Devi Puja: The heart is closed, which has to open out Ealing Ashram, London (England)

देवी पूजा (हृदय बंद है जिसे खुलना चाहिए), लंदन(इंग्लैंड), ३० अगस्त २००२  मै नहीं जानती क्या कहूँ (हॅसते हुए)| आप इस घर में रह रहे है अब, और ये बहुत अच्छा था क्योंकि सहज योगी यहाँ रहते थे और उन्होंने मेरे यहाँ वास का आनंद लिया| पर हमें बदलना है और प्रगति करना है| यही बात है| हर बदलाव के साथ आपको प्रगति करनी ही चाहिए, नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं| उस बदलाव का कोई अर्थ नहीं| तो अब वो सोच रहे है की मुझे इस घर में रहना चाहिए| मुझे लगता है यह अच्छा विचार है|  डेरेक ली: (बहुत अच्छी खबर है हमारे लिए माँ)  श्री माताजी, हम आपका शुक्रियादा अदा करना चाहेंगे| यहाँ एलिंग में आकर रहने के लिए, इस घर में इतने लम्बे समय तक| और हम जानते है, की इस घर से सभी प्रकार के आशीर्वाद हमारे लिए आये है | और मै कहना चाहता था, की वह प्रतीकात्मक था श्री माताजी | जब आप यहाँ आये, यह घर पूरी तरह ख़राब और नष्ट हो रहा था | और अब आपने उसे बनाया, उसे पुनः नया तैयार करवाया, बनवाया, एक महल के रूप में, जो यह अभी है| और हम आशा करते है श्री माताजी की आप ऐसा ही आश्चर्यजनक और खूबसूरत बदलाव पा सकते है हमारे साथ, क्योंकि  यह प्रतीकात्मक है (हँसते हुए)|  श्री माताजी: पर क्या मैंने वह नहीं किया? मैंने पहले ही किया है| आप देखे, ये आपकी करनी है| आपने स्वीकार किया, जिससे कार्य हुआ| और मुझे कहना चाहिए की बहुत Read More …

We Have To Be Transformed Royal Albert Hall, London (England)

रॉयल अल्बर्ट हॉल में सार्वजनिक कार्यक्रम। लंदन (यूके), 14 जुलाई 2001. मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। आप में से कुछ ने सत्य पाया है, आप में से कुछ ने इसे पूरी तरह से नहीं पाया है, और आप में से कुछ ने इसे बिल्कुल नहीं पाया है। लेकिन अगर आप आज की स्थिति में चारों ओर देखते हैं, तो आपको सहमत होना पड़ेगा कि बड़ी उथल-पुथल चल रही है। देशों के बाद देश सभी प्रकार की गलत चीजों को अपना रहे हैं। कोल्ड वॉर जारी है, लोग एक-दूसरे को मार रहे हैं, खूबसूरत जगहों को नष्ट कर रहे हैं, एक-दूसरे का गला काट रहे हैं। वे सभी मनुष्य ईश्वर द्वारा निर्मित हैं। सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उन्हें बनाया है और उन्हें मानवीय जागरूकता के इस स्तर पर लाया है। इस मोड़ पर कोई यह नहीं देख पाता है कि हम सामूहिक रूप से कहां जा रहे हैं। यही है, हमें कहाँ पहुँचना है – या क्या यही हमारी नियति है? क्या यही मनुष्य की नियति है, भूमि या किसी और चीज की खातिर आपस में संघर्ष कर नष्ट हो जाना? पूरी दुनिया को एक मानें, और सोचें कि क्या हो रहा है: हर दिन जब हम अखबार पढ़ते है तो, भयानक खबरें सुनते हैं कि, हर दिन लोग बिना किसी तुक और कारण के आपस में भयानक बर्ताव कर रहे हैं । हमें सोचना होगा, नियति क्या है? हम कहां जा रहे हैं? क्या हम नर्क जा रहे हैं या स्वर्ग जा रहे हैं? हमारी स्थिति क्या Read More …

Without knowing the Self you cannot get rid of your problems Royal Albert Hall, London (England)

2000-09-26 सार्वजनिक कार्यक्रम,  रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन, ब्रिटेन  सत्य को खोजने वाले सभी साधकों को मेरा प्रणाम। इस आधुनिक समय में यह भविष्यवाणी की गई थी कि बहुत – बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे और आप इसका प्रमाण देख सकते हैं। बहुत से लोग सत्य की खोज करेंगे क्योंकि वे असत्य से तंग आ जाएंगे, उन्हें यह भी पता चल सकेगा है कि बहुत सारी चीज़ें सतही हैं, जो बिल्कुल संतोषजनक नहीं है (यह) इस आधुनिक समय का आशीर्वाद है, यद्यपि हम कहते हैं आधुनिक समय सबसे ख़राब है। इसके अत्याचार के कारण, इसकी समस्या के कारण  लोग सच्चाई जानना चाहते हैं और उन्हें सच भी पहले से पता चल जाएगा। इसके अलावा आपको अपने बारे में भी सत्य जानना होगा। मैंने आपको कई बार कहा है कि सच यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, आप यह मन नहीं हैं, आप यह भावनाएं नहीं हैं, अपितु आप शुद्ध आत्मा हैं।  आप हैं, आप सभी  हैं, यह केवल एक कहानी नहीं जो मैं आपको बता रही हूं, यह एक तथ्य है। लेकिन जब वे कहते हैं कि स्वयं को जानो। सभी शास्त्रों में उन्होंने एक समान बात कही है, आपको स्वयं को जानना चाहिए। क्योंकि यदि आप स्वयं को नहीं जानते हैं तो आप परमात्मा को कैसे जानेंगे? इसलिए सबसे पहले आपको स्वयं  को जानना चाहिए और स्व भीतर है। समस्या यह थी कि स्वयं को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें, स्वयं को अनुभव करने के लिए, स्वयं की शक्ति को अनुभव करने के लिए आपको Read More …

On Torsion Area Holiday Inn London – Kensington Forum Hotel, London (England)

                                        वी आई पी रिसेप्शन, LONDON ,UK,DP RAW                                                            2000-09-23 मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूँ। ये विशिष्ट समय है जब हमारे पास सत्य के इतने साधक हैं । आश्चर्यजनक रूप से आजकल बहुत सारे लोग जानना चाहते  हैं कि सत्य क्या, और परिणाम उनमें से कुछ खो भी जाते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है, सच्चाई यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, यह मन, यह भावनाएं यह तथाकथित बुद्धिमत्ता नहीं हैं लेकिन आप सच्ची आत्मा हैं। सभी शास्त्रों ने कहा है कि जहाँ  तक और जब तक आप खुद को नहीं जानते तब तक आप परमात्मा को कैसे जान पाएंगे। क्योंकि यदि हम स्वयं को वास्तव में नहीं जानते हैं तो हम परमात्मा को जानने के लिए सुसज्जित नहीं हैं और इसलिए स्वयं को जानना इतना महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी चीज है जिसे लोग समझ नहीं पाते हैं क्योंकि ज्यादातर उन्हें कविता में लिखा गया है। और उन सभी ने कहा है कि आपको स्वयं को जानना चाहिए लेकिन आप स्वयं को कैसे जान पाएंगे कि आपका स्व भीतर है और बाहर नहीं। तो अपने आप को जानने के लिए अंदर कैसे प्रवेश करें यह समस्या है। यह समस्या वास्तव में इतनी महान है कि बहुत से लोगों को जानने के ज्ञान से बाहर रखता है। अब मुझे आपको अपने बारे में बताना चाहिए कि मैंने खुद महसूस किया है कि लोगों को खुद को जानने की एक बड़ी समस्या है, हालांकि मैं खुद को बहुत अच्छी तरह से जानती थी । दूसरों को अपने बारे Read More …

Easter Puja: You Have To Grow Vertically Eastbourne (England)

1990-04-22 ईस्टरपूजा प्रवचन : आपको उर्ध्व दिशा में उत्थान करना है। ब्रिटेन,डीपी आज हम यहाँ पूजा करने जा रहें हैं, ईसा मसीह के पुनरुत्थान की। और साथ ही उन्हें धन्यवाद देना है,  हमें प्रदान करने के लिए ,एक संत का आदर्श जीवन , जिसे कार्य करना है ,संपूर्ण विश्व  के कल्याण लिए । हम ईसा मसीह की बात करते हैं ।हम श्री गणेश   भजन का गायन करते हैं । हम कहते हैं कि हम उनको मानते हैं । विशेष रूप से सहजयोगियों को लगता है कि उनके सभी भाइयों में वे  सबसे बड़े  हैं  ।और एक प्रबल  , समर्पण मैं पातीं हूँ, विशेष रूप से पाश्चात्य सहज योगियों में, ईसा मसीह के लिए । कारण कि शायद हो सकता है कि उनका जन्म ईसाई धर्म में हुआ हो ।अथवा हो सकता है कि उन्होंने  ईसा मसीह के जीवन को पाया हो ,एक बहुत  विशेष प्रकार का  । परंतु उन्हें उस से कहीं अधिक होना है सहज योग के लिए , और आप सहज योगियों के लिए । बहुत से लोग अनेक देवी-देवताओं को मानते हैं । जैसे कुछ लोग श्री कृष्ण को मानतें  हैं, कुछ लोग श्री राम को , कुछ लोग बुद्ध को , कुछ लोग महावीर को एवं कुछ लोग ईसा मसीह को। पूरी दुनिया में, वे अवश्य विश्वास करतें हैं, किसी उच्चतर अस्तित्व में । परंतु शुरुआत मे यह विश्वास बिना योग के  होता है ।और बन जाता है एक प्रकार का,  मिथक  कि वे सोचते हैं कि ,ईसा मसीह उनके अपने  हैं, राम उनके अपने Read More …

8th Day of Navaratri, Talk to English Yogis on Style and Content Butlins Grand Hotel, Margate (England)

नवरात्रि का 8वां दिन  मार्गेट, 6 अक्टूबर 1989 अंग्रेज योगियों से बात, आज देवी पूजा का आठवां दिन है और इस दिन, काली की शक्ति काम करती है और उन्हें संहार काली कहा जाता है, जिसका अर्थ है सभी बुरी शक्तियों को नष्ट करने वाली। तो यह एक बहुत अच्छा दिन है, कि हमारे यहां, इंग्लैंड में, पूजा है। मैं इससे बहुत खुश हूं। मेरा चश्मा?  मुझे लगता है,मेरे पर्स में है। वौ कहा हॆ? उसके पास यह होगा? अब, मैं सोच रही थी कि मुझे यू.के. के सहज योगियों से बात करनी चाहिए, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है। अब मैं यूके में अपने सोलह साल के प्रवास को समाप्त कर रही हूं और मुझे वास्तव में आप लोगों का इतना प्यार और इतनी भलाई मिली है। अब अगले साल, मैं यहां नहीं रहूंगी क्योंकि मेरे पति का तबादला होने वाला है और निश्चित रूप से मैं और भी वापस आऊंगी और एक या करीब एक महीने के लिए, मैं आपके साथ रह सकती हूं, शायद मैं पहले से कहीं ज्यादा जितना अब तक रही हूँ उससे ज्यादा करीब रहूंगी। लेकिन कुछ ऐसा है जोकि मुझे लगता है कि मुझे आप लोगों को चेतावनी देनी चाहिए, क्योंकि अब मुझे गैविन [ब्राउन] के बारे में बहुत सारे पत्र मिल रहे हैं कि, “गैविन ऐसा क्यों हो गया है? उसके साथ क्या गलत हुआ है?” शायद हर कोई इन घटनाओं को,और कुछ अन्य सहज योगियों को भी ऐसा होते देख काफी डरा हुआ लगता है । क्योंकि अन्य देशों में, जब सहजयोगी Read More …

Shri Krishna Puja: They have to come back again and again Saffron Walden (England)

