Diwali Puja: The Need for Sincerity Los Angeles (United States)

                                                    दीवाली पूजा  लॉस एंजिल्स (यूएसए), 9 नवंबर 2003 आज दीपावली का महान दिन है। इसका मतलब है कि आज दुनिया को एक उचित दिशा में ले जाने के लिए एक बड़ा प्रकाश बनाने के लिए प्रकाश, अपने दिलों के प्रकाश को एक साथ शामिल करने का महान दिन है। यह बहुत खुशी का दिन है, और इसमें शामिल होने वाले भी बहुत आनंद फैला रहे हैं। लेकिन समस्याएं हैं, जैसा कि वे कहते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई समस्या नहीं है क्योंकि अंधकार नहीं है, हम कहीं भी अंधकार नहीं देखते है, हमें प्रकाश, प्रकाश और प्रकाश ही दिखाई देता है। फिर किस चीज की कमी है, जो गुम है वह है हमारी निष्ठा। हमें स्वयं के प्रति बहुत ईमानदार होना होगा, क्योंकि यह केवल उधार लिया हुआ प्रेम या उधार का आनंद नहीं है, बल्कि यह स्रोत के भीतर से है, यह प्रवाहित है, बह रहा है और बह रहा है। तो उसे जगाना है, और वह प्रेम बहना चाहिए, और हमारी छोटी-छोटी क्षुद्र चीजें जैसे ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा और वे सभी ख़राब करने वाली चीजें हैं, उन्हें स्वच्छ करना चाहिए। और अगर आपका दिल प्यार से भरा है तो इसे धोया जा सकता है। आज का दिन प्रेम, प्रेम का प्रकाश फैलाने का है, जिससे हर कोई प्रबुद्ध और प्रसन्न महसूस करता है और इन छोटी-छोटी समस्याओं को भूल जाता है। मुझे खुशी है कि आपको कोई हॉल मिल गया है, यह सब भाग्य है कि हमें मिल गया, लोग हॉल पाने के लिए बहुत चिंतित थे। लेकिन Read More …

Shri Krishna Puja: Ananya Bhakti New York City (United States)

श्री कृष्ण पूजा| निर्मल नगरी, कैनाजोहारी, न्यूयॉर्क (यूएसए), 29 जुलाई 2001।   आज हम सब यहां श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। श्री कृष्ण, जो विराट थे, उन्होंने युद्ध भूमि में प्रवेश किए बिना ही हर तरह की बुराई से लड़ाई की। श्री कृष्ण का जीवन, अपने आप में बहुत ही सुंदर, रचनात्मक और प्रेमपूर्ण है, लेकिन उन्हें समझना आसान नहीं है।   उदाहरण के लिए, कुरुक्षेत्र में, जब युद्ध चल रहा था और अर्जुन उदास हो गए थे, तब अर्जुन ने पूछा, : “हम क्यों लड़ें, अपने परिजनों से, क्यों लड़ें अपने ही करीबी रिश्तों, दोस्तों और अपने गुरुओं से? क्या यह धर्म है ? क्या यह धर्म है?” इससे पहले, गीता में, श्री कृष्ण ने एक व्यक्तित्व का वर्णन किया है जो एक ऋषि हैं। हम उन्हें संत कह सकते हैं। उन्होंने इसे स्तिथप्रज्ञ कहा । इसलिए, जब उनसे पूछा गया कि स्तिथप्रज्ञ की परिभाषा क्या है, तो उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का विवरण दिया, जो अपने आप में शांत है और अपने वातावरण के प्रति भी शांत है।   यह आश्चर्यजनक है |  यह ज्ञान उन्होंने गीता में प्रथम स्थान पर दिया। यह सबसे उत्तम है, उन्होंने  इसे ज्ञान मार्ग कहा है । यह सहज योग है, जिससे आप सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त करते हैं। लेकिन उसी समय, जब आप उन्हें अर्जुन को सलाह देते हुए देखते हैं, तो यह बहुत आश्चर्यजनक है कि यहाँ वे केवल आध्यात्मिकता की बात कर रहे है , पूर्ण अनासक्ति की | और वहाँ वे अर्जुन से कह रहे है कि: “तुम जाओ Read More …

Diwali Puja Los Angeles (United States)

                                                  दीवाली पूजा  पिरू झील, लॉस एंजिल्स के पास, कैलिफोर्निया (यूएसए) – 29 अक्टूबर 2000। पूरी दुनिया के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है कि हम इस दीवाली पूजा को अमेरिका में मना रहे हैं। यह बहुत ज़रूरी है। यहां, जहां लोग पैसा कमाने में सक्षम हुए हैं, कभी-कभी बहुत पैसा है, और ऐसे लोग भी हैं जो पैसे के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। जब हम दीवाली की बात करते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि – दीवाली के दिन हम इतनी सारी रोशनी क्यों करते है? रोशनी और पानी में उत्पन्न  हुई लक्ष्मी, जो पानी में खड़ी होती है, का संयोजन क्या है? यह संयोजन क्यों है? वह पानी में खड़ी थी, जैसा कि हम जानते हैं, समृद्धि का प्रतीक; जो मानव जागरूकता में निर्मित है कि वह समृद्ध हो सकता है। पशु समृद्ध नहीं होते हैं। सबकी अपनी मर्यादा है, वृक्षों की मर्यादा है। मनुष्य ही समृद्ध हो सकता है। लेकिन अगर उन्हें अपने मर्यादाओं का बोध नहीं है, तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत ही पतनशील और विनाशकारी है। तो प्रकाश प्रतीक है कि लक्ष्मी के आशीर्वाद वाले सभी लोगों को खुद को प्रबुद्ध करना चाहिए, प्रकाशित होना चाहिए, और उन्हें दूसरों को भी प्रबुद्ध करना चाहिए। लेकिन वास्तव में, तथाकथित लक्ष्मी प्राप्त होते ही वे बिल्कुल अंधे हो जाते हैं, और वे भूल जाते हैं कि लक्ष्मी के आशीर्वाद के पीछे क्या है। सबसे पहले, जैसा कि हम देखते हैं, लक्ष्मी का यह प्रतीक कैसे प्रतिनिधित्व करता है, मैंने आपको Read More …

Have you been able to know yourself? New York City (United States)

