Interview (Holland)

मुलाकात – हिंदुस्तान टिव्ही स्टेशन, वरिक्स्त्रात आश्रम, अॅमस्टरडॅम, हॉलंड ३१.७.१९९४ प्रश्नकर्ता :- श्री माताजी, आप छोटे रुपमें अपना परिचय दे सकती है ? श्री माताजी :- परिचय ऐसे की, शालिवाहन का जो खानदान था, उस खानदान के हम है| हमारे पिता और माता दोनोही गांधीजीके परमभक्त थे| और हमारे पिता अपनी कोंन्स्टीटयुएन्ट असेम्बली और उसके बाद पार्लमेंट वगैरा सबके मेम्बर थे| माता भी हमारी ऑनर्स मैथमेटिक्स में थी| और हमारे एक भाई साहब जो है वो अपने कॅबिनेट के मिनिस्टर भी है| लेकिन असल में अध्यात्मिक रूपसे हमारे माता पिता हमें पहचानते थे, की हममें कोई विशेष बात है| और हमारा विवाह हो गया, एक तो हम मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, लाहोर में, और लाहोर में गड़बड़ी शुरू हो गयी| तो हमारा विवाह हो गया और जिनसे विवाह हुआ वो भी एक बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति है, उनका नाम है डॉ. सी.पि.श्रीवास्तव| बादमे वो जाकरके लंडनमें स्थित एक यु.एन.का, यु.एन.की एक संस्था है जिसको की आय.एम्.ओ. कहते है, ‘इण्टरनॅशनल मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन’ उसके सेक्रेटरी जनरल चुने गये| १३४ नेशन्सने उनको चुना है| वो हमारे पति है| और फिर उन्होंने रिटायरमेंट ले ली| हमारे दो बच्चे है और एक लड़की जो है उसका बिहार में विवाह हुआ है, वो राजेन्द्र बाबुके रिश्तेदार है| प्रश्नकर्ता :- अच्छा| ज्यादातर हम देखते है की, भारतसे आते है योगी, महर्षि लोग, ज्यादातर ये पुरुष है| आप अकेली एक महिला है, आप इस बातको विशेष देखते है भी? श्रीमाताजी :- हां, क्यों की यह कार्य महिला ही कर सकती है| पुरुषोंके बसका नहीं| श्रीराम आये तो वनवास Read More …

Mahashivaratri Puja, Surrender New Delhi (भारत)

Mahashivaratri Puja. Delhi (India), 14 March 1994. It’s a great pleasure that from all over the world people have gathered to worship Shiva. Actually we should say it is Sadashiva that we are going to worship today. As you know the difference between Sadashiva and Shri Shiva. Sadashiva is the God Almighty and He is a witness of the play of the Primordial Mother. The combination between Sadashiva and the Primordial Mother Adi Shakti is just like a moon and the moonlight or the sun or the sunlight. We cannot understand such relationship in human being, among human marriages or among human relationships. So whatever the Adi Shakti’s creating, which is the desire of Sadashiva, is being witnessed by Him. And when He is watching this creation He is witnessing all of it into all details. He witnesses the whole universe and He also witnesses this Mother Earth, all the creation that is done by the Adi Shakti. His power is of witnessing and the power of Adi Shakti is this all pervading power of love. So the God Almighty, the Father, the Primordial Father we can say, expresses His desire, His Iccha Shakti as the Primordial Mother and She expresses Her power as love. So the relationship between the two is extremely understanding, very deep, and whatever She’s creating, if She finds, if He finds there is some problem or there are people, human beings specially who are trying to obstruct Her work, or even the Gods who are Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 31st December 1993 : Place Kalwe Type Puja Speech Language Hindi आज फिर दुनिया में आये हर एक प्रकार के संघर्ष हम लोगों के सामने हैं। और उन संघर्षों को देखते हुये हम लोग ये सोचने लग जाते हैं, कि क्या ये सृष्टि और ये मानव जाति का पूर्णतया सर्वनाश हो जायेगा ? ऐसा विचार | करते हैं। और ये विचार आना बिल्कुल ही सहज है। क्योंकि हम चारों तरफ देख रहे हैं कि हर तरह की आपत्तियाँ आ रही है। आपके महाराष्ट्र में ही इतना बड़ा भूकम्प हो गया। लोग उस भूकम्प से भी काफ़ी घबरा गये। पर तीन साल लगातार मैं पुणे में पब्लिक मिटिंग में कहती रही, कि गणेश जी के सामने जा के शराब पीते हैं और ये गंदे डान्स करते हैं और बहुत बेहुदे तरीके से उनके सामने पेश आते हैं। पर गणपति ये बहत जाज्वल्य देवता है, बहुत जाज्वल्यवान। और उनको ऐसी गलत चीजें चलती नहीं । पता नहीं इतने साल उन्होंने कैसे टॉलरेट किया? और मैंने साफ़ कहा था, कि ऐसा करोगे तो महाराष्ट्र में भूकम्प आयेगा। भूकम्प शब्द मैंने कहा था। लेकिन कोई सुनता थोड़ी ही है। वो डिस्को वगैरा क्या गंदी चीजें हैं, वो ले कर के वहाँ डान्स करते हैं। शराब तो इतनी महाराष्ट्र में आ गयी कि इसकी कोई हद नहीं। अब दो तरह की जनता अब मैं देख रही हूँ, एक शराबी, बिल्कुल म्लेंछ और दुसरी शुद्ध, पवित्र ऐसी सहज कम्युनिटी। अगर आपको बच्चों को बचाना है और उनको एक शुद्ध वातावरण देना है, Read More …

Public Program Galat Guru evam paise ka chakkar (भारत)

Type: Public Program, Place: Dehradun, Date:12/12/19 गलत गुरु एवं पैसे का चक्कर सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार! संसार में हम सुख खोजते हैं, आनन्द खोजते हैं और ये नहीं जानते कि आनन्द का स्रोत कहाँ है। सत्य तो ये है कि हम ये शरीर बुद्धि, अहंकार, भावनायें और संस्कार ये उपाधियाँ नहीं हैं। हम शुद्ध स्वरूप आत्मा हैं।  ये एक सत्य हुआ, और दूसरा सत्य ये है जैसे कि आप ये सारे यहाँ इतने सुन्दर फूलों की सजावट देख रहे हैं, न जाने कितने सारे आपने लगा दिये हैं। ये फूल भी तो एक चमत्कार हैं कि एक बीज़ को आप लगा देते हैं, इस पृथ्वी में और इस तरह के सुन्दर अलग-अलग तरह के फूल खिल उठते हैं। हम इसे चमत्कार समझते नहीं हैं। ये डॉक्टरों से पूछिये कि हमारा हृदय कौन चलाता है तो वो उसका नाम कहते हैं,(Autonomous Nervous System), स्वयंचालित। लेकिन ये स्वयं है कौन? इसका वो निदान नहीं बना सकते।  साइन्स में आप एक हद तक जा सकते हैं और वो भी ये जड़ चीज़ों के बारे में बता सकते हैं।  जो कुछ खोजते हैं, जो पहले ही बना हुआ है उसको वो समझा सकते हैं।  लेकिन साइन्स की अपनी अनेक सीमायें हैं और सबसे बड़ी उसकी ये सीमा है कि केवल सत्य को उन्होंने प्राप्त नहीं किया है। और इस वजह से साइन्स एक हद तक जाता है और फिर उसके खोज में दूसरी खोज आ जाएगी। फिर तीसरी खोज आ जाएगी, और पहली खोज को मना कर देते Read More …

