Sahasrara Puja: Heart must be kept absolutely clean

Chelsham Road Ashram, London (England)

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सहस्रार पूजा – चेल्शम रोड, लंदन (यूके), ४ मई १९८१  

… ऐसी खुशी आप सभी के पास वापस आने की है। मुझे यहां आने की प्रतीक्षा थी । मुझे आपके सारे पत्र और अभिवादन और वह सब मिला, जो आपने बताया था। यह बहुत स्नेही और बहुत उत्साहजनक था आपकी प्रगति के बारे में जानने के लिए और जब मैं वास्तव में बहुत, बहुत, बहुत कठिन कार्य कर रही थी, तो मैं आपके बारे में सोचती थी और मैं इस विचार को अपने दिमाग में डाल देती थी कि एक दिन आएगा जब विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी का अवतरण आना चाहिए।

मैं ऑस्ट्रेलिया गयी और मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस तरह से चमत्कार हुए उस देश में । ऐसा पुराणों में कहा जाता है कि त्रिशंकु नामक एक संत थे, जिन्होंने कुछ गलती, थोड़ी गलती की और उन्हें दक्षिणी क्रॉस के रूप में भेजा गया और कहा गया ,हवा में लटकते हुए कि आपको अपना स्वर्ग अवश्य बनाना चाहिए। और वास्तव में ऑस्ट्रेलिया स्वर्ग है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह मूलाधार है। वह मूलाधार है। 

लोग निश्चित रूप से सभी तरह की धारणायें बना रहे हैं, अत्यधिक अध्यन, क्यूंकि  हम यहां हैं। हमने इन सभी गलत धारणाओं को भी काफी हद तक स्वीकार कर लिया है। लेकिन किसी तरह मैं इसे अभी भी ह्रदय  ही ह्रदय  में महसूस करती हूं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का सही तरीका नहीं हो सकता है और उन्हें अभी भी लगता है कि वे जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह से सही नहीं है या वह चीज़ नहीं है जो हम वास्तव में खोज रहे   हैं।

सभी प्रकार के गुरु ऑस्ट्रेलिया में हैं, सभी प्रकार के लोग हैं जिन्होंने इसे प्राप्त किया है। लेकिन मूल रूप से वे अब उन लोगों को स्वीकार नहीं करते हैं जो वहां आते हैं और प्राचीन शास्त्रों और चीज़ों के  बिना किसी सम्बन्ध की बेतुकी चीज़ों का प्रचार करते हैं। इसलिए वे एक तरह से पारंपरिक लोग हैं, जहाँ तक उनके धार्मिक विचारों का संबंध है। लेकिन वे बहुत खुले विचारों वाले हैं, उदाहरण के लिए, पहला चमत्कार जो हुआ था कि एक महिला थी जो एक अभिनेत्री थी, जो बहुत बीमार थी। उसे लकवा मार गया या उस तरह की कोई चीज़  और डॉक्टर ने कहा कि वह ठीक नहीं होगी। वह अगले दिन शायद मर जाएगी और उसके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है। तो उसका दोस्त, जो बहुत बड़ा पत्रकार है, वह एक होम्योपैथ के पास आया जो एक सहज योगी है, और पूछा कि क्या वह होम्योपैथी में मदद कर सकता है। तो उन्होंने  कहा कि मैं होम्योपैथी में आपकी मदद नहीं कर सकती, केवल एक चीज़ मुझे मिली है – ‘फोटोग्राफ’, जिसे आप ले सकते हैं और उसे अपने तकिए के नीचे रख सकते हैं और शायद यह कार्य  कर सकती है। 

इसलिए उन्होंने  तस्वीर ली क्योंकि सहज योगी ने समझा दिया था , जिससे पूछताछ की जाने वाली कोई बात नहीं थी, और उसे उस अभिनेत्री के तकिए के नीचे रख दिया और अगले दिन उसने अपनी आँखें खोली। और वे इस पर विश्वास नहीं कर सकते थे। और हमेशा की तरह डॉक्टरों ने कहा, ‘ओह यह हुआ होगा  – वह हुआ होगा, आप देखें, (हँसी)। उसे किसी भी मामले में जीवित नहीं रहना चाहिए, क्योंकि किसी भी स्थिति में उसका मस्तिष्क क्षतिग्रस्त है, कोई संदेह नहीं है, हमने देखा है कि उसका मस्तिष्क क्षतिग्रस्त है। लेकिन अगले दिन उसने बात करना शुरू कर दिया। वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि वह बात कर रही है, इसका मतलब है कि उसका दिमाग ठीक है। उसमें धीरे-धीरे सुधार हुआ। 

लेकिन यह सब एक अलग माहौल बनाता  है, एक बहुत ही अलग माहौल सहज योग के लिए, क्योंकि वह दोस्त, जो उसका दोस्त था, वह जो उसके यहाँ बहुत रुचि रखता था, वह एक व्यक्ति था जो बहुत उच्च स्थान पर है पत्रकारिता में, हालांकि वह सहज योगी या कुछ भी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने एक पत्रकार को मेरे पास भेजा, हमारे कार्यक्रम में, उन्होंने और उनकी पत्नी ने, जो ऑस्ट्रेलिया में पत्रकार संघ के अध्यक्ष हैं, को आत्मबोध कराया। और उसने वास्तव में पूरा माहौल बनाया। 

