Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 21, 1992 हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हैं हमने सिर्फ उनको मान लिया क्योंकि वो ऊंचे इन्सान थे। अब किसी भी धर्म में आप जाईए, कोई भी धर्म खराब नहीं है। जैसे अभी बताया कि बुद्ध धर्म है। मैंने बुद्ध धर्म के बारे में, पड़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था लेकिन उस के बाद लोग उसको left (बाएँ) में और right (दाएँ) में ले गए। जो दाएँ मे ले गए वो पूरी तरह से सन्यासी हो गए, ascetic (त्यागी) हो बुद्ध गए। फिर उन्होंने बड़े बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होने सोचा कि क्योंकि सन्यासी हो गऐ थे, बहुत कठिन मार्ग से उन्होंने इसे प्राप्त किया। इसलिए हमें भी उसी मार्ग पर चलना चाहिए। पर उसकी इतनी कठिन चीजें उन्होने कर दीं, कि ज़मीन पर सोना, ठंड उसी में बहुत से लोग खत्म हो गए। एक ही मरतबा खाना में रहना आदि। उन्होंने अपनी जो कुछ भी निसर्ग में दी हुयीं जरूरतें थीं, उन्हें पूरी तुरह से, दबा. दिया। इस. तरह के दबाव डालूने से मनुष्य का स्वभाव बहुत उत्तेजित सा हो जाता है। इतना ही नहीं aggressive (आततायी) भी हो जाता है । उस में बहुत क्रोध समा जाता है ।क्रोध को दबाने से क्रोध और बढ़ता है और ऐसे लोग कभी कभी supra conscious (ऊपरी चेतना) में चल पड़ते हैं और उन्हें कुछ-कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं जिससे वो दूसरे लोगों पर अपना असर डाल सकते हैं। हिटलर के साथ यही हुआ। हिटलर Read More …

Dyan Ki Avashakta, On meditation New Delhi (भारत)

Dhyan Ki Avashayakta   ध्यान की आवश्यकता  Date:27th November 1991 Place: Delhi    Seminar & Meeting Type: Speech Language Hindi  [Original transcript, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]  आज आप लोगों से फिर से मुलाकात हो रही है और सहज योग के बारे में हम लोगों को समझ लेना चाहिए।  सहज योग,  ये सारे संसार के भलाई के लिए संसार में उत्तपन्न  हुआ है, कहना चाहिए और उसके आप लोग माध्यम हैं।  आपकी जिम्मेदारियाँ बहुत ज़्यादा हैं क्योंकि आप लोग इसके माध्यम हैं, और कोई नहीं है इसका माध्यम।    कि  हम अगर पेड़ को वाईब्रेशन्स (Vibrations) दें या किसी मन्दिर को वाईब्रेशन्स दें या कहीं और भी वाईब्रेशन्स दें तो वो चलायमान नहीं हो सकते,   वो कार्यान्वित नहीं हो सकता।  आप ही की धारणा से और आप ही के कार्य से यह फैल सकता है।  फिर हमें यह सोचना चाहिए कि सहजयोग में एक ही दोष है। ऐसे तो सहज है, सहज में प्राप्ति हो जाती है। प्राप्ति सहज में होने पर भी उसका संभालना बहुत कठिन है क्योंकि हम कोई हिमालय पर नहीं रह रहे हैं। हम कहीं ऐसी जगह नहीं रह रहे हैं, जहाँ और कोई वातावरण नहीं है, बस सब  आध्यात्मिक वातावरण है। हर तरह के वातावरण में हम रहते हैं। उसी के साथ-साथ हमारी भी उपाधियाँ बहुत सारी हैं जो हमें चिपकी हुई हैं। तो सहजयोग में शुद्ध बनना,  शुद्धता अंदर लाना ये कार्य हमें करना पड़ता है। जैसे कि कोई भी चैनल (Channel)हो वो अगर शुद्ध न हो, तो उसमें से जैसे बिजली का चैनल है उसमें से बिजली नहीं गुज़र सकती। अगर पानी का नल है उसके अंदर कुछ चीज़ भरी हुई है उसमें से पानी नहीं गुज़र सकता। इसी प्रकार ये चैतन्य भी जिस  नसों में बहता है उनको शुद्ध होना चाहिए। और इन नसों को शुद्ध करने की जिम्मेदारी आप लोगों की है । हालांकि आपने कितनी बार कहा है कि माँ हमें भक्ति दो। माँ हमें निताँत आपके प्रति श्रद्धा दो किन्तु ये चीज आपको खुद ही समझदारी में जानना है। पहली तो बात है कि शुद्ध जब नसे हो जाएँगी तो आप आनंद में आ जाएंगे। आपको लगेगा ही नहीं कि आप कोई कार्य कर रहे हैं। आप काई सा भी कार्य करते जाएंगे उसमें आप यश प्राप्त करेंगे। बहुत सहज में Read More …

Birthday Puja Talk New Delhi (भारत)

