“नेतृत्व का मिथक”
9 मई, 1988
अब यह महालक्ष्मी तत्व, महालक्ष्मी सिद्धांत की स्तुति है। और जैसा कि आप जानते हैं कि, लक्ष्मी सिद्धांत श्री विष्णु की शक्ति है, जो सबसे पहले हमारे भीतर तब स्थापित होती है जब हम धार्मिक भौतिक जीवन, धार्मिक वित्तीय जीवन और धार्मिक पारिवारिक जीवन पर ध्यान देना शुरू करते हैं।
उसके बाद, खोज शुरू होती है, उच्च लोकों की तलाश: वहां यह हमारे भीतर महालक्ष्मी सिद्धांत द्वारा अभिव्यक्त होता है। इसलिए संपन्न देशों में लोग खोज करने लगते हैं; वे गलत हो सकते हैं, यह अलग बात है। हर एक व्यक्ति में यह मौजूद होता है, लेकिन अभिव्यक्ति तब शुरू होती है जब आप अपने भौतिक पक्ष से पूरी तरह संतुष्ट होते हैं, सहज योग में ऐसा नहीं। सहज योग में यह अभिव्यक्त और कार्यान्वित होता है।
तो महालक्ष्मी का केंद्रीय मार्ग खुलने लगता है, इसलिए आपके नाभि चक्र से ऊपर उठकर आपके सहस्रार तक जाता है और उसमें छेदन करता है। सहस्रार में भी विष्णु तत्व [वह] विराट बनता है – यह केवल एक सिद्धांत है। यह सहस्रार में ही प्रकट होता है और आप सामूहिक चेतना के प्रति जागरूक हो जाते हैं, आप ज्ञानी हो जाते हैं और आप सत्य को जानते हैं। ऐसा कुंडलिनी के उत्थान के माध्यम से होता है।
अब यहाँ तो वे बस मध्य मार्ग की स्तुति ही कर रहे हैं, जो महालक्ष्मी है। तो यहाँ आप मेरे लिए, मेरे महालक्ष्मी सिद्धांत के लिए गा रहे हैं। लेकिन जब यह सहस्रार में पहुंचती है तो सहस्रार में महामाया बन जाती है। सहस्रार में, उसे महामाया की शक्ति मिलती है, जिसके द्वारा उसके एक हजार पहलू होते हैं और वह आपको परखने और आपकी मदद करने के लिए भ्रम में डाल देती है – सहस्रार में।
लेकिन अन्यथा इसने कई बार अवतार लिया है। जैसा कि हम कह सकते हैं कि लक्ष्मी ने इस पृथ्वी पर सीता के रूप में, राधा के रूप में, ईसा मसीह की माँ मरियम के रूप में रूप में और अंततः आपकी माँ के रूप में अवतार लिया है: लेकिन यह केवल मध्य मार्ग है और महालक्ष्मी का एक सिद्धांत मात्र है।
तो अब यहाँ, तुम महालक्ष्मी के रूप में मेरी स्तुति कर रहे हो।
तो पहले कहते हैं, “हे महालक्ष्मी!” वह है माँ, “महामाया के रूप में हम आपकी स्तुति करते हैं” – आप ही वह है जो दुनिया की यह माया पैदा करती है। “और आप ही हैं जो हमें इस माया से बाहर निकालती हैं। और आप ही पीठ हो, या श्री चक्र का आसन हो। और सब देवता आपकी उपासना करते हैं।” – “श्री पीठे सुर पूजिते”
“शंख चक्र गदा हस्ते” – क्योंकि यह लक्ष्मी है, यह विष्णु की शक्ति है। उनके हाथ में शंख, चक्र और गदा है।
तो, “निर्मला देवी नमोस्तुते, महालक्ष्मी नमोस्तुते।”
अब फिर से, श्री विष्णु गरुड़ पर सवार हैं। तो “नमस्ते गरुड़ रूडे” – आप ही हैं जो गरुड़ पर सवार हैं।
यह बहुत वैज्ञानिक है। वह विष्णु की शक्ति है, नारायण की, विराट की, मध्य मार्ग – कितनी अच्छी तरह यह वर्णित है। तो उनके पास श्री विष्णु के सभी शस्त्र हैं। वह गरुड़ की सवारी करती है।
“कोल्हासुर भयंकरी” – वह वही है जिसने कोल्हासुर का वध किया था। कोल्हासुर वही है जो कोल्हापुर का रहने वाला था। उसने उसे वहाँ मार डाला, और वहाँ वह प्रकट हुई, मंदिर में प्रकट हुई। इसलिए कोल्हापुर में आपको महालक्ष्मी का मंदिर प्राप्त है।
और “सर्वपाप हरे देवी” – आप ही हैं जो हमारे सभी पापों को दूर करती हैं, हमारे सभी पापों को दूर करती हैं।
“महालक्ष्मी नमोस्तुते”
“सर्वज्ञे सर्ववरदे” – क्योंकि लक्ष्मी तत्व महालक्ष्मी बन जाती है, फिर विराटांगना बन जाती है, विराट की शक्ति है, वही है, तो आप सब कुछ जानते हैं क्योंकि यह ज्ञान है, यह सत्य है। यही सत्य, ज्ञान का सिद्धांत है।
तो, वह वह है जो सब कुछ जानती है – “सर्वज्ञ”
“सर्ववरदे” – आप ही हैं जो सभी आशीर्वाद देती हैं: वे महालक्ष्मी हैं जो आपको आशीर्वाद देती हैं।
“सर्वदुष्ट भयंकरी” – और आप ही हैं जो क्रूर लोगों के लिए एक भयानक व्यक्तित्व हैं – याद रखें – क्रूर लोग कौन हैं।
“सर्वदुख हरे देवी” – आप ही हैं जो लोगों के सभी कष्टों को हर लेती हैं। साथ ही श्री विष्णु का नाम धन्वंतरि है, जिसका अर्थ चिकित्सक है; नामों में से एक। इसका मतलब है कि विष्णु सिद्धांत आपको दर्द से राहत देने के लिए आपको ठीक करने की शक्ति रखता है। उस शक्ति से आप हमारे सारे दुख हर लेती हैं। यह सत्य है, है ना!
