Sahasrara Puja: The Will of God

Campus, Cabella Ligure (Italy)

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                               सहस्रार पूजा, “भगवान की इच्छा”

 कबैला लिगरे (इटली), 10 मई 1992।

आज हम सहस्रार दिवस मना रहे हैं। शायद हमने महसूस ही नहीं किया हुआ कि यह कितना महत्वपूर्ण दिन रहा होगा। सहस्रार को खोले बिना, स्वयं ईश्वर एक काल्पनिक कथा प्रतीत होता था, धर्म स्वयं एक मिथक था, और देवत्व के बारे में सभी बातें एक मिथक थीं। लोग इस पर विश्वास करते थे लेकिन यह सिर्फ एक विश्वास भर था। और विज्ञान, जैसा कि उसे आगे रखा गया था, सारी मूल्य प्रणाली एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के सभी प्रमाणों को करीब-करीब खारिज़ ही करने वाला था।

अगर आप इतिहास में देखें, एक के बाद एक, जब विज्ञान ने खुद को स्थापित किया, तो धर्म और विभिन्न धर्मो में मामलों के तथाकथित प्रभारी लोगों ने विज्ञान के निष्कर्षों से तालमेल बैठने की कोशिश की। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की: “ठीक है, अगर इसे ऐसा कहा जाता है – इतना तो बाइबल में है, और अगर यह गलत है तो हमें इसे ठीक करना चाहिए।” खासतौर पर ऑगस्टीन ने ऐसा किया, और ऐसा लगने लगा कि जैसे यह सब मूर्खता है, ये शास्त्र सिर्फ पौराणिक थे। हालांकि, कम से कम कुरान में, बहुत सी चीजें थीं जो आज के जीव विज्ञान का वर्णन कर रही थीं।

वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि मानव विशेष रूप से भगवान द्वारा बनाया गया था। उन्होंने सोचा कि यह संयोग की बात है कि, एक के बाद एक, जानवरों ने एक ऐसी स्थिति हासिल कर ली जिसके द्वारा वे मनुष्य बन गए। इस प्रकार हर समय देवत्व को चुनौती दी गई थी और बाइबल या कुरान में या गीता में या उपनिषदों में या तोराह में जो कुछ भी कहा गया है, उसका प्रमाण देने का कोई तरीका नहीं था। इन बातों में से कुछ भी साबित नहीं किया जा सका था क्योंकि यह अभी भी सिर्फ एक विश्वास था।

बहुत कम लोगों को उनका आत्मसाक्षात्कार हुआ और जब उन्होंने बात की, तो लोगों ने उन पर विश्वास नहीं किया और उन्होंने सोचा कि, वे केवल कुछ कहना चाह रहे हैं, जिसका उपयोग वे अपने सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए कर रहे हैं। तो पूरी बात एक तरह का मृत विज्ञान बन गया। धर्म का कोई विज्ञान नहीं था। लोग सोचने लगे कि, “इन दस आज्ञाओं या जीवन के इन कठोर नियमों का पालन करने का क्या फायदा है, क्योंकि इन का पालन करके आप कुछ हासिल नहीं करते हैं अपितु, आप जीवन का सारा मज़ा खो देते हैं, और कुछ पुण्य पाने के बारे में क्यों सोचें ?” और इसी कारण हर समय मानव मूल्य प्रणाली का एक बड़ा पटरी से उतरना हुआ|

इन संगठित धर्मों , इन अखंड संगठित धर्मों ने शक्ति प्राप्त करने, या धन प्राप्त करने के प्रयास करना शुरू कर दिया, क्योंकि उन्होंने सोचा कि एकमात्र तरीका है जिससे आप लोगों को नियंत्रित कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। उनको बाईबल में वर्णित अच्छाई प्रदान करने की न्यूनतम परवाह थी। बेशक बाइबल में बहुत छेड़छाड़ की गई थी और उसमें बहुत से बदलाव किए गए थे। और पॉल, और पीटर जैसे व्यक्ति, जो एक साथ शामिल हो गए, ने अधिकांश सत्य को खराब करने की कोशिश की। हालाँकि कुरान को इतना अधिक नहीं छुआ गया था, लेकिन फिर भी यह अधिक दाईं बाज़ू , प्रजनन प्रणाली वगैरह से व्यवहार करता है, और बहुत सी चीजें अभी भी अस्पष्ट हैं।

अब एक साथ दो चीजें हुई हैं, मुझे नहीं पता कि आप इसके बारे में जानते हैं या, नहीं। पहली बात यह है कि अब हमारे पास माइक्रोबायोलॉजी का एक नया विज्ञान है, जिसमें हमने पाया है कि प्रत्येक कोशिका को एक डी एन ए टेप प्राप्त है, प्रत्येक कोशिका को इसमें एक प्रोग्राम मिला है। उसी प्रकार जैसा कि हमारे पास एक कंप्यूटर में एक चिप होता है, एक तरह से हर सेल को एक टेप मिला है, तथा यह  कि यह प्रोग्राम किया जाता है, और उस प्रोग्राम के अनुसार एक विकास होता है। अब पूरी बात की गहनता की कल्पना करो! इतने सारे कंप्यूटर पहले से ही प्रोग्राम किए गए हैं और इन सभी कोशिकाओं में ये हैं। इसलिए वैज्ञानिकों के समक्ष एक बहुत ही रहस्यमयी बात सामने आई है और वे इसे समझा नहीं पाते हैं । वे बहुत सी बातें नहीं समझा सकते हैं लेकिन उनमें से एक यह भी है।

अब सहज योग ने जो किया है, उसने यह साबित कर दिया है कि यह ईश्वर की इच्छा है, यह परमात्मा की इच्छा है, ईश्वर की इच्छा, जो सभी कार्य कर रही है, और यह सिद्ध हो गया है। ये सब कुछ चैतन्य, आदि शक्ति, और ईश्वर की इच्छा के अलावा कुछ भी नहीं है, ईश्वर की इच्छा सारा कार्य बहुत सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम कर रही है। मुझे नहीं पता कि आप में से कुछ ने मेरी किताब, पहली किताब ( बुक ऑफ़ आदि शक्ति ’) पढ़ी होगी, जहाँ मैंने वर्णन किया है कि यह पृथ्वी कैसे बनी। एक धमाका हुआ था, लेकिन यह बहुत सामंजस्यपूर्ण था, और जैसे यह विकसित हुआ भगवान की इच्छा के माध्यम से है। तो सब कुछ इस तरह से किया गया था कि ईश्वर की इच्छा इसे पूरा कर रही थी।

अब, भगवान की इच्छा, आप इसे अपनी उंगलियों के छोर पर महसूस कर रहे हैं। आत्मसाक्षात्कार के बाद, अब, आपने पूर्ण विज्ञान, जो कि ईश्वर की इच्छा है, की खोज की है जो की एक पूर्ण विज्ञान है। आप लोग जानते हैं कि हमने सहज योग के माध्यम से लोगों को ठीक किया है। आप बंधन देना, और वह सब कुछ, जो काम करता है यह भी जानते हैं । बोध के बाद इतनी सारी चीजें स्वतः काम करती हैं कि लोग विश्वास नहीं करना चाहते हैं। शुरुआत में लोगों को विश्वास नहीं हुआ जब वैज्ञानिकों ने उन्हें कुछ बताया, लेकिन अब यह है, तो आप देख सकते हैं, विज्ञान हमेशा प्रवाह में है, लगातार बदल रहा है। एक सिद्धांत को फिर से चुनौती दी गई, दूसरे सिद्धांत को फिर से चुनौती दी गई। लेकिन सहज योग ने आपको विज्ञान के उस महान सत्य से अवगत कराया है जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती है, जो कि पूरी तरह वहाँ है।

