Guru Puja: The Gravity of Guru Principle

Camping Borda d'Ansalonga, Ansalonga (Andorra)

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गुरु पूजा, गुरु सिद्धांत का महत्व

अंसलॉन्गा, एंडोरा, 31 जुलाई, 1988

आज हम सब यहाँ आपके गुरु की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि गुरु तत्व भवसागर में स्थित है। यही वह सिद्धांत है जो आपको संतुलन देता है, जो आपको आकर्षण-शक्ति देता है। आपके गुरु तत्व के माध्यम से हमारी पृथ्वी माता में जो गुरुत्व है वह अभिव्यक्त होता है।

गुरुत्वाकर्षण का पहला बिंदु यह है कि आपके पास एक व्यक्तित्व, एक चरित्र और एक ऐसा स्वभाव होना चाहिए कि लोग देखें कि आप एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सांसारिक चीजों में नहीं शामिल नहीं हो जाते। यह एक ऐसा व्यक्तित्व है जो जीवन के झमेलों से बर्बाद नहीं होता है। उसके अस्तित्व में  एक गुरु का व्यक्तित्व गहराई से बैठ जाता है और किसी भी लिप्त कर लेने वाली परिस्थिति में भी आसानी से विचलित नहीं होता है, उसमे आसक्त नहीं हो जाता।  गुरु का पहला सिद्धांत यही है- निर्लिप्तता।

जैसा कि मैंने आपको बताया, यह कुछ ऐसा है जिसे किसी भी बात में लिप्त  नहीं जा सकता। यह किसी के व्यक्तित्व में बहुत गहराई तक बैठ जाता है। इसलिए यह पानी में तैरता नहीं है।

अभी आप देखते हैं कि जो देश बहुत विकसित हैं, उनमें हम सोचते हैं कि हमारे पास व्यक्तिगत उपलब्धि की बहुत बड़ी शक्ति है, कि व्यक्तिगत रूप से हम बिल्कुल स्वतंत्र हैं और हम जो चाहें कर सकते हैं; और इसीलिए सामूहिकता की उपेक्षा करते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक देशों का लक्ष्य बन जाती है।

बेशक,  व्यक्ति महत्वपूर्ण है, और निश्चय ही समूह के पोषण के लिए इसे बिलकुल ठीक होना चाहिए। लेकिन अगर व्यक्ति में गुरुत्वाकर्षण नहीं है, तो वे सतह पर बहते रहते हैं और कुछ भी उन्हें प्रभावित कर सकता है। इसलिए आजकल हम देखते हैं कि लोग ऐसे फैशन से भी प्रभावित हो जाते हैं जो किसी भी तार्किक कारण से आपके स्वास्थ्य के लिए, आपकी बुद्धि के लिए अच्छा नहीं है।

कोई फैशन आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, न ही व्यक्तित्व के रूप में आपके विकास के लिए। कभी-कभी आप इसके साथ बहुत अजीब लगते हैं, इतने विचित्र, इतने बेवकूफ़। फिर वे आपसे प्रश्न पूछते हैं: “बेवकूफ बनने में क्या बुराई है? मूर्ख बनने में क्या बुराई है?” कारण यह है कि आपको व्यक्तिगत स्वतंत्रता है, लेकिन आपका व्यक्तित्व विकसित नहीं हुआ है, आपका व्यक्तित्व शून्य है। आपका कोई व्यक्तित्व बचा ही नहीं है। आप खुद से कुछ भी तय नहीं कर सकते – जो भी फैशन हो आप बस उसके पीछे भागते हैं।  पश्चिमी देशों की यही स्थिति है। लेकिन भारत जैसे देशों में भी अब ये किसी तरह के दीवानेपन में हैं। क्योंकि उन्हें अभी भी उस तथाकथित संपन्नता से गुजरना है जो आपके पास है, इसलिए वे उन्माद को अपनाएंगे। जैसे, मान लीजिए, कोई किसी के पास बहुत सुंदर कालीन देखता है, तो वे उस कालीन को खरीदने के लिए दौड़ पड़ेंगे। वे अपने लिए चीजें पाने के लिए कुछ भी करेंगे। तो जैसे तुम लोग फैशन की तरफ मुड़ते हो उसी तरह से ही वे भौतिकवाद की ओर भी मुड़ते हैं।

