Guru Puja: You Have To Respect Your Guru

Château de Chamarande, Chamarande (France)

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गुरु पूजा
पेरिस (फ्रांस), 29 जून 1985।

(पूजा की शुरुआत में गेविन ब्राउन ने अंग्रेजी में श्री गणेश की प्रार्थना पढ़कर सुनायी)

मुझे विश्वास है कि आप सब इन चीज़ों को कहते हैं, और आप इसे सुनते हैं, और आप इसे अपने दिल से कहते हैं।

केवल परमात्मा से जुड़े हुए लोग ही श्री गणेश की पूजा कर सकते हैं। और श्री गणेश आपकी माता की पूजा करते हैं।

सबसे पहले, किसी भी व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि एक माँ और एक गुरु का संयोजन है। चुंकि कार्य सम्पन्न करने के उद्देश्य के प्रति गुरु बहुत कठोर होते हैं। वह किसी भी स्वतंत्रता को लेने की अनुमति नहीं देते हैं, और माँ बहुत दयालु हैं। अच्छा, आप में माँ के लिए भावनाएँ भी नहीं हैं, है ना? क्या यह सब एक जुमला है, जिसे आप सुनते हैं, आपके दिमाग में चला जाता है और आपको लगता है कि आप आत्मसमर्पण करने वाले सहज योगी बन गए हैं? वैसे ही जैसे कि,सभी इस्लामी लोग मानते हैं कि उन्होंने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है, जैसे ईसाई मानते हैं कि उन्होंने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। यह सिर्फ एक जुमला है कि तुम यह हो, तुम वह हो। आप कैसे जानते हैं कि जो कहा गया है वह सच है? क्या तुमने मेरे हाथों में सूर्य नहीं देखा है? आपको और क्या सबूत चाहिए?

जो कोई आपको गुमराह करता है वह निस्संदेह पापी है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन ऐसे व्यक्ति के जाल में पड़ना क्या है!

यदि आपने किसी बच्चे से कहा होता कि माँ आ रही है, तो वह लड़ता, “मैं जा रहा हूँ!” चिल्लाया होगा और रोया होगा। आपके वायब्रेशनस के बारे में क्या? आप अपने वायब्रेशन का उपयोग नहीं करते हैं? आप यहां गुरु पूजा के लिये आए हैं, आपका गुरु कौन है? आप किसकी पूजा करने जा रहे हैं?

जो कोई भी कहीं से आता है वह अचानक महत्वपूर्ण हो जाता है। कैसे? ऐसा पहले कभी नहीं किया गया था। पहली बार ऐसा भयानक दृश्य देख रही हूँ। मेरे जीवन काल में अगर तुम ऐसा कर रहे हो, मेरी मृत्यु के बाद इतने सारे गुरु तुम्हें गुमराह करने के लिए उठ खड़े होंगे, क्या तुम यह सब स्वीकार करने वाले हो?

सभी देवताओं ने मुझे ऐसा [पूजा] करने से मना कर दिया , वे मेरे पिछे पड़ गये, वे आपको पूजा करने की अनुमति देना बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगे। नहीं चलेगा! क्योंकि वे मुझसे प्यार करते हैं, वे मेरा सम्मान करते हैं। उनके पास उचित आचार-सहिंता हैं। वे नही चाहते कि, खुद गुरु बनकर ऐसा दुर्व्यवहार करें।
पिछली बार जब मैं आयी था तो वास्तव में मैं फ्रेंच के साथ बहुत कठोर थी। मैंने कई बार कहा है कि फ्रेंच ब्रह्मांड का नर्क है। और आपको कुछ इस तरह के जाल में पड़ना नहीं चाहिए! यह अति-चेतन, अत्यंत अति-चेतन और घमंड्भरा है। मैंने ऐसी गुरु पूजा के बारे में कभी नहीं जाना, कभी नहीं! भारतीयों को केवल एक गुरु पूजा मिली थी और वे प्रार्थना कर रहे हैं कि उनको कम से कम एक और गुरु पूजा मिले। इन सभी गुरु पूजाओं के साथ यदि आपने इस प्रकार का समर्पण प्राप्त किया हो तो बेहतर होगा कि आप को और कोई गुरु पूजा ना मिले। आप इसके लायक नहीं। तुम गुरु नहीं बन सकते, मैं स्पष्ट रूप से देख सकती हूं। बिना समर्पण के तुम कैसे होंगे?
परमात्मा की सभी कृपा आप पर बरसायी गयी है। औरआपने बदले में क्या दिया? ऐसा अहंकार, कि तुम किसी के साथ व्यवहार करते हो क्योंकि उसके पास अधिक अहंकार है। बहुत ही घटिया उदाहरण है ! आपको भारतीयों के पैर धोने होंगे और वह पानी पीना होगा, शायद तब आपको एहसास हो कि आप कहां हैं। आप बहुत विकसित वगैरह हो सकते हैं। और जो भारतीय भी आपके जैसे ही हैं, उन सभी को भी यह करना है।

आपने अपने वायब्रेशन क्यों नहीं देखे? जब अंधे को आंखें मिल जाती हैं, तो वह चीजों को देखने के लिए आंखें बंद नहीं करता है, है ना? और आपके नेताओं को भी क्या हो गया है? सब मिलकर यह नहीं कह सकते थे कि इस समय हम ऐसी बकवास नहीं मानेंगे?