इसलिए जो कोई भी ईश्वर को बदनाम करने के बारे में कोई नया प्रस्ताव लेकर आता है, या यह कहता है कि कोई ईश्वर नहीं है, हम न केवल साबित कर सकते हैं, कि ईश्वर है, बल्कि इस पृथ्वी का निर्माण, मनुष्यों का निर्माण और सब कुछ भगवान की इच्छा द्वारा सामंजस्यपूर्वक किया गया था। यदि ईश्वर की इच्छा ने सब कुछ किया है, तो मनुष्य को कुछ ऐसी चीजों की खोज करने का कोई भी श्रेय नहीं लेना चाहिए जो ईश्वर द्वारा बनाई गई थीं। मान लें कि यह कालीन किसी के द्वारा बनाया गया है और हम सभी रंगों की खोज शुरू कर देते हैं, इसमें क्या बड़ी बात है? यह सब वहाँ पहले से मौजूद है। आप बना नहीं सकते।

इसलिए इसके निर्मित भाग की अपेक्षा इस दुनिया की निर्माण प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। पूरी बात भगवान की इच्छा से हुई थी। अब यदि ईश्वर की इच्छा बहुत महत्वपूर्ण है, तो इसे सिद्ध करना होगा, और अब सहज योग के माध्यम से, सहस्रार के टूटने के बाद, आपने पहली बार, ईश्वर की इच्छा को महसूस किया है, जो कि एक महत्वपूर्ण बात है लेकिन हमारे लिए यह इतना सहज है कि हम समझ नहीं पाते हैं। हम केवल बंधन देते हैं और चीजें काम करती हैं और हमें लगता है कि चूँकि चीजों ने काम किया है, मतलब यह बंधन है जिसने काम किया है, और हमने सब कुछ प्रबंधित किया है – परन्तु ऐसा नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है। हम अब भगवान की उस इच्छा के उस बड़े कंप्यूटर का अंग-प्रत्यंग बन गए हैं,  कह सकते हैं कि, हम भगवान की उस इच्छा के माध्यम, या चैनल बन गए हैं। हम ईश्वर की उस इच्छा से जुड़े हैं जिसने यह सारा ब्रह्मांड बनाया है। तो हम सब कुछ संचालित कर सकते हैं क्योंकि हमें अपने हाथ में निरपेक्ष विज्ञान मिला है। निरपेक्ष विज्ञान जो पूरी दुनिया की बेहतरी के लिए काम करेगा। हम इसे वैज्ञानिक को साबित कर सकते हैं कि ईश्वर की एक इच्छा है जिसने यह सारी रचना की है। यहां तक ​​कि विकासवादी प्रक्रिया ईश्वर की इच्छा है। बिना उनकी इच्छा के कुछ नहीं हो सकता था।

कई लोग अक्सर कहते थे कि “ईश्वर की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है”, जो एक बहुत ही सच्ची बात है। और अब आपने देखा है कि हमें ईश्वर की इच्छा अपनी शक्ति के रूप में मिली है, हम इसका उपयोग कर सकते हैं, इसलिए सहज योगी होना कितना महत्वपूर्ण है! शायद हमें इसका अहसास ही नहीं है कि सहज योगी होना कितना महत्वपूर्ण है। सहज योग केवल यह कहने के लिए नहीं है कि “माँ, मैं आनंद से भरा हुआ हूं, मैं खुद का आनंद ले रहा हूं। मैं शुद्ध हो गया। सब कुछ ठीक है”। लेकिन किसलिए? आपको ये सब आशीर्वाद क्यों मिला? आपको क्यों साफ़ किया गया है? ताकि ईश्वर की इच्छा का यह ज्ञान आप में प्रकट हो, इतना ही नहीं, आप का एक अंग-प्रत्यंग होना चाहिए।

इसलिए हमें अपने स्तर को ऊपर उठाना होगा, हमें ऊपर आना होगा। औसत दर्जे के और सामान्य लोगों के लिए वास्तव में उन्हें सहज योग देना बेकार है क्योंकि वे किसी काम के नहीं हैं। वे किसी भी तरह से हमारी मदद नहीं करेंगे क्योंकि आज और अभी की जो जरूरत है कि,  हमारे पास ऐसे लोग होने चाहिए जो वास्तव में परमेश्वर की इच्छा को प्रकट और प्रतिबिंबित कर सकें। और इसके लिए, आप समझ सकते हैं, हमें बहुत मजबूत लोग रखना होंगे क्योंकि इस इच्छा ने पूरी दुनिया, ब्रह्मांड, इस धरती माता को बनाया है, सब कुछ इस ईश्वर की इच्छा से बनाया गया है। इसलिए अब हम एक नए आयाम के संपर्क में हैं और वह आयाम यह है कि हम ईश्वर की इच्छा के माध्यम हैं। तो फिर, हमारा कर्तव्य क्या है और हमें इसके बारे में क्या करना चाहिए?

सहस्रार के खुलने के परिणामस्वरूप, एक बात हुई: भ्रम गायब हो गया है, जिसे आप  संस्कृत में कहते हैं कि, भ्रांति मिट गई। आपको सर्वशक्तिमान ईश्वर, उनकी इच्छा की शक्ति और सहज योग के बारे में सच्चाई के बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। आपको बिलकुल भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए! कम से कम इतना तो होना ही चाहिए। लेकिन इस शक्ति का उपयोग करते समय आपको पता होना चाहिए कि यह शक्ति आपको इसलिए दी गई है क्योंकि आप इसे संभालने में सक्षम हैं। यह वह उच्चतम शक्ति है जिसके बारे में आप सोच सकते हैं। किसी भी राज्यपाल को ले लो, किसी भी मंत्री, किसी का भी उदहारण ले लो,  कल उन्हें हटाया भी जा सकता है, वे भ्रष्ट हो सकते हैं, वे अपनी शक्तियों के बारे में किसी भी ज्ञान से बिल्कुल रहित हो सकते हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ इस ज्ञान के बिना ही निर्वाचित हो जाते हैं कि उन्हें क्या करना है।

तो यह केवल लोगों का परिवर्तन ही नहीं है, यह केवल रूपांतरण भी नहीं है, बल्कि यह एक नए मनुष्य के प्रारूप का नव निर्माण है जो आगे आया है और जो आगे ईश्वर की इच्छा को आगे बढ़ाने में सक्षम है।

तो आपके आत्मसाक्षात्कार  के परिणामस्वरूप, आपको क्या मिला है? पहली बात यह है कि आपका भ्रम दूर हो गया है। आपको सर्वशक्तिमान  ईश्वर, और उनकी इच्छा के बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए और वह सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञ है। उनके  सर्वशक्ति ने यह काम किया है, और एक सामूहिक चेतना के रूप में आपको यह भी पता होना चाहिए कि आप भी सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञ हैं। सर्वज्ञ वह चीज है, जो वह सब कुछ देखता है, सब कुछ जानता है। इस शक्ति का एक हिस्सा, आपके भीतर भी है। इसलिए उनकी सर्वव्यापीता को साबित करने के लिए आपको हर समय जागरूक रहना चाहिए कि आप सहज योगी हैं। जब मुझे पता चलता है, की अब भी, सहज योगी अपनी पत्नियों, अपने बच्चों, अपने घर, अपनी नौकरियों के बारे में संघर्ष कर रहे हैं, मैं आश्चर्य करती हूँ कि अब उनका स्तर क्या है? वे कहां हैं?  जो भूमिका उन्हें प्राप्त हुई है उसे कब वे अदा करने जा रहे हैं?