“सर्वदुख हरे देवी, महालक्ष्मी नमोस्तुते”
“सिद्धि बुद्धि प्रदे देवी” – आप ही हैं जो सिद्धियों की दाता हैं। अब आपके पास सिद्धियां हैं, आप कुंडलिनी उठा सकते हैं, आप लोगों को ठीक कर सकते हैं, आप सब कुछ जान सकते हैं। आपके मध्य तंत्रिका तंत्र पर सिद्धियां हैं, जिनके द्वारा आप पूर्ण ज्ञान को जानते हैं। तुम ही परम ज्ञान देने वाले हो। महालक्ष्मी के मध्य मार्ग से आपको परम ज्ञान का पता चलता है। तो आप सिद्धि और बुद्धि की दाता हैं। आप ही हैं जो हमें ज्ञान देती हैं, बुद्धि – बुद्धि है, शुद्ध बुद्धि है। शुद्ध बुद्धि मध्य मार्ग से आती है।
आप बस देखें कि उन्होंने कैसे वर्णन किया है।
तो आप चकित होंगे कि, यदि आप श्री कृष्ण या श्री राम, या श्री विष्णु या महालक्ष्मी, या लक्ष्मी का गीत गाते हैं, तो उनके पास वही गुण होंगे जो वर्णित हैं, क्योंकि वे एक ही व्यक्तित्व हैं।
यदि आपके पास उनके नाम हैं, तो वे कभी भी आपस में गड्ड मड्ड नहीं होंगे। शिव के अपने गुण होंगे, विष्णु के अपने गुण होंगे और ब्रह्मा के अपने गुण होंगे – वे आपस में नहीं मिलेंगे, वे सभी अलग हो गए हैं।
तो अब यहाँ दूसरे गुण क्या है कि, मध्य में, मध्यंकार, समुद्र के बीच में, समय के बीच, अंतराल भाग में, आप ही हैं जो हृदय में शिव की शक्ति बन जाती हैं। आप जानते हैं कि।
देखिए, कितनी साफ-साफ कहा गया है, कि, ”बीच में तुम शिव की शक्ति बन जाती हो और वही जो महेश्वर ,( जो शिव है) की शक्ति है।” तुम्हारा वही बीच का रास्ता बन जाता है।
“योगदे योग संभुते” – आप ही हैं जो योग प्राप्त करना संभव बनाते हैं। आप हमें इस तरह से बनाते हैं, ‘सम्भुते‘ का अर्थ है, ‘संभुत‘ का अर्थ है कि आप स्थिति को इस तरह से बना सकते हैं कि हमें हमारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति, योग मिल सके। इतना ही नहीं बल्कि आप साक्षात्कार देती हैं – यह महालक्ष्मी की भूमिका है।
आप अत्यंत सूक्ष्म और अत्यंत स्थूल बन सकते हैं। ताकि आप बहुत, बहुत सूक्ष्म चीजों के बारे में बात कर सकते हैं। और आप मनुष्यों में, हर चीज में, बहुत सूक्ष्म तरीके से प्रवेश कर सकती हैं और स्थूल लोगों को संभालने के लिए आप एक बहुत ही स्थूल रूप, एक स्थूल व्यवहार, एक स्थूल विधि भी अपना सकती हैं। मैं इसका उपयोग करती हूं, आप इसे जानते हैं।
“स्थूल सुक्ष्म महारौद्रे” – अब आप स्थूल हैं और साथ ही आप बहुत सूक्ष्म हैं और आप सबसे बड़ी विनाशकारी शक्ति हैं — ‘महारौद्रे‘। ‘रौद्र‘ शिव की शक्ति है, जो विनाशकारी है, लेकिन आप ही हैं जो महारौद्रे हैं। आपके पास शक्ति है, विनाश की सर्वोच्च शक्ति, विनाश की सबसे बड़ी शक्ति – महारौद्रे।
“महाशक्ति महोदरे” – आपका पेट बड़ा है और उसमें आपके पेट के भीतर सभी शक्तियां, महान शक्तियां हैं: ‘महारौद्रे, महोदरे‘
“महापाप हरे देवी” – आप ही हमारे सभी पापों को दूर करने वाली हैं। सिन अर्थात ‘पाप‘ है। और उसी की हम पूजा करते हैं।
“पद्मासन स्थिते देवी।” आप कमल पर विराजित हैं। आप कमल में बैठे हो। आप पाएंगे कि लक्ष्मी हमेशा कमल में खड़ी रहती हैं, लेकिन महालक्ष्मी कमल पर विराजमान हैं। आपने कोल्हापुर के मंदिर में देखा होगा कि उनके पास बहुत, बहुत बड़े कमल हैं [जो] वे देते हैं। वे वहाँ उगते हैं। वे कहीं और नहीं बल्कि वहीं उगते हैं – इतने बड़े, बड़े कमल। हिमालय में भी नहीं मिलेंगे, महालक्ष्मी मंदिर में।
देखें कि यह सब कैसे किया गया है। जो कुछ भी वर्णन किया गया है उसका प्रमाण आपको मिलता है!
