(2:38:00 बजे)
श्री माताजी:
ऑस्ट्रियन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया और फिर, कहना चाहिए कि जर्मन लोगों ने जो कार्यक्रम पेश किया, वह बहुत सुन्दर था क्योंकि जो पहला कार्यक्रम था, वह कुछ क्लासिकल था और जिस प्रकार से उन लोगों ने प्रस्तुति रखी, वह मुझे बहुत ही अच्छी लगी ।पाश्चमात्य संगीत की वो सभी सुंदर धुनें, नि:संदेह बहुत-बहुत सुंदर थीं । लेकिन उसके बाद भी जो नाटक उन्होंने सहजयोग के बारे में प्रस्तुत किया, उसका भी मैंने भरपूर आनंद लिया और यह कि वे जिस तरह से सहजयोग को समझ रहे हैं कि अगर आपका स्वयं पर विश्वास है तो कुछ भी किया जा सकता है, वह बहुत महत्वपूर्ण है । और इस रात्रि हमने जो सारा समय यहां बिताया, वह बहुत ही आनंददायी था । मेरे विचार से सभी बहुत खुश थे और आनंद उठा रहे थे । तो, कल हमारा पूजा का एक कार्यक्रम है । इसलिए, अब अगर संभव हो तो हमें जाकर सो जाना चाहिए । इसके बाद, मुझे पता है कि आप सभी एक दूसरे का मज़ा उठाएंगे, जैसाकि हमेशा होता है, पर उसके बाद कृपया आप सभी निद्रा लें ।
आज का समारोह अति महत्वपूर्ण था – जिस प्रकार से वे झंडे लेकर आए, मैं इतनी आनंदित महसूस कर रही थी । न जाने किस-किस तरह की भावनाएं उठ रही थी, बस मैं बता नहीं सकती कि मैं उस पर क्या कहूं -इतना बेहतरीन विचार था । कुछ झंडों के बारे में तो मुझे पता भी नहीं है । परन्तु इस संसार में ये झंडे उस देश के किसी बड़े ही उत्तम और बड़े ही महान विचार से प्रेरित हैं । अब आप यह देख सकते हैं कि किस प्रकार उन देशों की यह महानता खत्म हो रही है और जिस झंडे को उन्होंने बनाया है, उसके लिए उनके दिलों में कोई आदर नहीं है । मुझे खुशी है कि आप वे सभी झंडे लेकर आए और और आपको पता लगाना चाहिए कि इन झंडों को रखने के पीछे कौन सा महान विचार है और उनके अलग-अलग रंग रखने का क्या उद्देश्य है और उस देश विशेष का नागरिक होने के नाते आपसे क्या क्या अपेक्षाएं हैं । इससे सचमुच में यह पता चलता है कि आप कैसे यह विचार रखते हैं कि सहजयोग अब राजनीतिक, मैं राजनीतिक दल तो नहीं कहूंगी परंतु यह अब राजनीतिक रूप से जागृत हो गया है । आपको राजनीतिक रूप से जागृत होना पड़ेगा, यह अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन दिनों अगर आप समाचार पत्र पढ़ें तो आपके सामने ऐसी भयावह तस्वीर उभर कर सामने आएगी कि किस प्रकार सभी ओर युद्ध चल रहा है, एक दूसरे से लोग कैसे लड़ रहे हैं और सब कुछ बदले की भावना से प्रेरित चल रहा है । ऐसे समय में आप यह देखिए कि अगर सहजयोगी इस प्रकार का विचार रखते हैं कि सभी झंडे एक स्थान पर आ जाएं, तो यह सहजयोगियों की एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी । यह संयुक्त राष्ट्र की तरह से नहीं होगा जो सिर्फ नाम से जुड़े हुए हैं अपितु एक सामूहिक राष्ट्र होगा, जिसका निर्माण हम कर सकते हैं । जिस प्रकार से आपने यह सब किया, उसने सचमुच मुझे अंदर तक छू लिया । अब आप किस प्रकार से अपनी जिम्मेदारियां उठा रहे हैं और उन्हें निभा रहे हैं, वह बहुत ही सुंदर है, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं करना है । यह 25 वर्षों का समय पीछे चला गया है पर एक दिन ही आपको यह दिखा सकता है कि आपकी क्या उपलब्धियां रही हैं ।
प्रत्येक चीज़ के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ! बहुत-बहुत धन्यवाद ! परमात्मा आप सभी को आशीर्वादित करे ! परमात्मा आपको आशीर्वादित करे !