एयरपोर्ट पर आने भर से ही कितने लोग जीवन में और ऊपर उठ गए हैं। तुम यहाँ क्या कर रहे थे? आपको विरोध करना चाहिए था। मैं जानना चाहती हूं कि कितने लोग हवाई अड्डे पर जाना चाहते थे और उन्होनें इसके लिए कहा। अपने हाथ उठाओ, ईमानदारी से, ईमानदारी से। केवल यही वे लोग हैं जो मुझसे प्रेम करते हैं।
परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

कल कोई तुमसे कहता है कि मेरा अपमान करो, क्या तुम ऐसा करोगे? आप जानते हैं कि अगर कोई राजा कहीं छोटी सी जगह से आता है, या कोई प्रधानमंत्री बहुत छोटे द्वीप से, लक्षद्वीप और मालदीव द्वीप से आए, तो प्रधान मंत्री आए और इंग्लैंड के प्रधान मंत्री को जाकर उनका स्वागत करना पड़ता है! और अगर तुम्हारे गुरु आए हैं तो सभी गुरुओं को मुझे लेने के लिए आना होगा? या यहाँ कुछ बेतुका सुनने के लिए रुकें? मुझे लगा कि एयरपोर्ट से ही वापस जा रही हूं, जिस तरह के वायब्रेशन मैंने महसूस किया। आप इस तरह की मनोदशा में कैसे आते हैं? आप कैसे हाथ मिला लेते हैं, कुछ लोगों को छोड़कर।
आपका गुणवत्ता का पता इस बात से चल जाएगा कि आप मेरे प्रति कितने समर्पित हैं, यह ईसामसीह ने कहा है। और आज मैं तुमसे यही कहती हूं। अन्य सभी बातों पर सहजयोगी विरोध दर्ज करेंगे। “यह अच्छा नहीं था, वह अच्छा नहीं था, यह किया गया था,” एक दूसरे के खिलाफ, हर चीज के खिलाफ वे विरोध दर्ज करते हैं। “सहज योगी ने हमसे इतना पैसा लिया, और ऐसा नहीं होना चाहिए था।” वे हमेशा मुझसे कहते हैं – शिकायतें और शिकायतें और शिकायतें और शिकायतें।

और इस तरह की बकवास के लिए उनकी तरफ से कोई विरोध दर्ज नहीं है, कुछ भी नहीं है। आप सभी अहंकार-उन्मुख लोग हैं और आपको अहंकारी अतिचेतन बकवास पसंद है। यह ऐसा ही है। तुम सब गुरु पूजा के लिए आए हो या किसलिए आए हो? यह मुझसे परे है।

यह मैं आपसे आपकी माता के रूप में बात कर रही हूं न कि आपके गुरु के रूप में। एक गुरु के रूप में मैं वही करती हूं जो मुझे करना होता है। मैं आपसे एक माँ के रूप में बात कर रही हूँ। क्या उनका सम्मान करने का यही तरीका है? मैंने तुमसे कहा था कि यह आखिरी गुरु पूजा है जो तुम करोगे, आखिरी पूजा तुम करोगे! शायद मुमकिन है। यह चौंकाने वाला है! आपको अपने गुरु का सम्मान करना होगा, अपने गुरु के प्रति समर्पण करना होगा। ऐसा कहा जाता है कि गुरु परमचैतन्य है लेकिन यह परमचैतन्य ही आपका गुरु है।

“आगत: परमचैतन्यं धान्यो अहम तव दर्शनकर” – ‘जब परमचैतन्य स्वयं इस धरती पर आएंगे, तो मैं खुद को उस दर्शन को देखकर खुद को बहुत कृतज्ञ महसूस करूंगा, मेरे गुरु’।

आप किस दुनिया में रह रहे हैं? आप कहाँ हैं? आप इसे हल्के में ले रहे हैं। मैं जानती हूं कि माता को तुम्हें दंड देने का अधिकार है, ठीक है, यहां तक की कृष्ण को भी उनकी माता द्वारा दंडित किया जा सकता है, लेकिन मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।

जो बच्चे मेरा अनादर करना चाहते थे और मेरा अपमान करते हैं, उनसे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। अगर उन्हें मेरे लिए प्यार नहीं है तो मुझे कुछ नहीं करना है। केवल वे लोग जिन्होंने विरोध किया और जो हवाई अड्डे पर जाना चाहते थे, उन्हें मेरी पूजा करने के लिए आगे आना चाहिए। ईमानदारी से।

आपको अपने ऊपर शर्मिंदा होना चाहिए! आपने अपनी माँ का अपमान किया है जिसने आपको आत्म बोध दिया है, जिसने आपके लिए इतना कुछ किया है। निःस्वार्थ भाव से मैं दिन-ब-दिन काम कर रही हूं, अपने बच्चों, अपने परिवार, अपने पोते-पोतियों की उपेक्षा कर रही हूं। तुम्हारे लिए?

केवल वही लोग, जो एयरपोर्ट जाना चाहते थे और कहा, और नहीं गए, कृपया वहीआगे आएं, कृपया। आइए।

वह मुझसे इतने सालों बाद मिल रहे हैं। तुम कब आए?

सहज योगी: दो महीने पहले।

जरा सोचिए, वे लम्बा रास्ता तय कर यहां-वहां से आए हैं और अच्छी तरह से आप उन्हें कुछ बकवास सुनने के लिए कह रहे हैं। वे किसी की बकवास सुनने नहीं आए हैं! आगे आओ, इस तरफ।

(कोई सवाल पूछता है)।

अरे हाँ बिल्कुल वो जो देर से आने के कारण नहीं आ सके। मैंने तुमसे कहा था कि शाम को कोई कार्यक्रम नहीं है। सभी स्पेनिश, वे कितने प्यारे थे। जो यहां थे और नहीं आए, वही हैं।

गुप्ता, तुम कब आए? (मराठी में बोलते हैं)। हाँ आप ऊपर आ सकते हैं। (कोई बोल रहा है)।

जो यहां थे और नहीं आए उन्हें समझना चाहिए कि आप ईश्वर के राज्य में रह रहे हैं और जब उस राज्य की देवी आती है तो आपको वहां रहना पड़ता है। मुझे खेद है कि मुझे वह करना पड़ा, यह [है] वह वचन जो मुझे सभी देवताओं को देना पड़ा था।

जान लें कि आपको और अधिक विकसित होना है। आपको मेहनत करना होगी। आपको ध्यान करना है। यह दिखाता है कि कोई अनुशासन नहीं है!