अब वे वर्णन करते हैं, मान लीजिए, महाकाली को जो फूल पसंद हैं। तो यदि आप माउंट आबू में जाते हैं जहां अम्बा का यह मंदिर है, तो आपको वही फूल मिलेंगे जो चंपक हैं और वे सभी वहां अधिक हैं। फिर एक प्रकार की सुगंध जिसे वह गुलगुल नामक गोंद से पसंद करती है। उन्होंने उसके बारे में भी वर्णन किया है। और यही वह जगह है जहां आप इसे पाते हैं, अन्य कहीं नहीं।
कैसे धरती माता भी उन मर्यादाओं और अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए बनाए गए विभाजनों को बना रही है।
तो वह कमल पर विराजित है, बैठती है। वह वहाँ बैठती है और वहाँ स्वयं को स्थापित करती है। इसका अर्थ यह भी है कि वह आपके चक्रों के कमल पर विराजमान हैं और वह आपके कमल को स्थापित करती हैं।
तो, यहां के सभी केंद्रों में, यह महालक्ष्मी शक्ति है, विभिन्न रूपों और अभिव्यक्तियों में वह चक्रों के क्रियान्वयन का काम करती है।
यहाँ भी जहाँ मध्यान्तर बनती है, बीच में, थोड़े अंतराल में, जब वे बन जाती है, उस समय शिव की शक्ति होती है, वही महालक्ष्मी होती है।
तो सिद्धांत वही है, महालक्ष्मी का। महालक्ष्मी का सिद्धांत क्या है? उत्थान है। वह कुंडलिनी के उत्थान में मदद करती है। क्योंकि जब कुंडलिनी उठती है तो कुंडलिनी को ऊपर की ओर ले जाने के लिए, उसे नीचे नही गिरने देने के लिए, बहुत कुछ करना होता है, अलग-अलग समय पर अलग-अलग चक्र खोलने के लिए, और जिसे आप बंध कहते हैं, उस तरह से केंद्रीय मार्ग को बनाए रखना है। इस त्यारह से कि कुंडलिनी ऊपर धकेली जाए और इसे नीचे गिरने नहीं दिया जाये। वह सब महालक्ष्मी सिद्धांत के माध्यम से किया जाता है।
“परब्रह्म स्वरूपिणी” – वह परब्रह्म है। वह वह है जो सर्वव्यापी शक्ति है। उसके कारण हमें ज्ञान है। ईश्वर की उस सर्वव्यापी शक्ति के कारण ही हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है।
तो यह आपके मस्तिष्क के माध्यम से महामाया के रूप में कार्य करती है, आपकी नसों के माध्यम से बोध के रूप में, और आपके चारों ओर, आपको जानकारी मिलती है। तो आप पूरे ब्रह्मांड का अंग- प्रत्यंग बन जाते हैं और आप एक बहुत ही कुशल, पहले से ही प्रोग्राम किए गए कंप्यूटर बन जाते हैं।
वह एक सफेद पोशाक पहनती है। जब भी हमारे सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं तो मैं सफेद पहनती हूं: “श्वेतांबरा धरे देवी” – वह सफे] पहनती है। यही वह समय है जब मुझे साक्षात्कार देना है, इसलिए मैं महालक्ष्मी हूं। पूजा के समय मैं महाकाली या आदि शक्ति हूँ। महाकाली आदि शक्ति है…
(रिकॉर्डिंग में ब्रेक)
… जमीन से जुड़े व्यक्तित्व। “जगत स्थिते ” – डाउन टू अर्थ (व्यावहारिक)। और वह पूरे ब्रह्मांड की, इस दुनिया की मां हैं। तो महालक्ष्मी…
अब, ये दो अन्य श्लोक हैं जो कि, लोग निर्मला देवी के बारे में इन स्तोत्रों, इन मंत्रों को पढ़ते हैं, और पूरी लगन से करते हैं, उन्हें सभी प्रकार की सिद्धियाँ मिलती हैं जो कभी नष्ट नहीं होती हैं। वे हमेशा के लिए परमेश्वर का राज्य प्राप्त करते हैं। जो इसे एक बार पढ़ लेता है, वह आपके सारे पापों को दूर कर देता है। जो इसे दो बार पढ़ते हैं वे ध्यान में समा जाते हैं, समाधि अवस्था में – केवल दो बार!
यदि आप इसे तीन बार पढ़ते हैं, तो जो कोई भी ईश्वर विरोधी और आपको परेशान करता है, वह नष्ट हो जाता है।
सहज योगी : हमने दो बार ही किया श्री माताजी!
श्री माताजी: आपने इसे पहले ही दो बार कर चुके है आह? (हँसी)
तो, जो निर्मला देवी बनती है, अर्थात जो शुद्ध करती है, एक शुभ व्यक्ति बनती है, शुभ होती है, शुभ। क्योंकि वह एक है, वह प्रसन्न हो जाती है, अति प्रसन्न होती है। वह अति-प्रसन्न है और इस तरह वह आपको आशीर्वाद देती है और आप शुभ हो जाते हैं, क्योंकि आप स्वच्छ ह्रदय हैं, कोई अहंकार नहीं है, कोई कंडीशनिंग नहीं है, आपका चित्त बहुत साफ और ह्रदय साफ है।
यह वही है जो अब दोहराया गया है, “नमस्तेस्तु महामाये, श्री पीठे सुर पूजिते। शंख चक्र गदा हस्ते, श्री निर्मला देवी नमोस्तुते।”
मुझे कहना चाहिए, यह एक बहुत, सटीक, वैज्ञानिक अध्ययन है। नाम लेने पर भी। मैं उन लोगों पर जिन्होंने लिखा है चकित हूं। मुझे नहीं पता कैसे! जैसे पूजा के मंत्र। कितना सटीक विवरण है! आप सोचने लगते हैं कि उनके पास कितने दिव्य नेत्र रहे होंगे। मुझे लगता है कि कम से कम आपकी आंखें उस स्थिति तक विकसित होनी चाहिए जहां आप उन मंत्रों को देखें। हमें सृजन नहीं करना है, लेकिन उस प्रतिबिंब को देखना है, यह सच है या नहीं। यह बहुत शानदार लग रहा है लेकिन यह एक सच्चाई है। कुछ मंत्र वास्तव में, यह आश्चर्यजनक है कि वे कैसे जानते हैं! मैं खुद नहीं जानती कि उन्हें यह कैसे पता चला! (हँसी)। लेकिन उनकी खोज उनकी गहराई, उनका प्यार, उनका समर्पण और समझ यह दर्शाता है जोकि मैं हूं।
