[English to Hindi translation]
इस अवसर पर जब आप सभी मुझे छोड़ कर जा रहे हैं, इन्ह गुणों को सुनना कठिन है जो आपके सुंदर गीत में वर्णित है। मेरे शब्द एक घोर उदासी की भावना से इतने भरे हुए हैं, साथ ही नए कार्यों के विचारों का उत्साह, कुछ विचार कि मुझे और भी बहुत कुछ करना है आप जो भी वर्णन कर रहे हैं मुझे उसे स्थापित करने के लिए। कितने ही राक्षसों का वध होना है जैसा कि आप ने मेरा वर्णन किया है। सारी विषमताएं दूर करनी हैं इस दुनिया से। सारा अज्ञान, अंधकार, कल्पनाएँ जैसा आपने वर्णन किया है, उसे हटाना होगा मुझे। इस संसार को नष्ट करना बहुत आसान है और राक्षसों, शैतानों को नष्ट करना, आसान था पर आज समय इतना विकट है कि इन सभी ने प्रवेश कर लिया है दिमागों में, अनेक साधकों के सहस्रार। तो, यह एक बहुत ही नाजुक काम है उन भयानक प्रभावों को दूर करने के लिए साधकों को चंगुल से बचाने के लिए इन शैतानों के। आपने समझने की बहुत कृपा की है कि यह बहुत नाजुक चीज है और हम यह नहीं कर सकते कठोरता के साथ, कड़ाई के साथ, सीधे तरीके से हमें उन्हें घुमाना है क्योंकि वे कठोर चट्टानें हैं और उन्हें इसके माध्यम से समझाएं करुणा, प्रेम और पूरी चिंता। विवेक ही एकमात्र तरीका है जिससे हम संचालन कर सकते हैं और सभी प्रकार के विवेक के तरीकों का उपयोग करना पड़ता है इन लोगों को बचाने के लिए । अधिकतम संख्या बच जाने के बाद, राक्षसों को नष्ट किया जा सकता है। एक प्रकार से यह हो ही है कि वे अब बहुत अधिक उजागर हो गए हैं, वे नष्ट हो रहे हैं अपने आप से, अपने व्यवहार से। झूठ के बारे में यह सबसे अच्छा है, कि यह खुद को दिखाता है। प्रभाव दिखाई दे रहे हैं। इस प्रक्रिया में हम पाते भी हैं कि इन शैतानों का प्रभाव अब भी है हमारे व्यवहार में कभी-कभी घूम रहा है । तो सभी सहज योगी जो अन्य झूठे गुरुओं के पास गए हुए थे उनको सावधान रहना चाहिए ताकि वे और दबें न रहें जब वे उत्थान कर रहे हैं। इसके अलावा हमारे अतीत के अन्य प्रभाव भी हैं, हमारी आक्रामकता, हमारी असंगति, हमारी सामूहिक विरोधी गतिविधियाँ। यह सब व्यक्तित्व की स्थूलता से आता है। जैसे ही आपकी स्थूलता सूक्ष्म और सूक्ष्म हो जाती है आप विलीन हो जाओगे, सामूहिक चेतना में विलीन हो जाओगे, बड़ी आसानी से। अब, वे चीज़ें जो मुझे कभी-कभी करनी पड़ती हैं पहाड़ के जैसे लगता है और मैं हर प्रकार से तेरी सहायता चाहती हूं। मैं इसे अकेले नहीं कर सकती, इसलिए मैं आपकी मदद चाहती हूं और मैं कई तरह से आपका मार्गदर्शन माँगती हूँ, क्योंकि मनुष्य समझने के लिए आसान नहीं है l आपको मनुष्यों से पूछना है कि वे क्या करने वाले हैं। अब, आपके सामने पहला काम है अपने आप को बचाने के लिए भीतर की नकारात्मकता से, भीतर से। आपको एक या दो बड़बड़ाती आत्माएं मिल सकती हैं इधर – उधर कार्यक्रम के बारे में अनाप-शनाप बातें करना जो हमने किये थे, जो यात्रा थी, जिस तरह से हम घूमे थे, बेतुकी बातों के बारे में, जिसका नहीं है आध्यात्मिक जीवन में अर्थ। या शायद कुछ लोग जो कुढ़ रहे होंगे किसी और चीज़ के बारे में, जिनका ध्यान किसी और चीज़ें पर गया हो। इसलिए उनके बारे में भूल जाइए, क्योंकि आपको अपने उत्थान की चिंता करना चाहिए। आपकी अपनी चीजों की समझ की तरफ से भी नकारात्मकता आ सकती है। मेरा एक ही प्रयास था