2000-06-16 सार्वजनिक कार्यक्रम, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका “… एक साथ वे खोज रहे हैं, खोज रहे हैं खोज रहे हैं परन्तु क्या? और उस खोज से आपको क्या प्राप्त होने वाला है ? आप भली-भांति जानते हैं शास्त्रों में ,उन सभी में, यह लिखा है- आपको स्वयं को जानना है। आप स्वयं को नहीं जानते, यही मुख्य बिन्दु है। सर्वप्रथम  आपको स्वयं को जानना चाहिए। अपनी सभी खोजों के साथ, अपने सभी प्रयासों के साथ,  सभी प्रकार की कलाबाजियां करके, क्या आप स्वयं को जानने‌ में सक्षम होंगे? हमें यह प्रश्न पूछना चाहिए । मात्र इसलिए ,क्योंकि कभी-कभी आप बहुत अच्छा अनुभव करते हैं, आपको लगता है कि आप बहुत शांतिपूर्ण हैं, या आपको लगता है कि आप हवा में उड़ रहे हैं – ये सभी चीज़ें, ये सब दिखावा है। यह सब दिखावा है और हम  इतने वर्षों से यह सब कर रहे हैं । मैं नहीं जानती कि क्या हो जाता है हमारी सोच और हमारी समझ  को, जब वह परमात्मा के विषय में हो ।वही  दिव्यता जो आपके अन्दर है , उसका आपके ऊपर क्या प्रभाव होना चाहिए जिसके द्वारा  ( सर्वप्रथम), आप स्वयं को जानते हैं। यह देश साधकों से परिपूर्ण है, मैं जानती हूं । और मैं यह पाती हूं कि, एक पूंजीवादी देश होने के कारण, वे सोचते हैं कि परमात्मा को भी ख़रीदा जा सकता है, यहां तक कि गुरुओं को भी ख़रीदा जा सकता है । यदि आप किसी को ख़रीद सकते हैं, अगर आप किसी को पाल सकते हैं, तो वे Read More …

Shri Krishna Puja: Freedom Without Wisdom Is Dangerous New York City (United States)

08.06.1997 न्यू जर्सी, यू.एस. ए  श्री कृष्ण पूजा – स्वतन्त्रता  बिना सद्बुद्धि स्वतन्त्रता भयंकर है आज हमने श्री कृष्ण पूजा करने का निर्णय लिया है श्री कृष्ण की भूमि में, यद्यपि यह श्री कृष्ण की भूमि है लोग मुझसे पूछते हैं कि लोग आध्यात्मिक क्यों नहीं हैं? ऐसा कैसे है कि वे विभिन्न प्रकार  के खोज-प्रयासों में उलझ जाते हैं जो सत्य की ओर नहीं ले जाते हैं।  ऐसा क्यों है कि अमेरिका में लोग इतने सतर्क नहीं हैं कि वे पहचान सकें कि सच्चाई क्या है और उन्हें क्या पाना है? श्री कृष्ण का समय, जैसा कि आप जानते हैं, श्री राम से कम से कम दो हजार (साल) बाद था। और श्री राम ने बहुत से अनुशासनों का सृजन किया मानवों के अनुसरण करने के लिए जिन्हें उन्हें उत्थान के मार्ग पर पालन करना था।  समय के अनुसार सब कार्य होते हैं। इसलिए लोग बेहद हठी और अनुशासित थे,  और ऐसा हुआ कि लोगों ने सत्य के साथ संपर्क खो दिया। वे अपनी पत्नियों को छोड़ देते, अपनी पत्नियों के साथ बुरा व्यवहार करते,  श्री राम के नाम पर सभी प्रकार की बातें करते क्योंकि हमेशा मनुष्य कुछ ऐसा करने लगते हैं जो सही नहीं है। दूसरा पक्ष उन्होंने कभी नहीं देखा कि  कैसे राम, सीताजी के पीछे चले गये उन्हें खोजने के लिए, और उन्होंने  भयानक राक्षस रावण के साथ युद्ध किया अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए।  तो दूसरा पक्ष लोग कभी नहीं देखते।केवल यह पक्ष उन्होंने देखा कि वह अपनी पत्नी के साथ बहुत Read More …

Devi Shakti Puja New York City (United States)

श्री देवी शक्ति पूजा, न्यूयॉर्क, 8 अक्टूबर 1995 रूस और पूर्वी ब्लॉक के देशों में मैंने (श्रीमाताजी) केवल चार वर्षों से ही कार्य करना प्रारंभ किया है और आप देखिये वे लोग किस तरह से सहजयोग के प्रति स्वयं को ज़िम्मेदार समझने लगे हैं। रूस में सहजयोग साइबेरिया तक फैल चुका है और साइबेरिया के लोग मात्र अपने व अपने आश्रम के लिये ही नहीं जीते। उनके यहां एक स्थान है नोवाशिवी जहां काफी संख्या में वैज्ञानिक रहा करते हैं क्योंकि ज़ारों और बाद में कम्यूनिस्टों ने कई वैज्ञानिकों को अपने यहां से निष्काषित कर दिया था और उसके बाद ये लोग यहां पर आ बसे। यहां पर रहते हुये इन लोगों ने खोजना प्रारंभ किया कि वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है? किस तरह से हम आध्यात्मिक बन सकते हैं? उनमें सामान्य लोगों की तरह से न तो कोई लड़ाई था और न कोई झगड़ा और न कोई मूर्खता पूर्ण बातें थीं… न ही किसी प्रकार का प्रभुत्ववाद और न अहं आदि था। मैं वहां अभी-अभी एक सप्ताह पहले गई थी। मेरे वापस आने से पहले एक दिन एक वैज्ञानिक मेरे पास आया। उसकी आंखे समुद्र के समान गहरी थीं ….. बहुत सुंदर और वह रूस का एक जाना माना वैज्ञानिक था और काफी बड़े पद पर था। उसने लोगों को मेरे बारे में बहुत अधिक तो नहीं बताया ….. पर वह केवल मुझसे मिलना चाहता था। जब वह मुझसे मिलने आया तो उसने झुक कर मेरा हाथ लेकर चूमा। उसकी आंखों में मुझे प्रेम व श्रद्धा के समुद्र की Read More …

