन्हें प्राप्त हो गई हैं, वो जानते हैं कि ये (चेतन््य लहरियाँ) आयोजन करती हैं, क्योंकि ये कुण्डलिनी उठाती हैं, ये उस स्थान पर जाती हैं जहाँ इनकी आवश्यकता होती है, करुणा के कारण ये शरीर के उस भाग में पहुँचती हैं जहाँ पर कमी होती है। वे समझती हैं, अपने सर्वव्यापी स्वभाव का आयोजन करती हैं और प्रेम करती हैं। जब-जब भी आप इनसे प्रश्न करते हैं, ये आपके प्रश्नों का उत्तर देती हैं – आपको उनसे उत्तर प्राप्त होते हैं। ये जीवन्त चैतन्य लहरियाँ हैं। ये परमेश्वरी देन हैं। परमेश्वर को ब्रह्म कहा Read More …