Christmas Puja: The Mother’s Culture

Ganapatipule (भारत)

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आज, हम उत्सव मना रहे हैं ईसा मसीह के जन्म का। ईसा मसीह का जन्म बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि उनका जन्म इस तरह से हुआ था कि गरीब से गरीब व्यक्ति भी ऐसे पैदा नहीं होगा, एक अस्तबल में! और उन्हें उस बिस्तर में लिटा दिया गया जो सूखी घास से बना थाl 

वह इस धरती पर आए लोगों को दिखाने के लिए कि, जो व्यक्ति अवतरण है, या जो एक उच्च विकसित आत्मा है, उसे शरीर के आराम की चिंता नहीं है। उनका संदेश इतना महान और इतना गहरा था, परन्तु उनके शिष्य थे जो तैयार नहीं थे उस युद्ध के लिए जो उन्हें लड़ना था। यही चीज़ कभी-कभी सहजयोग के साथ भी घटित होती है। उनके केवल 12 शिष्य थे, हमारे पास भी 12 प्रकार के सहजयोगी हैं, और वह सब, हालांकि प्रयास करते हैं स्वयं को ईसा मसीह के प्रति समर्पित करने का, जाल में फंस जाते हैं, उनमें से कुछ, सांसारिक आकांक्षाओं के या अपनी स्वयं की लालसाओं के। 

उनका प्रेम और क्षमा का संदेश आज भी वैसा ही है। सभी के द्वारा प्रचारित किया गया, सभी संतों, सभी अवतरणों, सभी पैगम्बरों द्वाराl उन सभी ने प्रेम और क्षमा के बारे में बात की है।

यदि इसे चुनौती दी गई या लोगों को लगा कि यह काम नहीं करेगा, तो उनसे कहा गया, वे विश्वास करें उनकी कही बातों पर। परन्तु वे साधारण लोग थे, उन दिनों में, इसलिए उन्होंने उनकी बात मानी। उनमें से कुछ निश्चित रूप से बहुत अच्छे थे, उनमें से कुछ आधे पके हुए थे और उनमें से कुछ ऐसे लोग थे जो संदेह कर रहे थे।

वह इस धरती पर आए, तैयार करने के लिए हमारे लिए, हमारा आज्ञा चक्र, और उनके सभी प्रयासों के बावजूद लोगों को बहुत कठिन लगता है। और जो लोग ईसाई धर्म का पालन करते हैं उनके पास सबसे खराब प्रकार की आज्ञा है। सबसे खराब प्रकार की! अत्यधिक आक्रामक, अत्यधिक योजना बनाने वाले, भविष्यवादी। मेरा मतलब है, सभी परेशानियां दाईं ओर की उन देशों में पाई जाती हैं जो ईसाई होने का दावा करते हैं। यहाँ तक ​​कि पूर्वकालीन ईसाई, जो ज्ञान शास्त्री थे, ‘ग्न’, संस्कृत में ‘ग्न’ का अर्थ है ‘जानना’, हालांकि उन्हें ज्ञान था, शुरुआती लोग, उन को भी दबाया गया और प्रताड़ित किया गया उन लोगों द्वारा जो ईसाई धर्म के संचालक माने जाते थे। और इतने सारे ईसाइयों का नरसंहार किया गया, तथाकथित ईसाई पादरियों और ईसाई गिरिजाघरों द्वारा, और अभी भी यह चल रहा है।

पश्चिमी देशों में जो आप देखते हैं, वह बहुत बड़ा प्रभाव है इन गिरिजाघरों का, लोगों के मन पर। अन्यथा, वे बुद्धिजीवी माने जाते हैं, अन्यथा, वे विश्लेषणात्मक माने जाते हैं, अन्यथा, वे कुछ बहुत दिमाग वाले माने जाते हैं। लेकिन जब मंदिरों और गिरिजाघरों की बात आती है, जब धर्म की बात आती है, जब ईसाई धर्म की बात आती है, मुझे लगता है कि उनका दिमाग बंद है, पूरी तरह से बंद, किसी तरह के वशीकरण से। वे यह सोच ही नहीं सकते कि इन लोगों में कुछ बहुत अनुचित हो सकता है।

इटली में रहने के दौरान, मुझे पता चला, मैं हैरान थी, कैसे यह कैथोलिक चर्च काम कर रहा था और पादरी क्या कर रहे थे और सभी प्रकार के घोटाले, हमारे देश में जितने हैं उससे कहीं अधिक! पैसों का गोलमाल करना और महिलाओं से छेड़छाड़ करना और बच्चे पैदा करना – मेरा मतलब है हर तरह की गंदी आदत उनमें थी। तथाकथित पुजारी माने जाते हैं! उन्हें ‘फ़ादर’ कहा जाता था, उन्हें, ‘मदर’ कहा जाता था, उन्हें ‘सिस्टर’ कहा जाता था, उन्हें ‘ब्रदर’ कहा जाता था। और मेरे लिए यह वास्तव में एक चौंकाने वाली बात थीl मुझे नहीं पता था कि ऐसी चीज़ें ईसा मसीह के नाम पर हो रही हैंl ईसा मसीह ने अपने जन्म के माध्यम से क्या दिखाने कि कोशिश की: कि लंदन के एक बड़े अस्पताल में आरामदायक, महान जन्म की आवश्यकता नहीं हैl नहीं!

उनके जन्म की सादगी से सभी ईसाइयों को बहुत अधिक सरल बनना चाहिए था और धन उन्मुख बिल्कुल नहीं होना चाहिए था। पैसे के लिए वे चारों तरफ़ गए, पूरे विश्व में इतने सारे लोगों को कुचल दिया। जब आप ब्राज़ील या चिली या अर्जेंटीना जाते हैं, आपको एक भी आदमी आदिवासी लोगों से सम्बंधित नहीं मिलता है और वे उनके प्रति इतने निर्दयी हैं।

अकल्पनीय है, ये लोग कितने आक्रामक हैं। यहाँ तक ​​कि इंग्लैंड में भी, जहाँ प्रोटेस्टेन्ट (ईसाइयों के एक विशेष पंथ) हैं, मुझे उन सब में एक ही चीज़ मिलती है, आप को सुबह से शाम तक “धन्यवाद, धन्यवाद” कहते रहना चाहिए, अन्यथा आप का काम तमाम हो जाएगाl

जातिवाद: ईसा मसीह की जाति क्या थी? क्या वह गोरे थे? नहीं! क्या वह श्वेत व्यक्ति थे? बिलकुल नहीं! उनका रंग क्या था? वह भारतीयों की तरह भूरे रंग के थेl कहाँ से आता है यह जातिवाद इन पश्चिमी लोगों में? मेरी समझ में नहीं आता हैl इसका ईसा मसीह से कोई लेना-देना नहीं है या यदि यह वास्तविक ईसाई धर्म है।