बेशक, इस स्तर पर मैं एक महामाया हूं: थोड़ा मुश्किल है, लेकिन फिर भी कोशिश करो। साथ ही बुद्धिजीवी, तथाकथित बुद्धिजीवी, ऐसे लोग हैं, जो मेरे विचार से पीछे की ओर चलेंगे। वे सामने नहीं देख सकते। यदि आप पीछे की ओर चलें तो आप क्या देखेंगे? वास्तविकता आप से परे जा रही है, पीछे की ओर। उनसे बात करना बहुत मुश्किल है। वे हमेशा कुछ ऐसा ढूंढ लेते हैं जो मेरे लिए बहुत आश्चर्यजनक रूप से मज़ेदार हो। लेकिन जिनके पास विकसित आंतरिक पक्ष है वे इसे इतना सटीक, इतनी स्पष्ट रूप से देखते हैं। मेरा मतलब है, ये बहुत समय पहले लिखे गए थे। बेशक, यह आदि शंकराचार्य ने लिखा है। लेकिन हजारों साल पहले उन्होंने चीजें लिखी हैं। मार्कंडेय की तरह उन्होंने मेरे घुटनों का वर्णन किया है, क्या आप कल्पना कर सकते हैं? क्या वह मेरे घुटनों तक रेंग आया होगा देखने के लिए या क्या? यह बिल्कुल वैसा ही है। और वे बताते हैं कि यहाँ तीन तह हैं, यह एक सच्चाई है। हर समय मेरे पास तीन तह होते हैं, जो मनुष्य के पास नहीं होते: एक यहाँ पर, दूसरा यहाँ, दूसरा यहाँ। मुझे रखना आवश्यक है।
भौहें वर्णित हैं, सब कुछ, यह आश्चर्यजनक है। उन्होंने मुझे कभी नहीं देखा, मुझे लगता है, अन्यथा। जैसी मैं इस पृथ्वी पर अवतरित हुई हूँ उस तरह मैं पहले कभी मौजूद नहीं थी। लेकिन उन्होंने मुझे बिल्कुल ठीक देखा, खासकर मार्कंडेय ने। जब आप इस स्थान वणी में जाते हैं, तो आप सप्तश्रृंगी के मंदिर में गए हैं ?- सप्तश्रृंगी का अर्थ है ‘जिसके सात शिखर हैं…‘
योगी: ‘शिखर‘
श्री माताजी : शिखर ! अगर मैं अंग्रेजी बोलती हूं तो यह मेरे लिए ठीक है लेकिन अनुवाद में मैं बहुत कमज़ोर हूँ!
तो शिखर सात चक्र हैं, और वह है आदि शक्ति। और चेहरा बिल्कुल मेरे जैसा है, एक हजार हाथों वाला। और वह एक मंदिर है जो अभी तक खराब नहीं हुआ है। लेकिन यह महालक्ष्मी मंदिर खराब हो गया है। उन्हें सारे भूत मिलते हैं: उनके सामने नहीं बल्कि पीछे। इसलिए हमें इन्हें हटाना होगा, और हम इसका प्रबंध करेंगे।
इसका किसी धर्म विशेष या किसी विशेष चीज से कोई लेना-देना नहीं है, यह आंतरिक समझ है, यह आंतरिक जागरण है, यह आंतरिक ज्ञान है, जो सत्य है। अब, कोई कह सकता है, “ईसा-मसीह ने क्यों नहीं कहा?” उसने एक तरह से किया, उसने किया। लेकिन जरा देखिए कि उनका जन्म कहां हुआ, जहां कोई परंपरा नहीं थी, कोई समझ नहीं थी। वह वहाँ ये सब बातें नहीं कह सकते थे, है ना? भारत में भी कितने लोग समझते हैं? मैंने इतने सारे लोगों से पूछा, “आप महालक्ष्मी के मंदिर में यह गीत क्यों गाते हैं जब आप अम्बे के बारे में बात करते हैं?” वे नहीं जानते थे। कोई नहीं जानता! जो लोग पूजा करते थे, उस मंदिर में रहे हैं, उनके पूर्वज और पूर्वज और पूर्वज रहे हैं, वे नहीं जानते। वे नहीं जानते। लेकिन कम से कम उनके पास पृष्ठभूमि है। लेकिन उस बैकग्राउंड का क्या फायदा जिससे आप कुछ भी नहीं समझते हैं? एक अंधे व्यक्ति की तरह, वह फूलों के बगल में खड़ा होता है या गधे के लिए, भगवान जाने।
अब आप ही वो लोग हैं जो जानते हैं। लेकिन फिर भी, हमें खुद देखना होगा। कई चमत्कार, कई चीजें होती हैं। मुझे आशा है कि आप तस्वीरें देखेंगे। क्या उन्होंने तस्वीरें देखी हैं?
योगी: हाँ श्री माताजी।
श्री माताजी : आप सभी ने देखा है? क्या आपने देवताओं को देखा है?
योगी: नहीं।
श्री माताजी: नहीं? हे भगवान, गेविन वे कहाँ है? यह बहुत आश्वस्त करने वाली है!
अभी तो ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं मैं ऐसे बैठी हूँ और जो कपड़ा दूल्हा-दुल्हन को अलग करता है वह बस अंदर है, तुम यहाँ, चारों ओर बैठे सभी देवी-देवताओं को देखते हो। उन सभी को! तब सभी दूल्हा-दुल्हन को प्रकाश का आशीर्वाद मिलता है। और आप सभी तीरों को देखते हैं, जो अभी वर्णित हैं, कि वह प्रेम के तीर भेजता है। और क्योंकि उनकी शादी हो रही है, कामदेव प्यार के अपने बाण भेजते हैं। फिर फूल हैं जो दुल्हनों के लिए दिव्य फूल हैं। और जिसने उस कपड़े को भी धारण किया है, उसका श्री चक्र बहुत स्पष्ट रूप से उभरा हुआ है। और तुम सब बैठे हो और तुम्हारे ऊपर प्रकाश है। यदि आप इसे दूसरी तरफ से देखें, तो यह मेरा नाम अरबी में लिखा गया है!
