Shri Radha Krishna Puja: The importance of friendship

La Belle Étoile, La Rochette (France)

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             श्री राधा कृष्ण पूजा, “दोस्ती का महत्व”

 मेलून (फ्रांस), 9 जुलाई 1989।

मैं वास्तव में अत्यंत प्रसन्न हूं कि इस पूजा के लिए फ्रांस में हमारे पास इतने सारे आगंतुक और फ्रेंच सहज योगी हैं। यह सामूहिकता को दर्शाता है, ऐसी सामूहिकता जो आप सभी को हर जगह से आकर्षित करती है, और यह कि आप उस सामूहिकता का आनंद लेने की कोशिश करते हैं।

लेकिन सामूहिकता की नींव, सामूहिकता का आधार बहुत गहरा है; और गहरी समझ ही आपको बता सकती है कि सामूहिकता का आधार निर्लिप्त प्रेम है। प्यार ही एक रास्ता है।

सामूहिकता का होना तब तक संभव नहीं है जब तक कि आपने प्रेम को निर्लिप्त \ अनासक्त न बना लिया हो। फ्रेंच लोग, प्रेम के इतने प्रकार में अच्छे रहे हैं जिनके बारे में वे बात करते रहे हैं; और उन्होंने किताबों के बाद किताबें, उपन्यासों के बाद उपन्यास लिखे हैं और प्यार की बात करने के लिए बहुत सारे रोमांटिक और गैर रोमांटिक और हर तरह का माहौल बनाया है। लेकिन शुद्ध प्रेम, जैसा कि हम सहज योग में समझते हैं, अब सहज योगियों द्वारा आपस में व्यक्त किया जाना है।

आखिर हम सब एक ईश्वर द्वारा बनाए गए इंसान हैं। और हम सब एक माँ द्वारा बनाए गए सहज योगी हैं। इसलिए हमारे बीच किसी भी तरह की कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन हमें पता होना चाहिए कि क्या है जो कभी-कभी हमें थोड़ा अलग बनाता है। यदि हम उन समस्याओं को समझ सकें जिनका हम सामना कर रहे हैं, तो हमारे लिए यह समझ पाना बहुत आसान हो जाएगा कि हमारा प्रेम इतना आसक्त क्यों हो जाता है और इतना अनासक्त क्यों नहीं होता। यह छोटा और छोटा होने लगता है, फिर व्यक्ति बस खुद से ही प्यार करने लगता है।

हमें यह समस्या होने का एक मुख्य कारण हमारी कंडीशनिंग (जड़ता) है। हमें इस तरह से संस्कारबद्ध किया जाता है कि प्रेम करना नहीं जानते। जब मैं पश्चिम में विज्ञापन देखती हूं, तो मुझे नहीं पता होता है कि पश्चिम कहां से शुरू होता है और कहां खत्म होता है और कहां से पूरब शुरू होता है। लेकिन वे पश्चिम और पूर्व की बात करते हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि कौन सी सीमा रेखा है। क्या कोई मुझे बता सकता है कि: हम पूर्व और पश्चिम कहां से शुरू करते हैं? क्योंकि देखिये, यह दुनिया गोल है। लेकिन किसी न किसी तरह कोई रेखा होती है, अज्ञात रेखा, अंतर्निहित रेखा जो कभी-कभी इस पूर्व और पश्चिम को निर्मित करती है: दो प्रकार के संस्कार।

इसलिए, जब मैं कुछ विज्ञापन देखती हूं तो वे दिखाते हैं; जैसे हाल ही में मैंने जेम्स बॉन्ड के बारे में देखा, कि: “वह मारने के लिए स्वतंत्र है” और “यह सबसे अच्छी फिल्म है, बदले के लिए !” यह विज्ञापन है! तृप्ति का सबसे अच्छा तरीका अगर बदला लेना हो तो हम किसी से प्यार कैसे कर सकते हैं? तो इस तरह के संस्कार हमें बाहर से आते है कि हमें किसी को माफ़ नहीं करना चाहिए, हमें बदला लेना चाहिए। और यदि तुम बदला नहीं लेते हो तो तुम अपने नाम के योग्य के नहीं हो। इसलिए, यदि आप बदला नहीं ले सकते हैं, तो ऐसे एक द्वंद की तरह जो फ्रांस में दो व्यक्तियों के बीच काफी हुआ करता था। वे दोनो बंदूकें लेकर एक दूसरे को मार डालते थे। मेरा मतलब है, यह कितना बेवकूफी भरा विचार था! ज़रा सोचिए, आधुनिक समय में। लेकिन ऐसा था। इसलिए, यदि बदला नहीं लिया जाता है, तो इसे बहुत दब्बू, बहुत निम्न स्तर की बात समझा जाता था। तो, एक व्यक्ति को बदला लेना चाहिए।

इतिहास भी यही बताता है कि जिसने आपको नुकसान पहुँचाया है [या] किसी भी तरह से परेशान किया है, उससे बदला लेना चाहिए। मुझे लगता है कि यह सांप का गुण है। वे कहते हैं कि यदि आप किसी सांप पर कदम रखते हैं, तो वह बदला लेने के लिए जीवन भर आपके पीछे आता है। वह जीवन भर केवल एक ही काम करता है कि उस व्यक्ति के पीछे भागता है जिसने गलती से उसके शरीर पर पैर रख दिया हो। वैसा ही मानव प्रयास, मैंने कई उपन्यासों में देखा है कि यह सुझाव दिया गया है कि कैसे एक आदमी एक ऐसे व्यक्ति के पीछे पड़ जाता है जिसने किसी न किसी तरह से उसे नुकसान पहुंचाया है।

अगर हम ऐसे ही चलते रहे, तो इसका कोई अंत नहीं है। सबसे पहले, यह बिल्कुल बेतुका है। उसके लिए मैं आपको बुद्ध का एक उदाहरण देती हूँ, जिससे मैं बहुत प्रभावित हुई हूँ जिस तरह से उन्होंने एक बार किसी ऐसे व्यक्ति से कहा था, जिसने उनका अपमान किया था और उन्हें गाली दी थी और सभी प्रकार के भयानक शब्द कहे थे । फिर बुद्ध दूसरे गांव चले गए। अब, इस व्यक्ति को पश्चाताप हुआ और वह वापस उनके पास गया और बोला, “श्रीमान, मुझे खेद है कि मैंने आपसे ये बातें कही हैं। मुझे वास्तव में बहुत खेद है। उसने कहा, “क्या? कब?” उसने कहा, “कल।” उन्होंने कहा, “कल अब समाप्त हो गया है। आज तुम मेरे साथ हो। तो कल की बात क्यों कर रहे हो? यह समाप्त हो गया!”