कि आप बाकि के संसार को भूल जाओ और सामूहिकता में प्रगति शुरू करें, साथ ही साथ अपने स्वयं के आध्यात्मिक विकास में। ये इतने एकसाथ होते हैं कि मैं दोनों के बीच अंतर नहीं कर सकती। सूरज की तरह जब यह उगता है धूप आती हे। यह उसी तरह से है। इसलिए, इस बारे में बहुत सावधान रहने की जरूरत है, कि जब तुम यहाँ से जाओगे, कोई भी जो बात करने लगता है विरोध कि तरह से, बस अपने हाथ रखो आपके कानों पर और कहैं कि, “यह हम सुनना नहीं चाहते नहीं। कृपया हमें नीचे न खीचें”। क्योंकि वे आपको नीचे खींच लेंगे और कुछ जो अधपके सहजयोगी हैं नीचे गिरेंगे। मुझे आशा है कि जो लोग आए हैं वे टिकेंगे उन्होंने क्या हासिल किया है, उन्होंने क्या महसूस किया है, उस पर l उन्होंने क्या समझा है और इसके साथ आगे बढ़ें। संपूर्णता, अनुभव की संपूर्णता की परिकल्पना की जानी है, महसूस किया जाना है जब आप यहां से चले जायेंगे। बस इसके बारे में सोचें, उस की याद, उस की महाकाली शक्ति आप सभी को सुंदर देगा अनुभव, कंपकंपी, जिसे हम कंपकंपी कहते हैं अनुभवों की और आप उस रोमांच का आनंद लेंगे जो आप को भारत में हुआ था, फिर से वापस जब आप उस देश में हों। और वे रोमांच वातावरण को भर देंगे। माहौल बहुत बदल जाता है। जब सहज योगी आकार में बढ़ते हैं, वातावरण बदलता है और जलवायु परिवर्तन होता है। इतना ही नहीं, बल्कि इंसान भी बदलना शुरू करते हैं। इसलिए हमारे लिए और अधिक लोगों को इसमें आना आवश्यक है l तो अब, पहले आपकी अपनी नकारात्मकता को देखना होगा। फिर, आपको इसे सहज योगियों के बीच अवश्य देखना चाहिए, हम एक हैं। कभी भी किसी दूसरे सहज योगी की आलोचना न करें। दूसरे सहज योगी से कभी भी कठोर बात न करें। हम अन्य लोगों के प्रति बहुत दयालु हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि अगर हम किसी दूसरे व्यक्ति से इस तरह बात करते हैं वो व्यक्ति इसे स्वीकार नहीं करेगा और वह प्रतिक्रिया करेगा। लेकिन सहज योग के साथ बहुत से लोग कोशिश करते हैं, मैंने देखा है, एक दूसरे से बात करने के लिए बहुत ही रूखे तरीके से और कभी-कभी संगठन में भी वे कोशिश करते हैं आक्रमण करना। जैसे कुछ व्यवस्था है तो वे कहेंगे, “यह क्यों नहीं?”
उन अधिकांश चीजों को त्यागने का प्रयास करें जो आप करते हैं कहना चाहती हूँ। बहुत आसान है, ऐसे। अभी मान लीजिए कि यह रंग है। बस चुप रहो, देखो क्या होता है। क्योंकि आपको लगता है कि आप एक सुझाव दे सकते हैं आप बस एक सुझाव दें, क्योंकि आपको कहना है कोई चीज़। आवश्यक नहीं। आवश्यक नहीं। क्योंकि आपने जापान में देखा है, एक व्यक्ति बोलता है। आप देखिए, अगर कहने की जरूरत है कुछ, तो आपको कहना चाहिए। अन्यथा, अनावश्यक रूप से, केवल एक नया विचार देने के लिए, एक नया विषय, एक नया सामान, उचित नहीं है। अब, सहज योग के बारे में मुख्य बात यह है, कि यह किसी देश का नहीं है। यह उस देश का है जो परमेश्वर का साम्राज्य है। तो यह एक बहुत अलग है जिसमें आप पहुंचे हो। एक बार जब आप इसे महसूस करते हैं, एक बार आप इसे स्वीकार कर लेते हैं यह स्थिति कि अब आप राज्य में प्रवेश कर चुके हो परमेश्वर के, आपकी सुरक्षा की भावना का निर्माण होगा, आपकी शैली निर्मित होगी, आपके व्यवहार में सुधार होगा, स्वयं के प्रति आपका दृष्टिकोण सुधरेगा और आप सच में अनुभव करोगे कि आप