Mother’s Day Puja: Talk on Children University of Birmingham, Birmingham (England)

                  मदर्स डे पूजा, बच्चों पर बात बर्मिंघम, इंग्लैंड 21 अप्रैल 1985। कृपया बैठ जाएँ। गेविन नहीं आया है? क्या गैविन नहीं है? बच्चों के साथ महिलाओं को भी पूजा के लिए बैठना चाहिए। वे अभी तक नहीं आए हैं? किसी को जाकर बताना होगा। योगी: कार वाला कोई व्यक्ति कृपया मुख्य बिंदु तक जाए और लोगों को बताएं कि उन्हें पहुंचना चाहिए। बेहतर हो कोई कार वाले सज्जन। श्री माताजी: ये क्या कर रहे हैं? योगिनी: हमें दोपहर बारह से पहले कमरे खाली करने होंगे। योगी: माँ, हमें अभी-अभी बताया गया है कि हमें अपने कमरे को बारह बजे तक खाली करना होगा, इसलिए इससे थोड़ा भ्रम हुआ है। श्री माताजी: क्यों? योगी: क्योंकि अधिकारी बारह बजे तक अपने कमरे वापस चाहते हैं। श्री माताजी: ओह, मैं समझी हूँ। तो फिर… योगी: क्या उन्हें अपने कमरे भी जल्दी खाली करने की कोशिश करनी चाहिए? श्री माताजी: हाँ। लेकिन मैं पूजा को बहुत पहले खत्म कर दूंगी, ग्यारह तीस के करीब। वे तब जा सकते थे। क्योंकि अगर आप देर से शुरू करते हैं, तो फिर से देर हो जाएगी। किसी भी मामले में मुझे पूजा को जल्दी खत्म करना होगा, क्योंकि मैं पहले जा रही हूं। योगी: क्या कई लोग जिनके पास कार है वास्तव में लोगों को हॉल में वापस आने में मदद कर सकते हैं …? श्री माताजी: या वे अपने रास्ते पर हो सकते हैं। क्या वे सब एक साथ आ रहे हैं? बस सुनिश्चित करें कि, क्या वे एक साथ आ रहे हैं। जल्दी चलो, साथ Read More …

Seminar, Mahamaya Shakti, Evening, Improvement of Mooladhara University of Birmingham, Birmingham (England)

                                            महामाया शक्ति बर्मिंघम सेमिनार (यूके), 20 अप्रैल 1985. भाग 2 श्री माताजी: कृपया बैठे रहें। क्या यह सब ठीक है? क्या आप ठीक रिकॉर्ड कर रहे हैं? सहज योगी: हाँ माँ तो इसी तरह से महामाया के खेल होते हैं | उन्होंने हर चीज की योजना बनाई थी। उनके पास सारी व्यवस्था बनायीं थी और साड़ी गायब थी। ठीक है। तो उन्होंने आकर मुझे बताया कि साड़ी गायब है, तो अब क्या करना है? उनके अनुसार, आप साड़ी के बिना पूजा नहीं कर सकती हैं। तो मैंने कहा, “ठीक है, चलो इंतजार करते हैं ।” यदि यह साडी समय पर आती है तो हम पूजा करेंगे; अन्यथा हम यह बाद में कर सकते हैं। लेकिन मैं बिलकुल भी परेशान नहीं थी,ना अव्यवस्थित । क्योंकि मुझे इसका कोई मानसिक अनुमान नहीं है। लेकिन अगर आपके पास एक मानसिक अवधारणा है की , “ओह, हमने सब कुछ प्रोग्राम किया है, सब कुछ व्यवस्थित किया है। हमने यह कर लिया है और अब यह व्यर्थ जा रहा है। ” कोई बात नहीं कुछ भी  फिजूल नहीं है। [हसना] लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते। चूँकि आपने आज मुझसे पूछा था, “महामाया क्या है?”, यही है वो महामाया । [हसना] आपको अपने मार्ग में जो कुछ भी आता है उसे स्वीकार करना सीखना चाहिए। यह भी एक चीज़ है और चूँकि हम एक मानसिक कल्पना कर लेते हैं इसलिए,यहाँ हम निराश, क्रोधित, परेशान हो कर और अपने आनन्द को बिगाड़ लेते हैं। मानसिक रूप से हम कुछ गणना करते हैं। ऐसा होना ही है। Read More …

Shri Krishna Puja, There is a war going on Birmingham (England)