Shri Ganesha Puja New Delhi (भारत)

Shri Ganesha Puja. Delhi (India), 5 December 1993. आज हम श्री गणेश पूजा करने है | इस यात्रा की शुरूआत हो रही है और इस मौके पर जरूरी है कि हम गणेश पूजा करें खासकर दिल्ली में गणेश पूजा की बहुत ज्यादा जरूरत है। हालांकि सभी लोग गणेश के बारे में बहुत कम जानते हैं। और क्योंकि महाराष्ट्र में अष्ट विनायक हैं और महा गणपति देव तो गणपति पूले में हैं। इसलिए लोग गणेश जी को बहुत ज्यादा मानते हैं। लेकिन उनकी वास्तविकता क्या है? गणेश जी हें क्या? इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अब जो भी बात हम आपको बता रहे हैं यह सहजयोगी होने के नाते आप लोग समझ सकते हैं। आम दुनिया इसे नहीं समझ सकती। एक हद तक आम दुनिया, विशेषकर बढ्धि परस्त लोग सहजयोग को देख सकते हैं। किन्तु इस योग के घटित होने में कोई देवी देवता मदद करते है ये नहीं मानते और परमचैतन्य को भी अनेक तरह के नाम दे कर के वो समझाते है की ये कॉस्मिक एनर्जी है | पता नहीं लोग समझते है या नहीं |सबसे पहले इस पृथ्वी की रचना होने से पहले समझ लीजिये परमात्मा ने यही सोचा आदिशक्ति ने यही सोचा इस पृथ्वी पर पवित्रया आना चाहिए पवित्रत्रता आणि चाहिए | और पवित्ररता जब यहाँ फ़ैल जाएगी उसके बाद सृष्टि में चैतन्य चारो और कार्यान्वित हो जायेगा जैसे समझ लीजिये परमचैतन्य चारो और फैला हुआ है लेकिन उसका असर तो तभी आता है जब आपके अंदर पवित्ररता आती है अगर आपके अंदर पवित्रता Read More …

Mahashivaratri Puja मुंबई (भारत)

Mahashivaratri Puja Date 19th February 1993 : Place Mumbai Type Puja Speech Language Hindi [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] आज यहां पर हम लोग शिवजी की पूजा करने के लिये है कि जिसपे भी दृष्टि पड़ जाए वो ही तर जाता है। जिसके एकत्रित हुए तरफ उनका चित्त चला जाए वो ही तर जाए। कुछ उनको े पूजा एक बहुत विशेष पूजा है क्योकि मानव का अन्तिम लक्ष्य यही है कि वो शिव तत्व को प्राप्त करें। करने की ज़रूरत ही नहीं है ये सब खेल है। जैसे बच्चों शिव तत्व बुद्धि से परे है। उसको बुद्धिध से नहीं जाना जा सकता। के लिए खेल होता है परमात्मा के लिए भी वो सारा एक जब तक आप आत्म-साक्षात्कारी नहीं होते, जब तक आपने खेल है वो देख रहे हैं। उस भोलेपन में एक और चीज नीहित अपने आत्मा को पहचाना नहीं, अपने को जाना नहीं, आप शिव हैं। जो भोला आदमी होता है, सत्यवादी होता है अच्छाई से तत्व को जान नहीं सकते। शिवजी के नाम पर बहुत ज्यादा आडम्ब, अन्धता और अन्धश्रद्धा फैली हुई है। किन्तु जो मनुष्य ले रहा है तब उसको बड़े जोर से क्रोध आता है। उसका आत्म साक्षात्कारी नहीं वो शिवजी को समझ ही नहीं सकता क्रोध बहुत जबरदस्त होता है। चालाक आदमी होगा वो क्रोध क्योंकि उनकी प्रकृति को समझने के लिये सबसे पहले मनुष्य को घुमा देगा, ऐसा बना देगा कि उसकी जो प्रमुख किरणें को उस स्थिति में पहुंचना चाहिए जहां पर सारे ही महान तत्व अपने आप Read More …

Shri Mahalakshmi Puja, The Universal Love (भारत)

30 /12/ 1992  महालक्मी पूजा, सर्वव्यापी प्रेम, कल्वे, भारत  सहज योगियों को ऐसे साधारण सांसारिक लोगों के स्तर तक नहीं गिरना चाहिए। अंत में आपके साथ क्या होगा? जो लोग इस प्रकार की चिंता कर रहे हैं, मैं उन्हें कहूँगी कि वह गहन ध्यान में जाएं, यह समझने के लिए कि आप स्वयं का अपमान कर रहे हैं। आप संत हैं। आप इस बात की चिंता क्यों करें कि आपको कौन सा विमान मिलने वाला है, कौन सा नहीं? यह दर्शाता है कि आपका स्तर बहुत नीचा है – निश्चित रूप से। आप सभी जो चिंतित हैं, आप मेरे संरक्षण में यहां आए हैं, और मेरी सुरक्षा में ही वापस जाएंगे।  आज सुबह मैं ईतनी बीमार हो गई कि मुझे यह विचार आया, आज हम कोई पूजा का आयोजन नहीं करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि आप सब मेरे अंग प्रत्यंग है। आपको अपने शरीर में स्थान दिया है, और आप आपना आचरण सुधारें !  ऐसे शुभ दिन में हम सभी यहां आए हैं, यह विशेष पूजा करने के लिए। मैं कहूँगी की इसे महालक्ष्मी पूजा कहना चाहिए क्योंकि इसका सम्बन्ध हमारे देश के और सारे संसार के उद्योग से है।  जब तक मनुष्य के सभी प्रयासों को परमात्मा के साथ जोड़ा न जाए, वह अपने उत्तम स्थिति और पद को प्राप्त नहीं कर सकते। इस कारण पश्चिम के देशों में अब हमें समस्याएं आती हैं। तथाकथित अत्यंत समझदार, अति चुस्त, संपन्न और शिक्षित लोग – अब यहाँ हमें आर्थिक मंदी जैसी स्थिति दिखती हैं, क्योंकि उनमें कोई संतुलन Read More …

Birthday Puja New Delhi (भारत)

