Self-realisation and fulfilment Caxton Hall, London (England)
‘आत्मसाक्षात्कार और तृप्ति’ , सार्वजनिक कार्यक्रम, कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड, 6 अगस्त, 1979 ….क्या ये ठीक है? सहज योग के बारे में पहले ही बहुत कुछ कहा जा चुका है। जैसा कि पहले मैंने आपको बताया था, नये लोगों के लिए मैं कहना चाहूंगी, ‘सह’ माने साथ ‘ज’ माने जन्मा। यह आपके साथ ही जन्मा है। यह आपके साथ है। अंकुरित करने वाली शक्ति जो आपको परमात्मा से जोड़ेगी, वो आपके साथ ही पैदा हुई है। जैसे इस देह में आपकी नाक है, आँखें हैं, चेहरा है, इसी प्रकार ये अंकुरित करने की शक्ति भी आपके अंदर है, अनेक युगो से आपके अंदर है। आप की हर खोज में वो आप के साथ रही है। और अब समय आ गया है, बसंत का समय आ गया है आप कह सकते हैं, जब लोगों को परमात्मा से अपना संबंध प्राप्त करना है, अन्यथा ईश्वर अपना खुद का अर्थ खो देंगे। जब तक आपको अपना खुद का अर्थ ज्ञात नहीं होता, जब तक आपको अपना अंदर से तृप्ति नहीं आती, आप के रचयिता जिसने आपको बनाया है उसको भी अपना संतोष प्राप्त नहीं हो सकता। इसलिए यह अनुग्रह, यह विशेष उपहार है आधुनिक मनुष्य को की वह वास्तव में अपना आत्म साक्षात्कार पा सकें। पर जैसे ( रेजिस ?) ने ठीक ध्यान दिलाया कि हमारे सारे यंत्र अच्छे से हमारे अंदर स्थापित हैं। पर जब से हम पैदा हुए हैं तब से हम हमेशा उन लोगों के प्रति आकर्षित हुए हैं, जो ऐसे सिद्धांतों को ले कर आगे आए हैं कि वह Read More …