छलांग लगा चुके हो समुद्र में, आनंद का सागर। बस शक्ति धारण करो। धारणा बहुत मुश्किल है सहज योग में। सच्चे लोग मुश्किलों से धारण करते हैं। अगर यह असत्य है, अगर कोई सम्मोहित कर सकता है, आप मान लेते हैं l तो बस विश्वास करो कि आप अब स्वर्ग में हो l यह परमेश्वर का राज्य है और यह है आपको जहाँ रहना है और उसका आनंद लेना है। आप चकित रह जाएंगे। एक बार ऐसा हो जाए, आपकी सारी खोज समाप्त हो जाएगी, आपकी सारी निराशा समाप्त हो जाएगी और अब आप जानेंगे कि आप उस स्थिति में पहुँच गए हैं जहाँ अब आपको देना होगा। अब आप प्रकाश बन गए हैं और प्रकाश देना होता है। वह प्रकाश का काम है और अब आप परेशान नहीं होंगे प्रकाश को कैसे चालू रखना है, क्योंकि एक बार जब आप शुरू करते हैं इसे इस तरह देना यह स्वतंत्र रूप से चलता है। सामूहिकता औसत दर्जे के प्रयासों के साथ नहीं आ सकती। जैसे कई लोग सोचते हैं कि अगर आप चाय के लिए लोगों को आमंत्रित करते हैं या ऐसा ही कुछ, तो कुछ अधिक लोग आएंगे। ऐसे लोग कभी नहीं रहते। या फिर वो लोग जो उनसे बहुत मीठे बोल कहा जाना पसंद करते हैं और वह सब, वे सिर्फ पिकनिक के जैसे मनाने आते हैं, एक बात कर अच्छी से बैठक करना, किसी प्रकार का एक समूह, और फिर वे गायब हो जाते हैं। इसलिए, हमारे पास ऐसे लोग होने चाहिए जो गुणवान हों l शुरुआत करने के लिए हमारे पास लोग होने चाहिए गुणवान, समापन के लिए भी हमारे पास लोग होने चाहिए गुणवत्ता के साथ। जो लोग परिधीय हैं वे सिरदर्द हैं सहज योग के लिए। वे आते हैं, हमें बगलों से परेशान करते हैं। जैसा कि आप हमारे और बाहर के बीच हुई इन झड़पों को देखते हैं , इसी तरह वे आते हैं और बस कुछ वार करते हैं बाहर लोगों को और चले गए – चले गए। तो जो लोग परिधि पर हैं वे हमारे किसी काम के नहीं हैं। इसलिए कोशिश करें कि जहां तक क्वालिटी के लोग हों जितना संभव हो, जितना आप कर सकते हैं। सहज योग में लोकप्रियता की बात नहीं है। क्या गुणवत्ता है, आप क्या हासिल करते हैं और कहां आप पहुँचे l अगर लोगों की गुणवत्ता खराब है, बस उन्हें छोड़ दो। इसे भूल जाओ, उनसे बहस मत करो, उन्हें मनाने की कोशिश मत करो, कोशिश मत करो उन्हें लाने के लिए। यह उन समझदारी में से एक है जो हमारे पास होनी चाहिए l हमें पुरे विश्व के लिए लड़ते नहीं रहना चाहिए l परमेश्वर के स्वर्ग लोक में ये सब नासमझ लोगों के लिए जगह कहां है ? वहां कोई जगह नहीं है। कोई जगह नहीं है। तो बेहतर है इसे प्राप्त करें, क्योंकि वे इसके लायक। नहीं हैं l इसलिए ऐसे लोगों को इसमें धकेलने की कोशिश न करें। हम कुछ प्रयोग कर रहे हैं कुछ लोगों के साथ जो बहुत कठिन हैं और बेकार। हम उन्हें इधर-उधर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। अगर वे काम नहीं करते हैं, तो हमें उन्हें बाहर निकलना होगा और आपको इसे स्वीकार करना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए कोई दया नहीं होनी चाहिए, लेकिन अन्य सहज योगियों के लिए करुणा जो उनसे पीड़ित हैं। करुणा करने का यह सबसे अच्छा तरीका है कि समझना चाहिए ये संत हैं और ये पीड़ित हैं नकारात्मक लोगों की वजह से तो उन्हें सहज योग में क्यों धकेलें और सभी को परेशान करें? ऐसा नहीं होना चाहिए। अब, तो यह उन चीजों में से एक है जिसे कि समझना चाहिए जब आप आयोजन कर रहे होते