इसके अलावा, ऐसा लगता है, थोड़ा सा, आपका कार्डियोग्राफ। सबके पास प्रकाश है। हर कोई एक साकार-आत्मा है। यह खूबसूरत है। तुम्हें वह देखना चाहिए, और तब तुम अपने मूल्य को जानोगे, तुम अपनी स्थिति को जानोगे और तुम जानोगे कि तुम क्या हो – तुम सब साकार-आत्मा हो; न केवल साकार-आत्मा बल्कि सहजयोगी! आप सभी चक्रों के बारे में जानते हैं, आप जानते हैं कि कुंडलिनी को कैसे ऊपर उठाना है, आप बोध देना जानते हैं। ऐसे शक्तिशाली लोग इस पृथ्वी पर कभी नहीं रहे, कभी अस्तित्व में नहीं थे, कभी ज्ञात नहीं थे।
आप परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर चुके हैं। इतना ही नहीं, आप मंच पर हैं और हर कोई आपकी देखभाल कर रहा है। आपको ये तस्वीरें देखनी चाहिए और आप इसके बारे में आश्वस्त हो जाएंगे।
इन्हें एक साधारण छात्र ने लिया था, छोटे कैमरे से जो आपने उसे उपहार के रूप में दिया था। वह लाया और उसने कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा है कि यह सब अंग्रेजी क्या है।” बेचारा! इस या उस तरह से देखने की कोशिश कर रहा है। आप सभी को इसे ध्यान से देखना चाहिए, और फिर हम इसे एनलार्ज़ करेंगे और हम इसे लोगों तक पहुंचाएंगे। हमारे सभी सेंटरों में यह होना चाहिए।
क्या तुमने आकाश में मेरी तस्वीरें देखी हैं? आपने मेरे घर प्रतिष्ठान पर चैतन्य की तस्वीरें देखी हैं। लेकिन ये बहुत ही उल्लेखनीय तस्वीरें हैं ऐसा मुझे अवश्य कहना चाहिए। जिनसे आपको आपकी शक्तियों के बारे में, आपकी महानता के बारे में विश्वास प्राप्त होना चाहिए कि आप बहुत अलग हैं, विशेष लोग हैं और आपको विशेष लोगों की तरह रहना है, न कि “मेरी पत्नी ऐसी है!” “मेरे पति को यह पसंद है,” “मेरे बच्चे को यह पसंद है।” से नीचे गिर जाना चाहिए| आपके भाई और बहन कौन हैं? ज्ञानेश्वर ने कहा, “वे सभी संबंधित होने जा रहे हैं।” “सोएरी का होता है।” “वे सभी संबंधित होंगे, जो हैं …” उन्होंने आपको एक बहुत ही उत्कृष्ट चीज के रूप में वर्णित किया। “वे महासागर हैं। उनमें से हर एक अमृत का सागर, बात करने वाला महासागर, या बोलने वाला महासागर है। और वे वरदान देने वाले वृक्षों के बड़े वन हैं।” यह आप हैं! वह आपका वर्णन इस तरह करते है। मेरा मतलब है, उन्होंने कभी अतिशयोक्ति नहीं की। तो वे कहते हैं, “जंगलों आगे आओ! तुम वरदान देने वाले वृक्षों के वन हो।”
तो, चलिए एक एक करके शुरू करते हैं आह?
हा! आप देवदूतों को भी देखें। तो पहला देवताओं के साथ है: मैं मध्य में एक ह्रदय की तरह दिख रही हूं और बाकी मेरे पीछे देवताओं के रूप में बैठे हैं। आप सभी इसे एक साथ देख सकते हैं। यह पहले वाला है।
ठीक है। अब, यहाँ दूसरा है जब आप देवदूतों को उनके पंखों के साथ पाते हैं। आगे बढ़ाओ!
अब, ये प्रेम के तीर हैं। आगे बढ़ाओ।
अब ये दूल्हे पर आशीर्वाद हैं।
अब यहाँ मैं एक सफेद घड़े की तरह दिखती हूँ और यहाँ सभी चैतन्य मुझसे बाहर आ रहे हैं। सफेद मैं हूँ।
आपको देवताओं को देखना चाहिए [पहले]! आप देखिए, एक-एक करके आपको [श्रृंखला] अवश्य देखनी चाहिए। यदि आप इसे दूसरी तरफ देखते हैं।
अब यहां हैं दैवीय फूलों से लदी दुल्हनें।
यह उस कपड़े को धारण करने वाले का श्री चक्र है।
यह मेरा नाम है जो तुम्हारे सिर के ऊपर लिखा हुआ है। यदि आप दूसरी तरफ देखते हैं तो आप देख सकते हैं, यदि आप अरबी जानते हैं। हर कोई! मैंने हमेशा तुमसे कहा है कि वायब्रेशन आधे अल्पविराम या पहले दिन के चंद्रमा जैसे दिखते हैं। और तुम देखो, मैं, जैसे चैतन्य का एक बंडल।
योगी: यह [लिखा हुआ] ‘अल्लाह‘ – यह ईश्वर का नाम है।
श्री माताजी : लेकिन अगर आप इसे ऐसे ही रखेंगे तो यह मेरा नाम है। आप देखिए यह ‘निर्-माला‘ है। और यदि इस तरफ से देंखें तो ‘अल्लाह‘। इस तरफ से देखें तो ‘अल्लाह‘ और इस तरफ से ‘निर्मला‘ है।
योगी : ओह!!! (तालियाँ)।
श्री माताजी: ‘अल्लाह‘ विराट है। यह वो है जहां हनुमान मेरे सामने बैठे थे। मैं वह सब देखती हूं लेकिन आप नहीं देख पाते हैं, यही तो परेशानी है। मेरे ख्याल से आपने हनुमान का वह चित्र देखा है।
योगी: (हँसी)
श्री माताजी: ये दो नाम एक सिक्के के दो पहलू हैं: एक है ‘निर्मला‘ और दूसरा है ‘अल्लाह‘। इसके अलावा यह ‘निर्मला‘ और ‘सदाशिव‘ है। इसके अलावा यह ‘निर्मला‘ और ‘ब्रह्मदेव‘ है। तो अल्लाह यहोवा के समान है। यहोवा?
