Shri Krishna Puja: Primordial Taboos and Sahaj Dharma Campus, Cabella Ligure (Italy)

1997-08-23 श्री कृष्ण पूजा टॉक, कबैला, इटली आज हम यहाँ कृष्ण पूजा के लिए एकत्रित हुए हैं। मैं अमरीका गई थी और वे चाहते थे कि मैं एक महाकाली पूजा करूँ, लेकिन मैंने कहा नहीं, मुझे केवल कृष्ण के विषय में बात करने दीजिए, क्योंकि हमें पहले यह जानना होगा कि इस पूजा की क्या शक्ति है, कैसे हम श्री कृष्ण को अपने भीतर स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने स्वयं कहा है कि जब भी धर्म का पतन होता है- धर्म का अर्थ वह नहीं है जो हम समझते हैं हिंदू, ईसाई या इस्लामी निरर्थकता जैसे – यह नहीं है। धर्म का अर्थ हैं, हमारे बीजभूत प्रतिबंध, जो मानव में आंतरिक रूप से निर्मित हैं। इनके बारे में, मुझे लगता है कि आदिवासी हमसे बेहतर जानते थे। लेकिन फ़िर हमने क्या किया, हम उन पर हावी हो गए और उन्हें भी अपनी जीवन शैली बदलनी पड़ी। बीजभूत प्रतिबंधों को केवल तभी समझा जा सकता है जब लोग स्वयं को समझने की कोशिश कर रहे हों अथवा जो कुछ भी परंपरागत रूप से उनके पास आया हो।   अब, सहज धर्म थोड़ा अलग है इस अर्थ में कि यह उन सभी सहज विचारों से ऊँचा है, जिनकी हम बात करते हैं। लेकिन यह श्री कृष्ण द्वारा या श्रीराम द्वारा कही गई बातों से भी अधिक ऊँचा है। पहले श्री राम ने सोचा, सबसे अच्छा है उन्हें अनुशासन देना । लोगों को जीवन के बारे में गंभीर होना चाहिए, अपने स्वयं के अस्तित्व के बारे में पूर्ण समझ होनी चाहिए, उन्हें स्वयं का Read More …