तो, इस तरह के विचार के साथ कि किसी ने हमें नुकसान पहुँचाया है, कोई हमारे लिए डरावना है, हम अतीत में बने रहते हैं। अब, मुझे बताया गया है कि वे उस फ्रांसीसी क्रांति का जश्न मना रहे हैं जो हुई थी। अगर आप मुझसे पूछें तो उस तरह की क्रांति की कोई जरूरत नहीं थी; मैरी एंटोनेट को मारना जरूरी नहीं था। मार देते या नहीं मारते कोई फर्क नहीं पड़ता था। लेकिन उन्हें उसे मारना पड़ा। क्यों? क्योंकि उनके अनुसार उसने वर्साय में बहुत पैसा खर्च किया और कुछ सुंदर फर्नीचर बनाए। आज बस वही फर्नीचर ही दिखा रहे हैं! इस फ्रांस में और क्या दिखाने योग्य है? तुम्हारे आते ही वे कहते हैं, “क्या तुमने उसका महल देखा है?” मैंने कहा, “सचमुच?”

जब मैं पहली बार फ्रांस आयी था, तो पहला सवाल यही था, “आपको अवश्य जा कर देखना चाहिए! यह अचंभा है, आप ऐसी सुंदर निर्मित चीजें कहीं भी पा नहीं सकते। यह एक असंभव स्थिति है।” मैंने पूछा, “असंभव?” “हाँ, क्योंकि तुम इतनी अच्छी चीज़ें नहीं बना सकते।”

उसने इतनी अच्छी सुंदर चीजें बनाईं, वह उसे अपने साथ नहीं ले जा रही थी। अब, जब तुमने उसकी हत्या कर दी, फिर तुम मुझे जाकर उन सुंदर चीजों को देखने के लिए कहते हो! हमें इतिहास से यह सीखना होगा कि उसे मारना मूर्खता थी। उसे मारने की क्या जरूरत थी? जब आपने सरकार पर कब्जा कर लिया, ठीक है, उस बिंदु पर रुकें और फिर आप शासन करना शुरू करें। उस क्रांति से, आपको लगता है कि दुनिया हमारे लिए बेहतर हो गई है? क्या आपको लगता है कि दुनिया में कहीं भी चीजों में सुधार हुआ है? साथ ही सरकार बदलने के लिए भी क्रांति होनी चाहिए थी, ठीक है, लेकिन उस हद तक जाना जरूरी नहीं था।

तो दूसरी जड़ता जो हमारे अंदर आती है कि जब हम बदला लेते हैं तो इंसानियत की सारी हदें पार कर देते हैं। वे इस बात से संतुष्ट नहीं होते कि वह अब भी जीवित है! “हे भगवान, हमें उसे मारना है!” बेशक, मैं यह नहीं कहती कि जिस किसी ने देश को, राष्ट्र को कोई नुकसान पहुंचाया हो, उसे ऐसे ही जाने दिया जाए, लेकिन आप उसके साथ किस हद तक जाते हैं, यह देखने वाली बात है। तो, सहज योग का ज्ञान उन मर्यादाओं को समझने में है जहाँ तक आप अपना क्रोध व्यक्त करने के लिए जा सकते हैं, अपना तथाकथित बदला,  किसी से भी व्यक्त कर सकते हैं।

लेकिन सबसे अच्छी बात यह होगी कि इसे ईश्वरीय शक्ति पर छोड़ दें, क्योंकि सब कुछ ईश्वरीय शक्ति द्वारा किया जाता है। हम सभी ईश्वरीय शक्ति के अंदर मौजूद हैं। हम उस तरह की किसी और चीज के बारे में सोच ही नहीं सकते। मैं आपको कोई उपमा नहीं दे सकती की दैवीय शक्ति किस रूप में कैसे काम करती है। उदाहरण के लिए, यदि सूर्य से बाहर आतीं सूर्य की किरणें नहीं होती, सूर्य के अंदर ही रहतीं, और सभी चीजें काम करतीं, तो हम कहते, “यह कुछ दैवीय शक्ति जैसा है।” उसके बाहर कुछ भी नहीं है। सब कुछ अंदर है। और यह ईश्वरीय शक्ति करुणा और प्रेम की शक्ति है, जो सब कुछ करती है। लेकिन जब हम जिम्मेदारी लेते हैं, और जब हम तय करते हैं कि हमें कुछ करना है, और यह कि हम कुछ हैं, और उस दिव्य शक्ति के खिलाफ जाने की कोशिश करते हैं, तो हम मूर्ख लोग बन जाते हैं जैसा कि हमने देखा है।

तो, इसे दैवीय शक्ति के हाथों में छोड़ देना, और उस दैवीय शक्ति का केवल एक साधन बनना ऐसा तरीका है जो की एक सहज योगी का होना चाहिए। क्योंकि करुणा,  ईश्वरीय शक्ति का प्रेम इतना महान है कि यह विवेक है, पूर्ण विवेक है। जिस व्यक्ति में करुणा नहीं है वह विवेकपूर्ण नहीं हो सकता। वह सांसारिक ज्ञानी हो सकता है लेकिन वह वास्तव में ज्ञानी नहीं हो सकता। इसलिए, जो मानते हैं कि उन्हें बहुत सटीक होना चाहिए, उन्हें पता होना चाहिए कि आपकी सटीकता को दैवीय शक्ति द्वारा चुनौती दी जाएगी। एक व्यक्ति के पास बहुत सरल और एक लचीला स्वभाव होना चाहिए। जैसे अब मैं आ गयी हूँ, शायद अचानक, आपको बताया नहीं गया था, लोग औपचारिक रूप से बिल्कुल तैयार नहीं थे, एक साथ एक फौजी की तरह पंक्तिबद्ध थे! यह ठीक है, कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं किसी भी तरह से परेशान नहीं हूं, किसी भी तरह से दुखी नहीं हूं, मुझे आप सभी को देखकर बहुत खुशी हुई, क्योंकि आखिर आप सभी मुझसे प्यार करते हैं और मैं आपसे प्यार करती हूं। यह एक परिवार है और चीजों के बारे में बहुत औपचारिक होने जैसा कुछ नहीं है।  आपके और सर्वशक्तिमान ईश्वर के बीच वहाँ कोई औपचारिकता नहीं है, हो भी नहीं सकती। लेकिन, हम जो कर रहे हैं, इसकी समझ होनी चाहिए।

