Shri Mahalakshmi Puja: We have to live like one family Moscow (Russia)

Shri Mahalakshmi Puja. Moscow (Russia), 16 July 1996. आज रात, हम अपने अन्तनिर्हित लक्ष्मी तत्व की पूजा करने जा रहे हैं।लक्ष्मी धन, समृद्धि और स्वास्थ्य की देवी हैं। वास्तव में आपका देश पहले से ही धन्य है, क्योंकि आपके पास यहां बहुत सारी चीज़ें  हैं। सबसे पहले, इस देश में इतनी अधिक मात्रा में पेट्रोल है और अगर खोज की जाए तो यहाँ और बहुत अधिक है। फिर दूसरी बात, आपके यहाँ सुंदर लकड़ी है। फिर तीसरा, आपके यहाँ प्रचुर मात्रा में स्टील, बहुत अधिक मात्रा में स्टील, बहुत अच्छा स्टील है। इसके अलावा आपके पास हीरे हैं। इतनी सारी चीज़ें आपके पास हैं, इसके अलावा आपके पास इतना बड़ा हृदय है। आपके पास सोना भी है। अतः इस देश में ये सभी चीज़ें प्रचुर मात्रा में हैं। केवल एक बात है कि आपके पास अभी कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो आप लोगों के लिए इसका संचालन करें। मुझे यकीन है कि सब कार्यान्वित हो जायेगा। लेकिन सहज योग में, हमें यह जानना होगा कि यह लक्ष्मी तत्व हमें संतुष्टि की श्रेष्ठ भावना देता है। यदि आपको संतोष नहीं है तो धन सम्पदा की कितनी भी प्रचुरता हो वह आपकी मदद नहीं कर सकती है। व्यक्ति बहुत लालची हो जाता है। आपके पास कुछ है लेकिन आप अधिक और अधिक और पाना चाहते हैं और इसके लिए व्यक्ति सभी प्रकार के तरीकों और उपायों को अपनाता है। इस प्रकार आपके यहाँ, एक बहुत बुरा माफिया प्रणाली है, जो बहुत लालची हैं। सहजयोगियों के लिए यह समझना आवश्यक है कि Read More …

Shri Mahalakshmi Puja, The Universal Love (भारत)

30 /12/ 1992  महालक्मी पूजा, सर्वव्यापी प्रेम, कल्वे, भारत  सहज योगियों को ऐसे साधारण सांसारिक लोगों के स्तर तक नहीं गिरना चाहिए। अंत में आपके साथ क्या होगा? जो लोग इस प्रकार की चिंता कर रहे हैं, मैं उन्हें कहूँगी कि वह गहन ध्यान में जाएं, यह समझने के लिए कि आप स्वयं का अपमान कर रहे हैं। आप संत हैं। आप इस बात की चिंता क्यों करें कि आपको कौन सा विमान मिलने वाला है, कौन सा नहीं? यह दर्शाता है कि आपका स्तर बहुत नीचा है – निश्चित रूप से। आप सभी जो चिंतित हैं, आप मेरे संरक्षण में यहां आए हैं, और मेरी सुरक्षा में ही वापस जाएंगे।  आज सुबह मैं ईतनी बीमार हो गई कि मुझे यह विचार आया, आज हम कोई पूजा का आयोजन नहीं करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि आप सब मेरे अंग प्रत्यंग है। आपको अपने शरीर में स्थान दिया है, और आप आपना आचरण सुधारें !  ऐसे शुभ दिन में हम सभी यहां आए हैं, यह विशेष पूजा करने के लिए। मैं कहूँगी की इसे महालक्ष्मी पूजा कहना चाहिए क्योंकि इसका सम्बन्ध हमारे देश के और सारे संसार के उद्योग से है।  जब तक मनुष्य के सभी प्रयासों को परमात्मा के साथ जोड़ा न जाए, वह अपने उत्तम स्थिति और पद को प्राप्त नहीं कर सकते। इस कारण पश्चिम के देशों में अब हमें समस्याएं आती हैं। तथाकथित अत्यंत समझदार, अति चुस्त, संपन्न और शिक्षित लोग – अब यहाँ हमें आर्थिक मंदी जैसी स्थिति दिखती हैं, क्योंकि उनमें कोई संतुलन Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: Keep your Mahalakshmi principle intact Barcelona, Can Mas-casa de colónies (Spain)