आप कहीं भी जाइए, आपको आश्चर्य होगा, कैसे भरोसेमंद, सरल-हृदय लोगों का दुरुपयोग किया जाता है इन चर्चों द्वारा। उनका उपयोग मतदान के लिए किया जाता है, उनका उपयोग पैसे के लिए किया जाता है, हर चीज़ के लिए – इस हद तक कि पैसा बनाया गया था, कृत्रिम रूप से, नकली, अरबों में, चर्च द्वारा ही।

ऐसी तानाशाही, ऐसा नियंत्रण, ऐसा अधिकार उनके पास था कि जो कुछ भी वे करते थे, वह था… उनके लिए पोप ‘कभी गलती न करने वाला’ व्यक्ति है, वह जो भी करता है वह ठीक है। पाप का कोई विचार नहीं, नर्क का कोई विचार नहीं, ईसा मसीह का कोई विचार नहीं – जो पवित्रता और भोलेपन के अलावा कुछ नहीं थाl

ईसा मसीह ने एक चाबुक लिया, ईसा मसीह ने एक चाबुक लिया अपने हाथ में और उन सभी लोगों को मारा जो मंदिर के सामने चीज़ें बेच रहे थे, क्योंकि परमात्मा को बेचा नहीं जा सकताl वे परमात्मा को नहीं बेच रहे थे, वे केवल सामान बेच रहे थे, लेकिन उन्होंने कहा मंदिर का सम्मान करो, मंदिर के सम्मान की बात की।

एक और “महान” चीज़ जो ईसाईयों ने की, वह है यहूदियों को दोष देना ईसा मसीह की हत्या के लिएl अद्भुत लोग! सारा दोष दूसरों पर डाल दो, यह विशेषता है ईसाइयों की, आज भीl आप जो गलत कर रहे हैं उसका दोष दूसरों पर डालना, बहुत आम है। और यह आप देख सकते हैं स्पष्ट रूप से उन देशों में, जो स्वयं को ईसाई कहते हैं। उन्होंने यहूदियों को दोषी ठहराया। पहली बात, जो उस समय यहूदी थे, वे शायद बाद में भारतीय हो सकते थे। ठीक है, तो वे पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते हैं। आप कहना चाहते हैं जो यहूदी वहाँ थे फ़िर वही पैदा हुए हैं?  

तीसरा यह कि यहूदियों ने ईसा मसीह को नहीं मारा, कभी नहीं, क्योंकि भीड़ में आप कैसे निर्णय ले सकते हैं? जिस न्यायाधीश ने फैसला किया और आदेश दिया, वह एक रोमवासी था। तो रोम- साम्राज्य उनकी मौत की ज़िम्मेदारी नहीं लेना चाहता था, इसलिए उन्होंने कहा कि यहूदियों ने उन्हें मारा है। तो श्रीमान हिटलर उनके पीछे पड़ गए और उसने वास्तव में उन पर अत्याचार किया, वास्तव में यह बहुत अधिक है, कोई समझ ही नहीं सकता, कैसे कर सका – वह ईसाई धर्म में विश्वास करता था, वह छोटे छोटे बच्चों को कैसे मार सकता था गैस चैंबर में?

लेकिन अब वही लोग जिन्हें प्रताड़ित किया गया था वे भी बहुत आक्रामक हो रहे हैं और अब वे फिलिस्तीनियों के विरुद्ध हैं और फिलिस्तीनी स्वयं मुसलमान हैं और मुसलमान हर तरफ़ विनाश मचा रहे हैं।

तो जब आप इतिहास में जाते हैं, और ईसा मसीह के जीवन को देखते हैं, तो आप पाते हैं, आक्रामकता, एक से दूसरे की ओर, उस दूसरे से किसी और की ओर, एक से दूसरे में फैलना। यदि किसी ने किसी को थप्पड़ मारा, तो दूसरा व्यक्ति उस व्यक्ति को मारने का प्रयास करेगा।

तो इस धर्म ने यह विभाजन पैदा किया है; लोग बस एक दूसरे को मार रहे हैं, परमात्मा के नाम पर, धर्म के नाम पर। यहाँ तक कि सहजयोग में भी, आपको आश्चर्य होगा, मैंने लोगों को देखा है मेरे नाम का फायदा उठाते हुए, और कुछ वशीकरण समूहों में शामिल होने का प्रयास करते हुए। मैं नहीं समझ सकती। मेरे नाम का प्रयोग कर के, मेरी फोटो का प्रयोग कर के! इसलिए, सावधान रहें, आप लोगों के साथ यह नहीं होना चाहिए। ईसा मसीह के नाम का उपयोग करते हुए, जो अवतार है ईश्वरीय प्रेम का, वे लोग हिंसा, घृणा, धोखाधड़ी के इन सभी कार्यों को कर रहे हैं, मेरा मतलब है बहुत भ्रष्टाचारी लोग हैं। और यह एक से दूसरे की ओर फैलता है, दूसरे की ओर फैलता है।

सहज योग में भी ऐसा ही होता है। यदि मैंने किसी से कहा कि अब आप नेता नहीं हैं, कोई और नेता है, तुरंत वह व्यक्ति क्रोधित हो जाता है, वह भूल जाता है सहज ने उसके लिए क्या अच्छा किया है, वह बस भूल जाता है। यदि मैं उस से कहूँ, नेतृत्व किसी और को देना चाहिए, समाप्त! तब वह भूल जाता है कि उसके साथ जो भी भलाई की गई है, जो कुछ भी सहजयोग ने किया है उसके लिए, वह जीवित है केवल इसलिए क्योंकि सहज ने उसकी सहायता की है। तो यह नेतृत्व लोगों के दिमाग में चला जाता है।

सहज योग यहाँ आप को नेता बनाने के लिए नहीं है, नहीं, कभी नहीं। यह केवल सुविधा के लिए, हमारे पास नेता हैं और यदि वे असुविधा जनक हो जाते हैं तो हमें (उन्हें) बदलना होगा, बस इतना ही, इतना सरल है।

लेकिन फ़िर भी, मुझे लगता है सत्ता का यह विचार बहुत महान है और वे इसका प्रयोग करना शुरू कर देते हैं हर तरफ़, बिना सोचे समझे, हर जगह। यह व्यावहारिक रूप से हर देश में हो रहा है, हुआ है और अभी भी हो रहा है। जो बहुत दुखद बात है। यह कभी सामने नहीं आने देगा मेरे प्रयासों को ।

