The Value of Marriage

Dollis Hill Ashram, London (England)

1980-03-08 The value of marriage, Opt, transcribed, 28' Download subtitles: EN,PL,ZH-HANS,ZH-HANT (4)View subtitles:
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                                            “विवाह का आदर्श”

डॉलिस हिल आश्रम, लंदन (यूके), 8 मार्च 1980

..तो सहज योग सबसे पहले आपका अंकुरण शुरू करता है, फिर विकास करता है। उस वृद्धि में, आपको एक व्यापक, अधिक व्यापक व्यक्तित्व बनना होगा। शादी के साथ आप एक और भी बेहतर इंसान बनते हैं, और आप एक बेहतर व्यक्तित्व का विकास करते हैं।

अब, सहज योगियों के लिए शादी क्यों जरूरी है?

सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात, शादी करना सबसे सामान्य बात है। भगवान ने आपको  शादी करने की इच्छा किसी उद्देश्य से दी है। लेकिन, उसी इच्छा का उपयोग , यदि आप उस उद्देश्य के लिए नहीं करते, जिसके लिए इसे दिया जाता है, तो यह विकृति बन सकता है, यह एक बुरा काम बन सकता है। यह आपके विकास के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। तो हमारे भीतर शादी करने की इस इच्छा को समझना चाहिए।

शादी का मतलब एक पत्नी है, जो आपके अस्तित्व का अंग-प्रत्यंग है। एक पत्नी जिस पर आप निर्भर हो सकते हैं। वह आपकी मां है, वह आपकी बहन है, वह आपका बच्चा है, वह सब कुछ है। आप अपनी सारी भावनाओं को अपनी पत्नी के साथ साझा कर सकते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि पत्नी ऐसी होनी चाहिए, जो यह समझे कि उपरोक्त यह सब बातें, शादी की ज़रूरत है।

अब, सहज योग में, जैसा कि आपने देखा है, आप सभी को या तो बाईं या दाईं ओर समस्या है। अब, जब ये विवाह होंगे, ज्यादातर अनायास, यह प्रकृति की योजना से ही होगा, कि आप एक ऐसे व्यक्ति से शादी करेंगे जो आपके लिए एक पूरक व्यक्तित्व है। क्योंकि, माना की आप एक लेफ्ट साइड व्यक्ति हैं, और यदि आपको एक ऐसा व्यक्ति प्राप्त होता है, जिसका लेफ्ट साइड जो  है बहुत मजबूत है, तो यह क्षतिपूर्ति करेगा, और यह इस प्रकार है कि आप एक अच्छी शादी करते हैं। लेकिन, इसके लिए, एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि :आपको साझा करना चाहिए। आपको जीवन, इसके प्रत्येक अंश, इसके हर पल को साझा करना चाहिए। यदि आप जीवन को साझा करना नहीं जानते हैं, तो यह बहुत मुश्किल है।

जब प्यार की बात आती है, तो हम अपने प्यार को कैसे व्यक्त करते हैं? हमारी सारी खुशियाँ और हमारी सारी पीड़ाएँ, हमारी सारी समस्याएँ साझा करके। लेकिन सहज योग में, यह थोड़ा अधिक है, मुझे लगता है कि बहुत अधिक, बहुत अधिक है। यहां आपको समुदाय में साझा करना होगा। विवाह व्यक्तियों के लिए नहीं है, सहज योग में, बिल्कुल नहीं। यदि किसी को यह महसूस होता है कि सहज योग में विवाह दो व्यक्तियों के बीच है, तो यह एक गलत बात है। यह दो समुदाय हैं, यह दो राष्ट्र हो सकते हैं, यह पूरी तरह से दो ब्रह्मांड हो सकते हैं। तो, यह अपने ही बीच का आनंद लेना नहीं है। सहज योग में यह पर्याप्त नहीं है की आप एक दूसरे के लिए एक अच्छे पति-पत्नी हैं ।उस प्रेम का आनंद हर किसी को, समाज में, समुदाय में होना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते, तो आपने सहज योग विवाह को प्राप्त नहीं किया है। यह सिर्फ एक साधारण विवाह है जैसा कि अन्य लोगों का होता है; इसमें कुछ खासियत नहीं है। इस तरह की शादी बहुत महान आत्माओं को इस धरती पर आने का मौका देने में सक्षम होना चाहिए।