Shri Vishnumaya Puja: Stop Feeling Guilty Shawnee on Delaware (United States)

Shri Vishnumaya puja. Shawnee, Pennsylvania (USA), 20 September 1992. आज हमने विष्णुमाया पूजा करने का निर्णय लिया है । इस संदर्भ में,  यह  ज्ञात होना चाहिए  कि यह विष्णुमाया कौन हैं  और  इनका – आप इसे पौराणिक कह सकते हैं,  पर यह एक ऐतिहासिक संबंध है । मैंने आपको बताया है कि अमरीका श्री कृष्ण का देश है और वह कुबेर हैं, साथ ही वह यम भी  हैं । क्योंकि वह कुबेर हैं, लोगों को उनकी संपन्नता मिली है, वो अमीर लोग हैं, उनके पास , कहीं भी और से अधिक धन है, लेकिन अगर आपको  स्मरण नहीं है, कि आपको संतुलन रखना है और यह भी कि श्री कृष्ण की शक्ति महालक्ष्मी की शक्ति है। इसलिए महालक्ष्मी तत्व ऐसा  है कि जहां  खोज महत्वपूर्ण है, विष्णु तत्व वो है जब श्री लक्ष्मी उनकी शक्ति हैं। एक निश्चित सीमा तक लक्ष्मी प्राप्त करने के बाद, फिर आप एक नई जागरूकता या एक नए प्रकार की खोज में कूद पड़ते हैं जो उस आत्मा की खोज  है जहां महालक्ष्मी सिद्धांत शुरू होता है, वह मध्य मार्ग है । यहाँ तक तो, अवश्य ही अमरीका में इसे शुरू कर दिया, महालक्ष्मी तत्व, लेकिन लोगों को नहीं पता था, वो विवेक नहीं था, वो नहीं जानते थे  कि इस खोज में किस मार्ग पर जाना है, और इतने सारे लोग झूठे विज्ञापनों के वादों द्वारा मोहित हो गए, हर प्रकार के दावे, सभी प्रकार के प्रलोभन  और दूसरी चीजों  से, और मैं बहुत समय पहले यहां आयी  थे जहां मुझे पता था कि Read More …

Become the light and give the light Spreckels Organ Pavilion, San Diego (United States)

Public Program Day 2, San Diego (USA), 19th of June, 1989 सार्वजनिक कार्यक्रम  दूसरा दिवस   सैन डिएगो (यूएसए), 19 जून, 1989 कृपया बैठ जाएँ। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। जैसा कि मैंने कल आपको बताया था कि हम सत्य की अवधारणा नहीं बना सकते। हम इसे बदल नहीं सकते, हम इसे व्यवस्थित नहीं कर सकते। सत्य की समझ एक अनुभव है|  सत्य को आपकी अनुभूति में होना आवश्यक है। यह इसके बारे में सिर्फ एक मानसिक रवैया नहीं है। क्योंकि दुनिया में,  अगर आप देखें तो ऐसे लोग हैं जो इस या उस तरह के दर्शन को मानते हैं,  इस या उस धर्म को मानते हैं,  हर तरह की बातों को मानते हैं और बड़े आत्मविश्वास से कहते हैं, मैं उस पर विश्वास करता हूं। लेकिन आपके जो भी विश्वास हों, आपका दर्शन या आपका धर्म कोई भी हो, कोई भी व्यक्ति कुछ भी पाप कर सकता है, किसी भी प्रकार की हिंसा कर सकता है, किसी का भी अहित कर सकता है। कोई रोकथाम नहीं है। आप ऐसा नहीं कह सकते कि चूँकि मैं अमुक -अमुक हूं , ऐसा नहीं कर सकता। इसका मतलब है कि विश्वास केवल ऊपरी तौर पर है। और इसलिए हम दूसरों की आलोचना किए चले जाते हैं। अब उदाहरण के लिए यदि आप मुसलमानों के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप यहूदियों से बात करें। और अगर आप यहूदियों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप ईसाइयों से बात करें। यदि आप ईसाइयों के बारे में जानना चाहते Read More …

Arrival and Virata Puja Camp Wonposet, Litchfield (United States)

                                                श्री विराट पूजा।  कैंप वोनपोसेट, कनेक्टिकट (यूएसए), 11 जून 1989 आज हमने श्री कृष्ण की भूमि में विराट की पूजा करने का निर्णय लिया है। जैसा कि आप जानते हैं, श्री विष्णु की अभिव्यक्ति के विकास में, वे दस अवतारों में आते हैं और अंततः वे स्वयं को विराट के रूप में प्रकट करते हैं। विराट अस्तित्व का मस्तिष्क है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहा जा सकता है, इसलिए संपूर्ण मध्य तंत्रिका तंत्र श्री कृष्ण द्वारा विष्णु के रूप में काम करता है, फिर ये सभी अवतार, फिर श्री कृष्ण और अंततः विराट के रूप में। यह हमारे मस्तिष्क का विकास है और जब हम विराट की पूजा कर रहे हैं तो हमें यह जानना होगा कि हमारे भीतर भी विराट की इस शक्ति की अभिव्यक्ति है।  हमारे पास जो अभिव्यक्ति है, हम उसे विराट कह सकते हैं यदि श्री कृष्ण महा विराट हैं।  आज जितना मैं कह सकती हूँ उससे कहीं अधिक आप सभी विराट के बारे में जानते हैं क्योंकि यह समग्र है, यह समग्रता है। और हर चीज की समग्रता, अगर वह विराट है, तो वह आपके दिमाग में है, लेकिन वास्तविकता आपके हृदय में है। तो आप जिस समग्रता को देख सकते हैं, जिसके आप साक्षी हो सकते हैं, वास्तविकता उसके पीछे की सूक्ष्मता है। तो जिस मस्तिष्क पर हृदय का शासन नहीं है, जो हृदय से पोषित नहीं है, वह बहुत खतरनाक चीज है, क्योंकि यह बहिर्मुखता पैदा करता है, और ऐसा व्यक्ति जो बिना हृदय के चीजों को करने की कोशिश करता है, बहुत निर्दयी Read More …

Advice: Beware of the murmuring souls Armonk Ashram, North Castle (United States)