एक बिंदु तक वैयक्तिकता ठीक है, लेकिन फिर यह पागलपन बन जाता है। खासकर पश्चिम में व्यक्तित्व इतना गिरा हुआ है, इतना गायब है कि कोई भी उद्यमी कोई भी सनक, कोई भी छाप विकसित कर सकता है और हर कोई उसके पीछे भागता है और प्रभावित होता है। जैसे कोई बैवकुफ खुद को किसी नाम से पुकारे। जैसे, वह खुद को किसी विचित्र नाम से पुकार सकता है – अब, कहें, ‘पॉइज़न’ (क्रिश्चियन डायर द्वारा एक ब्रांडेड परफ्यूम), जैसा उन्होंने नाम दिया है। अब सबके लिए ‘जहर’ खरीदना बड़ी बड़ी बात है। क्योंकि यह छाप किसी मूर्ख व्यक्ति द्वारा प्रमोट किया गया है और इसलिए सभी को वह खरीदना चाहिए। इसमें कोई खास बात नहीं है। यह कुछ खास नहीं है। यह उल्लेखनीय नहीं है। ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको कुछ महान बना देगा। लेकिन लोग उस विशेष उत्पाद को खरीदेंगे, क्योंकि उसका एक ब्रांड है जिसे हर कोई स्वीकार करेगा – “ओह! यह उस विशेष ब्रांड से है!” और यह इसके बारे में ऐसा पागलपन है।

फिर ऐसा बालों की शैली से लेकर आपके पैरों की शैली तक, आपकी गर्दन की शैली तक, आपकी नाखून शैली तक, आपकी भौंह शैली हर कहीं तक आता है। मेरा मतलब है, कुछ भी,  आप अपने शरीर के साथ कोई भी मूर्खतापूर्ण चीज जो भी कर सकते हैं, उपलब्ध है और लोग इसे अपनाते हैं क्योंकि उनमें कोई गुरुत्व नहीं है। जिन लोगों में गुरुत्व होता है वे इस तरह के बदलावों को स्वीकार नहीं करते हैं। पहले तार्किक रूप से, वे यह जानने की कोशिश करेंगे कि यह बदलाव अच्छा है या नहीं। लेकिन केवल इसलिए कि यह एक बदलाव है, यह एक सनक है, यह एक फैशन है, वे इसे अपना नहीं लेते हैं।

गुरुत्व का मनुष्य में एक लक्षण यह है कि वह तिनके की तरह सतह पर नहीं तैरता बल्कि समझ के गहरे ताल में एक सुंदर मोती की तरह रहता है।

तो जो लोग आज यहां गुरु की पूजा करने के लिए हैं, उन्हें अपने भीतर अपने गुरु की पूजा करनी होगी और यह समझना होगा कि सबसे पहली बात और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे रवैये में गांभीर्य होना चाहिए। उसके लिए आपको शिक्षा की आवश्यकता नहीं है, विश्वविद्यालय की शिक्षा की। आपको किताबें पढ़ने की जरूरत नहीं है, आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। केवल एक चीज है कि आपको अपनी मूल्य प्रणाली को सुधारना  होगा।

जब आपके आचरण की  प्रणाली सही हो जाती है, तो आप समझ जाते हैं कि समाज के लिए क्या अच्छा है, आपके लिए क्या उचित है। उदाहरण के लिए, यदि यह कमल का फूल है, तो यह कभी भी गंदगी और मैल नहीं फेंकेगा। सुगंध तो सदा रहेगी ही, गुलाब हो या कोई और सुगंधित वस्तु हो, सुगंध तो निकलेगी ही। यह किसी ऐसी चीज का उत्सर्जन नहीं कर सकता जो गंदी हो।