हैं, जिसमें गुणवत्ता वाले लोग होते हैं l अगर आपके पास दस गुणी लोग होंगे कल दस हजार बनाओगे। लेकिन, अगर आपके पास एक भी बेकार साथी है, यह बाकी नौ को भी मार डालेगा। इसलिए सावधान रहें कि आप लोगों को अनुमति न दें जो पूजा में आने के योग्य नहीं हैं। पूजा में बाहरी लोगों को नहीं आना चाहिए। जो लोग गुणवान हैं उन्हें ही आना चाहिए और जो अब यात्रा कर रहे हैं, हम ध्यान दे रहे हैं वो कैसे व्यव्हार कर रहे थे, उनका व्यवहार कैसा रहा है, वे कैसे आगे बढ़ रहे हैं। हम जानते है उनके बारे में सब, उनमें से हर एक का। इसलिए, हम उन्हें देखेंगे, वे कैसे आगे बढ़ रहे हैं जब मैं आपके देशों का दौरा करुँगी और मैं देखूंगी इसके लिए। और फिर, मैं आपको बता पाऊँगी कि फलां फलां व्यक्ति बिल्कुल आगे नहीं बढ़ पाया। तो, यह रवैया हम सभी का होना चाहिए व्यक्तिगत रूप से प्रगति करनी चाहिए और एक बार जब हम व्यक्तिगत रूप से प्रगति करते हैं तो यह दिखता है सामूहिक आनंद में। एक व्यक्ति जो सामूहिकता का आनंद नहीं ले सकता है सहज योगी नहीं है। अब नेता तो एक ही हो सकता है; तीन नेता नहीं हो सकते वहां। अब सभी उद्देश्यों के लिए मैंने डैनी को नियुक्त किया है संयुक्त राष्ट्र के नेता के रूप में, संयुक्त … आह, वह शब्द है, वह शब्द है, वह शब्द है! आह, हमें संयुक्त राज्य कहना चाहिए, लेकिन तब हमें बाद में संयुक्त राष्ट्र होना चाहिए। क्योंकि मुझे डैनी में वे गुण मिलते हैं जो एक अच्छे सहज योगी के लिए आवश्यक हैं। वह बहुत मिलनसार है, वह जानता है कि कैसे लोगों से मिलना होता है, वह अपने उत्थान में बहुत दृढ़ है और वह एक ऐसा व्यक्ति है जो चिल्लाता नहीं है लोगों पर, जो लोगों से ज्यादा नाराज नहीं होता, और मैंने उसे क्रोधित होते नहीं देखा किसी से भी, अब तक। मैं इतने दिनों से उसके साथ हूं। और, वह लोगों को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित करता है और वह उन्हें नियंत्रित करना जानता है। लेकिन, जहां तक सहज योग का संबंध है। वह बेहद मजबूत है l बेहद मजबूत और वह इसे समझता है। तो, ये सभी गुण आप लोगों की मदद कर सकते हैं काफ़ी कुछ समझने के लिए एक नेता कैसा होना चाहिए। इसके अलावा, वह निस्वार्थ है। उसका किसी चीज के लिए कोई स्वार्थी लक्ष्य नहीं है किसी भी प्रकार का, उसके नाम के लिए, उसके पद के लिए, मैंने जो कुछ भी देखा है। उसे किसी के नेता बनने से कोई फर्क नहीं पड़ता, उसे कुछ भी बुरा नहीं लगता। इस तरह की चीज होनी चाहिए कि कोई भी नेता बनता है एक मजाक है। नहीं तो मैंने लोगों को देखा है, आप उन्हें ट्रस्टी बनाते हैं वे सिर्फ घोड़े पर सवार होते हैं। आप उन्हें कुछ बनाओ, नेता, वे घोड़े पर सवारी करने लगेंगे। तरह-तरह की बातें होती हैं। अब और ऐसा नहीं होना चाहिए, और नेताओं को मुद्दे को देखना चाहिए कि उन्हें वास्तव में महान विकसित अवधूत बनना हैl अन्यथा वे लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते। अवधूत वो लोग हैं जो हैं अत्यंत कृपालु, अत्यंत दयालु। और आपके लिए मैं कहूँगी कि आपको अनुसरण करना चाहिए तुकाराम के उदाहरण का क्योंकि वह इतने दयालु और प्रेमी व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने ऐसी बातें कहीं जो बहुत, बहुत गहरी थीं और बहुत सीधी। इसलिए स्पष्टवादी व्यवहार की आवश्यकता नहीं