Sahasrara Puja: Watch Yourself Campus, Cabella Ligure (Italy)

Sahasrara Puja Talk Cabella, Italy 2002-05-05  आज एक बहुत महान दिवस है, मुझे कहना चाहिए, सहस्रार मनाने के लिए, सहस्रार की पूजा। यह बहुत ही अद्वितीय बात है, जो घटित हुई है, कि आपके सहस्रार खोले गए। ऐसे कुछ बहुत ही कम लोग थे, इस पूरे विश्व में। उसमें कुछ सूफ़ी थे, कुछ संत थे। उसमें कुछ और लोग भी थे चीन इत्यादि में। परन्तु बहुत कम, बहुत कम अपने सहस्रार खोल पाए। इसलिए जो कुछ भी उन्होंने कहा, या लिखा, वह कभी लोगों द्वारा समझा नहीं गया। उन्होंने वास्तव में उन्हें सताया। उन्होंने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया। और सभी प्रकार की भयानक चीज़ें कीं, क्योंकि वे सहन नहीं कर सकते थे, कि किसी को यह आत्मसाक्षात्कार मिला रहा है। इसलिए, यह बहुत ही महान दिवस है, क्योंकि सामूहिक रूप से यह सहस्रार खोला गया है। आप में से हर एक को यह मिल गया है। साथ ही विश्व भर में, आपके यहाँ कई लोग हैं जिन्होंने अपने सहस्रार खोले हैं। निश्चित रूप से, हमें और भी अधिक की आवश्यकता है, उन्हें समझाने के लिए, कि क्या है यह महान घटना, सहस्रार का इस तरह से सामूहिक रूप से खोला जाना।  कुछ बहुत अधिक बढ़ गए हैं, अपना आत्मसाक्षात्कार पाने के बाद, बहुत अधिक। उन्होंने सहज योग को बहुत अच्छी तरह से समझा है। और उन्होंने अपनी गहराई को विकसित किया है, और उनकी चेतना वास्तव में एक बहुत बड़ी जागरूकता है, ईश्वर के साथ एकाकारिता की। ईश्वरीय शक्ति से एकाकार होना मनुष्य के लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। अब Read More …

Shri Krishna Puja Campus, Cabella Ligure (Italy)

आज हम यहाँ अपने अन्दर स्थित श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए आये हैं। जैसे कि आप जानते हैं कि सहज योग में आने से पूर्व आप सब परमात्मा को  खोज रहे  थे । आप अलग-अलग जगहों पर गए, बहुत सारी किताबें पढ़ीं और आप में से कुछ लोग भटक गए। और, उस   खोज में, शायद आप नहीं जानते थे कि आप क्या तलाश रहे थे। जो आप तलाश रहे थे वह था स्वयं को जानना था। सभी धर्मों में यह कहा गया है कि ‘स्वयं को जानो ‘. यह एक सामान्य बात है जो सभी ने कही है। यह एक ऐसा तथ्य है जो हर धर्म में है , ‘स्वयं को जानो’, क्योंकि स्वयं को जाने बिना आप परमात्मा को नहीं जान सकते , आप आध्यात्मिकता को नहीं जान सकते. तो पहला कदम था स्वयं को जानना ।  और उसके लिए लोगों ने आपके साथ सभी प्रकार के छल किये, उन्होंने आपको विभिन्न तरीकों से सिखाया और वास्तव में आपको लूटने और आपको धोखा देने की कोशिश की। वो सभी चीजें जो हुई हैं, समाप्त हो गई हैं।  तो फिर आप सहज योग में आते हैं और आपको अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है । लेकिन  आत्मसाक्षात्कार का उद्देश्य क्या है? परमात्मा, या देवी को जानना , यही आत्मसाक्षात्कार का उद्देश्य है ।  लेकिन आत्मसाक्षात्कार के बाद आपको क्या होना चाहिए? आप में से कई लोगों ने निरर्थक वस्तुएं में रूचि छोड़ दी है जैसे नशा और वो सभी चीजें ।  निरर्थक किताबें पढ़ने में भी आपकी रुचि समाप्त हो Read More …

Guru Puja: Shraddha Campus, Cabella Ligure (Italy)

गुरु पूजा, कबैला, लिगुरे (इटली), २३ जुलाई २०००। आज हम यहाँ गुरु सिद्धांत के बारे में जानने के लिए आए हैं।गुरु क्या करते हैं,आपके पास जो कुछ भी है,आपके भीतर की सभी बहुमूल्य चीज़ें,वह आपके ज्ञान के लिए उन्हें खोजते हैं। वास्तव में यह सब कुछ आपके भीतर ही है। सम्पूर्ण ज्ञान, सम्पूर्ण अध्यात्म,सम्पूर्ण आनंद, सब यही है।सही समय!यह सब आपके  भीतर समाहित है।गुरु केवल एक ही कार्य करते हैं आपको आपके ज्ञान के बारे में और आपकी आत्मा के बारे जानकारी प्रदान करना। सबके भीतर आत्मा है। हर किसी के अंदर आध्यात्मिकता है।ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको बाहर से मिले।लेकिन यह ज्ञान प्राप्त करने से पहले, आपका बर्ताव या कहें , आप अज्ञान में जी रहे हैं।उस अज्ञानता में आप नहीं जानते कि आपके  भीतर क्या निधि है।तो गुरु का काम है आपको बताना की आप क्या हैं? यह पहला कदम है।यह शुरुआत है आपके भीतर की जागृति होने की, जिसके द्वारा आप जान पाते हैं कि आपका अस्तित्व यह बाहर की दुनिया नहीं है, यह सब एक भ्रम है।और आप अपने भीतर ही प्रबुद्ध होने लगते हैं।कुछ लोगों को पूरा प्रकाश मिलता है और कुछ लोगों को यह धीरे-धीरे मिलता है।सभी धर्मों का सार यह है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए।वह लोग जो धर्म के नाम पर लड़ रहे हैं,आपको उनसे जाकर पूछना होगा, आपको उनसे पूछताछ करनी होगी, कि क्या आपके धर्म ने आपको स्वयं की पहचान कराई ?अगर सभी धर्मों ने एक बात कही है तो आपको यह सारे कार्य केवल स्वयं को Read More …

Easter Puja: You Can Spread Sahaja Yoga Only Through Love and Compassion Istanbul (Turkey)