एक व्यक्ति जो सहज योग में विवाहित है, जो सहज योगी हैं, जो सहज योगियों और सहज योगी समाज के साथ समान रूप से अपने प्यार को साझा कर रहे हैं, तभी महान लोग पैदा होंगे। मैं कहूंगी कि बोगदान ने ऐसा किया है। बोगदान और मैंडी, वे कर चुके हैं। यह कुछ आश्चर्यजनक है। आप देखते हैं, वे शादी से पहले सगाई करे हुए  थे, उनका विवाह सहज योग के सामने हुआ| उनका विवाह आत्मसाक्षात्कार होने के बाद हुआ था और मुझे नहीं पता कि, यह कैसे उन्हें जीवन में समझ आया, कि वे वास्तव में अन्य सहज योगियों की संगती साझा करते हैं। जब भी वह मुझे लिखते हैं, तो वे हमेशा अन्य सहज योगियों के बारे में लिखते हैं, वह उनमें से हर एक के बारे में पूछते हैं, वे कैसे हैं, उनकी समस्याएं क्या हैं। जहाँ तक और जब तक ऐसा नहीं होता है, विवाह का सहज योग में कोई अर्थ नहीं है, बिलकुल कोई अर्थ नहीं है। तो, सहज योगी विवाह का पहला परीक्षण यह है कि, विवाहित हो कर आप कितना अन्य लोगों में शामिल हो पाए हैं।

अब, उदाहरण के लिए, एक सामान्य विवाह में, एक मर्द वह व्यक्ति होता है जो परिवार का मुखिया होता है, जैसा कि आप कहते हैं। अब, उसे प्रधान बनना है, कुछ कारणों से आदमी को प्रधान बनना है। मर्द के मुखिया बनने में कुछ भी गलत नहीं है, यह सब सही है: आप हृदय बन जाते हैं। सिर की तुलना में  ह्रदय अधिक महत्वपूर्ण है। शायद, हमें एहसास नहीं है कि  ह्रदय कितना महत्वपूर्ण है। आप देखते हैं, भले ही दिमाग विफल हो, ह्रदय चलता रह सकता है। हम हमेशा जी सकते हैं जब तक ह्रदय चल रहा है। लेकिन, अगर  ह्रदय फेल हो जाए तो मस्तिष्क भी फेल हो जाता है।

इसलिए आप एक महिला के रूप में ह्रदय हैं, और वह परिवार के मुखिया [सिर]हैं। उसे यह महसूस करने दो कि वह प्रमुख [सिर] है; यह एक भावना है, बस एक भावना है। जैसे दिमाग हमेशा महसूस करता है कि वह फैसला करता है। लेकिन, मस्तिष्क यह भी जानता है कि इसके लिए पूर्ति ह्रदय को ही करना होगी। यह ह्रदय ही है जो सर्वव्यापी है, जो हर चीज का वास्तविक स्रोत है। इसलिए महिला की स्थिति, अगर वह समझती है कि कितनी महत्वपूर्ण है, वह जानती है की वह ह्रदय है तो उसे कभी भी कमजोर या दबा हुआ महसूस नहीं होगा|  मुझे लगता है कि यह बिंदु लोग, विशेषत: पश्चिमी महिलाओं में, या तो खो गए हैं, भूल गए हैं, और महसूस ही नहीं हुए है। अगर उन्हें इस बात का एहसास होता,  तो बहुत कम समस्या होती। यह तरीका नहीं है कि लोगों को लगता है कि वे दूसरों को नियंत्रित करते हैं और दूसरों पर हावी होते हैं या उन्हें दबाने की कोशिश करते हैं: यह ऐसा नहीं है। यह ह्रदय है जो वास्तव में सब कुछ संचालित करता है। दिल अन्य सब कुछ को ख़ारिज कर देता है। यह ह्रदय है जो मस्तिष्क को आच्छादित करने, उसे शांत करने की शक्ति रखता है। मस्तिष्क एक सिरदर्द है, आप जानते हैं, यह काम करता है, पागल की तरह काम करता है। लेकिन, ह्रदय वह है जो वास्तव में पूरे शरीर को अपने प्यार में  कवर कर सकता है और इसे शांत कर सकता है और इसे आनंद और प्रसन्नता दे सकता है। यह हृदय है जिसमें आत्मा है। तो, ह्रदय एक बहुत महत्वपूर्ण चीज है, जो शरीर की शक्ति है। अंतत: आपको आत्मा बनना है, जो हृदय में है।

दिमाग से आप चीजों को जानते हैं और इसीलिए आदमी को प्रधान बनना पड़ता है। उसे बाहर जाना है, उसे काम करना है, उसे लोगों से निपटना है। कहते है, उनका जीवन एक बहिर्मुखी है। और महिला को कभी-कभी मुश्किलों और परेशानियों में बाहर काम भी करना पड़ता है। लेकिन अगर पुरुष कहता है, “ठीक है आप बाहर काम नहीं करें”, अगर वह प्यार से कहते हैं तो फिर,  महिला को प्रभुत्व महसूस नहीं करना चाहिए।” अब, अगर दिमाग दिल पर बहुत ज्यादा हावी होने लगे, तो क्या होगा? फिर रुखापन होगा। जैसे, बहुत से लोग बहुत नुक्ताचीनी वाले सटीक खास होते हैं। वे सिरदर्द हैं; खुद को, दूसरों को और पूरे समाज को पूरी तरह सिरदर्द। ऐसे लोग बेहद शुष्क हो सकते हैं और वे हर समय ऐसे बने रह सकते हैं। वे कभी भी अपनी पत्नियों का आनंद नहीं ले सकते, वे कभी भी अपने बच्चों का आनंद नहीं ले सकते, वे किसी भी चीज का आनंद नहीं ले सकते, क्योंकि वे बहुत सटीक हैं। जैसे उन्होंने कहा, “5:10 पर आओ”। अब, यदि आप 5:09 या 5:11 बजे वहाँ पहुँचते हैं, तो आपके प्रति उनका गुस्सा था! वे केवल समय देख रहे हैं, सिर्फ दोषों का पता लगाने के लिए: जैसे ही पत्नी आती है, वे चिल्लाएंगे, “क्या? आप इतनी देर से आए हैं! ” कितने? 45 सेकंड! खो गया!