तो इन मीडिया का भी उपयोग किया जा सकता है और उनका उपयोग किया जा सकता है आप बहुत सारी चीज़ें  भी कर सकते हैं। लेकिन ऐसे मामलों में हमें चोटी पर ऐसे लोगों के साथ रहना चाहिए जो घमंडी नहीं हैं, सौम्य हैं। आप ऐसे लोगों को कह सकते हैं जो विनम्र हैं, पर्याप्त विनम्र हैं सहज योग को समझने के लिए। वास्तव में ,सामान्यतः  कुछ मुठभेड़ होती है । उनमें से एक ‘ द्विजाः'( दूसरा जन्म) आया था। इसलिए वे मेरे साथ युद्ध करने आए,” द्विजाः”। और यह वास्तव में है … “द्विजाः”, यह अमेरिका से आया है। जब मैं पिछली बार अमेरिका गयी थी, तो उन्होंने मुझसे कहा था कि मुझे अपने सभी व्याख्यान पंजीकृत करवाने चाहिए और उस तरह के सभी प्रकाशन अधिकार मुझे रखने होंगे। मैंने उससे कहा, ‘मैं इसे ऐसे ही क्यों रखूं?’ उन्होंने कहा, ‘नहीं, नहीं, नहीं, तो वे आपके व्याख्यान का उपयोग करेंगे।’ मैंने कहा, ‘उन्हें इसका इस्तेमाल करने दीजिए, आखिरकार मुझे किसी भी मामले में यह आत्मबोध देना होगा। वे बोध नहीं दे सकते। इसलिए जब मैंने वहां कहा कि ‘आपने  फिर से जन्म लेना है, तो आपने  दो बार जन्म लेना है। उन्होंने ‘द्विजाः ’नामक एक संगठन शुरू किया। (हँसी) बहुत हैं, जैसे ‘असली चैतन्य ‘ सभी तरह के संगठनों ने शुरू किया है, अमेरिका में उन तर्ज पर।

तो यह दो बार पैदा हुआ मेरे साथ लड़ने के लिए, यह कहते हुए कि, आपका  अधिकार क्या है? मैंने कहा, ‘आपका  अधिकार क्या है?’ ‘मेरा अधिकार बाइबिल है’। मैंने कहा, ‘ठीक है, बाईबल का अधिकार क्या है? उन्होंने कहा बाइबिल का अधिकार मसीह है। मैंने कहा, ‘मसीह ने कभी बाइबिल नहीं लिखी।’ उन्होंने इसे कभी नहीं लिखा, बाइबिल के साथ उनका कोई संबंध नहीं था। उन्होंने इसे कभी नहीं लिखा। हँसी!

इसलिए वे कभी नहीं जानते थे कि मुझे कैसे जवाब देना है … हंसी! उन्होंने कहा, ‘अभी भी आपके पास एक अधिकार होना चाहिए। मेरे पास है, मैं अपना अधिकार साबित करूंगी। सबसे पहले आप मुझे, इन सवालों को पूछने का आपका अधिकार बताईये।  उन्होंने कहा … आप जानते हैं कि मैं अल्फा और ओमेगा हूं। मैंने कहा, वह है,वह है, लेकिन आप इसे स्वीकार नहीं करते। आप ईसाई धर्म को ठीक मानते हैं, क्योंकि आप इसमें पैदा हुए थे। यदि आप एक हिंदू पैदा हुए थे, तो आप हिंदू पैदा हुए थे, क्योंकि आप एक प्रकार हैं जो किसी न किसी तरह से संबंधित होंगे। मैंने उससे कहा, कि वह ओमेगा था और वह अल्फ़ा था। फिर उन्होंने इसपर उसपर हमला करना शुरू कर दिया, किसी तरह हर किसी ने उन्हें फेंक दिया और यह खत्म हो गया। 

यह बहुत  दिलचस्प था क्योंकि इतने सारे लोगों को आत्मबोध  हुआ और वे उन कार्यक्रमों में आए जो हमने किये  थे , जिसे  सेमिनार कहा जाता था। खुले में हमने सेमिनार की व्यवस्था की, क्योंकि हमारे पास जाने की कोई जगह नहीं थी, 500- 600 लोगों के साथ । इसलिए, एक सज्जन व्यक्ति ने जिसके पास एक बड़ा घर है, जिसमें एक बड़ा परिसर  है। इसलिए हमने उन्हें, उन सभी को वहाँ आमंत्रित किया क्योंकि [अस्पष्ट]। और पूरा [अस्पष्ट] था। यह टीले पर एक उपदेश की तरह था, तरह तरह की बात। तो उनमें से कई वहाँ बैठकर अपना भोजन करते हैं और वे बात करते हैं और वह सब। इतने सारे लोग ठीक हो रहे हैं, यह वास्तव में उल्लेखनीय था जिस तरह से इन लोगों ने इस तरह की दिल चस्पी ली और सभी तरह से आए और पहली बार से ही उन्हें अपना आत्मबोध प्राप्त  हुआ और हर दिन वे लगभग सात दिनों के लिए आए, हर शाम वे सभी आए, सभी जगह से । हमारे पास तस्मानिया के लोग थे जो  आए थे और मेलबोर्न से , न्यूजीलैंड से , सब जगह से  लोग आए थे । वे आये और आश्रम में आकर रहने लगे। आश्रम अपने आप में एक और खूबसूरत जगह है।

एक चमत्कारी कहानी है, वे कहते हैं कि, एक दिन मीरा ने मुझे यह कहने के लिए उकसाया कि, उन्होंने अपना घर पहले ही बेच दिया है, हमें जाने के लिए कोई जगह नहीं मिली। हमें रहने के लिए जगह नहीं मिल रही है, क्योंकि वे कुछ जगह से आने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन कोई जगह उपलब्ध नहीं है। मैंने कहा ठीक है अब चिंता मत करो कल आपको जगह मिल जाएगी। और वह विश्वास नहीं कर सकी , यह कैसे हो सकता है। और उन्होंने दो सौ एजेंटों के बारे में बताया था, जिन्होंने कहा था कि ऐसी कोई जगह उपलब्ध नहीं है और हम  आपको जगह नहीं दिला सकते। और, जब वह, टेरेंस, उसका पति बाहर गया था और वह चीज़ों की तलाश कर रहा था और वह बहुत थका हुआ घर आया तो मीरा ने कहा कि, “माँ ने बताया है कि कल आप  इसे प्राप्त करने जा रहे हो। उसने कहा, ‘कल’। क्या यह संभव हो सकता है? कहा कि शाम को कहीं से टेलीफोन कॉल  था और उसने नंबर दिया है। तो उसने सुबह उठकर उस नंबर से पूछा, क्या था? यह एजेंट से था। उन्होंने कहा, हमने आपके लिए जगह ढूंढ ली है। यदि आप चाहते हैं कि आप इसे अभी कब्जा कर सकते हैं – (हँसी)। इसलिए अगले दिन वे घर में चले गए। असल में उन्होंने किया। और यह चौदह बेडरूम और एक विशाल बड़े हॉल के साथ एक सुंदर जगह है। यह बहुत सुन्दर जगह है। तो यह है कि वे इसे कैसे मिला।