Shri Krishna’s Birthday Puja, Bala’s home, Tamworth, Birmingham (UK), 15 August 1981 वे इस तरह हमला कर रहे हैं की वे सूचनाओ को आप के मस्त्रिष्क में डाल रहे है . अब, हमें यह जानना होगा कि शैतानी बलों और दिव्य शक्तियों के बीच एक युद्ध जारी है अब आप ऐसे लोग हैं, जिन्होंने दिव्य होना चुना है। लेकिन, भले ही आपने इसे चुना है, और इश्वर ने तुम्हें स्वीकार कर लिया है, और आपको अपनी शक्तियां भी दी हैं, फिर भी आपको पता होना चाहिए कि आप अभी भी बहुत नाज़ुक हैं, बहुत, नकारात्मकता की चपेट मे आने के लिए। अब हमेशा, किसी को भी यह याद रखना होगा कि दिव्यता किसी भी मामले में जीत ही जाएगी: इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। मान कि, आप दिव्यता को असफल होने देते हैं, तो यह आप की ही हार होगी,दिव्यता की नहीं। यदि आप सभी दैवीय शक्तियों को असफल होने देते हैं, तो आप को नकारात्मकता के रूप में नष्ट कर दिया जाएगा, अंतिम विनाश में,दिव्य शक्तियों उन सभी को खत्म करेगी जो शैतानी है, इस बारे में कोई संदेह नहीं है। लेकिन यह भी एक मुद्दा है कि कितने लोगों को नष्ट किया जा रहा है, आपको सभी को बहुत जागरूक होना पड़ेगा कि आप बचाए जावें ,और आप उन लोगों में से ना होंगे जोसमाप्त हो जाएँ . जितने भी हम बचाएंगे, उतना ही हमारा आनंद होगा; हम जितने अधिक लोग बचाएंगे अधिक बड़ी शक्ति बह रही होगी और उस प्रभाव का असर इस तरह होगा Read More …

The Scientific Viewpoint Birmingham (England)

                                               वैज्ञानिक दृष्टिकोण बर्मिंघम (यूके), 14 अगस्त 1981। बाला एक वैज्ञानिक हैं और उसकी तरह के अन्य लोग हैं जो विज्ञान से मोहित हैं। ऐसा लगता है कि पूरा आधुनिक विश्व विज्ञान से बहुत अधिक प्रभावित है। लेकिन एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को एक बहुत ही खुले दिमाग वाला रवैया होना चाहिए जैसा कि उन्होंने आपको बताया है। हमें सबसे पहले अपने भीतर कुछ निष्कर्षों पर पहुंचना होगा। दूसरे आपको यह समझना होगा कि यदि आपके सामने कोई परिकल्पना रखी जाती है तो उसे पहले देखा जाना चाहिए, उस पर प्रयोग किया जाना चाहिए और फिर सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। अब प्राचीन काल से, चाहे भारत में, इंग्लैंड में, अमेरिका में, यरुशलम में, कहीं भी, हम सर्वव्यापी शक्ति के बारे में सुनते आ रहे हैं, दूसरा जन्म या आत्म-साक्षात्कार, आत्मा साक्षात्कार, बपतिस्मा जैसा कि वे इसे कहते हैं। ये सब बातें जो हमने सुनी हैं, उन्हें सिद्ध करना है या उन्हें असत्य समझकर त्याग देना चाहिए। हम सत्य और असत्य दोनों को साथ साथ नहीं चला सकते। तो हमें यह पता लगाना होगा कि इन लोगों ने हमें जो भी बताया है,  क्या यह पूरी तरह से झूठ था और ऐसा कुछ भी नहीं था, जो अस्तित्व में था। यह एक आसान तरीका है जिसमें कुछ लोगों ने यह कहकर खारिज कर दिया है कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई दैवीय शक्ति नहीं है। यह सब बेकार चीजें हैं; हम उनकी ओर पीठ करके व्यर्थ ही नहीं जा रहे हैं। ऐसा करना बहुत आसान है। दूसरों ने आँख Read More …

What are we inside? Carrs Lane Church Centre, Birmingham (England)

                      हम अंदर क्या हैं?  पब्लिक प्रोग्राम,  कैरस लेन चर्च सेंटर, कैर्स लेन, बर्मिंघम बी४ ७एसएक्स (इंग्लैंड), ९ अगस्त १९८०। मुझे देर से आने के लिए वास्तव में खेद है लेकिन केवल आपके ग्रैंड होटल ने ही मुझे देरी करवाई | हमने पैंतालीस मिनट पहले से चाय का आर्डर दिया था और वे हमारे लिए चाय नहीं बना सके! अब हमारे यहाँ क्या हो रहा है? हमें यह समझना होगा कि इस आधुनिक समय में लोग सामान्य नहीं हैं। कहीं न कहीं उनके साथ कुछ गलत हो रहा है। और शायद हमारे भीतर कुछ गंभीर हो रहा है, जो बाहर ऐसा सामूहिक प्रभाव दे रहा है। अब परेशानी यह है कि हम नहीं जानते कि हम अंदर क्या हैं। जब तक हम यह नहीं जान लेते कि हम क्या हैं, जब तक हमारे भीतर प्रकाश नहीं होगा, तब तक हम यह नहीं समझ सकते कि हमारे साथ समस्या क्या है। हम जो कुछ भी हमारी सीमित जागरूकता से जानते हैं उसे स्वीकार करते हैं। क्योंकि मानव जागरूकता उस फलदायी स्थिति तक नहीं पहुंची है जहां कोई यह कह सके कि, “मैं निश्चित रूप से जानता हूं कि यह मेरा उपयोग है। मैं निश्चित रूप से जानता हूं कि मैं यहां क्यों हूं। मैं निश्चित रूप से जानता हूं, मेरा उद्देश्य क्या है – मैं अमीबा अवस्था से मनुष्य क्यों बना; मुझे इंसान बनाने के लिए प्रकृति ने ये सब मुसीबतें क्यों उठाईं। हम इन सवालों के जवाब बिल्कुल नहीं दे पाए हैं। लेकिन इंसान का दिमाग ऐसा है कि वह हर Read More …

