Talk About Nizamuddin (date and location unknown) (Location Unknown)

1970-0101 Talk About Nizamuddin [Note – the talk has been taken from the tape: 1995-03-15 Conversation with Princess Nun Bangkok]  [टिपणी – वार्ता टेप से ली गई है: 1995-03-15 बैंकॉक की राजकुमारी नन के साथ बातचीत] हजरत निजामुद्दीन राष्ट्र का वो स्थान , जहां उनको को दफनाया गया था; वह एक महान नबी और सूफी थे और अपनी पूरी कविताऔं  में उन्होंने बहुत प्रतीकात्मक चीजों का इस्तेमाल किया है और उस स्तर के लोगों के लिए वे किसी भी धर्म को विशिष्ट नहीं मानते हैं। यहां तक कि मोहम्मद साहब ने भी कभी सिर्फ इस्लाम की बात नहीं की। उन्होंने उन सभी लोगों के बारे में बात की जो पहले आए थे। जैसे की इब्राहीम, फिर उन्होंने मूसा की बात की, फिर उन्होंने ईसा मसीह और उनकी मां के बारे में, विशेष रूप से कुरान में उन्होंने इसकी बात की है। उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा की मैं कुछ अलग हूं, कभी विशेष नहीं कहा। वो कभी विशिष्ट  नहीं हो सकते क्योंकि वे जानते थे कि ये सभी महान लोग इस धरती पर मानव की मुक्ति करने के लिए आए थे, अतः उनकी विशेषज्ञता और हजरत निजामुद्दीन की समकक्ष है। मेरी शादी से बहुत समय पहले, जब मैं यहां आई थी, तो मेरे विचार से मैं  पहली थी जिसने उन पर फूलों की चादर चढ़ाई थी; और मेरे पिता भी एक महान आत्मा थे। उन्होंने मुझे बताया कि यह हज़रत निजामुद्दीन है और उनके शिष्य खूसरो हिंदी भाषा के एक महान कवि थे, उन्हें एक बहुत महान कवि माना जाता Read More …

Unknown Talk related to Guru Puja (Location Unknown)

Unknown Talk related to Guru Puja गुरु पूजा से जुड़ा अनभिज्ञ वक्तव्य  तो अब, हमें दो बहुत अच्छे टेप मिले हैं, पहली  वाली  को ‘बंदगी’ नाम दिया गया है और जो मेरे भाई द्वारा रचित गीत हैं, हम उन्हें बाबामामा कहते हैं, लेकिन उनका नाम हेमेंद्र कुमार है। मैंने उन्हें ‘बेलोस’  नाम दिया है, यानि ‘शुद्ध’, उन्होंने इन सभी कविताओं की रचना यहां की है और श्री प्रभाकर धाकरे, जिन्हें हम गुरुजी कहते हैं, वह हैं जिन्होंने इसका सारा संगीत दिया है और संगीतकार यहां सुरेश वार्डकर, उत्तरा केलकर, छाया, सरिता भावे और संजय तलवार हैं। मुझे लगता है कि आपने इसे सुना है लेकिन यह इनमें बहुतों के पास नहीं है, इसलिए अब हम उन्हें प्राप्त कर चुके हैं और जिसके लिए धन एकत्र किया जाना है। फिलिप, क्या तुम थोक बिक्री कर रहे हो? वोल्फगैंग इसे बेच रहा है तो, आप इसे उनसे प्राप्त कर सकते हैं और यदि कुछ बचे तो बाद में अन्य सहज योगियों के लिए भी हम इन्हें अपने साथ ले जाएंगे। इसलिए, मैं इसके उद्घाटन की घोषणा  करती हूं, इस कार्य के प्रारंभ के लिए मैं इसे उद्घाटित घोषित करती हूं। आपको पता होना चाहिए कि मेरा भाई एक चार्टर्ड अकाउंटेंट है और मैं समझ नहीं सकती , वह अचानक इतने महान कवि बन गए क्योंकि मुझे कभी नहीं पता था कि उनके पास यह प्रतिभा है और उन्होंने कभी कोई कविता नहीं लिखी लेकिन आत्मसाक्षात्कार के बाद ही ये सभी खूबियाँ   सामने आई हैं और विशेष रूप से उर्दू भाषा में Read More …

अद्वितीय खोज – टीवी (तिथि अज्ञात, स्थान अज्ञात) (Location Unknown)