तो कई चीज़ें इस तरह से कार्य  करती हैं। और उन्होंने कहा कि न केवल हमें आशीर्वाद मिला है बल्कि इतनी चमत्कारी भौतिक चीज़ें  हो रही हैं कि हम वास्तव में आश्चर्यचकित हैं। लेकिन मैंने आपको पहले ही बता दिया है कि यह लिखा है कि, ‘योग क्षेम वहाम्यम ‘ – सबसे पहले आपको अपना योग प्राप्त करना चाहिए और उसके बाद क्षेम आएगा। भलाई बाद में आती है। जब मैं लोगों से बात कर रही  थी  तो निश्चित रूप से चर्चा में यह कुछ ज्यादा ही प्रकट हो गया। इतनी सारी चीज़ें  जो मैंने आप लोगों या भारतीयों को अब तक नहीं बताई हैं, मैंने उन्हें मसीह के बारे में बताया। 

श्री माताजी: मुझे आशा है कि आपको उनके टेप मिल गए होंगे। हा …

योगी: अभी तक नहीं, वे भेज रहे हैं

श्री माताजी को: क्या आपने उन्हें सुना है? 

योगी: अभी तक नहीं? 

श्री माताजी:  क्या कह रही है? मुझे लगता है कि आप निर्विचार समाधि  में जा रही  हैं, ऐसा नहीं है – इसका मतलब है कि मैंने आपको परेशान किया है।

मैंने उन्हें मसीह के बारे में जो बात बताई वह यह थी कि हर किसी ने हमारी जागरूकता के लिए कुछ महान कार्य  किया है, जैसे मूसा, जो धर्म के विचार  लाये थे। उन्होंने  हमें संतुलन का विचार दिया और हमारे पास इब्राहीम और ये सभी लोग थे। लेकिन मसीह ने सबसे बड़ा कार्य  किया एक तरह से, क्योंकि वह एक स्तर पर आये, जो कि आज्ञा चक्र है जहां अहंकार और प्रतिअहंकार  एक दूसरे को पार करते हैं। और, लेकिन वास्तव में ये सभी कर्म सिद्धांत जो वहां थे, अब तक की आपको अपना कर्मफल को भोगना होगा, वह इसका प्रतिकार करने के लिए आये  थे , यह कहकर कि ‘वह हमारे पापों के लिए मृत्यु को प्राप्त हुए।’ मतलब वह हमारे कर्मों को समाप्त कर सकते हैं। इसलिए कर्मफल का यह सिद्धांत अब समाप्त हो गया है क्योंकि मसीह का जन्म हुआ है। यदि मसीह को आपके आज्ञा चक्र में जागृत किया जा सकता है तो आपके सभी कर्म, पिछले कर्म, आपके सभी पाप इस जागृति द्वारा समाप्त किये जाएंगे। 

लेकिन ईसाई, जो भारत गए, वे मूर्ख लोग थे। वे वहाँ साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे, अपने दम पर, मसीह के नहीं। इसलिए वे कभी भी संवाद नहीं करते हैं – मुझे नहीं पता कि उन्होंने यह भी समझा कि इसका क्या मतलब है – ‘हमारे पापों के लिए मरना’ इसका कर्म सिद्धांत से क्या संबंध था। इसलिए जब वे भारत गए, तो उन्होंने मसीह को इतने हास्यास्पद तरीके से रखा, कि भारतीयों ने स्वीकार नहीं किया, वे स्वीकार नहीं कर पाये। और उसके कारण, एकीकरण भारतीय दर्शन के साथ मसीह के जीवन का नहीं हो सका। इसके विपरीत, उन्होंने उसे पूरी तरह से निरस्त कर दिया। और वे बाइबल को समझ नहीं पाए। वे इसे नहीं समझ पाये। इस तरह से इस धरती पर आने वाले मसीह, इतने महान कार्य कि हमारे कर्मफल को समाप्त करने के लिए, उन्हें वे बिल्कुल नहीं समझ पाये थे। और अभी भी बहुत सारे गुरु हमारे कर्मफल सिद्धांत के बारे में बात कर रहे हैं और इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं। वे इस बात से अवगत नहीं हैं कि मसीह इस चीज़ के लिए आये थे। वह पहले ही हमारे लिए कर चुके हैं। एक बार जब आपका आज्ञा स्थापित हो जाता है और आप अपने मसीह को अपने भीतर जागृत कर लेते हैं, तो आपके सभी पिछले पापों को समाप्त किया जाता है।

लेकिन सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जो लोग ईसाई राष्ट्र के माने जाते हैं, उनमें सबसे ख़राब  आज्ञा  हैं। यह सबसे बड़ी त्रासदी है कि वे भूल गए हैं ‘प्रभु की प्रार्थना ’को, जो हमारे आज्ञा  के लिए मंत्र है। मुझे लगता है कि दूसरों को क्षमा  करना एक बहुत महत्वपूर्ण बात है। हमें सीखना चाहिए क्षमा करना। हर समय हमें सीखना चाहिए क्षमा करना । यही सबसे अच्छा तरीका है कि हम अपने आज्ञा  को अपने नियंत्रण में रख सकते हैं और अहंकार को उसके उचित स्तर पर  । आपको क्या अधिकार है कि आप क्षमा न करें, क्योंकि क्षमा नहीं करने से आप स्वयं  को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए दूसरों को क्षमा करना ही एकमात्र तरीका है जिससे हम वास्तव में नियंत्रित कर सकते हैं अपनी आज्ञा  को । यहां तक ​​कि स्वयं  को क्षमा करते हुए, हमें स्वयं को क्षमा करना होगा और हमें दूसरों को क्षमा करना होगा।

आज एक दिन है, जब मुझे सहस्रार के बारे में बात करनी चाहिए। क्योंकि कल सहस्रार का दिन है और यह ईसा के आगमन के बाद सहज योग का सबसे बड़ा आशीर्वाद है। यहां तक ​​कि अगर उन्होंने  आपके पापों को समाप्त किया  था, तो भी आपको आत्मबोध  दिया जाना है। जागृति के बिना इसका कोई अर्थ नहीं है और इसलिए यह सहज योग जो आज का ‘महायोग’ है, अस्तित्व में आया क्योंकि आप सभी को जागृत करना होगा। आपको स्वयं  को जानना होगा। वह शक्ति जो आत्मा है; एकमात्र तरीका है कि हम ईश्वर को जान सकें। कोई दूसरा रास्ता नहीं है कि हम परमात्मा  को जान सकें। हमें  आत्मस्वरूप बनना है।