जन्म दिवस पूजा दिल्ली मार्च 21, 1992 हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हैं हमने सिर्फ उनको मान लिया क्योंकि वो ऊंचे इन्सान थे। अब किसी भी धर्म में आप जाईए, कोई भी धर्म खराब नहीं है। जैसे अभी बताया कि बुद्ध धर्म है। मैंने बुद्ध धर्म के बारे में, पड़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था लेकिन उस के बाद लोग उसको left (बाएँ) में और right (दाएँ) में ले गए। जो दाएँ मे ले गए वो पूरी तरह से सन्यासी हो गए, ascetic (त्यागी) हो बुद्ध गए। फिर उन्होंने बड़े बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होने सोचा कि क्योंकि सन्यासी हो गऐ थे, बहुत कठिन मार्ग से उन्होंने इसे प्राप्त किया। इसलिए हमें भी उसी मार्ग पर चलना चाहिए। पर उसकी इतनी कठिन चीजें उन्होने कर दीं, कि ज़मीन पर सोना, ठंड उसी में बहुत से लोग खत्म हो गए। एक ही मरतबा खाना में रहना आदि। उन्होंने अपनी जो कुछ भी निसर्ग में दी हुयीं जरूरतें थीं, उन्हें पूरी तुरह से, दबा. दिया। इस. तरह के दबाव डालूने से मनुष्य का स्वभाव बहुत उत्तेजित सा हो जाता है। इतना ही नहीं aggressive (आततायी) भी हो जाता है । उस में बहुत क्रोध समा जाता है ।क्रोध को दबाने से क्रोध और बढ़ता है और ऐसे लोग कभी कभी supra conscious (ऊपरी चेतना) में चल पड़ते हैं और उन्हें कुछ-कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं जिससे वो दूसरे लोगों पर अपना असर डाल सकते हैं। हिटलर के साथ यही हुआ। हिटलर Read More …

Birthday Puja मुंबई (भारत)

Birthday Puja Date 17th March 1992 : Place Mumbai Puja Type Hindi & English Speech Language [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari] सहज” सहज समाधी लागो। सहज में ही आपके अन्दर ये भावना आ जाती है। हिन्दुओं में अब जो बताया गया है कि सबव में आत्मा है, एक ही आत्मा का वास है। फिर हम जात-पात हमारे देश में बहुत से सन्त हुए हमने सिर्फ उनको मान लिया क्याोंकि वा ऊँचे इंसान थे। किसी भी धर्मं में आप जाईये काई भी धर्म खराब नहीं। मैंन बुद्ध धर्म के वारे में पढ़ा तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि मध्य मार्ग बताया गया था। लेकिन उसके कैसे कर सकते है? पहली बात तो यह सोचनी चाहिये कि वाद लोग उसको बायें में और दायें में ले गये जो दायें में ले गये वो पूरी तरह से सन्यासी हो गये, त्यागी हो गए। फिर डाकू भी था और बह एक मछुआरा था। उससे रामायण राम उन्होंने बड़े-बड़े कठिन मार्ग और उपद्रव निकाले। उन्होंने सोचा ने लिखा दिया। भीलनी के झूठे बेर खा के दिखा दिया। और कि बुद्ध सन्यासी हो गए थे तो उन्होंने भी सन्यास ले लिया। गीता का लेखक व्यास कोन था? वो भी एक भीलनी का अपनी सभी इच्छाओं का दमन कर लिया उन्होंने।इस तरह का स्वभाव व्यक्ति का अति उग्र, इतना ही नही आतताई भी बना देता हैं। उसमें बहुत क्रोध समा जाता है। क्रोध को दबाने से क्रोध और बेढ़ता रामायण जिसने लिखा वी कौन था? बाल्मीकी एक डाक था, नाजायज पुत्र था। ये सब Read More …

Public Program, Sahajayog ka arth कोलकाता (भारत)

  1992 -02-05 पब्लिक प्रोग्राम, सहज योगा का अर्थ कोलकाता इण्डिया कल जैसे बताया की सत्य है वो निर्धारित है | अपनी जगह स्थित है | हम उसकी कल्पना नहीं करते, उसके बारे में हम कोई भी  उपमा वर्णन नहीं दे सकते, ना ही उसको हम बदल सकते है  और बात तो ये है की इस मानव चेतना में हम उस सत्य को जान नहीं सकते | ये तो मानना चाहिए की साइन्स अब अपनी चरम सीमा पर पहुच गया है और उससे उसको फायेदा जो भी किया, किन्तु उसके साथ ही साथ आएटटम बोअम, हाइड्रोजन बोअम, प्लास्टिक के पहाड़ तैयार कर दिए है | प्लास्टिक रूप में जो कुछ भी हुआ वो इस तरह सीमा के बाहर लाहांग गया की आप जानते है की आप जानते है की कलकत्ता शहर में भी इस कदर पोल्यूशन है | ये सब होने का कारण ये ऐसा की मनुष्या अपना संतुलन  खो बैठता है| वो ये नहीं जनता है कि कितने दूर जाना है और कहा उसे रोकना है |  इस वजह से जो कुछ भी मनुष्य करता है वो बाद में किसी को नहीं बताता मानव की जो सारी चेतना आज हमने प्राप्त की है | ये हमारे उत्क्रांति में, हमारे एवोल्यूशन में हमें सहज ही मिली हुई है | हमने कोई ऐसा विशेष कार्य नहीं किया कि जिससे हम मानव बने | सहज में ही आप ने इसे प्राप्त किया, जो चीज़ आप ने सहज में प्राप्त की है वो बड़ी ऊंची चीज़ श्रेष्ठ चीज़ है की आप मानवरूप है | Read More …

Shri Ganesha Puja (भारत)

(श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, कलवे (भारत, 31 दिसम्बर 1991) मैं उनको बता रही थी कि श्री गणेश की पूजा करना कितना महत्वपूर्ण है। आप सब फोटोग्राफ्स ( माइरेकल फोटोग्राफ्स) आदि के माध्यम से जानते ही हैं कि वे जागृत देवता हैं और उनका निवास स्थान मूलाधार पर है। वास्तव में वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं … मैं कहना चाहती हूं कि वह तो सारे चक्रों पर विराजमान हैं। उनके बिना कुछ भी कार्यान्वित नहीं हो सकता क्योंकि वह तो स्वयं साक्षात्  पवित्रता हैं। अतः जहां भी हमारी कुंडलिनी जाती है वह वहां वहां पवित्रता की वर्षा करते हैं और उनकी स्वच्छ करने की शक्ति के कारण श्री गणेश आपके चक्रों को स्वच्छ करते हैं। अतः श्री गणेश के गुणों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस तरह से वह आपके चक्रों पर कार्य करते हैं और किस तरह से वह आपकी सहायता करते हैं। हम उनकी कितनी ही पूजा करें, कितना ही उनका गुणगान करें लेकिन हमें  यह भी देखना है कि हमने उनकी पवित्रता, पावनता और विवेकशीलता जैसे गुणों में से कितने गुणों को आत्मसात् किया है। हमें यह समझना है कि विवेक कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी के अंदर जागृत किया जा सके या इसे सूझ-बूझ से किसी के अंदर स्थापित किया जा सके। ये तो एक ऐसा अंतर्जात गुण है जिसे परिपक्वता से ही प्राप्त किया जा सकता है और इस परिपक्वता को कुंडलिनी पर चित्त डालकर ही प्राप्त  किया जा सकता है ….. कुंडलिनी को परमात्मा की सर्वव्याप्त शक्ति से जोड़कर Read More …