अद्वितीय खोज – टीवी (तिथि अज्ञात, स्थान अज्ञात) श्री माताजी : सच्चाई यह है कि हम यह शरीर, यह बुद्धि, भावनाएं, यह अहंकार, कंडीशनिंग (प्रतिबंधित/ संस्कार ) नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। और दूसरा सत्य यह है कि एक सूक्ष्म, सर्वव्यापी दिव्य शक्ति है जो सभी जीवंत कार्य कर रही है। उद्घोषक: 1970 में श्री माताजी निर्मला देवी ने सहज योग की स्थापना की, जो ध्यान के लिए एक ऊर्जस्वी तकनीक है जो हमें हमारी सीमाओं से परे ले जाती है। हमारे भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा के जागरण के माध्यम से, हम अपने जीवन के सभी पहलुओं, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक के एकीकरण का अनुभव कर सकते हैं । 40 से भी अधिक देशों के हजारों लोगों ने इस ज्ञानोदय का अनुभव किया है। दुनिया में सच्ची शांति केवल मनुष्य के आंतरिक परिवर्तन के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकेगी। सहज योग, अनूठी खोज है। श्री माताजी : मैं सत्य के सभी साधकों को नमन करती हूं। सत्य एक ऐसी चीज है, जिसे बदला नहीं जा सकता।  इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।  इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। कोई भी  अपने केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर इसकी सच्चाई महसूस कर सकता है। सच क्या है? सच्चाई यह है कि आप यह शरीर नहीं हैं, आप यह मन नहीं हैं, आप यह बुद्धि नहीं हैं, आप ये संस्कार या अहंकार नहीं हैं, लेकिन आप शुद्ध आत्मा हैं। यह ही सत्य है। दूसरा यह है कि यह पूरा ब्रह्मांड एक बहुत ही सूक्ष्म ऊर्जा से आव्रत है, जिसे परमात्मा के Read More …

Unidentified Talk (Extract on Agnya Chakra) New Delhi (भारत)

1970-0101 Unidentified Hindi Talk (Extract on Agnya Chakra) बैठे थे, प्रोग्राम में आये थे, तो भी कुछ न कुछ अपनी विपदा सोचते रहे । अरे ! मेरे साथ ये हुआ, मेरे साथ वो हुआ, ऐसा हुआ, वैसा हुआ । और माताजी से मैं कब बताऊं, मेरी विपदा क्या हुई? माताजी आप देवी हैं, मेरी ये विपदा है| बजाय उसके कि जो कहे जा रहे हैं उसको समझें, अपनी ही अंदरूनी बात को ही सोच-सोच करके आप चली गई उस बहकावे में ।  और उस बहकावे में आपको कैन्सर की बीमारी हो गई, नहीं तो ये बीमारी हो गई, वो बीमारी हो गई । वैसे ही मानसिक बातें हैं । हम मन से क्या सोच रहे हैं? मन में हमारे कौन से विचार आ रहे हैं? सब यही ना कि हमको ये दुःख है, वो दुःख है, ये पहाड़ है । लेकिन सोचना क्या चाहिए – काउन्ट  यॉर ब्लेसिंगज़ (count your blessings)। अपने पे कितने आशीर्वाद हैं परमात्मा के । ये दिल्ली शहर में करोड़ों लोग रहते हैं, कितनो को सहज योग मिला है? हम कोई विशेष व्यक्ति हैं, कोई ऐसे-वैसे नहीं कि अपने चित्त को बेकार करें। हमें सहज योग मिला है । इसकी धारणा होनी चाहिए अंदर से और उस अंतर्मन में उतरना चाहिए। उसी से ये जो झूठी मर्यादा है सब छूट जाएगी और अगर आप नहीं तोड़िएगा, तो किसी न किसी तरह से ऐसे कुछ आपको अनुभव आयेंगे कि ये टूटते जायेंगे । जिस चीज को आप सोचेंगे कि ये हमारा अपना है। आप कहेंगे हम दिल्ली Read More …

Unidentified Talk (extract on Swadishthana) (भारत)

1979-0101 Unidentified Hindi Talk (extract on Swadishthana) स्वाधिष्ठान चक्र।  इस चक्र का तत्व है कि आप सृजनशाली, सृजनशाली हो जाते हैं, आपकी सृजनता बहुत बढ़ जाती है। ऐसे लोग जिन्होंने कभी एक लाइन भी स्वतंता नहीं लिखी, वह काव्य लिखने लग जाते हैं। जिन लोगों ने कभी भाषण नहीं दिया वह बड़े भाषण देने लग जाते हैं और जिन लोगों ने कभी पेंटिंग नहीं करी, कुछ कला नहीं देखी वो कलात्मक हो जाते हैं। बहुत सृजन हो जाते हैं। हमारे आर्किटेक्टस लोग हैं, वह कहां से कहां पहुंच गए। तो इंसान में सृजनता आ जाती है, क्योंकि वह अपनी सृजनता को बड़ी ऊंची सी चीज समझता है। फिर उसको पैसे की परवाह नहीं होती कि पैसा जो है उसको देखो और सृजनता कैसे भी करो। और ना ही बहुत से लोग चाहते हैं कि हमारा बड़ा नाम हो जाए, तो कोई न कोई बड़ी विक्षिप्त सी चीज बनाकर रख दो, कुछ विचित्र चीजें जैसी आजकल बनती हैं, इसलिए कि हमारा बड़ा नाम हो जाएगा, लोग हमें बहुत याद करेंगे, पर उसमें कला नहीं है। तो कला का जो महान अंश है उसको प्राप्त करते हैं आप, जब आपका यह दूसरा वाला चक्र है स्वाधिष्ठान यह ठीक होता है। और इसके कारण, स्वाधिष्ठान के कारण ही हम बहुत जब सोचते हैं तो हमारा जो मस्तिष्क है, उसके अंदर जो ग्रे सेल्स हैं उसकी शक्ति इस्तेमाल करते हैं। तो ये उस शक्ति को पूरित करता है, ये चक्र। तो तो जो लोग बहुत सोचते हैं उनको दुनिया भर की बीमारियां हो जाती Read More …