मैं ऑस्ट्रियाई लोगों को भी माफ कर दूंगी क्योंकि उनका नेता जाना चाहता था। ऑस्ट्रियाई लोगों को माफ कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उनका नेता जाना चाहता था। वे ऊपर भी आ सकते थे।

एक आदमी भी बचा सकता है और एक आदमी भी तुम्हें नष्ट कर सकता है। आपका नेता तब तक ठीक है,जहां तक माँ की बात आती है , लेकिन जब आप उस बिंदु पर पहुँच जाते हैं, तो आपको अपने नेता का भी विरोध करना पड़ता है। साथ आओ, यहाँ आओ और बैठो।

बाकी सब को पीछे जाना चाहिए। बस पीछे जाओ। कृपया वापस जाएं। बाकी सब वापस जाकर बैठ जाते हैं।

मुझे यह वादा करना था, मुझे देवताओं से यह वादा करना था। वे स्वीकार नहीं करेंगे!, वे स्वीकार नहीं करेंगे! तुम्हें पता ही होगा कि यहाँ बैठे सभी में देवता और गण हैं, वे मेरे आगे फ्रांस आए। चौबीस घंटे वे काम कर रहे हैं, यह आप अच्छी तरह जानते हैं। आप जानते हैं कि यह कोई कहानी नहीं है, आप जानते हैं कि, वे आपकी हर तरह से मदद कर रहे हैं, आपकी सभी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। क्या ऐसा नहीं है?
गेविन को भी मेरी पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि उसे कहना चाहिए था। गेविन को वापस जाना चाहिए। और वे सब अंग्रेज जो यहां जल्दी आए, सब कुछ कैसी बेहुदगी देखने के लिए, ? गेविन ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि एक व्याख्यान होने वाला था अन्यथा उन्होनें आपत्ति की होती, लेकिन हवाई अड्डे पर आने का क्या? अंग्रेज जानते है कि मैंने उनके साथ कितना काम किया है।

विरोध नहीं करने वाले सभी नेताओं को भी पीछे जाना चाहिए। सभी को जाना चाहिए। जिन्होंने विरोध नहीं किया? गुइडो, आपने विरोध किया? (गुइडो कहते हैं, “हां, श्री माताजी”)। इटालियंस वहां होना चाहिए।

गुइडो: “इतालवी पोसोनो वेनेरे अल पूजा”

श्री माताजी: हाँ! गुइडो ने विरोध किया। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है। हमारी माँ कहाँ है?

इस तरफ आओ। बाकी सब पीछे जाते हैं। ऐसी बात के लिए किस हिम्मत की जरूरत है?

स्पेनिश योगी: “स्पेनिश लोग आगे आ सकते हैं?”

श्री माताजी : बिल्कुल।

अन्यथा तो हर बात का विरोध हो रहा है। मुझे हर दिन लोगों से पत्र मिल रहे हैं। “यह अच्छा नहीं है, यह ऑस्ट्रेलिया में काम नहीं कर रहा है। यह यहां काम नहीं कर रहा है, ऐसा नहीं हो रहा है।” हर किसी को हर किसी की आलोचना करने का अधिकार है!

(कोई फ्रेंच में घोषणा करता है कि स्पेनिश आगे आ सकते है!)

फ्रांसीसी अतीत में मूर्ख रहे हैं और वे अब भी मूर्ख हैं। वे यही हैं। खुद का कोई अंत नही सोचते। स्पेन के लोग एक समय बहुत आक्रामक थे लेकिन सहज योग में वे ऐसे नहीं हैं। आपको सम्मान करना सीखना चाहिए। आपके पास कोई अच्छा प्रशिक्षण नहीं है, बहुत खराब संतती है, परमात्मा इसके बारे में यही कहने जा रहे हैं। मैंने आपको यह बताने की पूरी कोशिश की है कि आपको कैसा व्यवहार करना है। कोई आचरण सन्हिता नहीं, आपके पास प्रोटोकॉल की कोई भावना है! भिखारियों की तरह!

आज आपको संकल्प करना है, और सभी देवताओं से क्षमा मांगनी है, कि आप हर समय अपने वायब्रेशंस का उपयोग करने जा रहे हैं। प्रण लें! और यह कि अब ऐसी कोई बात आप दोबारा नहीं दोहराने जा रहे हैं। यह अंतिम है। ऐसा फिर कभी भी नही। मुझे सच में हैरानी होती है कि अंग्रेज, वे ओलेऔर बर्फ में भी आते रहे हैं, यह, वह – और यहाँ, क्या हुआ, जैसे ही वे नरक में आए वे नारकीय हो गए। अंग्रेजों को क्या हो गया है? क्या उनका अपना कोई व्यक्तित्व नहीं है? वे हमेशा फ्रेंच का अनुसरण करते थे और अब उनके साथ खाई में भी चले जा रहे हैं! क्या वह सिद्धांत अब कायम है? “फ्रांसीसी सहज योगी ने कहा … फ्रांसीसी सहज योगी ने कहा ..”। कल [अगर एक] फ्रांसीसी सहज योगी कहे, “जाओ और अपनी माँ को मार डालो!” तुम उसे मारोगे, है ना? क्योंकि फ्रेंच सहज योगियों ने कहा है! कोई व्यक्तित्व नहीं, कुछ भी समझ नहीं, मूर्ख!