तो सर्वशक्तिमान ईश्वर जो हर जगह है, जिसने यह सब किया है, ईश्वर की इच्छा जिसने इसे कार्यान्वित किया है, आप लोगों के माध्यम से काम करना है और आपको बहुत मजबूत, बहुत समझदार, बहुत बुद्धिमान, बहुत प्रभावी लोग रहना है। जितना अधिक आप प्रभावी होंगे उतनी ही अधिक ऊर्जा प्राप्त करेंगे। लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि अधिकतर सहज योगी, यह समझने की ज़िम्मेदारी नहीं ले रहे हैं कि उन्हें इस सर्वशक्तिमान सर्वज्ञ ईश्वर का प्रतिनिधित्व करना है, जो सब कुछ जानता है, जो सब कुछ देखता है और जो शक्तिशाली है, सर्वशक्तिमान है।

यदि आप समझते हैं कि सहस्रार को खोलने के बाद ऐसा हुआ है कि, आपको अब वह शक्ति प्राप्त हो गई है, जिसमें ये तीन गुण हैं। कहना होगा कि, अब इस बड़ी बात को मजबूत स्तंभों का सहारा देना होगा, लेकिन अगर वे स्तम्भ मजबूत नहीं होते हैं, तो यह नीचे गिर जाएगी। उसी तरह आपके पास जो ऐसी महाशक्ति आई है। इसके लिए हमें बहुत सफल लोगों की ज़रूरत नहीं है,  हमें ऐसे लोगों की ज़रूरत नहीं है जिनके पास बड़ा नाम है या जिनके पास बहुत पैसा है, जो हमें चाहिए चरित्रवान, समझदार, बुद्धिमान और शक्तिशाली लोग जो कहें कि, ” परिस्थिति जैसी भी हो मैं उसके साथ खड़ा होऊंगा,  मैं इसे करूँगा,  मैं इसके साथ सामना करूंगा,  मैं खुद को बदलूंगा और खुद को सुधारूंगा”।

तो अब भ्रम दूर कर दिया गया है: मुझे आशा है कि आप सभी को अपने भ्रम से छुटकारा मिल गया है। साथ ही आपको अपने बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। यदि आपको कोई भ्रम है तो आपको सहज योग छोड़ देना चाहिए। लेकिन यह जान लें कि आप इस उद्देश्य के लिए ईश्वर की इच्छा द्वारा चुने गए हैं, इसीलिए आप यहाँ हैं और, इस निरपेक्ष विज्ञान को समझने और इसे स्वयं अपने लिए और दूसरों के लिए भी कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी आपको लेना है। 

तुमने मेरा प्यार महसूस किया है, लेकिन तुम्हारा प्यार भी महसूस किया जाना चाहिए, क्योंकि भगवान प्रेम है। इसलिए आपका प्यार दूसरों को महसूस होना चाहिए। अन्य को यह महसूस होना चाहिए कि आप दयालु, प्रेम करने वाले, समझने वाले हैं और यह कि, हर समय भगवान की यह इच्छा आपके माध्यम से बह रही है। और आपको इस तरह से काम करना होगा ताकि लोगों को पता चले कि आप एक संत हैं और यह शक्ति आपके माध्यम से बह रही है।

फिर दूसरी बात जो आपके साथ हुई है, वह यह है कि आपको ईश्वर और अपने बारे में भ्रम नहीं है, दूसरी बात जो हुई है कि,  आप अखंडता को समझ गए हैं, कि दुनिया में पूर्ण अखंडता विद्यमान है।

आम तौर पर अगर आप बच्चों को देखते हैं, तो उनकी अपनी स्वाभाविक, अंतर्जात समझ होती है। वे जानते हैं| यदि आप देखते हैं, आम तौर पर, एक अच्छा बच्चा हमेशा अपनी चीजों को साझा करना चाहेगा, दूसरे बच्चे से प्यार करना चाहेगा, अगर कोई दूसरा छोटा बच्चा है, तो उस बच्चे की रक्षा करना चाहेंगे – स्वाभाविक रूप से! वह नहीं सोचेगा कि उसके काले बाल हैं या लाल बाल हैं या नीले बाल हैं। स्वाभाविक रूप से, सहज रूप से एक बच्चा इस तरह महसूस करता है।

इसके अलावा, यदि मान लो, आप एक अन्य बच्चा लेते हैं, जो की एक छोटा बच्चा है, वे जानते हैं कि शरीर की गोपनीयता के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चे दूसरों के सामने नग्न नहीं होना चाहते। कोई बच्चा इसे पसंद नहीं करता। सहज रूप से वे जानते हैं। तो ये सभी जन्मजात गुण आपके भीतर हैं। बच्चे कुछ भी चुराना पसंद नहीं करते। वे नहीं जानते कि चोरी क्या है। उन्हें चोरी करने का कोई पता नहीं है। मैंने ऐसे बच्चों को भी देखा है कि, अगर वे किसी ऐसी जगह पर जाते हैं, जो बहुत सुंदर है, किसी के घर में, वे हमेशा उस जगह की सुंदरता को बनाए रखने की कोशिश करेंगे, लेकिन अगर यह पहले से ही जर्जर है तो वे बुरा नहीं मानते।

तो ये सभी अंतर्जात गुण हैं। मुझे लगता है कि जिन देशों को अविकसित माना जाता है, उनके भीतर ऐसे कई गुण हैं, जो हमारे भीतर सहज रूप से निर्मित हैं। अबोधिता अंतर्जात बनी होती है । तो ईश्वर की इच्छा ने , पहली और सबसे महत्वपूर्ण चीज अबोधिता,और शुभता बनायी। सबसे पहली चीज़ जो उन्होंने [ या मैं कहूंगी, वह, क्योंकि भगवान की इच्छा आदि शक्ति है ] की श्री गणेश की रचना। और यह सब पूरी दुनिया को बहुत सुंदर बनाने के लिए सबसे पहले बनाया गया था। ये सभी जन्मजात गुण आपके भीतर भी थे। उन सभी देवताओं को आपके भीतर रखा गया था। [वे] विशेष रूप से बनाए गए थे, मनुष्य, कि वे संत लोग बन जाएं, कि उनके पास अपने संतत्व का सहज ज्ञान होना चाहिए।