Birthday Puja, Delhi, India, 3rd of Octoer, 1991 आज आप लोगों ने मेरा जन्म-दिवस मनाने की इच्छा प्रगट की थी I अब मेरे कम-से-कम चार या पांच जन्म-दिवस मनाने वाले हैं लोग I इतने जन्म-दिवस मनाइएगा उतने साल बढ़ते जाएंगे उम्र के I लेकिन आपकी इच्छा के सामने मैंने मान लिया कि इसमें आपको आनंद होता है, आनंद मिलता है तो ठीक है I लेकिन ऐसे दिवस हमेशा आते हैं I उसमें एक कोई तो भी नई चीज हमारे जीवन में होनी चाहिए, क्योंकि हम सहजयोगी हैं, प्रगतिशील हैं, और हमेशा एक नयी सीढ़ी पर चढ़ने का यह बड़ा अच्छा मौका है I सहजयोग में जो आज स्थिति है वो बहुत ही अच्छी है I जबकि हम देश की हालत देखते हैं आज, तो लगता है की सहजयोग एक स्वर्ग है हमने हिंदुस्तान मे खड़ा किया है I और, इसकी जो हमारी एक साधना है, इसमें जो हम समाए हुए हैं, इसका जो हम आनंद उठा रहे हैं, वो एक स्थिति पर पहुंच गया है I और इसका आधार भी बहुत बड़ा है I इसका आधार है कि आपने अपनी शुद्धता को प्राप्त किया है, अपनी शांति को प्राप्त किया और अपने आनंद को प्राप्त किया I यह आपकी विशेष स्थिति है जो औरों में नहीं पाई जाती I और इसको सब लोग देख रहे हैं समझ रहे हैं कि यह कोई विशेष लोग हैं और उन्होंने कोई तो भी विशेष जीवन प्राप्त किया है I मैं जहां भी जाती हूं और जगह, लोग मुझसे बताते हैं कि हम एक Read More …

Public Program Day 2, Atma Kya Hai New Delhi (भारत)

Atma Kya Hai Date 3rd March 1991 : Place New Delhi Public Program Type : Speech Language Hindi [Original transcript, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सत्य को खोजने बाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार । डाक्टर साहब ने अभी आपको सभी चक्रों के बारे में बता दिया है । उसी प्रकार कल मैने आपको तीन नाड़ियों के बारे में बताया था ये थी ईड़ा, पिंगला और सुष्म्ना नाड़ी । ये सब नाड़ियां, ये सारी व्यवस्था, परमात्मा ने हमारे अन्दर कर रखी है । इस उत्क्रान्ति के कार्य में, जबकि हमारा विकास हुआ है, तब धीरे – धीरे एक अन्दर प्रस्फुटित हुआ । किन्तु सारी योजना करने के बाद, पूरी तरह से इसकी व्यवस्था करने के बाद भी एक प्रश्न था कि हमारे अन्दर ये जो परमेश्वरी यंत्र बनाया हुआ है इसको किस तरह उस परमेश्वरी तत्व से जोड़ा जाय । मैने आपको कल बताया था चारों तरफ ब्रहुम चैतन्य रूप ये परमात्मा का प्रेम, उनकी शुद्ध इच्छा कार्य कर रही है । लेकिन ये ब्रहम चैतन्य अभी तक कृत नहीं था इसलिए जब कलयुग घोर स्थिति में पहुंच गया तो उसी के साथ-साथ एक नया युग शुरू हुआ है जिसे हम कृतयुग कहते हैं और एक चक्र हमारे रा युग आ सकता है । है । इसी कारण सहजयोग में हजारों लोग पार होने लगे हैं अर्थात् सहस्रार का खोलना बहुत जरूरी था । इस कृतयु ग के बाद ही सत्य इस कृतयु ग मैं ये ब्रहृम चैतन्य कार्यान्वित हो गया जब से सहस्रार खुला है, कृतयुग शुरू हो Read More …

Public Program Day 1 New Delhi (भारत)

Sarvajanik Karyakram Date 2nd March 1991 : Place New Delhi Public Program Type : Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सत्य को खोजने की जो सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार । आवश्यकता हमारे अंदर पैदा हुई है, उसका क्या कारण है ? आप क हैं गे कि इस दुनियां में हमने अनेक कलयु ग में मनुष्य भ्रांति में पड़ गया है, परेशान हो गया है । उसे समझ नही आता कि ऐसा क्यों हो रहा है । तब एक नए तरह के उसको विल्यिम ब्लेक ने ‘मैन । चारों तरफ हाहाकार दिखाई दे रहा है । कष्ट उठाए तकलीफें उठाई मानव की उत्पत्ति हुई है, एक सुजन हुआ है । उसे साधक कहते हैं ऑफ गाड’ कहा है । आजकल तो परमात्मा की बात करना भी मुश्कल है फिर धुम की चर्चा करना तो ही कठिन है क्योंकि परमात्मा की बात कोई करे तो लोग पहले उंगली उठा कर बताएँ गे कि जो में, मस्जिदो में चर्चों में गुल्द्वारां में घूमते है, उन्हंने कोन से बड़े इन्होंने कोन-सी बड़ी शांति से सन्मार्ग से चलते हैं । किसी भी धर्म में कोई भी मनुष्य हो किसी भी धर्म का बहुत लोग बड़े परमात्मा को मानते हैं, मन्दिरों भारी उत्तम कार्य किए है ? आपस में लड़ाई, झगड़ा, तगाशे खड़े किए हैं । दिखाई है ? ये कोन पालन करता है, परमात्गा को किसी तरह से भी मानता हो, लेकिन हर एक तरह का पाप वो कर सकता है । उस Read More …