अरमोंक आश्रम में सलाह\खुसुरफुसुर करने वालों से सावधान   न्यूयॉर्क (यूएसए), 27 जुलाई 1988 यहां आकर और आप सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा! आप की मेहरबानी है की आपने मुझे अपने आश्रम में आमंत्रित किया। तो इन दो दिनों के कार्यक्रमों के अनुभव से आपने महसूस किया होगा कि,  हमने वह प्राप्त किया, हालांकि शुरुआत में यह दुर्जेय दिखता है, परिणाम प्राप्त करना और लोगों को आत्म-साक्षात्कार करना इतना मुश्किल नहीं है। मुझे लगता है कि आप सभी बहुत समझदार हैं और आपने इसे बहुत अच्छे से कार्यान्वित किया है। यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात थी, मेरे लिए इतनी खुशी की बात है कि आपने इतने सारे लोगों को आत्मसाक्षात्कार दिया और आप उन्हें सहज योग के बारे में समझाने में कामयाब रहे। इस आधुनिक समय में, विशेष रूप से अमेरिका और इसी तरह के अन्य देशों में, यह बहुत मुश्किल है ऐसा कि लोगों के लिए यह जान पाना असंभव है कि परे भी कुछ है। बेशक, अनजाने में वे खोज रहे हैं – अनजाने में। वे इस बात से भी अवगत नहीं हैं कि उनमें आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने की संभावना है। और इतने नकली लोग आ गए हैं कि उन्हें लगता है कि यह भी एक और तरह की गुरु खरीददारी है जिससे उन्हें गुजरना है। और जब मैं पहली बार अमेरिका आयी थी…मुझे लगता है कि,  एक तरह से सबसे पहले जिस देश में मैं आई थी वह अमेरिका था। उससे पहले मैं ईरान गयी थी क्योंकि मेरा भाई (बाबा मामा) वहां था। और जब Read More …

Shri Buddha Puja: He is the one who is in charge of your ego YMCA Camp Surf, San Diego (United States)

श्री बुद्ध पूजा : 23 जुलाई,1988 आज हमने बुद्ध जयंती मनाने का निश्चय किया है। यह बुद्ध का जन्म दिन है। सम्पूर्ण काल चक्र में बुद्ध का इस धरती पर आगमन, एक ऐसे समय में हुआ जो उनके आगमन के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उस समय, विशेष रूप से भारत में, हमारे यहाँ दो प्रकार के लोग थे।एक  जो बहुत ही कर्मकांडी थे, अत्यंत कड़क  तथा अनुशासित होने हेतु प्रयासरत थे । और दूसरे वे लोग थे जो, बहुत अधिक बंधन ग्रस्त थे एवं  परमात्मा के प्रति तथाकथित भक्तिभाव से परिपूर्ण  थे। इस तरह साधकों के क्षेत्र में  ये दो प्रकार के लोग विद्यमान  थे ।अतः यह आवश्यक था कि साधना की इन दोनो शैली का अंत  किया जाए। बुद्ध एवं महावीर को ,तात्त्विक रूप में, हनुमान तथा भैरव का दैवीय सहयोग प्राप्त  है ,जो कि,  जैसा कि  आप जानते हैं, गेब्रियल एवं संत माइकल हैं । जिस तत्व ने जन्म लिया था वह एक शिष्य का तत्व है । और इस तत्व का जन्म ,बहुत पहले  श्री राम के दो पुत्रों के रूप में हो चुका था। यह  तत्व  इस धरती पर लाया गया तथा  अवतरित हुआ। पहला , मानव के अहंकार पर विजय पाने के लिए। दूसरा  मानव के प्रति- अहंकार को जीतने के लिए। बुद्ध, जब उनका जन्म हुआ, उन्होंने पाया कि सभी जगह दुख -क्लेश व्याप्त था। और उनके अनुसार यह दुख- क्लेश हमारी इच्छाओं के कारण था। इसलिए इच्छा-रहित होना ही निर्वाण प्राप्त करने का सर्वोत्तम मार्ग  है।  वह इसी निष्कर्ष पर पहुँचे। लेकिन इच्छा-रहित Read More …

Shri Vishnumaya Puja: She has created a big maya YWCA Camp, Pawling (United States)

श्री विष्णुमाया पूजान्यूयॉर्क (यूएसए), 9 अगस्त 1987। आज हम यहां विष्णुमाया की पूजा करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। विष्णुमाया मानव प्रयास से भी निर्मित होती है। जैसा कि आप बादलों को देखते हैं, जब वे एक दूसरे के खिलाफ रगड़ते हैं, तो बिजली पैदा होती है। तो पहले बादलों को बनाना होगा। सूर्य समुद्र पर कार्य करता है। देखें कि कितने चक्र चलन में आते हैं! समुद्र भवसागर है, और सूर्य समुद्र पर कार्य करता है। साथ ही चंद्रमा समुद्र पर कार्य करता है। इसके फलस्वरूप बादल बनते हैं। यह बिजली समुद्र में पैदा नहीं होती है – इससे समस्याएं पैदा होंगी। आकाश में इसलिए बनाया गया है कि हर कोई इसे देख सके, सुन सके। वे पहले इसे देखते हैं और बाद में सुनते हैं। यह सब सुव्यवस्थित है, सुविचारित है – यही विष्णुमाया है। लेकिन इसे भी, इस पृथ्वी पर मनुष्यों द्वारा कुछ समझ के साथ बनाया गया था। सबसे पहले उन्होंने दो बादलों को आपस में रगड़ते देखा। तो आदिम अवस्था में, मनुष्य ने बिजली बनाने के लिए दो भौतिक चीजों को रगड़ने की कोशिश की। तो दो भौतिक चीजें, यानी पदार्थ के दो हिस्से, रगड़ने पर बिजली पैदा हुई। यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है: पदार्थ का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा सकता है! पदार्थ से बिजली की चिंगारी निकलती है। पदार्थ के बिना, वे खाना बनाना शुरू नहीं कर सकते थे। तो इसने कैसे भवसागर की मदद की है। पहले समुद्र से आकाश में गयी, लोगों को बिजली पैदा करने का संदेश दिया। Read More …

Talk, Eve of Shri Vishnumaya Puja YWCA Camp, Pawling (United States)