This is not the work of mediocres Doctor Johnson House, Birmingham (England)

             “यह औसत दर्जे के लोगों का काम नहीं है” सार्वजनिक कार्यक्रम, डॉ जॉनसन हाउस, बर्मिंघम (यूके), १६ जून १९७९। मुझे वास्तव में खेद है कि हम यहाँ एक ऐसी ट्रेन से पहुँचे, जो लेट थी। चीजों को ईश्वर की समय योजना के अनुसार घटित होना होता है, आप अपनी चीजों की योजना खुद नहीं बना सकते। और इसी तरह कभी-कभी किसी को देर से होना पड़ता है और कभी-कभी किसी को समय से पहले होना पड़ता है। लेकिन एक बात निश्चित है: तुम्हारे अस्तित्व की अंतिम घटना का नियत समय आ चुका है। यह जीव जीवन के विभिन्न चरणों से गुजर रहा है। आप जानते हैं कि, आप एक छोटा सा अमीबा और फिर एक मछली, एक सरीसृप रहे हैं, और इस तरह उत्क्रांति तब तक चलती रही जब तक आप आज, यहां, एक इंसान के रूप में बैठे हैं। यह सब आपके साथ आपकी जानकारी के बिना, आपके विचार-विमर्श के बिना हुआ है। और आपने यह मान लिया है कि आप एक इंसान हैं और एक इंसान के रूप में सभी अधिकार आपके अपने हैं। उसी तरह आप जो हैं उससे ज्यादा कुछ बनने का अधिकार है, क्योंकि आज भी आप नहीं जानते कि आपका उद्देश्य क्या है, आपको बनाने के लिए यह सब प्रयास क्यों किया गया? इस जीवन का अर्थ क्या है? क्या यह अर्थहीन है? बस आप हजारों वर्षों तक अकारण ही बनाए गए थे? इस तरह से कि कितनी नामंजूर कर दी गईं, कितनी ही आकृतियां अस्वीकृत कर दी गईं, कितने रूपों को ठुकरा दिया Read More …

Conceive something beyond Doctor Johnson House, Birmingham (England)

                                          सार्वजनिक कार्यक्रम डॉ जॉनसन का घर, बर्मिंघम (इंग्लैंड)  31 मई 1979 [एक योगी द्वारा परिचय]: [अस्पष्ट] आध्यात्मिक व्यक्तित्व जिसने पृथ्वी पर पुनर्जन्म लिया है और उन्होने हममें से बहुतों को हमारे वास्तविक स्वरूप का बोध कराया है और मुझे आशा है कि आप सभी आज रात खुले दिमाग से यहां बैठेंगे और कोशिश करेंगे और जो वे आपको देना चाहती हैं वो प्राप्त करेंगे। और मैं केवल इतना ही कह सकता हूं कि आप बस उनके तरफ अपने हाथ रखें, आराम से बैठें और सुनें कि माताजी को क्या कहना है। [श्री माताजी बोलते हैं]: मैं बाला और फिलिप, मेरे सभी बच्चों की आभारी हूं, जो इस हॉल की व्यवस्था करने में सक्षम हुए और आप सभी को इस कार्यक्रम के लिए यहां बुलाया है।  जब भी इस धरती पर अवतार आए, उससे आधुनिक समय वास्तव में बहुत अलग है। जब क्राइस्ट इस धरती पर आए थे तब और आज जब किसी को साधकों का सामना करना पड़ता है तो इतना बड़ा अंतर है। ईसा के समय कोई साधक नहीं था, एक भी साधक नहीं था। जब वे इस पृथ्वी पर आए, तो उन्हें वास्तव में लोगों को समझाना पड़ा, उन्हें उनके लिए किसी प्रकार की समझाइश देना थी कि उन्हें इच्छा करनी चाहिए, कि परे कुछ ऐसा है जिसके लिए उन्हें प्रार्थना करना चाहिए। लेकिन आज यह बहुत अलग बात है, आज हमारे पास एक नहीं बल्कि लाखों साधक हैं; विशेष रूप से पश्चिम में, लोग खोज रहे हैं। कुछ परे की कल्पना करने की हमारी क्षमता के माध्यम Read More …