दूसरी बात जो हमने सभी ईसाई राष्ट्रों में की है वह है अपनी आत्मा को भूलना। यह दोहरी पकड़ है। यदि अहंकार विकसित होता है, तो यह आपके ह्रदय  को ढकता है। आप भावुकताहीन भी हो सकते हैं। जब यह आपके ह्रदय  को ढंकता है, तो आपका ह्रदय  पत्थर की तरह हो जाता है और आत्मा चमक नहीं पाती है। हर समय आपको जो कहना है, कि ‘मैं आत्मा हूं!’ सभी जागृत  आत्माओं को कहना है: “मैं आत्मा हूं। मैं यह शरीर नहीं हूं, न ही यह मन, न ही यह अतिशयोक्ति, इनमें से कोई भी ‘उपाधि’ नहीं हूँ जैसे वे कहते हैं ‘, लेकिन मैं आत्मा हूं, शुद्ध आत्मा मैं हूं। ” अगर आप  उस हिस्से को पहचान सकते हैं, कि आप  आत्मा हैं, तो आप आपका  आत्मसाक्षात्कार पूर्ण रूप से स्थापित हो जाएगा ।

जब तक आप अन्य चीज़ों के साथ पहचाने जाते हैं, तब तक इसे स्थापित नहीं किया जा सकता है। इसलिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात आपको यह पहचानना है कि आप ही वह आत्मा हैं। आप वे विचार नहीं हैं जो आप पर हावी हो रहे हैं। आप वह भय नहीं हैं जिसके साथ आप पीड़ित हैं, आप वह महत्वाकांक्षाएं नहीं हैं जिनके साथ आप दौड़ते हैं, लेकिन आप वह शुद्ध आत्मा हैं, जो कभी नहीं बदलती है, जो शाश्वत है, जो आनंदित है, जो सत-चित-आनंद है। हम सभी सहज योगियों को जानना है, कि हम आत्मा हैं। यह वह मंत्र है जिसका हर किसी को उच्चारण करना  है,ह्रदय की पकड़ के लिए।

अगर आपका ह्रदय  शुद्ध  नहीं है, तो आप कभी भी आत्मबोध प्राप्त  नहीं कर सकते। जो कोई भी मेरे बारे में मजाकिया विचारों के साथ आता है, आपने देखा है, उसे कभी भी आत्मबोध प्राप्त  नहीं होता है। आपका ह्रदय  शुद्ध   होना चाहिए। आपको अपने ह्रदय  को शुद्ध   करना होगा, इसलिए मैं कभी-कभी कहती  हूं कि आपको अपने गुरु को अपने ह्रदय  में रखना होगा, जो आपके ह्रदय  को शुद्ध   करेगा। बस अपने ह्रदय  को शुद्ध   करने के लिए, जैसा कि आप घर में एक नौकरानी को नियुक्त करते हैं, अपने ह्रदय  को शुद्ध   करने के लिए आप उस उद्देश्य के लिए अपनी मां को नियुक्त कर सकते हैं। सफाई मेरा कार्य  है, सुबह से शाम तक मैं सफाई कर रही  हूं। मेरा नाम का  मतलब भी यही है। लेकिन सफाई इतनी बड़ी चीज़ है, इतनी बड़ी चीज़ है, जो इसके साथ बाकी सब कुछ भी सामने लाती है। यदि हीरे पर धूल है, तो किसी भी हीरे पर जो बहुत महंगा होगा, आप इसे नहीं देख सकते हैं! उसी तरह यदि आपकी आत्मा पर संदेह और भय, धूर्तता का बादल मंडराता है, तो आपकी आत्मा चमक नहीं सकती। अब, यह एक ऐसा दुष्चक्र है जिसे तोड़ना आसान नहीं है। वहां भी आपका मन आपको धोखा दे सकता है। सहज योगी के लिए यह बहुत आसान है, मेरी तस्वीर के सामने बैठना, अपना बायाँ हाथ यहाँ और एक अपने ह्रदय  पर रखना और कहना: मैं आत्मा हूँ। मां, मैं आत्मा हूँ।

क्या अब आप कोशिश कर सकते हैं? बस इसे रखो और इसे एक साथ कहो।

योगी कहते हैं: ‘माँ, मैं आत्मा हूँ’, फिर से ‘माँ, मैं आत्मा हूँ’, एक बार फिर, ‘माँ, मैं आत्मा हूँ’, ‘माँ, मैं आत्मा हूँ’। बेहतर? और एक विनम्र तरीका यह भी हो सकता है: ‘माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?’

योगी जोर से कहते हैं: ‘माँ, क्या मैं आत्मा हूँ’, ‘माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?’, ‘माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?’, ‘माँ, क्या मैं आत्मा हूँ?’ अब देखें…