मैं देखती हूँ कि मनुष्य अचानक या तो अत्यंत शिथिल, अत्यंत आलसी, अत्यधिक भ्रमित हो जाते हैं: आप उनसे उनका नाम पूछें, वे दस बार कहेंगे, “आह? आह?”। मैंने कहा: “तुम्हारा नाम क्या है?” वे कहेंगे: “आह?”। “मैंने अभी आपका नाम पूछा है”। “आपने मुझसे क्या पूछा, मेरा नाम?” “हाँ, तुम्हारा नाम!” “ओह समझा।” तो, मेरा मतलब है, अपने नाम को याद करने या इसे कहने के तक की न्यूनतम परवाह ! जैसे उस व्यक्ति पर ड्रग का असर हो: यहाँ तक यह जा रहा है।

एक और शैली है जहाँ [वहाँ] बहुत अधिक औपचारिकताएँ हैं: जैसे मान लीजिए कि अब माँ आ रही हैं और हमें उन्हें कुछ देना है, और कुछ कमी है। ठीक है, कोई बात नहीं! आखिरकार, यह पेरिस है, एक समय में बहुत सारी चीजें गायब थीं। अगर कुछ छूट गया है, तो कोई बात नहीं। यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है! तनाव में नहीं रहना चाहिए। यदि आप तनाव में हैं तो आप मेरे स्पंदनों को अवशोषित नहीं कर सकते; या यदि आप सुस्त भी हैं तो आप मेरे स्पंदनों को अवशोषित नहीं कर सकते। तो, आपको मध्य में होना है; मध्य, एक बच्चे की तरह एक ग्रहणशील मूड में: कि आपको उम्मीद और आनंद की भावना के साथ चैतन्य को अवशोषित करना है। हमें माता का स्वागत करना है। लेकिन इस तनाव से नहीं कि: “यह नहीं हुआ, यह नहीं हुआ।” मैं हर चीज को इतनी खूबसूरती से बनाया हुआ देखती हूं। ये फूल कितने सुंदर हैं , सब कुछ बहुत अच्छा किया है! और इतने सारे विचार, मैं उन्हें इतने स्पष्ट रूप से देख सकती हूँ। यह सब आपके तनाव का नहीं बल्कि आपके प्यार का इजहार करता है।

तो हम अपने प्यार का इजहार कर रहे हैं या अपने तनाव का? जो हम कर रहे हैं वो क्या है? क्या हम तनावग्रस्त होने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हम अति-सतर्क हैं, या हम हर चीज की उपेक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हम बचना चाहते हैं? इन दोनों के बीच सहज योग है। आप बहुत चिंतित हैं, बहुत अधिक प्रतीक्षा कर रहे हैं और आप अपने दिल से कुछ करना चाहते हैं और फिर, जब तृप्ति होती है, तो आप आनंद ले सकते हैं। लेकिन अगर आप तनाव में हैं, जब मैं अंदर आती हूं, और  मैंने ऐसा पाया 

 की आप सभी को सरदर्द है! तो, मुझे पहले आपको यह बताना होगा कि, “पहले अपना सिरदर्द दूर करो, फिर मैं तुमसे बात करूँगी!” तो, ऐसा है की हमारे बीच एक बहुत ही शांत रिश्ता होना चाहिए, लेकिन आराम का मतलब कभी भी सुस्ती नहीं है, इसका ऐसा अर्थ बिलकुल नहीं है। यदि आप सुस्त हैं तो आप सोए रहेंगे और आपके कानों में कुछ भी नहीं जाएगा।

तो, जो हम देखते हैं कि हमारी कंडीशनिंग, एक जड़ता जो हमें है कि, या तो हम चाहते हैं कि लोग अति-सतर्क रहें या हम चाहते हैं कि वे बिल्कुल सतर्क न हों। तो, इन सभी चीजों की अंतर्निहित समस्या यह है: कि हम अति चाहते हैं। हमारे संस्कारों में हम चरम सीमा पर चले जाते हैं: हम इसकी अति पर चले जाते हैं या इसकी चरम सीमा पर चले जाते हैं। यदि आप बिल्कुल सुस्त, उदार, अस्त-व्यस्त, बिल्कुल भ्रमित हैं, तो आप मध्य में नहीं हैं। और इसके विपरीत, यदि आप बहुत सख्त हैं, जिब्राल्टर की चट्टान की तरह और अंततः एक बड़ा हिटलर जैसा व्यवहार कि: “आपको समय पर होना चाहिए, हर किसी के ठीक कदम ताल होने चाहिए, ठीक से चलना चाहिए।” वह सहज नहीं है। वह सहज नहीं है।