श्री महालक्ष्मी पूजा – अपना महालक्ष्मी तत्व बनाए रखें  बार्सेलोना, कैन मास-कैंप हाउस (स्पेन), सितंबर १२, १९९२  आज हम यहाँ महालक्ष्मी पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। महालक्ष्मी तत्व हमारे अंदर एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। जब देशों में, परिवारों में, या व्यक्तिगत जीवन में, हम देखते हैं – (श्री माताजी ने स्पॅनिश में अनुवाद करने के लिए कहा)… ये महालक्ष्मी तत्व हमारे उत्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ये तत्व हमारे अंदर है, पर ये तब तक जागृत नही होता जब तक हम एक परिस्थिती को प्राप्त ना कर लें (और) जहाँ हमें लगता है कि हम अब तक अपने जीवन से संतुष्ट नही हैं। जैसे अब  पश्चिमी देशों में अब आप पर लक्ष्मी तत्व की कृपा रही, इस अर्थ में कि समृद्धि है, लोग ठीक हैं, सबके के पास भोजन है, और दैनंदिनी जीवन में सब पर्याप्त है। पर वो देश जो गरीबी से त्रस्त हैं या जिनकी स्थिति बहुत खराब है, जैसे आप कह सकते हैं कि यूगोस्लाविया इन दिनों बहुत बुरी स्थिति में है, या सोमालिया, जो बहुत ही गरीब है, और इनकी कोई आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी नही है – तो उनके लिए इस जीवन का अर्थ केवल किसी तरह से जीवित बचे रहने में ही है। जीवन उनके लिए संकट से भरा हुआ है, और जीवन का अस्तित्व बनाए रखने में भी उन्हें संकट है। पर संपन्न देशों में ऐसा होता है, कि लोगों को यह लगने लगता है कि अब हमारे पास धन है, जीवन की सारी सुविधा है, पर तो भी ये Read More …

Shri Mahalakshmi Puja Kolhapur (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 21st December 1990 : Place Kolhapur Type Puja Speech Language Hind मैं आपसे बता चुकी हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिकोणाकार अस्थि और उसमें कुण्डलाकार में शक्ति विराजती है । महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और आदिशक्ति इस तरह से साढ़े तीन कुण्डलों में बैठी हुई है। माहुरगढ़ में महासरस्वती हैं जिन्हें रेणुका देवी भी कहते हैं। तुलजापुर में भवानी है जिन्हें महाकाली कहते हैं और कोल्हापुर में महालक्ष्मी का स्थान है। यहाँ से आगे सप्तश्रृंगी नाम का एक पहाड़ है जिस पर आदिशक्ति की अर्धमात्रा है। इस प्रकार ये साढ़े तीन शक्तियाँ इस महाराष्ट्र में पृथ्वी तत्व से प्रकट हुई हैं। और यहीं पर श्री चक्र भी विराजता है। आप सब जानते हैं कि महालक्ष्मी ही मध्यमार्ग है जिससे कुण्डलिनी का जागरण होता है। इसलिए हजारों वर्षों से इस महालक्ष्मी मन्दिर में ‘उदे अम्बे’ कहा जाता है। क्योंकि अम्बा ही कुण्डलिनी है और कुण्डलिनी की शक्ति महालक्ष्मी में ही जागृत हो सकती है। इसलिए महालक्ष्मी के मन्दिर में बैठ कर अम्बा के गीत गाये जाते हैं। इसी स्थान पर अम्बा ने कोल्हापुर नामक राक्षस को मारा था, इसलिए इसका नाम कोल्हापुर पड़ा। कोल्हा का अर्थ है सियार। सियार के रूप में आये राक्षस का वध देवी ने किया। लेकिन जहाँ भी मन्दिरों में पृथ्वी तत्व ने ये स्वयंभू विग्रह तैयार किये हैं वहाँ लोगों ने बुरी तरह से पैसा बनाना शुरू कर दिया है । मन्दिरों की तरफ कुछ भी ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए कभी-कभी लगता है इन मन्दिरों में चैतन्य दब सा जाएगा। अब आप लोग Read More …