अब, सहस्रार का भेदन  5 मई 1970 को हुआ  था । मुझे बस इसमें धकेल दिया गया था। फिर मैंने कहा कि अब मुझे इसे भेदना है। और अगर आप देखते हैं तो एक बहुत पतली रेखा कुंडलिनी की वास्तव में सहस्रार का भेदन करती  है हृदय चक्र के माध्यम से । यहाँ हृदय चक्र है। हृदय चक्र स्तर  के माध्यम से ही यह भेदन होता  है। अगर आपका ह्रदय  शुद्ध   नहीं है, तो वह भेदन  नहीं होगा । तो सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज़ है आपका शिव तत्त्व, आपका हृदय है। ह्रदय  को रखना चाहिए, बिल्कुल शुद्ध   । कुछ भी नहीं होना चाहिए, जो संदेह कर रहा है, जो उलझन में है, जो नाराज है, जो महत्वाकांक्षी है, जो डरता है; उस तरह का कुछ भी ह्रदय  में नहीं होना चाहिए। बस आश्वस्त रहें। बस इसे परमात्मा  के हाथों में छोड़ दें। क्योंकि यही वह स्थान है जहां कुंडलिनी इसे भेदती है और यदि वह स्थान भारी है, तो आप सहस्रार को कभी नहीं भेद पाएंगे। फिर ऐसा होता है, यह एक ऐसा दुष्चक्र है जो फिर से शुरू हो जाता है, जिन लोगों का ह्रदय  खराब होता है, वे मेरे पास आते हैं और उन्हें यह आत्मबोध  नहीं हो पाता है। तो उन्हें यह कहने का और मेरे ऊपर हमला करने का एक अतिरिक्त मौका मिल जाता है: ‘हमें  आत्मबोध प्राप्त नहीं हुआ, हमने कभी चैतन्य  महसूस नहीं किया, तो यह कैसा है, कि आप यह हैं?’ क्योंकि पहले से ही आपका ह्रदय  गंदा है, आप देखते हैं। यह वहां शुरू होता है,उतसर्जित होता है, आत्मा का प्रकटीकरण होता है  । और यह शुरू होता है और जोड़ते और जोड़ते और फिर वे मेरे खिलाफ एक बड़ी कहानी का निर्माण कर सकते हैं।

लेकिन मुख्य बात यह है कि आपको कुछ ऐसा मांगने आये हैं जो बहुत महान है। आपको होना है, ऐसा ह्रदय  जो विनम्र है, स्थिर है और स्वयं पर गर्व भी है। क्योंकि इस ह्रदय में आत्मा है जिसे प्रतिष्ठापित करना है। लेकिन मैं आपकी जागृति के बारे में क्या करती  हूं। मेरा हृदय बहुत शुद्ध, पूर्णतया पवित्रता है। किसी और चीज़ की थोड़ी भी तरंग नहीं है लेकिन आपके लिए प्रेम  है। भले ही मुझे गुस्सा आए लेकिन यह  भी प्रेम की अभिव्यक्ति  है। यहां तक ​​कि अगर मैं कभी-कभी कठोर रूप से कुछ कहती  हूं, तो यह प्रेम भी की अभिव्यक्ति है, आपको परेशानियों से दूर रखने के लिए। लेकिन, मेरे ह्रदय  में शुद्ध प्रेम, शुद्ध प्रेम के अलावा कुछ नहीं है। और यह शुद्ध प्रेम शुद्ध विद्या है, शुद्ध ज्ञान है। शुद्ध ज्ञान है, शुद्ध विद्या है। पूरी तकनीक पवित्रता की यह जानता है। पानी आपको कैसे शुद्ध करता है? क्या आप तकनीक को जानते हैं कि पानी आपके लिए क्या करता है? पूरी तकनीक पवित्रता की रहती है ह्रदय  में और मैं आपको कैसे आत्मबोध प्रदान करती हूं कि आपको मेरे ह्रदय  में रखती हूँ। आप  वहाँ अच्छी तरह से नहाओ। क्या आपने मगरमच्छ देखे हैं?  मगरमच्छ हैं – बहुत क्रूर हैं – लेकिन जब वे अपने अंडे सेते हैं, तो वे अपने बड़े मुंह में सभी छोटे, छोटे मगरमच्छों को लेते हैं और आपको मगरमच्छ की आंखों को देखना चाहिए, जैसे कि यह प्रेम  से भरा है और ऐसे सभी ….. जब बच्चे अंडों से निकलते हैं। और मगरमच्छ फिर मुंह को पानी के अंदर डालता है और उन्हें इस तरह नहलाता है।  पहली बात यह है कि मैं आपको  अपने ह्रदय  में जन्म देती  हूं और फिर आप को वहां मेरे ह्रदय  में निर्मल  कर दूंगी , और फिर आपको  मेरे सहस्रार में से ले जाऊंगी । मैं आपको आपका दूसरा जन्म देती  हूं।

बहुत से लोग पूछते हैं, ‘कि हमारे कर्म और इससे क्या होता है?’ मैं कहती  हूं, मैं इसे शुद्ध   करती  हूं! इसे शुद्ध   करना होगा। इतने सारे लोगों ने एक सवाल कई बार पूछा है, कि कुंडलिनी इतनी कठिन चीज़ कैसे है और यह कैसे है, आप इतना अच्छा कर सकते हैं? मैं कहती  हूं, मेरे बारे में कुछ खास होना चाहिए। मुझे उन्हें यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि मैं कौन हूं। अगर मैं आदि शक्ति कहूं तो वे कहेंगे कि किस प्रकार की  महिला  हैं, देखें जो स्वयं को आदि शक्ति  या फिर स्वयं शक्ति – शक्ति स्वयं प्रचंड होती है और फिर उसके ऊपर ‘आदि शक्ति’ !। लेकिन यह आदि शक्ति है प्रेम की, जो मानव चेतना से परे है। इसकी शक्ति से ही आप इसे पहचान सकते हैं और समझ सकते हैं। कैसे यह आपको शुद्ध   करती है। इस तरह लोग ठीक हो जाते हैं। वे नहीं जानते कि वे कैसे ठीक हो जाते हैं। एक तस्वीर के साथ अपने तकिए के नीचे ।

भारत में एक और अभिनेत्री है जो ठीक हो रही है, एक बहुत प्रसिद्ध अभिनेत्री है, सहज योग के साथ। बस वे समझ नहीं सकते और वे समझा नहीं सकते। लेकिन यह निर्मलता का शुद्ध ज्ञान है जो उस तस्वीर में निर्मित है, जिसमें बनाया गया है! यह चैतन्य  जानता है। यह सब कुछ जानता है। पूरी तकनीक अंदर निर्मित है। एक बार जब आपके पास चैतन्य  होता है, तो आपको किसी भी तकनीक को सीखने की ज़रूरत नहीं है, यह अपने आप कार्य  करता है। यह बहुत सूक्ष्म है। यह पूर्ण ब्रह्म शक्ति है। यह एक बहुत शक्तिशाली, बहुत मर्मज्ञ, बहुत समझ है – लेकिन इसका अपना सारा ज्ञान अपने आप में निर्मित है। यह शुद्ध विद्या है, शुद्ध ज्ञान है। जब आप कहते हैं  “निर्मल विद्या” वह भी यही है। यह बेदाग है। इसकी तुलना किसी और चीज़ से नहीं की जा सकती। तकनीक इतनी परिपूर्ण है, कि यह कभी विफल नहीं होती। यह सभी क्रमपरिवर्तन और संयोजनों को जानती  है। यह कार्य  करना जानती  है।