अब इन फूलों को देखिए। एक-एक करके देखिए ये कितने खूबसूरत हैं। हर एक भिन्न है: एक फूल की एक पंखुड़ी भी दूसरे से मेल नहीं खाएगी। एक पंखुड़ी दूसरी से मेल नहीं खाएगी। वे सभी अलग हैं, लेकिन इतने आराम से हैं: सुंदरता पैदा करना, हमें इतना आनंद देना। सभी अलग-अलग, अलग-अलग तरीके से रखे गए, अलग-अलग तरीके से गतिशील। हर किसी का अलग-अलग एंगल होता है। लेकिन एकता है। उनमें एकता है कि वे सभी हमें आनंद देना चाहते हैं। लेकिन तनाव के साथ आप आनंद नहीं दे सकते। मेरा मतलब है कि अगर कोई तनाव ग्रस्त है, तो मुझे लगता है कि मुझे उस व्यक्ति से दूर भाग जाना चाहिए। भगवान जाने अगर वह तनाव में है, तनाव बढ़ा तो वह आपको पीट सकता है, या आपको बाहर फेंक सकता है, या खुद को चोट लग सकती है। तो, पश्चिम में यह तनाव वाला हिस्सा बहुत आम है और ऐसा संस्कार कुछ तो हमारी जीवनशैली के कारण आया है।

अब, वाटरलू का युद्ध अब और नहीं होगा। तो, हम कह सकते हैं कि वाटरलू युद्ध इसलिए जीता गया क्योंकि वे समय पर पहुँचे: पर बात ऐसी नहीं है। युद्ध इसलिए जीता गया क्योंकि इसे दैवीय शक्ति द्वारा जीता जाना था। यदि वे देर से पहुँचते तो भी जीत जाते। जो होता है ईश्वरीय शक्ति से होता है। ऐसे में तनाव पालने की जरूरत नहीं है। तब तुम कहोगे, “ठीक है। फिर, आइए हम बैठें और अच्छा समय बिताएं। सब कुछ ईश्वरीय शक्ति द्वारा किया जाएगा! नहीं! ईश्वरीय शक्ति आपकी संस्थाओं के माध्यम से, आपके माध्यम से काम करने वाली है, इसलिए आपको सतर्क रहना होगा।

मुझे उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे कि मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हूं: जो तनाव मुक्त व्यक्ति है, उसे सुस्त व्यक्ति नहीं होना चाहिए, बल्कि सतर्क होना चाहिए। आप सतर्क हो सकते हैं, साथ ही आप निश्चिंत भी हो सकते हैं, क्योंकि आप सहज योगी हैं, आप अन्य लोगों की तरह नहीं हैं।  अन्य लोग के साथ, यदि आप हवाई अड्डे का नाम भी ले लेते हैं और मुझे नहीं पता कि उनके दिमाग में क्या गलत हो जाता है, अचानक, वे खिसक जाते हैं! वे अपने दिमाग से बाहर हो जाते हैं। वे पागल हो जाते हैं!

जैसे, आज हम एयरपोर्ट जा रहे थे। भगवान का शुक्र है कि कोई सड़क पर नहीं था। “वे लोग हैंगओवर में रहे होंगे”, मैंने कहा, “पिछली रात। और आज ट्रेफिक बिल्कुल ठीक हैं। मैंने कहा, “चलो आसानी से, और आखिर कोई समस्या नहीं है।” घर में सब सोच रहे थे कि मुझे देर हो जाएगी। मैंने कहा, “मुझे देर नहीं होने वाली है।” हम वहाँ पहुँचे, और वहाँ एक बड़ी कतार थी। और कोई भी विमान में नहीं चढ़ पा रहा था क्योंकि इतनी बड़ी कतार थी। कोई सीट बुक भी नहीं कर पाया। तो टेंशन लेने की क्या जरूरत थी? और मान लीजिए कि आप तनाव ग्रस्त हैं, एक स्थिति लें, और फिर आपको हवाई जहाज़ न मिले: तो क्या? ज्यादा से ज्यादा एक दुर्घटना ही है, जो होने वाली है, वह है हमारी मृत्यु। वह अपरिहार्य है, क्योंकि हम पैदा हुए हैं, इसलिए इस शरीर को मरना है । बस इतना ही! बाकी तो बस मजाक है!

इसलिए, भले ही आप तनाव ग्रस्त हों या तनाव ग्रस्त न हों: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे लगता है कि कभी-कभी लोग एक जगह पर खड़े खड़े विचारों में ही दौड़ना शुरू कर देते हैं कि वे हवाई अड्डे जा रहे हैं: कोई गतिशीलता नहीं, बस तनाव। तो, सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि अगर हम अपने तनाव को कम कर सकते हैं तो दिल खुल जाएगा। हृदय को खोलना पड़ता है। आखिरकार, अब हम आनंद और आनंद के सागर में हैं। हमें कोई तनाव क्यों होना चाहिए? लेकिन जब हम आनंद और आनंद के सागर में होते हैं, तो हम डूब नहीं रहे होते हैं, हम तैर रहे होते हैं; इसलिए हमें तैरना है। और यह हिस्सा, मुझे लगता है कि बहुत से लोगों द्वारा नहीं समझा गया है।

अब, हमारे पास अलग-अलग, अलग-अलग शैलियों के देशों के संस्कार है। हर देश में कंडीशनिंग की अलग-अलग शैलियाँ होती हैं। फ्रांस की कंडीशनिंग है कि तुम्हें कभी भी खुश नहीं दिखना चाहिए। आप एक फ्रांसीसी को पहचान सकते हैं। मेरे सामने एक फ़्रांसीसी महिला बैठी हुई थी, वो कितनी दयनीय लग रही थी, मैं पूछने ही वाली थी, “आपके परिवार में किसकी मृत्यु हुई है?” (हँसी) उसने अच्छे कपड़े पहने थे, उसने सारा श्रृंगार, केश-सज्जा, सब कुछ ठीक-ठाक कर लिया था। लेकिन उसका चेहरा इतना दयनीय था कि मुझे समझ नहीं आया कि ये दोनों चीजें एक साथ कैसे हो गईं। अब, उसने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि वह अपने मेकअप और अन्य सभी चीज़ों के साथ बहुत अच्छी दिखे, और यहाँ वह बहुत दयनीय दिख रही है। उसने एक दिखावा बना रखा है कि वह बहुत दुखी थी। अब संस्कार इतने मूढ़ हैं, इतने मूढ़ हैं कि उनके अनुसार जो कुरूप है वह सुंदर हो गया है। वे सबसे कुरूप महिलाओं को चुनेंगे और उन्हें सुन्दरतम के रूप में प्रथम पुरस्कार देंगे! मुझे नहीं पता कि उन्होंने इस महिला को किस कोण से, किस कोण से देखा, कि उन्होंने इसे “सुंदरी” कहा। आप पाएंगे कि महिला ग्रसित है, वह भूतिया है, भयानक वायब्रेशन दे रही है और वे कहते हैं कि वह सुंदरता है!