श्री कृष्ण पूजा   सेफ्फ़रॉन वाल्डेन (इंग्लैंड), 14 अगस्त 1989 (श्री कृष्ण अवतार, दाईं विशुद्धि)  आज हम यहां श्री कृष्ण अवतार की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि श्री कृष्ण नारायण के अवतार हैं, श्री विष्णु के। प्रत्येक अवतार में, वे अपने सभी गुणों, अपनी सारी शक्तियों और अपनी प्रकृति को अपने साथ ले कर आते हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतार लिया तो उनके पास नारायण के सभी गुण थे, और फिर श्री राम के, लेकिन हर अवतरण अपने पूर्व जीवन को संशोधन करने की चेष्टा करता है, जो भी उनके पूर्व जीवन में गलत समझ लिया गया और उन्हें अतिशयता में ले जाया गया । इसलिए उन्हें बार-बार वापस आना पड़ता है। सही है इसलिए श्री विष्णु ने, जब उन्होंने अपना अवतार लेने के बारे में सोचा, क्योंकि वे ही हैं जो संरक्षक हैं। वे ही इस सृष्टि के संरक्षक और धर्म के भी संरक्षक हैं। इसलिए जब उन्होंने अवतरण लिया तो उन्हें यह देखना पड़ा कि लोग अपने धर्म पर कायम रहें। केवल धर्म को ठीक रखने से ही आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हो सकता है। तो यह कार्य अत्यंत कठिन था, मुझे कहना चाहिए, लोगों को महालक्ष्मी के मध्य मार्ग में बनाए रखने के लिए। अतः पहले अवतरण द्वारा, आप कह सकते हैं कि उन्होंने एक हितकारी राजा की संरचना करने की कोशिश की, श्री राम के रूप में। सुकरात ने एक हितकारी राजा का वर्णन किया है। लेकिन इसके परिणामस्वरूप, लोगों ने सोचना शुरू कर दिया कि अगर वे राजा या Read More …

Shri Hanumana Puja: You Are All Angels Butlins Grand Hotel, Margate (England)

‘आप सभी देवदूत हैं’: श्री हनुमान पूजा, मार्गेट, केंट, (यूके), 23 अप्रैल 1989 आज का यह दिवस बहुत ही आनंदमय है, और सम्पूर्ण वातावरण इससे उत्साहित  लग रहा है, जैसे कि देवदूत गा रहें हों । और श्री हनुमान की यही विशेषता थी कि वे एक देवदूत थे । देवदूत, देवदूतों की भांति ही जन्म लेते हैं । वे देवदूत हैं, और वे मनुष्य नहीं हैं । वे दैवीय गुणों के साथ जन्म लेते हैं । लेकिन अब, आप सब मानव से देवदूत बन गए हैं । यह सहज योग की एक बहुत महान उपलब्धि है । देवदूतों के साथ जन्म लेने वाली शक्तियां, बचपन से ही उनमें देखी जा सकती हैं।  सर्वप्रथम, वे असत्य, झूठ से भयभीत नहीं होते हैं, वे इस बात की चिंता नहीं करते हैं कि लोग उनसे क्या कहेंगे, और वे जीवन में क्या खों देंगे । उनके लिए सत्य ही उनका जीवन है, सत्य उनके लिए प्राण है, और अन्यत्र कुछ भी उनके लिए महत्व नहीं रखता है । यह एक देवदूत का पहला महान गुण है । सत्य की प्रस्थापना व संरक्षण के लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं और उन लोगो की रक्षा करने के लिए जो सत्य पर स्थित है । तो इस प्रकार से विशाल संख्या में देवदूत हमारे चहुं ओर व्याप्त हैं। तो इस प्रकार से बायें ओर हमारे अंदर गण हैं, तथा दाहिनी तरफ देवदूत स्थित हैं। और इसका अनुवाद संस्कृत भाषा या किसी भी अन्य भारतीय भाषा में देवदूत के रूप में है – Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Cure That Left Vishuddhi Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

श्री विष्णुमाया पूजा “उस बायीं विशुद्धि को ठीक करें”   शूडी कैंप (इंग्लैंड), 20 अगस्त 1988। कम ही उम्मीद थी कि हम यहां पूजा करेंगे या इस तरह का कोई कार्यक्रम करेंगे। लेकिन मुझे लगता है कि इतने तेज़ कार्यक्रम के पूरे कार्यक्रम से कुछ छूट गया था जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे करना पड़ा था, लंदन से फ्रैंकफर्ट से अमेरिका से बोगोटा तक जाना, वापस होना, फिर अंडोरा और इन सभी जगहों पर, फिर भी, मैंने सोचा, अब यह समाप्त हो गया है। और मैं यहां लंदन में आयी और मुझे पता चला कि एक पूजा नहीं हुई थी, बायीं विशुद्धि की, और यह इस रक्षा बंधन के साथ पड़ती है क्योंकि यह बहन का रिश्ता और भाई का रिश्ता है। तो इतिहास में, यदि आप जाते हैं, तो श्री कृष्ण का जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन उनकी बहन का जन्म हुआ था, और यह विष्णुमाया बाद में स्थानांतरित हुई, मुझे कहना चाहिए, एक विद्युत में रूपांतरित हुई, लेकिन उस समय वही थी जिसने श्री कृष्ण के अस्तित्व की घोषणा की – कि वह पैदा हुआ है और वह जी रहा है, वह वर्तमान में है। यह लेफ्ट विशुद्धि का, लाइटिंग का काम है, और आपने देखा है कि जब भी मैं किसी जगह पर जा रही होती हूं, या मैं कोई प्रोग्राम या कुछ और दे रही होती हूं, तो उसके ठीक पहले बिजली की गड़गड़ाहट, बिजली की गड़गड़ाहट, यह सब दिखाई देता है आकाश में, तुम देखते हो, उस घोषणा को दिखाने के लिए। Read More …

महिलाओं की भूमिका, द्वितीय सेमिनार दिवस Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

महिलाओं की भूमिका, द्वितीय सेमिनार दिवस, 19 जून 1988, शूडी कैम्प, कैम्ब्रिजशायर, यू0के0 कल शाम हमने बहुत सुंदर ध्यान किया और हम सभी ने ठंडी-ठंडी चैतन्य लहरियों का अनुभव भी किया। जैसा कि मैंने आप लोगों को बताया कि ये हमारे इतिहास का सबसे महान दिन है, जिसमें आपका जन्म हुआ है और आप सभी परमात्मा का सर्वोच्च कार्य कर रहे हैं। आप सभी को विशेषकर इसी कार्य के लिये चुना गया है। आप सबको ये जानना होगा कि अब आप लोग संत हैं। लेकिन, इन्ही आशीर्वादों के कारण कभी-कभी आप लोग भूल जाते हैं कि आप लोग अब संत हैं और आपको ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिये जो संतों को शोभा नहीं देता है।   इस बार, कई वर्षों के बाद मैंने श्री एकादश रूद्र पूजा के लिये अपनी सहमति दी है, मुझे मालूम है कि इस पूजा को करना कितना कठिन काम है, क्योंकि अभी भी बहुत से सहजयोगी परिपक्व नहीं है और उनमें से कुछ तो सहजयोग का फायदा उठाकर पैसे कमा रहे हैं और कुछ इससे नाम, प्रसिद्धि, शक्ति या कुछ और प्राप्त करना चाह रहे हैं। वैसे तो इसको अब छोड़ दिया गया है। यह शक्ति, एक प्रकार से बहुत ही खतरनाक शक्ति है और आपको इस संबंध में बहुत ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। निसंदेह, यह उन लोगों और नकारात्मकताओं से आपकी रक्षा करती है जो आपको परेशान करना चाहते हैं और आपको नष्ट करना चाहते हैं। ये आपकी सुरक्षा के लिये हरसंभव प्रयास करना चाहती है, लेकिन यदि आप गलत व्यवहार करते हैं Read More …

Seminar Day 1, Introspection and Meditation Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

Advice, “Introspection and Meditation”. Shudy Camps (UK), 18 June 1988. परामर्श, “आत्मनिरीक्षण और ध्यान”।शुडी कैंप (यूके), 18 जून 1988। इस साल हमारे विचार से यूके में सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे, क्योंकि कुछ परिस्थितियां भी हैं। लेकिन जब भी कोई ऐसी परिस्थिति आती है, जो किसी न किसी रूप में हमारे कार्यक्रमों को बदल देती है, तो हमें तुरंत समझ जाना चाहिए कि उस बदलाव के पीछे एक उद्देश्य है, और हमें तुरंत खुले दिल से इसे स्वीकार करना चाहिए कि ईश्वर चाहते हैं कि हम बदल दें। मान लीजिए मैं एक सड़क पर जा रही हूँ और लोग कहते हैं, “आप रास्ता भटक गई हो माँ।” यह सब ठीक है। मैं कभी खोयी नहीं हूँ क्योंकि मैं अपने साथ हूँ! (हँसी।) मुझे उस विशेष रास्ते से जाना था, यही बात है। मुझे यही करना था, और इसलिए मुझे उस सड़क पर नहीं होना चाहिए था और मैं अपना रास्ता भटक गयी हूं। यदि आपके पास उस तरह की समझ है, और अगर आपके दिल में वह संतुष्टि है, तो आप पाएंगे कि जीवन जितना आप सोचते हैं उससे कहीं अधिक श्रेयस्कर है। अब, जैसा की है, क्या कारण था, मैंने सोचा, कि हमने निश्चित रूप से इस वर्ष सार्वजनिक कार्यक्रम करने का फैसला किया था, और हम सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं कर सके? तो इसका कारण यह है कि हमें अधिक समर्थ होना होगा। एक पेड़ के विकास में, जो एक जीवित पेड़ है, ऐसा होता है कि यह एक विशेष दिशा में एक बिंदु तक बढ़्ता है जब तक कि Read More …

Easter Puja: You have to be strong like Christ Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

ईस्टर पूजा। शुडी कैंप (इंग्लैंड), 3 अप्रैल 1988। मुझे देर से आने के लिए खेद है, लेकिन मैं आपको बताती हूँ कि मैं सुबह से काम कर रही हूं। अब, आज हम यहां ईसा मसीह के पुनरुत्थान का जश्न मनाने के लिए आये हैं। सभी सहजयोगियों के लिए ईसा मसीह का पुनरुत्थान सबसे अधिक महत्व का है। और हमें यह समझना होगा कि उन्होने स्वयं को इसलिए पुनरुत्थित किया ताकि हम लोग खुद का पुनरूत्थान कर सकें। उनके जीवन का संदेश उनका पुनरुत्थान है न कि उसका क्रूस। उसने हमारे लिए क्रूस उठाया और हमें अब और नहीं सहने कि  आवश्यकता नहीं है। मैं देख रही हूँ कि बहुत से लोग इस नाटक को अब भी चलाये जा रहे हैं: वे यह दिखाने के लिए क्रूस को ढोए जा रहे हैं जैसे कि हम ईसामसीह के लिए कार्य करने जा रहे हैं! मानो वह नाटक करने वाले इन लोगों के लिए कोई काम छोड़ गये हो। लेकिन यह सब ड्रामा खुद को धोखा देने और औरों को धोखा देने का है। इस तरह की बेकार चीजें करते रहने का कोई मतलब नहीं है यह प्रदर्शित करने के लिए कि ईसामसीह ने कैसे दुख उठाया। आपके रोने-धोने  के लिए, ईसामसीह ने कष्ट नही उठाया। उन्होंने दुख इसलिए उठाया कि आपको आनंद प्राप्त होना चाहिए, कि आपको खुश रहना चाहिए, कि आपको उस सर्वशक्तिमान के प्रति पूर्ण आनंद और कृतज्ञता का जीवन जीना चाहिए जिसने आपको बनाया है। वह परमात्मा कभी नहीं चाहेंगे कि आप दुखी हों। कौन सा पिता अपने बेटे Read More …