योगिनी: यहोवा।
श्री माताजी : इसे दूसरों को देखने के लिए आगे बढाएं।
हमें इस चित्र को बड़ा करना होगा और हम उन्हें एनलार्ज करवा देंगे, है ना गेविन?
जहां बैलगाड़ियां हैं वहां यह गायब है।
तो मुसलमानों के दिमाग में कुछ समझ आना चाहिए: इसलिए यह अरबी में है! वे सबसे अंधे लोग हैं जिनके भी बारे में आप कभी सोच सकते हैं, कट्टर! यह पागल खुमैनी: वह मर रहा था, फिर भी वह जीवित है। जब वह मर रहा हो तो उसे प्रसन्नता का अनुभव नहीं करना चाहिए। उसे मरने दो!
क्या मैं उन्हें (तस्वीरें) वापस ले सकती हूं? (हँसी)
महिलाओं ने देखा है? आप सभी इसे सबसे पहले उस तरफ बढायें।
अगर किसी ने ये सब नहीं देखी है?
कम से कम नहीं बल्कि अंतिम: यह आप सभी को समझना है कि नेतृत्व एक मिथक है। परमेश्वर के राज्य में अगुवा जैसा कोई नहीं है। ऐसा नहीं है कि किसी नेता को पहले अंदर जाने को कहा जाएगा। ऐसा कुछ नहीं! (हँसी)
लेकिन सबसे खराब हैं नेताओं की पत्नियां, वे खुद को नेता समझने लगती हैं। यह सबसे खराब हैं! नेताओं की पत्नियों को नेता मत समझो। और उन्हें किसी का मार्गदर्शन करने या किसी को बताने का कोई काम नहीं है। उस बिंदु पर बहुत सावधान रहें! ऐसी सभी पत्नियाँ का क्या अंजाम होगा मुझे नहीं पता। यह बहुत आम बात है कि जिन महिलाओं में कुछ भी नहीं है वे अपने पति की महिमा का आनंद लेने की कोशिश करती हैं। आपने देखा कि कितने प्रधान मंत्री ऐसे हैं, उनकी पत्नियां? उनमें से बहुत से हमारे सामने हैं: श्रीमती कैनेडी हमारे सामने थी, हमारे सामने माओ त्से तुंग की पत्नी थी, हमारे पास चंग काई शेक की पत्नी थी, इस कार्लोस की भी …
योगी: श्रीमती मार्कोस।
श्री माताजी: आप देखिए कि नेताओं की पत्नियों को खुद को गैर-पहचान के रूप में रखना चाहिए। कोई भी महिला जो इस तरह की कोशिश करती है, वह पूरे संगठन को नुकसान पहुंचाएगी। जैसे लोग कहते हैं नैंसी रीगन अपने पति पर राज करती हैं। कल्पना करना! वह शर्मनाक बात करती है! अम्बव की पत्नी ने उसे बर्बाद कर दिया, ऐसा वे कहते हैं। मेरा मतलब है कि वे हर जगह इस तरह की बात करते हैं।
इसलिए किसी भी नेता की पत्नी के साथ नेता जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए! कोई महत्व नहीं देना चाहिए। और उन्हें उनके उचित स्थान पर ही रखा जाना चाहिए। सबसे पहले तो उन्हें लगाने लगता है कि वे बहुत मेहनत करते हैं। भगवान जाने वे क्या काम करते हैं! वे खुद का कोई अंत नहीं सोचते हैं। अन्य सभी की तरह उन्हें भी बहुत मेहनत करनी होगी। वे भी अन्य सभी महिलाओं की तरह हैं, उनके पास कोई विशेष पद नहीं है। यही असली सहज योगिनी की निशानी है।
आप चकित होंगे, हालाँकि मैं आदि शक्ति हूँ, मैं कभी भी, अपने पति के कार्यालय में कभी नहीं जाती, कभी उन्हें टेलीफोन नहीं करती, कभी उनके कार्यालय से किसी का उपयोग नहीं करती। न ही मैं उनके किसी भी व्यक्ति को फोन करती हूँ, चाहे कितनी ही कठिनाई क्यों न हो, चाहे मैं सहजयोग करूँ अथवा नहीं। और यही मैंने जीवन भर किया।
मैं उनके किसी भी कार्यालय में सहज योग का प्रचार नहीं करती। उनके कार्यालय का कोई भी हो मैंने कहा, “बाहर रहो! जब तक मेरे पति आपके साथ काम कर रहे हैं तब तक आपको सहज योग में अनुमति नहीं है। और अगर मैं उसे फोन करूं तो अवश्य ही वे सोचेंगे कि मेरा एक्सीडेंट हो गया होगा! वह बहुत परेशान हो जायेंगे।
लेकिन पिता या पति की महिमा का फायदा उठाना यह प्रदर्शित करता है कि उस स्त्री का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं है: वह अवश्य ही एक निकम्मी स्त्री होगी। ऐसी महिलाओं के लिए कोई विशेष सम्मान न दिखाएं! अन्य सभी सहज योगिनियों की तरह उन्हें भी अपनी मर्यादा में खड़ा होना चाहिए। नेताओं की पत्नी होने के नाते उन्हें कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं है। उन्हें विनम्र, बुद्धिमान होना होगा। उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी।
