Unidentified Talk (extract on Swadishthana)

(भारत)

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1979-0101 Unidentified Hindi Talk (extract on Swadishthana)

स्वाधिष्ठान चक्र।  इस चक्र का तत्व है कि आप सृजनशाली, सृजनशाली हो जाते हैं, आपकी सृजनता बहुत बढ़ जाती है। ऐसे लोग जिन्होंने कभी एक लाइन भी स्वतंता नहीं लिखी, वह काव्य लिखने लग जाते हैं। जिन लोगों ने कभी भाषण नहीं दिया वह बड़े भाषण देने लग जाते हैं और जिन लोगों ने कभी पेंटिंग नहीं करी, कुछ कला नहीं देखी वो कलात्मक हो जाते हैं। बहुत सृजन हो जाते हैं। हमारे आर्किटेक्टस लोग हैं, वह कहां से कहां पहुंच गए। तो इंसान में सृजनता आ जाती है, क्योंकि वह अपनी सृजनता को बड़ी ऊंची सी चीज समझता है। फिर उसको पैसे की परवाह नहीं होती कि पैसा जो है उसको देखो और सृजनता कैसे भी करो। और ना ही बहुत से लोग चाहते हैं कि हमारा बड़ा नाम हो जाए, तो कोई न कोई बड़ी विक्षिप्त सी चीज बनाकर रख दो, कुछ विचित्र चीजें जैसी आजकल बनती हैं, इसलिए कि हमारा बड़ा नाम हो जाएगा, लोग हमें बहुत याद करेंगे, पर उसमें कला नहीं है। तो कला का जो महान अंश है उसको प्राप्त करते हैं आप, जब आपका यह दूसरा वाला चक्र है स्वाधिष्ठान यह ठीक होता है। और इसके कारण, स्वाधिष्ठान के कारण ही हम बहुत जब सोचते हैं तो हमारा जो मस्तिष्क है, उसके अंदर जो ग्रे सेल्स हैं उसकी शक्ति इस्तेमाल करते हैं। तो ये उस शक्ति को पूरित करता है, ये चक्र। तो तो जो लोग बहुत सोचते हैं उनको दुनिया भर की बीमारियां हो जाती हैं, जिसको हम राइट साइडेड बीमारियां कहते हैं। उसमें से एक बीमारी तो उसका लिवर खराब हो सकता है और दूसरी ये कि उसको पैंक्रियाज में डायबिटीज हो सकता है वो नहीं हुआ तो उसको किडनी ट्रबल हो जाएगा, वो नहीं हुआ तो उसको कॉन्स्टिपेशन हो जाएगा, वो भी नहीं हुआ तो उसको अस्थमा हो जाएगा, वो नहीं हुआ तो उसको हार्ट अटैक भी आ सकता है और सबसे ज्यादा तो उसको उसको पैरालिसिस भी हो सकता है। तो राइट साइडेड जो बीमारियां हैं वह स्वाधिष्ठान चक्र से आती हैं और लेफ्ट साइडेड बीमारियां भी इसी से आती हैं तो बहुत जरूरी है कि हमारा स्वाधिष्ठान जो है वह अच्छा रहना चाहिए। अब ये किस तरह से स्वाधिष्ठान वो कुंडलिनी संभालती है और उसको देती है कि जब किसी की कुंडलिनी आप जागृत करिए और उसका स्वाधिष्ठान चक्र पकड़ा हुआ है तो बराबर पीठ में जहां पर स्वाधिष्ठान चक्र है आपको ऐसा लगेगा जैसे वहां पर कोई हार्ट है कि क्या है। पूरी तरह से जोरों में स्पंदन होता है तो आपको पता हो जाता है कि ये आदमी के राइट स्वाधिष्ठान पकड़ा हुआ है। अब वो राइट् स्वाधिष्ठान जब साफ हो जाए तो मनुष्य का चित्त जो है एकदम स्वच्छ हो जाता है और उसके अंदर जो यह स्ट्रेस वगैरह जो आजकल प्रकार है वो सब खत्म हो जाता है और वो शांति में विराजमान हो जाता है। स्वाधिष्ठान चक्र बहुत जरुरी है कि हम ठीक रखें आजकल के जमाने में जब कि हमारे ऊपर दुनियाभर के कार्य करने की बोझे लदे हुए हैं। स्वाधिष्ठान चक्र को ठीक रखने से मनुष्य कितना भी परेशान हो कोई भी उस को तकलीफ हो शांतिपूर्वक उसे देखता है साक्षी स्वरूप और वो समझता है कि क्या खराब है। माने यह स्वाधिष्ठान चक्र तो माने यह स्वाधिष्ठान चक्र तो आजकल इतना खराब होता है उससे इतनी बीमारियां होती हैं, सब कुछ है, पर तो भी स्वाधिष्ठान चक्र की कुछ विशेषता है कि कलियुग में यह बहुत ही बेकार हो गया है। फिर उससे जो और भी बीमारियां होती हैं उसके डिटेल्स में मैं नहीं जाना चाहती पर यह कहूंगी कि बीमारी के अलावा मनुष्य अत्यंत संतापी और गुस्से वाला हो जाता है, राइट साइडेड हो जाता है। बात बात में वह तुनकमिजाज होता है उसको बड़ा वो लगता है कि मैं इतनी पोजीशन का आदमी हूं मेरी कोई इज्जत नहीं करता। छोटा सा आदमी भी बहुत अपने को समझने लग जाता है। ये भी राइट साइड स्वाधिष्ठान से होता है। और लेफ्ट साइड स्वाधिष्ठान जब पकड़ता है, तो उससे मनुष्य चिंतित हो जाता है, बड़ा दुखी हो जाता है, उसको डिप्रेशन आ जाता है और वो सोचता है कि मुझसे बुरा कोई नहीं, मुझे सब सता रहे हैं, मुझे परेशानी है, दुनियाभर के साइक्लोजिकल केसेज़ हो जाते हैं। तो यह दो साइड जो हैं चक्र के, लेफ्ट एंड राइट, इसको बहुत संभालना चाहिए और वो सहज योग में बहुत फायदे की चीज है क्योंकि उससे यह दोनों चक्र जो है यह साफ हो जाते हैं। जब साफ हो जाते हैं तो आप हर एक चीज को इस तरह से समझते हैं जैसे कि एक आप बाहर से अपने को देख रहे हैं। अच्छा तो अब आपको गुस्सा आ रहा है, अच्छा बैठिए, आप अपने ऊपर हंसते हैं, अपना ही मजाक करते हैं, अपने ही बारे में ये सोचते हैं कि हां मैं क्या करता हूं, मैं क्या कर रहा हूं, तो उस तरह से मनुष्य अपने चित्त को वहां डालता है और ये आपका जो चित्त है वह प्रकाशित हो गया, तो वह जो चित है उसको ठीक कर देता है। स्वाधिष्ठान चक्र के लिए तो सहज योग बहुत जरुरी है और आजकल के जमाने में जितनी भी परेशानी है वह स्वाधिष्ठान से हैं, ऐसा मुझे लगता है……