मेरा प्रयास है संपूर्ण (विश्व) का समन्वय करना, विभाजित करना नहीं, किसी भी तरह से विभाजित नहीं। केवल एक चीज़, जो कुछ भी अनुचित है, जो कुछ भी अपवित्र है, उसे आपके ध्यान में लाया जाना चाहिए। देखिए, एक गृहिणी के रूप में, जब हम चावल को साफ करते हैं, तो उस में कुछ सफेद पत्थर होते हैं, हम उन्हें बाहर निकाल देते हैं। हम उस पत्थर के साथ चावल नहीं पकाते हैं। क्या हम ऐसा करते हैं? और ऐसे पत्थरों को बाहर जाना पड़ता है। तो उनमें से कुछ केवल पत्थरों की तरह हैं। आप उन्हें बदल नहीं सकते। नामदेवजी ने कहा है कि, वे एक मक्खी की तरह हैं, जो जब जीवित होती है, हमारे भोजन पर आकर हमें कष्ट देती है और हमें मतली का अहसास कराती है और यदि गलती से हम उसे अपने पेट में ले लेते हैं, वह मरी होती है लेकिन फ़िर भी वह हमें परेशान करती है। ये सभी राक्षस हैं, मुझे कहना चाहिए। वे सहजयोग को कभी नहीं समझ सकते हैं और वे हमेशा हमें परेशान करने का प्रयास करेंगे।

लेकिन जिन लोगों ने सहज योग प्राप्त किया है उन्हें क्या करना चाहिए? क्या उन्हें भी ऐसे तरीके अपनाने चाहिए? मैंने कभी किसी को किसी चीज़ के लिए दोषी नहीं ठहराया। जैसे, लोग कहते हैं, ” माँ, इस व्यक्ति ने सहजयोग को कोई पैसा नहीं दिया, इसलिए उसने अपना सारा पैसा खो दिया है”, मैं ऐसा कभी नहीं कहती कि “उसे कुछ पैसे दान करने चाहिए थे!” मैं कभी दान नहीं माँगती, मैं कभी पैसे नहीं माँगती, हर बार मैं कहती हूँ कि “यह सब पर्याप्त है, मत दो”। मैंने कभी किसी से एक पाई भी नहीं माँगी मुझे देने के लिए, जब मुझे आवश्यकता थी तब भी, क्योंकि मुझे पता है कि मुझे वह समस्या नहीं है।

ईसा मसीह के जीवन से हमें समझना चाहिए, उन्हें कोई समस्या नहीं थी। वह निडर थे!

उन्हें पता था कि वह ईश्वर के पुत्र हैं। उन्हें किसी भी तरह से कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने हर चीज़ का सामना किया, यहाँ तक ​​कि अपने सूली पर चढ़ने का भी। और लोगों को, मुझे लगता है, उनका सूली पर चढ़ना पसंद आया या क्या? लोग क्रॉस धारण करते हैं। निश्चित ही, यह स्वास्तिक का रूपांतरित प्रतीक है, इसमें कोई संदेह नहीं हैl लेकिन फ़िर भी। उन्हें अपना जीवन बलिदान करना पड़ा। उन्होंने अपना जीवन बलिदान किया सभी मनुष्यों के लिए, न केवल सफेद या काले, भूरे या नीले रंग के लोगों के लिए, लेकिन उन्होंने अपना जीवन बलिदान किया हम सभी के लिए, ताकि हम अपने आज्ञा चक्र को पार कर सकें। हमें जो आलोचना करनी चाहिए वह दूसरों की नहीं, परन्तु स्वयं की करनी चाहिएl इसे हम अपना सूली पर चढ़ना कह सकते हैं जिससे हम सहजयोगियों के रूप में देख सकते हैं कि हम कहाँ हैं।

मुझे बताया गया है, कुछ 80-90 सहजयोगी जो आए हैं, जो कुछ लोगों द्वारा सम्मोहित किए गए थे। सहजयोगियों को कैसे सम्मोहित किया जा सकता था? क्या यह संभव है? वे कभी भी प्रार्थना नहीं करते होंगे, वे हो सकता है ध्यान नहीं कर रहे होंगे। वे इसमें कैसे पड़ सकते हैं? और अब वे क्षमा माँग रहे हैं। मैंने क्षमा कर दिया लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे ठीक हो जाएंगे। हम उन्हें अब और ठीक नहीं कर सकते।

हम खराब सेब अच्छे सेब के साथ नहीं रखते हैं, हम रखते हैं क्या? यह बुद्धिमानी नहीं है। वे पहले से ही विकारित हैं, और और उन्हें बाहर रहना चाहिए जब तक मैं न कहूं। उन्हें किसी सामुहिकता में नहीं जाना चाहिए, उन्हें किसी पूजा के लिए नहीं आना चाहिए। उन्हें स्वयं, स्वयं को साफ़ करने देना चाहिए। हालांकि एक सड़ा हुआ सेब ठीक नहीं हो सकता है, लेकिन वे हो सकते हैं।

उन्हें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि वे सहजयोगी नहीं थे। यदि एक सहजयोगी सम्मोहित हो सकता है, तो सहजयोग करने का क्या लाभ, अपनी कुंडलिनी को ऊपर उठवाने का क्या लाभ? इस का तात्पर्य है कि वे बहुत कमज़ोर सहजयोगी हैं। 

आश्चर्य जनक रूप से मैंने पश्चिम में इस तरह की घटना नहीं देखी है, बहुत आश्चर्य की बात है! पश्चिमी सहजयोगी, वे जो भी थे, वे महान सहजयोगी हैं, मुझे कहना होगा, यदि आप सोचें वहाँ के अच्छे लोगों की संख्या के बारे में। उन्होंने तथा कथित ईसाई धर्म छोड़ दिया है, उन्होंने यह सारी निरर्थकता को छोड़ दिया है, शराब पीना, ड्रग्स लेना, औरतों के पीछे भागना, सब कुछ उन्होंने छोड़ दिया है। और मैं एक भी ऐसे व्यक्ति से नहीं मिली जिसने फ़िर से शराब पीना शुरू कर दिया हो या जिसने धूम्रपान भी कर लिया हो ।

यह भारत, जो आपकी योग भूमि है, यह यहाँ कैसे हो सकता है? विशेष रूप से महाराष्ट्र में। मुझे लगता है कुछ राक्षसी लोग इस महाराष्ट्र में हर समय पैदा होते हैं, क्‍योंकि ऐसा कैसे है, उन्‍होंने हर एक संत को प्रताड़ित किया है? कैसे?

ऐसा कैसे है, वे किसी व्यक्ति के द्वारा दिए प्रलोभन में आ गए हैं जो कुछ ऐसा कह रहा है जो मैंने कभी नहीं कहा? यह दिखाता है, बहुत निम्न प्रकार के लोग, बहुत निम्न। और वे हमेशा इस महाराष्ट्र में पैदा होते रहे होंगे, मुझे पूरा विश्वास है और आज फ़िर से वे पैदा हुए हैं।

मैं इस बारे में कभी बात नहीं करना चाहती थी, ऐसे आनंदकारी समय में जब ईसा मसीह का जन्म हुआ  था। हाँ, यह हर्ष की बात है क्योंकि वह एक उद्धारकर्ता के रूप में आए थेl उन्होंने हर संभव कार्य किया। हमारे लिए यह ठीक है लेकिन उन के बारे में क्या? हमने उन्हें क्या दिया?