है इतना तेज कि सबको काट डाले। स्पष्टवादी ऐसा हो सकता है जो व्यक्ति का मार्गदर्शन करे उचित तरीके से और एक व्यक्ति के चलने में माया के इस सागर में आसान हो जाता है. इसे ही नेतृत्व कहते हैं। अब नेतृत्व को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए। कुछ लोगों के पास बहुत अधिक विचार हैं बाहर, क्योंकि वे सोचते हैं वे कुछ हैं, आप देखते हैं, वे जानते हैं, वे प्रशासक हैं या पत्रकार हैं या उन्होंने किसी प्रकार का काम किया है एक राजनेता या यह और वह, और वे नेताओं को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं – गलत बात है। इसलिए अब नेताओं को कंट्रोल करने की कोशिश मत कीजिए। अगर कुछ गलत है तो मैं उन्हें सही कर दूंगी। यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि फिर से और मैं आपको फिर से बताती हूं कि एक बार आप नेता को चुनौती देना शुरू कर देते हैं मुझे इसका दुख होता है। इसलिए, कृपया ऐसा न करें। अगर आप नहीं चाहते मुझे चोट पहुँचाने के लिए, नेता जैसा है उसे चुनौती मत दो। अब जैसे आप दूर जा रहे हैं, आप सभी मीठी यादें ले जा रहे हैं यहाँ से भारतीयों की। आपको उनकी अंतिम लेनी होगी, मुझे कहना चाहिए, झलक और उन्हें एक वादा भी दें कि आप उन्हें धन्यवाद देते हुए लिखेंगे, संपर्क बनाए रखें, मित्र बनाएं, पत्र लिखें उनके लिए, वे आपको लिखेंगे। आइए संपर्क बनायें और जानें कि क्या हो रहा है, कहाँ क्या हो रहा है और इस प्रकार हम एक अच्छा संचलन और एक दूसरे के साथ संचार प्राप्त कर सकते हैं और हम एक बेहतर समझ स्थापित कर सकते हैं इस विधि द्वारा विभिन्न देशों की साथ ही जो दूसरे देशों से आए हैं, जैसे कहते हैं कि ऑस्ट्रेलियाई आ गए हैं, अंग्रेजों को लिखना चाहिए या वे लिख सकते हैं फ्रेंच के लिए या फ्रांसीसी आस्ट्रेलियाई लोगों को लिख सकते हैं। ऐसे में बड़ा आंदोलन होना चाहिए। मेल जोल अच्छा होना चाहिए। अगर शरीर का मेल जोल ठीक नहीं है बीमार हो जाता है, इसलिए मेल जोल अच्छा और आप सब ने वह मेल जोल करना है एक तरह से जो अच्छा, दयालु और सहज तरीके से हो। मेरा अपना काम पूरा नहीं होता है। मैं अब आगे बढ़ रही हूँ, जैसा कि आप जानते हैं, दूसरे क्षेत्रों के लिए। तब मैं कलकत्ता जाउंगी। पहली बार हम ऐसे कलकत्ता में कार्यक्रम करेंगे। और फिर मैं ऑस्ट्रेलिया जा रही हूं और दुबारा वापस, न्यूजीलैंड और वापस भारत और फिर वापस लंदन के लिए और मैं आगे बढ़ता रहती हूं। आप देखिए मेरा ऐसा चक्करदार, जटिल और घुमावदार तरीका है। सूर्य को एक ही तरीके से चलना होता है। मैं जा रही हूं इस तरफ, उस तरफ। हर तरह की हरकतें होती हैं, कुछ भी नियमित नहीं। बिल्कुल यह नियमित रूप से अनियमित है। यह ऐसा ही हैl और यह अभी भी काम कर रहा है। यह किसी प्रकार की लय के साथ काम करता है इसमें, मुझे लगता है। यह स्पंदित होता है और मैं इससे काफी खुश महसूस करती हूं वह लयबद्ध गति। इसलिए, मुझे प्रार्थना करनी होगी कि आप अपनी तंदरुस्ती पर ध्यान दें, अपने आध्यात्मिक संपदा की देखभाल करें और अपने सहज योग परिवार की देखभाल करें अपने देशों में। तो परमात्मा आप सभी को अशिर्वादित करे। मैं आपकी बहुत अधिक देखभाल करने के लिए उन्हें धन्यवाद दे रही हूं l मेरा मतलब है, गांवों में वे पूरी तरह से प्रयत्न शील रहे और बहुत दूर की जगहों