Guru Puja: Sankhya & Yoga Shudy Camps Park, Shudy Camps (England)

                                                     गुरु पूजा शुडी कैंप (यूके), 12 जुलाई 1987 आज, यह एक महान दिन है कि आप यहां विश्व के हृदय के दायरे में अपने गुरु की पूजा करने के लिए हैं। अगर ऐसा हम हमारे हृदय में कर सकें तब, इसके अलावा हमें कुछ भी और करने की आवश्यकता नहीं होगी। आज, मुझे यह भी लगता है कि, मुझे आपको सहज योग और उसके मूल्य के बारे में बताना होगा, जो अन्य योगों से संबंधित है जो पूरे विश्व में पुराने दिनों में स्वीकार किए जाते थे। उन्होंने इसे कहा, एक, ‘योग’, ना कि सहज योग, ‘योग’। इसकी शुरुआत ‘अष्टांग ’के विभिन्न प्रकार के अभ्यासों से हुई है [संस्कृत / हिंदी का अर्थ है आठ चरण / भाग’] योगासन – आठ स्तरीय योग – एक गुरु के साथ। और एक साधक को बहुत कष्टों से गुजरना होता था । किसी भी विवाहित को उस अष्टांग योग में अनुमति नहीं दी गई थी, और उन्हें अपने परिवारों को छोड़ना पड़ा, अपने रिश्तों को छोड़ना पड़ा।  गुरु के पास जाने के लिए उन्हें बिलकुल बिना किसी लगाव वाला बनना पड़ा। उनका सारा सामान, उनकी सारी संपत्ति त्याग दी गई। लेकिन गुरु को नहीं दे दी गई जैसा कि आधुनिक समय में किया जा रहा है, बस त्याग दिया गया। और इसी को योग कहा गया। दूसरी शैली को सांख्य कहा जाता था। सांख्य है, जहां आपका सारा जीवन आपको निर्लिप्तता के साथ चीजों को इकट्ठा करना है, और फिर उन्हें पूरी तरह से वितरित कर के और एक गुरु के शरण में Read More …

Shri Bhumi Dhara Puja (England)

धरती माँ के क्रोध से ज्वालामुखी फूटने लगते हैं….. जय श्री माताजी। कृपया आदि भूमि देवी से प्रार्थना करें कि माँ कृपया हमें क्षमा कर दें और हम सभी को शांति का वरदान दें ताकि संपूर्ण जगत में भी शांति का साम्राज्य हो। (श्री आदि भूमि पूजा, शूडी कैंप, यू0के0 3 अगस्त 1986) आज हम सब यहां धरती माता की पूजा करने के लये एकत्र हुये हैं ….. जिसको हम भूमि पूजा कहते हैं …. श्री धरा पूजा…. उनको धरा कहा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ध का अर्थ है धारण करना … राधा का अर्थ है … शक्ति को धारण करने वाली और धरती तो सभी को धारण करती है … हम को धारण करती है। हम धरती पर ही निवास करते हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि धरती तीव्र गत से घूम रही है। अगर उनका गुरूत्वाकर्षण न होता तो आज हमारा अस्तित्व भी न होता। इसके अतिरिक्त उन पर वातावरण का भी अत्यधिक दबाव है। वह समझती हैं…सोचती हैं…. समन्वयन और सृजन भी करती है। आपने देखा ही है कि जब आप धरती पर नंगे पांव खड़े होते हैं और मेरे फोटोग्राफ के सामने प्रकाश जलाकर उनसे प्रार्थना करते हैं कि वह आपकी नकारात्मक ऊर्जा को सोख लें तो वह किस प्रकार से आपकी नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेती हैं। वह मुझे जानती हैं क्योंकि वह मेरी माँ हैं। वह आप सबकी नानी माँ हैं। इसीलिये वह आपका पोषण करती हैं… आपकी देखभाल करती हैं। सुबह सवेरे जब हम जागते हैं Read More …

Going from Swaha to Swadha Brompton Square House, London (England)

                “स्वाहा से स्वधा पर जाना,”  श्री माताजी का निवास, 48 ब्रॉम्प्टन स्क्वायर, लंदन (इंग्लैंड), 3 मार्च 1986। यही आखिरी चीज़, मैंने, दिल्ली में अपने व्याख्यानों में इस्तेमाल की थी कि;  श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जागरूकता नीचे की ओर जाती है और मानव जागरूकता की जड़ें मस्तिष्क में हैं। और जब मनुष्य नीचे की ओर जाने लगते हैं तो वे परमात्मा के विपरीत दिशा में चले जाते हैं। इतना ही उन्होंने कहा है। उन्होंने इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा है। अब देखिए, ऐसा होता है कि, उस समय, आप भवसागर में पैदा हुए हैं। अब, जब मानव चेतना विकसित होने लगती है, भवसागर का सार स्वाहा है और उद्देश्य स्वधा है। स्वाहा का अर्थ है उपभोग: सारे विष का क्षय, हर चीज का सेवन। और स्वधा वह है अर्थात: स्व आत्मा है और धा का अर्थ है जो धारण करता है। तो आत्मा का धर्म जब आप में आता है, तो आप गुरु बन जाते हैं। तो भवसागर में यह स्वाहा और स्वधा है। तो स्वाहा से आपको स्वाधा में जाना होगा। यदि आप स्वधा अवस्था में आ जाते हैं तो आपके भीतर महालक्ष्मी जागृत हो जाती है और आप ऊपर उठने लगते हैं। तो इसे ‘उर्ध्वगति’ कहा जाता है: उत्थान की ओर जाना। अवरोही पक्ष को ‘अधोगति’ कहा जाता है। अब अधोगति शुरू होती है क्योंकि नीचे जाना बहुत आसान है, सबसे पहले। दूसरी बात जब आप सीढ़ियों पर होते हैं, सबसे ऊपर, आप सीढ़ियों को बहुत अच्छे से देखते हैं, नीचे जाने के लिए अच्छी तरह Read More …

The English Are Scholars, Seminar Totley Hall Training College, Sheffield (England)

“अंग्रेज विद्वान हैं”अंग्रेज संगोष्ठी, शेफ़ील्ड (यूके), 21 सितंबर 1985। जैसा कि मैंने कल कहा, यह क्षेत्र है; वह क्षेत्र जहाँ प्रबोध को आना है। इतने दीपों से क्षेत्र को जगमगाना पड़ता है। और यह क्षेत्र जो प्रबुद्ध है, प्रकृति से भी समृद्ध है। और जब तुम गा रहे थे, तो मुझे लगा कि बादल स्वरों को पकड़ रहे हैं, उन्हें अपने भीतर बुन रहे हैं और जब बारिश होगी, तो बारिश फिर से गीत गाएगी; मानो घाटियाँ इतनी खूबसूरती से गूंज रही हों। और प्रतिध्वनि बहुत कोमल थी और पूरे वातावरण को भर रही थी। शायद आपको ईश्वरीय सूक्ष्मता के बारे में पता नहीं है कि वह इसे कार्यांवित करने के लिए कितना उत्सुक है । लेकिन हमारे यंत्र हमारी तुरहियां और हमारी बांसुरी और हमारे ढोल ठीक होने चाहिए। तालमेल होना चाहिए, पूरी तरह से तालमेल बिठाना चाहिए-तब माधुर्य सुन्दर ढंग से बजाया जाता है। बादल केवल शुद्धतम जल, शुद्धतम स्तोत्र वहन कर ले जाते हैं। इसलिए, जब हम संदेश फैला रहे हैं, तो हमें यह समझना होगा कि इसे एक शुद्ध स्रोत से आना चाहिये। शुद्धता बहुत जरूरी है। पवित्रता वाले हिस्से के बारे में मैंने पहले से ही बात की है, जो मूलाधार है, जो आज बहुत महत्वपूर्ण है; आप इसे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन यह उसका अंत नहीं है, यह तो बस शुरुआत है – बस शुरुआत है। लेकिन हमें जो देखना है वह हमारे भीतर बहुत ही सहज निर्मित है। और आज जब हम दिलों के दिल Read More …

The Priorities Are To Be Changed Chelsham Road Ashram, London (England)

प्राथमिकताओं को बदला जाना है चेल्शम रोड, क्लैफम लंदन (यूके), 6 अगस्त 1985। अब मेरा इंग्लैंड में प्रवास अपना 12वां वर्ष पूरा कर रहा है और यही कारण है कि मैं आप लोगों से सहज योग के बारे में बात करना चाहती थी। यह कहां तक चला गया है और हमारे पास कहां कमी है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि हमने अपने धर्म की स्थापना की है: निर्मल धर्म, जैसा कि हम इसे कहते हैं, विश्व निर्मल धर्म। और आप शब्दों के अर्थ जानते हैं, विश्व का अर्थ है सार्वभौमिक, निर्मल का अर्थ है शुद्ध और धर्म का अर्थ है धर्म। यह अमेरिका में स्थापित किया गया है। और हमें इसे यहां इंग्लैंड में पंजीकृत करना होगा। अब यह बहुत महत्वपूर्ण है कि, जब हम किसी धर्म से संबंध रखते हैं, तो हमें यह जानना होगा कि उस धर्म की आज्ञाएं क्या हैं। और अभी तक हमने कुछ भी मसौदा तैयार नहीं किया है। यह ऐसी चीज़ नही हो सकती जिसे लोगों या मनुष्यों के लिये बनायी गईअनुकूल वस्तु नहीं हो सकती है। ऐसा नहीं हो सकता। और आपकी अनुकूलता के लिये इस मे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। जैसे रूस में, जैसा कि मैंने आपको कहानी सुनाई, मैं वहां गयी और मैंने कहा, “मैं एक चर्च देखना चाहती हूं।” इसलिए वे मुझे एक चर्च में ले गए, जो ऑर्थोडॉक्स ग्रीक चर्च था, और मेरे पति भी वहां थे जहां हम वीआईपी थे, इसलिए चर्च का मुखिया नीचे आया और हमें दोपहर के भोजन के लिए Read More …

Shri Gruha Lakshmi Puja: In your houses you must do Gruhalakshmis’ puja Brompton Square House, London (England)

श्री गृहलक्ष्मी पूजाब्रॉम्प्टन स्क्वायर, लंदन, 1985-0805 तो, इस घर को बनाने और इसे इतना सुंदर बनाने में मदद करने के लिए आप सभी को धन्यवाद देना है। सारी कृतज्ञता हम दोनों की ओर से है [श्री माताजी और सर सीपी]।आज का दिन बहुत दिलचस्प है जब आप यहां गृहलक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं, यानी इस घर की गृहलक्ष्मी। इसी प्रकार अपने परिवार में भी अपने घरों में गृहलक्ष्मी की पूजा अवश्य करें। स्त्री को स्वयं गृहलक्ष्मी बनना है और फिर उसकी पूजा करनी चाहिए।“यत्य नारीया पूज्यन्ते, तत्र भ्रामंते देवता।” जहां नारी का सम्मान और पूजा होती है, वहां सभी देवताओं का वास होता है। लेकिन उन्हें भी सम्मानजनक होना चाहिए। यदि वे आदरणीय नहीं हैं तो देवताओं का वास वहाँ नहीं होगा। इसलिए, गृहलक्ष्मी पर सम्मानजनक होने की एक बड़ी जिम्मेदारी है ताकि परिवार में सभी देवता खुश रहें। और एक बार उसका सम्मान होने के बाद, वह भी सम्मानजनक बनने की कोशिश करेगी। इसलिए गृहलक्ष्मी का सम्मान बहुत जरूरी है। आज हम विश्वकर्मा और ब्रह्मदेव के आशीर्वाद से, उन सभी बिल्डरों कीऔर से जिन्होंने यहां हमारी मदद की; जिन्होंने इस घर को इतना खूबसूरत बनाने की कोशिश की है,यह छोटी पूजा कर रहे हैं । साथ ही, जैसा कि आप जानते हैं, ब्लेक ने इस घर का वर्णन किया है। इसका एक विशेष महत्व है और अब हमें इसे किसी और को सौंपना है, जो इस घर की सराहना और सम्मान करेगा; जो की इस घर का मूल्य और कीमत को समझेगा। और इसके लिए हमें प्रार्थना करनी Read More …

