Shri Jesus Christ Puja Bogota (Colombia)

जीसस क्राइस्ट पूजा बोगोटा (कोलंबिया)                           26 जून 1989   ‌‌                                                                              आज मैं आप को बताना चाहूंगी ईसा मसीह और ईसाई धर्म के बारे में, क्योंकि वह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश बहुत कैथोलिक है। और यदि आप प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक भी हैं, चर्च ने वह पूर्ण नहीं किया है जो ईसा मसीह उनसे करवाना चाहते थे, जो आप बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।                                                           यदि आप बाइबल पढ़ते हैं तो आपको ज्ञात होगा कि ईसा का वर्णन माता मेरी के पुत्र के रूप में किया गया है, जिनका जन्म पवित्र धारणा के अनुसार हुआ था। किंतु वह वास्तव में उसे पूर्ण गहराई से स्वीकार नहीं कर पाए हैं। ऊपरी तौर पर वे ईसा का उपयोग धन, संपत्ति व चर्च बनाने के लिए कर रहे हैं। क्योंकि वे इसकी व्याख्या नहीं कर सकते इसलिए वे हमेशा कहते हैं कि यह रहस्य है। कि ईसा का जन्म एक अति पवित्र माँ से हुआ था, “निर्मला”, पवित्र धारणा के साथ, उनके अनुसार एक रहस्य है। तथा वे यह भी नहीं समझा सकते कि कैसे ईसा पानी पर चले। क्योंकि वे आध्यात्मिक जीवन नहीं खोज पाए हैं जो कि ईसा का सिद्धांत (विचार) था। और उन्होंने इतना भौतिकवादी संसार बना दिया।                  इसके अतिरिक्त, जितनी धन-संपत्ति वेटिकन के पास है, कोई नहीं समझ सकता कि कैथोलिक देशों में इतनी गरीबी क्यों है। उन्होंने कोई भी प्रयत्न नहीं किया है गरीबी की समस्या दूर करने के लिए। भारत में उन्होंने लोगों का धर्म Read More …

Guru Puja, The Statutes of the Lord Temple of All Faiths, Hampstead (England)

” परमात्मा द्वारा निर्देशित धर्म “, गुरु पूर्णिमा ,लंदन २७ जुलाई १९८०        आज आपने अपने गुरु की पूजा का आयोजन किया है जो आपकी माँ है। शायद आप बहुत ही अद्भुत लोग हैं जिनकी गुरु एक माँ हैं। यह पूजा क्यों आयोजित की गयी है? आपको यह जानना होगा कि यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि प्रत्येक शिष्य गुरु की पूजा करे, लेकिन गुरु को एक वास्तविक गुरु होना चाहिए, न कि वह जो केवल शिष्यों का शोषण कर रहा है और जो परमात्मा द्वारा अधिकृत नहीं है।        इस पूजा का आयोजन इसलिए किया गया है क्योंकि आप लोगों को परमात्मा द्वारा निर्देशित धर्म की स्थापना के लिए चुना गया है। आपको बताया गया है कि मानव के क्या धर्म हैं। वैसे इसके लिए आपको एक गुरु की आवश्यकता नहीं है। आप किसी भी पुस्तक को पढ़कर जान सकते हैं कि परमात्मा द्वारा निर्देशित धर्म क्या हैं। परंतु गुरु को यह देखना चाहिए कि आप इनका पालन करें।  इन धर्मों का पालन करना होगा, अपने जीवन में उतारना होगा, जो एक कठिन चीज़ है और बिना गुरु के, सुधारक शक्ति के, इन धर्मों का पालन करना बहुत कठिन है क्योंकि मानव चेतना और परमात्मा की चेतना में एक अंतर है, बहुत बड़ा अंतर। और इस अंतर की पूर्ति एक गुरु ही कर सकते हैं जो स्वयं संपूर्ण है। आज पूर्णिमा का दिन है। “पूर्णिमा” का अर्थ है पूर्ण चंद्रमा। गुरु को एक संपूर्ण व्यक्तित्व होना चाहिए; इन धर्मों के विषय में बात करने के लिए और अपने शिष्यों को समझ के Read More …

Easter Puja: The Meaning of Easter London (England)