अब जो लोग सोचते हैं कि वे गुरु हैं और उन्होंने उस गुरुत्वाकर्षण को प्राप्त कर लिया है, वे कभी भी कुछ ऐसा नहीं लिखेंगे जो भद्दा हो, कुछ ऐसा कहें जो बुरा हो, वे कभी भी किसी भी गंदी और गलत चीज की सराहना करने के लिए अपने दिमाग का उपयोग नहीं करेंगे। यह आपके आचरण की मूल्य प्रणाली का दूसरा संकेत है।

अपने मूल्य प्रणाली में आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि शुभता क्या है, दिव्य सौंदर्य क्या है और आत्मा की नैतिकता क्या है। इन तीन चीजों को महसूस किया जाना है और आपके अस्तित्व का अंग होना है ताकि जब लोग आपको देखें, तो वे कहें, “अब, यहां एक ऐसा व्यक्ति है, हम देख सकते हैं, जिसके पास वह गुरुत्वाकर्षण है। यहाँ वह व्यक्ति है जिसके पास वह सौंदर्य है। यह अंदर, बाहर कार्यान्वित होता है। एक व्यक्ति जिसके अंदर ऐसा संयम है वह एक शालीन तरीके से कपड़े पहनता है। वह दूसरों को प्रभावित करने के लिए, या सिर्फ दिखावा करने के लिए या कुछ छिपाने के लिए या कुछ उजागर करने के लिए कपड़े नहीं पहनता है; लेकिन सिर्फ अपने शरीर का सम्मान करने के लिए, वह कपड़े पहनता है।

जब वह दूसरों से बात करता है, तो वह ज्ञान की बातें करता है। वह व्यर्थ की बातें, फालतू की बातें और बहुत ही घटिया स्तर की बातें नहीं करता। मैं कहूंगी, अपने उद्यमों में, उनके पास एक प्रकार की शालीनता और मर्यादा है: ऐसे व्यक्ति की तरह जो कोई विशेषज्ञ बनने की कोशिश कर रहा हो। गुरु की भक्ति करने वाला व्यक्ति अपने कार्य में निपुण होने का प्रयास करता है। जैसे मान लीजिए कि कोई व्यक्ति इंजीनियर है: उसे पैसे की परवाह नहीं है, उसे प्रसिद्धि की परवाह नहीं है, उसे दूसरों की प्रशंसा की परवाह नहीं है। जिस बात की वह परवाह करता है कि, वह वास्तव में अपनी विषय वस्तु को समझे? यह औसत दर्जे का नहीं होगा। एक संगीतकार को पूरी तरह से संगीतकार होना चाहिए, एक कलाकार को एक आदर्श कलाकार होना चाहिए। वह विशेषज्ञता के सामान्य तरीकों का उपयोग नहीं करता है, बल्कि अपनी भावना के साथ, अपनी आत्मा के मार्गदर्शन से, वह सुधार करने की कोशिश करता है।

जैसे कोई कवि है तो वह भाव के स्तर पर अपनी कविता को उन्नत करने  की कोशिश करता है, पैसे के स्तर पर नहीं। क्योंकि आम तौर पर, लोग ज्यादातर लोगों को खुश करने के लिए चीजें लिखते हैं, ताकि वे अपनी किताबें बेच सकें; या कुछ गंदी चीज जो समाज के लिए हितकारी नहीं है, न ही लेखक के नाम के लिए। उन्हें कोई परवाह  नहीं है और वे इसके बारे में बेशर्म हो जाते हैं।

तो, न केवल कि गुरु के पास स्वयं आचरण की मूल्य प्रणाली होती है, बल्कि अपनी जीवन शैली के माध्यम से, अपने स्वयं के उपदेशों के माध्यम से, अपने स्वयं के व्यवहार के माध्यम से, वह अन्य लोगों पर गुरुत्वाकर्षण प्रसारित करता है; वह दूसरों पर गुरुत्वाकर्षण विकीर्ण करता है।