(मराठी में बोलते हैं)।

(एक सहज योगी और योगिनी से बात करते हुए। श्री माताजी किसी का नाम पूछते हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता।)

श्री माताजी: हम्म? पता नहीं?

यह यशी मेरे पास बचपन से आई है और बचपन से ही ये मेरे पास आते-जाते रहते थे। क्या आप जानते हैं कि यह पुरानी दिल्ली कहां है और पिता विश्वविद्यालय में कहां कार्यरत थे? चाहे मैं छह बजे आऊं या आठ बजे या दस बजे या रात के करीब बारह बजे पिता अपनी तीनों बेटियों के साथ वहां रहते थे और खुशी से इतना खिलखिलाते थे कि मां आ गई है।

(श्री माताजी हिन्दी में बोलती हैं)।

बहुत से लोगों ने मुझे महीनों से नहीं देखा है। तुमने मुझे देखा है या नहीं। जैसे मैं तुमसे नाराज़ हूँ और कुछ लोगों पर ख़ुश भी हूँ। जिन्हें मुझसे प्रेम है और उसी के प्रतीक के रूप में मैं यह अंगूठी गुइडो को देना चाहती हूं।

मुझे क्या आश्चर्यचकित करता है कि वे गुरु हैं जो आपको जोंक की तरह चूसते हैं! वही जिसे यह रोल्स रॉयस चाहिए थी, उन्होंने एक साल तक खुद को भूखा रखा, एक रोल्स रॉयस खरीदा और उसे लेने गए और इतनी भीड़ कि लोग एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच सके। आपको तो उस तरह के गुरु की जरूरत है जो आपको नर्क में ले जाए! आप स्वर्ग नहीं जाना चाहते, आप देवताओं के राज्य के नागरिक नहीं बनना चाहते।

अब आप जो भी मंत्र बोलें, कृपया सुनें! आप जो बात कर रहे हैं उसे अपने दिमाग में रखें! आप अपने होठों से क्या कह रहे हैं – सुनो! इसे अपने ह्रदय में रखो, तुम क्या कह रहे हो! पाखंडी मत बनो! किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है “मैं एक गुरु के पास गया हूं, मैंने यह किया है, मैंने वह किया है”। ऐसा कुछ नहीं! इतने दिनों के बाद भी इस अवस्था में भी यदि आपने यह महसूस नहीं किया है कि जो कुछ भी हम मानते हैं वह स्वयं का अभिन्न अंग होना चाहिए।

मेरा मतलब ये मनहूस लोग, जैसे ईसाई, अन्य सारे लोग हिंदू मुसलमान, उन्होंने ईश्वर को नहीं देखा, उन्हें उनकी प्राप्ति नहीं हुई, कुछ भी नहीं, लेकिन उनके लिए यह एक विश्वास बन जाता है, वे इसके लिए लड़ते हैं। और आप लोगों, जिन्होंने वास्तविकता को देखा है, उनके लिये ऐसा नहीं है। मेरे साथ गलत क्या है?

लोग पुलिस से डरते हैं, इससे डरते हैं। तुम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर चुके हो, तुमने देखा है कि उन लोगों के साथ क्या हुआ है जिन्होंने मुझे परेशान करने की कोशिश की है! क्या आप इससे डरते नहीं हैं? तुच्छ्ता न करें। “हवाई अड्डे पर जाने में क्या था, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।” सारे गण मेरे साथ हैं, उन्होंने सब नोट कर लिया है, और वे यहां भी हैं।

मैं आपको सावधानी से बाहर ले जा रही हूं क्योंकि आप उन्हें नहीं देखते हैं। खैर, आप उन्हें बहुत जल्द देखेंगे। उन्हें नियंत्रित करना आसान भी नहीं है, आपको यह भी पता होना चाहिए। मैं तुम्हें नियंत्रित नहीं करती और न ही मैं उन्हें नियंत्रित करती हूं।

इसलिए अब मैं उन लोगों के प्रति भी निर्दयी नहीं बनना चाहती जो मेरे पास आकर मुझे मिलना चाहते रहे हैं, जो मुझसे बहुत प्रेम करते हैं। और मैं तुम्हें माफ़ करना चाहती हूँसभी को, आप सब को, क्योंकि यह पहली गलती थी।

किसी को भी मुझसे पूछे बिना मेरा कार्यक्रम ठीक नहीं करना चाहिए। किसी को भी ऐसी स्वतंत्रता नहीं लेनी चाहिए। अगली बार से मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी। मैं आपको बहुत साफ-साफ बता रही हूं। आप मेरा कार्यक्रम निश्चित करें और मैं आपको निराश करूंगी। मुझसे पूछे बिना आपको मेरा कार्यक्रम कहीं भी तय नहीं करना है। मेरी अनुमति लिए बिना, लिखित अनुमति। अगर आपने कभी मेरे साथ ऐसी चाल चलने की कोशिश की तो मैं आपको ठीक कर दूंगी!

आप जानते हैं कि मेरे पास आपको ठीक करने की सारी शक्तियाँ हैं।

अब मेरे साथ स्वतंत्रता मत लो। मैं आपको बता रही हूं, मैं आपको चेतावनी दे रही हूं। यह समझने की कोशिश करें कि आप किसी ऐसे व्यक्ति का सामना कर रहे हैं जिसके पास सारी शक्तियाँ हैं। आप यह जानते हैं। अपने भीतर अच्छी तरह जानो!