1980-04-06 ईस्टर का अर्थ, डॉलिस हिल आश्रम, लंदन, ब्रिटेन … जैसे कि आज मैं एक मुस्लिम लड़के से बात कर रही थी और उसने कहा कि “मोहम्मद साहब एक अवतरण नहीं थे।“ “तो वे क्या थे?” “वे एक मनुष्य थे , परंतु परमात्मा ने उन्हें विशेष शक्तियां दी हैं।” मैंने कहा, “बहुत अच्छा तरीका है!” क्योंकि यदि आप कहते हैं कि वे एक मनुष्य थे, मानव जाति के लिए  यह कहना बहुत अच्छा है कि “वे केवल एक मानव थे , वे इस पृथ्वी पर आये , और हम उनके समकक्ष हैं।” जो आप नहीं हैं। इसलिए विस्मय और वह श्रद्धा जैसा कि आप इसे कहते हैं, वह हमारे अंदर नहीं आती है । व्यक्ति सोचने  शुरू लगता हैं कि वह ईसा मसीह के समान हैं, मोहम्मद साहब के समान है, इन सभी लोगों के सम कक्षा है! और वे कहां और हम कहां हैं? जैसे, यहां, लोग ईसामसीह के जीवन के साथ कैसे खेल रहे हैं! वे स्वयं अपने को ईसाई कहते हैं, और वे उनके जीवन के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाते हैं, क्योंकि यह बनना है जिसके बारे में उन्होंने चर्चा की थी।  उन्होंने इन सब निरर्थक की बातों के विषय में बात नहीं की थी । दूसरी बात हम कोई सम्मान नहीं करते हैं । हमारे हृदय में कोई आदरपूर्ण भय नहीं है कि एकमव वही हैं जिन्होंने एक के बाद एक कई ब्रम्हांडों की रचना की है और हम क्या है, उनकी तुलना में? हम न्यायधीशों  की तरह  बैठ कर उनका निर्णय कर रहे हैं। Read More …

Poem: To My Flower Children (United States)

मेरे फूलों से बच्चों के प्रति आप जीवन से रुष्ट हेंजैसे कि नन्हे बच्चे –जिनकी माँ अंधेरे में खो गयी है! आप का उदास मलिन मुखव्यक्त करता है आपकी हताशाक्योंकि आपकी यात्रा का अन्त निष्फल है। आप तो सुंदरता खोजने के लियेकुरूपता ओढ़ कर बेठे हैं। सत्य के नाम परआप प्रत्येक वस्तु कोअसत्य का नाम देते हैं। प्रेम का प्याला भरने के लियेआप भावनाओं कोरिक्त कर देते हैं। मेरे सुंदर मधुर बच्चों, मेरे प्रिय पुत्रों, युद्ध करने से आपको शान्ति कैसे मिल सकती है ?युद्ध-स्वयं से, अपने अस्तित्व से और स्वयं आनंद से भी ! पर्याप्त हो गये हैं, अब बस कर दो, ये संन्यास, त्याग के आपके प्रयास – जो सान्त्वना के कृत्रिम मुखौटे हैं। ञ्ु कमलपुष्प के पंखुड़ियों में –आपकी दयामयी माँ की गोद मेंविश्राम करो।मैं आपके जीवन कोसुंदर बहारों से सजा दूंगी।और आपके क्षण और जीवनआनंद के परिमल से भर दूंगी!मैं आपके मस्तक परदिव्य प्रेम का अभिषेक करूंगी !आपकी यातनाओं कोमैं अब अधिक नहीं सह सकती।मुझे आपको प्रेम के महासागर में डुबोने दोजिससे आप अपना अस्तित्वउस एक महान में खो दे।जो कि आपकी आत्मा की कलि के कोष मेंमंद हास्य कर रहा है।गूढ़ता में चुपके से छुपा हैसदैव आपको छलते, चिढ़ाते हुये।जान लो, अनुभव करो,और आप उस महान को खोज पाओगे।आपके कण कण में, तंतु मेंपरमाह्लाद के आनंद को स्पन्दित करते हुयेऔर पूरे विश्व को प्रकाश से लपेटते हुयेआच्छादित करते हुये! माँ निर्मला

Poem by Shri Mataji at the age of 7 (भारत)

धूल का कण बनना7 साल की उम्र में श्री माताजी द्वारा लिखी गई कविता Poem by Shri Mataji at the age of 7मैं चाहती हूँ की सूक्ष्म बन जाऊँ,एक धूल के कण की तरहजो की पवन के साथ उन्मुक्त विचरता हैवह जहाँ चाहे जा सकता है ,चाहे तो किसी राजा के सर पे आसन रखेया फिर चाहे तोकिसी आम इंसान के कदमो पे आ गिरे.वह हर कोने में जा सकता हैऔर कहीं भी समा सकता है .पर मुझे ऐसा धूल कण बनना है,जिसमे सुगंध हो और जो सभी का पोषण करेजिसके प्रकाश से सभी प्रबोधित हो.