तो यह हमारे मूल्य प्रणाली, एक संतुलन की मूल्य प्रणाली का निर्माण करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर कोई एक विषय का विशेषज्ञ भी हो गया है तो वह दूसरे पक्ष की उपेक्षा कर दे। यह संतुलन में है। इसे संतुलन में होना चाहिए,  कहने के लिए , उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो एक संगीतकार है और पेंटिंग को नहीं समझ सकता: वह कलाकार नहीं है। मान लीजिए कि आप एक कलाकार हैं और फिर भी आप सहज योग को नहीं समझते हैं, तो आप योगी नहीं हैं।

इसलिए यदि आप अपनी आत्मा के केंद्र बिंदु से शुरू करते हैं, तो आपको आश्चर्य होगा कि जो ज्ञान आप प्राप्त करते हैं, या जो कुछ भी आप देते हैं, वह पूरी तरह से एकीकृत है और एक ही बिंदु से प्रसारित होता है।

तो आप हर तरह से विशेषज्ञ बन जाते हैं। आप किसी भी विषय में विशेषज्ञ बन जाते हैं। कोई भी आपसे एक प्रश्न पूछता है, आप सब कुछ जानते हैं। लेकिन, उसमें, आप जानते हैं कि क्या व्यर्थ है और क्या उचित है।

आप यह समझने की कोशिश करते हैं कि क्या महत्वपूर्ण है: आप जानते हैं। आप जो कुछ भी बेकार है उसे छोड़ देते हैं और आप विभिन्न शराबों के नाम नहीं जानना चाहेंगे। आप उसमें विशेषज्ञ नहीं बनना चाहते हैं। आप सभी कालीन शैलियों के सभी नामों को जानने के विशेषज्ञ नहीं बनना चाहते। हो सकता है कि आप साड़ियों की सभी वैरायटी जानना पसंद न करें। आप सभी कैमरों के सभी नाम जानना पसंद नहीं कर सकते हैं। आप को जानकारी हो सकती हैं लेकिन यह महसूस करने की जरूरत नहीं है कि आप जानते हैं। लेकिन व्यक्तित्व की गंभीरता के लिए जो कुछ भी महत्वपूर्ण है वह आप जानेंगे।

इसलिए यदि आप इसे सरल बनाना चाहें, तो हम शुभता के बारे में जान सकते हैं कि शुभ क्या है।

आप उचित नियमों के बारे में जानेंगे, दूसरों के प्रति उचित व्यवहार क्या होता है। आप जानेंगे कि परमेश्वर की दृष्टि में न्याय क्या है। आप उस दिव्य संगीत के बारे में जानेंगे जो आपकी कुंडलिनी को ऊपर उठाता है।

तो इस गुरुत्व के परिणामस्वरूप आपको विवेक मिलता है: कि आप जानते हैं कि आपका व्यक्तित्व क्या है और आपके आस-पास का पानी क्या है। आप भेद करना जानते हैं और यह भेद क्षमता विवेक भी, वास्तव में, सहज रूप से, आपके गुरु तत्व से आता है।

लेकिन कई दूसरी बातों के कारण एक बार यह गुरु सिद्धांत एक विचित्र स्थिति में या किसी प्रकार की उथल-पुथल या भ्रम की स्थिति में चला जाता है, जैसे कि आपके पास एक गलत गुरु है, आपके पास एक झूठा गुरु है, आपके पास झूठे विचार हैं, आप झूठे सिद्धांतों का पालन करते हैं, आप झूठे सिद्धांतों का पालन करें या आप झूठी किताबों का पालन करें – तो यह विचित्र हो जाता है। उसी के परिणामस्वरूप, आप अपने सिर के ऊपर एकादश रुद्र को विकसित कर लेते हैं।

इसके अलावा, ऐसे मामलों में जब आपको संयमित और संतुलित जीवन न जीने की समस्या है – यदि आप एक अतिवादी हैं, यदि आप बहुत मेहनत करते हैं या आप बिल्कुल भी काम नहीं करते हैं, या यदि आप अपने आप को केवल एक तरफ प्रोजेक्ट करते रहते हैं और अपने जीवन के दूसरे पहलू पर ध्यान नहीं देते – इन सभी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक असंतुलनों के साथ, आप अपने गुरु सिद्धांत की समस्याओं को विकसित करते हैं। परिणामस्वरूप, आप इस एकादश रुद्र को विकसित कर लेते हैं, जो आपके विनाश की शुरुआत है।