मुझे अपने पति के लिए बहुत काम करना होता है: मैं उनके दोस्तों के लिए खाना बनाती हूं और उनकी चीज़ें साफ करती हूं। मैंने उनके लिए बहुत कुछ किया है। मैंने उनके जहाजों को सजाया है। उन्होने जैसा भी काम किया है। मुझे उनके क्लर्क और उनके चपरासी, उनके अधीनस्थों को खाना खिलाना होता है। सब कुछ मैंने किया है, बहुत कुछ किया है। लेकिन मैंने कभी नहीं, एक बार भी कुछ भी नहीं मांगा। मुझे उनके सचिवों के लिए उनके अन्य लोगों के लिए उपहार लाने होते हैं। मुझे लगता है कि क्रिसमस से पहले मुझे उन सभी को उपहार देने होंगे। मैं हर तरह का काम करती हूं, लेकिन कभी भी ड्राइवर से गाड़ी लाने या यहां तक कि दवा लाने या यहां तक कि जो पत्र आया है उसे लाने के लिए भी नहीं कहा। यही रवैया होना चाहिए, यही आपकी गरिमा की निशानी है। तुम यहाँ इसलिए नहीं हो क्योंकि तुम किसी की पत्नी हो! आप यहाँ हैं क्योंकि आप सहज योगी और सहज योगिनी हैं।
ये सभी जटिलताएँ इसलिए उत्पन्न होती हैं क्योंकि आपका ध्यान पति या पत्नी पर अधिक है और मुझ पर नहीं है, और आप मुझे पर्याप्त रूप से प्यार नहीं करते हैं। अगर तुम मुझसे प्यार करते हो तो तुम मुझे अच्छी तरह से जानोगे। उन लोगों की तरह जो मुझे जानते हैं, वे केवल मुझसे प्यार करते हैं। और मुझे तुम्हारे प्रेम से कुछ नहीं मिलता, तुम्हें मुझसे प्रेम करके कुछ पाना है।
यह आखिरी संदेश है जो मैं तुम्हें दे रही हूं।
भयानक चीजें मैंने नेताओं के साथ होती देखी हैं – और विभिन्न आश्रमों और विभिन्न शहरों और विभिन्न देशों के साथ होती देखी हैं -इस वजह से क्योंकि पत्नी एक नकारात्मक महिला है। और हमेशा, नकारात्मकता हमेशा पत्नियों के माध्यम से ही गुजरती है।
आप हमेशा राजनेताओं को उनके बच्चों, उनकी पत्नियों, किसी और के माध्यम से आक्रांत हुए पाएंगे। और अगुवाओं को चाहिए की उन्हें उनके उचित स्थान पर रख दें।
आपने देखा होगा जब मेरी बेटी आई और मैंने उसे स्टेज पर आने को कहा तो वह नहीं आई। वह एक कोने में बैठ गई, वह नहीं करेगी। मुझे उससे कहना पड़ा था कि, “कम से कम सामने आ जाओ!” वह नहीं करेगी।
पत्नियां हमेशा अधिक आसानी से प्रभावित होने वाली होती हैं, नकारात्मकता के प्रति संवेदनशील होती हैं, इसलिए उन्हें बेहद सावधान रहना होगा। उन्हें कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।
अब, मैंने देखा है कि यदि वे अति लोभी पत्नियाँ हैं, भयानक हैं, भयानक हैं! नेता उस पद पर अपनी स्थिति के कारण हैं, न कि अपनी पत्नियों के कारण। इस मामले में मैं मुस्लिम हूं मुझे लगता है।
यदि यह एक महिला है जो नेता है, तो उसे हर समय अपने पति का चेहरा देखते नहीं रहना चाहिए, उसे जब भी कुछ कहना हो। उसे एक नेता की तरह व्यवहार करना चाहिए और एक निश्चित सीमा से अधिक अपने पति की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए: ऐसा करना सहज योग में मायने नहीं रखता। ठीक है? मुझे आशा है की तुम समझ गए होगे।
महिलाएं पुरुष के पीछे की शक्ति हैं और वे अपने पति की शक्ति की अभिव्यक्ति नहीं हैं। उन्हें अपने पतियों को शक्ति देनी है न कि अपने स्वयं के उपयोग के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करना है। यह एक ऐसे व्यक्ति की निशानी है जो बहुत निम्न स्तर का है और जिसका कोई स्वाभिमान नहीं है। बहुत सूक्ष्म तरीके हैं [जिसके द्वारा] वे खुद को मुखर करती हैं, इसलिए बहुत, बहुत सावधान, बहुत, बहुत सावधान रहें।
सभी सहज योगियों को यह भी याद रखना चाहिए कि आपके पति या पत्नी सहज योग में आपका मार्गदर्शन न करें।
दूसरी बात यह है कि ‘प्यार‘ के नाम पर आप एक-दूसरे को गले लगाते रहते हैं। कृपया ऐसा मत करो! कुण्डलिनी प्रभावित हो जाती है। एक दूसरे को चूमना। यह ठीक है कि पुरुष पुरुषों को गले लगा सकते हैं, महिलाएं महिलाओं को गले लगा सकती हैं। लेकिन बहुत ज्यादा नहीं – [यह] इतना अच्छा भी नहीं है। हो सकता है कि कोई भूत ऐसा इसलिए करता हो क्योंकि वह अपने भूतों को आपके शरीर में पहुंचाना चाहता है। इससे दूर रहना ही बेहतर है। लेकिन किसिंग का धंधा तुरंत बंद होना चाहिए। मेरा मतलब है, हर किसी को चूमने का यह फ्रेंच तरीका भयानक है! आपको झटका लगता है, आप जानते हैं। जब भी आप किसी फ्रांसीसी व्यक्ति से मिलते हैं तो आप को पता ही नहीं होता है कि वह आपको किस करने जा रहा है!
