Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date : 17th February 1985 Place Delhi Туре Puja Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari अपनी कुण्डलिनी को नीचे नहीं गिरने दें । आज शिवरात्रि के इस शुभ अवसर पे हम लोग एकत्रित हुए हैं और ये बड़ी भारी बात है कि हर बार जब भी शिवरात्रि होती है मैं तो दिल्ली में रहती हूँ। हमारे सारे शरीर, मन, बुद्धि, अहंकार, सारे चीजों में सबसे महत्वपूर्ण चीज है आत्मा और बाकी सब कुण्डलिनी इसलिए नीचे गिरती है क्योंकि हमारे अन्दर बहुत से पुराने विचार, पुराने conditionings है और इसलिए भी गिरती है कि हम futuristic बहुत हैं। जैसे हम अपने दिल्ली का विचार करें तो दिल्ली में कुछ लोग तो बहुत पुराने विचार के, पुराने व्यवस्था के अनुसार रहते रहे हैं। उनके अन्दर ऐसी-ऐसी भावनाएँ बनी हुई हैं कि जिनको निकालना भी बहुत मुश्किल है क्योंकि वो धर्म के ही नाम पर ये सब चीजें करते है कि यही धर्म है, इसी में रहना चाहिए। यही सत्य है, यही सब कुछ बाह्य के उसके अवलम्बन है। आत्मा में हम अपने पिता प्रभु का प्रतिबिम्ब देखते हैं। कल आपको आत्मा के बारे में मैंने बताया था। वही आत्मा शिव स्वरूप है। शिव माने जो बदलता नहीं, जो अवतरित नहीं होता, जो अपने स्थान में पूरी तरह से जमा रहता है, जो अचल, अटूट, अनल, ऐसा वर्णित है उस शिव की आज हम अपने अन्दर पूजा कर रहे है वो हमारे अन्दर प्रतिबिम्बित हैं कुण्डलिनी के जागरण से हमने उसे हमें परमात्मा की ओर Read More …