Shri Durga Mahakali Puja: France is going down and down Paris (France)

                        श्री दुर्गा महाकाली पूजा पेरिस(फ्रांस)                                                                                                                                  २५ जुलाई १९९२ आज हमने दुर्गा या काली की पूजा की व्यवस्था की है। वह देवी का सभी बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाला रूप है। यह हमें फ्रांस में करना था, क्योंकि मैं बहुत दृढ़ता से महसूस करती हूं कि, दिन प्रतिदिन सामान्य तौर पर, फ्रांस नीचे और नीचे जा रहा है। जब आप लोग उत्थान पा रहे हैं, तो बाकी फ्रांस सबसे दयनीय स्थिति में है। सबसे पहले, जैसा कि आप समझते हैं, कैथोलिक चर्च है, जिसे – शायद आप जानते नहीं हैं, शायद हो सकता है – क्योंकि आप किसी अन्य भाषा को नहीं पढ़ते हैं, आप सिर्फ इस देश द्वारा अनिवार्य रूप से फ्रेंच पढ़ते हैं। इसलिए आपके पास कोई अंतर्राष्ट्रीय विचार या अंतर्राष्ट्रीय समाचार नहीं है कि इस कैथोलिक चर्च ने अतीत में इतने भयानक काम किए हैं, यह अविश्वसनीय है कि उनका भगवान से कोई लेना देना कुछ भी नहीं है। उन्होंने मन ही मन में कई कार्डिनल्स जलाए – उन्हें भुना। इतना ही नहीं, जिन्होंने भी कभी उनके बारे में एक शब्द भी बोलने की कोशिश की उन्होंने इतने लोगों को मार डाला। Read More …

Shri Mahakali Puja: Purity and Collectivity Centre Culturel Thierry Le Luron, Le Raincy (France)

                              श्री महाकाली पूजा, “सामूहिकता और पवित्रता”  ले रेनसी (फ्रांस), 12 सितंबर 1990। हमने बेल्जियम में भैरव पूजा करी थी और अब मैंने सोचा कि चलो आज हम महाकाली पूजा करें क्योंकि कल रात का अनुभव, कल रात का अनुभव महाकाली का काम था।  हर समय उनकी दोहरी भूमिका है, वे दो चरम सीमाओं पर है। एक तरफ वह आनंद से भरी है, आनंद की दाता, वह बहुत प्रसन्न होती हैं जब वह अपने शिष्यों को खुश देखती है। आनंद उसका अपना गुण है, उसकी ऊर्जा है। और कल आप फ्रांस की इतनी अधेड़ उम्र की महिलाओं को मुस्कुराते और हंसते देखकर चकित रह गए होंगे। मैंने उन्हें कभी मुस्कुराते हुए नहीं देखा था! यह बहुत आश्चर्य की बात है कि वे इतनी आनंदित और इतनी खुश कैसे थी। और यह महाकाली की ऊर्जा है, जो आपको आत्मसाक्षात्कार के बाद खुशी प्रदान करती है, और प्रसन्नता जिसका आप सब लोगों के बीच आनंद लेते हैं। ये सभी महाकाली के गुण हैं और जब वे महाकाली के नाम पढ़ेंगे, तो आप जानेंगे कि सहज-योग में उनकी शक्तियां कैसे प्रकट होती हैं और किस तरह से इसने आप सभी को आनंद के सागर में डूबने में मदद की है। शुरुआत में मुझे आपको एक बात बतानी है कि: महाकाली पूजा, जब आप कर रहे होते हैं, तो आपको अपने भीतर, और दूसरे सहज योगियों से एक आनंद तथा खुशी महसूस करनी होती है। यदि आप ऐसा महसूस नहीं कर सकते हैं, तो इसका मतलब है कि आप अभी तक विकसित नहीं हुए हैं Read More …

Shri Radha Krishna Puja: The importance of friendship La Belle Étoile, La Rochette (France)