Shri Lakshmi Puja and Talk before puja Stamatis Boudouris summer house, Hydra (Greece)

                       श्री लक्ष्मी पूजा  हाइड्रा (ग्रीस), 24 जून 1990। आज हम लक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं और मैंने आपको पहले ही बताया है कि लक्ष्मी समुद्र से निकली थी। और ग्रीस ब्रह्मांड की नाभी है। और जो भी लक्ष्मी, धन, उन्हें मिली है, उन्होंने इसे वहां की समुद्री यात्रा गतिविधियों से प्राप्त किया है। इसलिए यह बहुत उपयुक्त है कि हम ग्रीस में लक्ष्मी की पूजा करें और समझें कि लक्ष्मी का महत्व क्या है। क्या आप मुझे वहां सुन पा रहे हैं, आप सब? तो अब, मैं कई बार वर्णन कर चुकी हूँ, परन्तु फिर भी मैं तुम्हें उसका वर्णन करूँगी। लक्ष्मी वह है जो स्वभाव से माँ है। तो ऐसा व्यक्ति जिसके पास लक्ष्मी है, एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास धन है, उसके पास एक माँ सामान उदार स्वभाव होना चाहिए; यह पहली बात है। फिर दूसरी बात यह है कि वह जल में कमल पर खड़ी हैं। तो जिस व्यक्ति को लक्ष्मी मिली है, उसके पास संतुलन होना चाहिए। यदि वह इस ओर या उस ओर, बाएँ या दाएँ ओर जाता है तो वह तुरंत भवसागर के भीतर चला जाता है। दूसरा, उनका एक हाथ दे रहा है और दूसरा हाथ इस तरह रक्षा कर रहा है। तो कम से कम जिस व्यक्ति को लक्ष्मी धन मिला है उसे उदार होना चाहिए, उसे दान देना चाहिए और दाहिने हाथ को उन सभी लोगों की रक्षा करनी चाहिए जो उसके अधीन काम कर रहे हैं या जो उससे संबंधित हैं, उसके संबंधी या अन्य चीजें या कोई Read More …

Paramchaitanya Puja Taufkirchen (Germany)

                परमचैतन्य पूजा  तौफिरचेन (जर्मनी), 19 जुलाई 1989 [(लाउडस्पीकर से शोर होता है। बच्चे रोने लगते हैं।) श्री माताजी: मुझे लगता है कि बच्चों को थोड़ी देर के लिए बाहर ले जाना बेहतर है। बस यह बेहतर होगा। नमस्ते नमस्ते नमस्ते! मुझे लगता है कि बेहतर होगा उन्हें थोड़ी देर के लिए बाहर ले जाना। वे पसंद नहीं करते थे बंद हो जाता है। (बच्चे अचानक रोना बंद कर देते हैं। हँसी। श्री माताजी हँसती हैं)] मुझसे एक प्रश्न पूछा गया, “आज हम कौन सी पूजा करने जा रहे हैं?” और मैंने इसे गुप्त रखा। आज हमें परमात्मा के प्रेम की सर्वव्यापी शक्ति परम चैतन्य की पूजा करनी चाहिए। हम जानते हैं कि परम चैतन्य सब कुछ करता है। कम से कम मानसिक रूप से हम जानते हैं कि सब कुछ परम चैतन्य की कृपा से किया जाता है, जो आदि शक्ति की शक्ति है। लेकिन फिर भी यह हमारे दिल में, हमारे चित्त में इतना नहीं है। हम परम चैतन्य को एक महासागर की तरह, एक महासागर की तरह मान सकते हैं जिसमें सब कुछ अपने भीतर समाहित है। सब कुछ, सभी काम, सब कुछ इसकी अपनी मर्यादा के भीतर है। इसलिए इसकी तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है। आप इसकी तुलना नहीं कर सकते। अब यदि आप सूर्य को देखते हैं, तो किरणों को काम करने के लिए सूर्य से बाहर आना पड़ता है। यदि आप किसी को देखते हैं, जैसे, एक व्यक्ति जिसके पास एक अधिकार है, उसे उस शक्ति को बाहर प्रकट करना Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: She connects you to God Munich (Germany)

