Navaratri Puja

Geneva (Switzerland)

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(नवरात्रि पूजा, देवी देवता आपको देख रहे हैं (आर्जियर जिनेवा ( स्विटजरलैंड), 23 सितंबर 1990)

इन नौ दिनों में देवी को रात के समय अपने बच्चों की नकारात्मकता के प्रभावों से रक्षा करने के लिये राक्षसों से युद्ध करना पड़ता है। एक ओर तो वह प्रेम व करूणा का अथाह सागर हैं तो दूसरी ओर वह शेरनी की तरह अपने बच्चों की रक्षा करती हैं। पहले के समय में कोई ध्यान धारणा नहीं कर पाता था, परमात्मा का नाम नहीं ले पाता था और न ही आत्म-साक्षात्कार के विषय में सोच पाता था। लेकिन आज जो यहां बैठे हुये हैं …. आप लोग तो उन दिनों भी यहीं थे… आप लोगों को तो इसी दिन के लिये बचाया गया है ताकि आप अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त कर लें। उन दिनों में देवी का रूप माया स्वरूपी नहीं था। वह अपने वास्तविक स्वरूप में थीं जो उनके भक्तों के लिये भी अत्यंत विस्मयकारी था। सबसे पहले तो उनकी रक्षा की जानी थी। अतः जिस प्रकार से माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में धारण करती है, इन नौ महीनों में …. या मान लीजिये नौ युगों में… आप सब की पूरी तरह से रक्षा की जाती रही है और फिर दसवें माह में आपको जन्म दिया गया है। यह जन्म भी हमेशा नौ महीनों के सात दिन बाद दिया गया है। इसके परिपक्व होने तक कुछ समय तक इंतजार किया गया। अतः नवरात्रि का दसवां दिन वास्तव में आदि-शक्ति की पूजा का है तो आज हम सचमुच आदि-शक्ति की पूजा करने जा रहे हैं। आदि-शक्ति एक ओर तो महाकाली हैं तो दूसरी ओर वह महासरस्वती हैं …. और मध्य में वह महालक्ष्मी हैं … वही अंबा भी हैं … जो कुंडलिनी हैं। लेकिन वह इसके परे भी हैं। वह पराशक्ति हैं। वह सभी शक्तियों के परे भी हैं क्योंकि वही इन शक्तियों को उत्पन्न करने वाली हैं …. तो उन्हें इन सबके परे होना होना ही होगा। आज जब हम उनकी पूजा कर रहे हैं तो हमें उनकी पूजा उनके इन सभी रूपों में करनी होगी। आपको समझना होगा कि हम आज पहली बार नवरात्रि कर रहे हैं क्योंकि आज ही वह दिन है जब हम श्री आदिशक्ति की पूजा कर रहे हैं । कल आपने आदिशक्ति की शक्तियों के विषय में सुना। यह ठीक उसी प्रकार से है जिस प्रकार से कछुआ अपने खोल के अंदर स्वयं को पूरी तरह से समेट लेता है उसी प्रकार से मैंने भी अपनी सभी शक्तियों को स्वयं के अंदर समेट लिया है। मेरे कहने का अर्थ है कि आप सरलता से उन शक्तियों को नहीं पा सकते हैं …. सिवाय इन आधुनिक कैमरों के … जो हम सभी को धोखा दे रहे हैं। यही आपको मेरे रूपों व मेरे बारे में आप लोगों को सब बताये दे रहे हैं क्योंकि यह चैतन्य प्रकाशवान है और जब यह उत्सर्जित होता है तो आपको इन कैमरों में सब कुछ दिखाई देने लगता है भले ही वे कैमरे इतने संवेदनशील न हों। पता नहीं कैसे पर ये इन कैमरों में आ जाते हैं। आपने बहुत से माइरेकल फोटोग्राफ देखे हैं। एक फोटोग्राफ में श्री गणेश मेरे पीछे खड़े दिख रहे हैं। यही कई प्रकार से कार्यान्वित हो सकता है। निसन्देह कई बार आप इसके कारण खो भी सकते हैं। आपकी पिछली समस्याओं के कारण आपको नीचे खींच लिया जाता है …. और आप इन चीजों में फंस जाते हैं। कई बार आप नकारात्मक शक्तियों के दबाव में भी आ जाते हैं और नीचे गिर जाते हैं। और किसी सहजयोगी को यदि ऐसा हो जाये तो ये सबसे बड़े दुख की बात है … क्योंकि आपको मालूम नहीं है कि यहां इस स्तर तक पंहुचने के बाद यदि आप ऊंचे उठने का प्रयास नहीं