Shri Ganesha and Christmas Puja Ganapatipule (भारत)

Christmas Puja IS Date 24th December 1991 : Ganapatipule Place : Type Puja Speech [Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahiri] आज का याग अति विशेष है। इस विशेष दिन को अंगार की चतुर्थी अथवा कृष्णपक्ष की चतुर्थी कहते हैं। प्रत्येक चतुर्थों को, जो कि महीने के चौथे दिन पडती है, को श्री गणेश का जन्मदिन मनाया जाता है। मंगलवार के दिन आयो इस चतुर्थी का विशेष महत्व हाता है। आज यही दिन है। हम सब मंगलवार, अंगार की चतुर्थी के दिन गणपति पुल में आये हैं। आज के दिन श्री गणेश की पूजा के लिए हजारा लोग यहाँ आते हैं। कि क्या करें। नम्रता तथा विवेक श्री गणेश जी को विशेषताएं हैं। ये दोनों गुण ग्णेश तत्व की देन हैं । सुन्दर चाल से चलने वाली स्त्री को भी गज गामिनी कहते हैं। हाथी केवल घास खाते हैं फिर भी अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, वड़े-बड़े वजन ढाते हैं फिर भी बड़े शान्त स्वभाव के होते हैं। किसी भी चीज के लिए वे जल्दी नहीं करते। उनकी स्मरणशक्ति भी बहुत तीव्र होती है। जब भी आप की बायों और दुर्बल हा जाती है तो आपकी स्मरण शक्ति धुंध्रला जाती है। ऐसा इसलिए हाता है क्योंकि आपके अन्दर गणेश तत्व कम हो गया है। जब आप बहुत अधिक दायों ओर को झुक जाती है तो बायीं ओर का गणेश तत्व कम हो जाता है। अति कर्मी लोगों की स्मरण शक्ति भी वृद्धावस्था में समाप्त हो जाती है। सहजयोगियों को समझना चाहिए कि जा भी कुछ घटित हाता है, उसे Read More …

Shri Mahalakshmi Puja (भारत)

Shri Ganesha Puja 21st December 1991 Date : Kolhapur Place Type Puja Speech Language English, Hindi & Marathi आप लोग इतनी दिल्ली से यहाँ पर पहुँचे हैं और सब का प्यार है जो खिंच के लाया आपको यहाँ पर। मैं दूर समझा नहीं सकती कि मुझे कितना आनन्द हुआ है कि आप लोग सब यहाँ हैं। दिल्ली में तो मुलाकात होती ही रहती है और बहुत लोगों से मुलाकात होती रही और सब को देखते रहे हम और आप लोगों ने बहुत प्रगति कर ली है। बड़े आश्चर्य की बात है, दिल्ली जैसा शहर जिसको की मैं हमेशा बिल्ली कहती थी। मैं कभी दिल्ली कहती नहीं थी। क्योंकि वहाँ के लोग, जिस वक्त मैं वहाँ रही, जब मेरी वहाँ शादी हुई तो सिवाय पॉलिटिक्स के कुछ बात ही नहीं करते थे । लेकिन शुरू के जमाने में वहाँ बहुत बड़े बड़े लोग हो गये। और जब वो पॉलिटिक्स की बात करते थे, तो यही कि, ‘हमारे देश की हालत कैसे ठीक होगी?’ क्योंकि मेरे पिताजी कॉन्स्टिट्यूट असेम्ब्ली के मेंबर थे, तो कैसा कॉन्स्टिट्यूशन बनना चाहिए? मतलब बहुत गहरी बाते करते थें। था तो पॉलिटिक्स ही, लेकिन उस पॉलिटिक्स में और आज कल के पॉलिटिक्स में बहुत ही ज्यादा फर्क हैं। और फिर उसके बाद पता नहीं कहाँ से सब लोग वहाँ पे पहुँच गये खटमल जैसे। सारे देश का खून चूसने वाले वहाँ पहुँच गये। और उन्होंने जिस तरह से | वहाँ पर राजकारण जमाना शुरू कर दिया, अनीति शुरू कर दी। तो मैं खुद ही सोचती थी, कि दिल्ली Read More …

Shri Rama Puja कोलकाता (भारत)

रामनवमी पूजा – कलकत्ता, २५.३.१९९१ रामनवमी के अवसर पे एकत्रित हुए है, और सबने कहा है कि श्री राम के बारे में माँ आप बताइये। आप जानते हैं कि हमारे चक्रों में श्री राम बहुत महत्वपूर्ण स्थान लिए हुए हैं। वो हमारे राइट हार्ट पर विराजित हैं।  श्रीराम एक पिता का स्थान लिये हुए हैं, इसलिये आपके पिता के कर्तव्य में या उसके प्रेम में कुछ कमी रह जाये तो ये चक्र पकड़ सकता है।  सहजयोग में हम समझ सकते हैं कि राम और सब जितने भी देवतायें हैं, जो कुछ भी शक्ति के स्वरूप संसार में आये हैं, वो अपना-अपना कार्य करने आये हैं।  उसमें श्रीराम का विशेष रूप से कार्य है। जैसे कि सॉक्रेटिस ने कहा हआ है कि संसार में बिनोवेलंट किंग आना चाहिए।  उसके प्रतीक रूप श्रीरामचन्द्रजी इस संसार में आये हैं।  सो वो पूरी तरह से मनुष्य रूप धारण कर के आये थे।   वे ये भी भूल गये थे कि मैं श्रीविष्णु का अवतार हूँ, भुला दिया गया था।  किन्तु सर्व संसार के लिए वो एक पुरुषोत्तम राम थे। ये बचपन का जीवन सब आप जानते हैं और उनकी सब विशेषतायें आप लोगों ने सुन रखी हैं।  हम लोगों को सहजयोग में ये समझ लेना चाहिए कि हम किसी भी देवता को मानते हैं, और उसको  अगर हम अपना आराध्य मानते हैं तो हमारे अन्दर उसकी कौनसी विशेषताऐं आयी हुई हैं?  कौन से गुण हमने प्राप्त किये हैं?  श्रीरामचन्द्र जी के तो अनेक गुण हैं। क्योंकि वो तो पुरूषोत्तम थे। उनका एक गुण था Read More …

Birthday Puja Talk New Delhi (भारत)