Holi Celebrations New Delhi (भारत)

होली पूजा २८ फेब्रुवारी १९९१, दिल्ली आम् प तो इतिहास जानते हैं और पौराणिक बात भी जानते हैं कि होलिका को जलाने पर ही होली जलाई जाने लगी और इसमें किसानों के लिए भी उनका सब काम-वाम खत्म हो गया और ये सोच करके कि अब सब कुछ जो बोया था उसका फल मिल गया था। उसको बेच-बाच कर आराम से बैठे हैं, तो थोड़ासा उसका आनन्द भोगना चाहिए, पर इससे भी पहली बात ये है कि होली की शुरुआत जो थी हालांकि ये होलिका का दहन जो हुआ उसी मुहूर्त में बिठायी हुई बात है। ये काम श्रीकृष्ण ने किया क्योंकि श्रीराम जब संसार में आये तो श्रीराम ने मर्यादायें बाँधी। अपने, स्वयं अपने जीवन से, अपने तौरतरीकों से, अपने आदर्शों से, अपने व्यवहार से कि मनुष्य जो है मर्यादा पुरुषोत्तम की ओर देखे। ये मर्यादा पुरुषोत्तम जो है ये एक चरित्र, ये एक महान आदर्श हम लोगों के सामने रखा गया कि जो राज्यकर्ता है, जो राजा हैं वो हितकारी होने चाहिए, जिसे सॉक्रेटिस ने ‘बिनोवलेंट किंग’ कहा है। वो आदर्श स्वरूप श्रीराम हमारे इस संसार में हैं और इतना बड़ा आदर्श उन्होंने सबके सामने रखा कि लोगों के हित के लिए, जनमत के लिए उन्होंने अपनी पत्नी तक का त्याग कर दिया, हालांकि उनकी पत्नी साक्षात महालक्ष्मी थीं । वो जानते थे कि उन्हें कुछ नहीं हो सकता। तो भी लोकाचार में, दुनिया के सामने उन्होंने अपने पत्नी को त्याग दिया कि जिससे लोकमत हमारे प्रति विक्षुब्ध न हो और लोकमत का मान रखें। लेकिन वर्तमान काल Read More …

Public Program Day 2 New Delhi (भारत)

Public Program, Ram Lila Maidan Delhi, India 05th April 1990 सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार!   कल आपसे मैने कहा था कि हमारे अंदर एक बड़ा भारी सत्य है और बाह्य में दूसरा सत्य। पहला सत्य तो ये है कि हम आत्मा हैं, हम आत्मा स्वरूप हैं और दूसरा सत्य ये है कि ये सारी सृष्टि, ये सारा संसार एक बड़ी सूक्ष्म ऐसी शक्ति है, उससे चलता है। और ये शक्ति जो है, इस शक्ति को ही पाना, उसमे एकाकारिता में जाना, यही एक योग है। ये दूसरा वाला सत्य है और इन दोनों सत्य को हमें इस वक़्त मान लेना चाहिए। संशय करना तो बहुत आसान है और पढ़ लिख कर मनुष्य और अधिक संशय करने लगता है, इसीलिए कबीर ने ये कहा है की “पढ़ी पढ़ी पंडित मूरख भये” क्योंकि पढ़-पढ़ के उनके अंदर संशय और ज़्यादा हो जाता है और उनकी संवेदना कम हो जाती है और वो बुद्धि से ही तर्क वितर्क से जानना चाहते हैं कि सत्य क्या है पर सत्य बुद्धि के परे है, सत्य बुद्धि से परे है और ये इस जीवंत क्रिया के साथ होगा। अब अगर आप एक साइंटिस्ट् है, आप एक शास्त्रीय आधार को देखना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे पहले धारणा दी जाती है, हैपोथेसिस (hypothesis) दिया जाता है। अगर वो धारणा सही है तो उस धारणा को आपको पहले समझ लेना चाहिए और अपने दिमाग़ को खुला रखना चाहिए जैसे साइंटिस्ट् को चाहिए और उसके बाद देखिए कि अगर ये हो जाता Read More …

Birthday Puja, Sahaja Yoga me pragati ki Teen Yuktiyaan New Delhi (भारत)