तुम देखो, पत्नी आ रही है: इसकी उम्मीद और यह मिलन, इसका आनंद। आप अपने ही ह्रदय से मिलने जा रहे हैं! यही कमी है। अब यह मस्तिष्क सभी नियम से परे जा सकता है, यह जा सकता है। और यह बहुत, बहुत बोझा डालने वाला हो सकता है। यह भीतर जबरदस्त समस्याएं पैदा करता है। तो, ह्रदय का सम्मान होना चाहिए, दिल का पालन करना चाहिए, यही बात है। दिल की बात माननी चाहिए। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाओं को पुरुषों पर हावी होना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है | Obeyed का मतलब है कि आपको समझना चाहिए कि आपका प्रीतम क्या कहता है।

प्रेम में करो। यदि आप इसे प्यार में करते हैं, तो यह बहुत अच्छा है। उदाहरण के लिए मैं आपको सुबह से शाम तक व्याख्यान दे रही हूं। आप मेरे व्याख्यानों से नहीं थक रहे हैं। आम तौर पर लोगों को थकान होना चाहिए, “यह क्या धर्मोपदेश चल रहा है? यह महिला हर समय हमसे बात करती है? ” लेकिन, आप ऐसा एक कारण से नहीं मानते। क्यों? क्योंकि आप जानते हैं कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं।

उसी तरह स्त्री को वह भूमिका स्थापित करनी चाहिए की वह प्यार करती है। आदमी थोड़ा अजीब हो सकता है, लेकिन वह मान जाएगा। वह थोड़ा भटक जाएगा, लेकिन वह मान जाएगा। लेकिन, उसे बाहरी बर्ताव में मत आंकिए। जैसे, आप देखते हैं, अगर वह कहता है, “यह रंग अच्छा नहीं है”, “ठीक है, जो भी आप पसंद करते हैं वह डाल देंगे”। फिर वह खुद कहेगा, ” ओह, मुझे लगता है कि जो तुमने डाला था वह अच्छा था। तुम्हें पता है कि मैं वास्तव में मूर्ख था! ” (हँसी) वह ऐसा ही कहेंगे! आप बस उनसे सहमत हो जाओ! मेरा मतलब है कि मैंने इसे अपने जीवन में प्रयोग किया है। मैंने यह किया है।

उदाहरण के लिए, मेरे पति को बहुत सारे रास्तों के बारे में पता नहीं है, इसलिए,मान लो कि हम कहीं जा रहे हैं, और उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यही रास्ता है जिस पर हमको जाना है।” मैंने कहा, “ठीक है आप चलें और मैं आपके साथ चलूँगी।” लेकिन मैंने कहा, “नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि यह सड़क नहीं है, मुझे वापस चलना होगा जो मुझे निश्चित रूप से पता है। लेकिन, ठीक है, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ चल सकती हूं। ठीक है, मैं चल रही हूँ मैं सिर्फ आनंद ले रही हूं। शायद मुझे इसी रास्ते से जाना था। ” फिर वह विचार में पड़ गए, “क्या यह सच है? क्या यह सही है?” (हँसी) फिर वह सोचने लगते है कि, “क्या यह वास्तव में है?” या “शायद?” क्योंकि उसके पास सहज ज्ञान  है। उसे अंतर्ज्ञान है। उसके पास बहुत सारी चीजें हैं। उसे वह इशारा मिल जाता  है। उन्हें एक इशारा मिलता है। उन्हें इसका एक झुकाव मिलता है। और यह ऐसा ही है और एक बार जब वे समझने लगते हैं, कि पत्नी का इशारा सही है, तो वे एक तरह से उसका पालन करते हैं।

