New Year’s Day Talk before Havan (भारत)

                नववर्ष दिवस पर चर्चा, हवन से पहले   भारत, 1 जनवरी 1978 [कुछ लोग धीरे-धीरे भी आगे बढ़ रहे हैं।] सहज योगी: आसन [कुर्सी] की आवश्यकता है। श्री माताजी: आसन चाहिए? किसके पास है ? अब जरा उसके वायब्रेशन को देखिए, क्या आप ठीक हैं? वह बिलकुल ठीक है. राधा कृष्ण का नाम लो. हाँ, अभी ठीक है। ठीक है, चलो जिसे भी धोना है, जल्दी से धो लो, आराधना खड़ी है, थोड़ा नमक ले लो, वो पानी में नमक डाल देगी, तुम सीधे हाथ से ले लेना। श्री माताजी: आप इन सभी चीजों को एक साथ क्यों मिलाना चाहते हैं? सहज योगी: क्योंकि एक और भी है, माँ। [अस्पष्ट बातचीत] श्री माताजी: वास्तव में, लेकिन एक और समूह होना चाहिए | हमें कहना चाहिए  कि हमें शराब पीने के लिए पैसे की आवश्यकता क्यों है? पब जा रहे हैं? आप उसमें कटौती क्यों नहीं करते? मेरा मतलब है कि हड़ताल पर थोड़ा नियंत्रण है, [अस्पष्ट। एक सहज योगी कुछ समझा रहे हैं] श्री माताजी: लेकिन किसी को कुछ पकड़ना होगा, मैं जो कह रही हूं, आप एक चीज को पकड़ रहे हैं, एक उंगली उस तरफ नहीं जा रही है और दूसरी उस तरफ नहीं जा रही है, आप देखिए कि क्या आप विरोधाभास पर हैं [अस्पष्ट] का उपयोग किया जाना चाहिए इस तरह से, भले ही उंगलियां अलग-अलग हों, आप उसी चीज़ को पकड़ सकते हैं। और जब वे सभी एक साथ मिल जाती हैं तभी वे इसे पकड़ सकती हैं। लेकिन क्यों ना शराब पीना छोड़ दें, जो Read More …

The Spirit (Location Unknown)

                         [Hindi translation from English]  आत्मा  01 जनवरी 1977।  हमारे ही अंदर आत्मा है जो सबसे कीमती चीज है |  आपकी आत्मा का मोल  अथाह है और इसीलिए इसे अनन्त मूल्य की चीज कहा जाता है – क्योंकि यह अनंत है। आप [इसे] माप नहीं सकते। अब ईश्वर, सर्वशक्तिमान, हम कहते सत-चित-आनंद है । सत का अर्थ है सत्य। मानव शब्दावली में हम जिस सत्य को समझते हैं, वह सापेक्ष है। लेकिन मैं जिस सत के बारे में आपको बता रही हूं, वह पूर्ण है, जहां से सभी संबंध शुरू होते हैं। उदाहरण मैं आपको बताऊंगी कि इसे कैसे समझा जाए: इस पृथ्वी को महासागर और नदियाँ और सभी प्रकार के पानी मिले हैं, आप कह सकते हैं। लेकिन पृथ्वी इन सभी को समेटे है। यदि धरती माता नहीं होती, तो इनमें से कोई भी अस्तित्व में नहीं हो सकता था। इसलिए हम कह सकते हैं कि उन सभी चीजों का जो की उसी पर मौजूद है आधार धरती माँ है। वह हमें समेटे है। परमाणुओं में वह मौजूद है। बड़े पहाड़ों में वह मौजूद है। क्योंकि तत्व उस पृथ्वी का हिस्सा हैं। उसी तरह, सर्वशक्तिमान ईश्वर सर्वशक्तिमान, सत्य का हिस्सा है, उन सभी चीजों का आधार है जो बनाई गई हैं या नहीं बनाई गई हैं। एक और उदाहरण जिसे आप समझने की कोशिश करें कि: कैसे सत,  पुरुष है, ईश्वर है, जो -रचना- में वास्तविक हिस्सा नहीं लेता है, बल्कि एक उत्प्रेरक है। उदाहरण कुछ  इस तरह हो सकता है कि, मैं हर काम कर रही हूं, मैं Read More …

Gunateet – Beyond the Three Gunas (भारत)