Janm Diwas Puja Date 30th March 1990 : Place Delhi : Type Puja Speech Language Hindi आज नवरात्रि की चतुर्थी है और नवरात्रि को आप जानते हैं रात्रि को पूजा होनी चाहिए। अन्ध:कार को दूर करने के लिए अत्यावश्यक है कि प्रकाश को हम रात्रि ही में ले आएं। आज के दिन का एक और संयोग है कि आप लोग हमारा जन्मदिन मना रहे हैं। आज के दिन गौरी जी ने अपने विवाह के उपरान्त श्री गणेश की स्थापना की। श्री गणेश पवित्रता का स्रोत हैं। सबसे पहले इस संसार में पवित्रता फैलाई गई जिससे कि जो भी प्राणी, जो भी मनुष्यमात्र इस संसार में आए वो पावित्र्य से सुरक्षित रहें और अपवित्र चीज़ों से दूर रहें। इसलिए सारी सृष्टि को गौरी जी ने पवित्रता से नहला दिया। और उसके बाद ही सारी सृष्टि की रचना हुई। तो जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य हमारे लिए यह है कि हम अपने अन्दर पावित्र्य को सबसे ऊंची चीज़ समझें| लेकिन पावित्र्य का मतलब यह नहीं कि हम नहाएँ, धोएं, सफाई करें, अपने शरीर को ठीक करें किन्तु अपने हृदय को स्वच्छ करना चाहिए। हृदय का सबसे बड़ा विकार है क्रोध। क्रोध सबसे बड़ा विकार है, और जब मनुष्यमें क्रोध आ जाता है तो जो पावित्र्य है वो नष्ट हो जाता है क्योंकि पावित्र्य का दूसरा ही नाम निर्वाज्य प्रेम है। वो प्रेम जो सतत बहता है और कुछ भी नहीं चाहता। उसकी तृप्ति उसी में है कि वो बह रहा है और जब नहीं बह पाता तो वह कोंदता है, परेशान होता Read More …

Birthday Puja: Introspection New Delhi (भारत)

जन्मदिवस पूजा दिल्ली, १९ मार्च, १९८९  सहजयोग के काम में व्यस्त न जाने कैसे समय बीत जाता है। अब करिबन अठारह साल से सहजयोग कर रहे हैं और उसकी प्रगती अब काफी हो रही है। आपने देखा किस तरह से इसकी प्रगती बढ़ रही है। अब जन्मदिन के दिन अब हमारे तो आपकी सबकी स्तुति करनी चाहिए और सब अच्छा ही कहना चाहिए। लेकिन एक ही बात मुझे जो समझ में आती है, जो कहनी चाहिए वो है कि अपनी गहराई को बढ़ाना है। अपनी गहराई को बढ़ाना बहुत जरुरी है और ये गहराई हमारे अन्दर है, कहीं ढूँढने नहीं जाना है, अपने ही अन्दर बस, ये गहराई है। लेकिन जब हम गहराई को बढ़ाते हैं तो ये देखना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। इसको पहले जान लेना चाहिए कि हम स्वयं कहाँ खड़े हैं। और उसे जानने के लिए एक तरीका है, सहज सरल तरीका है कि अपनी ओर दृष्टि करें। जैसे कि हमारा व्यवहार कैसा है?  हम क्या करते हैं?  हम किस तरह से अपने मन में विचार लाते हैं?  हमारे तौर-तरीके कैसे हैं?  हम अपने को कहाँ तक सीमित रखते हैं।  जैसे शुरुआत में जब दिल्ली में काम शुरू किया तो लोगों के तो अन्दाज ही और थे।  मैं तो एकदम सकुचा गयी थी, क्योंकि उस वक्त किसी को कुछ मालूम ही नहीं था पूजा के बारे में। सब प्लास्टिक के डिब्बियों में सामान-वामान लेकर के सब लोग पहुँचे तो मेरी तो हालात ही खराब हो गयी। मैंने कहा कि अब तो इनका क्या होगा, Read More …

Mahashivratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja 6th March 1989 Date : Place Delhi Type Puja : Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] रहे हैं लेकिन मुझे भी तो कुछ देना चाहिए। इस कलयुग में ईमानदारी से जो काम किया जाता है उसके लिये काफी विपत्तियाँ, आपत्ति, संकट उठाने पड़ते हैं। हालांकि सबसे बड़ा समाधान ये है कि हम लोग इंमानदार हैं। और सहजयोग में एक बात जाननी चाहिए कि जो चीज़ जिस वक्त बननी है उस वक्त जुरूर बन जाएगी, उसमें रुकावट नहीं हो सकती। गर कोई रुकावट हुई हैं तो जुरूरी आपमें अभी कमी रह गई है। इसको बनाने में जो थरी, गर समय उसमें ज्यादा लग गया यो कम लग गया, रुपया अधिक लगा या कम लगा, ये सब जरूरी थे इसलिए किसी भी चीज़ में दोष निकालना कुछ एक खेल है, ये सब एक खेल है और इस नहीं चाहिए, लेकिन उसका आनन्द पूरा प्राप्त करना चाहिए। अब हमें सोचना चाहिए कि दिल्ली में सबसे पहले हिन्दुस्तान का, सहजयोग का आश्रम बनाया गया जो अभी तक सारे भारत वर्ष में कोशिश करने से भी नहीं बना। ये कोशिश अठारह साल से हो रही थी और आज ये आश्रम देखकर मुझे बड़ा आनन्द आया। इसका पूरा उत्तरदायित्वच आप लोगों ने और किस तरह से इस चीज को बनाइएगा। सिर्फ लिया था और सारा श्रम आपने किया और इसका श्रेय भी, सारा Credit भी आप ही को है। जब आप लोग मुझे किसी चीज़ का श्रेय देते हैं तो मेरी समझ में नहीं आता है कि आप Read More …