लेकिन उन देशों में जो विकसित हुए थे ऐसा हुआ कि,  मस्तिष्क में टेलीविजन, तथा उसी प्रकार की  सभी चीजों द्वारा आक्रमण किया गया, और हम कह सकते हैं,  हम बहुत कमजोर हो गए। हम दूसरों के विचार अपनाने लगे। जो भी हावी होने की क्षमता रखता था, वह हम पर हावी हो सका था| यह केवल हिटलर नहीं है जो लोगों पर हावी था।  आज यह भी देखते हैं कि अगर आप वास्तव में इस दुनिया से खुद को अलग कर लेते हैं तो हम पर कितना दबाव आता हैं। उदाहरण के लिए, फैशन। कुछ चीजें ऐसी सामने आती हैं कि, लोग किसी भी कीमत पर छोड़ नहीं पाते हैं, वे कुछ ऐसा नहीं अपना पाते जो समझदारी भरा हो क्योंकि ऐसा फैशन चलन में है। उदाहरण के लिए, आजकल एक फैशन है, जैसे कि इतनी छोटी स्कर्ट हो। आपको कहीं भी एक लंबी स्कर्ट नहीं मिल सकती है हर किसी को उस तरह की स्कर्ट पहननी होगी अन्यथा आप लोगों में शामिल नहीं हैं, आप पागलखाने में नहीं हैं! अब इस तरह की चीज की सुबह से शाम तक बमबारी की जाती है, इसलिए सबसे पहले, हम अगर आप वास्तव में इस दुनिया से खुद को अलग नहीं कर लेते हैं तो उद्यमियों के गुलाम बन जाते हैं, जो भी वे हमें देते हैं। अब, मुझे बताया गया था कि बेल्जियम में आपको कुछ भी ताज़ा नहीं मिल सकता है, आपको सुपरमार्केट से सब कुछ लेना होगा, जो सभी टिन पेक है। धीरे-धीरे हमारे साथ ऐसा हो रहा है कि – हम बिल्कुल कृत्रिम हो रहे हैं। भोजन कृत्रिम है, पहनावा कृत्रिम है, हमारा पूरा रवैया कृत्रिम हो जाता है क्योंकि हमारे ऊपर विज्ञापनो एवं सभी प्रकार के बाहरी प्रभावों द्वारा इतना अधिक आक्रमण होता हैं कि, हम बस खो जाते हैं और हम भूल जाते हैं कि हमारी सहज समझ क्या है जो की इन आधुनिक चीज़ों के दबाव में आ गयी है।

तो हम कह सकते हैं कि, विज्ञान को मिलाकर भी एक अन्य ही दिशा में एक बड़ी प्रगति हो गयी है कि, पैसा बहुत महत्वपूर्ण हो गया। एक बार जब पैसा महत्वपूर्ण हो जाता है, तो आपके सभी उद्यमी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि कैसे पैसा कमाया जाए और आपको हर समय मुर्ख बनाया जाए। आज आप यह चीज़ लो, कल आप वह चीज़ लो। आज आप यह चीज़ बदल कर वह चीज़ लीजिये |लेकिन जो लोग आतंरिक तौर से तैयार होते हैं वे नहीं बदलते हैं! उनके पास उसी तरह के कपड़े होते हैं, वे नहीं बदलते हैं। इसके विपरीत उन्हें अपनी पारंपरिक उपलब्धियों से बाहर निकलना बहुत मुश्किल लगता है और वे खुद को बदलना नहीं चाहते हैं। तो, सहज योगियों के लिए आधुनिक समय में, इस बात को देखना और निगरानी रखना महत्वपूर्ण है कि कहीं वे उद्यमियों की गुलामी तो नहीं प्राप्त कर रहे हैं।

फिर, विचार: इतनी सारी किताबें हम पढ़ते हैं, जो आपको विचार देती हैं, जो कुछ पागल हैं, मैं कहूंगी, किसी पागल के प्रलाप, फ्रायड की तरह। फ्रायड पश्चिम को किस तरह प्रभावित कर सका? क्योंकि आपने अपना अंतर्जात स्वभाव खो दिया  और आपने उसे स्वीकार कर लिया। आपने यह स्वीकार कर लिया इसीलिए फ्रायड आपका, ईसा मसीह जैसा बन पाया। वह सबसे महत्वपूर्ण चीज बन गया। सेक्स सबसे महत्वपूर्ण चीज बन गई। मेरा मतलब है कि यह बहुत ही सरल है, जिसे बहुत कम समझ होने पर भी समझा जा सकता है की, हर पल, हम इन कुछ दबंग लोगों द्वारा इस तरह के वर्चस्व में रखे जाते हैं, जिनके पास कुछ निश्चित विचार होते हैं, और वे इन विचारों को सामने रखते हैं। कोई भी विचार रखता है, उदाहरण के लिए, साद (Marquis de Sade) या सार्त्र या कोई भी अन्य , तब यह विचार इसलिए वर्चस्व रखने लगता है कि, “ओह उसने कहा है”।  थोड़े सामान्य ज्ञान एवं अपनी इच्छा जो अब आप के पास है परमात्मा की इच्छा जिसने सारे विश्व को तथा आप को बनाया है के साथ आप को खुद देखना चाहिए कि, वह कौन है? उसका जीवन क्या है? वह किस तरह का आदमी है।

आपके भीतर की हर कोशिका की सर्वशक्तिमान ईश्वर ने सरंचना की है और आप जो कर रहे हैं कि, इन उद्यमियों के हाथों में खेल रहे हैं। मुझे कहना चाहिए कि,उन्होंने जान लिया है कि, ये कमजोर लोग अपने शिष्यों के रूप में होने के लिए, उन्हें बहलाकर पैसा बनाने के लिए बहुत अच्छे हैं। अब एक तरफ, आपके पास एक ऐसी महान शक्ति है, आपको एक ऐसी महान चीज़ के लिए चुना जाता है, और दूसरी तरफ इस तरह की गुलामी है। इसलिए यह समझने की कोशिश करें कि आपके जन्मजात गुण खो गए थे। लेकिन सौभाग्य से, कुंडलिनी जागरण और सहस्रार के भेदन से, आपकी अबोधिता, रचनात्मकता, आतंरिक धर्म, मानवता के प्रति प्रेम व करुणा, निर्णय क्षमता और विवेक ये जो सभी जन्मजात गुण जो की खोए हुए लगते थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था बस वे एक निष्क्रिय स्थिति में थे और वे सभी एक-एक करके जागृत हो गए।

मुझे आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि “यह मत पिएं! यह मत खाओ! ऐसा मत करो! ”। आप स्वयं महसूस करते हैं कि यह गलत है, आप स्वयं जानते हैं कि आपके लिए क्या अच्छा है, और फिर भी यदि आप गलत करना चाहते हैं तो आप आगे बढ़ सकते हैं। लेकिन पहले से ही आपके भीतर एक प्रकाश है खुद ही देखने के लिए कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। यह नए ज्ञान का एक नया आयाम सहस्रार के खुलने के कारण आया है। और यह नया नहीं है, यह सब आपके भीतर जन्मजात  निर्मित है। अब वे सभी जन्मजात गुण प्रकट हो रहे हैं और आप उनका आनंद ले रहे हैं।