लेकिन, अपने पति से अपनी बात का पालन करवाने में क्या महानता है? यह गलत है। मुझे लगता है कि उनको पत्नी का अनुसरण करने की कोई आवश्यकता नहीं है। “तुम उस तरीके से जाओ!” वह सब करने की क्या जरूरत है? हम एक ही तरफ जा रहे हैं। लेकिन हमें पता होना चाहिए कि कोई बाईं तरफ है, कोई दाईं ओर है। बाएं को बाईं ओर होना है। मान लें कि बायां पहिया दाईं ओर जाना शुरू कर देता है – हमारे पास केवल एक पहिया बचेगा। हम इसके बारे में क्या करने वाले हैं? हम सभी एक ही दिशा में रास्ते पर जा रहे हैं! इसके लिए कोई दो रास्ते नही हैं।  दो पहियों की जरूरत इसे संतुलन देने के लिए होती है। लेकिन हम एक ही रास्ते पर जा रहे हैं। यह, लोगों को महसूस ही नहीं होता है: उन्हें लगता है कि एक पहिए को दाईं ओर जाना है और दूसरे को बाईं ओर मुड़ना है। तो, कल्पना करें कि ऐसे परिवार की स्थिति क्या होगी। हम उसी रास्ते पर जा रहे हैं।केवल समझ की जरूरत है। उस एक को ह्रदय की शक्तियों के साथ रहना है, और दूसरे को बुद्धि की समझ के साथ तर्कसंगतता की शक्तियों के साथ जीना है। अब, जब तर्कसंगतता की बात आती है, तो अंततः यह ह्रदय की तरफ ही झुकेगा। क्योंकि यह एक ऐसी स्थिति पर पहुँच जाता है जहाँ इसे पता नहीं होता है। फिर वह ह्रदय के पास आता है। जब महिलायें यह समझ जाती हैं कि उन्ही के अंदर यह है। बल्कि, आपको अपनी ह्रदय की शक्ति का पोषण करना चाहिए। लेकिन आप हर चीज में उनका मुकाबला करती हैं: “अगर वह घोड़े पर जाता है तो मैं क्यों नहीं जा सकती ?” “वह ऐसा करता है, मैं क्यों नहीं कर सकती?” “अगर वह ड्राइव कर सकता है, तो मैं भी ड्राइव कर सकती हूं।”

बुद्धिमत्ता, कई चीजों को करने से बचने में होती है। उदाहरण के लिए, मैं ड्राइव नहीं करती, इसलिए हर कोई मेरे लिए ड्राइव करता है। मैं टाइप नहीं करती, बहुत अच्छा: हर कोई मेरे लिए टाइप करता है। लेकिन, मैं कुछ चीजें करती हूं जो कोई भी उतना अच्छा नहीं कर सकता है जितना मैं कर सकती हूं। जैसे मैं बहुत अच्छा खाना बना सकती हूं। इसलिए जब खाना पकाने की बात आती है, तो उन्हें मेरे पास आना होता है! यह उस तरह से।लेकिन, आप महिलाऐं वह सब कुछ नहीं करें जो पुरुष करना चाहते हैं। या आप पुरुष वह सब कुछ नहीं करें जो महिलाएं करना चाहती हैं। पुरुषों के लिए, खाना बनाना  और महिलाओं के लिए गाड़ी चलाना, यह गलत बात है।

पुरुषों को सभी मर्दाना चीजों को जानना चाहिए और महिलाओं को महिलाओं के कार्य को जानना चाहिए। उन्हें सीखना ही चाहिए। उन्हें इसमें अपना दिल लगाना होगा। मेरा मतलब है कि महिलाएं समान रूप से बुद्धिमान हो सकती हैं, पुरुष भी समान रूप से बुद्धिमान हो सकते हैं। निसंदेह, महिलाएं दाहिने बाजू [राइट साइड]पर जा सकती हैं, और पुरुष बाएं बाजू [लेफ्ट साइड] पर जा सकते हैं। लेकिन, आप उसके द्वारा पूरे ब्रह्मांड को असंतुलित करते हैं, यह बात है।

ऐसा नहीं है कि ऐसा करने से आप किसी भी तरह से कम या अधिक हैं। ऐसा विचार आपके दिमाग से बिल्कुल बाहर निकल जाना चाहिए। उस आदमी को लगता है कि, “ओह, मैं वह आदमी हूँ जो पैंट पहनता है!” ठीक है, आप पैंट पहनते हैं लेकिन, हम सुंदर स्कर्ट पहनते हैं! इस तरह से इसको देखा जाना चाहिए।एक बार जब यह दूर हो जाता है, सहज योग बेहतर काम करेगा।

वर्चस्व तभी महसूस होता है जब कोई प्यार न हो। कभी-कभी आप लोगों को किसी का आप पर हावी होना पसंद होता है, क्या ऐसा नहीं है। उदाहरण के लिए, जैसे कोई कहे कि “साथ चलो, यह खाना है। आपको खाना चाहिए, आपके पास यह होना चाहिए। ” आप इसे पसंद करते हैं, क्योंकि कोई आपकी परवाह करता है: एक चिंता करता है, कोई आपसे प्यार करता है, चाहता है कि आपके पास यह हो और आप ऐसा करना चाहते हैं। आप ऐसे व्यक्ति को पसंद करते हैं। आप चाहते हैं कि कोई ऐसा करे। आप इस तरह अनदेखा किया जाना पसंद नहीं करते की आप को कुत्तों की मर्जी पर छोड़ दिया जाए की : “जो भी वे चाहते हैं वह करें!” उस तरह की बात अच्छी नहीं है। और एक बार जब आप उस भावना को विकसित कर लेते हैं, “ओह, वह व्यक्ति मेरी परवाह करता है। वह व्यक्ति प्यार करता है, ”फिर आप भी उस व्यक्ति की भावनाओं की देखभाल करना शुरू कर देते हैं। आप भी समझने लगते हैं।

