An ocean of illusion Reorganized Church of Jesus Christ, Los Angeles (United States)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी  ‘माया का सागर’ सार्वजनिक कार्यक्रम, दिवस 1,  पुनर्गठित जीसस क्राइस्ट गिरजाघर,  लॉस एंजिल्स (संयुक्त राज्य अमेरिका) 15-10-1981 कल मैंने आपको बताया था कि हमारे भीतर दो बहुत महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं। पहली शक्ति वह है जिसके द्वारा हम कामना करते हैं, जिसे संस्कृत भाषा में ‘इच्छा शक्ति’ कहा जाता है और दूसरी शक्ति जिसे ‘क्रिया शक्ति’, कार्य करने की शक्ति कहा जाता है। ये दोनों वास्तव में स्थूल शक्तियाँ हैं, जो बाहर बाएँ और दाएँ अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के रूप में व्यक्त होती हैं।  केंद्रीय मार्ग को ‘सुषुम्ना नाडी’ कहा जाता है, जो हमारे उत्थान की नाड़ी है। यह नाड़ी युगों से हमारे विकास का प्रतिनिधित्व करती है। हम कह सकते हैं कि यह नाड़ी हमें अमीबा से मानव के रूप में इस अवस्था तक हमारे विकास के लिए जिम्मेदार है, और जितने केंद्र आप वहां देखते हैं, एक, दो, तीन, चार, पांच, छह और सात – ये सभी हमारे विकास में मील के पत्थर हैं। ये सब हमारे अंदर स्थित हैं। ये सूक्ष्म केंद्र हैं। यह सब वहां हैं और हम इस सुंदर यंत्र से बने हैं। बेशक हमें इसका बोध नहीं है, और हमें यह भी बोध नहीं है, कि हम उन्हें देख नहीं सकते क्योंकि वे सूक्ष्म केंद्र हैं और हम उन्हें अपनी खुली आँखों से नहीं देख सकते। हम इन चक्रों की अभिव्यक्ति को केवल स्थूल में प्लैक्सैज के रूप में बाहर देख सकते हैं।  आज, जैसा कि मैंने आपको कल बताया था, मैं हर एक चक्र के बारे में बताऊंगी, Read More …