Conversation with doctors New Delhi (भारत)

Conversation with doctors, New Delhi (India), 4 November 1986. Left symphatetic nervous system represents our emotional side. Right symphatetic nervous system represents our physical side. When both come into play (i.e. psyche as well as somatic) then psychosomatic problems result. In the over activity of Right side, liver is the commonest to be disturbed. This is because of too much thinking. “Swadistan Centre” has to manufacture grey cells for the brain when brain is over active – futurustic and indulges in wasteful thinking – then these cells are used too much. Liver disorders are also of two types i.e. – slow or inactive liver (in a left sided emotional person) this leads to allergies; – Overactive liver disorders in a Right sided person. Right sided liver disorder (that is overactive or hot liver). Liver has an important function to remove poisions from the body. It removes the heat from the body system into the water in blood. H O = 2. H + O H becomes H-O-H after absorbing 2 O H heat from liver. In alcohol LIVER O H No penetration is possible. H So the heat in the system remains. But with vibrations it is possible to correct it Left side is Hydrogen (MOON), Right is Oxygen, Amino-Acids (NITROGEN) forms the para sypathetic and carbon is below (i.e. Mooladhar). Alcohol causes sluggish liver. In overactivity of liver, Co2 is formed and Oxygen is sucked. So the fuction of liver is disturbed. In lethargic liver, poisions are not removed Read More …

Shri Mahalakshmi Puja New Delhi (भारत)

महालक्ष्मी पूजा दिल्ली, ३/११/१९८६ इस नववर्ष के शुभ अवसर पर दिल्ली में हमारा आना हआ और आप लोगों ने जो आयोजन किया है ये एक बड़ी हुआ महत्त्वपूर्ण घटना होनी चाहिए। नववर्ष जब शुरू होता है तो कोई न कोई नवीन बात, नवीन धारणा, नवीन सूझबूझ मनुष्य के अन्दर जागृत होती है। वो स्वयं होती है। जिसने भी नवीन वर्ष की कल्पना बनाई है वो कोई बड़े भारी द्रष्टा रहे होंगे कि ऐसे अवसर पर प्रतीक रूप में मनुष्य के अन्दर एक नई उमंग, एक नया विचार, एक नया आन्दोलन जागृत हो जाए । ऐसे अनेक नवीन वर्ष आये और गये, नई उमंगे आयी, नई धारणाऐं आयी और खत्म हो गयी। मनुष्य की आज तक की जो धारणाऐं रही है, एक परमात्मा को छोड़कर बाकी सब मानसिक क्रियाऐं या बौद्धिक परिक्रियाऐं थी। मनुष्य अपनी बुद्धि से जो भी ठीक समझता था उसका आन्दोलन कुछ दूर तक जा के फिर न जाने क्यों हटा और उसी विशेष व्यक्ति को और उसी समाज को या उस समय में रहने वाले लोगों पर आघात पहुँचा । इसका कारण क्या था ये लोग नहीं समझ सके। लेकिन आज हमें इसका साक्षात बहत ज्यादा अधिक स्पष्ट रूप से हो रहा है। जैसे कि धर्म की व्यवस्था हुई। धर्म की व्यवस्था में मनुष्य ने जब भी बुद्धि और मानसिक शक्तियों का उपयोग किया, तो बुद्धि के दम से वो एक वाद- विवाद के क्षेत्र में बंध गया और अनेक वाद-विवाद शुरू हो गये। गर सत्य एक है…. तो पन्थ इतने क्यो हुए? इतने धर्म क्यों हुए? Read More …

Dharma Ki Avashyakta – Why is Dharma needed (Evening) Sir Shankar Lal Concert Hall, New Delhi (भारत)