Birthday Puja, Delhi, India, 3rd of Octoer, 1991 आज आप लोगों ने मेरा जन्म-दिवस मनाने की इच्छा प्रगट की थी I अब मेरे कम-से-कम चार या पांच जन्म-दिवस मनाने वाले हैं लोग I इतने जन्म-दिवस मनाइएगा उतने साल बढ़ते जाएंगे उम्र के I लेकिन आपकी इच्छा के सामने मैंने मान लिया कि इसमें आपको आनंद होता है, आनंद मिलता है तो ठीक है I लेकिन ऐसे दिवस हमेशा आते हैं I उसमें एक कोई तो भी नई चीज हमारे जीवन में होनी चाहिए, क्योंकि हम सहजयोगी हैं, प्रगतिशील हैं, और हमेशा एक नयी सीढ़ी पर चढ़ने का यह बड़ा अच्छा मौका है I सहजयोग में जो आज स्थिति है वो बहुत ही अच्छी है I जबकि हम देश की हालत देखते हैं आज, तो लगता है की सहजयोग एक स्वर्ग है हमने हिंदुस्तान मे खड़ा किया है I और, इसकी जो हमारी एक साधना है, इसमें जो हम समाए हुए हैं, इसका जो हम आनंद उठा रहे हैं, वो एक स्थिति पर पहुंच गया है I और इसका आधार भी बहुत बड़ा है I इसका आधार है कि आपने अपनी शुद्धता को प्राप्त किया है, अपनी शांति को प्राप्त किया और अपने आनंद को प्राप्त किया I यह आपकी विशेष स्थिति है जो औरों में नहीं पाई जाती I और इसको सब लोग देख रहे हैं समझ रहे हैं कि यह कोई विशेष लोग हैं और उन्होंने कोई तो भी विशेष जीवन प्राप्त किया है I मैं जहां भी जाती हूं और जगह, लोग मुझसे बताते हैं कि हम एक Read More …

Holi Celebrations New Delhi (भारत)

होली पूजा २८ फेब्रुवारी १९९१, दिल्ली आम् प तो इतिहास जानते हैं और पौराणिक बात भी जानते हैं कि होलिका को जलाने पर ही होली जलाई जाने लगी और इसमें किसानों के लिए भी उनका सब काम-वाम खत्म हो गया और ये सोच करके कि अब सब कुछ जो बोया था उसका फल मिल गया था। उसको बेच-बाच कर आराम से बैठे हैं, तो थोड़ासा उसका आनन्द भोगना चाहिए, पर इससे भी पहली बात ये है कि होली की शुरुआत जो थी हालांकि ये होलिका का दहन जो हुआ उसी मुहूर्त में बिठायी हुई बात है। ये काम श्रीकृष्ण ने किया क्योंकि श्रीराम जब संसार में आये तो श्रीराम ने मर्यादायें बाँधी। अपने, स्वयं अपने जीवन से, अपने तौरतरीकों से, अपने आदर्शों से, अपने व्यवहार से कि मनुष्य जो है मर्यादा पुरुषोत्तम की ओर देखे। ये मर्यादा पुरुषोत्तम जो है ये एक चरित्र, ये एक महान आदर्श हम लोगों के सामने रखा गया कि जो राज्यकर्ता है, जो राजा हैं वो हितकारी होने चाहिए, जिसे सॉक्रेटिस ने ‘बिनोवलेंट किंग’ कहा है। वो आदर्श स्वरूप श्रीराम हमारे इस संसार में हैं और इतना बड़ा आदर्श उन्होंने सबके सामने रखा कि लोगों के हित के लिए, जनमत के लिए उन्होंने अपनी पत्नी तक का त्याग कर दिया, हालांकि उनकी पत्नी साक्षात महालक्ष्मी थीं । वो जानते थे कि उन्हें कुछ नहीं हो सकता। तो भी लोकाचार में, दुनिया के सामने उन्होंने अपने पत्नी को त्याग दिया कि जिससे लोकमत हमारे प्रति विक्षुब्ध न हो और लोकमत का मान रखें। लेकिन वर्तमान काल Read More …

Shri Mahalakshmi Puja Kolhapur (भारत)

Shri Mahalakshmi Puja Date 21st December 1990 : Place Kolhapur Type Puja Speech Language Hind मैं आपसे बता चुकी हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिकोणाकार अस्थि और उसमें कुण्डलाकार में शक्ति विराजती है । महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और आदिशक्ति इस तरह से साढ़े तीन कुण्डलों में बैठी हुई है। माहुरगढ़ में महासरस्वती हैं जिन्हें रेणुका देवी भी कहते हैं। तुलजापुर में भवानी है जिन्हें महाकाली कहते हैं और कोल्हापुर में महालक्ष्मी का स्थान है। यहाँ से आगे सप्तश्रृंगी नाम का एक पहाड़ है जिस पर आदिशक्ति की अर्धमात्रा है। इस प्रकार ये साढ़े तीन शक्तियाँ इस महाराष्ट्र में पृथ्वी तत्व से प्रकट हुई हैं। और यहीं पर श्री चक्र भी विराजता है। आप सब जानते हैं कि महालक्ष्मी ही मध्यमार्ग है जिससे कुण्डलिनी का जागरण होता है। इसलिए हजारों वर्षों से इस महालक्ष्मी मन्दिर में ‘उदे अम्बे’ कहा जाता है। क्योंकि अम्बा ही कुण्डलिनी है और कुण्डलिनी की शक्ति महालक्ष्मी में ही जागृत हो सकती है। इसलिए महालक्ष्मी के मन्दिर में बैठ कर अम्बा के गीत गाये जाते हैं। इसी स्थान पर अम्बा ने कोल्हापुर नामक राक्षस को मारा था, इसलिए इसका नाम कोल्हापुर पड़ा। कोल्हा का अर्थ है सियार। सियार के रूप में आये राक्षस का वध देवी ने किया। लेकिन जहाँ भी मन्दिरों में पृथ्वी तत्व ने ये स्वयंभू विग्रह तैयार किये हैं वहाँ लोगों ने बुरी तरह से पैसा बनाना शुरू कर दिया है । मन्दिरों की तरफ कुछ भी ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए कभी-कभी लगता है इन मन्दिरों में चैतन्य दब सा जाएगा। अब आप लोग Read More …

Public Program पुणे (भारत)