श्री विष्णुमाया पूजा से एक दिन पहलेन्यूयॉर्क (यूएसए), 8 अगस्त 1987। यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि आज,आप में से बहुत से अमेरिकी एकत्र हुए हैं, और कल आप विष्णुमाया पूजा करना चाहते हैं। मुझे वे दिन याद हैं जब मैं केवल कुर्सियों से ही बात करती थी, लेकिन इतने वर्षों में इतनी मेहनत करने के बावजूद, इस देश में इतनी बार यात्रा करने के बाद भी, किसी भी अन्य राष्ट्र की तुलना में हमारे पास बहुत कम सहज योगी हैं। श्रीकृष्ण के इस देश में लोगों का ध्यान धन पर लगाना अनिवार्य है, क्योंकि वे विष्णु के अवतार हैं और उनकी शक्ति लक्ष्मी है। लक्ष्मी धन की देवी हैं, लेकिन वह धन नहीं है जिसे “डॉलर” कहा जाता है। यह वह धन है जिसका अर्थ है भौतिक संपदा का पूर्ण, एकीकृत रूप। वैसे भी, पदार्थ में केवल एक ही शक्ति होती है: कि वह दूसरों के प्रति हमारे प्रेम का इजहार कर सके। जैसे, अगर आपको किसी से अपने प्यार का इजहार करना है, तो आप एक अच्छा उपहार या कुछ ऐसा बनाएँगे जो उस व्यक्ति के लिए उपयोगी हो; या तुम अपनी संपत्ति, धन अपने बच्चों को दे सकते हो।एक बहुत ही प्रतीकात्मक तरीके से, आप एक छोटा, छोटा सा पत्थर भी दे सकते हैं, यदि आप अपनी माँ को बच्चे हैं, जो भी आपको दिलचस्प लगता है की जो आपकी माँ को खुश करेगा। लेकिन हर समय, किसी को कोई वस्तु देने के पीछे का विचार है अपने प्यार और भावनाओं को प्रदर्शित करना – Read More …

Shri Ganesha Puja: Establishing Shri Ganesha Principle YMCA – Camp Marston, San Diego (United States)

सैन डिएगो (यूएसए), 7 सितंबर 1986। आज हम श्रीकृष्ण की धरती पर श्री गणेश जी का जन्मदिन मना रहे हैं। यह कुछ बहुत ही अभूतपूर्व और बहुत महत्वपूर्ण मूल्य का है कि आपको श्री कृष्ण के पुत्र का जन्मदिन उनकी ही भूमि में मनाना चाहिए। आप जानते हैं कि श्री गणेश ने इस पृथ्वी पर महाविष्णु के रूप में अवतार लिया था और वे राधा के पुत्र थे, जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह के रूप में अवतार लिया था। तो आज यह जन्मदिन मनाकर आप सबसे बड़े सत्य को पहचान रहे हैं कि प्रभु यीशु मसीह श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इसके बारे में यदि आप देवी महात्मायम में पढ़ते हैं तोएक कहानी है, किस प्रकार यह आदि बालक एक अंडे का रूप लेता है और इसका आधा हिस्सा श्री गणेश के रूप में रहता है और आधा महाविष्णु बन जाता है। उत्क्रांति की प्रक्रिया में पुरावशेषों की इन सभी घटनाओं को दर्ज किया गया है लेकिन आज मैं इतनी प्रसन्न महसूस कर रही हूं कि मानव स्तर पर लोग समझ गए हैं कि ईसा भगवान गणेश के अवतार हैं। वह शाश्वत संतान है लेकिन जिस रूप में वह मसीह के रूप में आये, वह श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में आये। लेकिन जब पार्वती ने श्री गणेश को बनाया, तब तो वे अकेली पार्वती के पुत्र थे। कोई पिता नहीं था। स्वयं पार्वती अपना ही एक पुत्र पैदा करना चाहती थीं। ऐसे देवदूत थे जो या तो विष्णु को या शिव को समर्पित थे, जैसे गण अकेले शिव को समर्पित Read More …

How to enlighten energy centers? Unity of Houston Church, Houston (United States)

उर्जा केंद्रों को कैसे प्रबुद्ध करेंसार्वजनिक कार्यक्रम, यूनिटी चर्च। ह्यूस्टन (यूएसए), 30 मई 1986। मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। हमें यह समझना होगा कि सत्य जो है सो है, हम उसकी कल्पना नहीं कर सकते। हम इसे प्रबंधित नहीं कर सकते। हम इसे आदेश नहीं दे सकते। बस एक वैज्ञानिक व्यक्तित्व की तरह से, हमारे पास यह देखने के लिए खुला दिमाग होना चाहिए कि यह क्या है। जैसे हम किसी भी विश्वविद्यालय या कॉलेज में जाते हैं, हम यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि वहां क्या है, उसी तरह जब हमें सच्चाई के बारे में पता लगाना है, तो हमें बहुत खुले विचारों वाला होना चाहिए। लेकिन जब हम ‘प्रेम’ की बात करते हैं, तो हमें पता होना चाहिए कि प्रेम और सच्चाई एक ही चीज है। परमेश्वर के प्रेम और स्वयं सत्य में कोई अंतर नहीं है। यह अंतर तब होता है जब हम ईश्वर के साथ एकाकार नहीं होते। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी से बहुत सांसारिक स्तर पर भी प्रेम करते हैं, यदि आप किसी से शारीरिक रूप से प्रेम करते हैं, तो आप कह सकते हैं, या शारीरिक रूप से, आप उस व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ जानते हैं; तुम बस इसे जानते हो। लेकिन जब तुम सत्य को जान लेते हो, तब तुम प्रेम बन जाते हो। और जिस प्रेम के बारे में मैं आपको बता रही हूं वह वो प्रेम है जो सर्वव्यापी है, जो क्रियांवित होता है, समन्वय करता है और सत्य है। लेकिन, Read More …

Shri Krishna Puja: Play the melody of God Englewood Ashram, New Jersey (United States)