Shri Ganesha Puja: The Importance of Chastity Brighton Friends Meeting House, Brighton (England)

श्री गणेश पूजा: पवित्रता का महत्व04-08-1985ब्राइटन फ्रेंड्स मीटिंग हाउस, ब्राइटन (इंग्लैंड) आज हम यहां सही अवसर और बहुत ही शुभ दिन पर श्री गणेश की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री गणेश प्रथम देवता हैं जिनकी रचना की गई थी ताकि पूरा ब्रह्मांड शुभता, शांति, आनंद और आध्यात्मिकता से भर जाए। वह स्रोत है। वह अध्यात्म का स्रोत है। इसके परिणामस्वरूप अन्य सभी चीजें अनुसरण करती हैं। जैसे जब बारिश होती है और हवा चलती है तो आप वातावरण में ठंडक महसूस करते हैं। उसी तरह जब श्री गणेश अपनी शक्ति का उत्सर्जन करते हैं, तो हम इन तीनों चीजों को भीतर और बाहर महसूस करते हैं। लेकिन यह इतना दुर्भाग्यपूर्ण रहा है, विशेष रूप से पश्चिम में, सबसे महत्वपूर्ण मौलिक देवता को न केवल पूरी तरह से उपेक्षित किया गया है, बल्कि अपमानित किया गया और सूली पर चढ़ाया गया है। तो आज हालांकि मैं कुछ ऐसा नहीं कहना चाहती की आप परेशान हों, लेकिन मैं आपको बता दूं कि श्री गणेश की पूजा करने का मतलब है कि आपके भीतर पूरी तरह से स्वच्छ्ता होनी चाहिए। श्रीगणेश की पूजा करते समय मन को स्वच्छ रखें, हृदय को स्वच्छ रखें, अपने को स्वच्छ रखें – काम और लोभ का कोई विचार नहीं आना चाहिए। दरअसल, जब कुंडलिनी उठती है तो गणेश को हमारे भीतर जगाना होता है, अबोधिता को प्रकट होना पड़ता है – जो हमारे भीतर से ऐसे सभी अपमानजनक विचारों को मिटा देता है। अगर उत्थान हासिल करना है तो हमें समझना होगा कि हमें Read More …

Mother’s Day Puja: Talk on Children University of Birmingham, Birmingham (England)

                  मदर्स डे पूजा, बच्चों पर बात बर्मिंघम, इंग्लैंड 21 अप्रैल 1985। कृपया बैठ जाएँ। गेविन नहीं आया है? क्या गैविन नहीं है? बच्चों के साथ महिलाओं को भी पूजा के लिए बैठना चाहिए। वे अभी तक नहीं आए हैं? किसी को जाकर बताना होगा। योगी: कार वाला कोई व्यक्ति कृपया मुख्य बिंदु तक जाए और लोगों को बताएं कि उन्हें पहुंचना चाहिए। बेहतर हो कोई कार वाले सज्जन। श्री माताजी: ये क्या कर रहे हैं? योगिनी: हमें दोपहर बारह से पहले कमरे खाली करने होंगे। योगी: माँ, हमें अभी-अभी बताया गया है कि हमें अपने कमरे को बारह बजे तक खाली करना होगा, इसलिए इससे थोड़ा भ्रम हुआ है। श्री माताजी: क्यों? योगी: क्योंकि अधिकारी बारह बजे तक अपने कमरे वापस चाहते हैं। श्री माताजी: ओह, मैं समझी हूँ। तो फिर… योगी: क्या उन्हें अपने कमरे भी जल्दी खाली करने की कोशिश करनी चाहिए? श्री माताजी: हाँ। लेकिन मैं पूजा को बहुत पहले खत्म कर दूंगी, ग्यारह तीस के करीब। वे तब जा सकते थे। क्योंकि अगर आप देर से शुरू करते हैं, तो फिर से देर हो जाएगी। किसी भी मामले में मुझे पूजा को जल्दी खत्म करना होगा, क्योंकि मैं पहले जा रही हूं। योगी: क्या कई लोग जिनके पास कार है वास्तव में लोगों को हॉल में वापस आने में मदद कर सकते हैं …? श्री माताजी: या वे अपने रास्ते पर हो सकते हैं। क्या वे सब एक साथ आ रहे हैं? बस सुनिश्चित करें कि, क्या वे एक साथ आ रहे हैं। जल्दी चलो, साथ Read More …

Seminar, Mahamaya Shakti, Evening, Improvement of Mooladhara University of Birmingham, Birmingham (England)

                                            महामाया शक्ति बर्मिंघम सेमिनार (यूके), 20 अप्रैल 1985. भाग 2 श्री माताजी: कृपया बैठे रहें। क्या यह सब ठीक है? क्या आप ठीक रिकॉर्ड कर रहे हैं? सहज योगी: हाँ माँ तो इसी तरह से महामाया के खेल होते हैं | उन्होंने हर चीज की योजना बनाई थी। उनके पास सारी व्यवस्था बनायीं थी और साड़ी गायब थी। ठीक है। तो उन्होंने आकर मुझे बताया कि साड़ी गायब है, तो अब क्या करना है? उनके अनुसार, आप साड़ी के बिना पूजा नहीं कर सकती हैं। तो मैंने कहा, “ठीक है, चलो इंतजार करते हैं ।” यदि यह साडी समय पर आती है तो हम पूजा करेंगे; अन्यथा हम यह बाद में कर सकते हैं। लेकिन मैं बिलकुल भी परेशान नहीं थी,ना अव्यवस्थित । क्योंकि मुझे इसका कोई मानसिक अनुमान नहीं है। लेकिन अगर आपके पास एक मानसिक अवधारणा है की , “ओह, हमने सब कुछ प्रोग्राम किया है, सब कुछ व्यवस्थित किया है। हमने यह कर लिया है और अब यह व्यर्थ जा रहा है। ” कोई बात नहीं कुछ भी  फिजूल नहीं है। [हसना] लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते। चूँकि आपने आज मुझसे पूछा था, “महामाया क्या है?”, यही है वो महामाया । [हसना] आपको अपने मार्ग में जो कुछ भी आता है उसे स्वीकार करना सीखना चाहिए। यह भी एक चीज़ है और चूँकि हम एक मानसिक कल्पना कर लेते हैं इसलिए,यहाँ हम निराश, क्रोधित, परेशान हो कर और अपने आनन्द को बिगाड़ लेते हैं। मानसिक रूप से हम कुछ गणना करते हैं। ऐसा होना ही है। Read More …

Put me in your Heart Chelsham Road Ashram, London (England)

                 “मुझे अपने दिल में रखो” चेल्शम रोड, लंदन (यूके), 5 अक्टूबर 1984 श्री माताजी : कृपया बैठ जाइए। ठीक है। योगी: क्योंकि आज हम कुछ समय के लिए अपनी मां को और ऑस्ट्रेलिया के अपने आदरणीय भाई डॉ वारेन को भी विदाई दे रहे हैं, जिन्होंने यहां रहते हुए अथक परिश्रम किया है। हमारी माँ की ओर से और हमारी ओर से, और इस देश में काम करने में मदद करने के लिए पर्दे के पीछे जबरदस्त काम किया; और हम चाहते हैं कि इसे सिर्फ यह बताने का एक विशेष अवसर हो कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं और वह है, जो कुछ भी वह हमसे कहते है, वह हमारे हृदय का भला करता है। डॉ वारेन: श्री माताजी, यह वास्तव में मेरे लिए आश्चर्य की बात है। श्री माताजी : कृपया थोड़ा और आगे आएं। डॉ वारेन: मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात मैं यह कह सकता हूं कि मुझे यहां रहने में कितना आनंद आ रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी हृदय में आए, हम सभी को प्रसारित करना है और जब भी मुझे पता चलता है कि मैं यहां आया हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है। क्योंकि मैं इस तरह से नहीं सोचता कि मैं कुछ कर रहा हूं। जब आप श्री माताजी की उपस्थिति में होते हैं, जैसा कि आप में से कई लोग महसूस करते हैं, यह समर्पण की ऐसी अभिव्यक्ति है। लेकिन समर्पण जो आपको मानसिक आशंका से परे ले जाता है कि समर्पण क्या है, क्योंकि Read More …

Navaratri Puja Hampstead (England)

नवरात्रि पूजा, हैंपस्टड, लंदन 23 सितंबर) हम नवरात्रि का त्योहार क्यों मनाते हैं? हृदय में देवी की शक्तियों को जागृत करना ही नवरात्रि मनाना है… जो शक्ति इन सभी 9 चक्रों में है उसको जानना और जब वे जागृत हो जांय तो आप स्वयं के अंदर उन 9 चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से अभिव्यक्त करना हैं। सात चक्र और हृदय और चांद मिलाकर ये 9 चक्र हुये। परंतु मैं कहूंगी कि ये सात और इनके ऊपर दो अन्य चक्र जिनको विलियम ब्लेक ने भी आश्चर्यजनक व स्पष्ट रूप से 9 ही कहा था। इस समय मैं आपको उन दो ऊपर के चक्रों के विषय में नहीं बता सकती। क्या इन चक्रों की शक्तियों को हमने अपने अंदर जागृत कर लिया है? किस तरह से आप ये कर सकते हैं? आपके पास तो समय ही नहीं है। आप सब लोग तो अत्यंत व्यस्त और अहंवादी लोग हैं इन शक्तियों को जागृत करने के लिये हमें इन चक्रों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। जहां भी मैं गई, मुझे आश्चर्य हुआ….. जो प्रश्न उन्होंने मुझसे पूछे …..किसी ने भी मुझसे अपने परिवार, घर, नौकरी या अन्य किसी बेकार बात के बारे में नहीं पूछा …… उन सबने मुझसे पूछा कि माँ हम इन चक्रों की शक्तियों को किस प्रकार से विकसित करें। मैंने उऩसे पूछा कि आप किसी एक चक्र विशेष के बारे में कैसे पूछ रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे अंदर अभी बहुत कमियां है … या मेरे अंदर यही चक्र ठीक नहीं है। अब किसी साक्षात्कारी Read More …

Raksha Bandhan and Maryadas (England)


(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, रक्षाबंधन, मर्यादा, लंदन, 1984) 
यू.के. के इस सुंदर दौरे के बाद मुझे भरोसा हो चला है कि सहजयोग ने अब अपनी जड़ें पकड़ ली हैं और उनमें से कुछ पौधों को उगते हुये भी आप देख सकते हैं। यह हैरान करने वाली बात है कि जैसे ही मैंने घोषणा की कि यह मेरा यू.के. का यह आखिरी दौरा होगा तो सब कुछ क्रियान्वित होने लगा है। जहां-जहां भी हम गये हमारा दौरा सफल और अच्छा रहा खासकर कुछ स्थानों पर तो यह अत्यंत चमत्कारपूर्ण भी था। आपने उस महिला के बारे में तो अवश्य ही सुना होगा जो अपने घर से बाहर निकलती ही नहीं थी …….. क्योंकि वह एग्रोफोबिया नामक रोग से पीड़ित थी। प्रेस ने हमें चुनौती दे डाली थी कि हमें उसको ठीक करना ही होगा क्योंकि वह अपने घर से बाहर निकल ही नहीं पाती थी। उसके फोटोग्राफ पर कार्य करने और थोड़े से उपचार मात्र से ही वह ठीक हो गई और अब वह अच्छी तरह से चल फिर लेती है। मीडिया ने अखबारों में बड़ी खबर बना कर इसे छाप दिया …….. जब गुरू माँ ने अपना वचन निभाया। यह उन चमत्कारों में से केवल एक है जबकि ऐसे कई चमत्कार घटित हो चुके हैं जिसकी रिपोर्ट भी आप देख सकते हैं। मुझे कहना चाहिये कि आप सभी सहजयोगियों ने मुझसे सहयोग किया, वे सभी बहुत सक्रिय और अत्यंत प्रोग्रेसिव भी थे। मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता हुई कि वे आगे बढ़ना चाहते हैं और स्वयं में सुधार भी Read More …