उसी तरह कई सहजयोगी माँग करते रहते हैं, “माँ हम आपसे मिल भी नहीं सकते हैं, हम आपसे हाथ भी नहीं मिला सकते, हम आपके चरणों में भी नहीं गिर सकते। हम ऐसा नहीं कर सकते, हम वैसा नहीं कर सकते”। यह मुझे आश्चर्यचकित करता है। “आपको यह करना चाहिए, आपको वह करना चाहिए।” हर समय मुझे उपदेश देते रहते हैं।

आपको क्या करना चाहिए? आपको जो अवश्य करना चाहिए, वह है ध्यान करना और विश्वास करना कि यह परम चैतन्य मेरी शक्ति है, और आपने अपने भीतर मेरी शक्ति को महसूस किया है। आप जितना अपने आप से दूर रहेंगे आप उतने ही अच्छे होंगे। पूर्णतया, मैं नहीं समझ सकी हूँ कुछ सहजयोगियों के माँग करने वाले स्वभाव को। उन्हें अपनी जागृति मिल गई है जो पहले कभी नहीं हुई होगी।

यदि ईसा मसीह चाहते, तो वह उन सभी को मार देते और बहुत अच्छी तरह से जीवित रहते, लेकिन मुझे लगता है कि वह तंग आ चुके होंगे, चारों ओर की मूर्खता से ।

इसलिए इस समय, हमें यह समझना होगा कि इतना महान अवतरण आया इस पृथ्वी परl निस्संदेह वह आत्म साक्षात्कार नहीं दे सकेl कल्पना कीजिए कि जो लोग उन्हें सूली पर चढ़ाने वाले थे, वह कैसे उन्हें आत्मसाक्षात्कार दे सकते थे? मान लीजिए कोई आता है खंजर लेकर मेरी ओर, क्या मैं उसे आत्मसाक्षात्कार दे सकती हूँ?

सब ठीक है। किसी ने उनकी बात नहीं सुनी, किसी ने उनके बारे में कुछ नहीं सोचा, लेकिन आप नहीं l

आप लोगों को आपका आत्मसाक्षात्कार मिल गया है। आप लोगों का पुनर्जन्म हो गया है। आप महान लोग हैं। आपकी क्षमता है। अब, इसका उपयोग करने के बजाय, अब आप क्या कर रहे हैं? सहजयोग में कितने लोग वास्तविक रूप में शामिल हैं? आत्मनिरीक्षण कीजिए। उनके अपने व्यवसाय हैं, उनके पास उनकी अपनी यह चीज़ है, उनके पास.. कितने लोग हैं जो वास्तव में सहजयोग में शामिल हैं?

उनके केवल बारह शिष्य थे, एक या दो को छोड़ कर, वे सभी समर्पित थे बिना आत्मसाक्षात्कार के, पूरी तरह से समर्पित ईसाई धर्म के काम के लिए और जो फैल गया, क्योंकि उन्हें पूरी बात के बारे में ज़्यादा पता नहीं था। ईसाई जो उस समय थे वे सिर्फ़  धर्मांतरित थे, व्यर्थ लोग! और मैं कहूँगी कि, यदि उन्होंने ईसा मसीह के जन्म के साथ न्यायसंगत व्यवहार नहीं किया, तो कोई समझ सकता है।

लेकिन आप लोगों का क्या? जो दो बार पैदा हुए हैं, जिन्होंने अपना आत्मज्ञान प्राप्त किया है, जो सभी शक्तियों से संपन्न हैं, जो इस सारी शक्ति से जुड़े हुए हैं, जिसे आप दिव्य प्रेम की शक्ति कह सकते हैं। आपकी सभी शक्तियों का उपयोग किया जा सकता है, जाना जा सकता है। यह किसी गतिशील यंत्र जैसा है जो शुरू हो गया है। कुछ पहिए चल रहे हैं लेकिन बहुत सारे पहियों के बाद और पहिए हैं और बहुत कुछ आप कर सकते हैं। मैं उन ईसाइयों को दोष नहीं दूंगी, जो इतने मूर्ख हैं क्योंकि आखिरकार उन्हें कभी भी अपनी जागृति नहीं मिली। केवल कोई पादरी, थोड़ा पानी लाएगा, उनके सिर पर डालेगा और उन्हें बपतिस्मा देगा, ख़तम। लेकिन आप लोगों का क्या?

मैं आपके लिए जीवित हूँ, क्योंकि मैं देखना चाहती थी कि आप लोग परिपक्व होंl यही विचार है एक माँ का। ऐसे कई लोग हैं जो परिपक्व हैं, मैं नहीं कहूँगी, लेकिन अभी भी कई लोगों को परिपक्व होना है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको बड़े व्याख्यान देने में सक्षम होना चाहिए, या किताबें लिखना चाहिए या कुछ भी। लेकिन अपने भीतर आपको परिपक्व होना चाहिए। आपका अपना व्यक्तित्व खिलना चाहिए, प्रेम की सुगंध में, देवत्व की।

यही अंतर है मैं कहूंगी, मुझमें और ईसा मसीह में। उन्होंने कहा “बाबा! बस बहुत हो गया, नहीं, नहीं, और नहीं! इन मूर्ख़ लोगों के साथ।”

मुझे नहीं! मुझे पता था कि दुनिया कैसी है। मुझे पता था कि इस दुनिया को क्या हुआ है। आज दुनिया बहुत बदतर है, क्योंकि सभी धर्म आपस में लड़ रहे हैं, सबसे पहले। सभी राजनेता बहुत बुरी तरह से भ्रष्ट होने का प्रयास कर रहे हैं, उस भ्रष्टाचार में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। किसी के पास सच्चाई और ईमानदारी का भाव नहीं है। हर कोई शामिल है विज्ञापन, अखबार, मीडिया, ये, वो, में, जो आज सबसे भ्रष्ट प्रभाव हैं।

इस सारी पृष्ठभूमि के साथ, मुझे पता है कि वर्ष 2000 तक, सहजयोग पूरी दुनिया में किसी बहुत महान चीज़ कि तरह सामने आएगा … – आपने मुझे वाक्य पूरा नहीं करने दिया – यदि आप लोग वास्तविक सहजयोगी बन जाते हैं। आप सभी। आप सभी जो मेरे यहाँ सम्मिलित हैं। यहाँ तक ​​कि यदि इतनी भी सामूहिकता वास्तविक सहजयोगी बन सके। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता यदि मैं आप से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल सकती, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता यदि, मैं आपके स्थानों पर नहीं जा सकती। इससे फर्क नहीं पड़ता, कुछ भी मायने नहीं रखता। ईसा मसीह के शिष्यों ने तब काम किया जब वह अस्तित्व में नहीं थे। 