             श्री राधा कृष्ण पूजा, “दोस्ती का महत्व”  मेलून (फ्रांस), 9 जुलाई 1989। मैं वास्तव में अत्यंत प्रसन्न हूं कि इस पूजा के लिए फ्रांस में हमारे पास इतने सारे आगंतुक और फ्रेंच सहज योगी हैं। यह सामूहिकता को दर्शाता है, ऐसी सामूहिकता जो आप सभी को हर जगह से आकर्षित करती है, और यह कि आप उस सामूहिकता का आनंद लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन सामूहिकता की नींव, सामूहिकता का आधार बहुत गहरा है; और गहरी समझ ही आपको बता सकती है कि सामूहिकता का आधार निर्लिप्त प्रेम है। प्यार ही एक रास्ता है। सामूहिकता का होना तब तक संभव नहीं है जब तक कि आपने प्रेम को निर्लिप्त \ अनासक्त न बना लिया हो। फ्रेंच लोग, प्रेम के इतने प्रकार में अच्छे रहे हैं जिनके बारे में वे बात करते रहे हैं; और उन्होंने किताबों के बाद किताबें, उपन्यासों के बाद उपन्यास लिखे हैं और प्यार की बात करने के लिए बहुत सारे रोमांटिक और गैर रोमांटिक और हर तरह का माहौल बनाया है। लेकिन शुद्ध प्रेम, जैसा कि हम सहज योग में समझते हैं, अब सहज योगियों द्वारा आपस में व्यक्त किया जाना है। आखिर हम सब एक ईश्वर द्वारा बनाए गए इंसान हैं। और हम सब एक माँ द्वारा बनाए गए सहज योगी हैं। इसलिए हमारे बीच किसी भी तरह की कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन हमें पता होना चाहिए कि क्या है जो कभी-कभी हमें थोड़ा अलग बनाता है। यदि हम उन समस्याओं को समझ सकें जिनका हम सामना कर रहे हैं, तो हमारे Read More …

Shri Krishna Puja: The 16 000 Powers of Shri Krishna Saint-Quentin-en-Yvelines (France)

श्री कृष्ण पूजासेंट क्वेंटिन (फ्रांस), 16 अगस्त 1987। श्री माताजी: वह क्या है?सहज योगी: छोटे गणेश, एक उपहार।कृपया बैठ जाएँ।श्री माताजी : क्या हिल रहा है?सहज योगी: ऐसा लगता है कि यह मंच है।श्री माताजी: यहाँ क्या हिल रहा है? यह ऊर्जा है?सहज योगी: ऐसा लगता है कि यह मंच है। बच्चों का इस खूबसूरत तरीके से आना और मेरा स्वागत करना बहुत सुंदर था। यह आपको कृष्ण के दिनों में वापस ले जा सकता है, जब बचपन में, उनके दोस्तों द्वारा उनका बहुत सम्मान किया जाता था, और उन्होंने हर संभव सम्मान करने की कोशिश की। उनके जन्म की कहानी तो आप जानते ही हैं। इसके अलावा, आप कहानी जानते हैं –श्री माताजी, [एक तरफ]: मुझे लगता है कि आपको पानी बंद कर देना चाहिए, अन्यथा मेरी वाणी थोड़ी-सी हो सकती है- उनके जन्म की कहानी तो आप जानते ही हैं। यहां हमारे पास दोनों तरफ पानी का बहाव है। जिस तरह से वह जमुना नदी के किनारे अपनी बांसुरी बजाते थे। पूरी ही बात कभी-कभी इतनी मानवीय प्रतित होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। सही समय पर, जब भी जरूरत पड़ी, बचपन में, उन्होंने अपनी शक्तियों को प्रकट किया, कि उन्होंने एक महिला को मार डाला जो एक शैतान [पुतना] थी। अंतत: उन्होने कंस का वध कर दिया।उसके बाद, आप जानते हैं कि उन्होंने गीता का उपदेश दिया, लेकिन यह इतना जल्दि नही हुआ। कंस को मारने के बाद, वह वहां शासन करने के लिए द्वारका चले गये। और वहां उन्हे पांच और पत्नियों से शादी करनी है। Read More …

Devi Puja: The sincerity is the most important Dourdan (France)