Shri Mahalakshmi Puja. Munich (Germany), 8 September 1984 आज एक महान दिन है महालक्ष्मी पूजा का । महालक्ष्मी, लक्ष्मी का अवतरण हैं, जो विष्णु की शक्ति हैं  । उन्होंने ही अवतार लिया। यह महालक्ष्मी तत्व लक्ष्मी से उत्पन्न हुआ है, जो श्री विष्णु की शक्ति हैं। जब मनुष्य में उत्थान की इच्छा जागृत होती है, तो लक्ष्मी तत्त्व महालक्ष्मी तत्व बन जाता है। जैसे पश्चिम में हम कह सकते हैं, लोगों में लक्ष्मी की संपन्नता है, इसलिए वे उस तत्व से ऊपर उठकर महालक्ष्मी बनना चाहते थे। जागृति की अवस्था में यह सौंदर्यशास्त्र जैसे मामले पर कार्य करता है। इस स्थिति में लोग  चीज़ों पर अपने अधिकार से अधिक  उनकी कलात्मकता पर ध्यान देते  हैं।   और जब वे और अधिक उत्थान की ओर बढ़ते हैं ,अपनी जागरूकता की ख़ोज में, तो वे पाते हैं कि उन्हे भौतिक मूल्यों की तुलना में वस्तुओं की कलात्मकता को अधिक महत्व देना चाहिए। अब जब यह इच्छा मनुष्य में स्पष्ट दिखती है, तब  लक्ष्मी ही महालक्ष्मी के रूप में अवतरित होती हैं। इसलिए  उन्होंने महालक्ष्मी के रूप में तब अवतार लिया जब राम इस धरती पर आए,पहली बार  और श्री कृष्ण के इस धरती पर आने पर उन्होंने राधा के रूप में अवतार लिया। और जब वह मैरी बनकर आई। वह महालक्ष्मी थीं, जिन्होंने उस बच्चे को जन्म दिया जो कि प्रभु ईसा मसीह हैं । उन्होंने जिस बच्चे को जन्म दिया, वह महाविष्णु का महान व्यक्तित्व था । इस महाविष्णु-तत्त्व का भी प्रतिनिधित्व किया गया है या हम कह सकते हैं कि यह एक अन्य रूप में, Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: The innermost stream of Brahmanadi Kolhapur (भारत)