1990-12-05 Public Program, Hindi Pune India   सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा प्रणाम! सत्य के बारे में हमें ये जान लेना चाहिए कि सत्य है सो अपनी जगह है। उसे हम बदल नहीं सकते,  उसकी हम धारणा नहीं कर सकते,  उसकी हम हम व्यवस्था नहीं कर सकते। सबसे तो दुःख की बात ये है कि इस मानव चेतना से हम उस सत्य को जान नहीं सकते। इसीलिए हम देखते हैं कि दुनियाँ में भेद-अभेद है। इसीलिए लोग अन्धेपन से आपस में लड़-झगड़ रहे हैं। अनेक तरह की नयी-नयी गतिविधियाँ उत्पन्न हो रही हैं। और नये-नये विचार, नयी-नयी प्रणालियां और नये-नये प्रश्न आज हमारे सामने खड़े हैं। ये हमारे भारतवासियों का ही प्रश्न नहीं है,  ये सारे दुनियाँ का प्रश्न है। सारी दुनियाँ में एक तरह की बड़ी आशंका मनुष्य के मस्तिष्क में घूम रही है और वो आशंका ये है  कि हम कहाँ जा रहे हैं?   और हमें क्या पाना है?   जब मैं आपसे आज सारी बातें कहुँगी, तो मैं आपसे ये विनती करना चाहती हूँ, कि आप एक वैज्ञानिक ढंग से, एक साइंटिफिक (scientific)  ढंग से अपना दिमाग खुला रखें।  जिस आदमी ने अपना दिमाग बंद कर लिया वो साइंटिस्ट हो ही नहीं सकता। और जो कुछ भी हम बात बता रहे हैं इसे एक धारणा, एक हाइपोथीसिज़ (hypothesis) समझ कर के आप सुनिए। और अगर ये बात सिद्ध हो जाए तो इसे आपको एक ईमानदारी के साथ मानना चाहिए।  जो लोग भारतवर्ष में रहते हैं वो ये सोचते हैं कि हमारे देश में Read More …

Shri Adi Shakti Puja कोलकाता (भारत)

Shri Adi Shakti Puja, 9th April 1990, Kolkata ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK Scanned from Hindi Chaitanya Lahiri कलकल्ता की आप लोगों की पूरगति देखकर बडा आनन्द आया। और में जानती हैं कि इस शहर में अनेक लोग बड़े गहन साधक हैं। उनको अभी मालू म नहीं है कि ऐसा समय आ गया है जहाँ बो जिसे रखोजते हैं, को उसे पा लें। आप लोगों को उनके तक पहुँचा चाहिए, और ऐसे लोगों की सोज बीन रखनी चाहिए जो लोग सत्य को खोज रहे हैं। इसलिप आवश्यक है कि हम लोग अपना किस्तार चारों तरफ करें। अपना [भी जीवन परिवर्तत करना चाहिए। अपने अपनी भी शवती बढ़ानी चाहिए। लेकिन उसी के साथ हमे जीवन को भी एक अटूट योगी जैसे प्रज्जलित करना चाहिए जिसे लोग देखकर के पहचानेंगे कि ये कोई बिशेष क्यवित है। ध्यान धारणा करना बहुत ज़रूरी है। कलकत्ता एक बड़ा व्यस्त शहर है और इसकी व्वस्तता में मनुष्य डूब जाता है। उसको समय कम मिलता है। ये जो समय हम अपने हाथ में बाँधे हैं, ये समय सिर्फ अपने उत्धान के लिए और अपने अ्दर पुगति के लिए है। हमें अगर अन्दर अपने को पूरी तरह से जान लेना है तो आवश्यक है कि हमें थोडी समय उसके लिएट रोज ध्यान धारणा करना है। शाम के कात और सुबह चोड़ी देर। उनमें जो करते हैं और जो नहीं करते, उनमें बहुत अन्तर आ जाता है। विशेषकर जो लोग बाहयता बहुत कार्य कर रहे हैं, सहजयोग के लिए वहुत महनत कर रहे है और इधर उधर जाते हैं, लोगों Read More …

Mahashivaratri Puja पुणे (भारत)

Mahashivaratri Puja 23rd February 1990 Date : Place Pune Type Puja Speech Language Hindi आज शिवरात्री है और शिवरात्री में हम शिव का पूजन करने वाले हैं। बाह्य में हम अपना शरीर है और उसकी अनेक उपाधियाँ, मन, अहंकार बुद्धि आदि हैं और बाह्य में हम उसकी चालना कर सकते हैं, उसका प्रभुत्व पा सकते हैं। इसी तरह में जो कुछ अंतरिक्ष में बनाया गया है, वह हम सब जान सकते हैं, उसका उपयोग कर सकते हैं। उसी प्रकार इस पृथ्वी में जो कुछ तत्व हैं और इस पृथ्वी में जो कुछ उपजता है उन सबको हम अपने उपयोग में ला सकते हैं। इसका सारा प्रभूत्व हम अपने हाथ में ले सकते हैं। लेकिन ये सब बाह्य का आवरण है। वो हमारी आत्मा है, शिव है। जो बाह्य में है वो सब नश्वर है। जो जन्मेगा, वो मरेगा। जो निर्माण होगा उसका विनाश हो सकता है। किन्तु जो अन्तरतम में हमारे अन्दर आत्मा हैं, जो हमारा शिव है, जो सदाशिव का प्रतिबिम्ब है, वो अविनाशी है, निष्काम, स्वक्षन्द। किसी चीज़ में वो लिपटा नहीं, वो निरंजन है। उस शिव को प्राप्त करते ही या उस शिव प्रकाश में आलोकित होते ही हम भी धीरे-धीरे सन्यस्त हो जाते हैं। बाह्य में सब आवरण है। वो जहाँ के तहाँ रहते हैं। लेकिन अन्तरतम में जो आत्मा है वो अचल, अटूट और अविनाशी है वो हमेशा के लिए अपने स्थान पर प्रकाशित होते रहता है। तब हमारा जीवन आत्मसाक्षात्कार के बाद एक दिव्य, एक भव्य, एक पवित्र जीवन बन जाता है। इसलिए मनुष्य Read More …

Public Program, Sakshi Swaroop (भारत)

साक्षी स्वरूप हैद्राबाद, ७.२.१९९० सत्य के बारे में बताया था कि सत्य अपनी जगह अटूट, अनंत है और उसे हम अपने बुद्धि से, मन से, किसी भी तरह से बदल नहीं सकते। और सत्य क्या है? सत्य ये है कि हम, जो आज मानव स्वरूप हैं वो वास्तविक में आत्मास्वरूप है। एक आज ऐसी स्थिति पर हम खड़े हैं जहाँ हम स्वयं को एक मानव रूप में देख रहे हैं। और इससे एक सीढ़ी चढ़ने से ही हम जान लेंगे कि हम इस मानव स्वरूप से भी एक ऊँचे स्वरूप में उतर सकते हैं जहाँ हम आत्मास्वरूप हो जाते हैं। ये एक महान सत्य है। लेकिन परम सत्य ये है कि ये सारी चराचर सृष्टि, सारी दुनिया, मनुष्य, प्राणीमात्र, जड़ चेतन सब जीव है। एक ब्रह्मचैतन्य के सहारे जी रही है, पनप रही है, बढ़ रही है। और ये परम चैतन्य चारों तरफ सूक्ष्मता से फैला हुआ है जो कि सब चीज़ों को बनाता है, सब चीज़ों को सृजन करता है, बढ़ाता है और जो कुछ भी आज हम इन्सान बने हैं वो भी इस परम चैतन्य के कृपा से ही बने हैं। इस परम चैतन्य में ऐसी शक्ति है कि जिससे वो हमें ज्ञान दे सकता है, ऐसा ज्ञान कि जो एकमेव ज्ञान है। जिसे कि हम ये जान सकेंगे कि हम क्या है? हमारे अन्दर क्या स्थिति है? हम कहाँ हैं? और हमारा लक्ष्य क्या है? वो ज्ञान देता है कि जिससे हम अन्दर से ही महसूस करते हैं, अन्दर से ये हमें ज्ञात होता है कि हम Read More …