श्री कृष्ण पूजाएंजलवुड (यूएसए), 2 जून 1985। आज हम श्री कृष्ण की पूजा करने जा रहे हैं। श्री कृष्ण इस धरती पर ऐसे समय आए थे जब भारत में लोग बहुत कर्मकांडी थे। वे तथाकथित ब्राह्मणों के दास बन गए थे, जिन्हें परमात्मा के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था क्योंकि उन्होंने एक ऐसी कहानी शुरू की थी कि एक ब्राह्मण का पुत्र ही ब्राह्मण हो सकता है। तो, जन्म ने व्यक्ति की जाति निर्धारित की। उसके पहले ऐसा नहीं था कि ब्राह्मण का पुत्र ब्राह्मण होगा। यह भी सच है कि यदि आप एक साक्षात्कारीआत्मा हैं, वास्तविक अर्थों में, यदि आप वास्तव में साक्षात्कारीआत्मा हैं, तो आपको अवश्य ही ऐसा एक बच्चा प्राप्त होना चाहिए जो एक साक्षात्कारी आत्मा हो। और ऐसे ही यदि यह कहा जाए कि यदि पिता ब्राह्मण है, साक्षात्कारी आत्मा है, तो उसका पुत्र भी ब्राह्मण हो जाता है। चुंकि आप एक सहज योगी हैं, अब आप समझ सकते हैं कि एक सहज योगी का पुत्र सामान्य रूप से सहज योगी बन जाता है। तो यह तय हुआ कि ब्राह्मण के बच्चों को ब्राह्मण कहा जाएगा। धीरे-धीरे, इसका मतलब यह हुआ कि ब्राह्मण से पैदा हुए किसी भी बच्चे को ब्राह्मण कहा जाता था। अब, हमने देखा है कि कई सहजयोगियों के पास भी अपने बच्चों के रूप में साक्षात्कारी आत्मा नहीं है। हो सकता है उनके अपने कर्म, शायद बच्चे के, कुछ भी हो, लेकिन मैंने भी कुछ सहजयोगियों को भयानक शैतानी बच्चे होते देखा है। तो, यह दर्शाता है कि यह आपके Read More …

Devi Puja: Steady Yourself San Diego (United States)

देवी पूजा.सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया (यूएसए), 31 मई 1985परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।कृपया बैठ जाएँ। (सिर्फ रिकॉर्ड करने के लिए, हम्म?)सैन डिएगो के आश्रम में आकर बहुत खुशी हो रही है। और यह इतनी खूबसूरत जगह है, ईश्वर के, परमात्मा के प्यार को इतना व्यक्त करते हुए, जिस तरह से परमात्मा हर कदम पर आपकी मदद करना चाहता है। यदि आप एक आश्रम चाहते हैं, यदि आप एक उचित स्थान चाहते हैं, आप अपने बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल करना चाहते हैं, आप ईश्वरीय काम करना चाहते हैं, हर चीज की देखभाल की जाती है, हर चीज कार्यांवित होनी पड़ती है। अगर यह कार्यांवित ना हो तो आप किस तरहअपना काम करेंगे? तो, यह सब काम करता है। और यह इतना स्पष्ट है, जिस तरह से हमारे पास अलग-अलग आश्रम हैं, बहुत ही उचित धनराशि जो हम खर्च कर सकें में ऐसे आरामदायक स्थान उपलब्ध हैं, कि हम एक साथ खुशी से रह सकते हैं। यह आपके लिए प्यार से बनाया गया घर है। तो सबसे पहले हमें एक बात याद रखनी होगी कि आपस में पूर्ण प्रेम हो। [मराठी] हमें उन लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए जो हमें बांटने की कोशिश करते हैं, जो हमें गलत विचार देने की कोशिश करते हैं। ऐसे व्यक्ति को पहचानना जो दिल से सहजयोगी हो बहुत आसान है। पहचानना बहुत आसान है। आपको थोड़ा और संवेदनशील होना होगा और आप ऐसे व्यक्ति को बहुत आसानी से खोज लेंगे। जो कोई भी चालाक हो, उसे खोजा जा सकता है। अब कोई परमेश्वर के विरुद्ध Read More …

Conversation After Shri Krishna Puja New Jersey (United States)

                 श्री कृष्ण पूजा के बाद वार्ता  न्यू जर्सी (USA) रविवार, 19 अगस्त, 1984 श्री माताजी: क्रिस्टीन की तरह, मुझे कहना चाहिए, मैरी यहाँ आई, उसके मंगेतर के साथ, बड़ी आपत्ति हुई, कल्पना कीजिए कि फ्रांसीसी लोगों को मैरी के अपने मंगेतर के साथ आने पर आपत्ति है, आप देखिए, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि फ्रांसीसी दूसरे चरम पर जा रहे हैं, (हंसते हुए)। मेरा मतलब है कि यह बेतुका है, और मुझे बड़े-बड़े टेलीफोन कॉल करते हैं कि माँ, यह हो गया है और यह होने जा रहा है और वह है। मैंने कहा कि देखो ये फ्रेंच मुझे इस बारे में बता रहे हैं। क्या तुम कल्पना कर सकती हो? अब वे नहीं चाहते कि आप किसी और से बात भी करें, जो कि आपका मंगेतर है, शादी से पहले, उस व्यक्ति की तरफ देखना भी नहीं चाहिए! ऐसे फ्रेंच (बड़ी हँसी) क्या आप विश्वास कर सकते हैं! (हँसी) मेरा मतलब उस की चरम सीमा से है! तो मैंने उससे कहा कि बेहतर हो मत जाओ लेकिन उनके पास टिकट थे और वे वापस नहीं कर सके, मैंने कहा ‘बाबा मत जाओ’, हर जगह से बड़ी आपत्ति, मैं खुद इस पर चकित हूं (हंसते हुए) और यह एक नया प्रकार है किसी समस्या के आने का। मैं नहीं समझ सकती (हंसते हुए)। मैंने देखा है कि ऐसा होता है, एक और अति, आप देखिए कि, वे जो करते रहे हैं उससे बहुत तंग आ चुके हैं। अब बस इसी तरह का कुछ अधिक नहीं चाहते हैं, लेकिन Read More …

Guru Puja: this finger has to be strong (United States)