यह मोहम्मद की तरह भी नहीं है। मोहम्मद ने बस बात की। उन्होंने कभी साक्षात्कार नहीं दिया। उसने आपको चेतावनी दी थी। उनमें से कोई नहीं, उनमें से कोई नहीं। लेकिन देखने के बाद भी, उनमें से किसी के भी फोटो नहीं है जैसा आपने मेरा देखा है। क्या उनके है? मैं क्या हूं, यह जानने के लिए और क्या प्रमाण चाहिए? अब अपने व्यवहार को ठीक करें! मैं आपको चेतावनी दे रही हूं। महामाया, इसका दूसरा पक्ष भयानक है, सावधान!

केवल उनके लिए जो मेरे बच्चे हैं मैं इस धरती पर आऊंगी। जो नहीं हैं उनके लिए नहीं, मेरा उनसे कोई लेना-देना नहीं है। मैंने तुम्हें उस तरह से बचाने की कोशिश की जैसे की एक उड़ाऊ पुत्र को बचाना है, वह अलग है, वह बहुत अलग है। लेकिन मेरे साथ स्वतंत्रता मत लो, मुझे आपको बताना चाहिए और आपको चेतावनी देनी चाहिए।

मैं एक ऐसी माँ की तरह महसूस कर रही हूँ जिसका अपने ही बच्चों द्वारा अपमान, दुर्व्यवहार, दुर्व्यवहार किया गया है। आप दूसरों से रुचि ले सकते हैं लेकिन अपने बच्चों से नहीं, बहुत मुश्किल आप ऐसा नहीं कर सकते।

यदि आप किसी प्रोटोकॉल को नहीं समझते हैं क्योंकि आप इतने अनाड़ी हैं, आपने कभी कुछ नहीं जाना है, आप सम्मान करना नहीं जानते हैं, तो आप इसे बेहतर तरीके से सीख सकते हैं। कोई श्रद्धा नहीं है क्योंकि वह कभी थी ही नहीं। आप किसी का सम्मान करना नहीं जानते। आप अपनी इज्जत नहीं करेंगे शायद वो है ही नही (??)
अब आज, एक बहुत बड़ी घटना का का दिन है, और गुरु ऐसा शब्द है, जो कि मैंने आपको बताया, ‘गुरुत्वाकर्षण’ शब्द से आया है, गुरुत्वाकर्षण। और वह गुरुत्वाकर्षण, जैसा मैंने महसूस किया, कि मेरे पास आप लोगों को आकर्षित करने के लिए कोई गुरुत्वाकर्षण नहीं है, अथवा आप लोगों का आप में कोई वज़न ही नहीं है, कि मैं आपको आकर्षित करूं। कोई भी चीज जिसमें वजन होता है वह अपने आप गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित हो जाती है। यह अपनी ओर गुरुत्वाकर्षण नहीं करता, बल्कि यह गुरुत्वाकर्षण करता है। पदार्थों के बीच भी गुरुत्वाकर्षण है। लेकिन जितना उसका धरती माता के प्रति होता है वह अतुलनीय है। तुम कोई भी पत्थर फेंक दो वह वापस आ जाता है! गुरुत्वाकर्षण से लड़ना असंभव है!

और वह गुरुत्वाकर्षण आपके श्रद्धा, आपके समर्पण और आपके समर्पण का एकीकरण है। उस गुरुत्वाकर्षण के बिना तुम अपना पोषण नहीं कर सकते, तुम विकसित नहीं हो सकते। ज़रा सोचिए कि जड़ें गुरुत्वाकर्षण की ओर जाती हैं और जब उन्हें पोषण मिलता है तभी पेड़ ऊपर उठता है। अगर आपकी जड़ें गहरी नहीं हैं, अगर आपकी जड़ें इतनी कमजोर हैं, तो आप नीचे नहीं जा सकते। जब तक आप उस गुरुत्वाकर्षण में नीचे नहीं जाते, आप उत्थान नहीं कर सकते, आप अपना पोषण नहीं कर सकते।

अब मेरी बात फिर से व्यर्थ न जाए, कृपया मेरी बात सुनें! मैं आप सभी को संबोधित कर रही हूँ! उसे याद रखो। यह मत सोचो कि मैं किसी और को संबोधित कर रही हूं, यह आप सभी के लिए है।

तो सहज योग में उत्थान का एकमात्र तरीका जड़ों को नीचे रखना है। जड़ों को विकसित होने दें। जब तक जड़ें नहीं बढ़ेंगी तब तक पेड़ नहीं बढ़ सकता। मैंने कई सहजयोगियों को देखा है जो सहज योग के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वे किताबें लिख सकते हैं, वे चीजें लिख सकते हैं। दूसरे दिन मैंने देखा कि कोई सहज योग के बारे में एक बड़ा पैम्फलेट लिख रहा है- व्यक्ति के अंदर कुछ भी नहीं! यह सहजयोगी की निशानी नहीं है। एक सहजयोगी का झुकाव अंदर की ओर होना पड़ता है।

हम यह कैसे करते हैं?

वर्ष 1982 में मैंने आपको इसे करने के आठ तरीके बताए और मैंने कहा कि मैं आपको बाद में बताऊंगी और मैं आपको बताने वाली थी, लेकिन अभी नहीं – अन्य आठ तरीके जिनसे आप उन्नति कर सकते हैं, क्योंकि आप अभी तक सहज योग में जमीन पर नहीं हैं , आप अभी तक जमीन पर नहीं हैं। मैंने सोचा था कि आप ग्राउंडेड होंगे, लेकिन आप नहीं हैं। आपको दुसरी तरह से पोषण प्राप्त करना है – जड़ें सिर में हैं। निर्विचार बनकर, ना कि कोशिकाओं को सोचने पर मजबूर करके, बल्कि उन्हें विश्राम देकर, भीतर की शांति से। शांति का प्र्दर्शन मात्र नहीं, या बस, कुछ लोग एक शो के लिए बहुत शांतिपूर्ण दिखते हैं! आपको इसे यहां अपने सिर में कार्यांवित करना होगा। आपकी जागरूकता में इसे स्थापित होना होगा। कैसे? ध्यान!

