The Normal Human Awareness New Delhi (भारत)

                    मानव चेतना से परे  दिल्ली (भारत), 23 फरवरी 1977 और मैं कल ही कुंडलिनी पर दो घंटे बात कर चुकी हूं। जो लोग मेरा भाषण सुनना चाहते हैं वे श्री राय के साथ इसकी व्यवस्था कर सकते हैं और कभी आ सकते हैं और इसे सुन सकते हैं। लेकिन आज आपको हमारे स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करने वाली तीन शक्तियों और हमारे सभी स्वायत्त व्यवहार की देखभाल करने वाले सात केंद्रों के बारे में बताने के बाद, जो हमारे विकास के विभिन्न चरणों के मील के पत्थर हैं … केंद्र देवताओं के प्रतीक धारण किये हैं जो हमारे विकास के लिए जिम्मेदार हैं, जिन्होंने हमें मार्गदर्शन देकर, हमें नेतृत्व देकर विकसित होने में मदद की है। पूरी कार्रवाई सहज रही है। जैसा कि मैंने कल आपको बताया, ‘सहज’: ‘सह’ का अर्थ है ‘साथ’, ‘ज’ का अर्थ है ‘जन्म’, आपके साथ पैदा हुआ। एक बीज में वृक्ष और भविष्य में आने वाले सभी वृक्षों का पूरा नक्शा सूक्ष्मतम रूप से रखा होता है। उसी तरह, हमारे अस्तित्व में, पूरा नक्शा रखा गया था। अमीबा या उससे भी पहले की अवस्था से हम इंसान होने के लिए काफी लंबी दूरी पार कर चुके हैं। आज मैं आपको सामान्य मानव चेतना के आसपास क्या है इसके बारे में बताने जा रही हूँ। हमें मनुष्य को उसकी संपूर्णता में समझना होगा। जो कुछ भी अज्ञात है उस सारे को जानना बहुत आवश्यक है, क्योंकि जो कुछ भी अज्ञात है वह सब परमात्मा नहीं है। हमें ऐसी गलतफहमी नहीं होना चाहिए की जो कुछ Read More …