तो अपने गुरु तत्व का ध्यान रखना कितना आवश्यक है। आप देख सकते हैं कि अधिकांश रोग इसी सिद्धांत के कारण होते हैं, जब उपेक्षा की जाती है, और अंत में वे अपनी ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं, जब यह एकादश रुद्र की स्थिति में पहुंच जाता है।

अब आत्मसाक्षात्कारी आत्माओं के रूप में, आपने सीमा पार कर ली है: आप अपने सहस्रार से बाहर आ गए हैं, आपने अपनी ब्रह्म नाड़ी के माध्यम से उन सभी चीजों को पार कर लिया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपने उस गुरुत्वाकर्षण को विकसित कर लिया है। अब आपने एक अवस्था प्राप्त कर ली है। अगर वहां एक फूल है और तुम फूल को पानी पर रख दो तो वह तैरने लगेगा। लेकिन जब वह फल बन कर पक जाता है [और] तब आप उसे पानी में डालते हैं, वह तैरता नहीं है, गहरे में चला जाता है। यह घुलता नहीं है। यह अपनी पहचान बनाए रखता है। अब यही करना है – कि आपको सहज योग का फल, सहज योग का फल बनना है। अभी खिलने का समय पूरा हुआ, आपको फल बनना है। और जो लोग आपको देखते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि आपमें बिल्कुल भी असंतुलन नहीं है।

आप विशेष गंभीरता वाले लोग हैं, इसलिए जब आप लोगों से बात करते हैं, जब आपके पास किसी भी प्रकार का सहज योग कार्यक्रम होता है, तो आप बचकाना या बेवकूफी भरा व्यवहार नहीं करते हैं। मैंने लोगों को, अपने सामने बैठे लोगों को कुंडलिनी उठाते देखा है – यह बेवकूफी है! या खुद को बंधन देना बेवकूफी है। तो, सहज योग में आने पर भी, किसी शख्स का गुरुत्व विहीन बेवकूफी भरा व्यवहार या आचरण हो सकता है। सहज योग में आने के बाद भी, यदि आपके पास वही शैली है जो पहले थी, तो आपको बढ़ना होगा, परिपक्व होना होगा, आपको अभी भी फल बनना होगा। और यह एक संकेत है कि आप वास्तव में गुरु प्रधान लोग बन जाते हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि हमें धरती माता के गुरुत्वाकर्षण को जानना होगा कि किस प्रकार  हम सभी को अपने ह्रदय से लगाये वह इतनी जबरदस्त गति से घूमती रहती है। और फिर वह हमारे चारों तरफ के सौंदर्य के माध्यम से अपने सुंदर दिव्य प्रेम को प्रक्षेपित करती है। अब हम खुद देख सकते हैं। विशेष रूप से जब मैं बड़े-बड़े पर्वतों को देखती हूँ तो मुझे लगता है कि वे यहाँ बैठे हुए और ध्यान करते हुए महान संतों के समान हैं। लेकिन वे ही हैं जो समुद्र द्वारा प्रक्षेपित गुरु तत्व को थाम सकते हैं – जैसा कि आप जानते हैं कि समुद्र गुरु तत्व है। और वे पर्वत इतने ऊँचे हैं कि वे गुरु तत्व को थाम   सकते हैं। तो इस तथ्य के बावजूद कि आपके पास वह गुरुत्व है, आप बहुत उच्च स्तर के लोग हैं। और आप किसी भी प्रलोभन, किसी बेवकूफी भरे विचार या ऐसे किसी भी विचार से परे हैं जो दूसरों को विकृत या बिगाड़ सकता है। आप सबसे ऊपर खड़े हैं – दिग्गज।