Easter Puja. Istanbul (Turkey), 19 April 1998 आज हम ईसा मसीह के पुनरुत्थान का उत्सव मना रहे है | यह ईसा मसीह के जीवन का सबसे बड़ा संदेश है, सूली पर चढ़ना नहीं है |  किसी भी व्यक्ति को सूली पर टांगा जा सकता है और मारा जा सकता है, किन्तु ईसा मसीह का ये मृत शरीर पुनर्जीवित हो उठा | म्रुत्यु का स्वयं अंत हो गया और उन्होंने इस पर विजय प्राप्त कर ली |  यह चमत्कार हो सकता है सामान्य मनुष्य के लिए निश्चय ही, किन्तु ईसा मसीह के लिए नहीं, क्योंकि वे दैवीय व्यक्तित्व थे, वे श्री गणेश थे, वे स्वयं ओंकार थे | इसलिए वे पानी पर चल सकते थे | गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव उन पर नहीं पड़ सकता था और इसलिए भी वे पुनर्जीवित हो उठे क्योकि मृत्यु उन पर प्रभावी नहीं हो सकी|  वे ऐसे महान दैवीय व्यक्तित्व थे विशेषतः मनुष्यों के लिए बनाये गए थे ताकी लोग उनको पहचान सकें | लेकिन लोगों ने उनको पहचाना नहीं, उनकी हत्या कर दी अत्यंत बर्बरतापूर्वक | वे आज भी सोचते हैं कि यह क्रॉस (सूली) एक महान वस्तु है क्योंकि ईसा मसीह की मृत्यु एक क्रॉस पर हुई थी | यह एक बहुत ही क्रूर विचार है मानव जाति का क्रॉस (सूली) को सम्मान देना | यह क्या दर्शाता है? यह ये दर्शाता है कि लोगों ने पसंद किया उनके प्रति की गई क्रूरता बर्बरता को | क्रॉस प्रतीक है उनकी मृत्यु का और उन पर अत्याचारों है, जिस तरह से उन्हें यातनाएं दी गई थी। इसलिए वह बहुत  दुःखद समय था जब उनको सूली पर टांगा गया | लेकिन जब वे पुनर्जीवित हो उठे तो यह सर्वाधिक आनंददायक अत्यंत मंगलदायक और Read More …

Easter Puja: You Have To Grow Vertically Eastbourne (England)

1990-04-22 ईस्टरपूजा प्रवचन : आपको उर्ध्व दिशा में उत्थान करना है। ब्रिटेन,डीपी आज हम यहाँ पूजा करने जा रहें हैं, ईसा मसीह के पुनरुत्थान की। और साथ ही उन्हें धन्यवाद देना है,  हमें प्रदान करने के लिए ,एक संत का आदर्श जीवन , जिसे कार्य करना है ,संपूर्ण विश्व  के कल्याण लिए । हम ईसा मसीह की बात करते हैं ।हम श्री गणेश   भजन का गायन करते हैं । हम कहते हैं कि हम उनको मानते हैं । विशेष रूप से सहजयोगियों को लगता है कि उनके सभी भाइयों में वे  सबसे बड़े  हैं  ।और एक प्रबल  , समर्पण मैं पातीं हूँ, विशेष रूप से पाश्चात्य सहज योगियों में, ईसा मसीह के लिए । कारण कि शायद हो सकता है कि उनका जन्म ईसाई धर्म में हुआ हो ।अथवा हो सकता है कि उन्होंने  ईसा मसीह के जीवन को पाया हो ,एक बहुत  विशेष प्रकार का  । परंतु उन्हें उस से कहीं अधिक होना है सहज योग के लिए , और आप सहज योगियों के लिए । बहुत से लोग अनेक देवी-देवताओं को मानते हैं । जैसे कुछ लोग श्री कृष्ण को मानतें  हैं, कुछ लोग श्री राम को , कुछ लोग बुद्ध को , कुछ लोग महावीर को एवं कुछ लोग ईसा मसीह को। पूरी दुनिया में, वे अवश्य विश्वास करतें हैं, किसी उच्चतर अस्तित्व में । परंतु शुरुआत मे यह विश्वास बिना योग के  होता है ।और बन जाता है एक प्रकार का,  मिथक  कि वे सोचते हैं कि ,ईसा मसीह उनके अपने  हैं, राम उनके अपने Read More …

Sahasrara Puja: First of all you must keep your vibrations clear Bogota (Colombia)

सहस्रार पूजा, (दक्षिण अमेरिका में पहली पूजा)  बोगोटा (कोलंबिया), 20 जुलाई 1988 यहां कोलंबिया में होना बहुत प्रसन्नता की बात है; जो कि बहुत समय पहले मेरी बड़ी इच्छा थी कि, बाद में किसी तरह अगर मैं इस देश में आ सकूं, तो मैं यहां सहज योग शुरू करने में सक्षम हो सकूं। क्योंकि उस समय मुझे महसूस हुआ था कि कोलम्बिया में बहुत से साधक और बहुत अच्छे लोग हैं। वे सत्य के साधक हैं और अपनी जागरूकता में ऊँचा उठना चाहते हैं। और जैसी मेरी इच्छा थी, वैसा ही हुआ। मैं यहां आप लोगों के बीच आकर बहुत प्रसन्न हूं; और हमारे पास दक्षिण अमेरिका के अन्य देशों से भी लोग हैं जो एक बहुत बड़ी बात है। हमने यूरोपीय देशों में काम करना शुरू किया, जिन्हें हम विकसित देश कह सकते हैं, लेकिन मेरी हमेशा दूसरी तरफ आने की बहुत तीव्र इच्छा थी, यानी अविकसित देश, जहां संस्कृति है। इसे सभी देशों में फैलाना है। कोई भी देश यह नहीं कह सके कि यह हमारे पास नहीं आया, कि हम सत्य को नहीं जानते थे, कि हम मुद्दे से चूक गए। चूंकि आप लोग सहज योग के पहले संस्थापक और नीवं के पत्थर हैं, इसलिए आपको बहुत सावधान रहना होगा। जैसा कि मैंने कई बार कहा है कि विज्ञान और अन्य चीजों से हमें जो ज्ञान है, वह वृक्ष का ज्ञान है, लेकिन सहज योग जड़ का ज्ञान है। तो, हमें गहरा व्यक्तित्व बनना है, हमें अपनी गहराई और अपनी महिमा और अपनी सुंदरता का ध्यान रखना Read More …

Shri Vishnumaya Puja: She has created a big maya YWCA Camp, Pawling (United States)

श्री विष्णुमाया पूजान्यूयॉर्क (यूएसए), 9 अगस्त 1987। आज हम यहां विष्णुमाया की पूजा करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। विष्णुमाया मानव प्रयास से भी निर्मित होती है। जैसा कि आप बादलों को देखते हैं, जब वे एक दूसरे के खिलाफ रगड़ते हैं, तो बिजली पैदा होती है। तो पहले बादलों को बनाना होगा। सूर्य समुद्र पर कार्य करता है। देखें कि कितने चक्र चलन में आते हैं! समुद्र भवसागर है, और सूर्य समुद्र पर कार्य करता है। साथ ही चंद्रमा समुद्र पर कार्य करता है। इसके फलस्वरूप बादल बनते हैं। यह बिजली समुद्र में पैदा नहीं होती है – इससे समस्याएं पैदा होंगी। आकाश में इसलिए बनाया गया है कि हर कोई इसे देख सके, सुन सके। वे पहले इसे देखते हैं और बाद में सुनते हैं। यह सब सुव्यवस्थित है, सुविचारित है – यही विष्णुमाया है। लेकिन इसे भी, इस पृथ्वी पर मनुष्यों द्वारा कुछ समझ के साथ बनाया गया था। सबसे पहले उन्होंने दो बादलों को आपस में रगड़ते देखा। तो आदिम अवस्था में, मनुष्य ने बिजली बनाने के लिए दो भौतिक चीजों को रगड़ने की कोशिश की। तो दो भौतिक चीजें, यानी पदार्थ के दो हिस्से, रगड़ने पर बिजली पैदा हुई। यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है: पदार्थ का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा सकता है! पदार्थ से बिजली की चिंगारी निकलती है। पदार्थ के बिना, वे खाना बनाना शुरू नहीं कर सकते थे। तो इसने कैसे भवसागर की मदद की है। पहले समुद्र से आकाश में गयी, लोगों को बिजली पैदा करने का संदेश दिया। Read More …