तो यह महत्वपूर्ण नहीं है, जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि, आप लोग हैं, जो इस दुनिया की मुक्ति के लिए ज़िम्मेदार हैं, इस दुनिया के संश्लेषण के लिए, लोगों को शांति और खुशी लाने के लिए।

अभी जब मैं आ रही थी, लोगों ने शॉल फैलाया। इसने मुझे ईसा मसीह की याद दिलाई जब वह आए थे, वे उनके अभिवादन के लिए ताड़ के पेड़ के पत्ते लाए और अपनी शॉल को ज़मीन पर फैलाया, उनके जाने के लिए, और वह कहाँ गए? सूली पर। वह सूली की ओर गए, वह अपनी मृत्यु की ओर गए।

जब आप अपना प्रेम दिखाते हैं मेरे लिए, आपको यह जानना होगा कि आपको सहजयोग के पूरे काम से प्रेम करना है। यह मेरे साथ कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है जो काम करने वाला है। ये सभी पश्चिमी देश ईसाई धर्म के प्रभाव में अपने पतन की ओर जाएंगे, आप देखेंगे। वे पहले से ही पतन की ओर जा रहे हैं क्योंकि वहाँ कोई नैतिकता नहीं है। वहाँ मंदी है, सभी प्रकार की समस्याएं हैं, उनके बच्चे निरंकुश हैं, वे शराब पी रहे हैं, धूम्रपान कर रहे हैं, सभी प्रकार की चीजें कर रहे हैं।

यहाँ तक ​​कि हम पर भी उनका प्रभाव हमें भ्रष्ट कर रहा है। ईसा मसीह के विरुद्ध की गई गतिविधि, हर जगह यदि आप पाते हैं। यह ईसा मसीह के विरुद्ध की गई गतिविधि के अलावा और कुछ नहीं है। ईसा मसीह के विरोध में कौन है? वे बताते हैं, वह ईसा मसीह के विरोध में है, वह व्यक्ति ईसा मसीह के विरोध में है। ऐसा नहीं है। हमारे भीतर एक ईसा मसीह का विरोधी है, जो इन सभी चीजों को स्वीकार करता है जो ईसा मसीह की पवित्रता और प्रेम के विरोध में हैं। तो सबसे पहले आपस मेंl

[वह कहाँ जा रहा है? बैठ जाओ!] आपको अपने बच्चों को कुछ शिष्टाचार सिखाना चाहिए। वह लड़की जो डूब गई थी, क्योंकि आपने बच्चे की उपेक्षा की। उसका पिता, वह कहाँ था? मुझे नहीं पता। मुझे समझ में नहीं आता कि एक बच्चे को ऐसे कैसे छोड़ा जा सकता है। अपने बच्चों को अनुशासित करना महत्वपूर्ण है।

पश्चिमी देशों में यदि आपका पड़ोसी है, तो आपकी ख़ैर नहीं। वह पता लगाने का प्रयास करेगा आप कहाँ जाते हैं, आप क्या करते हैं। उसके पास एक दूरबीन होगी देखने के लिए और आप थोड़ा भी शोर कीजिए, आपका काम तमाम, लेकिन यहाँ तक कि यदि आप गाते भी हैं, तो भी आपका काम तमाम हो जाता है। उस तरह से, भारतीय बेहतर हैं। उन्हें उस शोर से कोई कठिनाई नहीं है। हमें नहीं है। भारतीय शोर में रह सकते हैं। मैं यह जानना चाहती थी कि भारतीय शोर के प्रति इतने अनुकूल क्यों हैं। उन्हें शोर से परेशानी नहीं है। मुझे पता चला इसका कारण यह है कि पश्चिम में लोग तनाव और दबाव में रहते हैं और इसलिए वे सहन नहीं कर सकते। लेकिन भारत में, लोग नहीं जानते कि तनाव और दबाव क्या है। अभी भी यह विकसित नहीं हुआ है, मुझे नहीं पता कैसे। इस हद तक, यह बीमारी नहीं आई है ।

यही कारण हो सकता है कि वे बहुत अधिक भयभीत हैं शोर से। यहाँ लोग गांवों से आएंगे। वे स्टेशन पर सोएंगे, कुछ नहीं होता। रेल गाड़ियाँ आ रही हैं, जा रही हैं, वे आराम से सो रहे हैं। कल्पना कीजिए पश्चिमी देशों में। भगवान का शुक्र है, इटली में हमारे पड़ोसी थोड़ा दूर हैं, हमें थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन इंग्लैंड में, हमें अपने आश्रम को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदलते रहना पड़ा, यहाँ से वहाँ भागना पड़ा, ‘महान’ पड़ोसियों की वजह सेl हमारे पास उनमें से एक का नाम था मिस्टर पीस (श्रीमान शाँति)। मुझे नहीं पता उसे यह नाम किसने दिया। जीवन में ऐसा विपरीत वर्णन, इस तरह के भयानक विरोधाभास। मुझे नहीं पता कैसे वे सीखेंगे अपने पड़ोसी से प्रेम करना। लेकिन भारतीय करते हैं। किसी कारण से उन्हें यह समस्या नहीं है, ज़्यादा नहीं। कभी-कभी उन्हें होती है लेकिन इतना नहीं। लेकिन यदि वहाँ संगीत है मान लीजिए, तो सभी पड़ोसी इसमें शामिल हो जाएंगे, चाय लाएंगे, यह लाएंगे, वे संगीत का आनंद लेंगे।

लेकिन वहाँ सामूहिकता बहुत कम है मुझे लगता है। मैं समझ नहीं सकी कि वे स्वयं को ईसाई कैसे कह सकते हैं। वे केवल गिरिजाघर जाते हैं, अच्छे कपड़े पहन के और हमारे मेयर ने मुझे बताया कि पन्द्रह मिनट मुश्किल से हम बैठ पाते हैं। हम अपनी घड़ियों को देखना शुरू कर देते हैं। 15 मिनट! और आधे घंटे बाद, हम सभी जेल से बाहर भागते हैं और ऐसा कैसे है, ये लोग आपके साथ घंटों बैठे रहते हैं। मैंने कहा, मैं अवश्य उन्हें सम्मोहित कर रही होंगी।

मेरा मतलब है कि वे इतने सामूहिक नहीं हैं, जब तक वे शराब नहीं पीते तब तक वे सामूहिक नहीं हो सकते। जब तक वे नशे में न हों, तब तक वे एक-दूसरे से बात नहीं कर सकते। वे हर समय थके रहते हैं। कथित रूप से वे ईसाई हैं। वे बहुत थके हुए हैं, आप उन्हें फिल्मों में देखिए या कहीं भी, वे आते हैं और बैठ जाते हैं। यह क्या हो गया है? युवा लोग, हर समय सोचना, सोचना, सोचना, जो आज्ञा चक्र से आता है। जो ईसा मसीह के विरोध में की गई गतिविधि से आता हैl ईसा मसीह विरोधी गतिविधि, सोचना, सोचना, सोचना। हमें कल क्या करना चाहिए? क्या करना है और वह सब।