अब फिर से अपराधबोध काम कर रहा है। अब आप कृपया किसी भी चीज़ के लिए दोषी महसूस करना बंद कर दें। मैं आपको दोषी महसूस करवाने के लिए ये बातें नहीं कहती, बल्कि सिर्फ यह समझाने के लिए कि आपको बहुत हल्के मूड में होना है, बहुत हल्के मूड में।

यह संतुलन बहुत समय पहले बनाया गया है, बहुत समय पहले। जब राधा कृष्ण का अस्तित्व था तब भी: राधा ही शक्ति थी और यह कृष्ण थे जो अभिव्यक्त कर रहे थे। जैसा कि आप कहते हैं, क्षमता और गतिज। और लोग केवल कृष्ण के बारे में जानते हैं, लेकिन राधा ही शक्ति थीं। जब उन्हें कंस को मारना पड़ा, तो उन्हें इसे करने के लिए राधा से कहना पड़ा, । यह राधा थी जिसने सब कुछ किया, उसे नृत्य करना पड़ा और उन्होंने उसके पैर दबाए। उन्होंने कहा, “अब तुम थक गई होंगी।” मेरा मतलब है, उसने नृत्य क्यों किया? क्योंकि उसके नाच के बिना, चीजें कार्यान्वित नहीं हो सकती थीं।

तो, यह बहुत आपस में निर्भर है। यह तो अन्योन्याश्रित है। जैसे आपके पास कोई बाती नहीं हो,तो आपको रोशनी नहीं मिल सकती। आप इन दो चीजों को अलग नहीं कर सकते। यदि आप इसे समझ सकते हैं, तो यह संतुलन पूरी तरह से सामंजस्यपूर्ण है। यह भगवान और उसकी शक्ति के बीच है: बिल्कुल एक। आप कल्पना नहीं कर सकते कि यह भगवान और उसकी शक्ति के साथ एक कैसे है। उसकी शक्ति, उसकी इच्छा, ईश्वर के समान है। इसमें कोई अंतर नहीं है।लेकिन, आप मनुष्य विघटित हैं। आपकी इच्छा अलग है, आपकी सोच अलग है, आपकी मांग अलग है। सब कुछ इतना विघटित हो गया है, इसीलिए आप समझ नहीं सकते। यही कारण है कि शादियां भी विघटित हो जाती हैं। [यह] पूर्ण एकीकरण है। आपस में मिश्रित होना है। अगर पत्नी को काम करना है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर आदमी को काम करना है, तो चिंता न करें: जब तक आपके भीतर एकीकरण, संतुलन  की पूरी समझ है।बेशक, महिलाएं परिवार की शोभा के लिए जिम्मेदार हैं। उसे शोभायमान होना होगा। किसी महिला के लिए पुरुष जैसा व्यवहार करना अच्छा नहीं लगता है क्योंकि, पुरुष को उस महिला के समान रमणीय होने की आवश्यकता नहीं है।आखिर वह एक मर्द है। तो, यह सब ठीक है। मेरा मतलब है, उसके व्यवहार में, उसे उद्दंड नहीं होना चाहिए, लेकिन कभी-कभार अगर वह कभी गाली देता है, तो कभी- कभार, एक तरह से: एक आदमी के तौर पर तो कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, एक महिला के लिए, फर्क पड़ता है क्योकि की वह शोभनीय होती हैं | लेकिन, कुछ चीजें हैं जो एक आदमी नहीं कर सकता है: जैसे, महिलाओं में दिलचस्पी लेना। कुछ पुरुष इतने गर्म होते हैं कि आप जानते हैं, भयानक और बिल्कुल, उनके  महिलाओं में रुचि लेने के तरीके को समझा नहीं जा सकता हैं: जैसे की महिलाएं  किस तरह की पोशाक पहनती हैं,वगैरह। यह सब चूहे जैसा व्यवहार भयानक है। और यह कतई मर्दाना नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि वे महिलाओं के ऐसे गुलाम हैं। वे खुद को यह और वह कुछ भी कह सकते हैं। मैंने सुना है कि इन श्रीमती केनेडी के कपड़े, अंतर्वस्त्र , बिक्री के लिए थे। और ऑस्ट्रेलिया के लोग उन्हें खरीदने के लिए हवाई यात्रा कर रहे थे! मेरा मतलब है कि इन मर्दों के बारे में सोचो! आप उन्हें क्या कहते हैं? मुझे नहीं पता कि आप उन्हें अंग्रेजी भाषा में क्या कहते हैं। लेकिन, वे केंचुए से भी बदतर हैं। मुझे नहीं पता कि वे कहाँ से आते हैं।

