Shri Trigunatmika Puja Huis Overvoorde, Rijswijk (Holland)

Shri Trigunatmika Puja अपना कॉमन सेंस इसमें लगायें और ये तभी संभव हो सकेगा जब आपके अंदर अहं न हो। अहं तो कभी भी कॉमन सेंस नहीं होता क्योंकि मुझे ये पसंद है … वो पसंद है । ये मैं ही अहं है जो अंधा है … विवेकहीन है … मूर्ख है अतः अंततः हम मूर्खतापूर्ण कार्य करते हैं। आपके अंदर कॉमन सेंस होना चाहिये जो अहं के परित्याग के बाद ही संभव है। अब लोग पूछते हैं माँ अहं का परित्याग कैसे करें? ये बहुत सरल है। सहजयोग में आपको अपना बांया दांये के ऊपर 108 बार गिराना चाहिये….. आपको लोगों को माफ करना चाहिये और आप स्वयं को भी देख सकते हैं। सबसे पहले देखें कि आप स्वयं को देखते हैं कि दूसरों को देखते हैं। मेरे साथ एक बार एक महिला यात्रा कर रही थी और वो कहने लगी कि ये आदमी कितना खूबसूरत है … वो महिला कितनी सुंदर है … प्यारी है। मैं उसकी ओर देख रही थी और सोच रही थी कि ये महिली जब तक हम उतरेंगे तब तक पागल ही हो जायेगी। वह सबको देखती ही जा रही थी … सबको जज करती जा रही थी कि कौन खूबसूरत है और कौन नहीं। और वो जिसको भी खूबसूरत बता रही थी मुझे वह व्यक्ति बदसूरत लग रहा था। मैंने उससे कहा कि आप ही ये निर्णय करें ….. मैंने तो ऐसी चीजें कभी भी ट्राइ नहीं की है। इसके बाद वह आदमी बहुत खराब है … बहुत गर्म स्वभाव का है … Read More …