इसलिए, इन तनावपूर्ण, तिरछी दृष्टियों के कारण, जो हमारे पास हैं, इस तरह या इस तरह से, हम वास्तविकता को कभी नहीं देखते हैं, और, हम जो स्वीकार करते हैं वह बिल्कुल असत्य है, और इसके बारे में चिंता करते हैं। यह एक बुल बुले की तरह है: हम एक बुल बुले के बारे में चिंतित हैं, जैसे कि यह एक परमाणु बम या हाइड्रोजन बम है। तो, महत्वहीन चीजों के बारे में हम बहुत अधिक चिंता करते हैं और परिणामस्वरूप, जब हम चिंता करते हैं, चिंता करते हैं, चिंता करते हैं, तो कोई भी हमारे पास आता है, हम उस व्यक्ति पर कूद पड़ते हैं। आप किस विषय में चिन्तित है? समस्या क्या है? मैं आपको बताती हूं कि मेरे पास एकमात्र चिंता है, अगर मुझे कोई हो तो यह है कि मेरे बच्चे एक-दूसरे से प्यार करें।

इसलिए, मैं दोस्ती की बात करती हूं: एक दोस्त रखना। अगर हमें कोई चिंता होती है तो हम हमेशा अपने दोस्तों को बताते हैं लेकिन जान-पहचान वालों को नहीं। अगर हमें समस्याएँ हैं, तो हम इसे कभी किसी ऐसे व्यक्ति से नहीं कहेंगे जिसे हम अभी-अभी जानते हैं, बल्कि अपने दोस्तों को बताएंगे। और इसलिए मित्रता, भले ही आप एक नेता हों, आप लोगों के मित्र हैं।

दोस्ती ऐसी होती है कि आप अपने राज़ साझा कर सकते हैं, अपनी समस्याएं साझा कर सकते हैं। आप लोग मेरे साथ ऐसा करते हो, और एक दूसरे के साथ क्यों नहीं? यह समझ का प्रश्न है कि सहज योगी वास्तव में एक दूसरे के मित्र हैं। मुझे लगता है कि दोस्ती का रिश्ता किसी भी अन्य रिश्ते, जिसकी हम कल्पना भी कर सकते हैं, से कहीं ऊंचा होता है क्योंकि हमारी दोस्ती से हमें कुछ हासिल नहीं करना होता है। यह कभी खत्म नहीं होता और आप बस दोस्ती का आनंद लेते हैं, बस इतना ही। फिर आप एक-दूसरे की टांग खींच सकते हैं, कभी-कभी आप किसी दूसरे व्यक्ति के साथ थोड़ा मजाक कर सकते हैं, किसी अन्य व्यक्ति का मजाक उड़ा सकते हैं: यह सब ठीक है, यह दोस्ती है। लेकिन यह एक दूसरे के साथ अपने संबंधों को समझने का सबसे शुद्ध रूप है। और एक मित्र वह है जो हमेशा, बिना किसी तुक और कारण के, अपने मित्र के बारे में चिंतित रहता है। सहज योग से पहले, आपका एक ही मित्र हो सकता था या अधिक से अधिक दो। तीन का मतलब भीड़ था! तीन व्यक्ति आपके मित्र नहीं हो सकते। लेकिन सहज योग में, हम सभी मित्र हैं, शुद्ध मित्रता। एक बहुत ही सुंदर प्रकृति की मित्रता जो आप दूसरे व्यक्ति के आनंद का आनंद लेते हैं, चैतन्य से आप करते हैं। यदि आप दूसरे सहज योगी के स्पंदनों को महसूस करते हैं, तो आप वास्तव में आनंद लेते हैं।

मैंने इस तरह की दोस्ती तब देखी है जब हम छोटे थे, क्योंकि उस समय लोग ज्यादा खुले दिल के थे। जैसा कि मेरे पिता के मित्र थे: वह एक बहुत ही रूढ़िवादी ब्राह्मण थे, उनके मित्र थे, और वे पूरे देश में एक संगठन के अध्यक्ष थे। और उन में से एक स्कूल जिस में मैं पढ़ रही थी, वही संस्था चला रही थी। तो वो उस स्कूल में बिग बॉस थे। तो, मेरे पिता को एक मुकदमे के लिए बहुत दूर जाना पड़ा और उन्होंने अपने पूरे परिवार को साथ ले लिया और उन्होंने मुझे छात्रावास भेज दिया। उन्होने अपने मित्र को लिखा कि, “मैं जा रहा हूँ और मेरी बेटी को फाइनल परीक्षा देनी है। लेकिन मुझे खेद है कि मुझे जाना पड़ा। मैं अपने परिवार को अपने साथ ले जा रहा हूं। लेकिन यह एक अच्छा मौका है।” तो, मित्र ने लिखा, “ठीक है, कोई बात नहीं। आप जा सकते हैं। मैं तुम्हारी बेटी की देखभाल करूंगा। वह आये और वह छात्रावास में रहने लगे। वहां हॉस्टल में कमरा ले लिया। हम सब वहाँ थे। वह एक ब्राह्मण थे, वह अंडे को हाथ भी नहीं लगाते थे, लेकिन वह जानते थे कि मैं अंडे खाती हूं और मैं मांसाहारी हूं। तो, यह लगभग गर्मी का मौसम शुरू हो गया था, लेकिन वह अभी भी अपना ओवरकोट या रेनकोट पहन कर बाहर चले जाते थे। पता नहीं वह सुबह अंडे कहाँ से लाते थे, अपने कमरे में ले आते थे क्योंकि वह एक ब्राह्मण स्कूल था, और चुपके से मेरे लिए अंडे पकाते थे, और फिर वह मुझे बुलाते थे, और मुझे खाने के लिए अंडे देते थे। . मैंने कहा, “मुझे उनकी आवश्यकता नहीं है।” “नहीं, नहीं, नहीं, तुमको लेना चाहिए! तुम्हें पता है, तुम्हारे पिता गए हुए हैं। मुझे तुम्हारी देखभाल करनी है! बहुत प्यार से! और वो वहां के सरपंच थे, मेरे लिए अपने ही कायदे कानून तोड़ रहे थे कि वो नॉनवेज बना रहे थे! (हँसते हुए) और फिर वह अण्डों के सारे खोल एक कागज़ में ले लेते, एक बड़े ओवरकोट में जेब में रख देते, नीचे चलकर कहीं फेंक देते। फिर वह मुझे मेरी परीक्षा के लिए छोड़ने के लिए मेरे साथ आते। शाम को वह फिर वहीं होते थे, मेरा इंतजार करते थे। वो इतने बड़े आदमी थे, इतने बड़े आदमी थे, बहुत इज्जतदार थे, मतलब, वो शिक्षकों के मुखिया थे!