Talk to doctors: the fourth dimension and the parasympathetic Brighton (England)

               श्री माताजी की डॉक्टरों से बातचीत ब्राइटन (यूके), 26 जुलाई 1984। श्री माताजी: जिस चौथे आयाम के बारे में उन्होंने उल्लेख किया है, वे उसका क्या अर्थ लगाते है? वह महत्वपूर्ण बात है। वारेन: वे उस अतींद्रिय अवस्था को कहते हैं। श्री माताजी: लेकिन क्या? वारेन: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते। (यहाँ माँ फिर से कहती है “क्या?”, जबकि वॉरेन शब्द “वर्णन” कह रहा है) श्री माताजी: वे इसका वर्णन नहीं कर सकते, आप देखिए। मान लें कि किसी के दिल की धड़कन कम है, नाड़ी की दर कम है या ऑक्सीजन की ग्रहण क्षमता या कुछ भी कम है। वारेन: यह अतींद्रिय स्थिति नहीं है। श्री माताजी: वह अतींद्रिय अवस्था नहीं है, क्योंकि आप अभी भी उस अवस्था में हैं, जहाँ आपका ध्यान आपके शरीर पर है। तो, यह एक अतींद्रिय नहीं है, आपको इन्द्रियों के पार जाना होगा। (ट्रान्सडैंटल) अतींद्रिय का मतलब है कि आपको परानुकम्पी (पैरासिम्पेथेटिक) पर कूदना होगा। देखें, हम कह सकते हैं, हमारे पास चार आयाम हैं । एक आयाम है बायीं अनुकम्पी (लेफ्ट सिम्पैथेटिक)का, दूसरा दायीं अनुकंपी (राईट सिम्पैथेटिक)का है, फिर हमें मध्य तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम )प्राप्त हुआ है, जो हमारा चेतन मन है और चौथा आयाम परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) है। क्या वह परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक)पर कूदता है? वारेन: हम करते हैं। श्री माताजी: हाँ। सहज योग में आप परानुकम्पी (पैरासिम्पैथेटिक) पर कूदते हैं; अर्थात आपका चित्त परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र (पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम )को नियंत्रित करना शुरू कर देता है। फिर हम यह कैसे साबित करते हैं कि हम चौथे आयाम के हो Read More …

Easter Puja: Forgiveness Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                        ईस्टर पूजा टेम्पल ऑफ़ आल फैथ, लंदन (यूके)  २२ अप्रैल १९८४। आज हम ईसा-मसीह के पुनरुत्थान का जश्न मना रहे हैं और इसके साथ हमें मनुष्यों के पुनरुत्थान का भी जश्न मनाना है, सहज योगियों का, जिन्हें आत्मसाक्षात्कारीयों के रूप में पुनर्जीवित किया गया है। इसके साथ हमें यह समझना होगा कि हम एक नई जागरूकता में प्रवेश कर रहे हैं। क्राइस्ट को किसी नई जागरूकता में प्रवेश करने की कोई आवश्यकता नहीं थी, उन्हें इस दुनिया को यह दिखाने के लिए बार-बार नीचे आना पड़ा कि आप शाश्वत जीवन हैं, कि आप एक ऐसा जीवन जियें जो आध्यात्मिक हो, जो कभी नष्ट नहीं होता है। आपको उस नए क्षेत्र में उत्थान करना होगा जो सर्वशक्तिमान ईश्वर का क्षेत्र है, जिसे आप ‘ईश्वर का राज्य’ कहते हैं। और उसने नीकोदमस से बहुत स्पष्ट रूप से कहा, “तुम्हें फिर से जन्म लेना होगा,” और जब उसने पूछा, “क्या फिर से जन्म लेने के लिए मुझे अपनी माँ के गर्भ में वापस प्रवेश करना होगा?” और उन्होने इसे बहुत स्पष्ट रूप से कहा! यह बहुत स्पष्ट है। जो देखना नहीं चाहते वे अंधे रह सकते हैं! लेकिन उन्होने यह बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि, “नहीं,” अर्थात्, “जो कुछ मांस से पैदा हुआ है वह मांस ही है, लेकिन जो कुछ आत्मा से पैदा हुआ है वह आत्मा है।” मेरा मतलब है कि इससे ज्यादा स्पष्ट और कुछ नहीं हो सकता है, कि इसे आत्मा से पैदा होना है। बेशक, इंसानों में हर चीज को घुमा देने की एक विशेष क्षमता होती Read More …

Diwali Puja: Become The Ideals Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                  दीवाली पूजा, “आदर्श बनना” “सभी धर्मों का मंदिर”, हैम्पस्टेड, लंदन (यूके), 6 नवंबर 1983 आज के चैतन्य से आप देख सकते हैं कि जब आपकी पूजा के लिए तैयारी  होती हैं तो आपको कितनी प्राप्ति होती है। आज आप इसे महसूस कर सकते हैं। तो ईश्वर बहुत उत्सुक हैं, कार्य करने के लिए| केवल एक बात है कि, स्वयं तुम्हें तैयारी करनी है। और ये सभी तैयारियां आपकी काफी मदद करने वाली हैं। जैसा कि हम अब सहजयोगी हैं, हमें यह जानना होगा कि हम जो थे उससे कुछ अलग हो गए हैं। हम योगी हैं, हम दूसरों से ऊंचे लोग हैं। और ऐसे में हमें एक बात और भी समझनी होगी कि हम दूसरे इंसानों की तरह नहीं हैं जो कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, जो पाखंड के साथ जी सकते हैं. इसलिए सारी समस्याएं सभी धर्मों से उत्पन्न हुई हैं। एक व्यक्ति जो कहता है कि वह एक ईसाई है, वह पूरी तरह से मसीह विरोधी है; जो कहते हैं कि जो  इस्लामिक है, वह बिल्कुल मोहम्मद विरोधी है; जो कहता है कि वो हिंदू है, बिल्कुल श्रीकृष्ण विरोधी है। यही मुख्य कारण है कि अब तक सभी धर्म असफल रहे हैं, क्योंकि मनुष्य आदर्शों की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। वे सभी कहते हैं कि हमारे पास यह आदर्श है, वह आदर्श है, लेकिन वे खुद आदर्श नहीं हैं, वे उन आदर्शों के साथ नहीं रह सकते। आदर्श उनके जीवन में नहीं हैं, वे बाहर हैं। लेकिन वे यह कहते चले जाते हैं कि ये हमारे Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Money, Sleep, Bhoots, Lethargy Surbiton Ashram, Surbiton (England)

                                             पैसा-भूत-नींद-आलस्य आश्रम में बात, दीवाली पर माँ के साथ अलाव रात सर्बिटन (यूके), 5 नवंबर 1983। मैंने पुरे अमेरिका की एक अति व्यस्त, कठिन यात्रा की है और यह मेरी अपेक्षा से बहुत अधिक था, इसने बहुत अच्छा काम किया और मैं इसके बारे में बहुत खुश हूं। सभी अमेरिकी इंग्लैंड और अन्य देशों के सहज योगियों के बहुत आभारी हैं जिन्होंने इस दौरे में योगदान दिया है और विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्होंने यात्रा की और चक्कर लगाया और उन्हें व्यवस्थित किया। इसलिए मैं आपको बताती हूं कि वे बहुत आभारी हैं, लेकिन आप लोगों के लिए यह संभव नहीं होगा। यह एक बहुत ही कठिन यात्रा थी, निस्संदेह, और ज़ोरदार दौरा और यूरोप के दौरे के बाद यह सब कुछ बहुत अधिक ही था। लेकिन जिस तरह से लोग यहां से गए और उन्हें लिया और आपने पैसे भेजे, उन पर बहुत कम दबाव था और वे इसे बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित कर सके और जैसा कि आप जानते हैं कि हमने सहज योग के बीज बोने के संबंध में बहुत अच्छा किया है। . तो मुझे लगता है कि सहज योग का बीज अब बोया जा चुका है और यह एक बड़ी उड़ान ले सकता है, मुझे यकीन है क्योंकि अमेरिकियों को पता है कि वे बहुत, जड़ों से उखड़े हुए प्रकार के लोग हैं और काफी उथले लोग हैं और कोई यह भी कह सकता है कि वे उनके गुरु हर तीसरे दिन और उनकी कारें हर चौथे दिन और उनकी पत्नियां Read More …

Guru Puja: Awakening the Principle of Guru Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

गुरु पूजा                              “गुरु के सिद्धांत को जागृत करना” लॉजहिल (यूके), 24 जुलाई 1983 आज आप सभी यहाँ गुरु पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। आपकी गुरु, पहले एक माँ है और फिर एक गुरु है और इस बात ने मेरी बड़ी मदद की है। हमने पहले भी कई गुरु पूजन किए हैं, ज्यादातर इंग्लैंड में। और आपको आश्चर्य होना चाहिए कि माँ हमेशा किसी भी तरह गुरु पूजा लंदन में क्यों कर रही हैं। समय चक्र हमेशा इस तरह से चलता है कि, गुरु पूजा के दिनों में, मैं यहां हूं, उस दौरान मुझे लंदन में रहना होगा। इतने सालों से हम इंग्लैंड में गुरु पूजा कर रहे हैं। यदि सभी चीजें ऋतुमभरा प्रज्ञा से होती हैं तो निश्चित ही कोई कारण है की माँ यहाँ गुरु पूजा के लिए इंग्लैंड में है। पुराणों में कहा गया है कि आदि गुरु दत्तात्रेय ने तमसा नदी के किनारे माता की आराधना की थी। तमसा वही है जो आपके थेम्स के रूप में है और वह स्वयं यहां आकर आराधना करते है। और ड्र्यूड्स,( जिसमे की स्टोनहेंज वगैरह की अभिव्यक्ति थी), उस प्राचीन समय से शिव के आत्मा रूपी इस महान देश में उत्पन्न हुआ है। इसलिए आत्मा यहाँ उसी प्रकार बसी हुई है जैसे की मनुष्यों के हृदय में रहती है और सहस्रार हिमालय में है जहाँ कैलाश पर सदाशिव विद्यमान हैं। हमारे यहाँ इतने गुरु पूजन होने का यह महान रहस्य है। इसे संपन्न करने Read More …

Guru Purnima Seminar Part 2: Assume your position Lodge Hill Centre, Pulborough (England)

                                      ऋतुम्भरा प्रज्ञा – भाग II  लॉज हिल (यूके), गुरु पूर्णिमा सेमिनार, 23 जुलाई, 1983। सहज योगी गाते हैं | भय काय तया प्रभु ज्याचा रे  (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? सर्व विसरली प्रभुमय झाली  (x2) हम दिव्यता में सब कुछ भूल जाते हैं पूर्ण जयाची वाचा रे (x2) और हम परमात्मा में पूरी तरह खो जाते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? जगत विचरे उपकारास्त्व (x2) जो दुनिया की भलाई के लिए विचरण करते हैं  परी नच जो जगतचा रे (x2) लेकिन वह दुनिया से संबंधित नहीं है क्योंकि वह पूरी तरह से अलग है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं तो डरने की क्या बात है? इति निर्धन। परस्त्र ज्याचा  (x2) आप बिना किसी बाहरी धन के हो सकते हैं: सर्व धनाचा साचा रे  (x2) धन का असली खजाना अपने अंदर है भय काय तया प्रभु ज्याचा रे(x4) जब हम भगवान से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आधि व्याधि मरणावरती (x2) सभी रोग और मरण जैसी समस्याएं पूरी तरह से भंग हो जाती हैं पाय अशा पुरुषाचे  (x2) ऐसे व्यक्ति के पैर इन सब से ऊपर रहते हैं भय काय तया प्रभु ज्याचा रे (x4) जब हम ईश्वर से संबंधित हैं, तो डरने की क्या बात है? आपका बहुत बहुत धन्यवाद! कोई मेरा अनुवाद करेगा? योगिनी: नहीं। हम चाहेंगे कि आप इसका अनुवाद हमारे लिए करें, कृपया! Read More …

