Questions and Answers About America New Delhi (भारत)

अमेरिका के बारे में प्रश्नोत्तर, दिल्ली, भारत, 1983-02-10 Questions and Answers About America, Delhi, India 1983-02-10 सहजयोगियों से बातचीत 1983-02-10 योगी: हम काफी-कुछ वहीं प्रश्न पूछेंगे जो हमने उस दिन पुछे थे। हमें ऐसे उत्तरों की आवश्यकता होगी जो एक या दो मिनट लंबे हों। श्री माताजी: सिर्फ दो मिनट? वह अमेरिका जैसा बड़ा देश है। योगी: यदि यह बहुत लंबा हुआ तो हम इसे संपादित कर सकते है। (श्री माताजी प्रश्नों को देखती हैं।) . आत्मसाक्षात्कार का क्या महत्व है? . आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना क्यों महत्वपूर्ण है? . चैतन्य क्या है? . पश्चिम भारतीयों से और भारतीय पश्चिम से क्या सीख सकते है? श्री माताजी: यह भारत बनाम पश्चिम बहुत विवादास्पद है। भारत से कुछ नहीं सीखो और भारत को आपसे कुछ नहीं सीखना चाहिए। वे सभी एक ही नांव में सवार है। ब्रायन, क्या तुमने मुझे सुना? भारतीयों से स्थूल स्तर पर कुछ सीखने का नहीं और पश्चिम से कुछ सीखने का नहीं। दोनों एक ही नांव में सवार है। एक विकसित हो चुका है और एक विकसित हो रहा है। तुम क्या कहते हों? योगी: आध्यात्मिक स्तर पर, तो, माँ? श्री माताजी: आप भारतीयों के आध्यात्मिक स्तर के बारे में क्या सोचते हैं? शून्य है? यह क्या है? योगी: लेकिन आकांक्षाएं, जो कि इस देश में अभी भी संरक्षित है? श्री माताजी: अगर मुझे अमेरिकियों से बात करनी है, तो वे अहंकार उन्मुख हैं। उन्हें बुरा लगेगा। भारत उनसे अधिक महान है ऐसा ना कहना ही बेहतर होगा। योगी: माँ, आप राजनयिकों की राजनयिक हो। श्री माताजी: Read More …

Seminar Day 1, Questions and Answers, Advice to Realised Souls Bordi (भारत)

[Hindi translation from English]                     1977-01-26 1 Seminar Day 1, Questions Answers, Bordi, India आपने जो पूछे हैं, मैं अधिकतर बिंदुओं पर प्रकाश डालने का प्रयास करूँगी। परन्तु मैं यह अवश्य ही कहूँगी कि आप के अधिकतर प्रश्न सुनकर मैं बहुत प्रसन्न हुई क्योंकि यह दिखाता है कि आपकी जिज्ञासा सूक्ष्म से सूक्ष्मतर हो रही है, क्योंकि आप पहले से ही चक्रों के स्थूल स्वरूप जानते हैं और अब आप सूक्ष्मतर स्वरूप को जानना चाहते हैं। अब पहला प्रश्न जो सबसे पहले लेना चाहिए, वह है, “मानव के अंदर चक्र कैसे आते हैं? किस समय? जीवन के किस चरण में?” क्योंकि यही पहला प्रश्न होना चाहिए। यह प्रश्न कुछ इस प्रकार है कि यदि हम पूछें, “बीज के अस्तित्व में, बीजक किस समय आता है?” यह कुछ इस प्रकार है।  जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, जैसा मैंने आपको पहले बताया है, उसकी पूर्ण मृत्यु नहीं होती, उसका कुछ ही अंश मरता है, जो अधिकांश भूमि तत्व होता है। और शेष तत्व वहीं रह जाते हैं। बाकी शरीर विलुप्त हो जाता है। और हम उसे देख नहीं सकते क्योंकि यह पूर्ण मानव रूप नहीं है। यह अंदर से कम होता जाता है, और कुण्डलिनी शरीर छोड़ देती है और बाहर रहती है, शरीर के बाहर।   और आत्मा जिसे हम प्राण कहते हैं, यह भी शरीर को छोड़ देती है, और शरीर के बाहर रहती है- जो बचा हुआ शरीर है। इस नवीन शरीर की संरचना हमारे शरीर से भिन्न है। आप कह सकते हैं कि एक दीप जो बुझ हुआ Read More …