Dharma Ki Avashyakta Aur Atma Ki Prapti 23rd February 1986 Date : Place Delhi : Public Program Type : Speech Language Hindi आत्मा को खोजने वाले सभी साधकों को हमारा प्रणिपात! आज का स्वर्गीय संगीत सुनने के बाद क्या बोलें और क्या न बोलें! विशेषकर श्री. देवदत्त चौधरी और उनके साथ तबले पर साथ करने वाले श्री गोविंद चक्रवर्ती, इन्होंने इतना आत्मा का आनन्द लुटाया है कि बगैर कुछ बताये हये ही मेरे ख्याल से आपके अन्दर कुण्डलिनी जागृत हो गई है। सहज भाव में एक और बात जाननी चाहिए कि भारतीय संगीत ओंकार से निकला हुआ है। ये बात इतनी सही है, इसकी प्रचिती, इसका पड़ताला इस प्रकार है कि विदेशों में जिन्होंने कभी भी कोई रागदारी नहीं सुनी, जो ये भी नहीं जानते कि हिन्दुस्तानी म्युझिक क्या चीज़ है या किस तरह से बनायी गयी है। जिनके बजाने का ढंग और संगीत को समझने का ढंग बिल्कुल फर्क है। ऐसे लोग भी जब पार हो जाते हैं और गहन उतरते हैं, तो आपको आश्चर्य होगा कि बगैर किसी राग को जाने बगैर, ताल को जाने बगैर, कुछ भी जानकारी इसके मामले में न होते | हुए, बस, खो जाते हैं। और जैसे आपके सामने आज चौधरी साहब ने बजाया, जब लंदन में बजा रहे थे, तो घण्टों लोग अभिभूत उसमें बिल्कुल पूरी तरह से बह गये। मैं देखकर आश्चर्य कर रही थी कि इन्होंने कोई राग जाना नहीं, इधर इनका कभी रुझान रहा नहीं, कभी कान पर वे उनके ये स्वर आये नहीं, आज अकस्मात इस तरह का Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जनम दिवस पूजा प्रवचन सहज मंदिर, नई दिल्ली, २६.३.१९८५ आज आप लोग हमारा जन्मदिवस मना रहे हैं। यह एक बड़ी सन्तोष की बात है क्योंकि इस कलियुग में कौन माँ का जन्मदिन इस उम्र में मनाता है। इसलिय यह द्योतक है कि आप लोग इस कलियुग में जन्म लेकर के भी अपने मातृधर्म से परिचित ही नहीं लेकिन उसका अवलम्बन भी करते हैं। से इस उम्र में तो जन्म दिन मनाना माने एक-एक साल घटता ही जा रहा है। और बहुत काम करने के बचे हैं। बहुत से अभी कार्य मुझे दिखाई दे रहे हैं जो कि अधूरे से हैं। उन पर मेहनत करनी होगी, ध्यान देना पड़ेगा, तभी वो पूरी तरह से होंगे। हुए दिल्ली में जो काम मैंने कल कहा था कि हमें अपनी सभ्यता की ओर ध्यान देना चाहिए । हमारी सांस्कृतिक स्थिति भी ठीक करनी चाहिए। और तीसरी बात जो बहत महत्वपूर्ण है वो ये कि हमारी जो आत्मिक उन्नति है, उसकी ओर हमें ध्यान ही नहीं देना चाहिए, पर जैसे कोई एक शहीद सर पर कफन बाँध करके किसी कार्य में संलग्न होता है, उसी प्रकार हमें ‘सरफरोशी की तमन्ना’ ले करके सहजयोग करना चाहिए। जब तक हमारे अन्दर ये बात नहीं आती, तब तक सहजयोग सिर्फ हमारे ही लाभ के लिये है। इससे हमें क्या फायदे हुए, इससे हमने क्या-क्या सुख उठाया, यही सब मैं सुनती रहती हूँ। इससे हमारा जो कुछ भी लाभ हुआ है, जो भी हमारा अच्छा हुआ है, वो एक वजह से, एक कारण से हुआ है कि हमने अपनी Read More …

Chaitra Navaratri Puja New Delhi (भारत)

सहजयोगियों के लिये भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का महत्त्व दिल्ली , २५/३/१९८५ आज नवरात्रि के शुभ अवसर पर सबको बधाई ! सहजयोग के प्रति जो उत्कण्ठा और आदर प्रेम आप लोगों में है वो जरूर सराहनीय है, इसमें कोई शंका नहीं। क्योंकि जो हमने उत्तर हिन्दुस्तान की स्थिति देखी है वहाँ पर हमारी परम्परागत जो कुछ धारणाएँ हैं उसी प्रकार शिक्षा प्रणालियाँ हैं, सब कुछ खोई हुई हैं । बहुत कुछ हम लोगों का अतीत मिट चुका है और हम लोग एक उधेड़बुन में लगे हुए हैं कि नवीन वातावरण, तीन सौ साल की गुलामी के बाद स्वतन्त्रता पाने पर तैयार हुआ, वो एक बहुत विस्मयकारी जरूर है, लेकिन विध्वंसकारी भी है । माने कि जैसे कि हम अपने मूलभूत तत्त्वों से उखड़ से गए हैं। उनका सिंचन नहीं हुआ, ये बात जरूर है, लेकिन जो कि हमारा भी रुझान ज्यादा बाह्य की ओर रहा। ये उत्तर हिन्दुस्तान पर एक तरह का शाप सा है। उत्तर प्रदेश में मैं सोचती हूँ कि सीताजीके साथ जो दुर्व्यवहार किया गया उसके फलस्वरूप अब मेरे ख्याल से धोबियों का ही राज शुरू हो गया है। और बड़ी दुःख की बात है कि जब आप उत्तर प्रदेश में सफर करते हैं तो देखते हैं कि लोगों में उथलापन, अधूरापन, अश्रद्धा, अनास्था आदि इतने बुरे गुण आ गये हैं कि लगता नहीं है कि वहाँ कभी सहजयोग पनप सकता है। बड़ा दूसरी बात बिहार, पंजाब, हर जगह ये पाया जाता है कि हम अपने को कहलाते हैं कि हिन्दू या भारतीय हैं, लेकिन हम अपनी Read More …