तो एक आदमी को एक आदमी होना पड़ेगा! और आदमी राम जैसा व्यक्ति है। आपने उसके जीवन के बारे में सुना है कि वह कैसे थे। कैसे वह अपनी पत्नी से प्यार करते थे, अपनी शुद्धता का सम्मान करते थे। एक आदमी जो अपनी शुद्धता का सम्मान नहीं कर सकता, वह आदमी नहीं है। वह बिल्कुल केंचुआ है।

तो, जो है ऐसा ही है। एक आदमी के पास एक चरित्र होना चाहिए, उसके पास वीरता होना चाहिए, उस में वह साहस होना चाहिए, उसे उस सुरक्षाप्रदान करने की भावना  को रखना होगा। अगर घर में चोर आते हैं [और] आदमी पत्नी से कहता है, “ओह तुम जाओ और दरवाजा खोलो, और मैं छिपने जा रहा हूं!” (हँसी) और जब चोर चले जाते हैं, तब वह कहता है, “मैं हावी होने जा रहा हूँ!” यह ठीक तरीका नहीं है| आदमी को  रक्षा करनी है। आदमी को देखभाल करनी है। यदि वह कभी-कभी थोड़ा रुखा होता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसको सामना करना है। वह कांटे की तरह है और महिलाएं फूलों की तरह हैं। अब, कांटे और फूल में, तुम एक फूल बनना चाहोगे, क्या ऐसा नहीं है, लेकिन एक आदमी और औरत में, तुम एक कांटा बनना चाहो! तो यह गलत है।

उसको रक्षा करनी होती है, उसे परिवार-जीवन और अन्य चीजों पर आक्रमण के मामले में ध्यान देना है। इसके विपरीत, वे ही हैं जो परिवार में गलत लोगों द्वारा घुसपैठ की अनुमति देते हैं। यह पुरुष ही हैजो भयानक महिलाओं को लाते हैं, वे  अपने प्रभुत्व के माध्यम से भयानक लोगों को लाते हैं, “ओह, वह मेरी दोस्त है! आप कैसे आपत्ति कर सकती हैं? ” लेकिन, वह किस तरह की दोस्त है? उनका कहना है, “नहीं, मैं इन लोगों का घर में आना पसंद नहीं करता, वे सही प्रकार के नहीं हैं। उन्हें बाहर निकलना होगा। यह मर्द है जिसे कहना है। और महिला को समझना होगा। लेकिन अगर वह केवल अपने वर्चस्व इसलिए, हर चीज के दो पहलू होते हैं, जैसा कि आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। यदि यह प्यार में किया जाता है, तो यह सही है लेकिन, यदि इसे वर्चस्व में किया जाता है, तो यह निरर्थक है। हावी क्यों? मेरा मतलब है, मैं ‘वर्चस्व’ शब्द को नहीं समझती। जब दो पहिये होते हैं तो क्या वे एक दूसरे पर हावी होते हैं? क्या वो कर सकते हैं ? यदि कोई हावी हो जाता है, तो जैसे कि पहला दूसरे से बड़ा हो जाता है, यह गोल,गोल घूमेगा , ऐसा नहीं हो सकता। इसमें वर्चस्व का कोई सवाल नहीं है। लेकिन, यह सवाल है,  एकीकरण, समझ और आपसी पूर्ण सहयोग का सवाल है, जिसे समाज में, परिवार में व्याप्त होने देना चाहिए।

जो विवाह समाज के लिए उपयोगी नहीं हैं, वे किसी काम के नहीं हैं, वे सिर्फ एक बर्बादी हैं, सिर्फ एक बर्बादी है। हमने इस तरह की कई शादियां की हैं। लोग शादी करते हैं, अच्छी तरह से जीते हैं, खुशी से आपस में रहते हैं और खत्म हो जाते हैं। ये वे शादियाँ हैं जो समाज को बदलने वाली हैं, अपनी आनंद, खुशी के साथ, ऐसा घर बनायें जहाँ हर किसी के आगमन की उम्मीद की जाती है, उनकी देखभाल करें, दूसरों के लिए करें। ऐसे कई लोग हैं जो सोचते हैं कि, “कोई भी हमारे लिए कुछ नहीं कर रहा है!” आपने दूसरों के लिए क्या किया है? आपने क्या किया? क्या आपने उनके लिए कुछ किया है? एक बार जब आप ऐसा निर्णय लेना और समझना शुरू करते हैं, तो यह बहुत अच्छा होगा।