Shri Ganesha Puja: First understand vibrations clearly Auckland (New Zealand)

“पहले वायब्रेशन को स्पष्ट रूप से समझें,” श्री गणेश पूजा, ऑकलैंड (न्यूजीलैंड), 16 मई 1987 लेकिन उनमें से कुछ बहुत अच्छे हैं और उनमें से कुछ बहुत भले, सौम्य लोग हैं। योगी : महाराष्ट्र में जनजातियां अब बहुत अच्छी हो गई हैं. बहुत अच्छा। माता: (मराठी) योगी: कुछ पहाड़ियाँ महाराष्ट्र में अमरावती के पास हैं। लेकिन यह जुड़ा हुआ है। अमरावती, वाशी. मां : पान मराठी बोलत ते लोग? (मराठी: लेकिन क्या वे लोग मराठी बोलते हैं?) योगी: नहीं टेंचे लोगन नहीं बोलते। (मराठी: नहीं, वे लोग नहीं बोलते।) मां: हो? (सचमुच?) योगी: जस्ता मराठी। (केवल मराठी।) मां : अनी माओरी ची भाषा? (मराठी: और माओरी भाषा?) योगी: माओरी की भाषा क्या है? योगिनी: ठीक है, हम इसे माओरी कहते हैं। मां : मेरे पास इन माओरी लोगों की डिक्शनरी है. फिर हम इसकी सहायता लेंगे। हम यहां से एक डिक्शनरी लेंगे। यह एक शब्दकोश है, यह देखने के लिए कि क्या वे वही बोलते हैं। योगिनी: एफ्रोम, वह आंध्र प्रदेश में काम कर रहा है। माता : एफ्रोम ? क्या वह माओरी लोगों पर काम कर रहा है? योगिनी: नहीं, उसने नहीं किया। मां: तुम पता करो, तब हम उसे यह संबंध बता सकते हैं। योगी : माओरी में कुछ ऐसे शब्द हैं, माँ, जो संस्कृत के शब्दों से बहुत मिलते-जुलते हैं। माँ: मैं माफ़ी माँगती हूँ? योगी: माओरी में कुछ ऐसे शब्द हैं, जो संस्कृत के शब्दों के समान हैं। मां: भारतीयों के समान? वह कह रहा है कि वास्तव में, महाराष्ट्र में ‘माओरी’ नामक एक जनजाति है। Read More …

Devi Puja: Commitment and Dedication Paithan (भारत)

“प्रतिबद्धता और समर्पण”।पैठण, महाराष्ट्र, (भारत), 11 जनवरी 1987। आपने इस जगह के चैतन्य को महसूस किया होगा: वे जबरदस्त हैं। और इतने वर्षों के बाद हमारा यहां आना हुआ, यह वास्तव में बहुत आश्चर्य की बात है। इस स्थान का मेरे साथ बहुत गहरा संबंध है, क्योंकि मेरे पूर्वजों ने इस स्थान पर शासन किया था। और यह शालिवाहनों की राजधानी थी। इसे ‘प्रतिष्ठान’ कहा जाता है, लेकिन फिर उन्होंने आसान भाषा मे “पैठन” बना दिया। यहां हजारों वर्षों से शासक थे और उन्होंने ही इस शालिवाहन वंश की शुरुआत की थी। असल में उन्होंने खुद को ‘सातवाहन’ [जिसका अर्थ है ‘सात वाहन’ कहा। वे सात चक्रों के सात वाहनों का प्रतिनिधित्व करते थे। यह आश्चर्यजनक है कि कैसे सहज। उसके बाद एक महान कवि हुए, जैसा कि आप उनके बारे में जानते हैं – ज्ञानेश्वर। वे यहां आए थे और उनका जन्म इस जगह के बहुत करीब हुआ था। वह यहां काफी समय से थे। और एक व्यक्ति था, जो एक अति-चेतन व्यक्ति था, जिसने उन्हे चुनौती दी थी। उसका नाम चांगदेव था। तो उसने कहा कि, “तुम्हारे पास तुम्हारे पास क्या है जो यह प्रदर्शित करे कि तुम्हारे साथ ईश्वर है?” और उसके साथ एक नर भैंसा था जो बस सड़क पर चल रहा था और ज्ञानेश्वर ने उस भैंस के द्वारा वेद मंत्र पाठ करवाया। और इस चांगदेव ने कुछ चालबाज़ी दिखाने की कोशिश की। और ज्ञानेश्वर अपने भाइयों और बहनों के साथ एक टूटी हुई दीवार पर बैठे थे और उन सभी के साथ दीवार को Read More …

How to enlighten energy centers? Unity of Houston Church, Houston (United States)

उर्जा केंद्रों को कैसे प्रबुद्ध करेंसार्वजनिक कार्यक्रम, यूनिटी चर्च। ह्यूस्टन (यूएसए), 30 मई 1986। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। हमें यह समझना होगा कि सत्य जो है सो है, हम उसकी कल्पना नहीं कर सकते। हम इसे प्रबंधित नहीं कर सकते। हम इसे आदेश नहीं दे सकते। बस एक वैज्ञानिक व्यक्तित्व की तरह से, हमारे पास यह देखने के लिए खुला दिमाग होना चाहिए कि यह क्या है। जैसे हम किसी भी विश्वविद्यालय या कॉलेज में जाते हैं, हम यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि वहां क्या है, उसी तरह जब हमें सच्चाई के बारे में पता लगाना है, तो हमें बहुत खुले विचारों वाला होना चाहिए। लेकिन जब हम ‘प्रेम’ की बात करते हैं, तो हमें पता होना चाहिए कि प्रेम और सच्चाई एक ही चीज है। परमेश्वर के प्रेम और स्वयं सत्य में कोई अंतर नहीं है। यह अंतर तब होता है जब हम ईश्वर के साथ एकाकार नहीं होते। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी से बहुत सांसारिक स्तर पर भी प्रेम करते हैं, यदि आप किसी से शारीरिक रूप से प्रेम करते हैं, तो आप कह सकते हैं, या शारीरिक रूप से, आप उस व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ जानते हैं; तुम बस इसे जानते हो। लेकिन जब तुम सत्य को जान लेते हो, तब तुम प्रेम बन जाते हो। और जिस प्रेम के बारे में मैं आपको बता रही हूं वह वो प्रेम है जो सर्वव्यापी है, जो क्रियांवित होता है, समन्वय करता है और सत्य है। लेकिन, Read More …

Shri Mahaganesha Puja Ganapatipule (भारत)