“ब्रह्मनाड़ी की अंतरतम धारा” श्री महालक्ष्मी पूजा  कोल्हापुर (भारत), ३ फरवरी १९८४। तो हम सब अब यहाँ इस पवित्र स्थान कोल्हापुर में हैं। देवी ने यहां कोल्हासुर नामक असुर का वध किया, जो एक बहुत ही दुष्ट राक्षस था; जो हाल ही में फिर से पैदा हुआ था, लेकिन उसकी मृत्यु भी हो गई। तो भगवान का शुक्र है कि कोल्हासुर की मृत्यु हो गई! इस स्थान को विशेष रूप से इसलिए चिन्हित किया गया है क्योंकि धरती माता से महालक्ष्मी ऊर्जा विशेष रूप से देवी महालक्ष्मी से उत्सर्जित हुई थी। और, जैसा कि आप जानते हैं, महालक्ष्मी हमारे भीतर उत्थान की शक्ति है, जिसके माध्यम से हम उन्नत होते हैं। यह उस सीढ़ी की तरह है जो आपको परमात्मा के राज्य में ले जाती है, और इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। और महाराष्ट्र के देवता विट्ठल, श्री कृष्ण हैं। क्योंकि यह विष्णु की आरोही शक्ति है, श्री कृष्ण तक, फिर महाविष्णु और फिर सहस्रार को। यह सब इसलिए संभव है क्योंकि हमारे भीतर महालक्ष्मी नाड़ी है। अगर आप में सुषुम्ना नाड़ी न होती तो हम जानवर ही होते। जानवरों के पास भी यह नाड़ी एक हद तक होती है। जैसा कि आप जानते हैं कि वे भवसागर तक आ सकते हैं। लेकिन भवसागर के बाद मनुष्य के रूप में विकास हमारे भीतर इस महालक्ष्मी ऊर्जा के माध्यम से शुरू होता है। तो यह ऊर्जा बहुत महत्वपूर्ण है और इस देश में इसकी बहुत पूजा की जाती है। सबसे पहले यह ऊर्जा हमारे भीतर खोज के रूप में काम करना Read More …

Shri Mahalakshmi Puja: Ganesha Tattwa Kolhapur (भारत)

1983-0101 Mahalakshmi Puja, Kohlapur, Maharashtra, India [Hindi translation from English] आज पुनः नए साल का एक दिन है। प्रत्येक नव वर्ष आता है, क्योंकि हमें कुछ ऐसा करना है जो नवीन हो। यह  व्यवस्था इस प्रकार की गई है कि सूर्य को ३६५ दिन गतिमान होना पड़ता है और  पुनः  एक नव वर्ष आ गया है। वास्तव में सम्पूर्ण सौर-मंडल सर्पिल गति  से घूम रहा है। अतः, निश्चित रूप से एक उच्चतर इस सौर मंडल की उच्चतर स्थिति होती है। प्रत्येक वर्ष यह एक सर्पिल ढंग से उच्चतर बढ़ रहा है  अतः  यह केवल इसलिए नहीं है,  क्योंकि 365 दिन बीत गए हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि यह एक कदम आगे की ओर  बढ़ गया है, वर्तमान स्थिति से उच्चतर ( स्थिति में) आज , हम देख सकते हैं कि जागरूकता में, मानव जाति का निश्चित रूप से बहुत उच्चतर उत्थान हुआ है, तुलना में कहें जैसी अवस्था में वे लगभग 2000 वर्ष पूर्व थे। परंतु, यह प्रथम प्रणाली जिसने इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को आरम्भ किया प्रथम प्रतिरूप था, आप कह सकते हैं इसका सृजन किया गया। और उस प्रतिरूप को श्रेष्ठ  होना चाहिए। और वह एक आदर्श प्रतिरूप  था जिसने शेष सभी को परिपूर्ण करना शुरू कर दिया तो यह एक श्रेष्ठ प्रतिरूप है जो इस उत्थान के तत्व में है। और यही इस उत्थान को कार्यान्वित कर रहा है। अब, शेष ब्रह्मांड की पूर्णता विभिन्न दिशाओं में संपन्न होती है। परंतु आज हमें महालक्ष्मी तत्व पर विचार करना होगा।  महालक्ष्मी, जैसा  मैंने आपको बताया, एक श्रेष्ठ तत्व है। यह एक संपूर्ण तत्व है। इसे संपूर्ण बनाया गया है। यह Read More …