ये हमारी निजी बातें हैं, किसे चूमना है, किसे नहीं चूमना है। हम इस तरह हर व्यक्ति के सामने अनावृत कैसे हो सकते हैं? यहां तक कि बच्चों को भी ज्यादा किस नहीं करना चाहिए और अगर आपको किस करना ही है तो उनके हाथों और सिर पर किस करें।
फिर स्नेह, प्रेम और करुणा के नाम पर हम भूतों के पास जाते हैं। अब अगर कोई बीमार है, मान लीजिए, एड्स से, आपका उस व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है। कोई भी जो बीमार है आपको उस बीमार व्यक्ति के साथ कुछ नहीं करना है। बस मेरी तस्वीर दो,शेष मैं देख लूंगी।
चूँकि आपके पास करुणा है इस नाते आपको किसी बीमार व्यक्ति के पास जाने और उसका उपचार करने की आवश्यकता नहीं है। मुझ से अधिक करुणा तुम में नहीं है, और मैं पति, पत्नी और डेढ़ बच्चे के छोटे परिवारों में विश्वास नहीं करती।
मैं मानती हूं और आपको भी मानना चाहिए, जो सच है, सबसे बड़े परिवार में, बड़े परिवार में, जहां हम सब एक मां के अंग-प्रत्यंग \ संतान हैं। इसलिए अपना ध्यान अपने पारिवारिक मामलों पर बर्बाद न करें — आप कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
पहले आपको परिवार पर विश्वास नहीं था, आपको अपने बच्चों पर विश्वास नहीं था। अब आप अपने परिवार में बहुत अधिक विश्वास करते हैं, अपने बच्चों में बहुत अधिक। बस वही है, क्या फर्क पड़ता है? तुम घड़े में हो या नदी में, बात एक ही है: तुम पानी में हो ना।
तो हम इस तरह के छोटे पारिवारिक मामलों में विश्वास नहीं करते हैं, “मेरी पत्नी, मेरा बेटा, मेरा यह।” इन सीमाओं को तोड़ा जाना चाहिए और आपको पहले और आखिरी में खुद को सहज योगी समझना चाहिए। बेशक वैसे आप एक पति है, आपकी एक पत्नी है, आपके बच्चे हैं, लेकिन उन्हें आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। आपके पास आपकी आत्मा प्रमुख और एकमात्र हिस्सा है। शेष सब कुछ वैसे ही है। यदि वे आत्मसाक्षात्कारी हैं, यदि वे सहज योगी हैं [तो] ठीक है, वे आपके साथ हैं।
अब सबसे आखिरी है कि जब भारत से लड़कियां आती हैं, तो ये मत सोचो कि वे सभी देवी हैं। उन्हें सर पर मत चढ़ाओ! उन्हें ऐसा मत कहो कि वे महान हैं: “तुम बहुत सुंदर दिखती हो।” तुम देखो, एक लड़की इटली आई और सभी लोगों ने कहा, “तुम एक शास्त्रीय सुंदरी हो।” आप कल्पना कर सकते हैं? और यह ‘शास्त्रीय सुंदरी‘ अड़तीस साल तक शादी नहीं कर पाई! और वह वास्तव में यह मानती थी [कि] वह एक ‘क्लासिकल ब्यूटी‘ थी। मुझे नहीं पता कि वह अपने बारे में क्या सोचती थी। और अंत में वह पागल हो गई, उसने अपने पति को पागल बना दिया। इसलिए उनके साथ देवी-देवताओं जैसा व्यवहार न करें। वे भारतीय हैं, तो क्या? वे आपके जैसी ही हैं – इतना खास कुछ नहीं! लेकिन जब वे यहां आती हैं तो आप उन्हें दुलारने की कोशिश करते हैं, उन्हें उपहार देते हैं, उनकी देखभाल करते हैं। फिर वे नटखट हो जाती हैं, असभ्य हो जाती हैं और फिर आप दुखी हो जाते हैं। उनके साथ किसी अन्य महिला की तरह ही व्यवहार करें।
खासतौर पर महिलाएं बहुत तेजी से अपना संतुलन खो देती हैं। भारत में शादी के बाद उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता।
और बड़ी, बड़ी समस्याएं तुमने मुझे पैदा की हैं। एक महिला है जो फ्रांस आई थी: आपने उससे ऐसा मजाक किया, अब मुझे नहीं पता कि उसके साथ क्या करना है क्योंकि पति उसे नहीं चाहता, पिता उसकी देखभाल नहीं कर सकता। एक और स्विट्ज़रलैंड आयी, एक और भयानक। और वे जानती हैं कि अब आपको कैसे संभालना है और वे जानती हैं कि आपको कैसे डराना है। उन्हें नीचे रखो! यदि वे दुर्व्यवहार करती हैं तो मैं आपको उन्हें दो थप्पड़ मारने की भी अनुमति देती हूं। चूँकि वे भारत से आती हैं, वे कुछ महान नहीं बन जाती। वे इंसान हैं, आप इंसान हैं। वे सहजयोगी हैं, आप सहजयोगी हैं। उनका माथा मत खराब करो। उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट न दें। वे अन्य सभी सहज योगियों की तरह ही हैं।
यह बहुत ही आश्चर्यजनक है: इसने मुझे इतनी परेशानी दी है। उनमें से कुछ काफी नकारात्मक, वामपंथी हैं। सावधान रहें! बहुत लेफ्ट साइडेड। और उनमें से कुछ बहुत ही राईट साइडेड भी हैं। तो यह उचित भी नहीं है इसलिए फिर हमें उन्हें अकेला छोड़ देना है और फिर यह सहज योग में हमारे लिए एक बदनामी है। उनके साथ आम लोगों की तरह ही व्यवहार करें और अगर वे दिखावा करने लगें तो आप मुझे बताएं।
यह बहुत महत्वपूर्ण है। भारत से कुछ बहुत समझदार महिलाएं हैं। मैं कहूंगी कि जो यहां आईं उनमें से छाया एक हैं, रेजिस की पत्नी। वह बहुत ही संवेदनशील है। हाँ, हमारे पास कुछ बहुत ही समझदार, बहुत, बहुत परिपक्व महिलाएँ हैं, लेकिन कुछ मूर्ख भी हैं। उनमें से कुछ की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी। वे कभी-कभी बहुत गरीब परिवारों से आते हैं। कभी-कभी वे ऐसे परिवारों से आते हैं जहां उन्होंने बहुत कुछ सहा हो और अचानक उनका माथा घूम गया हो। तो सावधान रहें! उनमें से कुछ अमीर परिवारों से हैं इसलिए उनके दिमाग असंतुलित हैं! उन्हें संतुलित रखें।
मुझे लगता है कि आपको वहां कुछ समस्या है?
(रिकॉर्डिंग का अंत)