हर किसी को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा देखने के लिए इन सभी तकनीकों का कार्य । इसलिए जरूरी था लोगों का सहस्रार खोलना । अन्यथा लोगों के लिए सब कुछ ग्रीक और लैटिन भाषा कि तरह है जो इन सभी महान नबियों और महान अवतार को सुनते हैं, उन्होंने सोचा कि वे  उनके सिर के ऊपर जाने  वाली बात कर रहे थे। मेरा मतलब है कि आजकल हम अपने सिर के ऊपर की ही बात करते हैं। क्योंकि सहस्रार है और सहस्रार के माध्यम से हम सुनते हैं और हम बात करते हैं। सहस्रार का  भेदन करना  बहुत महत्वपूर्ण था। बेशक आप इसे प्राप्त करने के लिए भी तैयार थे। समय आ गया था। आपसी समझ थी और इसने कार्य  किया। यह एक जबरदस्त बात हुई है।

इसे इंग्लैंड में कार्य  करना चाहिए। मुझे इस दिन यहां होना चाहिए क्योंकि जैसा कि मैंने आपको पहले बताया है, इंग्लैंड ह्रदय  है, ह्रदय ब्रह्मांड का  । इसलिए हमें देखना चाहिए कि हमारे साथ क्या गलत है। बहुत महत्वपूर्ण है हमारे लिए यह देखना इंग्लैंड में रहने वाले, अंग्रेज  लोग, क्या गलत है हमारे साथ ,हमारे ह्रदय  में,, क्योंकि हम इस महान घटना के लिए उत्तरदायी  हैं, क्योंकि केवल ह्रदय  से…(पहला भाग यहाँ तक है, फिर दूसरा भाग आरम्भ होता है)

……राजनीतिक संरचना और एक व्यक्ति के रूप में। क्योंकि यदि अंग्रेज इंग्लैंड के वातावरण को शुद्ध   कर सकते हैं, तो बहुत आसान होगा स्थापित करना दुनिया भर में सहज योग को और यही कारण है कि अंग्रेजों का  उत्तरदायित्व  बहुत अधिक है।

एक अच्छी बात शुरू हुई है ऑस्ट्रेलिया की मेरी यात्रा के बाद; लोगों ने हमें जमीन दान करना शुरू कर दिया है। अब हमें जमीन का एक टुकड़ा मिला है बोरीविली बॉम्बे में, जिसके बारे में बहुत करीब से, मुझे लगता है, बॉम्बे से लगभग पचास मील दूर। हमें एक और भूखंड मिला है सात एकड़ भूमि का जो हमें दान में दिया गया था। हमारे पास संभावना है पच्चीस एकड़ की एक बड़ी भूमि मिलने की भी, जो आप में से कुछ नेडा नदी के किनारे देखी होगी। और संभावना है सात एकड़ की एक और अच्छी जमीन मिलने की भी पुणे में। दिल्ली  में उन्होंने हमें एक बहुत ही खूबसूरत जमीन एक झील के किनारे, और एक जंगल का एक खूबसूरत वातावरण, यमुना नदी के पास की पेशकश की है। 

इसलिए अब, मेरी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा सफल हो गई है, लेकिन मेरा प्रवास सफल होना चाहिए इंग्लैंड में, दूसरी बात यह है कि सफाई है। सबसे पहले हम सभी अपने व्यक्तिगत, अपने व्यक्तिगत ह्रदय  से शुरुआत करें और फिर इसे विस्तारित करने का प्रयास करें। हर बार, मुझे लगता है, वह यह है कि आप जो भी करना चाहिए, आप उसके ठीक विपरीत करते हैं। जैसे  “जिगर “की तरह, जैसा कि मैंने कहा कि यूरोप, “यूरोप है और जिगर” यह सबसे ज्यादा सफाई करता है। उन्होंने सबसे अच्छी वाइन का उत्पादन किया; वे मदिरा के विशेषज्ञ हैं। ‘लीवर’, यकृत मदिरा का उत्पादन करता है। आप देखते हैं कि यह सबसे अच्छा भाग है । यदि आप कल्पना करते हैं, यदि आप अपने जिगर में आसवनी की कल्पना करते हैं, तो क्या होगा। तो यकृत आसवन बन गया है। यह बहुत आश्चर्यजनक है। अब, यह ह्रदय  है – ह्रदय  को बड़ा होना है, ह्रदय  को व्यक्त करना है और हर किसी को विशाल ह्रदय का होना है। तो आप छोटे ह्रदय  के हो गए हैं। ह्रदय  वाला आदमी बहुत साहसी, बहुत दबंग, बहुत मेहनती होता है। यहाँ हमारे पास बहुत सारे भय और समस्याएँ हैं और  श्रीमान बायरन जैसे कवि – 

सार्वभौमिकता के बारे में हमारा विचार इतना सीमित है कि हमें लगता है कि हम बाकी दुनिया से कहीं दूर रहते हैं और हम बस यहाँ हैं और कुछ भी हमें स्पर्श नहीं करना चाहिए । यह हमारा ह्रदय  है, ह्रदय  को पूरी दुनिया में घूमना है और दुनिया की सारी गंदगी को इकट्ठा करके उसे शुद्ध   करना है। आपने गंदगी को  इकठ्ठा किया है, लेकिन शुद्ध   ​​करने वाला हिस्सा …! घूमना फिरना उन्होंने ठीक किया है – वे चीन तक गए हैं, वे हर जगह पर हैं। मेरा मतलब है हर एक, हर नुक्कड़ और कोनों वे आप तक पहुँच गए हैं, उनके छोटे ह्रदय  के साथ । लेकिन जब वे उस सब को अपने साथ इकट्ठा कर लेते हैं, तो वे यह नहीं जानते कि इसे कैसे शुद्ध किया जाए।  बेहतर होगा वे इसे कर लें , यह उनका कार्य  है।

