मेरे फूलों से बच्चों के प्रति
आप जीवन से रुष्ट हें
जैसे कि नन्हे बच्चे –
जिनकी माँ अंधेरे में खो गयी है!
आप का उदास मलिन मुख
व्यक्त करता है आपकी हताशा
क्योंकि आपकी यात्रा का अन्त निष्फल है।
आप तो सुंदरता खोजने के लिये
कुरूपता ओढ़ कर बेठे हैं।
सत्य के नाम परआप प्रत्येक वस्तु कोअसत्य का नाम देते हैं।
प्रेम का प्याला भरने के लिये
आप भावनाओं कोरिक्त कर देते हैं।
मेरे सुंदर मधुर बच्चों, मेरे प्रिय पुत्रों,
युद्ध करने से आपको शान्ति कैसे मिल सकती है ?
युद्ध-स्वयं से, अपने अस्तित्व से और
स्वयं आनंद से भी !
पर्याप्त हो गये हैं, अब बस कर दो,
ये संन्यास, त्याग के आपके प्रयास –
जो सान्त्वना के कृत्रिम मुखौटे हैं।
ञ्ु कमलपुष्प के पंखुड़ियों में –
आपकी दयामयी माँ की गोद में
विश्राम करो।
मैं आपके जीवन को
सुंदर बहारों से सजा दूंगी।
और आपके क्षण और जीवन
आनंद के परिमल से भर दूंगी!
मैं आपके मस्तक पर
दिव्य प्रेम का अभिषेक करूंगी !
आपकी यातनाओं को
मैं अब अधिक नहीं सह सकती।
मुझे आपको प्रेम के महासागर में डुबोने दो
जिससे आप अपना अस्तित्व
उस एक महान में खो दे।
जो कि आपकी आत्मा की कलि के कोष में
मंद हास्य कर रहा है।
गूढ़ता में चुपके से छुपा है
सदैव आपको छलते, चिढ़ाते हुये।
जान लो, अनुभव करो,
और आप उस महान को खोज पाओगे।
आपके कण कण में, तंतु में
परमाह्लाद के आनंद को स्पन्दित करते हुये
और पूरे विश्व को प्रकाश से लपेटते हुये
आच्छादित करते हुये!
माँ निर्मला