Lord Buddha Brighton (England)

                                                   भगवान बुद्ध                                       सार्वजनिक कार्यक्रम 1983-0526, ब्राइटन, यूके आज, फिर से, यहाँ ब्राइटन में होना ऐसा आनंददायक है; और, धीरे-धीरे और लगातार, मुझे लगता है कि सहज योग इस जगह पर स्थापित हो रहा है। जब मैं पहली बार ब्राइटन केवल मिलने आयी थी, तो मुझे लगा कि इस जगह पर अवश्य ही बहुत से साधक होना चाहिए हैं, जो शायद खो गए हैं और हमेशा एक बड़ी उम्मीद थी कि एक दिन वे वास्तविकता में आने में सक्षम होंगे। आज का दिन बहुत खास है क्योंकि आज भगवान बुद्ध का जन्मदिन है। और सुबह में, मैंने उनके महान अवतार के बारे में सहज योगियों से बात की, और किस तरह वह इस धरती पर आए और उन्हें उनका बोध हुआ, और फिर कैसे उन्होंने बोध का संदेश दूसरों में फैलाने की कोशिश की। बहुत से लोग मानते हैं और सोचते हैं कि क्राइस्ट एक नास्तिक था … बुद्ध एक नास्तिक थे, जबकि क्राइस्ट एक ऐसे व्यक्ति थे जो, ईश्वर में आस्था रखते थे। और कुछ लोग बुद्ध को ईसा मसीह के मुकाबले अधिक पसंद करते हैं। यह कुछ बहुत ही आश्चर्यजनक है … कि जब लोग विशेष परिस्थितियों में पैदा होते हैं, तो उन्हें उन चीजों के बारे में बात करनी होती है जो उस समय बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। जिस समय बुद्ध भारत में इस धरती पर आए थे, उस समय हमारे पास बहुत अधिक ब्राह्मणवाद का कर्मकांड और परमात्मा और धर्म के नाम पर धनार्जन करने वाले व्यवसायी जो भगवान के नाम पर और धर्म के नाम पर Read More …

1st Day of Navaratri: Innocence and Virginity Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                नवरात्रि पूजा, “अबोधिता और कौमार्य” सभी आस्थाओं का मंदिर, हैम्पस्टेड, लंदन (इंग्लैंड) 17 अक्टूबर 1982  आज, यह बहुत अच्छी बात है कि हम इंग्लैंड में वर्जिन (कुँवारी) की पूजा मना रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, सहज योग के अनुसार, इंग्लैंड हृदय है जहां शिव की आत्मा निवास करती है। और यह कि वर्जिन (कौमार्य) को उच्च मान्यता और सम्मान किया जाना चाहिए और इंग्लैंड में पूजा की जानी चाहिए, मुझे लगता है कि सभी सहज योगियों के लिए यह एक बड़ा सम्मान है। अब किसी को यह सोचना होगा कि कुँवारी को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। क्यों एक कुँवारी का उस हद तक सम्मान किया जाता है। कुँवारी की शक्तियां क्या हैं? कि वह उस महिमा के एक बच्चे को गर्भ में धारण कर सकती है जो कि ईसा-मसीह थे, कि वह अपने शरीर से श्री गणेश को बना सके, कि वह अपने बच्चों की अबोध, गतिशील शक्ति की रक्षा कर सके जो निरहंकारी हैं, जो नहीं जानते कि अहंकार क्या है। तो यह महान बल और शक्ति उस शख्सियत में निवास करती है जिसके पास बहुत सारे “गुरु पुण्य” [गुरु गुण] हैं, जिन्होंने पिछले जन्मों में बहुत सारे अच्छे काम किए हैं, जिन्होंने हमेशा यह समझा है कि कौमार्य किसी भी अन्य शक्ति की तुलना में ऊँची शक्ति है और जो कौमार्य और शुद्धता की उसके सभी प्रयासों और देखभाल के साथ रक्षा करेगी। जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे शरीर के भीतर उसे कुंडलिनी के रूप में रखा गया है, जिसका अर्थ है Read More …

Shri Yogeshwara Puja Chelsham Road Ashram, London (England)

(परम पूज्य श्रीमाताजी, श्रीकृष्ण पूजा, चेल्शम रोड, लंदन, 15 अगस्त, 1982) एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि वह योगेश्वर हैं और जो बात हमें समझनी है वह यह है कि जब तक आप योगेश्वर के मार्ग का अनुसरण नहीं करते तब तक स्वयं को पूर्णतया स्थापित नहीं कर सकते हैं। श्रीकृष्ण ने कहा सर्वधर्माणां परितज्य मामेकम् शरणम् व्रज। अपने सभी संबंधियों व संबंधों जैसे अपने भाई, पत्नी, बहनों …. को छोड़कर केवल मुझ एक कृष्ण को भज … देखिये ये सब धर्म हैं जैसे स्त्रीधर्म …. अर्थात एक स्त्री का धर्म क्या है। इसी प्रकार से हम कह सकते हैं राष्ट्रधर्म। आज भारत की स्वतंत्रता का भी दिन है। तो हमारा राष्ट्रधर्म भी है …. हम देशभक्त लोग हैं। अपने देश के लिये प्रेम होना ही राष्ट्रधर्म है। इसके बाद समाजधर्म आता है … अर्थात समाज के प्रति आपका कर्तव्य। इसके बाद पति धर्म इसका अर्थ है पति का पत्नी के प्रति कर्तव्य, पत्नी का पति के प्रति कर्तव्य। सभी के कर्तव्य धर्म कहलाते हैं। लेकिन उन्होंने कहा इन सभी धर्मों को छोड़कर … अपने कर्तव्यों को छोड़कर पूर्णतया मुझको समर्पित हो जाओ … सर्वधर्माणां परितज्य मामेकम् शरणम् व्रज। चूंकि अब आप सामूहिक व्यक्तित्व बन गये हैं … आपका उनके साथ ऐक्य हो गया है … और वही आपके धर्मों की …. कर्तव्यों की रक्षा कर रहे हैं। वहीं उनकी ओर दृष्टि किये हुये हैं … वही उनको शुद्ध कर रहे हैं अतः आपको स्वयं को उनको पूर्णतया समर्पित कर देना चाहिये। उन्होंने उस समय ये बात केवल अर्जुन को Read More …

Mental Projection, Guru Puja Evening Talk Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

[Translation English to Hindi]                   मानसिक कल्पना सहज योगियों से बातचीत   निर्मला पैलेस आश्रम, नाईट एंगल लेन 1982-04-07 नोट [कृपया ध्यान दें श्री माताजी उस समय उपस्थित भारतीय नर्तकियों के लिए अनुवाद करती हैं और मैंने इसे कोष्ठक में (भारतीय भाषा में बोलती है) के रूप में चिह्नित किया है।] श्री माताजी: क्या आप कल सुबह आ सकते हैं, उन्होंने कहा कि शायद यह कल के बाद से बेहतर होगा, ….कुछ न कुछ तर्क संगत, मैंने कहा। ????कृपया बैठ जाइये। अभी वीडियो रिकार्डिंग क्यों कर रहे है आप इसे क्यों रखना चाहते हैं? कुछ अनौपचारिक ढंग खोजें। योगी: नहीं, हम वीडियो नहीं चाहते हैं योगी: इन से लोगों को बहुत मदद मिलती हैं माँ। श्री माताजी: क्या आप ऐसा सोचते हैं? योगी: हाँ माँ ये अनौपचारिक वार्ताएं हैं जो वास्तव में दुनिया भर के लोगों की मदद करती हैं।  योगी: लोगों के लिए योगी: आप इसे रात में देख सकते हैं श्री माताजी: आप इसे रात में देख सकते हैं योगी: क्षमा करें? श्री माताजी: हम्पस्टेड ?? योगी: हां हम इसे रात में देख सकते हैं योगी: मेरा अनुरोध था कि इन अनौपचारिक बातचीत को फिल्माना संभव होगा क्योंकि ये हैं…। श्री माताजी: कौन सी? योगी: अनौपचारिक माँ श्री माताजी: कब योगी: अभी एस एम: यह बहुत ही अनौपचारिक है, मुझे लगता है कि ठीक नहीं है? श्री माताजी: अब, मुझे आशा है कि आप सब समझ गए होंगे कि मैंने आज सुबह क्या कहा था। मुझे लगता है कि फिर से देखा जाना चाहिए,  योगी: हाँ श्री माताजी: आपकी Read More …

The Left Side Problems of Subconscious Christchurch House, Brighton (England)

                “बायाँ पक्ष: अवचेतन की समस्याएं” होव, ब्राइटन के पास, यूके,१३ मई १९८२। [पहले तीन मिनट बिना आवाज के हैं] लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया कि अच्छी जड़ताएँ (कंडीशनिंग) हो सकती है। उसी तरह, आप में अच्छी आदतें और बुरी आदतें हो सकती हैं। आदतें यदि आपके उत्थान को रोकती या बाधित करती हैं, तो वे आपको स्थिर करने में मदद भी कर सकती हैं। जड़ता (कंडीशनिंग) आपके पास उन पदार्थों से आती है जिनके साथ हम दिन-प्रतिदिन का व्यवहार कर रहे हैं। जब कोई इंसान पदार्थों को देखता है, तो वह उन पर अतिक्रमण करता है और वह उस पदार्थ को अपने उपयोग\उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। वह अपने उपयोग\उद्देश्य के लिए पदार्थों के रूपों को बदलता है। वह आराम के रूप में, या जीवन में मदद या मार्गदर्शक के रूप में पदार्थो का उपयोग करने के लिए अभ्यस्त होने लगता है। जितना अधिक आप पदार्थ पर निर्भर होना शुरू करते हैं, उतना ही आपकी सहजता समाप्त हो जाती है, क्योंकि आप निर्जीव के साथ व्यवहार कर रहे हैं। पदार्थ, जब निर्जीव हो जाते है, तभी हम उस से व्यवहार करते हैं। जब यह जी रहा होता है तो हम इसके बारे में ज्यादा परवाह नहीं करते हैं। इसलिए उस पदार्थ की जड़ता हमारे भीतर तब बैठ जाती है जब हम उस पदार्थ को अपने प्रयोजन के लिए प्रयोग करने लगते हैं। लेकिन हम अन्यथा कैसे अपना अस्तित्व बनाये रख सकते हैं, यह सवाल लोग पूछ सकते हैं। अगर भगवान ने हमें यह भौतिक चीजें और इन Read More …

Easter Puja and Havan, The Creation of Lord Jesus Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

