Guru Tattwa Caxton Hall, London (England)

कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 23 जून 1980। सार्वजनिक कार्यक्रम (लघु) और सहज योगियों से बात यह एक तथ्य है। यह एक ऐसी चीज है जिसे आप देख सकते हैं। यह एक वास्तविकीकरण है। और हम अपनी कल्पनाओं में, अपने मतिभ्रम और पथभ्रष्टता में इस कदर खोए हुए हैं कि हम विश्वास नहीं कर सकते कि ईश्वर के बारे में कुछ तथ्यात्मक हो सकता है। लेकिन अगर ईश्वर एक तथ्य है, तो यह घटना भी हमारे भीतर होनी ही है, अन्यथा उसका कोई अस्तित्व नहीं है। अगर कोई नास्तिक है तो एक तरह से बेहतर है। क्योंकि उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ भी स्वीकार नहीं किया है। लेकिन अगर किसी ने खुले दिमाग से ईश्वर को स्वीकार कर लिया है और किन्ही अटकलो का पालन नहीं किया है, तो यह और भी अच्छा है। लेकिन अगर आप इस तरह की किसी भी अट्कल का पालन करते हैं, कि भगवान होना चाहिए – कुछ लोगों ने मुझसे कहा, “हां मां। भगवान मेरी बहुत मदद करते हैं।” मैंने कहा, “सच में? वह आपकी कैसे मदद करता है?” तो वह महिला मुझसे कहती है “मैं सुबह उठी और मैंने भगवान से प्रार्थना की, ‘हे भगवान, मेरे बेटे की देखभाल करो!”, वह बस इतना ही सोच सकती थी! कि भगवान केवल उसके बेटे की देखभाल में व्यस्त हो, जैसे उनके पास और कोई काम नहीं है! “तो फिर क्या हुआ?” “तब मेरा बेटा हवाई जहाज से आ रहा था और विमान में कुछ परेशानी हुई, लेकिन वह बच गया। भगवान ने वहां मेरी मदद Read More …