देवी पूजा, फ्रेंच सेमिनार। डोरडन (फ्रांस), 18 मई 1986। आज हम यहां इस खूबसूरत जगह पर कुछ बहुत गहन काम करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती है, जो इतिहास में हैं, और कुछ चीजें वातावरण में हैं, वे हमें बहुत प्रभावित करती हैं क्योंकि हम पांच तत्वों की उपज हैं, जिनमें से पृथ्वी मां हमारे भीतर बाईं ओर है। धरती माता अपने वातावरण को बदलती है, अपनी पहाड़ियाँ और डलियाँ, नदियाँ, उन्हें इस तरह बनाती हैं कि यह उनके स्वभाव को विविधता प्रदान करती है। अब ईश्वर ने एक ही दुनिया बनाई है, उसने कई दुनिया नहीं बनाई हैं, उसने एक ही दुनिया बनाई है, यह दुनिया बॅस अकेले यहां इंसानों की रचना की गई है। तो, यह सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है, आप एसा कह सकते हैं, जोपरमात्मा के ध्यान में रहा है। तो, संपूर्ण ब्रह्मांड इस ग्रह के कल्याण के लिए काम करता है, और उस ब्रह्मांड के कार्य ने इस पृथ्वी को बनाया है, और फिर मनुष्य को, और फिर सहजयोगियों को तो, सहजयोगी रचनात्मक शक्तियों का साकार स्वरुप हैं, वे ईश्वर की इच्छा की अभिव्यक्ति हैं, यही उन्होंने चाहा, इसलिए उन्होंने इस ब्रह्मांड, इस ब्रह्मांड और इस पृथ्वी की रचना की। तो अब उनकी इच्छा पूरी होती है जब वे सहजयोगियों के माध्यम से बीज प्रतिबिम्बित होते देखते हैं। लेकिन अभी भी कुछ चीजें हैं जो हमें अपने भीतर स्पष्ट करनी हैं।हमारे भीतर महाकाली शक्ति उनकी इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है। अब हमें यह देखना Read More …

Guru Puja: You Have To Respect Your Guru Château de Chamarande, Chamarande (France)

गुरु पूजापेरिस (फ्रांस), 29 जून 1985। (पूजा की शुरुआत में गेविन ब्राउन ने अंग्रेजी में श्री गणेश की प्रार्थना पढ़कर सुनायी) मुझे विश्वास है कि आप सब इन चीज़ों को कहते हैं, और आप इसे सुनते हैं, और आप इसे अपने दिल से कहते हैं। केवल परमात्मा से जुड़े हुए लोग ही श्री गणेश की पूजा कर सकते हैं। और श्री गणेश आपकी माता की पूजा करते हैं। सबसे पहले, किसी भी व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि एक माँ और एक गुरु का संयोजन है। चुंकि कार्य सम्पन्न करने के उद्देश्य के प्रति गुरु बहुत कठोर होते हैं। वह किसी भी स्वतंत्रता को लेने की अनुमति नहीं देते हैं, और माँ बहुत दयालु हैं। अच्छा, आप में माँ के लिए भावनाएँ भी नहीं हैं, है ना? क्या यह सब एक जुमला है, जिसे आप सुनते हैं, आपके दिमाग में चला जाता है और आपको लगता है कि आप आत्मसमर्पण करने वाले सहज योगी बन गए हैं? वैसे ही जैसे कि,सभी इस्लामी लोग मानते हैं कि उन्होंने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है, जैसे ईसाई मानते हैं कि उन्होंने भगवान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। यह सिर्फ एक जुमला है कि तुम यह हो, तुम वह हो। आप कैसे जानते हैं कि जो कहा गया है वह सच है? क्या तुमने मेरे हाथों में सूर्य नहीं देखा है? आपको और क्या सबूत चाहिए? जो कोई आपको गुमराह करता है वह निस्संदेह पापी है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन ऐसे व्यक्ति के जाल में पड़ना क्या है! यदि Read More …

8th Day of Navaratri: What We Have To Do Within Ourselves, Talk After the Puja Complexe sportif René Leduc, Meudon (France)