Mahashivaratri Puja New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja Date : 17th February 1985 Place Delhi Туре Puja Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahari अपनी कुण्डलिनी को नीचे नहीं गिरने दें । आज शिवरात्रि के इस शुभ अवसर पे हम लोग एकत्रित हुए हैं और ये बड़ी भारी बात है कि हर बार जब भी शिवरात्रि होती है मैं तो दिल्ली में रहती हूँ। हमारे सारे शरीर, मन, बुद्धि, अहंकार, सारे चीजों में सबसे महत्वपूर्ण चीज है आत्मा और बाकी सब कुण्डलिनी इसलिए नीचे गिरती है क्योंकि हमारे अन्दर बहुत से पुराने विचार, पुराने conditionings है और इसलिए भी गिरती है कि हम futuristic बहुत हैं। जैसे हम अपने दिल्ली का विचार करें तो दिल्ली में कुछ लोग तो बहुत पुराने विचार के, पुराने व्यवस्था के अनुसार रहते रहे हैं। उनके अन्दर ऐसी-ऐसी भावनाएँ बनी हुई हैं कि जिनको निकालना भी बहुत मुश्किल है क्योंकि वो धर्म के ही नाम पर ये सब चीजें करते है कि यही धर्म है, इसी में रहना चाहिए। यही सत्य है, यही सब कुछ बाह्य के उसके अवलम्बन है। आत्मा में हम अपने पिता प्रभु का प्रतिबिम्ब देखते हैं। कल आपको आत्मा के बारे में मैंने बताया था। वही आत्मा शिव स्वरूप है। शिव माने जो बदलता नहीं, जो अवतरित नहीं होता, जो अपने स्थान में पूरी तरह से जमा रहता है, जो अचल, अटूट, अनल, ऐसा वर्णित है उस शिव की आज हम अपने अन्दर पूजा कर रहे है वो हमारे अन्दर प्रतिबिम्बित हैं कुण्डलिनी के जागरण से हमने उसे हमें परमात्मा की ओर Read More …

Sahasrara – Atma New Delhi (भारत)

Sahastrar – Atma Date : 16th February 1985 Place Delhi Туре Public Program Speech Language Hindi ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Nirmala Yog सत्य के खोजने वाले सभी साध्कों को हमारा प्रणाम । जीवित रहेंगे? यह हृदय का जो स्पन्दन है- अनहदू, हर आज का मधुर संगीत आज के विषय से बहत सम्बन्धित घड़ी अपने आप ही कार्यान्वित रहता है उसको चलाने के है जिसके लिए मैं देब चौधरी को बहुत-बहुत घन्यवाद देती लिए अगर हमें बाहुय से कोई उपचार करना पड़ता तो हूँ। सभी सहज व्यवस्था हो जाती है और आज संगीत में जो कितने लोग इस संसार में जीवित पैदा होते? ऐसी अनेक आपने सात स्वरों का खेल देखा, हमारे अंदर भी ऐसा ही चीजें जो जीवन्त हैं, हम देखते हैं। फल खिलते हैं अपने आप सुन्दर संगीत नि्माण हो सकता है। यह जो कण्डलिनी के और इनके फल भी हो जाते हैं अपने आप। यह ऋतम्भरा सात चक्र आप देख रहे हैं वे हैं मूलाधार चक्र, मलाधार, स्वाधिष्ठान, नाभि, हृदय, विश्द्धि, आज्ञा और सहस्रार। इसके अलावा हमारे अन्दर सूर्य और चन्द्र के भी चक्र हैं। ब्रहमरन्ध्र को छेदने के बाद भी तीन और चक्र हमारे अन्दर हैं और कार्य करते हैं जिन्हें हम अर्धबिन्द, बिन्दू और वलय कहते हैं। यह सार हमारे अन्दर स्वर हैं। जैसे “स” से शुरू करें तो “सा र गा मा पा धा नी” सहलार पर “नी” जाकर पहुँचता है। इसी प्रकार इन सब चक्रों को शक्ति देने वाले ऐसे ग्रह भी हैं। जैसे मूलाधार पर मंगल, स्वाधिष्ठान पर बुद्ध, नाभि Read More …

Talk on Holi day New Delhi (भारत)

Talk on Holi Day Date 17th March 1984 : Place New Delhi : Puja Type English & Hindi Speech Language contents Hindi [Original transcript Hindi talk, Scanned from Hindi Nirmala Yog] आप लोग रूपया तक देने भई सुबह चार बजे उठो, अगर कानफन्स है तो। से घबराते है । यह गलत वात जो जरूरी चोज है वह है ध्यान करना। जो बड़ा है। यह सुनकर तो मुझे बड़ा goal (उद्देश्य) है उसे देखना चाहिये। जो चीज आ्चय हुआ कि बम्बई के लोग है, बह है ज्यान करना। Conference (सभा) ह जो औ जरूरी चीज है, वो है ध्यान करना जो बड़ा यह goal सब में ककषमकश लगी रहेगी कि है उसे देखना चाहिए। दफ्तर थोड़ा सा आपने नहीं किया तो भी कुछ नहीं जायेगा, क्योंकि lower मंगिना पडता है। रूपया तो क भी बम्बई में goal (निम्न उदश्य) है । ऐसे हजारों दफ्तर वाले कम नहीं होता। आपको माजूम है कि वम्बई मैंने देख लिये जो कि फाइलों पर फाइल लाद के में लोग हज़ारों रुपया खर्च करते हैं और अपने मर गये लेकिन कोई पूछता भो नहीं कि कहां गये और यहाँ उन्होंने बना रखा है कि इतना रूपया हम कहाँ खत्म हो गए हजारों को में जानती है क्योंकि भगवान के माम पर रखेंगे। यह वड़ी शमें की बात मैंने जिन्दगी भर इन्हीं लोगों के साथ जिन्दगी काटी है कि इन लोगों को आपसे रूपया माँगना पड़ता है । तो दपतर की जो महत्ता है वो मैं अंब जानती हैं और इस तरह की चीजें नहीं होतो चाहिए Read More …