तो अब आपको अपने क्षुद्र विचारों और क्षुद्र बातों से बाहर निकलना होगा। लोग मुझे कुछ मज़ेदार बता रहे हैं – मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि सहज योगी ऐसा कर सकते हैं – कि वे उन प्लेटों के साथ भाग जाते हैं जिन्हें मैंने खरीदा है, या वे कप के साथ भागते हैं, वे चीजों को इधर-उधर फेंक देते हैं वे चीजें फेंक रहे हैं। आप इस तरह का व्यवहार कैसे कर सकते हैं? मेरा मतलब है कि यह इतना मूर्खतापूर्ण और भद्दा है। यदि आपके पास जीवन का उचित अनुशासन नहीं है, तो आप परमेश्वर की इच्छा को नहीं अपना सकते, आप नहीं कर पायेंगे| लेकिन मैं आपको यह नहीं बताने जा रही हूं कि “यह करो या वह करो!” मैं आपकी स्वतंत्रता का सम्मान करती हूं और मैं केवल यह चाहती हूं कि स्वयं आपकी कुंडलिनी आप में उस ज्ञान, महानता तथा, गौरव को जागृत करें और आप यह समझना शुरू करें कि हमारी जन्मजात गुणवत्ता क्या है।

तो यह आपको शुद्ध करेगा। एक बार जब आप पूरी तरह से शुद्ध हो जाते हैं, जैसे आप देखते हैं, अगर आपके पास कुछ सोना है जो शुद्ध नहीं है तो आप इसे आग में डाल दें, सोना अलग हो जाता है। उसी तरह, कुंडलिनी की आग आपको पूरी तरह से साफ कर देती है, आपको बिल्कुल साफ कर देती है, और आप खुद का गौरव, स्वभाव और,  महानता देखना शुरू कर देते हैं। इसलिए आप में आसानी से एकाकारिता आती है| आप एकात्म होने लगते हैं।

शुरुआत में,  कुछ इंग्लैंड से, कुछ स्पेन से, कुछ यहाँ से सहज योगी थे। उनके हमेशा अलग-अलग समूह होते थे, वे कभी एक साथ नहीं बैठते थे, आप आसानी पहचान सकते थे कि यह अंग्रेज यहां बैठे हैं, वे यहां बैठे हैं, वे यहां बैठे हैं, और वे एक समूह बनाएंगे, लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब मुझे लगता है कि वे सभी एकीकृत हो रहे हैं। सहज के लिए इंसानों का एकीकरण सबसे महत्वपूर्ण है|

यह समझदारी से आता है, आपकी बुद्धिमत्ता से नहीं, बल्कि इस सहज समझ से कि सभी मनुष्य ईश्वर द्वारा, उसकी इच्छा से बने हैं, और हमें किसी को भी तिरस्कृत करने का कोई अधिकार नहीं है।

आपके भीतर जो दूसरा एकीकरण आया है, वह यह है कि सभी धर्म, सभी धर्म, आध्यात्मिक जीवन के एक ही वृक्ष पर पैदा हुए हैं। कि सभी धर्मों की आराधना की जानी है, सभी अवतारों, सभी पैगंबरों, सभी धर्मग्रंथों की आराधना की जानी है। उन शास्त्रों के साथ दोष हैं, समस्याएं हैं जिन्हें ठीक किया जा सकता है।

इसलिए धीरे-धीरे आप देवत्व के सूक्ष्म पक्ष में प्रवेश कर यह समझने लगते हैं कि इन सभी लोगों ने आज के सहज योग के लिए वातावरण बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, और किसी भी धर्म को तुच्छ नहीं जानना है और किसी भी धर्म पर हमला नहीं करना है, ऐसा करना एक बहुत, बहुत, बिल्कुल असत्य बात है और आप एक बहुत ही काल्पनिक सिद्धांत पर काम कर रहे हैं जो ईश्वरीय योजना में मौजूद ही नहीं है।

तो इसी तरह हम सभी कट्टरवाद को खत्म करते हैं। वे कट्टरपंथी हैं जो,  मानते हैं कि “यह इस पुस्तक में लिखा गया है, वह इस पुस्तक में लिखा गया है,” और ऐसा “चूँकि हम इस पुस्तक को पढ़ते हैं, हम कुछ बेहतर हैं।” कोई भी किसी भी पुस्तक को पढ़ सकता है, इसमें क्या बड़ी बात है?

इसी तरह, मैं कहूंगी कि सहज योग में लोगों को कट्टरपंथी नहीं बनना चाहिए। बहुत सावधान रहें! क्योंकि आप ऐसे ही हैं  – अंतर्जात रूप से , मेरा मतलब है, मुझे नहीं पता, लेकिन यह आपकी जन्मजात गुणवत्ता नहीं है, लेकिन जिस तरह से आप को वैसा बनाया जाता है , आपने खुद को इस तरह से ढाला है, कि कभी-कभी आप सहज योग को भी कट्टरपंथी बनाना शुरू कर देते हैं । “माँ ने ऐसा कहा।” कुछ भी कहने के लिए मेरा उद्धरण ना दे ! “माँ ने ऐसा कहा कह कर एक तरीके से,” आप दूसरों पर हावी होना चाहते हैं। आप खुद कहो क्योंकि अब आपके पास एक अधिकार है, सहज योग में आपका स्वतंत्र व्यक्तित्व है, जो भी आप को कहना है आप कह सकते हैं, लेकिन ऐसा मत कहो कि “माँ ने कहा है!” क्योंकि, अन्यथा कोई भी ऐसा इस तरह शुरू कर सकता है कि: “ईसा-मसीह ने यह कहा!”। एक पुरोहित या,कहें, पोप अपने खुद के मंच पर खड़े हो कर कहें कि ईसा-मसीह ने ऐसा कहा, तब बिलकुल वे इन सभी चीजों का मनमाना उपयोग कर सकते हैं। इसलिए किसी को भी मनमाने तरीके से मेरे नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है। आपको जो कुछ भी कहना है वह आप खुद कहें, लेकिन मुझे कभी भी इस तरह से उद्धृत न करें कि: “माँ ने कहा है,” या, “इस पुस्तक में ऐसा और ऐसा लिखा गया है, इसलिए यह सलाह है, यह महत्वपूर्ण है।” आप किसी भी पंक्ति या सलाह से ना ही जो भी मैं कहती हूँ उससे बाध्य हैं | यह तो आप को ही स्वयं खड़े हो कर खुद देखना है की आप को क्या कहना है, क्योंकि आपको अब अपनी इच्छा का उपयोग करना होगा और इसके लिए आपको स्वयं को शुद्ध इच्छा, ईश्वर की शुद्ध इच्छा रखने के लिए विकसित करना होगा।