मुझे बताया गया कि, कोई अनुशासन नहीं है। [इन] हाउंस्लो (लंदन में आश्रम) मुझे बताया गया है, किसी भी प्रकार का कोई अनुशासन नहीं है। मुझे आश्चर्य है [कि] हाउंस्लो लोगों के पास सुबह जल्दी उठने और ध्यान करने का कोई अनुशासन नहीं है। आप क्या कर रहे हो? आप कैसे उन्नति करेंगे? एक पेड़ कैसे प्रगति करता है? यह दिन में वृद्धि नहीं करता, यह सुबह बढ़ता है, सुबह जल्दी बढ़ता है। आप इसे कभी देख नहीं पाते। ये जड़ें कैसे आपके सिर में, आपके दिमाग में, उस जड़ में बढ़ने वाली हैं?

आपको ध्यान करना है। यही एकमात्र तरीका है जो आप कर सकते हैं। जो ध्यान नहीं करते वे सतही हो जाएंगे, उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा, वे समस्याएं पैदा करेंगे। अगर वे राइट साइडेड हैं तो वे सुपर-कॉन्शियस हो जाएंगे, वे भूत बन जाएंगे। यदि वे लेफ्ट साइडेड हैं तो वे लेफ्ट साइडेड हो जाएंगे और बाहर फेंक दिए जाएंगे। आपने इसे सिस्टिन चैपल में देखा है आप क्राइस्ट को एक-एक करके उन्हें बाहर निकाल फेंकते हुए देखते हैं। और फिर आपको मुझे दोष नहीं देना चाहिए! केवल मुझे सुनना ही पर्याप्त नहीं है। यह प्रगति चाहिए, विकास की वास्तविकता की जरूरत है, चीज की जरूरत है। क्या आप इसे समझे हैं?

आपने अध्ययन किया है पहले भी हर तरह की बेतुकी,भयावह बातें पढ़ी हैं, मुझे पता है कि आपने क्या पढ़ा है। इस भयानक फ्रांसीसी देश में आपके पास साडे (मारक्विस डी साडे), या सैड-ए, जो कुछ भी आप उसे कहते हैं, और उसके जैसे कई थे। और ऐसे बहुत से लोग थे जिन्होंने आपके लिए भयानक किताबें लिखीं जो आपने पढ़ी हैं लेकिन उन्होंने एडवेंट नहीं पढ़ा है। कई सहजयोगी हैं जिन्होंने एडवेंट नहीं पढ़ा है। लेकिन सिर्फ पढ़ने से काम नहीं चलेगा, इसे आपके दिमाग में जरूर जाना चाहिए! और दिमाग का मतलब क्या है? आपके मध्य तंत्रिका तंत्र central nervous system में।

दिमाग का मतलब सोच में नहीं है। मध्य तंत्रिका तंत्र में, आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं में। उस प्रकाश को कोशिकाओं में आना है। आपको बढ़ना और विकसित होना है। आपके लिए केवल एक ही रास्ता बचता है कि आप हिमालय जाएं ना की किसी आश्रम या किसी स्थान पर, बल्कि ऐसी जगह बस जाएं जहां आप ना कुछ खाएं ना ही कुछ करें और दूसरा जन्म लें। मुझे लगता है कि यही एकमात्र तरीका है।

वे इसे हल कर सकते हैं – मुश्किल नहीं। अगर आपके ह्रदय में खोज है, और अगर आपके पास यह समझने की संवेदन शीलता, समझ, बुद्धि है कि आपने जीवन में कुछ हासिल किया है, तो आप इसे कर सकते हैं। आप सब कर सकते हैं। सबसे बुरी बातहै जो हम करते हैं कि, हम दूसरों को माफ नहीं करते, हम खुद को माफ करते हैं। आप हर समय दूसरों को क्षमा करने का प्रयास करें – यही इसे कार्यांवित करने का सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन नहीं! हम हर समय खुद को माफ करने की कोशिश करते हैं और दूसरों को माफ करने की नहीं। हम सब कुछ उलटे ही तरीके से करते हैं। हम सहज योगी हैं, हम योगी हैं, संत हैं।

तो आपको गुरु बनना है। मैं स्वयं एक गुरु हूं। और गुरु का संवहन क्या है? वह कौन सा जानवर रखता है? कुत्ता। क्या आप जानते हैं कि कुत्ता क्या है?
क्या आप कुत्ते के गुणों को जानते हैं? वह अपने मालिक से प्यार करता है, वह अपने मालिक के लिए अपनी जान दे देगा, वह तब तक नहीं सोएगा जब तक वह अपने मालिक को वापस नहीं देख लेता। किसी भी समय!

हमारे पास एक कुत्ता था और जब भी मैं बाहर जाती, हर बार वह आकर दरवाजे पर बैठ कर मेरा इंतजार करता था। और कुछ लोगों ने उस पर बहुत कठोर प्रयोग किया, कुछ शाकाहारियों ने, और वह मरने ही वाला था, हमने उसे अस्पताल में डाल दिया। जब मैं वहाँ गयी और मैं उसके सामने बैठ गयी – उसने अपने पूरे शरीर को खींच लिया और अपना सिर मेरे पैरों पर रख दिया और मर गया। यह एक कुत्ता है, एक जानवर है। जब मैं बाहर जाती ,अपने घर से, तो जब तक मैं लौट न आऊं तब तक वह भोजन न करेगा। मैं किसी और देश में गयी, वह खाना नहीं खाएगा। इतने दिनों तक वह मेरे आने तक अपना भोजन न करता था। वह मुझे परेशान नहीं करता था, लेकिन बाहर बैठकर मेरे उसे मिलने की प्रतीक्षा में बैठा रहता था। ऐसा होता है शिष्य!