करते हैं तो या तो आप उसी स्थान पर अटक जायेंगे या फिर हो सकता है कि आपको बाहर फेंक दिया जायेगा। आपको मालूम होना चाहिये कि आप पति, पत्नी, माता पिता आदि कुछ भी नहीं बस सहजयोगी हैं। अतः अब आपका मुख्य कार्यलोगों को आत्मसाक्षात्कार देने का है। और चूंकि मेरे सभी संबंध पहले से ही पूर्णतया निश्चित हो चुके हैं तो मुझे किसी भी देवी देवता के विषय में चिंता नहीं करनी है। वे सभी चीजों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से कार्यान्वित करते हैं। कल आपने देवी का जो विवरण पढ़ा कि उनके हाथों से बाण इस रफ्तार से छूट रहे थे कि ऐसा लग रहा था कि वे नृत्य कर रहीं हों। इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन आपको ये सब दिखाई नहीं देता। आप तो ये भी नहीं देख सकते है कि मेरा रोम रोम बाण की भांति है और ये अत्यंत तीव्रता से कार्य करते हैं। आपको मैं केवल यहां पर बैठी हुई दिखाई देती हूं जबकि ऐसा नहीं है। ये इस सबसे भी बढ़कर कुछ और है। जब भी मुझे अपने वाहन शेर पर सवारी करते हुये दिखाया जाता है तो वह सत्य ही दिखाते हैं कि मैं शेर की सवारी करती हूं। ऐसा नहीं है कि वे प्रतीकात्मक रूप से ये सब दिखाते हैं। मैंने कई बार आपको बताया है कि शेर कितना गरिमामय होता है… क्योंकि मैं इस पर सवारी करती हूं। यदि उसे मांस खाना होता है तो वह किसी गाय या जानवर को मार कर उसका मांस खायेगा और बाकी दूसरों के लिये छोड़ देगा। वह एक माह में केवल एक बार खाता है। इस प्रकार के वाहन रखने के लिये भी उसको अमीबा स्तर से इस स्तर तक उत्क्रांतित करना पड़ा अन्यथा वह यहां होता ही नहीं। इसी प्रकार से आप लोगों को भी उत्क्रांतित किया गया है। आपके अंदर भी ये सब वाहन हैं। आपको जो कुछ भी चाहिये वे सब कार्यान्वित कर देते हैं। आप किसी चीज की इच्छा करिये और आपको आश्चर्य होगा कि यह तुरंत ही कार्यान्वित हो जायेगा…….लेकिन इसके लिये आपको सहजयोग के प्रति पूरा समर्पण होना चाहिये जो आपके चित्त का मेरे चरणों से योग है … ये ऐसा ही है। लेकिन यदि अभी भी आप अपने अहंकार से चल रहे हैं …. और सोच रहे हैं कि मैं तो कोई विशेष व्यक्ति हूं और मैं अपना ही कोई सहजयोग चला सकता हूं ….. मैं इसे इस तरह या उस तरह से कार्यान्वित कर सकता हूं …… मेरी पत्नी इस प्रकार की है या मेरा बच्चा इस प्रकार का है … मेरा पति इस प्रकार का है। आपको ये सब समस्यायें एक तरफ छोड़नी पड़ेंगी अन्यथा आप उत्थान नहीं करेंगे। आपको आत्मसाक्षात्कार देना मेरे लिये कठिन कार्य नहीं था क्योंकि आप इसके लिये बिल्कुल तैयार थे। परंतु आपके अंदर के प्रकाश को बनाये रखने के लिये आपको ही कठिन परिश्रम करना पड़ेगा। शेर अपने ही स्थान पर रहता है … वह बदलता नहीं है वह अपने ही स्थान पर ही रहता है… और हमेशा वह अपने ही स्थान पर मिलेगा। सभी देवी देवता भी अपने ही स्थान पर अपने अपने गुणों के साथ रहते हैं। कहीं भी ऐसा नहीं बताया गया है कि देवी के अलावा किसी भी देवता ने किसी को मोक्ष दिया हो। वही आपको साक्षात्कार भी देती हैं क्योंकि वही सातों चक्रों की अधिष्ठात्री है…. स्वामिनी हैं। वही इन सातों चक्रों को कार्यान्वित कर सकती हैं। इस उत्क्रांति का इतिहास लंबा है, विराट के शरीर में भी और आपके स्वयं के शरीर में भी। अतः आपको इसके साथ तालमेल बिठाना है। यदि आप ऐसा नहीं कर सके तो यह कार्यान्वित नहीं हो सकेगा। पश्चिम में हमारी समस्या यह है कि यहां पर मूर्खतापूर्ण समस्यायें हैं जो किसी भी सहजयोगी के लिये ठीक नहीं हो सकती।