एकीकरण केवल बाहरी नहीं, बल्कि भीतर की ओर है। जैसे की इससे पहले, जो भी हम करते थे, हमारा दिमाग एक बात कहता था, हमारा दिल दूसरी ही बात कहता था, हमारा दिमाग एक अन्य ही तीसरी बात कहता था। अब तो ऐसा हो गया है कि ये सभी तीनों चीजें एक हो गई हैं, इसलिए आपका मस्तिष्क जो कुछ भी कहता है वह आपके दिल के लिए बिल्कुल स्वीकार्य है, आपके चित्त को भी बिल्कुल स्वीकार्य है। तो आप स्वयं, आप अब एकीकृत हो गए हैं। बहुत से लोग लिखते हैं, “माँ मैं इसे करना चाहता हूँ, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता,” “माँ यह करना मेरी इच्छा थी, लेकिन मैं इसे नहीं कर सकता।” अब नहीं! अब आप पूरी तरह से एकीकृत हो गए हैं और आप आसानी से पूरे काम को बहुत अच्छी तरह से कर सकते हैं।

यदि आप खुद की जांच करना चाहते हैं, तो आपको यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि “क्या मैं एकीकृत हूं या नहीं? मैं जो भी कर रहा हूं, क्या मैं अपने पूरे दिल से कर रहा हूं या नहीं, अपने पूरे चित्त से या नहीं? ” मैंने देखा है कि आप पूरे हृदय और पूरी बुद्धिमत्ता के साथ करते हैं लेकिन चित्त पूरा वहाँ नहीं है। अब भी चित्त, जो पहली चीज है जो प्रबुद्ध थी, पूरी तरह से उपयोग नहीं की जाती है। इसलिए पूरा चित्त बिलकुल होना चाहिए, कि, “मुझे इस बात को पूरे चित्त के साथ करना है,” अन्यथा, एकीकरण पूर्ण नहीं है, एकीकरण आंशिक है। तो इन तीन चीजों को पूरी तरह से एकीकृत करना होगा। तो सभी चक्रों का एकीकरण होता है। जैसे आप जो भी करते हैं वह शुभ ही होना चाहिए, जो भी आप करें वह पूरे चित्त से होना चाहिए, जो भी आप करते हैं वह बिल्कुल धार्मिक होना चाहिए। तो इस तरह, आपके पास ये सभी चक्र पूरी तरह एक एकीकृत शक्ति है। तो पूरा जीवन एकीकृत होना  चाहिए।

अब, माना कि किसी का पति उस स्तर का नहीं है या किसी की पत्नी उस स्तर की नहीं है, आपको परेशान नहीं होना चाहिए, आपको केवल अपने बारे में परवाह करना चाहिए। किसी और से कुछ भी उम्मीद न करें। आपका कर्तव्य ही महत्वपूर्ण है। आपको अपना कर्तव्य पूरा करना होगा और आपको खुद इसे पूरा करना होगा। जब तक आप यह नहीं समझते कि यह आपने व्यक्तिगत रूप से इसे हासिल किया है, और इसे आप को व्यक्तिगत रूप से इसे महसूस करना है, वह व्यक्ति विशेष है जिसे एकाकर होना है,अन्य सभी के साथ एकीकृत ।

यदि आप चीजों को रखना शुरू करते हैं, जैसे कई बार मैंने देखा है कि, अगर मैं कुछ कहती हूं तो कुछ लोग सोचने लगते हैं कि मैं किसी और के लिए कह रही हूं, तो वे इसे कभी भी अपने ऊपर नहीं लेते हैं। इसलिए, हमें यह नहीं देखना है कि मेरा लाभ क्या है: “मुझे वित्तीय लाभ मिला है,” कहते हैं, “मुझे शारीरिक लाभ मिला है, मुझे मानसिक लाभ मिला है, मुझे आनंद, खुशी मिली है,” केवल यही बात नहीं है| वह एकमात्र मापदंड नहीं होना चाहिए। लेकिन आपको अपने स्वयं के व्यक्तित्व की समझ होनी चाहिए जिसकी कई कई जन्मो में विशेष रूप से सरंचना की गई ताकि इस जन्म को पा कर आप आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त कर परमात्मा की इच्छा के कार्य में अग्रसर हों|

हर पल जब आप किसी चमत्कार को होते हुए देखते हैं, तो आप को अहसास होता  है कि यह सब परमचैतन्य ने किया है लेकिन परमचैतन्य क्या है? आदि शक्ति की इच्छा है। और आदि शक्ति क्या है? ईश्वर की इच्छा है। तो, यह सब, जो कुछ भी किया गया है, सभी ’निश्चित निकाय हैं’, हम उन्हें ऐसा कह सकते हैं, या ये वाय्ब्रेश्न्स  DNA  टेप की तरह हैं जो सब जानते हैं की, आप को किस तरह ढालना हैं|

देखिए, आज बहुत धूप है। हर कोई हैरान है कि ऐसा कैसे हो सकता है। इस तरह बहुत सी चीजें होती हैं। एक अन्य दिन, हमने हवन किया, यह बिल्कुल धूप का दिन था। तो पूरा ब्रह्मांड आपके लिए काम कर रहा है। आप अभी कार्य स्थल पर हैं और आप को यह सुनिश्चित करना है लकिन अगर आपको खुद पर विश्वास नहीं है, अगर आपको विश्वास नहीं है कि आप क्या हैं, तो आप कैसे मदद कर सकते हैं? कैसे आप खुद कार्यान्वित हो कर और दुनिया की सभी समस्याओं को हल कर सकते हैं, जो केवल मनुष्यों द्वारा बनाई गई हैं?

इसलिए हमें अपने उपर हावी इन सभी वर्चस्वों को पूरी तरह से उखाड़ फेंकना होगा।

शुरुआत विज्ञान से। हम सब कुछ साबित कर सकते हैं कि,  जो कुछ भी विज्ञान के बारे में सहज योग ने,कहा वह साबित हो गया है। इसलिए, हम उस विज्ञान को जो कि हमेशा, हर समय, प्रवाह में, यह हर समय बदल रहा है फेंक सकते हैं, ।

फिर हमारे पास जो तथाकथित धर्म हैं। तथाकथित धर्म क्योंकि जो लोग कैथोलिक रहे हैं, जो प्रोटेस्टेंट रहे हैं, जो हिंदू, मुसलमान, , या यह और वे,  रहे हैं वे सभी उनके दिमाग में घर कर गए हैं। और इसे फेंकना होगा। हमें एक नया व्यक्तित्व बनना होगा। , जैसा कि मैंने कहा, बोध के बाद आप कीचड़ में कमल के समान हो जाते हैं।

तो अब आप कमल बन गए हैं और कमल को इस सभी मृत कीचड़ को फेंकना होगा, अन्यथा वहाँ खुशबू नहीं रहेगी।  व्यक्ति को यह हासिल करना है, की इन सभी बन्धनों को निकाल फेंकना है, जो आपको मार रहे हैं, जो किसी काम के नहीं हैं, बल्कि एक बोझ हैं। और आप जैसे सुंदर कमल हैं, आपको यह समझना होगा कि पूरा निर्माण इतनी सावधानी से, इतनी मिठास के साथ, इतनी विनम्रता से किया गया है।