                                            श्री महागणेश पूजा  गणपतिपुले (भारत), 1 जनवरी 1986। आज हम सब यहां श्री गणेश को प्रणाम करने के लिए एकत्रित हुए हैं। गणपतिपुले का एक विशेष महत्व है क्योंकि वे महागणेश हैं। मूलाधार में गणेश विराट यानी मस्तिष्क में महागणेश बन जाते हैं। यानी यह श्री गणेश का आसन है। अर्थात श्री गणेश उस आसन से निर्दोषता के सिद्धांत का संचालन करते हैं। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, जैसा कि वे इसे कहते हैं, यह ऑप्टिक थैलेमस, ऑप्टिक लोब के क्षेत्र में, पीछे रखा जाता है; और वह आँखों को निर्दोषता के दाता है। जब उन्होंने क्राइस्ट के रूप में अवतार लिया – जो यहाँ, सामने, आज्ञा में है – उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि “तुम्हें आँखें भी व्यभिचारी नहीं होना चाहिए।” यह एक बहुत ही सूक्ष्म कहावत है, जिस में लोग ‘व्यभिचारी’ शब्द का अर्थ भी नहीं समझते हैं। ‘व्यभिचार’ का अर्थ सामान्य शब्द में अशुद्धता है। आँख में कोई भी अशुद्धता “तेरे पास नहीं होगी”। यह बहुत मुश्किल है। यह कहने के बजाय कि आप अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें और अपनी पिछले आज्ञा चक्र को साफ करें, उन्होंने इसे बहुत ही संक्षिप्त रूप में कहा है, “तुम्हें व्यभिचारी आँखे नहीं रखना चाहिए”। और लोगों ने सोचा “यह एक असंभव स्थिति है!” चूँकि उन्हें लंबे समय तक जीने नहीं दिया गया – वास्तव में उनका सार्वजनिक जीवन केवल साढ़े तीन साल तक सीमित है – इसलिए उन्होंने जो कुछ भी कहा है उसका बहुत बड़ा महत्व है, कि आपकी आंखें व्यभिचारी न हों। जब Read More …

The Priorities Are To Be Changed Chelsham Road Ashram, London (England)

प्राथमिकताओं को बदला जाना है चेल्शम रोड, क्लैफम लंदन (यूके), 6 अगस्त 1985। अब मेरा इंग्लैंड में प्रवास अपना 12वां वर्ष पूरा कर रहा है और यही कारण है कि मैं आप लोगों से सहज योग के बारे में बात करना चाहती थी। यह कहां तक चला गया है और हमारे पास कहां कमी है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि हमने अपने धर्म की स्थापना की है: निर्मल धर्म, जैसा कि हम इसे कहते हैं, विश्व निर्मल धर्म। और आप शब्दों के अर्थ जानते हैं, विश्व का अर्थ है सार्वभौमिक, निर्मल का अर्थ है शुद्ध और धर्म का अर्थ है धर्म। यह अमेरिका में स्थापित किया गया है। और हमें इसे यहां इंग्लैंड में पंजीकृत करना होगा। अब यह बहुत महत्वपूर्ण है कि, जब हम किसी धर्म से संबंध रखते हैं, तो हमें यह जानना होगा कि उस धर्म की आज्ञाएं क्या हैं। और अभी तक हमने कुछ भी मसौदा तैयार नहीं किया है। यह ऐसी चीज़ नही हो सकती जिसे लोगों या मनुष्यों के लिये बनायी गईअनुकूल वस्तु नहीं हो सकती है। ऐसा नहीं हो सकता। और आपकी अनुकूलता के लिये इस मे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। जैसे रूस में, जैसा कि मैंने आपको कहानी सुनाई, मैं वहां गयी और मैंने कहा, “मैं एक चर्च देखना चाहती हूं।” इसलिए वे मुझे एक चर्च में ले गए, जो ऑर्थोडॉक्स ग्रीक चर्च था, और मेरे पति भी वहां थे जहां हम वीआईपी थे, इसलिए चर्च का मुखिया नीचे आया और हमें दोपहर के भोजन के लिए Read More …

Shri Gruha Lakshmi Puja: In your houses you must do Gruhalakshmis’ puja Brompton Square House, London (England)

श्री गृहलक्ष्मी पूजाब्रॉम्प्टन स्क्वायर, लंदन, 1985-0805 तो, इस घर को बनाने और इसे इतना सुंदर बनाने में मदद करने के लिए आप सभी को धन्यवाद देना है। सारी कृतज्ञता हम दोनों की ओर से है [श्री माताजी और सर सीपी]।आज का दिन बहुत दिलचस्प है जब आप यहां गृहलक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं, यानी इस घर की गृहलक्ष्मी। इसी प्रकार अपने परिवार में भी अपने घरों में गृहलक्ष्मी की पूजा अवश्य करें। स्त्री को स्वयं गृहलक्ष्मी बनना है और फिर उसकी पूजा करनी चाहिए।“यत्य नारीया पूज्यन्ते, तत्र भ्रामंते देवता।” जहां नारी का सम्मान और पूजा होती है, वहां सभी देवताओं का वास होता है। लेकिन उन्हें भी सम्मानजनक होना चाहिए। यदि वे आदरणीय नहीं हैं तो देवताओं का वास वहाँ नहीं होगा। इसलिए, गृहलक्ष्मी पर सम्मानजनक होने की एक बड़ी जिम्मेदारी है ताकि परिवार में सभी देवता खुश रहें। और एक बार उसका सम्मान होने के बाद, वह भी सम्मानजनक बनने की कोशिश करेगी। इसलिए गृहलक्ष्मी का सम्मान बहुत जरूरी है। आज हम विश्वकर्मा और ब्रह्मदेव के आशीर्वाद से, उन सभी बिल्डरों कीऔर से जिन्होंने यहां हमारी मदद की; जिन्होंने इस घर को इतना खूबसूरत बनाने की कोशिश की है,यह छोटी पूजा कर रहे हैं । साथ ही, जैसा कि आप जानते हैं, ब्लेक ने इस घर का वर्णन किया है। इसका एक विशेष महत्व है और अब हमें इसे किसी और को सौंपना है, जो इस घर की सराहना और सम्मान करेगा; जो की इस घर का मूल्य और कीमत को समझेगा। और इसके लिए हमें प्रार्थना करनी Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: The innermost stream of Brahmanadi Kolhapur (भारत)

“ब्रह्मनाड़ी की अंतरतम धारा” श्री महालक्ष्मी पूजा  कोल्हापुर (भारत), ३ फरवरी १९८४। तो हम सब अब यहाँ इस पवित्र स्थान कोल्हापुर में हैं। देवी ने यहां कोल्हासुर नामक असुर का वध किया, जो एक बहुत ही दुष्ट राक्षस था; जो हाल ही में फिर से पैदा हुआ था, लेकिन उसकी मृत्यु भी हो गई। तो भगवान का शुक्र है कि कोल्हासुर की मृत्यु हो गई! इस स्थान को विशेष रूप से इसलिए चिन्हित किया गया है क्योंकि धरती माता से महालक्ष्मी ऊर्जा विशेष रूप से देवी महालक्ष्मी से उत्सर्जित हुई थी। और, जैसा कि आप जानते हैं, महालक्ष्मी हमारे भीतर उत्थान की शक्ति है, जिसके माध्यम से हम उन्नत होते हैं। यह उस सीढ़ी की तरह है जो आपको परमात्मा के राज्य में ले जाती है, और इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। और महाराष्ट्र के देवता विट्ठल, श्री कृष्ण हैं। क्योंकि यह विष्णु की आरोही शक्ति है, श्री कृष्ण तक, फिर महाविष्णु और फिर सहस्रार को। यह सब इसलिए संभव है क्योंकि हमारे भीतर महालक्ष्मी नाड़ी है। अगर आप में सुषुम्ना नाड़ी न होती तो हम जानवर ही होते। जानवरों के पास भी यह नाड़ी एक हद तक होती है। जैसा कि आप जानते हैं कि वे भवसागर तक आ सकते हैं। लेकिन भवसागर के बाद मनुष्य के रूप में विकास हमारे भीतर इस महालक्ष्मी ऊर्जा के माध्यम से शुरू होता है। तो यह ऊर्जा बहुत महत्वपूर्ण है और इस देश में इसकी बहुत पूजा की जाती है। सबसे पहले यह ऊर्जा हमारे भीतर खोज के रूप में काम करना Read More …