Public Program, Hridhay Aur Vishuddhi Chakra New Delhi (भारत)

Hridaya Aur Vishuddhi Chakra Date 16th March 1984 : Place Delhi : Public Program Type : Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, Scanned from Hindi Nirmala Yog] शान्त-चित्त, धार्मिक और बहुत सरल, शुद्ध और सादे परादमी हैं। वो मेरे पर पर गिरके रोने लगे । कहने लगे, “माँ, ये सब मैंने किया। लेकिन मैं बड़ा सत्य को खोजने वाले सारे भाविक, सात्विक साधकों को मेरा अशान्त हो गया है। मैंने कहा, क्यों, क्या बात है ? श्रपने तो बहुत कुछ पा लिया। यहाँ सबकी सुभत्ता अ्र गयी कहने लगे, मैंने एक बात नहीं जानी प्रणाम । कल आपको मैंने आ्रपने अन्दर बसा हुआ जो नाभि चक्र है उसके वारे में बताया या कि ये नाभि चक् हमारे अन्दर जिससे हम अपने क्षेम थी कि इस सभत्ता से दुनिया इतनी खराव ही जायेगी। हमारे यहाँ लोग जो हैं इतने आदततयी को गये हैं । यहाँ शराब इस कदर ज्यादा चलने लग गयी है। यहां पर बच्चे बिलकुल वाहियात हो गये सर्वसे बड़ी शक्ति देता है को पाते हैं। जैमे कि कृष्ण ने कही था ” योग क्षेम वहाम्यहम । पहले योग होना चाहिए, फिर अ्षम होगा । योग के बगैर क्षम नहीं ही सकता औोर है। यहां पर कोई किसी की सुनता नहीं । औरतें ी पपने को पेसे में ही तोलने लग गई हैं। ये सब देखक र के मुझे लगता है कि ये मैने क्या कर क्योंकि हमने इस देश में पहले योग को खयोजा नहीं इसलिए हमारा देश क्षेम को प्राप्त नहीं। क्षेम के बारे में मैंने Read More …

Dinner Party New Delhi (भारत)

1984-0315 का Nabhi चक्र [हिंदी] नई दिल्ली (भारत) नाभि चक्र की तारीख 15 मार्च 1984: स्थान दिल्ली: सार्वजनिक कार्यक्रम प्रकार: भाषण भाषा हिंदी [मूल प्रतिलिपि हिंदी बातचीत, हिंदी निर्मल योग से स्कैन किया गया] परमात्मा को खोजने वाले सभी सत्य साधकों को हमारा प्रणाम! आज दो तरह के गाने आपने सुने हैं, पहले गाने में एक भक्त विरह में परमात्मा को बुलाता है। इसे अपराभक्ति कहते है और जब परमात्मा को पा लेता है, जैसे कबीर ने पाया था, तो उसे पराभक्ति कहते हैं। दोनों में ही भक्ति है। इसे कृष्ण ने अनन्य भक्ति कहा है- जहाँ दूसरा कोई नहीं होता, जहाँ साक्षात् परमेश्वर अपने सामने होते हैं, उस वक्त जो हम लोगों का भक्ति का स्वरूप होता है उसे उन्होंने पराभक्ति कहा-अनन्यभक्ति।  किन्तु जब हम परमात्मा को याद करते हैं. उनको स्मरण करते हैं, तब उसकी आदत-सी हो जाती है। जब इन्सान को इस चीज की आदत-सी हो जाती है, तो उस आदत से छूटने में उसे बड़ा समय लगता है।  वह यह मानने को तैयार ही नहीं होता कि उसकी यह जो साधना है, यह खत्म होने की बेला आई है । और इसी वजह से भक्तों ने भी दृष्टाओं को, सन्तों को, मुनियों को पहचाना नहीं। आप जानते हैं इतिहास में हमेशा सन्तों को इतनी परेशानियाँ उठानी पड़ीं। यह नहीं कि सबने उनको सताया, लेकिन जिन्होंने सताया उनको किसी ने रोका नहीं और समझाया नहीं कि ये सन्त है, ये साधु है। अब हमारे समाज में, खासकर के शंहरों में, विविध विचारों के लोग रहते हैं । Read More …