1984-09-30 नवरात्रि पूजा वार्ता: हमे अपने भीतर क्या करना है,पेरिस, फ्रांस  आज नवरात्रि का आठवां दिन है, और यह सहज योगियों के लिए महान दिन है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण समय है। यानी हम सातवां चक्र पार कर चुके हैं, और हम आठवें चक्र पर हैं। हमें यह सोचने की आवश्यकता नहीं कि देवी ने आठवें दिन क्या किया, हमें आज यह सोचना होगा कि हमें अपने भीतर क्या करना है। सातवें दिन को पार करने के बाद, सातवें चक्र को पार करने के बाद-जो कि वास्तव में आप का  आध्यात्मिक उत्थान है, हमें आठवें पर क्या करना चाहिए? यह कितना सहज है कि आज अष्टमी का दिन है, क्योंकि इसी दिन देवी ने दुष्टों, शैतानों और राक्षसों का वध किया। उन्होंने यह अपने बल से स्वयं ही किया। अब यह शैतानी शक्तियां  मनुष्य में भी प्रकट हो रही हैं। वह फैल चुके हैं। यह शक्तियां हमारे भीतर हैं। इसलिए हम सभी को अपने भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। युद्ध अपने भीतर है, बाहर नहीं। पहले जब आप सातवें चक्र को पार करते हैं और आप आठवें पर होते हैं, तो आप याद रखें कि पहले आपको स्वयं के भीतर उन ताकतों से लड़ना होगा। आप सब बहुत बुद्धिमान लोग हैं, कभी-कभी कुछ अधिक ही बुद्धिमान। इसलिए मैं जो कुछ भी कहती हूं आप उसे उलट देते हैं, और इसे आप अपनी बुद्धि से उपयोग करने का प्रयत्न करते हैं। लेकिन इसमें आपकी भलाई नहीं है। यह आपके ‘हित’ के लिए नहीं, आपके भले के लिए नहीं है। आप Read More …

Maha Sahasrara Puja: The Start of a New Era Château de Mesnières, Rouen (France)

                    महा सहस्रार पूजा मेसनिएरेस के महल के चैपल में, रूएन (फ्रांस)  5 मई 1984 सहस्रार के इस दिन इतने सुंदर सहजयोगियों को एक साथ इकट्ठा होते देखना आपकी माता के लिए बहुत ही अद्भुत है। मुझे लगता है कि सहज योग का पहला युग अब समाप्त हो गया है, और नया शुरू हो गया है। सहज योग के पहले युग में, शुरुआती बिंदु था, पहले, सहस्रार का उद्घाटन, और धीरे-धीरे पूर्णता की ओर बढ़ते हुए, मुझे लगता है कि आज बहुत सारे महान सहज योगी हैं। यह विकास की एक बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है जिससे आप गुजरे हैं। हम कह सकते हैं, पहला था कुंडलिनी का जागरण और फॉन्टानेल हड्डी क्षेत्र को भेदन। जैसा कि आप अपने सिर के ऊपर इन बंधनों को देखते हैं, वैसे ही आपके सिर में भी है, वैसे ही, और आपके सहस्रार में चक्रों को उसी तरह बनाया गया है। तो, सहज योग के पहले युग में, हमने आपके केंद्रों में, मेडुला ऑबोंगटा में और मस्तिष्क में भी देवताओं को जागृत किया। लेकिन अब समय आ गया है कि हम इसे क्षैतिज स्तर पर फैलाएं, और इसे क्षैतिज स्तर पर गतिशील करें, हमें यह समझना होगा कि इसके बारे में कैसे जाना है। इन्द्रधनुष के सात रंगों की तरह हमें इन केंद्रों के, चक्रों के प्रकाश के, सात रंग मिले हैं। और जब हम इसे पीछे से शुरू करते हैं, मूलाधार से, इसे इस तरफ, आज्ञा तक लाते हैं, तो इसे एक अलग क्रम में रखा जाता है, यदि आप इसे स्पष्ट रूप से Read More …

Joy has no duality Société d’Encouragement pour l’Industrie Nationale, Paris (France)