गुणातीत, 13 मार्च, 1975 जिसके होने का है उसी का होगा। अब उसमें ज़रूर है कि होने से पहले बहुतों में बाधाएँ पड़ जाती हैं। आप जानते हैं, गलत हो गई बातें, बहुतों के साथ तो बहुत गलतियाँ हो गईं। इस वजह से बाधा है। लेकिन किसी तरह से इन तीनों के चक्कर चल कर के और फिर पार करना ही है -आज नहीं कल, कल नहीं परसों। यह ऐसी अभिनव चीज़ है, जिसको कि जो देखो सो ही अपना उठा कर के नहीं कह सकता, यह होना पड़ता है – कुंडलिनी आपके सामने चलती हुई दिखाई देनी चाहिए, उसका स्पंदन उठता हुआ दिखाई देगा। अब देखिये – कि जो प्रणव सिर्फ़ हृदय में सुनाई देता है वो आपको throughout करेगा। आप अगर स्टेथोस्कोप (stethoscope) लेकर देखें उस आदमी को, उस आदमी को जब आप देखेंगे कि जिसकी कुंडलिनी ऊपर उठी है तो आपको पता चलेगा कि उसका अनहत अलग अलग अलग अलग points से हो गया। अब देखिए कि कितना महत्वपूर्ण कार्य है कि त्रिगुण में बंटी हुई यह शक्ति एक शक्ति हो जाए कि जो गुणातीत है – जिसमें गुण नहीं हैं। कितना महत्वपूर्ण यह कार्य है, आज तक यह कार्य कभी हुआ नहीं पहले, और न होगा। लेकिन हमारे पास जो लोग आते हैं वह सब सारे आधे-अधूरे लोग हैं, वो समझते नहीं कि इसका महत्व क्या है। वो तो सोचते हैं कि दूसरी भी संस्थाएँ हैं और यह। दूसरी संस्थाएँ होएंगी – लेकिन सब संस्था इसी में आनी पड़ेंगी –नहीं आएंगी तो वे बेकार हैं। सारी Read More …

Talk About Nizamuddin (date and location unknown) (Location Unknown)

1970-0101 Talk About Nizamuddin [Note – the talk has been taken from the tape: 1995-03-15 Conversation with Princess Nun Bangkok]  [टिपणी – वार्ता टेप से ली गई है: 1995-03-15 बैंकॉक की राजकुमारी नन के साथ बातचीत] हजरत निजामुद्दीन राष्ट्र का वो स्थान , जहां उनको को दफनाया गया था; वह एक महान नबी और सूफी थे और अपनी पूरी कविताऔं  में उन्होंने बहुत प्रतीकात्मक चीजों का इस्तेमाल किया है और उस स्तर के लोगों के लिए वे किसी भी धर्म को विशिष्ट नहीं मानते हैं। यहां तक कि मोहम्मद साहब ने भी कभी सिर्फ इस्लाम की बात नहीं की। उन्होंने उन सभी लोगों के बारे में बात की जो पहले आए थे। जैसे की इब्राहीम, फिर उन्होंने मूसा की बात की, फिर उन्होंने ईसा मसीह और उनकी मां के बारे में, विशेष रूप से कुरान में उन्होंने इसकी बात की है। उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा की मैं कुछ अलग हूं, कभी विशेष नहीं कहा। वो कभी विशिष्ट  नहीं हो सकते क्योंकि वे जानते थे कि ये सभी महान लोग इस धरती पर मानव की मुक्ति करने के लिए आए थे, अतः उनकी विशेषज्ञता और हजरत निजामुद्दीन की समकक्ष है। मेरी शादी से बहुत समय पहले, जब मैं यहां आई थी, तो मेरे विचार से मैं  पहली थी जिसने उन पर फूलों की चादर चढ़ाई थी; और मेरे पिता भी एक महान आत्मा थे। उन्होंने मुझे बताया कि यह हज़रत निजामुद्दीन है और उनके शिष्य खूसरो हिंदी भाषा के एक महान कवि थे, उन्हें एक बहुत महान कवि माना जाता Read More …

Unknown Talk related to Guru Puja (Location Unknown)

Unknown Talk related to Guru Puja गुरु पूजा से जुड़ा अनभिज्ञ वक्तव्य  तो अब, हमें दो बहुत अच्छे टेप मिले हैं, पहली  वाली  को ‘बंदगी’ नाम दिया गया है और जो मेरे भाई द्वारा रचित गीत हैं, हम उन्हें बाबामामा कहते हैं, लेकिन उनका नाम हेमेंद्र कुमार है। मैंने उन्हें ‘बेलोस’  नाम दिया है, यानि ‘शुद्ध’, उन्होंने इन सभी कविताओं की रचना यहां की है और श्री प्रभाकर धाकरे, जिन्हें हम गुरुजी कहते हैं, वह हैं जिन्होंने इसका सारा संगीत दिया है और संगीतकार यहां सुरेश वार्डकर, उत्तरा केलकर, छाया, सरिता भावे और संजय तलवार हैं। मुझे लगता है कि आपने इसे सुना है लेकिन यह इनमें बहुतों के पास नहीं है, इसलिए अब हम उन्हें प्राप्त कर चुके हैं और जिसके लिए धन एकत्र किया जाना है। फिलिप, क्या तुम थोक बिक्री कर रहे हो? वोल्फगैंग इसे बेच रहा है तो, आप इसे उनसे प्राप्त कर सकते हैं और यदि कुछ बचे तो बाद में अन्य सहज योगियों के लिए भी हम इन्हें अपने साथ ले जाएंगे। इसलिए, मैं इसके उद्घाटन की घोषणा  करती हूं, इस कार्य के प्रारंभ के लिए मैं इसे उद्घाटित घोषित करती हूं। आपको पता होना चाहिए कि मेरा भाई एक चार्टर्ड अकाउंटेंट है और मैं समझ नहीं सकती , वह अचानक इतने महान कवि बन गए क्योंकि मुझे कभी नहीं पता था कि उनके पास यह प्रतिभा है और उन्होंने कभी कोई कविता नहीं लिखी लेकिन आत्मसाक्षात्कार के बाद ही ये सभी खूबियाँ   सामने आई हैं और विशेष रूप से उर्दू भाषा में Read More …