ईस्टर पूजा, “प्रभु यीशु मसीह का सृजन”| नाइटिंगेल लेन आश्रम, लंदन (इंगलैंड), १९८२–०४–११| आप सभी को ईस्टर की शुभकामनाएँ। आज हम उस  दिन का उत्सव मना रहे हैं जो बहुत, बहुत महत्वपूर्ण है, पूर्ण रूप से, सबसे अधिक महत्वपूर्ण दिन हम कह सकते हैं जब इतनी महान घटना घटित हुई। और इसे  इसी प्रकार घटित होना था क्योंकि, यह सब एक प्रकार से नियत था|  मेरे पिछले व्याख्यानों में, मैंने आपको बताया है कि किस प्रकार ईसा मसीह का पहले वैकुंठ में सृजन हुआ। ‘देवी महात्म्य’ के अनुसार – यदि आप इसे पढ़ें – उनका सृजन महाविष्णु के रूप में हुआ; और यह बहुत स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है कि पहले उनका सृजन एक अंडे के रूप में हुआ था। यह इस ग्रंथ में लिखा हुआ  है, जो संभवत लगभग  १४००० वर्ष पूर्व लिखा गया था। यह ग्रंथ ईसामसीह के बारे में भविष्यवाणी करता है और और इसलिए लोग, विशेषकर पश्चिम में, एक दूसरे को मित्रता स्वरूप एक अंडा भेंट करते हैं । अतः, पृथ्वी पर सबसे पहले अंडे के रूप में जो अस्तित्व हुआ वह ईसा मसीह थे और उसका एक भाग उसी स्थिति में रखा गया और शेष भाग आदि शक्ति द्वारा , महालक्ष्मी द्वारा , ईसा मसीह के सृजन में उपयोग किया गया। उस प्राचीन ग्रंथ में उन्हें ‘महाविष्णु’ कहा गया, अर्थात विष्णु का महत्तर स्वरूप। किंतु वास्तव में, विष्णु पिता हैं और वे आदिशक्ति द्वारा सृजित पुत्र हैं। मेरे व्याख्यान के पश्चात मैं चाहूँगी, यदि आपके पास वह ग्रंथ हो, तो  इनके लिए पढ़ा जाए- Read More …

Shri Rama Navami Puja Chelsham Road Ashram, London (England)

                                              श्री राम नवमी  चेल्शम रोड, लंदन, इंग्लैंड, 2 अप्रैल 1982 (श्री माताजी बता रहे हैं कि नए लोगों से कैसे बात करें) इसलिए सबसे पहले आपको ऊर्जाओं के बारे में बात करना शुरू करना चाहिए कि:  ये ऊर्जाएँ हमारे भीतर चल रही हैं और वे कैसे सक्रिय होती हैं। फिर आप तीसरी ऊर्जा की बात करते हैं जो वही है जिसने हमें विकसित किया है, और इस तरह हम यहां  हैं। और आप स्वयं  के बारे में बात करते हैं, अपने नियंत्रक के बारे में , जो आप को नियंत्रित कर रहा है, आत्मा। इसलिए यदि आप एक अमूर्त रेखा पर चलते हैं, तो यह बहुत ही आकर्षक होगा। फिर बाद में, एक बार जब आप अपने भीतर स्थित ऊर्जाओं के बारे में बात कर चुके होते हैं, ऐसे, वैसे, यह, – तो आप देखेंगे कि, -एक बार लोग अहंकार महसूस करेंगे, “ओह, हमारे पास ये ऊर्जाएं हैं। हम इन ऊर्जाओं का उपयोग कर सकते हैं, ऐसा कर सकते हैं , वैसा कर सकते हैं। ” और फिर बाद में, आप उन्हें सहज योग तक ले जाते हैं। लेकिन शुरूआत में हम अमूर्त की बात करते हैं। क्योंकि भारतीय अलग हैं, मेरा मतलब है कि पश्चिमी लोग अलग हैं। वे धर्म से तंग आ चुके हैं, वे इस सब से थक चुके हैं। इसलिए अगर आप धर्म की बात करते हैं तो यह एक समस्या पैदा करता है। इसीलिए, शुरुआत में, वेद, जब लिखे गये थे, उन्होंने भगवान या देवताओं की बिल्कुल भी बात नहीं की थी। उन्होंने निर्माता रूपी Read More …

दिवाली पूजा Chelsham Road Ashram, London (England)

दिवाली पूजा चेल्शम रोड आश्रम, लंदन (यूके) – 1 नवंबर, 1981 आज मैंने आपको लक्ष्मी सिद्धांत के महत्व और तीन प्रक्रियाओं के बारे में बताया जिनसे हम गुजरते है । पहला गृह लक्ष्मी है। असल में,अधिकतर यह चंद्रमा के तेरहवें दिन मनाया जाता है, जहां वे कहते हैं कि गृहिणी को कुछ उपहार देना चाहिए। और सबसे अच्छी चीज जो है वह एक बर्तन है। तो लोग उसे कुछ बर्तन देते हैं, वास्तव में यह एक बहुत ही पारस्परिक बात है, क्योंकि यदि आप एक बर्तन देते हैं, तो उसे आपके लिए खाना बनाना चाहिए। यह सुझाव देने का एक बहुत ही प्यारा तरीका है कि आप हमारे लिए कुछ पकाइये। तब चौदहवा दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उस दिन देवी शक्ति के रूप में है, क्योंकि यह कार्तिकेय थे जिन्होंने नरकासुर, शैतान को मार डाला था। और वह सबसे बुरों में से एक था, जिसे मारा न जा सका था। इसलिए शिव और पार्वती, इस शक्तिशाली शक्तिपुत्र को उत्पन्न करने के लिए, इस विशेष उद्देश्य के लिए विवाहित हुए थे, जिसका मतलब वह शक्ति का पुत्र है, जिसे कार्तिकेय कहा जाता है। और वह सिर्फ इस भयानक शैतान जिसे नरकासुर कह जाता था , को मारने के लिए पैदा हुआ था। और उसने मारा। वह दिन है, चौदहवें दिन। यह उस दिन हैलोवीन की तरह कुछ है। क्योंकि वह दिन है जब उन्होंने नरक के द्वार खोले और सभी शैतानों को नरक में डाल दिया। और यही कारण है कि उस दिन सुबह को जितना संभव हो सके आराम Read More …

Shri Krishna Puja, There is a war going on Birmingham (England)

Shri Krishna’s Birthday Puja, Bala’s home, Tamworth, Birmingham (UK), 15 August 1981 वे इस तरह हमला कर रहे हैं की वे सूचनाओ को आप के मस्त्रिष्क में डाल रहे है . अब, हमें यह जानना होगा कि शैतानी बलों और दिव्य शक्तियों के बीच एक युद्ध जारी है अब आप ऐसे लोग हैं, जिन्होंने दिव्य होना चुना है। लेकिन, भले ही आपने इसे चुना है, और इश्वर ने तुम्हें स्वीकार कर लिया है, और आपको अपनी शक्तियां भी दी हैं, फिर भी आपको पता होना चाहिए कि आप अभी भी बहुत नाज़ुक हैं, बहुत, नकारात्मकता की चपेट मे आने के लिए। अब हमेशा, किसी को भी यह याद रखना होगा कि दिव्यता किसी भी मामले में जीत ही जाएगी: इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। मान कि, आप दिव्यता को असफल होने देते हैं, तो यह आप की ही हार होगी,दिव्यता की नहीं। यदि आप सभी दैवीय शक्तियों को असफल होने देते हैं, तो आप को नकारात्मकता के रूप में नष्ट कर दिया जाएगा, अंतिम विनाश में,दिव्य शक्तियों उन सभी को खत्म करेगी जो शैतानी है, इस बारे में कोई संदेह नहीं है। लेकिन यह भी एक मुद्दा है कि कितने लोगों को नष्ट किया जा रहा है, आपको सभी को बहुत जागरूक होना पड़ेगा कि आप बचाए जावें ,और आप उन लोगों में से ना होंगे जोसमाप्त हो जाएँ . जितने भी हम बचाएंगे, उतना ही हमारा आनंद होगा; हम जितने अधिक लोग बचाएंगे अधिक बड़ी शक्ति बह रही होगी और उस प्रभाव का असर इस तरह होगा Read More …

The Scientific Viewpoint Birmingham (England)

                                               वैज्ञानिक दृष्टिकोण बर्मिंघम (यूके), 14 अगस्त 1981। बाला एक वैज्ञानिक हैं और उसकी तरह के अन्य लोग हैं जो विज्ञान से मोहित हैं। ऐसा लगता है कि पूरा आधुनिक विश्व विज्ञान से बहुत अधिक प्रभावित है। लेकिन एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को एक बहुत ही खुले दिमाग वाला रवैया होना चाहिए जैसा कि उन्होंने आपको बताया है। हमें सबसे पहले अपने भीतर कुछ निष्कर्षों पर पहुंचना होगा। दूसरे आपको यह समझना होगा कि यदि आपके सामने कोई परिकल्पना रखी जाती है तो उसे पहले देखा जाना चाहिए, उस पर प्रयोग किया जाना चाहिए और फिर सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। अब प्राचीन काल से, चाहे भारत में, इंग्लैंड में, अमेरिका में, यरुशलम में, कहीं भी, हम सर्वव्यापी शक्ति के बारे में सुनते आ रहे हैं, दूसरा जन्म या आत्म-साक्षात्कार, आत्मा साक्षात्कार, बपतिस्मा जैसा कि वे इसे कहते हैं। ये सब बातें जो हमने सुनी हैं, उन्हें सिद्ध करना है या उन्हें असत्य समझकर त्याग देना चाहिए। हम सत्य और असत्य दोनों को साथ साथ नहीं चला सकते। तो हमें यह पता लगाना होगा कि इन लोगों ने हमें जो भी बताया है,  क्या यह पूरी तरह से झूठ था और ऐसा कुछ भी नहीं था, जो अस्तित्व में था। यह एक आसान तरीका है जिसमें कुछ लोगों ने यह कहकर खारिज कर दिया है कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई दैवीय शक्ति नहीं है। यह सब बेकार चीजें हैं; हम उनकी ओर पीठ करके व्यर्थ ही नहीं जा रहे हैं। ऐसा करना बहुत आसान है। दूसरों ने आँख Read More …

Guru Purnima Chelsham Road Ashram, London (England)

आपको समझना होगा कि स्वयं से इस भौतिकता के लबादे को हटाने के लिये आपको अपने ऊपर कार्य करना होगा। और एक बार जब आपने इसे नियिंत्रत कर लिया तो कम से कम ….. अब आप कहीं भी सो सकते हैं अगर नहीं तो कुछ समय तक जमीन पर सोने का प्रयास करें। सन-टैनिंग के लिये आप क्या नहीं करते हैं … लोग इन बेवकूफियों के लिये स्वयं को रोक ही नहीं सकते हैं क्योंकि इन विचारों को आपके अंदर डाला गया है। इन विचारों को डालने वालों ने आपको शोषण किया है … आपको ये करना चाहिये … वो करना चाहिये… ये करना आवश्यक है … वो करना आवश्यक है। उन्हें तो बस अपने उत्पादों को बेचना है। कभी-कभी उपवास करने का प्रयास करें। मैंने भारतीयों को उपवास करने से मना किया है क्योंकि वे उपवास ही करते रहते हैं। छोटी-छोटी बातों के लिये वे उपवास करते हैं। भारत में अन्न की कमी है … इसलिये वे उपवास करते हैं। उनको उपवास करने की क्या जरूरत है? लेकिन यहाँ के लोगों के लिये ये आवश्यक है कि वे उपवास करना सीखें और भोजन की ओर ज्यादा ध्यान न दें। भोजन के प्रति आकर्षण का अर्थ है कि आपकी इंद्रियां आपको पागल बना रही हैं…. हैं कि नहीं? हमको सबसे पहले अपने शरीर और बाद में इंद्रियों पर आक्रमण करना चाहिये। हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हमारी जीभ है। ये दो प्रकार से कार्य करती है। एक तो स्वाद … खाने का स्वाद और दूसरे ये कड़वे बोलों से दूसरों पर Read More …

Subconscious, Supraconscious and Our Correct Ideals Chelsham Road Ashram, London (England)