सार्वजनिक कार्यक्रम, पेरिस (फ्रांस), 16 जून 1983।॥आनंद में कोई पाखंड नही होता ॥ मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। मनुष्य सत्य की खोज प्राचीन काल से करता रहा है। उन्होंने सत्य की खोज विभिन्न प्रकार की खुशीयो में करने की कोशिश की और कई बार उन्होंने इसका त्याग किया क्योंकि उन्होंने पाया कि खुशी स्थायी नहीं है। थोड़े समय के लिए उसे किसी चीज से खुशी प्राप्त हुई और फिर उसने पाया कि इससे उसे बड़ा दुख भी हुआ। जैसे,एकऔरत जिसकी कोई संतान नहीं थी इसलिए वह रोती-बिलखती रहती थी; और उसको एक बच्चा हुआ था जिसने बाद में उसे ही अस्वीकार कर दिया। फिर, मनुष्य सुख की तलाश, सत्ता में, अन्य पुरुषों पर अधिकार में, अन्य देशों पर शक्ति में खुशी पा कर करने लगे, फिर भी बहुत अधिक संतुष्ट नहीं थे। उनके बच्चे पूर्वजों ने जो किया उसके लिए खुद को दोषी महसूस करने लगे। फिर गतिविधी कुछ और सूक्ष्म की तलाश में शुरू की – जो की कला और संगीत में थी। उसकी भी सीमाएँ थीं। यह लोगों को वह स्थायी आनंद नहीं दे सकी। यह वादा किया जाता है कि एक दिन आप सभी को यह स्थायी आनंद प्राप्त करना होगा। और फिर उन्होंने ऐसे सभी लोगों को चुनौती देना शुरू कर दिया, जिन्होंने उपदेश किया था और जो वादा करते रहे हैं कि ऐसा दिन आएगा। कई लोग इस नतीजे पर पहुंचे कि आनंद जैसा कुछ नहीं है, जीवन हर समय लहरों के दो चेहरों हैं। एक सिक्के के दो पहलू की Read More …

The manifestation of the Spirit Aston La Scala Nice, Nice (France)

सार्वजनिक कार्यक्रम दिवस 2, 22 फरवरी 1980, नाइस, फ्रांस कल मैंने आपको हमारे भीतर की अवशिष्ट शक्ति के बारे में बताया जो कि “सैक्रम बोन” (त्रिकोणाकार अस्थि) में रहती है। इस शक्ति को कुंडलिनी कहा जाता है। यह वही शक्ति है जो ऊपर को चढ़ती है इन उर्जा केंद्रों में से होती हुई और हमें हमारा आत्मसाक्षात्कार दिलाती है, हमारा पुनर्जन्म। मैंने आपको यह भी बताया है कि कई लोगों में आप देख सकते हैं इस कुंडलिनी के स्पंदन को स्पष्ट रूप से अपनी खुली आँखों द्वारा।  आप देख भी सकते हैं इसका ऊपर की ओर चढ़ना विभिन्न चक्रों में, इस चक्र तक। आप अपने सिर पर भी स्पंदन को अनुभव कर सकते हैं। और आप – बाद में भी, जब यह इस क्षेत्र का भेदन करती है – आप अनुभव कर सकते हैं ठंडी हवा का बहना अपने हाथ से । यह आपकी आत्मा की ऊर्जा है। हम कह सकते हैं कि यह अभिव्यक्ति है आत्मा की । इस प्रकार आप एक नए आयाम में प्रवेश करते हैं सामूहिक चेतना के । आप सामूहिक रूप से जाग्रत हो जाते हैं। आप दूसरों को अनुभव करना शुरू कर देते हैं अपनी उंगलियों पर । वास्तव में, ये सभी पाँच उंगलियाँ – साथही, छह और सात, बिंदु – हमारे भीतर के चक्र हैं। आप प्रबुद्ध हो जाते हैं – क्योंकि आप उन्हें यहाँ अनुभव कर सकते हैं और कभी-कभी भीतर भी। कुछ लोग हाथों पर इसे अनुभव नहीं कर पाते हैं, और कुछ लोगों ने कल कुछ समय तक इसे अनुभव Read More …