में, और मैंने उनसे जो कुछ भी माँगा उन्होंने कार्यक्रमों की व्यवस्था की वास्तविक रूप से जंगलों और नदियों के किनारे, और सब प्रकार के काम जो उन्होंने किए हैं, सिर्फ आपको खुश करने के लिए और पागल करने वाली भीड़ से अलग रखने के लिए यह सब काम हुआ है, केवल उनके सहयोग के कारण, बिना किसी इनाम के, बिना किसी चीज के। उन्हें त्याग कर छुट्टी लेनी पड़ती है, नौकरी छोडनी पड़ी और नीचे आना पड़ा l उन्होंने सब कुछ इतना अच्छा किया है कि हम देख सकते हैं कि कैसे ब्रह्मपुरी जैसी जगह में जो इतनी दूर की जगह है, या सांगली जैसी जगह पर जहां हम थे कोई कमरा या कुछ भी नहीं, उन्होंने इन सभी तम्बुओं की व्यवस्था की, और सब कुछ वह रात भर आप लोगों के रहने और आपके आनंद लेने के लिए वहाँ रहे। ऐसे में अगर किसी तरह की दिक्कत होती है आपको समझना चाहिए कि हमारे पास टेंट आसानी से उपलब्ध नहीं है भारत में। हमें उन्हें बनाना है। हमारे पास ये सभी सुविधाएं नहीं हैं जैसा कि आपके पास डेरा डालने के लिए है, क्योंकि आपको वहां डेरा डालने का बहुत शौक है कि अगर आप किसी दुकान पर जाते हैं तो आपको मिल सकता है डेरा डालने ले लिए सब कुछ। यहां आपको सब कुछ बनाना है। आप को बस डेरा डालने के लिए चीजें नहीं मिल सकतीं, क्योंकि किसी तरह भारतीयों के पास समय नहीं है डेरा डालने के लिए बिल्कुल भी, और उनके पास लेने के लिए कोई पार्ट टाइम नहीं है एक अवकाश लेने के लिए, और न ही वे छुट्टी मनाने जाते हैं, और मैं दूसरे दिन हैरान थी। किसी ने मुझे बताया कि उसने एक टैक्सी ली और दक्षिण भारत चला गया एक यात्रा के लिए। मैं सचमुच हैरान थी। वह कैसे कर सकता है, क्योंकि आम तौर पर ऐसा कभी कभार ही किया जाता है, और इस तरह नीचे जाना एक अच्छा विचार है, अन्य सहज योगियों से मिलें और थोड़ी यात्रा करें। लेकिन वे बस निकलते नहीं हैं l वे गणेश की तरह हैं। एक बार एक में स्थान में स्तिथ हो गए वे समुद्र में विसर्जित किये जाने तक स्थिर रहते हैं। तो, यह बहुत ही उल्लेखनीय था कि इतने सारे लोग आ गए हैं दिल्ली से, इतनी दूर से, और मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं यहाँ आने के लिए और इस अवसर को इतना शुभ बनाने के लिए और इतना सुंदर बनाने के लिए। विशेष रूप से, मुझे मद्रास के सहज योगियों को धन्यवाद देना है जो मद्रास से आए हैं, यह इतनी दूर हैं, यहां आने और हमसे जुड़ने के लिए। बेशक, महाराष्ट्र के सहज योगियों को बार-बार धन्यवाद दिया जाना है हमारी इतनी अच्छी तरह से देखभाल करने के लिए। मुझे उम्मीद है कि एक दिन हम उन्हें आपके विभिन्न देशों के लिए बुला सकेंगे और इस तरह के कुछ सेमिनार कर सकते हैं। एक दिन, हो सकता है। ऐसा कोई दिन ऐसा भी आ सकता है जब हम कर पाएंगे, जब हमारे पास अपना समुद्री जहाज होगा और लोग जहाज पर यात्रा कर सकेंगे। योगीः बोलो जगन्माता श्री निर्मला देवी की! योगी : जय ! श्री माताजी: और, मेरे पास ऐसे विचार हैं। तुम देखो, मैं बहुत उत्साही हूँ। मेरे पास जबरदस्त विचार हैं। अगर मैं आपको बताऊँ, तुम सब हवा में उछलोगे, तो मैं उसके बारे में आपको बताना नहीं चाहती। लेकिन यह साकार होता है। किसी तरह से, मेरे विचार साकार होते हैं, और हमारा ऐसा सेमिनार होना चाहिए कि हम इसे एक समुद्री जहाज पर मना सकते हैं, जहां दुनिया भर में जहाज चले, और हम