जब तक तुम अच्छे शिष्य नहीं बनोगे, गुरु कैसे बनोगे? मेरे आपको इसके बारे में कुछ भी बताने से क्या फायदा? आपका अपना कोई अनुशासन नहीं है, आप दूसरों को अनुशासन कैसे देंगे? आप स्वयं सभी प्रकार की चीजों के लिए ललचाते हैं। आप कैसे काम कर सकते हैं? आप अपने बारे दुसरों को क्या समझाने जा रहे हैं?आपको क्या प्राप्त हुआ है जो आप गुरु बने है? आप क्या दे सकते हैं?

सारे संतों ने अपना-अपना पैसा दुनिया भर में कहीं भी खर्च किया है। सहज योग को फैलाने के लिए आपने अपना कितना पैसा खर्च किया है? सहज योग को फैलाने के लिए आपने अपना कितना पैसा खर्च किया है? कुछ पाने के लिए वे खुद भूखे रहते थे। मैंने हजारों खर्च किए हैं आप इसे अच्छी तरह जानते हैं। आप यह निश्चित रूप से जानते हैं कि मैंने आप लोगों पर कितने हजारों खर्च किए हैं। यहां तक ​​कि पूजा का जो पैसा मुझे मिलता है, आप एक-एक पैसे को जानते हैं, मैं उसका इस्तेमाल आपके लिए कुछ चांदी की चीजें खरीदने के लिए करती हूं। यह आपके लिए नहीं होना चाहिए, यह मेरे लिए है, मुझे कहना चाहिए, लेकिन मैं करती हूं।

हर संत पैसा खर्च करता था। ईसामसीह को अपना ईसाई धर्म फैलाने के लिए पैसे खर्च करने पड़े। उन्होंने कभी ईसाई धर्म नहीं फैलाया, उनका अपना संदेश। तुकाराम को करना पड़ा। ज्ञानेश्वर को करना पड़ा। उनके पास जो कुछ भी था उन्होंने उस पैसे का इस्तेमाल किया, जो कुछ भी उनके पास सहज योग का प्रसार करने के लिए था।

सहज योग में, सबसे बड़ी बात जो मैंने नोटिस की है, वह यह है कि हर कोई कितना आशिर्वादित है। उनके पास अच्छे घर हैं, अच्छे आश्रम हैं, सभी सुविधाएं हैं, सब कुछ बहुत अच्छी तरह से किया गया है। वे इतने धन्य हैं। ईश्वर उनकी देखभाल करते हैं, उनकी सभी समस्याएं हल हो जाती हैं, वे चाहते हैं कि शादियां हों, अच्छी शादियां हों जाती हैं, सब कुछ ठीक हो जाता है, सब कुछ सुलझ जाती है। केवल आशीर्वाद हैं कोई कर्तव्य नहीं हैं।

आपने सहज योग के लिए कितना पैसा खर्च किया है, सबसे पहले यह सवाल पूछना चाहिए? आपने सहज योग के लिए कितना समय दिया है? मैंने कितने लोगों को आत्मसाक्षात्कार दिया है? मैं कितना धर्मी और गुणी रहा हूं। सहज योग को अच्छा नाम लाने के लिए मैंने क्या किया है? मेरे व्यक्तिगत व्यवहार के बारे में क्या है कि मैं कैसे रहता हूं।

अरनौद ने बहुत पैसा खर्च किया है, मुझे पता है, वह और उसकी पत्नी। मैं सबके बारे में जानती हूं। आपको समय, पैसा, सब कुछ देना होगा। आपका काम, आपको सब कुछ छोड़ना होगा। लोगों ने नौकरी छोड़ दी है। मैंने आपको कहानियां सुनाई हैं कि कैसे लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम जैसी सामान्य चीजों के लिए बलिदान दिया वगैरह।

तो आज, जैसा कि मैंने तुमसे कहा था, तुम्हें संकल्प करना होगा कि – हम अपने श्रद्धा के माध्यम से और अपने समर्पण के माध्यम से अपने भीतर विकास करने जा रहे हैं। ध्यान के द्वारा ही आप इसे कर सकते हैं। ” माँ, हम सब इसमें विकसित होने जा रहे हैं”। यह आपको मुझसे वादा करना होगा क्योंकि मैं आपके सामने एक गुरु के रूप में खड़ी हूं। ठीक है?

अभी गुरु पूजा होगी, मां की पूजा नहीं। मुझे यह करवाना ठीक नहीं लगता। बस गुरु पूजा शुरू करें। साथ आओ।

जब मैं कुछ कहती हूं तो आप मुस्कुराते हैं, और मुझसे बात करते हैं, खींसे निपोरते हैं, हंसते हैं, कार्यक्रम में भी। चर्च में तुम चुप रहते हो। जब कोई पोप का भूत होता है तो आप सब चुप रहते हैं। कोई उचित पालन-पोषण नहीं है, बुरी व्यवहारकुशलता वाले, बुरी ढंग से पाले गये।

यह ऐसा है जैसे कोई कुत्ता पागल हो जाता है, आप जानते हैं और ऐसे कुत्ते मार दिये जाते हैं। उन्हें जनता के बीच नहीं रखा जाता है। ऐसे मीठे कुत्ते, देखिए, एक-एक करके।आपके देखने के लिए इटालियंस ऐसे खूबसूरत कुत्ते लाए हैं।

गुइडो: ” ये वे कुत्ते हैं जिन्हें स्वयं श्री माताजी ने चुना है!”