Unidentified Talk (Extract on Agnya Chakra) New Delhi (भारत)

1970-0101 Unidentified Hindi Talk (Extract on Agnya Chakra) बैठे थे, प्रोग्राम में आये थे, तो भी कुछ न कुछ अपनी विपदा सोचते रहे । अरे ! मेरे साथ ये हुआ, मेरे साथ वो हुआ, ऐसा हुआ, वैसा हुआ । और माताजी से मैं कब बताऊं, मेरी विपदा क्या हुई? माताजी आप देवी हैं, मेरी ये विपदा है| बजाय उसके कि जो कहे जा रहे हैं उसको समझें, अपनी ही अंदरूनी बात को ही सोच-सोच करके आप चली गई उस बहकावे में ।  और उस बहकावे में आपको कैन्सर की बीमारी हो गई, नहीं तो ये बीमारी हो गई, वो बीमारी हो गई । वैसे ही मानसिक बातें हैं । हम मन से क्या सोच रहे हैं? मन में हमारे कौन से विचार आ रहे हैं? सब यही ना कि हमको ये दुःख है, वो दुःख है, ये पहाड़ है । लेकिन सोचना क्या चाहिए – काउन्ट  यॉर ब्लेसिंगज़ (count your blessings)। अपने पे कितने आशीर्वाद हैं परमात्मा के । ये दिल्ली शहर में करोड़ों लोग रहते हैं, कितनो को सहज योग मिला है? हम कोई विशेष व्यक्ति हैं, कोई ऐसे-वैसे नहीं कि अपने चित्त को बेकार करें। हमें सहज योग मिला है । इसकी धारणा होनी चाहिए अंदर से और उस अंतर्मन में उतरना चाहिए। उसी से ये जो झूठी मर्यादा है सब छूट जाएगी और अगर आप नहीं तोड़िएगा, तो किसी न किसी तरह से ऐसे कुछ आपको अनुभव आयेंगे कि ये टूटते जायेंगे । जिस चीज को आप सोचेंगे कि ये हमारा अपना है। आप कहेंगे हम दिल्ली Read More …

Unidentified Talk (extract on Swadishthana) (भारत)

1979-0101 Unidentified Hindi Talk (extract on Swadishthana) स्वाधिष्ठान चक्र।  इस चक्र का तत्व है कि आप सृजनशाली, सृजनशाली हो जाते हैं, आपकी सृजनता बहुत बढ़ जाती है। ऐसे लोग जिन्होंने कभी एक लाइन भी स्वतंता नहीं लिखी, वह काव्य लिखने लग जाते हैं। जिन लोगों ने कभी भाषण नहीं दिया वह बड़े भाषण देने लग जाते हैं और जिन लोगों ने कभी पेंटिंग नहीं करी, कुछ कला नहीं देखी वो कलात्मक हो जाते हैं। बहुत सृजन हो जाते हैं। हमारे आर्किटेक्टस लोग हैं, वह कहां से कहां पहुंच गए। तो इंसान में सृजनता आ जाती है, क्योंकि वह अपनी सृजनता को बड़ी ऊंची सी चीज समझता है। फिर उसको पैसे की परवाह नहीं होती कि पैसा जो है उसको देखो और सृजनता कैसे भी करो। और ना ही बहुत से लोग चाहते हैं कि हमारा बड़ा नाम हो जाए, तो कोई न कोई बड़ी विक्षिप्त सी चीज बनाकर रख दो, कुछ विचित्र चीजें जैसी आजकल बनती हैं, इसलिए कि हमारा बड़ा नाम हो जाएगा, लोग हमें बहुत याद करेंगे, पर उसमें कला नहीं है। तो कला का जो महान अंश है उसको प्राप्त करते हैं आप, जब आपका यह दूसरा वाला चक्र है स्वाधिष्ठान यह ठीक होता है। और इसके कारण, स्वाधिष्ठान के कारण ही हम बहुत जब सोचते हैं तो हमारा जो मस्तिष्क है, उसके अंदर जो ग्रे सेल्स हैं उसकी शक्ति इस्तेमाल करते हैं। तो ये उस शक्ति को पूरित करता है, ये चक्र। तो तो जो लोग बहुत सोचते हैं उनको दुनिया भर की बीमारियां हो जाती Read More …