तो इस परीक्षा में आपको अपनी सभी समस्याओं को यहाँ रखना चाहिए और आपको आश्चर्य होगा कि ह्रदय  की आवश्यकता है  निर्मलता, विस्तार ह्रदय  का, महानता ह्रदय  की, सेहत ह्रदय  की और सर्वव्यापी क्षमा शक्ति ह्रदय  की ।  और अहंकार हृदय का सबसे बड़ा दुश्मन है, सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर कुछ भी आपको ह्रदय  का दौरा देता है – यह आपका अहंकार है। और आपके पास अहंकार हैं विभिन्न प्रकार के । सभी तरह के अहम भाव यहां देखे जा सकते हैं। सभी प्रकार की, इंग्लैंड में सभी प्रकार के वाइन देखने को मिलती हैं। 

इसलिए हमें यह भी जानना होगा कि हमें किस तरह के भोजन की आवश्यकता होती है इस ह्रदय  को शुद्ध   रखने के लिए। सबसे पहले हमें विकसित करना होगा एक ऐसा ह्रदय  जिसमें दूसरों के लिए मधुर भावना हो, दूसरों के लिए समझ हो, दूसरों के लिए उदारता हो। यह एक उपन्यास को  पढ़ कर  आप वहां नहीं पहुँच सकते, बल्कि समझ एक ह्रदय  की जो प्रेम  करता है, वह आपकी परवाह करता है। किसी से झगड़ा हो सकता है, किसी से जलन हो सकती है, हो सकता है, लेकिन आपको ह्रदय  से प्रेम  हो। आप कभी भी उस व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचा सकते,अनजाने में भी नहीं । दुनिया की सारी दौलत, दुनिया के सारे अहं भाव का आप तिरस्कार कर देंगे ,अपना प्रेम  देने के लिए । प्रेम  देने की क्षमता को उन चीज़ों से बढ़ाना और पोषित करना है जो उदारता  के बारे में बात करते हैं,  सत्ता जैसे व्यवसाय को बचाना बेकार है।

 ह्रदय को बचाएं इससे आपको शुरुआत करनी चाहिए । आपको ह्रदय  को बचाना होगा क्योंकि यह आप ही हैं जो ब्रह्मांड के ह्रदय  को बचाने वाले हैं। तो सहज योगियों के पास बहुत बड़ा ह्रदय  होना चाहिए। बहुत शुद्ध   ह्रदय । कोई चालाकी नहीं होनी चाहिए। कोई चालाकी नहीं ह्रदय  में । वैसे आप जानते हैं कि अंग्रेजी पूरी दुनिया में सबसे चालाक जाति रही है। लोग युद्ध के बारे में जानते हैं, अगर कोई अंग्रेज है – तो बस हार गए! (हँसी) केवल अंग्रेज को हरा सकने वाला कोई व्यक्ति है तो वह भारतीय है (हँसी) । वे जानते हैं कि आप को कैसे हराया जाएगा। बड़ी प्रतियोगिता है। मैं नहीं जानती कि किसकी  जीत होती है। लेकिन अगर भारतीयों की बात आती है, तो वे इन्हे हरा सकते हैं। 

अब नवीनतम गुरु प्रणाली है। यहां से अंग्रेज चले गए और सभी पश्चिमी लोग सभी विकासशील देशों में छापेमारी के लिए गए। तो सबसे महान, हमारे भारत ने, ऐसे चालाक लोगों को, बिल्कुल चालाक बनाया है, कि वे आपको बहुत अच्छी तरह से बेवकूफ बना दें। सभी अंग्रेजी अच्छी तरह से मूर्ख बन गए और सभी अमेरिकियों और सभी ऑस्ट्रेलियाई। सभी ने मिलकर भारत के कुछ चालाक लोगों से  नहीं लड़ पाये। इसलिए मुझे कहना चाहिए कि कुछ समय के लिए उनका हाथ ऊपर है। हो सकता है कि आज अंग्रेज अपने शुद्ध   ह्रदय  के साथ इतनी तेज,इतनी तेज तीक्षणता अपनी बुद्धिमत्ता को देते हैं कि वे इन सभी लोगों को बेनकाब कर सकते हैं और मन शुद्ध   कर सकते हैं उन लोगों का जिन्हें कुछ दिखाई नहीं देता  इन चालाक लोगों की चकाचौंध में  । 

इसलिए हर किसी को यह महसूस करना होगा कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, लेकिन प्रतिक्रिया वैसी आती  है जैसा प्रतिक्रिया कारक होता है। जैसे भारतीय चालाक हैं लेकिन धूर्त हैं। अंग्रेजी चालाक लेकिन बुद्धिमान हैं। तो वे इसे इतने समझदारी से करते हैं कि आप देखते हैं, वे आपका गला काट देंगे और खून की एक बूंद भी बाहर नहीं गिरेगी। वे सभी कानूनों और नियमों को जानते हैं, कि किसी व्यक्ति का गला कैसे काटा जाए। लेकिन भारतीयों, वे आपका गला भी नहीं काटेंगे और आप पागल हो जाएंगे। बस वे जानते हैं कि कैसे यह करना है, वे और भी अधिक खतरनाक और घटिया हैं। मेरा मतलब है, मुझे नहीं पता, हो सकता है कि उन्हें पहली दीक्षा अंग्रेजों से मिली हो और अब वे अपने गुरुओं को पढ़ा रहे हैं, जैसे मुझे विश्वास है। जिस चालाकी को उन्होंने सीखा, वह अब खत्म हो गयी है। और हर चीज़ के लिए उनके पास एक तर्क और एक सुझाव है, चाहे वह कुछ भी हो। आपको यह जानकर खुशी होगी कि उनमें से एक – रावण को अब लकवा का दौरा पड़ा है और उसे एक टूटी हुई गर्दन मिली है और वह गुप्त रूप से अस्पताल में पड़ा हुआ है। तो यह एक बात है जो पहले से ही किया गया है।