                     अवचेतन, अतिचेतन  चेल्शम रोड, क्लैफम, लंदन (यूके) 24 मई 1981 …इन लोगों ने इसे देखा और सोचा वे एक तरह के पागल लोग हैं। ऐसी सभी प्रकार की संभावित बातें। और नया सिद्धांत यह है कि मन कुछ नहीं कर सकता। लोग कहते हैं कि बेहतर होगा कि आप कुछ ऐसा करें जो आपके मन के नियन्त्रण के बाहर हो, आप देखिए। लेकिन इसका एक आसान सा जवाब है; मैं कहती हूँ देखते हैं, सरल उत्तर क्या है? आइए देखते हैं। सहजयोगी… ब्रेन ट्रस्ट से?  सरल उत्तर क्या है? देखिये, वे कहते हैं कि, मन सीमित है, ठीक है, तो मन जो कुछ भी करता है वह सीमित है। तो अगर कोई ऐसे प्रयास हों जिनके द्वारा आप हमारे मन पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो हम जो कुछ भी करते हैं, वह मन की क्रिया है। तो अगर इस प्रकार का कुछ किया जाता है, तो यह स्वतःस्फूर्त होता है, उनके अनुसार “यह स्वतःस्फूर्त है!” तो किसी अन्य को यह करने दो। मेरा मतलब है कि यह कुछ कुछ इस प्रकार है जैसे कि परमात्मा आपके साथ कर रहा है।” आइए सभी बुद्धिजीवियों को नीचे रखें! आप इसका क्या जवाब देते हैं? क्या आपने सुना है कि लिंडा [विलियम्स (पियर्स)]? प्रश्न बहुत सरल है। प्रश्न यह है कि वे कह रहे थे कि मन सीमित है। ठीक है? नमस्कार। क्या मारिया यहाँ है? मैं उसके बारे में सोच रही थी। वह कहाँ हॆ? मैं उसे देख नहीं पा रही। नमस्कार! मैं आज तुम्हारे बारे में सोच रही थी, किसी Read More …

The Right Side Caxton Hall, London (England)

                                                 “राइट साइड,”  कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 18 मई 1981। मैं आपसे राइट साइड, दायें तरफ की अनुकंपी प्रणाली Right Side sympathetic nervous system के बारे में बात करूंगी, जो हमारी महासरस्वती की सूक्ष्म ऊर्जा द्वारा व्यक्त की जाती है, जो हमें कार्य करने की शक्ति देती है। बाईं बाजु से हम कामना करते हैं और दाईं ओर, पिंगला नाड़ी की शक्ति का उपयोग करके, हम कार्य करते हैं। मैं उस दिन आपको राइट साइड के बारे में बता रही थी। आइए देखें कि हमारा राइट साइड कैसे बनता है। जो लोग पहली बार आए हैं उनके लिए मुझे खेद है लेकिन हर बार जब मैं विषय का परिचय शुरू करती हूं, तो फिर वही हो जाता है लेकिन बाद में मैं आपको सहज योग के बारे में समझाऊंगी। अब यह दाहिनी ओर, पिंगला नाडी, एक बहुत ही महत्वपूर्ण ऊर्जा देने वाली शक्ति है जो हमें कार्य करने और सक्रिय करने के लिए प्रेरित करती है। अब यह सभी पांच तत्वों से बना है: आप उन सभी पांच तत्वों को जानते हैं जिन्होंने हमारे भौतिक अस्तित्व और हमारे मानसिक अस्तित्व को बनाया है। इस तरह यह हमारी सभी शारीरिक और मानसिक समस्याओं, मानसिक गतिविधियों और मानसिक और शारीरिक विकास को पूरा करने में हमारी मदद करता है। अब यह, उन पांच तत्वों द्वारा निर्मित होने के कारण, जब, पहली बार, मनुष्य किसी भी संदर्भ में कुछ कार्रवाई करने के बारे में सोचने लगे, जैसे कहो भारत में उन्होंने पहले विचार किया कि, “क्यों नहीं, किसी न किसी तरह, इन तत्वों के Read More …

Christ and Forgiveness Caxton Hall, London (England)

इसा मसीह और क्षमा कैक्सटन हाल, यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) 11 मई, 1981 …उस सत्य की खोजना जिस के बारे में सभी धर्मग्रंथों में वर्णन किया गया है। सभी ग्रंथों में कहा गया है कि, आप का पुनर्जन्म होना है। आप का जन्म होना है, उस  के बारे में पढ़ना नहीं है, सिर्फ यह कल्पना नहीं करनी कि आपका पुनर्जन्म हुआ है, सिर्फ यह विश्वास नहीं करना कि आप का पुनर्जन्म हुआ है या फिर कोई नकली कर्मकाण्ड जो यह प्रमाणित करता है आप दोबारा जन्मे है उस को स्वीकारना नहीं है अपितु निश्चित रूप से हमारे अंदर कुछ घटित होना चाहिए। सच्चाई का कुछ अनुभव तो हमारे अंदर होना ही चाहिए। यह सिर्फ कोई विचार नहीं है कि ये ऐसा है कि, हां! हां! हमारा पुनर्जन्म हुआ है! अब हम चुने हुए लोग हैं! हम सब से बढ़िया लोग हैं! परंतु निश्चित ही कुछ है कि हमारे अंदर कुछ क्रमागत उत्क्रांति है जो प्रकट होनी चाहिए, जिस की सभी धर्मग्रंथों में भविष्यवाणी की गई है। बिल्कुल भी कोई अपवाद नहीं है! हिंदू धर्म से शुरू कर के आज के सब से अधिक आधुनिक व्यक्तित्व, जो हम कह सकते हैं कि नए गुरु नानक है, हम कह सकते हैं कि ये वो हैं जिन्होंने धर्मग्रंथ लिखा। कुरान में साफ़ कहा गया है कि, आप को पीर बनना है,  वह जिसके पास ज्ञान है। वेद स्वयं यही कहते हैं, वेद पढ़ने से, वेद का अर्थ है ‘विद’ माने जानना, अगर आप नहीं जानते तो यह बेकार है।’ पहले अध्याय में, पहले छंद Read More …

Sahasrara Puja: Heart must be kept absolutely clean Chelsham Road Ashram, London (England)

सहस्रार पूजा – चेल्शम रोड, लंदन (यूके), ४ मई १९८१   … ऐसी खुशी आप सभी के पास वापस आने की है। मुझे यहां आने की प्रतीक्षा थी । मुझे आपके सारे पत्र और अभिवादन और वह सब मिला, जो आपने बताया था। यह बहुत स्नेही और बहुत उत्साहजनक था आपकी प्रगति के बारे में जानने के लिए और जब मैं वास्तव में बहुत, बहुत, बहुत कठिन कार्य कर रही थी, तो मैं आपके बारे में सोचती थी और मैं इस विचार को अपने दिमाग में डाल देती थी कि एक दिन आएगा जब विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी का अवतरण आना चाहिए। मैं ऑस्ट्रेलिया गयी और मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस तरह से चमत्कार हुए उस देश में । ऐसा पुराणों में कहा जाता है कि त्रिशंकु नामक एक संत थे, जिन्होंने कुछ गलती, थोड़ी गलती की और उन्हें दक्षिणी क्रॉस के रूप में भेजा गया और कहा गया ,हवा में लटकते हुए कि आपको अपना स्वर्ग अवश्य बनाना चाहिए। और वास्तव में ऑस्ट्रेलिया स्वर्ग है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह मूलाधार है। वह मूलाधार है।  लोग निश्चित रूप से सभी तरह की धारणायें बना रहे हैं, अत्यधिक अध्यन, क्यूंकि  हम यहां हैं। हमने इन सभी गलत धारणाओं को भी काफी हद तक स्वीकार कर लिया है। लेकिन किसी तरह मैं इसे अभी भी ह्रदय  ही ह्रदय  में महसूस करती हूं, उन्हें लगता है कि यह जीवन का सही तरीका नहीं हो सकता है और उन्हें अभी भी लगता है कि वे जो कुछ करते हैं वह पूरी तरह Read More …

You are to become Prophets, Guru Nanak’s Birthday Puja Temple of All Faiths, Hampstead (England)

                  “तुम्हें पैगंबर बनना है”  गुरु नानक जयंती पूजा   हैम्पस्टेड मंदिर, लंदन (यूके), २३ नवंबर १९८०। आज गुरु नानक के जन्मदिन का विशेष दिन है। हमने एक गुरु पूजा मनाई है और जैसा कि आप जानते हैं कि गुरु नानक भी आदि गुरु के अवतार थे। वही आत्मा इस पृथ्वी पर आई। और वह वही है जिसने मोहम्मद के काम को फिर से स्थापित करने की कोशिश की। मोहम्मद उसी आत्मा के अवतार थे – आदि गुरु। वह इस धरती पर धर्म की स्थापना के लिए आए थे। इस्लाम उस धर्म का नाम है, हर सहज योगी का, हर ईसाई का, हर हिंदू का धर्म है। हम सभी एक धर्म के हैं जो सामूहिकता की नई धारणा के प्रति हमारी जागरूकता का विस्तार करने में विश्वास करता है। मानव स्तर से उच्च स्तर तक जहां आप दिव्य शक्ति को अनुभव कर सकते हैं और अभिव्यक्त कर सकते हैं। यही वह धर्म है जिसका हम पालन कर रहे हैं। इस धरती पर सभी धर्मों की स्थापना साधकों को उत्पन्न करने के लिए हुई है। आप साधक हैं। आप “भगवान के व्यक्ति ” हैं। अब तुम सबको पैगंबर बनना है। और पैगंबर बनने के लिए आज का सहज योग महायोग का रूप ले चुका है। आप सभी को पैगंबर बनना है। पैगंबरों के पास दो विशेष गुण हैं, जैसा कि सभी पैगंबरों के पास थे: सबसे पहले, उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा के बारे में बात करनी होगी। उन सभी ने ऐसा किया। मोहम्मद साहब ने किया, राजा जनक ने किया, नानक ने किया, मूसा Read More …

Diwali Puja Temple of All Faiths, Hampstead (England)

(श्री दीवाली पूजा, हॅम्पस्टेड (लंदन), 9 नवम्बर 1980) आपको मालूम होना चाहिये कि आप एक ही परिवार के सदस्य हैं। किसी को भी युद्ध नहीं करना है, किसी को भी एक दूसरे से महान नहीं बनना है, किसी को भी दूसरे में सुधार लाने की आवश्यकता नहीं है, किसी को भी यह नहीं कहना है कि मैं कुछ अनोखा ही व्यक्ति हूं। आप सबको एक साथ मिलकर कार्य करना है और साथ में कार्य करते हुये प्रेम व मित्रता से समस्याओं का समाधान ढूंढ निकालना है। कोई भी जो स्वयं को अन्य लोगों से अलग कर कुछ और ही बनने का प्रयास करता है वह बाहर (सहज से) चला जाता है और सहज के लिये वह व्यक्ति एकदम किसी काम का नहीं है …. इस तरह का व्यक्ति एकदम बेकार है… जो सहज परिवार से बाहर जाने का प्रयास करता है। आप सबको एक दूसरे का साथ देना है, एक दूसरे की सहायता करनी है, किसी पर चिल्लाना नहीं है और एक दूसरे पर क्रोध भी नहीं करना है…. एक दूसरे पर भरोसा रखना है, उनके दोष नहीं देखने हैं और एक दूसरे को आदर, प्रेम व सम्मान से देखना है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण चीज है कि सहजयोगी ये नहीं समझते हैं कि आप सब संत है और आपको सबका सम्मान करना है। उदा0 के लिये आपको किसी पर भी संदेह नहीं करना है … बिल्कुल नहीं … सहज में इसकी बिल्कुल भी आज्ञा नहीं है और यह बात बिल्कुल निषिद्ध है। सावधान रहें…. मैं तो ये भी कहूंगी कि Read More …