Dinner Party New Delhi (भारत)

Nabhi Chakra Date 15th March 1984 : Place Delhi : Public Program Type : Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, Scanned from Hindi Nirmala Yog] होते हैं कि वो जो कहते हैं कि “परमात्मा वगैरह सब ढकोसला है, यह झूठी चीज है। परमात्मा नाम की कोई चीज ही नहीं है ।” परमात्मा को खोजने वाले सभी सत्य साधकों को हमारा प्रणाम! आज दो तरह के गाने आपने सुने हैं, पहले गाने में एक भक्त विरह में परमात्मा को बुलाता है। इसे अपराभक्ति कहते है और जब परमात्मा को पा लेता है, जैसे कबीर ने पाया था, तो उसे पराभक्ति कहते हैं। दोनों में ही भक्ति है। इसे कृष्ण ने अनन्य भक्ति कहा है- जहाँ दूसरा कोई नहीं होता, जहाँ साक्षात् परमेश्वर अपने सामने होते हैं, उस वक्त जो हम लोगों का भक्ति का स्वरूप होता है उसे उन्होंने पराभक्ति कहा-अनन्यभक्ति। सब तरह के विचार करने का अधिकार परमात्मा ने मनुष्य को दे दिया है। यह मनुष्य को दी हुई देन परमात्मा की ही है कि वो स्वतन्त्र है। जो चाहे वो सोच सकता है इस बुद्धि से। लेकिन हम लोगों को तीनों दशा में ये ही सोचना चाहिए कि आज तक हमने जो भी किया, चाहे परमात्मा में विश्वास किया, कुछ उनको भजा या उनके ऊपर लैक्चर दिये, या उन पर किताबें पढ़ीं, जो भी मेहनत करी या हमने उन पर विश्वास नहीं किया, उनको कहा कि वे हैं नहीं, उनसे हमने मुठभेड़ की और कहा कि देखते हैं परमात्मा कहाँ है? इन सभी दशाओं में हमें यह सोचना Read More …