चूंकि इस पृथ्वी पर हमारे बहुत महान लोग थे, इसलिए मैंने आपको नाम दिए हैं। जैसा कि हमने कहा, आदि नाथ से लेकर दस गुरु हुए हैं। हमारे पास कन्फ्यूशियस थे, हमारे पास सुकरात थे और बाद में हमारे पास इब्राहीम, मूसा और शिरडी साईं नाथ तक भी थे। हमारे पास लगभग दस महान गुरु थे। अब हमारे यहाँ इतने सारे लोग बैठे हैं, वे सभी गुरु हैं और उन्हें गुरुओं की तरह आचरण करना है और महान गुरुओं का काम करना है। और आज हमें यही सुनिश्चित करना है, अगर हम अपने भीतर उस गंभीरता को विकसित कर सकें और अपने भीतर समझ को विकसित कर सकें।

जब वह शांति आपके भीतर होगी, सहज योगी बनने का आनंद वास्तव में महसूस किया जाएगा, वास्तव में समझा जाएगा, और आप सभी इसका आनंद लेंगे।

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें!

यहाँ प्रतीक एक कुत्ते का है क्योंकि गुरु हमेशा कुत्ते को रखता है क्योंकि वह कुत्ता एक मालिक को ही जानता है। और यही गुरु का शिष्य सिद्धांत है।

तो शिष्य सिद्धांत, एक कुत्ते की तरह है जो गुरु की रक्षा करता है, जो पूरी भक्ति और समर्पण दिखाता है और उसे हर समय इस बात का ध्यान रहता है कि गुरु के पास गलत प्रकार के लोग न आएं। लेकिन इसके विपरीत, मुझे लगता है कि कभी-कभी सहज योग में लोग हमेशा गलत प्रकार के लोगों को मेरे पास लाते हैं।

यह देखता है और यह जानता है, उसमें ऐसा विवेक है। यह जानता है कि क्या करना है और कैसे व्यवहार करना है। यही शिष्य का प्रतीक है और इसलिए इस प्रतीक को आप सभी को समझना होगा।

अब पूजा के लिए आज आप बहुत ही समर्पण की मुद्रा में बैठिये ताकि आपके भीतर यह सिद्धांत जाग्रत हो जाए। किसी को कुंडलिनी उठाने या कुछ भी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, सब कुछ सुचारू रूप से और अच्छी तरह से कार्यान्वित होगा और किसी को भी खड़ा नहीं होना चाहिए। जैसे भी आप चाहें पर आप सभी को बैठना चाहिए,यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि, जैसा कि मैंने कहा, यह गुरुत्व है, स्थिर होना, स्थिर होना। यह बहुत महत्वपूर्ण है। जैसा कि हम गृहस्थ कहते हैं – अर्थात गृहस्ती में बसने वाला ही गृहस्थ है। या हम इसे भारतीय भाषा में बैठक कहते हैं: क्या बैठक की क्षमता है, आप चीजों पर कितना बैठ सकते हैं।

इस बच्चे को, बेहतर होगा कि आप बच्चे को चले जाने के लिए कहें। यह किसका बच्चा है? बहुत परेशान करने वाला है ?

नहीं, नहीं, उसके बाद दूसरा। हां। बस उसे उठाओ, बस इतना ही। वह परेशान करने वाला है। उसे बाहर बैठने दो, तब वह ठीक हो जाएगा। वह ठीक है।

कभी-कभी उनके साथ कुछ गलत हो जाता है, आप देखिए। अब इन लड़कियों के लिए उन्हें ध्यान देना चाहिए। हा। बच्चों को नहीं… इन दोनों लड़कियों को वहां – उन्हें ध्यान देना चाहिए, यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी तरह उनकी मदद की जा रही है।

अब पूजा के लिए: अर्नेउ अगर तुम यहां आओगे, तो मुझे खुशी होगी, क्योंकि… अर्नेउ? मैं आपको बताटी हूँ कि संगीतकारों के बारे में क्या करना है।

तो संगीतकारों को उस तरफ शामिल होने दें, जिन्हें पूजा मंत्रों और हर चीज के लिए गाना है।

आप आएं ताकि आप उनका मार्गदर्शन कर सकें। अब बार्स से लोगों को लाना है…