और हर दिन उन्होने ऐसा किया! मुझे इस दोस्ती पर बहुत आश्चर्य हुआ। और, कुछ भी नहीं, मेरा मतलब है, मैंने उन्हें किसी भी चीज़ के बारे में बात करते हुए नहीं देखा या, उनके बीच आपस में कुछ भी साझा नहीं था, लेकिन सिर्फ दोस्ती थी! मेरे पिता एक साहित्यिक व्यक्ति थे, जैसा कि आप जानते हैं, और वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। मेरे पिता राजनीति में व्यस्त थे। और ऐसे मित्र मैंने देखे हैं: मेरे पिता जेल जाएं, तो उनके मित्र आएंगे और हमें अपने घर ले जाएंगे और उनकी पत्नियां हमारी देखभाल करेंगी, हमें नहलाएंगी, कोई फर्क नहीं। मैंने कभी उनके बच्चों और हम में कोई अंतर महसूस नहीं किया। इसके अलावा, हमें लगा कि वे अपने बच्चों से ज्यादा हमारी देखभाल कर रहे हैं। पहले वे हमें स्नान कराएंगे।

 कोई व्यक्ति दोस्ती में वास्तव में आनंद ले सकता है! दोस्त होने के लिए आपको बहुत बड़ा दिल चाहिए, बहुत बड़ा दिल। यदि आप अपने ही बच्चे की देखभाल करते हैं, अपने बच्चे का ही समर्थन करते हैं तो आप सहज योग के लिए एक गए बीते मामले हैं। लेकिन अगर आप में दोस्ती का इस तरह का बड़प्पन है…

 मेरे पिता हमें दोस्तों के बारे में एक अच्छी कहानी बताया करते थे क्योंकि मेरे छोटे-  भाई के बहुत सारे दोस्त थे और वह इधर-उधर की बातें करता था। और फिर, वह हमेशा आलोचना करता था, “क्या, पिताजी, आपके दोस्त आते हैं, वे कभी-कभी आपके लॉन की देखभाल करते हैं क्योंकि किसी को लॉन का शौक होता है। फिर दूसरा करता है। और आप लोग कोई चर्चा कोई बहस आदी नहीं करते! बस, मुझे नहीं पता कि आप एक दूसरे की कंपनी का आनंद कैसे लेते हैं!

उन्होंने कहा, “नहीं, हम बात करते हैं, ऐसा नहीं है।” “लेकिन, नहीं, नहीं, हम बहुत आनंद लेते हैं।” तो, मेरे पिता ने उससे कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ …” कि एक पिता था जिसका एक मित्र था और पुत्र का एक मित्र था। आधुनिक समय में। मेरा मतलब है कि ‘आधुनिक’ अब ये दिन भी ‘पुराना समय’ है, ऐसा मुझे कहना चाहिए। तो, पिता ने बेटे से कहा कि, “देखो, दोस्ती वह है जहाँ तुम हमेशा अपने दोस्त पर भरोसा कर सकते हो और तुम्हारा दोस्त तुम पर भरोसा कर सकता है।” उसने कहा, “सचमुच?” “हाँ”, उन्होंने ऐसा कहा। “ओह, मेरे दोस्तों पर मैं भरोसा कर सकता हूँ”, लड़के ने कहा, “मैं अपने दोस्तों पर भरोसा कर सकता हूँ”। उसने कहा, “सचमुच?” “हाँ!” तो, पिता ने कहा, “ठीक है, चलो अपने दोस्तों और मेरे दोस्तों की परीक्षा लेते हैं।”

अत: वे आगे गए, पिता पुत्र को लेकर गया, और पुत्र के इन मित्रों के पास गया। और उसने बेटे से कहा कि, “तुम्हें कहना होगा कि मैंने किसी की हत्या की है और मेरी मदद करो।” उसने कहा, “ठीक है।”

तो, वे एक दोस्त के पास गए। उसके मित्र ने कहा, “तुमने हत्या की? बाबा, तुम बाहर निकलो! उसने दरवाजा बंद कर दिया। एक और जिसके पास वे गए, उसने दरवाजा बंद कर दिया। तीसरे ने कहा, “नहीं, नहीं! यह मत कहना कि तुम मेरे घर आए थे। मेरा तुमसे कोई लेना-देना नहीं है।” उसके सभी बीस दोस्तों ने कहा, “नहीं।”

उसने कहा, “ठीक है, अब मुझे अपने एक दोस्त के पास जाने दो।” वे वहां गए। तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा खटखटाया। दरवाजा नहीं खुलता था। फिर वह चिल्लाया, “यह मैं आया हूँ।” तो, लड़का कहने लगा, “यह देखो। तुम्हारा दोस्त आ भी नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “नहीं, नहीं, नहीं! तुम बस इंतजार करो और देखो।

करीब दस मिनट बाद वह दोस्त आया और दरवाजा खोलकर अंदर ले गया। “क्या बात है?”

