Shri Bhavasagara Puja 1991 Brisbane (Australia)

(श्रीभवसागर पूजा, ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया), 6 अप्रैल 1991। (संदीप दुरूगकर की पोस्ट का हिंदी अनुवाद) आज मैं आप सबको बताना चाहती हूं कि आपको अपने अंदर गहनता को प्राप्त करना होगा। यदि आप उस गहनता को अपने अंदर प्राप्त नहीं कर पाते हैं तो अभी भी आप साधारण दर्जे के सहजयोगी ही हैं। वास्तव में देवी और उनकी शक्तियों के विषय में पहले कभी भी किसी को नहीं बताया गया … कभी भी नहीं। इस विषय में उन्हें पूरी तरह से तब पता चला जब परमात्मा से उनकी एकाकारिता स्थापित हो पाई। इससे पहले उन्हें इस विषय पर बिल्कुल कुछ पता ही नहीं चल पाता था। आज सहजयोग का जमाना है और जैसे ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है वैसे ही आप अन्य लोगों को भी साक्षात्कार दे सकते हैं। तुरंत ही कुंडलिनी आपके हाथों की गति के अनुसार गति करने लगती है। आप अपना हाथ किसी के भी सिर पर रखें तो उस व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार मिल जायेगा। यह सच्चाई है। कुंडलिनी इसी प्रकार से कार्य करती है। लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि अब हमको कुछ नहीं करना है … हमने तो कुछ विशेष चीज प्राप्त कर ली है। जो कुछ करती हैं माँ ही करती हैं। आपको समझना है कि माँ केवल बहुत अच्छे यंत्र को ही कार्यान्वित कर सकती हैं न कि किसी कमजोर यंत्र को। हमारे कुछ सहजयोगी तो बहुत गहन हो चुके हैं। जब भी मैं उनसे पूछती हूं वे कहते हैं कि माँ हम लोग उठकर प्रत्येक दिन सुबह शाम आपकी पूजा किया करते Read More …