Shri Ekadasha Rudra Puja: We have to drop out many things Judy Gaddy’s Apartment, New York City (United States)

                                             एकादश रुद्र पूजा  न्यूयॉर्क सिटी (यूएसए)  17 सितंबर 1983 तो, भारतीय कैलेंडर के अनुसार आज का दिन, ‘परिवर्तनी एकादशी’ है। अब, आज चंद्रमा का ग्यारहवां दिन है। ग्यारहवां दिन ‘एकादशी’ है। साथ ही, सहज योग में, आप एकादश रुद्र के बारे में जानते हैं, जो यहां (माथा का उपरी भाग ) है; जो अंततः उन सभी चीजों को नष्ट कर देगा जिनकी अब आवश्यकता नहीं है। जो यहाँ स्थित एकादश है, यह ग्यारहवां है। लेकिन आज एक विशेष दिन है जहां हम एकादश की शक्ति का उपयोग  ‘परिवर्तन’ अर्थात ‘बदलाव करने के लिए करने जा रहे हैं। यह विनाश के लिए नहीं बल्कि परिवर्तन के लिए है। यह न्यूयॉर्क में होने वाला इस प्रकार का एक दिन है, जहां हम मानवों के परिवर्तन के लिए विनाशकारी शक्तियों का उपयोग करते हैं। तो आज बहुत ही महान दिन है कि हम लोगों को एकादश की शक्तियों कि अभिव्यक्ति द्वारा परिवर्तित करने जा रहे हैं। और वे ग्यारह यहां आपके कपाल पर स्थापित किये गए हैं, और आप जानते हैं कि वे कैसे काम करते हैं। तो, ये दस भवसागर की विनाशकारी शक्तियों से बाहर आते हैं। भवसागर  को दस विनाशकारी शक्तियां भी प्राप्त हैं। उन दस में से, विनाशकारी भाग यहां स्थापित होता है ( माथे के उपरी भाग की ओर इशारा करते हुए)। इसलिए जब कोई व्यक्ति अपने विनाश कि तरफ होता है, उदाहरण के लिए कहें कि एक कैंसर अंदर प्रवेश करता है, तो आप अपने भवसागर के शीर्ष पर यहां एक धड़कन महसूस कर सकते हैं, धड़कन। और Read More …

Easter Puja and Havan, The Creation of Lord Jesus Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

ईस्टर पूजा, “प्रभु यीशु मसीह का सृजन”| नाइटिंगेल लेन आश्रम, लंदन (इंगलैंड), १९८२–०४–११| आप सभी को ईस्टर की शुभकामनाएँ। आज हम उस  दिन का उत्सव मना रहे हैं जो बहुत, बहुत महत्वपूर्ण है, पूर्ण रूप से, सबसे अधिक महत्वपूर्ण दिन हम कह सकते हैं जब इतनी महान घटना घटित हुई। और इसे  इसी प्रकार घटित होना था क्योंकि, यह सब एक प्रकार से नियत था|  मेरे पिछले व्याख्यानों में, मैंने आपको बताया है कि किस प्रकार ईसा मसीह का पहले वैकुंठ में सृजन हुआ। ‘देवी महात्म्य’ के अनुसार – यदि आप इसे पढ़ें – उनका सृजन महाविष्णु के रूप में हुआ; और यह बहुत स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है कि पहले उनका सृजन एक अंडे के रूप में हुआ था। यह इस ग्रंथ में लिखा हुआ  है, जो संभवत लगभग  १४००० वर्ष पूर्व लिखा गया था। यह ग्रंथ ईसामसीह के बारे में भविष्यवाणी करता है और और इसलिए लोग, विशेषकर पश्चिम में, एक दूसरे को मित्रता स्वरूप एक अंडा भेंट करते हैं । अतः, पृथ्वी पर सबसे पहले अंडे के रूप में जो अस्तित्व हुआ वह ईसा मसीह थे और उसका एक भाग उसी स्थिति में रखा गया और शेष भाग आदि शक्ति द्वारा , महालक्ष्मी द्वारा , ईसा मसीह के सृजन में उपयोग किया गया। उस प्राचीन ग्रंथ में उन्हें ‘महाविष्णु’ कहा गया, अर्थात विष्णु का महत्तर स्वरूप। किंतु वास्तव में, विष्णु पिता हैं और वे आदिशक्ति द्वारा सृजित पुत्र हैं। मेरे व्याख्यान के पश्चात मैं चाहूँगी, यदि आपके पास वह ग्रंथ हो, तो  इनके लिए पढ़ा जाए- Read More …

Christ and Forgiveness Caxton Hall, London (England)

इसा मसीह और क्षमा कैक्सटन हाल, यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) 11 मई, 1981 …उस सत्य की खोजना जिस के बारे में सभी धर्मग्रंथों में वर्णन किया गया है। सभी ग्रंथों में कहा गया है कि, आप का पुनर्जन्म होना है। आप का जन्म होना है, उस  के बारे में पढ़ना नहीं है, सिर्फ यह कल्पना नहीं करनी कि आपका पुनर्जन्म हुआ है, सिर्फ यह विश्वास नहीं करना कि आप का पुनर्जन्म हुआ है या फिर कोई नकली कर्मकाण्ड जो यह प्रमाणित करता है आप दोबारा जन्मे है उस को स्वीकारना नहीं है अपितु निश्चित रूप से हमारे अंदर कुछ घटित होना चाहिए। सच्चाई का कुछ अनुभव तो हमारे अंदर होना ही चाहिए। यह सिर्फ कोई विचार नहीं है कि ये ऐसा है कि, हां! हां! हमारा पुनर्जन्म हुआ है! अब हम चुने हुए लोग हैं! हम सब से बढ़िया लोग हैं! परंतु निश्चित ही कुछ है कि हमारे अंदर कुछ क्रमागत उत्क्रांति है जो प्रकट होनी चाहिए, जिस की सभी धर्मग्रंथों में भविष्यवाणी की गई है। बिल्कुल भी कोई अपवाद नहीं है! हिंदू धर्म से शुरू कर के आज के सब से अधिक आधुनिक व्यक्तित्व, जो हम कह सकते हैं कि नए गुरु नानक है, हम कह सकते हैं कि ये वो हैं जिन्होंने धर्मग्रंथ लिखा। कुरान में साफ़ कहा गया है कि, आप को पीर बनना है,  वह जिसके पास ज्ञान है। वेद स्वयं यही कहते हैं, वेद पढ़ने से, वेद का अर्थ है ‘विद’ माने जानना, अगर आप नहीं जानते तो यह बेकार है।’ पहले अध्याय में, पहले छंद Read More …