उसने कहा, “तुम्हें पता है कि मैंने किसी की हत्या की है” पिता ने कहा, “और इसलिए हम तुम्हारे पास मदद के लिए आए हैं।”

“मुझे पता था कि कुछ तो होना चाहिए क्योंकि तुम इस समय क्यों आओगे? तो, मैं अपनी पत्नी के सारे गहने इकट्ठा कर रहा था। मेरा मतलब है, अगर आपको पैसे की जरूरत है, तो बेहतर होगा कि मैं आपको गहने दे दूं। इसलिए, मुझे देर हो गई। लेकिन,” उन्होंने कहा, “अगर आपने हत्या की है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब, आपके बच्चे हैं, मेरे नहीं हैं। तो बेहतर होगा आप ऐसा बता दें कि कत्ल मैंने किया है। मुझे बताओ कि हत्या कैसे हुई, मैं हत्या को अपने ऊपर ले लूंगा। और बेटा हैरान रह गया। उसने कहा, “नहीं, नहीं, इसे ले लो।” तब पिता ने कहा, “अब देखो, यह मेरा मित्र है। तुम्हारे बीस दोस्त थे और मेरा एक ही दोस्त है!

ऐसी उनकी मित्रता है, और इस प्रकार की मित्रता हम सहजयोगियों को रखनी चाहिए। मेरा मतलब है कि एक दोस्त के साथ आप तनाव ग्रस्त नहीं हो सकते, आप नहीं हो सकते! वह पहला संकेत है। और वहां बैठे अपने मित्र के साथ, आपको झपकी नहीं आएगी, और आपको नींद नहीं आएगी, बल्कि आप आनंद लेंगे।

एक बार मैं ट्रेन से सफर कर रही थी और हमारे पास दो कम्पार्टमेंट थे। तो एक कूपे में मैं और एक बूढ़ी औरत थी। मेरा मतलब है, मैं उससे उम्र में बड़ी थी लेकिन उसने सोचा कि वह बड़ी है; और वह सोने की कोशिश कर रही थी। और दूसरे डिब्बे में दो दोस्त थे, साथ थे, तो एन्जॉय कर रहे थे। वह उसे मार रहा था और वह उसे मार रहा था। उसने कहा, “अरे तुम!” और ऐसा ही चल रहा है।

तो, इस महिला ने कहा, “इन लोगों को देखो। वे हमें सोने नहीं दे रहे हैं।” सो वह गई और उन पर चिल्लाई, “क्या तुम यह बकवास बंद करोगे? क्या हो रहा है?” उन्होंने कहा, ‘हम बहुत दिनों बाद मिले हैं, आप देखिए, तो हम एन्जॉय कर रहे हैं।’ उसने कहा, “यह कोई तरीका नहीं है। मजा आ रहा है तो एक दूसरे को क्यों मार रहे हो? और जोर से मत बोलो! और वह चली गई।

तब मैं गयी और कहा, “अब, तुम चिल्लाओ। मैं यहां हूं। कुछ मत कहो मैं दरवाज़ा बंद कर दूँगी। यह महिला नहीं आएगी। वे विस्मित थे। मैंने कहा, “जिस तरह से आप एक दूसरे का आनंद ले रहे हैं, मैं उसका आनंद ले रही हूं।” उन्होंने कहा, “आप सोना नहीं चाहती?” “नहीं, नहीं, मैं सुनना चाहती हूं कि आप एक दूसरे से क्या कहते हैं।” और वे हैरान थे कि जिस तरह से वे एक-दूसरे को मार रहे थे और एक-दूसरे का आनंद ले रहे थे, मैं कैसे उसका आनंद ले रही थी।

तो, इस तरह, मुझे आपको बताना है कि हमें दोस्त बनना है, हमें साझा करना है और साझेदारी करने का आनंद लेना है। इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं है। आप अपने दोस्त के साथ गंभीर कैसे हो सकते हैं? मेरा मतलब है, आप बस आराम कर रहे हैं, एक दूसरे की कंपनी का आनंद ले रहे हैं। बहस करनी भी पड़े तो बहस करो। कोई फर्क नहीं पड़ता कि। यहां तक कि अगर आपके पास एक अलग दृष्टिकोण है, तो यह ठीक है। लेकिन, आपको खुद को अपने दोस्त पर थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और न ही अपने दोस्त को आप पर थोपने की कोशिश करनी चाहिए, बल्कि एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए। इस तरह हम बहुत कुछ सीखने वाले हैं। आपको एक दूसरे से इतना कुछ सीखना है। उदाहरण के लिए, मैंने फ्रेंच से इतना कुछ सीखा है कि आप हैरान रह जाएंगे। मैंने फ्रेंच से बहुत कुछ सीखा है: जिस तरह से उनकी कला है, कला के बारे में उनके विचार, उनका संगीत, उनकी संस्कृति। बहुत सी चीजें सीखनी हैं।

तो, आपके दोस्त भारत में हैं, हर जगह आपके दोस्त हैं, अब दक्षिण अमेरिका में आपके दोस्त हैं। हर जगह आपके दोस्त हैं। तुम बस मेरे बैज के साथ आगे बढ़ो – समाप्त! ओह, वे सब तुम्हारे लिए कूद पड़ेंगे वे तुम्हारे लिए कुछ भी करेंगे। तो, यह दोस्ती, ज़रा सोचिए कि इस दुनिया में हमारे हर जगह हजारों हजार दोस्त हैं। और यही है जो हमें अपने भीतर जानना है: कि हमें स्वयं बहुत ही मित्रवत, बहुत मैत्रीपूर्ण होना है। एक मित्र और दूसरे मित्र के बीच एक खुलापन हो। कोई बंदपन नहीं है, कोई तनाव नहीं है, कोई औपचारिकता नहीं है। और भरोसा, इतना कि आप उनसे इस बारे में बात कर सकें कि आप क्या चाहते हैं, आपकी क्या ज़रूरत है और आपको क्या समस्याएँ हैं।

मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगे कि प्रेम का अर्थ पूर्ण स्वतंत्रता है: स्वयं के लिए और दूसरों के लिए। अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो पूरी आजादी और समझ है। लेकिन यह प्रेम बहुत, बहुत पवित्र होना चाहिए। पूरी समझ। मेरा मतलब है, आपको उस दोस्ती को महसूस करना होगा। और आपको बहुत गर्व महसूस होगा कि आपके इतने सारे दोस्त और सच्चे दोस्त हैं! आपके बहुत सारे दोस्त हैं जो सच्चे दोस्त हैं। आप एक चीज को अत्यधिक महसूस कर रहे होंगे, जैसे कि आप एक महान व्यक्तित्व हैं: कि इस दुनिया में आपके इतने सारे दोस्त हैं, आप अकेले नहीं हैं। कल्पना करें! इससे पहले हमारे पास क्या था? इतने संत, इतनी महान आत्माएं पैदा हुईं और उनके साथ अकेले लोगों की तरह व्यवहार किया गया और उन्हें सताया गया, मार डाला गया, जहर दिया गया: वे अकेले थे, लेकिन आप नहीं हैं। तुम सब एक दूसरे के मित्र हो। और आपका सबसे बड़ा मित्र ईश्वरीय शक्ति है, जो आपकी देखभाल कर रही है और आपके लिए सब कुछ कर रही है।

अगर आपके भीतर उस तरह की सुकून भरी, सुंदर जागरूकता है, तो आप जीवन का आनंद लेने जा रहे हैं, आप सहज योग का आनंद लेने जा रहे हैं और आपको सहज योग में बहुत से लोग मिलने वाले हैं। और, यदि आपके बीच ऐसा नहीं है, तो लोग कहेंगे कि, “हे माँ, आप जो भी कहें, लेकिन सहज योगी अच्छे नहीं हैं!”

इसलिए, आज के लिए,  इस देश फ्रांस में, जहां हमें ‘मुक्ति’ मिली है, जहां हमने मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी है, आइए आनंद लेने के लिए,  हम वास्तविक मुक्ति, और अपनी आत्मा की वास्तविक मुक्ति को अपनाएं: समझ के साथ हर उपलब्ध चीज का आनंद लेने के लिए।

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें। धन्यवाद।

कुछ बाहरी लोग हर समय अंदर झाँकते रहते हैं। मुझे लगता है, अगर आप सामने वाली चीज़ को बंद कर सकें, तो वे वहीं से आते हैं। नहीं, नहीं, यहाँ से; इस तरफ। वे किसी भी तरह से हमारे दुश्मन नहीं हैं।

यह भूकंप में चला जाता है! ठीक है। धन्यवाद।

तो अब सबसे पहले श्री गणेश की पूजा के साथ पैर धोना है। और तब मुझे आज यह अहसास हुआ कि: चलो हम मनाते हैं, वास्तव में यह कृष्ण पूजा की तरह है क्योंकि माधुर्य श्री कृष्ण की मिठास है। यह राधा के प्रेम की तरह है, और उनकी पूजा-की तरह।

तो, आज वास्तव में इस पूरे विषय के साथ जिसकी मैं बात कर रही हूं, सामूहिकता के बारे में, जो कि श्री कृष्ण का आशीर्वाद है। और उनका सार माधुर्य था, यही मिठास है। और राधा जो उनकी ऊर्जा थीं, आल्हाद दायिनी के लिए जानी जाती थीं। ‘आल्हाद दायिनी’ का अर्थ है आनंद देने वाली। आल्हाद आनंद से भी बढ़कर है। क्षमा करें, लेकिन आप देखते हैं, आनंद एक बहुत ही सामान्य शब्द हो सकता है लेकिन ‘आल्हाद’ का अर्थ है आनंद का उछाल। जब आप किसी को देखते हैं, आनंद की बुदबुदाहट, वह उनकी शक्ति है। और वह श्री कृष्ण की शक्ति थी।

इसलिए, जब आप किसी मित्र से मिलते हैं, तो आप जानते हैं, आप कैसा महसूस करते हैं की आप उसे अपने दिल में ले लेना चाहते हैं, बस गले लगाना चाहते हैं। और आप नहीं जानते कि इसके साथ क्या करना है। और कभी-कभी तो इतना होता है कि मारने का मन करता है। खुद को पीटना या दोस्त को पीटना। वह आनंद आल्हाद दायिनी है: वह राधा है।

तो चलिए आज हमें  – आनंद की शक्ति की, आनंद की शक्ति की और उस आनंद की शक्ति की पूजा करनी है जो आल्हाददायिनी है। बेशक हम ऐसा ही करते हैं लेकिन इस विचार के साथ कि: अब हम प्रार्थना कर रहे हैं कि  शिव के द्वारा हमारा हृदय खुल जाए। और एक बार जब हमारा ह्रदय खुल जाएगा तो वह श्री राधा और श्री कृष्ण की शक्ति से व्यक्त होगा। यह आज का संयोजन है।

आइए हम इसे इस तरह से लें, कि यह ह्रदय के खुलने का एक संयोजन है, [और] विशुद्धि के माध्यम से हम इसे व्यक्त कर रहे हैं। जैसे कुछ लोग, खासकर महिलाएं जब अति-हर्षित होती हैं तो वे रोना-धोना शुरू कर देती हैं: तो वह आल्हाद है।

तो सब बच्चे ऊपर आने वाले हैं।

साथ आओ! साथ आओ, साथ आओ!

ठीक है, बैठ जाओ। आप सब बैठ जाइए। अब चार छोटे बच्चे, साथ आओ, छोटा बच्चा। एक और, साथ आओ!

तो अब कोई नहीं रोने वाला, ठीक है?

अब, चार बच्चे एक साथ, अब चार छोटे बच्चे, साथ आओ, छोटा बच्चा। एक और है।

साथ आओ। पहले छोटे बच्चे। छोटे बच्चों। लेस पेटिट्स। छोटा, हाँ।

उन सभी को। अब बैठो, बैठो।

अभी चार छोटे-छोटे बच्चे, छोटे-छोटे बच्चे इधर आते हैं, आओ। तुम आओ, तुम आओ, तुम आओ, सब छोटे बच्चे पहले। और अब, इसे पकड़ो, अच्छा, सुंदर। कौन है वह?

इसे अभी शुरू करें। ठीक है?

(गणेश अथर्वशिर्ष शुरू होता है)