इसलिए सबसे पहले हमें खुद के लिए सम्मान होना चाहिए, दूसरों के लिए स्नेह और प्यार होना चाहिए और हमारे पास सम्मान होना चाहिए, इसका मतलब है कि हमारे पास अनुशासन होना चाहिए। हमें अनुशासन रखना होगा क्योंकि यदि आप खुद का सम्मान करते हैं तो आप निश्चित रूप से खुद को अनुशासित करते हैं और आप इसे प्रदर्शित भी कराएंगे।

अब जैसा कि आप मेरे जीवन से ही महसूस कर सकते हैं कि, मैं आप में से किसी एक की तुलना में बहुत अधिक बहुत परिश्रम करती हूं, बहुत यात्रा करती हूं, क्योंकि मेरे पास इच्छा है कि, – मुझे इस दुनिया को आनंद की स्थिति में लाना है खुशी की उस स्थिति में, दिव्यता की उस अवस्था में, जहाँ उन्हें एहसास हो कि उनका गौरव क्या है, उनके पिता की महिमा क्या है।

इसलिए मैं बहुत मेहनत करती हूं और मुझे कभी भी नहीं लगता कि मेरे साथ कुछ गलत होगा, या “यह होगा”, “क्या होगा?” मैंने आपको मेरे पारिवारिक जीवन, मेरे बच्चों के बारे में, किसी के बारे में कभी परेशान नहीं किया है। मुझे जो भी समस्याएँ थीं, मैं उन से खुद निपट रही हूँ। लेकिन यहाँ मुझे सहज योगियों के इतने बड़े, बड़े पत्र मिलते हैं, जो उनकी बेटी, उनके बेटे, इस चीज़, उस चीज़ के बारे में लिखते हैं।

एक और बात यह है कि परिवार के प्रति लगाव आपके सिर पर सबसे बड़ा बोझ है और हर समय जब आप अपने बच्चों के बारे में चिंतित होते हैं,  आप इस बारे में चिंतित होते हैं, आप उसके बारे में चिंतित होते हैं। यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है। कृपया समझने की कोशिश करें। वह सर्वशक्तिमान ईश्वर की जिम्मेदारी है। आप उनसे बेहतर नहीं कर सकते? लेकिन जब आप ज़िम्मेदारी लेने की कोशिश करते हैं, तो वह कहता है “ठीक है, देखो!” और समस्याएं शुरू होती हैं।

‘ निर्लिप्तता ’ वह शब्द है जिसे व्यक्ति को उचित अर्थ में समझना चाहिए। जब मैं लोगों से पूछती हूं कि आप चीजों को यहां-वहां क्यों फेंकते हैं, तो वे कहते हैं कि “हम निर्लिप्त हो गए हैं!” – अद्भुत तरीका है। और आपके बच्चों के बारे में क्या? आप उनसे चिपक जाते हैं। अपनी खुद की चीजों के बारे में क्या? आप उनसे चिपक जाते हैं। एक छोटी सी बात के लिए, वे मेरे सिर को परेशान करते हैं और जब यह मेरे या सहज योग से संबंधित होता है, तो उनके पास इसके लिए बहुत अच्छा समय होता है और जहां चाहें वहाँ, उसे फेंक देते हैं। मेरा मतलब इस तरह की गैरजिम्मेदारी से है, आप उन्हें दिव्य कैसे कह सकते हैं? वे संत लोग कैसे हो सकते हैं? संतत्वपूर्ण लोग न केवल अपने लिए, बल्कि सभी के लिए जिम्मेदार हैं।

बहुत धीरे-धीरे, सहजता से, मधुरता से, बहुत स्नेह के साथ, मैं आपको इस स्तर तक ले आयी हूं। मैंने आपको हिमालय जाने के लिए या अपने सिर के बल खड़े होने या अपनी सभी जायदाद मुझे दान करने के लिए नहीं कहा था, कुछ भी नहीं। हमने इसे बहुत सुंदर तरीके से प्रबंधित किया है। अब, आगे, जब आपको आगे जाना है, तो आपको यह समझना होगा कि आपके कर्तव्यों को आपके द्वारा ही पूरा किया जाना है ना की किसी अन्य के द्वारा । लेकिन आपके द्वारा जो कार्य किए गए हैं, आपके परिवार के प्रति हैं, आपके घर की ओर हैं, इस ओर हैं, उस ओर हैं। सहज योग के प्रति कोई कर्तव्य नहीं। तो सहज योग से पहले आप किसी से भी लिप्त नहीं थे, इस अर्थ में कि आप केवल स्वयं से लिप्त थे, आत्म-केंद्रित थे। अब आपने खुद को थोड़ा और चौड़ा कर लिया है, कि अब आप अपनी पत्नी से, अपने बच्चों से लिप्त हैं। लेकिन यह बिलकुल पहले जैसा ही है। वह भी स्वार्थ है, क्योंकि आप सोचते हैं कि, वे आपके बच्चे हैं। वे आपके बच्चे नहीं हैं, वे भगवान की संतान हैं।

मुझे उम्मीद है कि आप सभी अपनी जिम्मेदारी को समझने और इसे पूरा करने के लिए पर्याप्त बुद्धिमान हैं।

 एक बहुत महत्वपूर्ण बात जो आपके साथ हुई है की सहस्रार खुल गया है। अब आप  ईश्वर का अस्तित्व, उसकी इच्छा, सब कुछ पूरी दुनिया के सामने साबित कर सकते हैं। सहज योग को कोई चुनौती नहीं दे सकता। जो वैज्ञानिक चुनौती देंगे उन्हें बताया जा सकता है। कोई भी, चाहे आप एक वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, कुछ भी हों, सब कुछ सहज योग के प्रकाश में समझाया जा सकता है और यह साबित किया जा सकता है कि राजनीति केवल एक ही है – वह ईश्वर की है, एक 

 ही अर्थशास्त्र – वह ईश्वर का है, और वहां केवल एक ही धर्म है – वह भगवान का है, विश्व निर्मला धर्म है। यह साबित किया जा सकता है, डरने या चिंता करने की कोई बात नहीं है। यह सब वैज्ञानिक और अन्य बुद्धिजीवियों और कुछ थोड़े लोगों को साबित किया जा सकता है अगर वे हमारी बात सुनना चाहते हैं। अगर वे हमारी बात नहीं सुनना चाहते हैं, तो उन्हें भूल जाइए क्योंकि हम इतने शक्तिशाली हैं, आप उनकी चिंता क्यों करें? लेकिन, अगर वे हमारी बात सुनने को तैयार हैं, तो बेहतर है कि हम उन्हें बताएं “अब हमने इस महान शक्ति की खोज कर ली है”, और अगर यह काम करता है, अगर यह महान शक्ति काम करती है, तो केवल हम वास्तव में पूरी दुनिया की नए ढंग से सरंचना कर सकते हैं|

मुझे आप लोगों से बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन जिस गंभीरता के साथ आपको सहज योग लेना चाहिए, उदाहरण के लिए यहाँ तक कि,ध्यान भी, लोग नहीं करते। ध्यान जैसी सरल बात, आप लोग नहीं करते, मैं समझ नहीं पाती। बिना ध्यान के कैसे विकसित होंगे?