अब, आज बहुत महान उत्सव का दिन है, बहुत महान उत्सव है, क्योंकि यह ब्रह्मांड के पुनर्जन्म का जश्न मनाता है। महान लोगों के महान आगमन और उनकी जन्मतिथि और उस सबका जश्न मनाना अच्छा है। जैसे हम क्रिसमस मनाते हैं, हम नानक की जन्मतिथि मनाते हैं और ये सभी लोग महान हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन यह सबसे बड़ी बात है जब हर इंसान को पुनर्जन्म लेने की जरूरत होती है, इतनी बड़ी बात। यह बहुत ही महान दिन है और एक घटना है जब सभी मनुष्यों को उनकी प्राप्ति के लिए वादा किया गया था। उसके बिना हम आत्मा को कभी नहीं जान सकते थे। हम कभी भी सर्वशक्तिमान ईश्वर को नहीं जानते । हम कभी भी उस प्रेम  को नहीं जानते  जो आप सभी को मिल रहा है। हमने कभी महसूस नहीं किया होगा कि प्रेम, वह शक्ति जो पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करती है। आप  अंधे और अंधे होते और अंधे होते। इसलिए यह सबसे महान दिनों में से एक है जिसे हमें बहुत खुशी और खुशी के साथ मनाना है क्योंकि यह मानवता की मुक्ति, उत्क्रांति और पुनर्जन्म का जश्न मनाता है।

 अवतारों और इन सभी महान अवतरणों के लिए किसी पुनर्जन्म की आवश्यकता नहीं है। वे स्थायी रूप से सिर्फ एक ही हैं, वे स्थायी रूप से प्रमुख हैं। उनमें कोई बदलाव नहीं है, कुछ भी नहीं। तो उनके जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए क्या है, मुझे समझ नहीं आ रहा है, हर साल वे बस एक ही हैं, उनकी उम्र बस एक ही है, वे एक ही हैं। जन्मदिन क्या है, वे कभी नहीं बढ़ते हैं, वे कभी परिपक्व नहीं होते हैं, वे पहले से ही परिपक्व  हैं। लेकिन यह बहुत अच्छी बात है कि आप सभी को कूदना चाहिए देवत्व के उस महान क्षेत्र में, जिससे आपको सर्वव्यापी शक्ति के बारे में पता होना चाहिए और आपको अपने माध्यम से उस शक्ति के प्रवाह के बारे में चेतित होना चाहिए। इसके बिना सब कुछ बेकार है। सब कुछ अंधकारमय है। सब कुछ भ्रम और सापेक्ष है।

तो चलिए आज हम सभी वास्तव में अन्य सहज योगियों के लिए मनाते हैं, जिन्हें पूरी दुनिया में आत्मबोध  हुआ है। वे सभी अपना चित्त आप पर लगा रहे हैं और आज वे सभी अपने अपने स्थानों पर पूजा कर रहे हैं। हमें उनके बारे में सोचना होगा क्योंकि आप सभी एक हैं, एक-दूसरे से प्रेम और अपनी माँ के सामान्य बंधन में जुड़े हुए हैं।

आपको परमात्मा का अनंत आशीर्वाद !

“मुझे कुछ पानी मिल सकता है?”

जैसी आपकी इच्छा थी, हमें पहले से ही एक वीडियो मिल चुका है । वीडियो टेप, क्या आप वीडियो टेप लाएं हैं, क्या आप लाएं हैं? हम उसे भेजने वाले हैं ।

योगी: हां, हां, [अनिश्चित] ऑस्ट्रेलिया, यह सब आ रहा है.. ।

श्री माताजी: हांगकांग से, कल्पना कीजिए हांगकांग में ! चीनी महान लोग हैं ।  चीनी जबरदस्त हैं ।  मेरा तात्पर्य है कि वे हमारी परंपराएं मानते हैं, भारतीय परंपराएं।  मेरा मतलब है कि वे बहुत पारंपरिक लोग हैं, और जहां तक अन्य चीजों का संबंध है, वे पाश्चात्य हैं ।  मेरा मतलब है कि एक बड़ा महल हैं, चीन  में एक बड़ा महल है और उन्होंने अपने सौंदर्यशास्त्र को नहीं खोया है जेसे भारतीयों ने खो दिया है ।  आप देखते हैं कि उनके पास आपके सभी श्रमिक वर्ग सौंदर्यशास्त्र हैं । भारतीयों के पास प्लास्टिक और नायलॉन है आप देखते हैं, लेकिन चीनियों के पास नहीं है ।  चीनियों ने अपने सौंदर्यशास्त्र को बनाए रखा है, मैं हैरान थी।

कोई सवाल?

बाला, मुझे पूरी बात के लिए बहुत अफसोस है ।  लेकिन हमने अच्छा काम किया है, मुझे कहना होगा ।  हमने अच्छा काम किया है।  मैं आपको बताती हूं क्योंकि यहां हमारा आपसे कोई संचार नहीं था ।  फिलिप को कोई पता नहीं पता था, कुछ नहीं ।  मुझे नहीं पता था कि सीलोन में उन लोगों से कैसे संपर्क किया जाए और हमने हांगकांग जाने के लिए पहले से ही योजना बनाई हुई थी ।  हमेशा की तरह मेरी सभी योजनाएं, सब उल्टा पुल्टा थे ।  आप यह जानते हैं, यह सब इस तरह से कार्य करता है ।

एमिली नामक एक महिला थी। वह हांगकांग से आई थी और वह चाहती थी की मैं हांगकांग जाऊं और सिर्फ उसे सबक देने के लिए शायद, यह इस तरह से कार्य हुआ।  तो, क्या करें?  उन्होंने कहा कि हांगकांग से सीधे कोई उड़ान नहीं है,  आपको सिंगापुर वापस आना होगा अगर आपको ऑस्ट्रेलिया जाना है । तो यह एक बड़ी समस्या थी।  हमने सोचा कि बेहतर होगा हांगकांग कर लें और वापस आ जाएँ और फिर ऑस्ट्रेलिया करें ।  मोदी वहां थे, रॉल बाई वहां थीं, दोनों नीचे चले गए ।

भारत ने एक अच्छा काम किया है; उन्हें भूमि का दान मिल रहा है। यह बहुत बढ़िया है ।  अगर हमारे पास कोई जगह नहीं है तो हम कम से कम हमारे तंबू वहां गाड़ सकते हैं । 

और कुछ? कुछ और?

योगी: क्या हम आपकी पूजा कर सकते हैं?

योगी: क्या हम आपकी पूजा कर रहे हैं?

श्री माताजी: पूजा अब, ठीक है, हम इसे करते हैं।