How We Should Behave (two talks) पुणे (भारत)

1989-12-27 India Tour – How We Should Behave FIRST SPEECH It was very interesting I was thinking about you all and about the people who have done so much for Sahaja Yoga. It is impossible really to say how many have worked for Sahaja Yoga with such interest and dedication. And this dedication is directed by divine force that’s why I think you people are not even aware how much you have worked so hard without getting any material gain out of it. And the joy has no value. We cannot evaluate in any human terminology nor can we describe it as to how we feel the joy of oneness together. This togetherness is very much felt in Ganapatipule. I see the leaders from all over the world have become great friends – there’s no jealousy, there’s no quarrelling, there’s no fighting, there’s no domination, there’s no shouting, nothing. Such beautiful brothers and sisters such a beautiful family we have created out of this beautiful universe. Now we have to maintain the beauty individually and collectively. Some people think that individually if you do something that is alright, but if it is not related to the collective it cannot be sahaj. Anything that you do has to be related to the collective. Now to be individualistic is a trend in the modern times and in that how far we have gone into nonsense that we know very well. Individuality is a personality within yourself which has to be of different Read More …

Public Program, Kundalini Ke Jagran Ke Bad Labh (भारत)

Kundalini Ke Jagran Ke Bad Labh Date 16th March 1989 : Noida Place Public Program Type Speech Language Hindi सब से पहले तो कहना है कि नोएडा का कुछ ऐसा नसीब है, कि कितनी भी कोशिश करिये आप जल्दी (अस्पष्ट)। कब से वही इंतजार कर रहा था नोएडा, मुझे भी और आप को भी। क्योंकि बिना वजह की देर हो गयी। रास्ते में कोई वीआयपी साहब अगर दिल्ली में आ जाये तो सब रस्ते बंद हो जाते हैं। फिर कोई आदमी हिल नहीं सकता। इसी प्रकार न जाने कितने लोगों को अपना समय बर्बाद करना पड़ता है। आप लोग भी बहुत देर से इंतजार कर रहे थे और मैं भी, कि कब हम पहुँच रहे हैं, कब हम पहुँच रहे हैं। पर कुछ ऐसा ही नसीब है कि नोएडा में आने में एक इंतजार का भी मजा उठाना पड़ता है। आप लोगों की भी कमाल है कि आप इतनी देर से बैठे रहे। और अपनी माँ को मिलने के लिये तो सभी बहुत लालायित होते हैं, पर कलियुग में ऐसा ही सुना था कि बच्चे तो माँ की परवाह ही नहीं करेंगे। मैं तो उल्टा ही हाल देख रही हूँ। इसका मतलब कलियुग भी खत्म हो गया, कृतयुग भी खत्म हो गया और ये सत्ययुग आ गया है। कृतयुग में परम चैतन्य जो है वो कार्यान्वित होता है। ये तो आप जानते हैं कि परम चैतन्य का कार्य शुरू हो गया है। अगर परम चैतन्य कार्य न करते तो हम इतने लोगों को पार नहीं करते। उनके कार्यान्वित होने में Read More …

Talk to Sahaja Yogis, Value Systems Ganapatipule (भारत)

हिन्दी (Hindi) अभी जो मैने बातचीत की थी उसका सारांश ये है की जब हम मनुष्यता के रूप से अपनी ज़िंदगी बसर करते है तब हमारे अंदर मनुष्यता नहीं रह जाती हम सिर्फ़ अपनी संपदा के बारे में सोचतें हैं और मनुष्यता की जो संपदा है उसे नही सोचतें हैं | जिस वक़्त हम सहज योग में उतर आते है तभी हमारे में पहली मर्तबा वो समर्थता आ जाती है की हम मनुष्यता को अपनाएँ | मनुष्यता से बढ़कर और कोई सी भी चीज़ नहीं ये हमारे समझ में आ जाती है और समझ में आने का मतलब है की वो हमारे जीवन में ही उतरने लग जाती है | जब तक हम मनुष्यता के रूप को और उसके मधुर स्वाद को चखतें नहीं तब तक मनुष्य अपने ही एक आवरण में, अपने ही एक सीमित जीवन में ही आनंदित रहता है, लेकिन जितने भी संसार में बड़े-बड़े लोग हो गये हैं, जिनके नाम हैं और जिनको हमलोग आज भी पूज्‍यनीय मानते हैं ये सब मनुष्यता के ही भोक्ते थे और उसी का आनंद इन्होने उठाया | सहज योग के बाद आप भी इसका आनंद उठा सकते हैं, क्यूँकी इसके बाद आप आत्मा स्वरूप हो जाते हैं, और आत्मा जो है ये सार्वजनिक है, ये अपने में ही सीमित नही है, ये सर्वजन्य में, सारी सृष्टि में सब  दूर इस तरह से अगोचर है, लेकिन हमेशा विचरण करते रहता है और उसका जो एक प्रभाव है हमारे अंदर वो सबसे बड़ा ये है की हमें भी उसी में आनंद आता Read More …

Christmas Eve Talk: Purity and Holiness and Evening Program Ganapatipule (भारत)

[English to Hindi translation] शुचिता और पवित्रता गणपतिपुले (भारत), 24 दिसंबर 1988। आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। परमात्मा आप को आशिर्वादित करे। [तालियां] ईसा मसीह का जन्म पूरे विश्व में मनाया जाता है, और यह अच्छा है कि हम यहां गणपतिपुले में उनके जन्म का उत्सव मना रहे हैं। जैसा कि सहज योग में आप अच्छी तरह से जानते हैं, हमने महसूस किया है कि ईसा मसीह के सिद्धांत श्री गणेश थे। तो यह क्रिसमस मनाने के लिए सही जगह है और ईसा मसीह का जन्म  – आज बिल्कुल मेल खाता है और मुझे बहुत खुशी है कि आपने उसके लिए गणपतिपुले को चुना है। अब जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि गणेश का सिद्धांत आज्ञा चक्र पर ईसा मसीह का सिद्धांत बन गया। और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चक्र है जो हमारे भीतर है जिसने हमें, हमारे व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया है, कि हम अपना पुनरुत्थान कर सकें जैसे कि मसीह ने खुद को पुनर्जीवित किया; इसलिए उनके जीवन का संदेश पुनरुत्थान है। तो अपने जन्म से उन्होंने अपना पुनरुत्थान करवाया, उसी तरह जब आप अपना पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं तो आप फिर से जन्म लेते हैं, या आप सहजयोगी बन जाते हैं। यह उसी सिद्धांत पर काम करता है। लेकिन उन्हें शारीरिक रूप से सारी तपस्या से गुजरना पड़ा, जैसा कि हम कहते हैं कि वह हमारे लिए, हमारे पापों के लिए मरे; लेकिन अब जैसा कि उन्होंने हमारे लिए किया है, आज्ञा चक्र पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में है, Read More …

