Sahasrara Puja: The Ghost of Materialism Thredbo (Australia)

1987-0503 सहस्रार पूजा – “भौतिकवाद का भूत”, थ्रेडबो (औस्ट्रेलिया) आज एक बहुत महान दिन है सभी सहज योगियों के लिए। बहुत समय पहले मैंने इच्छा की थी कि सहस्रार को खोला जाना चाहिए। परंतु सही समय के लिए प्रतीक्षा कर रही थी। सही समय पर इसको करना महत्वपूर्ण था। एक लड़के ने औरंगाबाद में, काफ़ी युवा था, मुझसे एक प्रश्न पूछा, “माँ, यह ब्रह्मचैतन्य की सर्वव्यापी शक्ति हमारी इंद्रियों से परे है, आप इसे इंद्रियों द्वारा अनुभव नहीं कर सकते। ऐसा कैसे है कि अब हम इसे अपनी इंद्रियों के द्वारा अनुभव कर पा रहे हैं। यह प्रश्न उसने पूछा और मैं आपसे यही प्रश्न पूछती हूँ। इससे पहले जिन लोगों को साक्षात्कार प्राप्त हुआ था वह इसके बारे में ऐसे बात नहीं कर पाए, जैसे आप लोगों को बताते हैं, कि आप इसे अपनी इंद्रियों पर महसूस कर सकते हैं। वे समझा नहीं पाए, वे इसको अनुभव के रूप में नहीं  प्रकट कर पाए। उन्होंने बस इतना किया कि शब्दों में उन्हें बताया, शब्द जो किसी चीज़ के बारे में बता रहे थे, जैसे आम का स्वाद। जब तक आप आम को खाएंगे नहीं तब तक आपको कैसे उसका स्वाद पता चलेगा। केवल यह जान कर कि यह बहुत अच्छा है, यह महान है, यह बढ़िया है, फिर भी आपने उस आम को चखा नहीं। तो अब क्या हो गया है, यह प्रश्न था। दूसरी चीज़ यह थी कि लोग इतने परेशान हो गए थे, जैसे ज्ञानेश्वर, 21 साल की उम्र में उन्होंने समाधि ले ली। वे एक कमरे Read More …