फ़िर भी, हमें आशा करनी चाहिए कि इस तरह का धर्म समाप्त हो जाएगा। ऐसे सभी धर्मों को समाप्त होना होगा। उन्हें अब जाना चाहिए, बस बहुत हो गया है। आप उनका समर्थन नहीं कर सकते। वे इतना अधिक भरे हुए हैं धर्म-विरोधी दशा से कि आप उन्हें सहन नहीं कर सकते। बेहतर है समाप्त कर देना इस्लाम को, हिंदू धर्म को, ईसाई धर्म को, सिख धर्म को, बौद्ध धर्म को, जैन धर्म को, और सभी धर्म को एक के बाद एक। ईसा मसीह किस धर्म के थे? मुझे नहीं पता।

आप एक धर्म के हैं, जो है सहज। जो सर्व-जन धर्म है, जो शुद्ध धर्म है, जो आपके भीतर पैदा हुआ है। आप किसी अन्य धर्म से संबंधित नहीं हैं क्योंकि उसमें कोई धर्म नहीं है।

तो, साल 2000 तक, मैं आशा करती हूँ ये सभी धर्म इस धरती से दूर भाग जाएंगे। वे सभी बिना किसी बात के लड़ रहे हैं, एक दूसरे को बिना किसी बात के मार रहे हैं। वे चाहते हैं, वे लड़ना चाहते हैं, वे लड़ना पसंद करते हैं। कुरान को क्यों दोष दें, बाइबिल को क्यों दोष दें, ईसा मसीह को क्यों दोष दें, किसी को भी क्यों दोष दें। वे लड़ना चाहते हैं। वे विभाजन कारी स्वभाव के हैं। वे चाहते हैं अलग राष्ट्र, अलग समुदाय, अलग ये। एक बार आप अलग करना शुरू करते हैं तो आप ईसा मसीह के विरोध में होते हैं। पूर्ण रूप से।

सहजयोग में भी मैं कहती हूँ, कि आप सबकी एक पहचान है, आप अलग देश नहीं हैं, अलग संगठन, अलग यह, मेरे विचार में विद्यमान नहीं है। विद्यमान नहीं है। मैंने इसके बारे में कभी नहीं सोचा। हम सभी एक पिता और एक माँ की संतान हैं। हमें यह सोचने का कोई हक नहीं है कि हम अलग हैं। अब भी, मैंने देखा है समूह बहुत आसानी से बन जाते हैं। कैसे? समूह बनते हैं, समूह बनते हैं। जैसे मैं देखती हूँ मराठी एक साथ बैठे हैं। फ़िर हमारे पास उत्तर भारतीयों का समूह है। भारतीय काफ़ी अलगाववादी हैं, मैं आपको बताती हूँ, पता नहीं क्यों- स्वभाव से। उत्तर भारतीयों के भी अलग, अलग विचार हैं। “आपको इंदौर आना होगा।” क्यों? क्या वह भारत का हिस्सा नहीं है? वे दिल्ली नहीं आ सकते? “आपको कानपुर आना होगा, आपको इलाहाबाद आना होगा, आपको इंदौर आना होगा। आपको हर गाँव, हर जगह जाना होगा”। क्यों? आप आज दिल्ली में पैदा हुए हैं, कल आप किसी भयानक जगह पर पैदा होंगे, फ़िर, “यह जगह मेरी है। यह मेरा घर है। मेरे घर में आना होगा।” यह एक और सिरदर्द है। “आपको मेरे घर आना होगा।” 

मेरा, मेरा, मेरा, मेरा। एक बार जब आप यह कहना शुरू कर देते हैं, तो समझ लीजिए कि फ़िर आप गए। अब आपका सम्बंध ईसा मसीह से और नहीं है, और नहीं हैl यह एक बहुत बहुत सामान्य बात है– आज भी कि, यदि आप अपने आस-पास देखें, आपके अपने ही देश के लोग होंगे। बस अपने चारों ओर देखिए। क्या आप दूसरे लोगों के साथ बैठे हैं? दूसरा कौन है? सहजयोग में, दूसरा कौन है? हम सभी एक हैं और इस एकता को हमें सीखना है, यदि आप वास्तव में मुझ से और ईसा मसीह से प्रेम करते हैं।

यह सारा समूह वाद और यह सब अब सहजयोगियों के बीच समाप्त होना है, समाप्त होना चाहिए। हम सबकी एक पहचान है, हम सभी एक जीवित शरीर हैं। हम सभी एक जीवित जीव हैं। हम यह नहीं कह सकते कि हम अलग हैं। क्या यह हाथ शरीर से अलग हो सकता है, क्या उसका कोई अस्तित्व रह जाएगा? एक बार जब आप इसे छोड़ना शुरू कर देंगे, आप आश्चर्य चकित होंगे, आपको वास्तविक आनंद मिलेगा। लेकिन एक बार आपको यह सब मेरे, मेरे, वाले विचार आते हैं, तो आप सहज योग का आनंद भी नहीं ले सकते। किसी और का आनंद भी नहीं ले सकते- “मेरी पत्नी, मेरे बच्चे, मेरा घर, ये, वो”। उस जागृति को भीतर आना है- “मैं इस देश से संबंधित नहीं हूँ।”

कई लड़कियों ने, आप देखिए, और लड़कों ने लिखा है, “हमें भारतीय विवाह करना है”। केवल, महिला की उम्र 35 वर्ष है। केवल! अब मैं भारत में उसके लिए पति कहाँ से ढूडूंगी, कोई विधुर होगा या इसी प्रकार का कोई। “भारतीय विवाह होना चाहिए!” क्या आप यह सोच सकते हैं? ऐसे लोग, असंभव है इनकी शादी कराना। मैं आपको चुनने का अधिकार देती हूँ, ठीक है, लीजिए चुनने का अधिकार। मेरे पास भी एक विकल्प है – मैं आपकी शादी नहीं करा सकतीl यह मेरा विकल्प है। आपके पास स्वतंत्रता है यह कहने की, आप कहाँ शादी करना चाहते हैं – ठीक है, करें शादी। लेकिन जहाँ तक ​​मेरा सवाल है, मैं आपकी शादी इस तरह नहीं करा सकतीl आपको वहीं शादी करनी होगी जहाँ आपके लिए अच्छा विवाह संबंध होगा। कई भारतीय लड़कियों ने भारतीय लड़कों से शादी की है, और बहुत कष्ट झेला है, इतना अधिक, आपको विश्वास नहीं होगा!