गुरु पूजा, ह्यूस्टन, यू.एस.ए, २० सितंबर १९८३  तो, आज हम सबसे पहले गणेश पूजा करेंगे, क्योंकि गणेश अबोधिता हैं और हमें उन्हें किसी भी ऐसे स्थान पर स्थापित करना चाहिये, जहाँ हम कोई कार्य आरंभ करना चाहते हैं या इसके विषय में कुछ करना चाहते हैं । क्योंकि वे अबोधिता हैं और अन्य कुछ और सृजित होने से पूर्व अबोधिता का सृजन हुआ था। मुझे कहना चाहिए कि यह सबसे प्रबल शक्ति है: अबोधिता।  और तब हम गुरु पूजा करेंगे, जो वास्तव में आदि गुरु हैं, ‘प्राइमोर्डीयल मास्टर’ (आदिकालीन गुरु), जिन्होंने इस पृथ्वी पर अनेकों बार अवतरण लिया । और जैसा कि आप जानते हैं, दत्तात्रेय के रूप में उनका जन्म हुआ, फिर जनक, नानक व अन्य अनेक रूपों में उनका जन्म हुआ। वह सिद्धांत हमारे अंदर है और यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हमें गुरु नानक या जनक या इनमें से किसी भी आदि गुरु के सिद्धांत को अपने अंदर विकसित करना चाहिए। क्योंकि यदि आत्मा गुरु है तो हमें स्वयं का गुरु बनना होगा। और गुरुओं की शक्ति यह है कि वे अबोधिता के मूलतत्व हैं – सृजनकर्ता की, पालनकर्ता की, तथा संहारक की । वे इन सभी की अबोधिता हैं। उनमें से, इस महान व्यक्तित्व – इन तीन व्यक्तित्वों की अबोधिता से – इस महान अवतरण का निर्माण हुआ। और उनकी अबोधिता, वस्तुओं के प्रति उनकी निर्लिप्तता से प्रकट होती है। वे सब जगह अन्य मनुष्यों के समान रहते हैं: विवाहित, परिवारों में रहने वाले, किंतु पूर्णतः निर्लिप्त। जब तक आप में यह सिद्धांत जागृत नहीं होता, Read More …

Shri Krishna Puja Los Angeles (United States)

श्री कृष्णा पूजा, लॉस एंजल्स (संयुक्त राज्य अमरीका ) १८ सितम्बर , १९८३  पहली बार जब मैं संयुक्त राज्य अमरीका में आई, तो सबसे पहले लॉस एंजिल्स आई थी । क्योंकि, ये देवदूतों का स्थान है। वास्तव में, मैंने सोचा था कि बिलकुल  ये बहुत पवित्र स्थान होगा आने के लिए, सर्वप्रथम, इस महान संयुक्त राज्य अमरीका की भूमि में।  अब जैसा कि आप जानते हैं कि संयुक्त राज्य अमरीका या सम्पूर्ण अमरीका विशुद्धि चक्र है। जिसमें से  इस विशुद्धि चक्र के, तीन पक्ष हैं। तो विशुद्ध चक्र का मध्य भाग संयुक्त राज्य है। विशुद्धि चक्र का मध्य भाग श्री कृष्ण द्वारा शासित है। और उनकी शक्ति राधा है। “रा – धा”। “रा”का अर्थ है शक्ति, “धा” वह जिसने शक्ति को धारण किया है। “रा – धा”। ” धा – रे – ती – सा”। तो वही हैं जिन्होंने शक्ति को धारण किया है, और इसलिए, उन्हें राधा कहा जाता है। वो श्री कृष्ण की शक्ति हैं। कृष्ण शब्द आया है कृषि शब्द से – अर्थात – हल चलाना। या आप कह सकते हैं, खेती को “कृषि” कहते है। जो हल चलाता है और बीज को मिट्टी में रोपित करता है, वह कृषि करता है। और इसी लिए उन्हें कृष्ण कहा जाता है। अब उन्होंने जो बीज बोया है , वो आध्यात्मिकता का बीज है  वो श्री कृष्ण हैं जिन्होंने संस्कृत में कहा था- “नैनं छिदंति शस्त्राणी, नैनं दहति पावकः, न चैनम् क्लेदयन्तियापो न शोशयति मारुतः। अर्थात – ऐसा नहीं हो सकता, अर्थात, आध्यात्मिक जीवन, या आप कह सकते है, Read More …

Shri Ekadasha Rudra Puja: We have to drop out many things Judy Gaddy’s Apartment, New York City (United States)

                                             एकादश रुद्र पूजा  न्यूयॉर्क सिटी (यूएसए)  17 सितंबर 1983 तो, भारतीय कैलेंडर के अनुसार आज का दिन, ‘परिवर्तनी एकादशी’ है। अब, आज चंद्रमा का ग्यारहवां दिन है। ग्यारहवां दिन ‘एकादशी’ है। साथ ही, सहज योग में, आप एकादश रुद्र के बारे में जानते हैं, जो यहां (माथा का उपरी भाग ) है; जो अंततः उन सभी चीजों को नष्ट कर देगा जिनकी अब आवश्यकता नहीं है। जो यहाँ स्थित एकादश है, यह ग्यारहवां है। लेकिन आज एक विशेष दिन है जहां हम एकादश की शक्ति का उपयोग  ‘परिवर्तन’ अर्थात ‘बदलाव करने के लिए करने जा रहे हैं। यह विनाश के लिए नहीं बल्कि परिवर्तन के लिए है। यह न्यूयॉर्क में होने वाला इस प्रकार का एक दिन है, जहां हम मानवों के परिवर्तन के लिए विनाशकारी शक्तियों का उपयोग करते हैं। तो आज बहुत ही महान दिन है कि हम लोगों को एकादश की शक्तियों कि अभिव्यक्ति द्वारा परिवर्तित करने जा रहे हैं। और वे ग्यारह यहां आपके कपाल पर स्थापित किये गए हैं, और आप जानते हैं कि वे कैसे काम करते हैं। तो, ये दस भवसागर की विनाशकारी शक्तियों से बाहर आते हैं। भवसागर  को दस विनाशकारी शक्तियां भी प्राप्त हैं। उन दस में से, विनाशकारी भाग यहां स्थापित होता है ( माथे के उपरी भाग की ओर इशारा करते हुए)। इसलिए जब कोई व्यक्ति अपने विनाश कि तरफ होता है, उदाहरण के लिए कहें कि एक कैंसर अंदर प्रवेश करता है, तो आप अपने भवसागर के शीर्ष पर यहां एक धड़कन महसूस कर सकते हैं, धड़कन। और Read More …