आम तौर पर एक महिला है, अगर उसका ठीक से पालन पोषण नहीं किया गया है, तो बहुत, बहुत मगरूर हो सकती है और बहुत स्वार्थी और आत्म-केंद्रित हो सकती है। पुरुष भी हो सकते हैं, लेकिन, महिलाएं हो सकती हैं। क्योंकि अगर उन्हें ठीक से पाला नहीं गया है – तो मैं कह रही हूं कि – वे दूसरों पर अपना पैसा खर्च करना पसंद नहीं कर सकती। वे नहीं चाहेंगी कि दूसरे लोग घर में आएं और इसे साझा करें। लेकिन, फिर से हमें इसे आंकना होगा: क्या यह प्यार में किया गया है या नहीं?जैसे पति अपने दोस्तों को लाता है, और हो सकता है कि वे उसके दोस्तों को पसंद न करें क्योंकि इसका मतलब है पैसा। वे दोस्त और दोस्तके लिए उपहार की तुलना में खुद के लिए अधिक गहने लेना पसंद करेंगी। यह हो सकता है, वे ऐसे हो सकते हैं। कुछ पुरुष भी ऐसे हो सकते हैं। लेकिन, दोनों ही बातें गलत हैं। इसे समझने के लिए साझा किया जाना चाहिए। और पूरी बात यह है कि आपको दूसरों पर अपना प्यार लुटाना चाहिए। इसके लिए आपको पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है। जरुरी नहीं। आप बस उनके प्रति दयालु हो सकते हैं, भले हो सकते हैं और थोड़ा पैसा भी खर्चें। दूसरों के लिए थोड़ा पैसा खर्च करने और अपने प्यार का इजहार करने में कोई बुराई नहीं है।

जहाँ तक पैसे की बात है, प्रेम की बात है, तो सहज योग में हम अभी भी बहुत सावधानी बरत रहे हैं। हम बहुत, बहुत सतर्क हैं। हमारे भीतर इतना भय है। अब वर्चस्व सहज योग में कभी नहीं आना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब मैं आपको कुछ भी बता रही होती हूं, तो एक बाहरी व्यक्ति  लगता है कि मैं आप पर हावी हो रही हूं, क्योंकि वास्तव में मैं आपके भीतर बहुत ही गंभीर बिंदुओं को छू रही हूं, अगर आप इसे स्पष्ट रूप से देखते हैं, तो यह ऐसा ही है।

लेफ्ट साइड बहुत अधिक रख रहे हैं , आप सभी दोषी महसूस कर रहे हैं, यह अच्छा नहीं है, साथ आओ!  यह भी एक पलायन है, कि आप दोषी  महसूस करना शुरू कर देते हैं, और खुद को सुधार नहीं करते| बस किसी भी चीज़ के लिए दोषी महसूस न करें। मैं आपको यह सिर्फ इसलिए बता रही हूं क्योंकि मुझे आपको बताना है!

अब, अगर वे इसके पीछे के प्रेम,इसके पीछे की सुंदरता,इसके पीछे की करुणा को नहीं देखते हैं तो,  कोई महसूस कर सकता है कि यह दबाव है,। इसलिए सबसे अच्छा है की , कभी भी यह महसूस न करें कि आपके ऊपर कोई हावी है। आप कैसे दबाव ग्रस्त हो सकते हैं? आप तो आत्मा हैं! आपके अहंकार को चोट लग सकती है। आप आत्मा हैं: यह दबाव ग्रस्त नहीं हो सकता। लेकिन, क्या आप आत्मा हैं? क्या आप अपनी आत्मा को महसूस कर रहे हैं? यदि आप अपनी आत्मा को महसूस कर रहे हैं तो आप कभी भी दबाव ग्रस्त नहीं हो सकते, कोई भी आप पर हावी नहीं हो सकता। लेकिन, अगर आप ऐसा महसूस करते हैं, हर समय, की आप दबाव ग्रस्त हैं, कोई आप पर हावी हैं, तो आप बहुत, बहुत घबराए हुए व्यक्ति बन जाएंगे। आप एक भयानक व्यक्ति हो सकते हैं। आप लोगों का सामना नहीं कर सकते। इसलिए यह समय है कि आप महसूस करें कि आप एक आत्मा हैं और आपके पति भी एक आत्मा हैं। या यदि आप पति हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि पत्नी भी एक आत्मा है। और उस स्तर में एक परस्पर सम्मान बढ़ना चाहिए, क्योंकि आप दोनों संत हैं, आप सहज योगी हैं।

आपको एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए क्योंकि आप सहज योगी हैं। हर कोई आपका सम्मान करता है क्योंकि आप सहज योगी हैं – वे लोग जिन्होंने आत्मसाक्षात्कार नहीं हासिल किया है उनकी दृष्टी में : “ओह, वे आत्मसाक्षात्कारी  हैं!” आपको मालुम है कि जब आपको आत्मसाक्षात्कार नहीं हुआ था तब , अगर किसी ने आप को बताया था कि, “अमुक वह एक आत्मसाक्षात्कारी-आत्मा है,” तो आपको उस व्यक्ति के बारे में कैसा लगा था? आप इसके प्रति सचेत नहीं हैं लेकिन आपको सचेत होना चाहिए। उसके द्वारा आपको घमंडी नहीं हो जाना चाहिए, लेकिन आपको दूसरों का सम्मान करना चाहिए, की वे आत्मसाक्षात्कारी हैं-, वे आपकी माता की संतान हैं। एक दूसरे से बात करते समय आपको यह समझना होगा : विशेषत: जब आप पति और पत्नी हैं।