Akshaya Tritiya Puja Talk पुणे (भारत)

Akshaya Tritiya Puja Talk Pune लेकिन इस मामले में अनादि काल से, इस दिन के शुभ अवसर पर, परमात्मा से लोगो ने बहुत चीज़े मांगी। जैसे कि, बहुत से लोग आज के दिन ये मांगते हैं कि प्रभु, महाराष्ट्र में बरसात हो जाए। बरसात हो जानी चाहिए, जिससे हमारी खेती आ जाए। ठीक है, वो मांगना ठीक है, कि खेती की उपज होनी चाहिए, बरसात होनी चाहिए, लोगो को खाने-पीने को मिलना चाहिए। उससे आगे क्या? ये कोई अक्षय बात तो मांगी नही। बरसात होगी, लोगों को खाने-पीने को मिलेगा, लेकिन ये बात कोई ऐसी तो नही कि जो अटल है, जो टलेगी नही, और फिर से यहाँ आपको दुष्काल के दिन ना देखने पड़ें। ऐसा तो कोई कह नही सकता। और फिर बरसात होने पे क्या होगा? वही काम करेंगे कि जिससे फिर से परमात्मा कि अवकृपा हो जाए और फिर से बरसात रुक जाए। मनुष्य का दिमाग ऐसा ही होता है। परमात्मा से जो मांगते हैं उसमे ये नही सोचते हैं कि हमें ये दशा क्यों आई, हमने कौन सी गलती की।  अब महाराष्ट्र में यहां बड़ी समृद्धि आ गई, और साखर (शक्कर) कारखाने बन गए, उसमे बहुत सारी चीनी तैयार होने लगी। फिर उसके बाद शराब बनाना शुरू कर दिया। ये नही विचार किया कि शराब बना कर के हम पैसे तो कमा लेंगे, लेकिन परमात्मा के विरोध में हम कार्य कर रहे हैं। और अब इस कलजुग में, जब से कृत-युग शुरू हो गया है, तो अब ये चीज़ें ज़्यादा दिन चलने नही वाली। उन्होंने शराब Read More …

Sahaj Yogiyon Ko Upadesh Ganapatipule (भारत)

सहजयोगियों को उपदेश ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK सबसे पहले एक बात समझ लेनी चाहिए कि यहाँ जो बंबई वाले और दिल्ली वाले लोग आये हैं ये मेहमान नहीं हैं। मेहमान जो लोग बाहर से आये हैं वो हैं। बसेस उनके पैसे से आयी हैं। आप तो एक पैसा भी नहीं दे रहे उसके लिए। एक कवडी भी नहीं दे रहे हैं। बसेस उनकी हैं, वो सब बसेस मार कर आप लोग यहाँ आ गये। यहाँ | बसेस छोड़ दिये, वो लोग रास्ते में लटक के खड़े हुए हैं। बजाए इसके कि आप उन लोगों का खयाल करें, आप हैं और यहाँ बसेस आराम से यहाँ पहुँच गये। आके आराम से यहाँ बैठ गये हो । और आधे लोग रस्ते में बैठे हुए सड़ रही हैं। आप लोग यहाँ मेहमान के रूप में नहीं आयें, कृपया ध्यान दीजिए । ये अपनी आदतें आप बदलिये। आप यहाँ पर आये हैं सेवा करने के लिए और ये बाहर के जो लोग आये हैं ये मेहमान हैं। आप जिस चाहे बस में चढ़ जाते हैं, जैसे कि आपने बस ली है किराये से। पिछली मर्तबा ४५,००० रू. मैंने भरा आप लोगों के बस में | चढ़ने का। बेहतर है आप सब लोग पैदल आईये और नहीं तो एक चीज़ हो सकती है कि एक बस है सिर्फ आप के लिए। किसी भी टाइम में आप लोग निकलते हैं। आपको कोई टाइम नहीं है, कुछ नहीं है, एक ही बस आयेगी और | वो बस दो मर्तबा आयेगी और उसी बस में आपको बैठने को Read More …

Conversation with Dr. Talwar मुंबई (भारत)

26, 27 फरवरी 1987, शिव पूजा के सुअवसर पर मुंबई में माताजी श्री निर्मला देवी की डॉ. तलवार से बातचीत। सहयोग का ज्ञान मुझे सदा से था। इस अद्वितीय ज्ञान के साथ ही मेरा जन्म हुआ। परंतु इसे प्रकट करना आसान कार्य न था। अतः इसे प्रकट करने की विधि मैं खोजना चाहती थी।सर्वप्रथम मैंने सोचा कि सातवें चक्र (सहस्त्रार) का खोला जाना आवश्यक है और 5 मई 1970 को मैंने यह चक्र खोल दिया। एक प्रकार से यह रहस्य है। पहले ब्रह्म चैतन्य अव्यक्त था, इसकी अभिव्यक्ति न हुई थी। यह स्वतः स्पष्ट न था। जो लोग किसी प्रकार आत्म साक्षात्कार प्राप्त करके ब्रह्म चैतन्य के समीप पहुंच जाते तो वे कहते कि “यह निराकार का गुण है। व्यक्ति एक बूंद की तरह से है जो सागर में विलीन हो जाती है।”इससे अधिक कोई भी न तो वर्णन कर पाता और न ही लोगों को बता पाता। ब्रह्म चैतन्य के सागर में अवतरित महान अवतरणो ने भी अपने गिने चुने शिष्यों को यह रहस्य समझाना चाहा, उनका परिचय ब्रह्म चैतन्य से करवाने का प्रयत्न किया। परंतु ब्रह्म चैतन्य के अव्यक्त रूप में में होने के कारण यह अवतरण स्वयं “इसी में लुप्त हो गए।” ज्ञानेश्वर जी ने समाधि ले ली। कुछ लोगों ने कहा कि वे उसकी बात नहीं कर सकते। यह तो अनुभव की चीज है। अतः बहुत कम लोग इसे प्राप्त कर सके। कोई भी अपनी उंगलियों के सिरों पर, अपनी नाड़ियों पर, अपने मस्तिष्क में इसका अनुभव करके या अपनी बुद्धि से समझ कर आत्मसाक्षात्कार के Read More …