बाएं तरफ की समस्याओं का मूल  Heartwood Community Center, Santa Cruz (United States)

                                  बाएं तरफ की समस्याओं का मूल  1981-1018 सांता क्रूज़, (यूएसए) कल रात आप सभी से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई और मैं सोच रही थी कि मैं आप तक इतनी सहजता से कैसे पहुँच सकी हूँ। आपसे मिलन के क्षणों को संजोना बहुत अच्छी बात थी। मैं कल तुम्हारी समस्याओं के लिए तुम्हारे अस्तित्व में गयी। ग्रेगोइरे ने कहा कि आप सभी को ज्यादातर बाईं ओर की समस्या है, ना कि दाईं तरफ की। इसका मतलब है कि अहंकार इतना नहीं है जितना कि आपकी बाईं ओर की समस्या है और बाईं ओर की समस्या आपके तक कुछ गलतियों के कारण आती है जो आपने अपनी खोज के दौरान की हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, इसे हल किया जा सकता है। बाएं तरफ की समस्या का मूल इसलिए आता है क्योंकि मुझे लगता है कि आपको अपने माता-पिता का प्यार बचपन में भी नहीं मिला। सबसे बड़ी समस्याओं में से एक माँ की समस्या है, कि जब आप बच्चे थे, तो आपने उस सुरक्षा को महसूस नहीं किया था। यह एक माँ का पक्ष है। बाईं बाजु माता का पक्ष है। एक और बात यह हो सकती है कि जब आप समाज में गए तो उन्होंने जीवन के बारे में अपने स्वयं के मानदंडों और विचारों से आप में भेद  पैदा करने की कोशिश की। सफलता के बारे में उन का विचार एक साधक के विचार से बहुत अलग है। क्योंकि एक साधक को केवल तभी सफलता मिल सकती है जब उसने सत्य को जान लिया हो। यही वह Read More …

An ocean of illusion Reorganized Church of Jesus Christ, Los Angeles (United States)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी  ‘माया का सागर’ सार्वजनिक कार्यक्रम, दिवस 1,  पुनर्गठित जीसस क्राइस्ट गिरजाघर,  लॉस एंजिल्स (संयुक्त राज्य अमेरिका) 15-10-1981 कल मैंने आपको बताया था कि हमारे भीतर दो बहुत महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं। पहली शक्ति वह है जिसके द्वारा हम कामना करते हैं, जिसे संस्कृत भाषा में ‘इच्छा शक्ति’ कहा जाता है और दूसरी शक्ति जिसे ‘क्रिया शक्ति’, कार्य करने की शक्ति कहा जाता है। ये दोनों वास्तव में स्थूल शक्तियाँ हैं, जो बाहर बाएँ और दाएँ अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के रूप में व्यक्त होती हैं।  केंद्रीय मार्ग को ‘सुषुम्ना नाडी’ कहा जाता है, जो हमारे उत्थान की नाड़ी है। यह नाड़ी युगों से हमारे विकास का प्रतिनिधित्व करती है। हम कह सकते हैं कि यह नाड़ी हमें अमीबा से मानव के रूप में इस अवस्था तक हमारे विकास के लिए जिम्मेदार है, और जितने केंद्र आप वहां देखते हैं, एक, दो, तीन, चार, पांच, छह और सात – ये सभी हमारे विकास में मील के पत्थर हैं। ये सब हमारे अंदर स्थित हैं। ये सूक्ष्म केंद्र हैं। यह सब वहां हैं और हम इस सुंदर यंत्र से बने हैं। बेशक हमें इसका बोध नहीं है, और हमें यह भी बोध नहीं है, कि हम उन्हें देख नहीं सकते क्योंकि वे सूक्ष्म केंद्र हैं और हम उन्हें अपनी खुली आँखों से नहीं देख सकते। हम इन चक्रों की अभिव्यक्ति को केवल स्थूल में प्लैक्सैज के रूप में बाहर देख सकते हैं।  आज, जैसा कि मैंने आपको कल बताया था, मैं हर एक चक्र के बारे में बताऊंगी, Read More …

Poem: To My Flower Children (United States)

मेरे फूलों से बच्चों के प्रति आप जीवन से रुष्ट हेंजैसे कि नन्हे बच्चे –जिनकी माँ अंधेरे में खो गयी है! आप का उदास मलिन मुखव्यक्त करता है आपकी हताशाक्योंकि आपकी यात्रा का अन्त निष्फल है। आप तो सुंदरता खोजने के लियेकुरूपता ओढ़ कर बेठे हैं। सत्य के नाम परआप प्रत्येक वस्तु कोअसत्य का नाम देते हैं। प्रेम का प्याला भरने के लियेआप भावनाओं कोरिक्त कर देते हैं। मेरे सुंदर मधुर बच्चों, मेरे प्रिय पुत्रों, युद्ध करने से आपको शान्ति कैसे मिल सकती है ?युद्ध-स्वयं से, अपने अस्तित्व से और स्वयं आनंद से भी ! पर्याप्त हो गये हैं, अब बस कर दो, ये संन्यास, त्याग के आपके प्रयास – जो सान्त्वना के कृत्रिम मुखौटे हैं। ञ्ु कमलपुष्प के पंखुड़ियों में –आपकी दयामयी माँ की गोद मेंविश्राम करो।मैं आपके जीवन कोसुंदर बहारों से सजा दूंगी।और आपके क्षण और जीवनआनंद के परिमल से भर दूंगी!मैं आपके मस्तक परदिव्य प्रेम का अभिषेक करूंगी !आपकी यातनाओं कोमैं अब अधिक नहीं सह सकती।मुझे आपको प्रेम के महासागर में डुबोने दोजिससे आप अपना अस्तित्वउस एक महान में खो दे।जो कि आपकी आत्मा की कलि के कोष मेंमंद हास्य कर रहा है।गूढ़ता में चुपके से छुपा हैसदैव आपको छलते, चिढ़ाते हुये।जान लो, अनुभव करो,और आप उस महान को खोज पाओगे।आपके कण कण में, तंतु मेंपरमाह्लाद के आनंद को स्पन्दित करते हुयेऔर पूरे विश्व को प्रकाश से लपेटते हुयेआच्छादित करते हुये! माँ निर्मला