Confusion, A Sign Of Modern Times Caxton Hall, London (England)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ‘विक्षेप, आधुनिक काल का लक्षण’ सार्वजनिक कार्यक्रम,  कैक्सटन हॉल,लंदन 14 जुलाई, 1980 आधुनिक काल में आज के समय में हमारा सामना (कन्फ्यूजन) विक्षेपों से है। ये आधुनिक काल का लक्षण है। साथ ही, सत्य को खोजने की सामूहिक तीव्र जिज्ञासा प्रकट हो रही है। ये सिर्फ एक व्यक्ति नहीं है जो ऐसा अनुभव करता है, ये सिर्फ आठ और दस लोग नहीं हैं जो ऐसा अनुभव करते हैं, परंतु जनसमूह के जनसमूह, बहुताय अनुभव कर रहे हैं, कि उनको एक उत्तर खोजना होगा। आप को पता करना होगा कि आप यहां क्यों हैं। आप को जानना होगा, आप कौन हैं। आपको अपनी हितकारिता का पता लगाना है। आपको संपूर्णता का पता लगाना है। ये एक बहुत बड़ी गतिविधि एक बहुत ही सूक्ष्म तरीके से होती है, यानी जन समूह को इस खोज की ओर ले जाना। परंतु शायद हमें इस बारे में कोई अंदाजा नहीं, कि क्या माहौल है जिस में हम जन्मे हैं, क्या परिस्थिति है, पूरा मंच कैसे बिछाया गया है! हमें कुछ नही पता! जैसा कि हमने खुद को इंसान के रूप में बिना उसके महत्व को समझे स्वीकार कर लिया है। हम हर चीज उपलब्ध होने के कारण उस का महत्व नहीं समझते। हम मनुष्य रूप में अपनी उत्क्रांति के द्वारा जन्मे हैं, परंतु हम विचार भी नहीं करना चाहते, कि हम अमीबा से इस उच्चतर अवस्था तक कैसे विकसित हुए! सारे  ‘क्यों’ हम बंद कर देते हैं! जो कुछ भी है हम इन आंखों के द्वारा, इन कानों के Read More …

Sympathetic and Parasympathetic London (England)

                  “अनुकंपी और परानुकंपी”  डॉलिस हिल आश्रम। लंदन (यूके), 24 अप्रैल 1980। एक्यूपंक्चर वास्तव में उस शक्ति का दोहन है जो पहले से ही हमारे भीतर है। अब उदाहरण के लिए, आपके पेट में एक निश्चित शक्ति है, ठीक है? अब पेट में आपके अन्य अंगों को लगातार इस शक्ति की आपूर्ति की जाती है, तथा अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के माध्यम से उसका उपयोग किया जाता है। परानुकम्पी इसे संग्रहीत करता है और अनुकंपी इसका उपयोग करती है। अब मान लीजिए पेट में कोई बीमारी है। तो अब उसमें जो शक्ति है, उस विशेष केंद्र की प्राणिक ऊर्जा एक प्रकार से समाप्त हो गई है या बहुत कम है। तो आखिर वे करते क्या हैं? उस व्यक्ति को कैसे ठीक किया जाए? वे दूसरे केंद्र से लेते हैं, उसे मोड़ते हैं, और वहां रख देते हैं। और इस तरह वे इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। लेकिन इससे वे असंतुलन पैदा करते हैं, क्योंकि आपके पास सीमित ऊर्जा है; आपके पास एक सीमित, बिल्कुल सीमित, ऊर्जा है। अब मान लीजिए कि आपके पास एक सीमित पेट्रोल और दूसरी कार है जिसका पेट्रोल खत्म हो गया है। अब अगर आप दूसरी कार में पेट्रोल डालते हैं, तो शायद वह कार आधी दूर तक चली जाएगी और आप भी आधे रास्ते जाकर खत्म हो जाएंगे। आप मेरी बात समझते हैं? तो ये दोनों ही आपकी लंबी उम्र को कम करते हैं। तो यह हमारे भीतर स्थित उस सीमित ऊर्जा का निचोड़ है । सहज योग बहुत अलग चीज है: सहज योग में Read More …

How realisation should be allowed to develop Caxton Hall, London (England)

          बोध को कैसे विकसित होने दिया जाना चाहिए  कैक्सटन हॉल, लंदन, इंग्लैंड। 15 अक्टूबर 1979। आप में से अधिकांश यहाँ सहजयोगी हैं। अब जिन लोगों को साक्षात्कार मिल गया है, जिन्होंने स्पंदनों को महसूस किया है, उन्हें पता होना चाहिए कि वे अब दूसरे ही स्वरुप में विकसित हो रहे हैं । अंकुरण शुरू हो गया है, और आपको अंकुरण को अपने तरीके से काम करने देना चाहिए। लेकिन सामान्य तौर पर, जब हमें बोध भी हो जाता है, तो भी हमें यह एहसास भी नहीं होता है कि यह एक जबरदस्त चीज है जो हमारे भीतर घटित हुई है। कि यह प्रस्फुटन, जो एक असंभव कार्य है, हमारे भीतर घटित हो गया है, और इसे धीरे-धीरे कार्यान्वित होना है। इसे विकसित हो कर, और हमें उसमें उत्क्रांति प्रदान करना है, और चूँकि हम इसे महसूस नहीं करते हैं, हम इसे (आत्मसाक्षात्कार को )उतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं, जितना हमें लेना चाहिए। इसके अलावा, वे ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जिन्होंने वायब्रेशन महसूस नहीं किया है, वे इस क्षेत्र को नहीं जानते हैं; उन्होंने इसे कभी नहीं देखा है। जैसा कि गुरु नानक ने कहा है, यह ‘अलख’ है (अलक्ष्य :अदृश्‍य)। उन्होंने इसे नहीं देखा है, वे इसके बारे में नहीं जानते हैं, वे नहीं जानते कि ईश्वर की एक शक्ति मौजूद है, जो आपको समझती है, समन्वय करती है, सहयोग करती है, जो सामूहिक अस्तित्व में काम कर रही है, जो आपको जागरूक करती है, आपको उस सामूहिक अस्तित्व के बारे में और दूसरों के बारे में Read More …

This is not the work of mediocres Doctor Johnson House, Birmingham (England)

             “यह औसत दर्जे के लोगों का काम नहीं है” सार्वजनिक कार्यक्रम, डॉ जॉनसन हाउस, बर्मिंघम (यूके), १६ जून १९७९। मुझे वास्तव में खेद है कि हम यहाँ एक ऐसी ट्रेन से पहुँचे, जो लेट थी। चीजों को ईश्वर की समय योजना के अनुसार घटित होना होता है, आप अपनी चीजों की योजना खुद नहीं बना सकते। और इसी तरह कभी-कभी किसी को देर से होना पड़ता है और कभी-कभी किसी को समय से पहले होना पड़ता है। लेकिन एक बात निश्चित है: तुम्हारे अस्तित्व की अंतिम घटना का नियत समय आ चुका है। यह जीव जीवन के विभिन्न चरणों से गुजर रहा है। आप जानते हैं कि, आप एक छोटा सा अमीबा और फिर एक मछली, एक सरीसृप रहे हैं, और इस तरह उत्क्रांति तब तक चलती रही जब तक आप आज, यहां, एक इंसान के रूप में बैठे हैं। यह सब आपके साथ आपकी जानकारी के बिना, आपके विचार-विमर्श के बिना हुआ है। और आपने यह मान लिया है कि आप एक इंसान हैं और एक इंसान के रूप में सभी अधिकार आपके अपने हैं। उसी तरह आप जो हैं उससे ज्यादा कुछ बनने का अधिकार है, क्योंकि आज भी आप नहीं जानते कि आपका उद्देश्य क्या है, आपको बनाने के लिए यह सब प्रयास क्यों किया गया? इस जीवन का अर्थ क्या है? क्या यह अर्थहीन है? बस आप हजारों वर्षों तक अकारण ही बनाए गए थे? इस तरह से कि कितनी नामंजूर कर दी गईं, कितनी ही आकृतियां अस्वीकृत कर दी गईं, कितने रूपों को ठुकरा दिया Read More …