मिलें दुनिया के हर कोने और तटों पर। यह एक अच्छा विचार होगा। एक महीने के लिए, यदि आप यात्रा करते हैं, तो आप कर सकते हैं, पूरी दुनिया, मुझे लगता है। यदि आपके पास अच्छा समुद्री जहाज है तो यह इतना मुश्किल नहीं है, IMO द्वारा हमें दिया गया। तो, यह सर्वश्रेष्ठ के लिए उम्मीद करते हुए l अब जैसा भी है, लोग बहुत मददगार हैं इस देश में। सरकार बहुत मददगार है। हमने देखा है कि केंद्र सरकार थी बहुत मददगार थी। कस्टम बहुत मददगार थे। यह सब हुआ है क्योंकि एक व्यक्ति को साक्षात्कार हो जाता है कस्टम में, वह दूसरे व्यक्ति से बात करता है, उसे सब कस्टम के लोग इसे करने के लिए मिल जाते हैं। फिर दूसरा व्यक्ति, एक पुलिसकर्मी, बात करता है दूसरे पुलिसकर्मी से सभी पुलिसकर्मी हैं। लेकिन आप देखिए, इस देश में तालमेल बहुत अधिक है अन्यथा यह जलवायु के कारण है इस देश का ऐसा है कि हम खुले हैं, हमारे घर खुले हैं, हमारे पास एक खुला घर है। हम खुले तौर पर रहते हैं। एक गाँव में हर कोई सबको जानता है। जैसे, किसी शहर में, अभी, नागपुर में बताओ तो मेरे पिता का नाम हर कोई उन्हें जानता है। मेरा मतलब है, हर कोई मुझे जानता है, हर कोई मेरे पिता को जानता है, और मैं उन्हें जानती हूं, इसलिए यह बहुत बड़ा मेल जोल है, और यह एक फायदा है जो हमारे पास है हम वहां बना सकते हैं हमारे प्रेम की धूप के साथ। तो, उनके साथ भी जो सहज योगी नहीं हैं, उनके प्रति दयालु बनने की कोशिश करें, अच्छा बनने की कोशिश करें। ये मत दिखाओ कि तुम कट्टर हो या कुछ भी, लेकिन मीठा और अच्छा बनने की कोशिश करो। कोशिश करो। अगर वे आ सकते हैं तो ठीक है और अच्छा है, लेकिन जोर नहीं दो, उन्हें मजबूर मत करो। यह सबसे बुरी बात है। ऐसी जबरदस्ती कभी न करें कि लोग अंदर आएं क्योंकि ऐसे लोग आते हैं तो वे बड़े तकलीफ देने वाले लोग होते हैं। इनसे हमें कोई फ़ायदा नहीं, इसलिए किसी को आने के लिए मजबूर न करें। वे आपके रिश्तेदार हैं, भाई, बहनें, पति, पत्नी, बस उन्हें भूल जाओ। अगर वे आना चाहते हैं तो आने दीजिए। नहीं तो बस उन्हें भूल जाओ। उनके बारे में अपने सिर को परेशान मत करो। अब, अगले दौरे के संबंध में, मुझे नहीं पता कि हम कैसे करेंगे, इसे प्रबंधित करें अगले वर्ष, लेकिन मैं आपको इसके बारे में समय पर बता दूंगी ताकि हम इसे बेहतर तरीके से व्यवस्थित कर सकें इस समय की तुलना में। शायद हमारे पास फिर से दो दौरे हों, मुझें नहीं पता, या शायद पंद्रह दिनों का दौरा, या कुछ और उसके जैसा, ताकि हम पन्द्रह दिनों में दो तरफ का भ्रमण करें, ऐसा कुछ। इसलिए, हम नए विचारों को विकसित करने का प्रयास करेंगे जैसे आपने देखा है साक्षात्कार देना आसान होता जा रहा है और सरल, और शायद कि सिर्फ कार्यक्रम में भाग लेने से, लोगों को साक्षात्कार हो सकता है। भारत में एक दिन ऐसा हो सकता है। मैं समझदार, उचित, रचनात्मक विचार आपके देश से चाहती हूँ। यह एक बहुत अच्छा विचार है, लेकिन किसी और की निंदा नहीं करना और बोलना कि वह आदमी ऐसा है और वैसा है। वो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है क्योंकि मैं जानती हूं कौन क्या है। तो, अगर आपके पास कोई है तो बस मुझे बताएं इसके बारे में कोई रचनात्मक विचार, प्रचार के बारे में, कुछ नए देश जा रही हूँ l जैसे, ग्रेगोइर कुछ शुरू करना चाहते