पति-पत्नी को ले कर अब तक की अपनी पूरी समझ आपको छोड़नी होगी। यह ऐसा है, मुझे लगता है कि यह शादी एक अनुबंध की तरह है। एक विवाह में आप यह देखते हैं की, “वह कितना हावी है? उसकी शक्तियाँ क्या हैं? मेरी शक्तियाँ क्या हैं? मुझे कितना पैसा मिलेगा? उसे कितना मिलता है, पैसा कहाँ रखा है? वह सब क्या है? ” यह तभी होगा जब आप एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करेंगे। लेकिन, अधिक से अधिक भरोसा करें। प्यार करने में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। विश्वास में, ईमानदार होने में, दयालु होने में, सेवा में होने में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। एक प्रतियोगिता की तरह चलो, और फिर आप परिणाम प्राप्त करेंगे। हावी होने के बजाय, डरने के बजाय, सभी बकवास साझा करने के बजाय प्रतियोगिता को दूसरी तरह होना चाहिए।

एक और बात जो मुझे बतानी चाहिए जो की विवाहित जोड़ों के साथ होती है और जो बहुत ही गलत है, यह भी गलत है कि दोनों, बहुत दुखी लोगों की भूमिका निभाने लगते हैं, विपद ग्रस्त ! वे रोते हुए बैठते हैं, रोते हुए “ओह, हो, हो!” अकारण। [जैसे कि] पूरी दुनिया उनके सामने ढह रही है। अब कुछ तथाकथित ’महान’ कवि हैं, जैसे लॉर्ड बायरन शायद या कुछ भयानक लोग, जिन्होंने इस तरह की भयानक कविताएँ लिखी हैं। और वे उन कविताओं का पाठ करेंगे, “सबसे मधुर गीत वे हैं [जो सबसे दु:खद कल्पनाओं की कहानी हैं]” और सभी प्रकार की बकवास: सहज योगियों के लिए नहीं है। आप को इस तरह के बकवास में लिप्त नहीं होना हैं |तथा बैठकर एक दूसरे के दुखों का आनंद लेने की इस तरह के बकवास में लिप्त नहीं हों।

वर्तमान में, आपको कोई दुख नहीं है। जो कुछ भी रहा है वह अतीत था और समाप्त हो गया है। अब, आप नए लोग हैं, नई चीजों के साथ नई जागरूकता के साथ। आपको कोई दुख नहीं है। इसलिए, उन सभी चीजों को भूल जाएं और एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने की कोशिश करें। और यदि आप ऐसा करना शुरू करते हैं,  बैठकर दुखों का आनंद लेते हैं, आप [इससे] तुरंत बाहर निकल जाएं और कहें, “ओह, हम लॉर्ड बायरन के उसी खेल में शामिल हो रहे हैं!” मैं सहज योगियों में से और अधिक लॉर्ड बायरन नहीं बनाना चाहती। तो कृपया याद रखें कि: बैठकर चर्चा  और अपने दुखों का विश्लेषण न करें । आपको किसी तरह का कोई दुख नहीं है। आप आत्मा हैं। आप खुद के लिए और दूसरों के लिए खुशी का स्रोत हैं और आपके पास बैठकर रोने और कलपने का कोई काम नहीं है। और मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है? मुझे नहीं पता कि आप अपनी आत्मा को क्यों नहीं जानते हैं। क्या आप अपनी आत्मा को नहीं जानते हैं? तुम्हे पता हैं! फिर आप क्यों नहीं जानते?

आपको अपनी चैतन्य संबंधी जागरूकता है और फिर भी आप इसे कैसे कह रहे हैं की,  यह आप नहीं जानते हैं? आपको सब कुछ जानना है। और प्रसन्न रहना,  दूसरों को खुशी देने के लिए आनंद से महकते रहना बहुत सकारात्मक कार्य होना चाहिए। ऐसा आपके साथ होना है। अन्यथा, हर चीज का कोई अर्थ नहीं है।

आप देखिए, मैं हर स्तर पर पूरी कोशिश करती हूं कि हर शादी बहुत ही मनमोहक, सुंदर चीज हो, लेकिन आखिरकार, जो मुझे मिल रहा है, वह है दो रूठे हुए लोग ! (हँसते हुए) और फिर उन बच्चों की कल्पना कीजिए जो जन्म लेने वाले हैं। वे सोचेंगे, “ये रोते हुए माता-पिता, हे भगवान, हमें इन रोते हुए बच्चों से बचाएं!” इसलिए इस तरह के रवैये से मेरी सारी आशाओं को पुरी बिखरती स्थिति में नहीं डाल देना चाहिए।

अब, यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो उनसे पूछें क्योंकि मैं नहीं जानती कि कितना कहना है।

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