हां! मैंने तुम्हें भी चुना। मैंने तुम्हें भी चुना है। लेकिन उन्हें देखो, वे कितने प्यारे हैं। इतना आनंद देने वाले, इतना आनंद देने वाले। वे इतने समय पर हैं कि वे देवताओं के सभी क्रोध को अवशोषित कर लेंगे, मुझे यकीन है। देवताओं की तरह यहाँ बैठे हैं, खूबसूरती से।

(तालियाँ)। (कोई कहता है: “क्या यह जर्मन कुत्तों के लिए ठीक है?”)। (श्री माताजी और श्रोता हंसते हैं)।

श्री माताजी : जिसे तुम यहाँ रखते हो, उसे लोगों पर भौंकना पड़ता है, जो ठीक व्यवहार नहीं करते हैं, वे उसे घुमा देते हैं। जर्मन कुत्ता! वे कितने प्यारे हैं, सुंदर हैं।

स्वयं को क्षमा न करें, दूसरों को क्षमा करें – तब आप गुरु बनेंगे।
आपका जीवन ऐसा होना चाहिए कि जो लोग आपके निकट संपर्क में आते हैं, वे आपके प्रति सम्मान महसूस करें, कि आप कितने अनुशासित हैं, आप बहुत अनुशासित हैं। मैंने यह देखा है। मेरे पति कल आ रहे हैं, हम कार्यक्रम करेंगे, और मैंने उनके जीवन के बारे में एक बात देखी है, एक बात, जो मुझे आपको बतानी है, जिसने उन्हें इतना महान व्यक्ति बना दिया है। वह बेहद अनुशासित व्यक्ति हैं, बेहद अनुशासित। जिसके पास अनुशासन नहीं है, वह उस कुत्ते के समान है जो पगला गया है, जिसे रेबीज हो गया है। आत्मसाक्षात्कार के बाद आपको लोगों को अनुशासित करना होगा। अपने आप को अनुशासित करें। मैंने “82” में यही कहा था, मैं फिर से दोहरा रही हूं। अभी नहीं, इसका दूसरा भाग जो मैंने कहा था, मैं भारत में बताऊंगी, जिसे कि मुझे आशा है वे आपको भेज देंगे।

आप ‘या देवी सर्व भुतेशु’ के मंत्र कह सकते हैं। बस इसके बारे में भूल जाओ, यह ठीक है।

(या देवी सर्वभूतु का पाठ शुरू)

सहस्रार मंत्र बोलें। गुरु के 108 नाम कहे जाने हैं।

[मंत्रों का पाठ]

यानी हम सब कुछ आपको अर्पण कर देते हैं।

जब आप सब कुछ दे दें तो उसके बाद आपको एक तुलसी का पत्ता डाल कर पानी डालना है।

सब कुछ, हमारा सारा स्वास्थ्य, हमारा सारा धन, जो कुछ भी हमारे पास है वह सब कुछ हम आपको समर्पित कर देते हैं। यह ऐसा ही प्रतीकात्मक है, सब कुछ। हमारा शरीर, हमारा मन, हमारा मन, हमारी वाणी, हमारी बात, हमारी सोच, सब कुछ हम समर्पण करते हैं।

हमारा सारा काम, हमारी नौकरी, जिम्मेदारियाँ सब कुछ हम आपको समर्पित करते हैं।

हमारी सारी सम्पदा, हमारा धन, हमारा धन, सब कुछ हम आपको समर्पित करते हैं।

हमारे सभी संबंध, हमारे सभी सम्पर्क, हमारे सभी मित्र, हमारे सभी राष्ट्र, पूरी दुनिया हम आपको समर्पित करते हैं।

हमारी सारी शिक्षा, हमारा सारा पठन, हमारी सारी किताबें, अब तक हमने जो कुछ किया है – हम, सब कुछ, आपको समर्पित करते हैं।

मुझे आशा है कि आपने इसे सुना है और इसे फिर से अपने दिमाग में डाल लिया है। सब कुछ समर्पण करने के लिए इस बिंदु पर ध्यान करें। कुछ भी हमारा नहीं है।

अब मन्त्र, पहले नाम जो तुम कहते हो, ठीक है, और फिर हमें उसे दोहराना है। एक मंत्र बोला जाता है तो उसे दोहराना होता है। आपको इसे पूरा करना होगा। केवल गुरु का पहला नाम दें। अब सुनिए और समझिए इसका क्या मतलब है।

[मंत्रों का पाठ]

अब इसका प्रतीक इस प्रकार है। आपको प्रतीक को समझना होगा। वह सिर्फ एक पत्ता है। हमारे पास जो आखिरी चीज बची है वह है यह पत्ता। बेशक तुलसी बायीं विशुद्धि का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन एक लगाव भी। तो अब जब आपके पास यह हाथ में होता है तो यह चिपक जाता है यह गिरता नहीं है। तो आप पानी डाल कर सुनिश्चित करें कि हाथ से उसकी महक भी चली जाए। यह इसका महत्व है। अब, वह क्या है?

[मंत्रों का पाठ जारी है]

जोर से, चित्त विभूषणाय, वह चित्त का आभूषण है। गुरु है। आपके चित्त में आभुषण कौन है, सौन्दर्य कौन है? आपका गुरु।

[मंत्रों का पाठ जारी है]

ये सभी मेरे गुण हैं और अभी तक आपके नहीं हुए हैं। उन्हें आपके गुण बनना चाहिए।

[मंत्रों का पाठ जारी है]