अब सहज योग में नहीं! हम एक शादी भी नहीं करा पाए हैं एक हिन्दुस्तानी की एक हिन्दुस्तानी से – संभव नहीं है। यह परमात्मा की इच्छा नहीं है। आप क्यों नहीं ढूढ़ लेते आपके अपने समुदाय में, कहीं भी वही चीज़। जैसे भारत में, बहुत सतर्क हैं। बहुत बहुत सतर्क हैं। जैसे जब मेरी बेटी की शादी होनी थी, उन्होंने कहा, “नहीं! वह श्रीवास्तव नहीं है। यदि वह श्रीवास्तव है भी, तो वह वही श्रीवास्तव नहीं है। यदि वह वही श्रीवास्तव भी है, उस की यह चीज़ अलग है!”

मेरा मतलब है। मैंने कहा, “अब यह कुछ ज़्यादा हो गया है”। क्योंकि मेरे पास मेरे सभी बुज़ुर्ग रहते थे और वे मेरे पीछे पड़े थे। मैंने कहा “वह श्रीवास्तव है या श्रीवास्तव नहीं है मैं उन की शादी कराने जा रही हूँ, बस!” मेरे पति मान गए। यही मेरे नाती-पोतों के साथ भी हुआ। यदि आपको श्रीवास्तव मिल जाता है, बहुत अच्छा है, अन्यथा भूल जाइए। मराठी लोग भी ऐसे ही हैं। मराठी लोग, जो ईसाई बन गए हैं, भी वैसे ही हैं, आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे, ईसाई! अब वे कह रहे हैं, हम दलित ईसाई हैं, अर्थात जो निम्न जाति से ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए। अब एक नई जाति आ गई है। एक बार जब आप ईसाई बन गए, तो आपकी जाति क्या है? आप ईसाई हैं, वह नहीं है। वे दलित हैं और वे उच्च ईसाई हैं। वे दलित में शादी नहीं करेंगे और दलित उच्च में शादी नहीं करेंगे। ईसाई माने जाते हैं, ईसा मसीह का अनुसरण कर रहे हैं, नियमित रूप से गिरिजाघर जाते हैं, अच्छे कपड़े पहन कर। भले ही उनके पास उचित सूट न हो। उन्हें अंग्रेज़ों की तरह कोई सूट पहनना चाहिए, उधार ले कर और गिरिजाघर जाना चाहिए। क्योंकि भारतीय ईसाइयों के अनुसार, ईसा मसीह का जन्म इंग्लैंड में हुआ था। वास्तव में, आप विश्वास नहीं करेंगे। जब तक आप सूट और टाई नहीं पहनते, तब तक आप गिरिजाघर नहीं जा सकते। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कोई धोती पहन कर गिरिजाघर जा रहा है? असंभव स्थिति।

मेरे समय में भी, भगवान का शुक्र है, मैंने एक ईसाई से शादी नहीं की, लेकिन मेरी अपनी बहनों की हुई। और सभी को जालीदार घूंघट पहनने के लिए मजबूर किया गया, और साड़ीयों को नहीं, फ्रॉक और घूंघट पहनें। क्या आप शादी की पोशाक की कल्पना कर सकते हैं। हम, भारतीय महिलाएं, साड़ी के बिना नहीं रह सकती हैं। लेकिन उन्हें मजबूर किया गया, इतनी सारी महिलाओं ने शादी की जिस तरह से अंग्रेज़ करते हैं। और मैं चकित थी, यहाँ तक कि जापानी, जो ईसाई हैं वे ऑस्ट्रेलिया आती हैं और इन अंग्रेज़ी दुल्हनों की तरह कपड़े पहनती हैं और शादी करती हैं – क्योंकि वे ईसाई हैं। यह दर्शाता है कि वे मानते हैं कि ईसा मसीह इंग्लैंड में पैदा हुए थे या क्या?

वास्तव में, ईसाइयों के लिए किसी भी पोशाक के बारे में चिंता करना आवश्यक नहीं है। यह सारी निरर्थकता पश्चिमी देशों से आती है कि आपको इस तरह से तैयार होना चाहिए, आपका चम्मच यहाँ होना चाहिए, कांटा यहाँ। क्या ईसा मसीह ने कांटे और चम्मच से खाया था? उनका जन्म “चरनी” (नाँद) में हुआ थाl यह समझना असंभव है कि ये लोग ईसाई हैं। इतना अधिक चिंतित हैं चम्मचों और कांटों के बारे में और वे रात के खाने के लिए आपके घर में आएं, वह प्लेट को उठाकर देखेंगे, आपने इसे किस कंपनी से खरीदा है। बहुत महत्वपूर्ण है!  इतने मूर्ख़ लोग! मैं आपको बता रही हूँ, वे स्वयं को ईसाई कहते हैं। ईसा मसीह का जन्म चरनी में हुआ था और (वे लोग), इतने सतर्क हैं निरर्थक चीज़ों के लिए l

देखिए, उनके जन्म की महानता को समझना होगा, जिसमें, उन्होंने दर्शाया कि वह पैदा हुए थे बंधी हुई गायों के साथ और बछड़े वहाँ थे। उनका जन्म “चरनी” में हुआ था।

न केवल विदेशों में ईसाई बल्कि भारत में भी वे ऐसे ही हैं – आप कुछ ही समय में एक ईसाई को पहचान सकते हैं। रविवार की सुबह उन्हें देखें। इस तरीके का मेरे पिता ने विरोध किया– वे कुर्ता पहनते थे क्यों कि ईसामसीह ने कुर्ता पहना था। उन्होंने सूट नहीं पहना था, पहना था क्या? और इतने अगंभीर हैं वो, कुछ भी सीखने का नहीं है उनसेl वे यहाँ सूट के ऊपर “सैविल रो” लिखेंगेl सूट के ऊपर! ऐसे मूर्ख़ लोग हैं, मैं आपको बताऊंl और भारतीय उनका अनुसरण कर रहे हैं हर तरफ़, मैं समझ नहीं सकतीl वे ईसा मसीह के विरोध में हैं। इन सब बातों में उनका अनुसरण मत कीजिएl

भारतीयों में कम से कम गरिमा की निश्चित भावना है। यदि आप में थोड़ी भी है, तो आपको सूट क्यों पहनना चाहिए यहाँ मई के महीने में? इस गर्मी में? हम सहजयोगी हैं। हमें एक सामान्य पोशाक पहननी चाहिए, आम आदमी की। हम किसे प्रभावित करने जा रहे हैं इस परम चैतन्य के अलावा? वे अत्यधिक अगंभीर हैं, अत्यधिक ध्यानपूर्वक सतर्क हैं अपने कपड़ों के बारे में, वे कैसे रहते हैं और यह वास्तव में भयानक है।

मैंने इसे देखा है और यही कारण है, मुझे लगता है, मुझे आपको चेतावनी देनी चाहिए। ऐसी संस्कृति को मत अपनाइये, यह ईसा मसीह विरोधी संस्कृति है, पूरी तरह से ईसा मसीह के विरोध में हर तरह से। हर तरह से उन्होंने ईसा मसीह का अपमान किया है, पूर्णतया।

आप लोगों को अब और ईसा मसीह का अपमान नहीं करना चाहिए। आप एक साधारण तरीके से रहिए। मेरा मतलब है, अब यह साड़ी, उन्होंने मुझे मजबूर किया पहनने के लिए, यह मेरे लिए एक बड़े थैले की तरह है, लेकिन क्या करूं? कल भी उन्होंने मुझे मजबूर किया, आज भी मुझे मजबूर किया। मुझे यह सब पहनना है क्योंकि मैं आदि शक्ति हूँ, माना जाता है। यदि मैं ईसा मसीह होती, तो मेरे लिए बेहतर होताl वह मुझसे कहीं अधिक स्वतंत्र थे!