थे ग्रीस मे, और कुछ लोग हैं जो इसे करना चाहते हैं ग्रीस में भी। इसलिए, हमें यह देखना होगा कि हम इसे कैसे कार्यान्वित कर सकते हैं ग्रीस मे और हमें ऐसे लोगों का पता लगाना होगा जो इसको कार्यान्वित करेंगे अन्य जगहों पर, जहाँ भी आप सोचते हैं यह कर सकते हैं। ट्यूनीशिया की तरह, कुछ लोगों ने कहा कि यहाँ जाना एक अच्छा विचार है। लेकिन आप बस इसे कार्यान्वित करें और मुझे बताएं जो भी देश आपको लगता है कि हम कर सकते हैं यह। शायद ब्राजील, शायद कोई और जगह, कोई जा सकता है। लेकिन अब मैं सोचती हूँ, इससे पहले कि मैं वहाँ जाऊँ, कुछ आप में से जाना चाहिए, इस पर काम करो, एक केंद्र स्थापित करो, ह एक उचित केंद्र चलना चाहिए, और फिर मुझे जाना चाहिए। यह बेहतर है। नहीं तो काफी बेकार हो जाता है। इसी तरह हम प्रचार करने जा रहे हैं पश्चिम में। उसी तरह भारत में भी ऐसा ही करना है l मैं इसे इस तरह प्रचार करती था कि हम खुद बहुत यात्रा करते हैं। जैसे हम दिल्ली जैसी जगह में रह रहे हैं, हम साथ जा सकते हैं, विभिन्न संगठनों के लोगों से मिलें, उनसे बात करें और व्यवस्था करें कि हम आकर बात करेंगे। मेरा वहां जाना जरूरी नहीं है। आप सभी बात कर सकते हैं और व्याख्यान दे सकते हैं विभिन्न संगठनों में, अलग-अलग संस्थानों में और अलग-अलग नगर पालिकाओं और वह सब। भारत में इसे व्यवस्थित करना बहुत आसान है ये व्याख्यान। भारतीयों को सुनने का बहुत शौक होता है व्याख्यान के लिए। तो यह एक अच्छा विचार होगा। लेकिन पश्चिमी लोगों के लिए भी, जैसे विश्वविद्यालयों में आप प्रोफेसरों से मिल सकते हैं और उनसे बात करें। आप अपने दम पर बहुत सी चीजों के बारे में सोच सकते हैं कि आप कर सकते हो। और मुझे यकीन है कि एक दिन वह आएगा ये प्रयास सब काम आएंगे। जैसा कि मैंने आपको बुद्ध के शिष्यों के बारे में बताया था ऐसा करते थे l और मुझे इन सभी अलग-अलग जगहों पर जाने की जरूरत नहीं है । आप इसे प्रबंधित कर सकते हैं और केवल आपको देख कर, लोगों को सहज योग मिलेगा बहुत तेज, क्योंकि वे सोचेंगे, किसने उन्हें यह दिया है, यदि वे इतने महान हैं, तो वह व्यक्ति जिसने दिया है वह बड़ा होना चाहिए और मुझे उन्हें देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कभी-कभी वे भी मुझे देखकर निराश हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि एक व्यक्ति जो हमसे बात कर रहा था बहुत प्रतिभाशाली था और यह और वह, और महामाया के अपने स्वभाव में मैं गड़गड़ाहट करने की कोशिश करती हूं और कभी-कभी गलतियां कर जाती हूँ, और एक साधारण गृहिणी बनने का प्रयास करती हूँ। और फिर लोग यह नहीं समझते कि यह छोटी सी गृहिणी, एक सरकारी कर्मचारी की पत्नी, आप देखिए, वह एक और ख़त्म मामला है, और फिर एक भारतीय ईसाई और वह सब बात है, तो वह निराशाजनक तो होगी l तो ये सब चीजें, आप देखिए, बनती हैं मन के लिए और इस तरह कोई अंतिम निर्णय में जा सकता है अंतिम फैसले का। तुम देखो, महामाया ही एक रास्ता है कोई लोगों को जज कर सकता है। कोई दूसरा रास्ता नहीं है जो माया के द्वारा ही देख सकते हैं ऐसे लोगों को बचाया जाएगा। जो माया के आर पार नहीं देख सकते बचाया नहीं जा सकता इसलिए माया महत्वपूर्ण है। अब अतं में, याद रखें कि आपकी माँ आपसे बहुत अधिक। प्यार करती है l आपका बहुत बहुत धन्यवाद।