जहाँ तक और जब तक आप निर्विचार जागरूक नहीं हो जाते, तब तक आप विकसित नहीं हो सकते। इसलिए कम से कम आपको सुबह, शाम ध्यान करना होगा। बहुत से लोग ऐसे हैं जो स्वभाव से भी सामूहिक नहीं हैं। यदि वे एक आश्रम में रह रहे हैं तो वे सोचते हैं कि आश्रम का जीवन अच्छा नहीं है। ऐसे लोगों को वास्तव में सहज योग से बाहर निकलना चाहिए क्योंकि वे अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि यह सहज योग क्या है। सामूहिकता के बिना आप कैसे विकसित होंगे? आप अपनी शक्ति को कैसे इकट्ठा करेंगे? आप देखिए, आप अच्छी तरह से जानते हैं कि एक संघ में, एक समूह में, केवल एक साथ संयोजन में, आप मजबूत हो सकते हैं। एक तथ्य यह है कि अगर आपके पास एक छड़ी है तो आप इसे तोड़ सकते हैं, लेकिन यदि आप एक साथ कई छड़ें डालते हैं तो आप इसे नहीं तोड़ सकते। लेकिन अभी भी ऐसे लोग हैं जिन्हें मैं जानती हूं कि जो अभी भी सामूहिकता में नहीं हैं। दिखाता है कि वे अपने स्वयं के बारे में समझने में कितने कमजोर हैं, और वे मुझे बता रहे हैं कि “माँ, हम अब और कहीं भी आश्रम में नहीं रहना चाहते।” तो उन्हें सहज योग से बाहर निकलना चाहिए। सामूहिकता के बिना, आप विकास नहीं कर सकते। सहज योग के अनुशासन के बिना, आप आगे नहीं बढ़ सकते। दस अच्छी गुणवत्ता वाले  लोग का होना हजार बेकार लोगों की तुलना में बेहतर है। यही भगवान की इच्छा है

इसलिए अब, जैसा कि इतने सारे लोग आप आज यहां हैं, मैं बहुत सारे लोगों को देखने के लिए वास्तव में प्रभावित हूं। और हमने अपने विकास का इतना बड़ा काम किया है और ऐसी सभी निरर्थक चीजों से बाहर निकल आये हैं जिनका हम अनुसरण कर रहे थे। लेकिन आज हमें यह संकल्प लेना है कि – “मैं अब अपने जीवन को ईश्वर की इच्छा के अनुसार पूरी तरह संचालित करूँगा, बिल्कुल, और खुद को उसी के लिए समर्पित करूँगा।” कोई परिवार नहीं, कोई अन्य विचार नहीं। बस इसे भूल जाओ! कुछ भी इस के बराबर महत्वपूर्ण  नहीं है । परमात्मा की इच्छा सब बातों की बेहतर देख-रेख कर सकती है| इसलिए यदि आप केवल भगवान की इच्छा का पालन करने की कोशिश करते हैं, तो आपके बच्चों की देखभाल की जाएगी, हर बात पर ध्यान दिया जाएगा, आपको किसी भी चीज़ के लिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। और यह काम करता है। बस यह समझने की कोशिश करें कि आपको समस्याएं हैं क्योंकि आप उन समस्याओं को परमात्मा पर छोड़ना नहीं चाहते हैं, आप इसे अपने तक रखना चाहते हैं, इसलिए आपको समस्या है। यदि आप तय करते हैं कि “नहीं, मैं बस इन समस्याओं को भगवान की इच्छा को सौंपना चाहता हूं,” समाप्त!

इसके अलावा कुछ ऐसे भी हैं जो यह कहना चाहते हैं कि ” माँ, हम इतने सक्षम नहीं हैं, हम ऐसा नहीं कर सकते।” इस तरह कहना भी बेवकूफी है। आप खुद को परखें, खुद अपने आप को देखें। तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि हम ऐसा क्यों कहते हैं? हो सकता है कि हमारी मानसिकता का संबंध अधिकतर पैसे से ही हो, कि हम अपने लिए पैसा चाहते हैं, या ऐसा ही कुछ। या कुछ लोग ऐसे हैं जो सहज योग में आ कर भी व्यापार की बात करते हैं। निश्चय ही कुछ धन संबंधी आसक्ति या किसी प्रकार की भौतिक लिप्तता होना चाहिए तभी ऐसा कहते हैं कि, “हम सक्षम नहीं हैं, हम बदल नहीं सकते।”

दूसरा,  यह ममत्व हो सकता है, जैसा कि वे इसे कहते हैं, अपने परिवार, बच्चों के प्रति लगाव, यह, वह। या, “यह मेरा है, यह मेरा है, यह मेरा है।” यह दूसरा कारण हो सकता है कि आपको लगता है कि आप पर्याप्त मुखर नहीं हैं या आप सहज योग करने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हैं।

तीसरा यह हो सकता है कि आप अभी भी अपनी पुरानी आदतों के साथ खेल रहे हैं और आप अपने जीवन का सदगुणों के बिना ही आनंद ले रहे हैं। ऐसे कुछ कारण हो सकते है। तो बस यह पता लगाने की कोशिश करें, “मैं ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा हूं? मैं अपने उत्थान के उसी सुंदर मार्ग में नहीं जा रहा हूँ जैसा कि हर किसी को मिला है। ” अगर हम आत्मनिरीक्षण करते हैं, तो आपको पता चलेगा कि “मेरे साथ कुछ गलत है तभी तो मुझे लगता है कि मैं करने में सक्षम नहीं हूं।” आप सब कुछ करने में सक्षम हैं! आप बस इसे आज़माएँ और इसका आनंद लें।

तो, अब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि [यह है कि आप ईश्वर की इच्छा का उचित, मजबूत, दयालु वाहन बनें। इसलिए। तो फिर,सबसे महत्वपूर्ण क्या है, बेशक मैं सहमत हूं, कि आप मेरी पूजा करते हैं, क्योंकि इससे आपको बहुत मदद मिलती है, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन अन्य चीजें महत्वपूर्ण नहीं हैं।  कई अन्य चीजें जो आप लोग मुझे कहते हो महत्व की नहीं हैं। मुख्य बात यह है कि आप सभी को उच्च और उच्चतर पर चढ़ना चाहिए और उच्च स्थिति में जाने में एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहिए।

वैसे भी, मुझे लगता है कि इतने कम समय में हमने बहुत कुछ हासिल कर लिया है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन फिर भी हमें इसमें तेजी लाने और इस पर काम करने की जरूरत है। मुझे यकीन है कि यह नया विज्ञान, या हम कह सकते हैं, जो कि पूर्ण विज्ञान है, वह एक दिन दूसरे विज्ञान को महत्वहीन कर देगा, और लोगों को बताएगा कि: वह क्या है । यह आपके हाथ में है, आप इसे कार्यान्वित करें ।

इसलिए आज का दिन हम मना रहे हैं जिसके द्वारा हमने बिल्कुल नए आयाम खोले हैं, बिल्कुल दिव्यता के प्रमाणों का, महान दिव्यता का एक स्थल। और यह कुछ इतना महान है कि हम वास्तव में उनके बारे में, उनके अहंकार के बारे में सभी भ्रमों को समाप्त कर सकते हैं। हम उनका मार्गदर्शन कर सकते हैं। वह शक्ति आप सभी के पास है।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।