Advice at Bordi Shibir (English part) Bordi (भारत)

Sarvajanik Karyakram Date : 22nd March 1979 Place : Mumbai Туре Public Program [ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आप एक बहुत सुन्दर प्रकृति की रचना हैं। बहुत मेहनत से, तो आखें हैं नहीं हम इसे कैसे जानेंगे और हमारे लिए भी यह नजाकत के साथ, बनाया है। आप एक बहुत विशेष अनन्त योनियों में से घटित होकर इस मानव रुप में स्थित हैं। आप इसलिए इसकी महानता जाएगी। इस प्रकार आपके अन्दर भी कोई चीज ऐसी ही बनी नहीं जान पाते क्योंकि, ये सब आपको सहज में ही प्राप्त हुआ हुई है। पूरी तरह से तैयारी कर परमात्मा ने रखी हुई है। उसको है। यदि इसके लिए मुश्किलें करनी पड़तो, आफते उठानी पड़ती जगाना मात्र है। जब आप आलौकित हो जाते हैं तो सारी की और आप इसको अपनी चेतना में जानते तो आप समझ पाते सारी चीज आपको आसानी से समझ आ जाती है। पर अगर कि आप कितनी महत्वपूर्ण चीज हैं। मनुष्य को जानना चाहिए कि परमात्मा ने हमें क्यों बनाया, इतनी मंहनत क्यों की? हम किस लिए संसार में आये और हमारा भविष्य क्या है ? हमारा कैसे बना, तो सब कुछ गड़बड़ हो जाता है। लेकिन आधुनिक अर्थ क्या है? जैसा कि कल मैने कहा था कि अगर हम मशीन बनायें पर इसको इस्तेमाल नहीं करें तो कोई भी अर्थ नहीं फिर उसको हटाए। उनको कोई चीज आसानी से मिल जाए तो निलकता। लेकिन जब तक ये मेन स्रोत से नहीं लगाया जाता बड़े आश्चर्य से पूछता है हमने तो कुण्डलिनी के Read More …

Ego, The West, Love & Money Caxton Hall, London (England)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ‘अहंकार,पश्चिमी देश, प्रेम और धन’ कैक्स्टन हॉल, लंदन, इंग्लैंड 17 जुलाई, 1978 श्री माताजी: आप कैसे हैं? बेहतर? साधक: ज्यादा बुरा नहीं! श्री माताजी: ज्यादा बुरा नहीं! सब लोग धीरे धीरे बेहतर हो रहे हैं, है ना? डोमिनिक तुम कैसे हो? डोमिनिक: अच्छा हूं! श्री माताजी: तुम हमेशा ही अच्छे होते हो! इस उत्तर पर गौर करें ‘अच्छा हूं ‘। ये जब से पैदा हुए तब से अच्छे हैं, परंतु सारी दुनिया भयानक है। है ना? (हंसते हुए) एक आत्म साक्षात्कारी के लिए ये ऐसा है। वो बहुत आश्चर्यचकित होता है, बहुत ज्यादा सदमा ग्रस्त भी जिस तरह से दुनिया के तौर तरीके हैं। कितने लोग आज पहली बार आए हैं? कृपया अपने हाथ ऊपर उठाइए। हां! और कौन? तुम? आप तीन चार लोग? मैं सोचती हूं अगर वो अंदर आ जाएं। आप भी पहली बार आए हैं? साधक: नहीं! श्री माताजी: नहीं? आप को प्राप्त हो गया है! आप को प्राप्त हो गया है। आप का क्या? आप पहली बार आईं हैं? महिला साधक:  मैं पिछली बार आई थी। श्री माताजी: पिछली बार? क्या हुआ था? क्या आप को अच्छा अनुभव हुआ था? बढ़िया! आप को कैसा लगा? बढ़िया! और आप भी वहां थीं? महिला साधक: नहीं! श्री माताजी: तुम भी वहां थे। नहीं? पहली बार? अच्छा! हम ऐसा कर सकते हैं, जो लोग आज पहली बार आए हैं, वे इस तरफ बैठ जाएं, जिस से आप को देखना बहुत आसान हो। और मैं उनकी कुंडलिनी देखना चाहूंगी। अगर आप उस तरह बैठें, Read More …

Ask for the Truth London (England)

                   सार्वजनिक कार्यक्रम लंदन 20-03-1970 …यह आपको पता होना चाहिए कि मैं ऐसा कुछ बताने वाली नहीं हूँ जो सत्य नहीं है, क्योंकि मैं यहां किसी राजनीतिक लाभ के लिए, व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं हूं। नहीं साहब, मैं यहां स्वयं आपके फायदे के लिए हूं, असलियत के बारे में। यदि आप उपलब्धि चाहते हैं तो इसके बारे में असली बनें। अब आप खुद ही देख लीजिए कि ऐसा होता है या नहीं। आप अपनी खुली आंखों से देख सकते हैं – इन लोगों ने देखा है – कुंडलिनी को स्पंदित होता हुआ। आप इसे देख सकते हैं। यह धड़कती है। जब लोग मेरे पैर छूते हैं, तो कई मामलों में यह धड़कती है। उन्होंने इसे देखा है। वे सब झूठे नहीं हैं! और उन्हें झूठ क्यों बोलना चाहिए? हासिल करने के लिए कुछ नहीं: पैसा नहीं, सबसे पहले, वही अलग कर दिया है। तो दूसरी बात क्या है? यह कुंडलिनी उठती है, और आप इसे ऊपर उठते हुए देख सकते हैं, इन सभी चक्रों से होकर गुजरती है, और यह उस स्थान पर रुक जाती है जहां आपको कोई समस्या है। एक अन्य दिन हमारे पास कहीं से एक बहुत बड़ा आदमी था जो मुझसे मिलने आया था, और उसकी कुंडलिनी ऊपर आई, और बस ऐसे ही यहां धड़क रही थी। और यह सारा हिस्सा ऐसे ही धड़क रहा था। मेरा मतलब केवल उस हिस्से से है। तो लोगों ने उससे पूछा, “क्या तुम ठीक हो?” उन्होंने कहा, “हां, मैं ठीक हूं।” “लेकिन क्या आपको लीवर की समस्या है?” “हाँ Read More …

Spirit, Attention, Mind Finchley Ashram, London (England)