अब, इस सबके साथ हमें क्या जानना है, क्या संदेश है? ईसा मसीह का संदेश क्या है? कि आप अपनी आध्यात्मिकता विकसित करें, अपनी दिव्यता, जिसके द्वारा आप जान सकते हैं, सहजयोगी की गरिमा क्या है। वह आपके सबसे बड़े भाई थे, मुझे कहना चाहिए। उनकी जीवन शैली का आपको अनुसरण करना चाहिए। किसी भी चीज़ से बिल्कुल नहीं डरना, किसी नौकरी की चिंता नहीं करना, कुछ भी नहीं, किसी व्यवसाय की चिंता नहीं करना, कोई भी, सभी चिंताओं से बिल्कुल मुक्त।

इतने उदाहरण हैं हमारे पास, सुंदर उदाहरण उनके जीवन के, लेकिन जब हम ईसाइयों को देखते हैं, तो हम इसे ईसा मसीह के जीवन की अभिव्यक्ति के रूप में प्रतिबिंबित करने का प्रयास करते हैं और यहीं हम गलती करते हैं। वे किसी भी तरह से ईसा मसीह के लिए नहीं हैं, वे किसी भी तरह से ईसा मसीह का अनुसरण नहीं कर रहे हैं।

इसलिए सहजयोगियों के रूप में, हमारी एक अलग संस्कृति है। हमारे पास एक ऐसी संस्कृति है जहाँ हम नैतिकता का सम्मान करते हैं। हमारी गरिमा है, हमारा अपना व्यक्तित्व है। हम निडर हैं, हम झूठ नहीं बोलते हैं, हम धोखा नहीं देते हैं और हम कभी भी सम्मोहित नहीं हो सकते हैं।

तो हमारे पास होनी चाहिए, अब हम इसे ” मातृ संस्कृति” कह सकते हैं, और जो किसी भी तरह से दिखावा करना नहीं है, या किसी भी तरह से कृत्रिम चीज़ों को अपनाना नहीं है। पूरी बात बदल जाएगी, पूरी अवधारणा बदल जाएगी, पूरा विचार बदल जाएगा, एक बार जब आप समझ जाएंगे कि आप अब “मातृ संस्कृति” में हैं। अब उन्होंने मुझे मजबूर किया, इसलिए मैं पहन रही हूँ, ठीक है। आप चाहते हैं मैं पहनू, ठीक है, मैं पहनूंगी। लेकिन आमतौर पर यदि आप इसे मुझ पर छोड़ दें, मैं क्या पहनती हूँ, यह आप जानते हैं। राज़ पहले से ही खुल चुका हैl

यदि आप मुझे उपहार देना चाहते हैं, तो मुझे दे दीजिए, मैंने आपसे कभी उपहार नहीं माँगा, कुछ नहीं! मेरे सिर पर उपहार थोपना! ठीक है, अपनी खुशी के लिए आप कीजिए। क्या करें? लेकिन एक बात मैं अवश्य अनुरोध करना चाहती हूँ इन मराठियों से, वे मुझे अब और नहीं देंगे, अब और नहीं, फ़िर से, अब और नहीं, जिसे वे कहते हैं ओटी। मेरी ओटी अब बहुत अधिक भर गयी है। बिलकुल, किसी को मुझे ओटी नहीं देनी है। यदि किसी की शादी होती है, यदि किसी के यहाँ बच्चा होता है, किसी के साथ कुछ भी होता है, तो वे ओटी ले आएंगेl मुझे कोई ओटी देने की आवश्यकता नहीं हैl आप मंदिर जा सकते हैं, आप अपनी ओटी वहाँ दे सकते हैंl इसे फ़िर बेचा जाता है और बेचा जाता है और बेचा जाता है बेचने वालों के बीच, जो गुजराती हैं, ब्राह्मण जो पुजारी हैं, वे पैसा कमाते हैं। तो कोई ओटी नहीं, कोई भी मुझे ओटी नहीं देगा, कोई ओटी नहीं, किसी भी तरह कीl

क्रिसमस के दिन मुझे एक बात कहनी है – हमने ईसा मसीह को क्या दिया और दूसरा सवाल हम माँ को क्या देने जा रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, कुछ नहीं। मैं स्वयं से पूरी तरह संतुष्ट हूँ।

जो मैं चाहती हूँ, वह है, आप स्वयं को सहजयोग को समर्पित करें, सत्य को और प्रेम को। मैं बहुत प्रसन्न हो जाऊंगी और यह भी, ऐसे बात नहीं करना, जिसे कहते हैं, क्राइस्ट ने उन्हें बुलाया है, ” फ़ुसफ़ुसाती आत्माएं ” – यहाँ वहाँ बात कर रहे हैं, कोई वहाँ कह रहा है। यह सब मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। मुझे यह पसंद नहीं है और यह नहीं किया जाना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप गिर जाएंगे, बहुत बुरी तरह से गिर जाएंगे।

यह अंतिम निर्णय है, या तो आप स्वर्ग जाएंगे या आप नर्क जाएंगेl यह पहले से ही इस तरह से कार्य चल रहा है। तो चलिए देखते हैं, आप कहाँ हैं? इसलिए मुझे बार-बार आपको बताना पड़ता है, आपकी माँ होने के नाते। मुझे आपको सुधारना है और आपको बताना है कि याद रखें कि यह अंतिम निर्णय है और कृपया, अब उन गतिविधियों को न करें जो ईसा मसीह के विरोध में हैं।

आप अपने भीतर निरीक्षण कर सकते हैं – जो भी आप कर रहे हैं, वह अच्छा नहीं है, और इस के लिए, सबसे अच्छी बात है अपने आपको सहजयोग को समर्पित कर देना, लेकिन सहजयोग से पैसा नहीं बनाना है। सहजयोग से राजनीति नहीं करनी है। लेकिन सहजयोग को एक बड़े, विशाल, बड़े वृक्ष की तरह बनाएं और यह काम करेगा। मुझे पता है कि यह काम करेगा। आप में क्षमता है। इसलिए आप सब यहाँ हैंl

परमात्मा आप सब को आशीर्वादित करें।