                                                                “आत्मा, चित्त, मन”  फिंचली आश्रम, लंदन (यूके), 20 फरवरी 1978 … और वह हमें एक साधन के रूप में उपयोग कर रहा है। साथ चलो! जैसा की मैंने कहा। अब क्रिस्टीन ने मुझसे पूछा था, “हमारा समर्पण क्या है?” और उसने मुझसे पूछा है कि क्या हमारे पास एक स्वतंत्र इच्छा है या नहीं। ठीक है? आपके पास अपनी एक स्वतंत्र इच्छा है। खासतौर पर इंसानों के पास है, जानवरों के पास नहीं। हम कह सकते हैं, आपके पास चुनने की स्वतंत्र इच्छा है, अच्छा और बुरा, सत्यवादिता और असत्यवादिता। अब, आप उसकी मर्जी के सामने समर्पण करने या ना करने के बीच चुन सकते हैं,;अथवा अपनी ही इच्छाओं के दबाव में आने के लिए। अब, उसने मुझसे पूछा, “समर्पण क्या है?” समर्पण, जैसा कि मैं कह रही हूं, यह तीन चरणों में किया जाना है। विशेष रूप से यहाँ इस देश में जहाँ लोग सोचते हैं, युक्तिसंगत बनाते हैं, विश्लेषण करते हैं; चूँकि यह आसान नहीं है। अन्यथा यदि आप इसे कर पाते, तो आप इसे स्वचालित रूप से कर सकते हैं  ईश्वर को मानना, स्वयं, एक प्रकार से आपकी निश्चित धारणाओं पर आधारित है। मुझे नहीं पता कि भगवान के बारे में आपके पास किस तरह की धारणाएं हैं, लेकिन माना कि कुछ निश्चित अवधारणाएं हैं, व्यक्तिगत। सभी के पास ईश्वर के लिए अलग-अलग अवधारणाएँ हैं। और हो सकता है कि आप देखें कि वह इतना सर्वशक्तिमान है और वह इतना महान है और आप बिना सोचे समझे उस के सामने नतमस्तक हो जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं Read More …

Deeper Meditation London (England)

                                               “गहन ध्यान”  लंदन, 20 फरवरी 1978 कुली (टोनी पानियोटौ) क्या आपने इसे लिखा है? श्री माताजी: नमस्ते, आप कैसे हैं? योगी: बहुत अच्छा, धन्यवाद। श्री माताजी: परमात्मा आप को आशिर्वादित करें ! आप कुर्सी पर बैठ सकते हैं। आराम से रहो। योगी: ओह, यह आप की बहुत कृपा है! श्री माताजी: कुली से कहो कि वह स्वयं के लिए लिख ले। योगी: वह कर रहा है। नमस्कार! डगलस आप कैसे हैं? क्या हाल है? डगलस फ्राई: बहुत अच्छा! श्री माताजी: बहुत बढ़िया लग रही है! एक फूल की तरह सुंदर! देखो, मेरे पास कितने सुंदर बच्चे हैं, बिलकुल यहाँ फूलों की इन पंखुड़ियों की तरह। क्या आप थोड़ी देर के लिए एक खिड़की खोल सकते हैं। बस पांच मिनट के लिए खिड़की खोलें। आराम से बैठो। इस तरह सहज रहें। मेरा मतलब। हां, बहुत सहज रहें। एक को बहुत, बहुत सहज, बहुत सहज होना पड़ता है। मुझे मिलने से पहले ही उसे यह प्राप्त हो गया था ! क्योंकि इससे पता चलता है कि यह हवा में लहरा रहा है। आज मैं आपको आगे के ध्यान के बारे में बताना चाहती हूं कि: हमें कैसे बढना है और कैसे खुद को समझना है। आप देखिए अभी तक चीज़ों से व्यवहार करने की आप की आदतें अथवा तौर-तरीके रहे हैं : जिस भी तरह से आपने अपनी सांसारिक,व्यक्तिगत, भौतिक और, शरीर की समस्याओं निपटा है, लेकिन अब जैसे ही आपने परमात्मा के राज्य में प्रवेश किया है और ईश्वर की शक्ति आपके माध्यम से बह रही है, आपको पता होना चाहिए Read More …

Devi Puja: “Our roots have to go down into dharma” Djamel Metouri House, St Albans (England)

देवी पूजा : “हमारी जड़ों को धर्म की गहराई में जाना होगा,” जमेल का घर, सेंट एल्बंस, इंग्लैंड,   6 जुलाई, 1977                                                                  तो आज मैं आपको पवित्रता के बारे में बताना चाहती हूं। वह मेरा नाम है, आप जानते हैं कि, निर्-मला। ‘नी’ का अर्थ है ‘नहीं’; ‘मला’ का अर्थ है ‘अशुद्धियाँ’। जिसकी कोई अशुद्धता नहीं है, वह निर्मला है, और वह देवी के नामों में से एक है। पवित्रता एक आंतरिक गुण है। यह मौन में बोलता है। यह सबसे गैर-आक्रामक गतिविधियों में से एक है। यह आप में पैठ जाता है। यह किसी भी तरह से व्यक्त नहीं करता है। प्रेम भी शब्दों में, अथवा कार्य द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन यह अभिव्यक्तिहीन है, पवित्रता है,  सभी अशुद्धता को धो देता है।  आप तार्किकता से यह नहीं समझ सकते कि यह काम कैसे करता है। आपको इसकी प्रक्रिया को जानना और महसूस करना होगा। यह बहुत सूक्ष्म है। कभी-कभी अत्यधिक भी होता है। लेकिन कभी भी चौंकाने वाला नहीं है | जब मैं कहती हूं कि, मुझे लगता है कि मानव उलटी खोपड़ी के बन गए हैं। जब हम विपरीत बुद्धि के हो जाते हैं, तो इसका मतलब नुकसानदायी है? जब हम किसी भी चीज में घिर जाते हैं। हम किसी ऐसी चीज़ में डूब रहे हैं जहाँ हम नष्ट होने वाले हैं। हम उल्टे हैं। यह Read More …

Guru Puja: “The promises you have to make” London (England)

                          गुरु पूजा, “जो वादा आप को करना है” आज आप के गुरु की पूजा का दिन है : जो की आपकी माता है। और जैसा कि मैंने आपको बताया, यह एक बहुत ही अनोखी घटना है कि स्वयं माता, को आपका गुरु बनना पड़ा है। और आप यह भी जानते हैं कि एक माँ के लिए एक गुरु होना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि उसका प्यार इतना अति-बहता है कि उसके लिए अपने बच्चों को कोई भी अनुशासन देना मुश्किल है। वह अपने प्यार को अनुशासित नहीं कर सकती, वह अपने बच्चों को कैसे अनुशासित कर सकती है? ऐसा होने के नाते, शिष्यों पर जिम्मेदारी बहुत अधिक है। यदि गुरु एक ऐसा व्यक्ति है जो आपके किसी दर्द को अहसास किए बिना आपको अनुशासित कर सकता है, तो वह बहुत अधिक सक्षम है, और वह ऐसा कर सकता है। लेकिन एक माँ के लिए यह बहुत, बहुत, बहुत मुश्किल है, मैं कहूँगी, गुरु बनना बहुत मुश्किल काम है। वह नहीं जानती कि कैसे संतुलन बनाना है, और वह बेहद क्षमाशील है क्योंकि वह एक माँ है। जबकि गुरु, शुरू से ही क्षमा नहीं करता है। लेकिन माँ, अंत तक, वह आखिरी छोर तक जाएगी। यहां तक ​​कि अगर बच्चे ने उसे छोड़ दिया है, भले ही उसने उसे पीटा हो, भले ही वह उसे वध करने के लिए तैयार हो, फिर भी वह कह रही होगी कि, “मेरे बच्चे आपको चोट तो नहीं आयी है?” तब शिष्यों की ज़िम्मेदारी बहुत अधिक होती है, यह सुनिश्चित करने की कि, वे उसे Read More …