Public Program Day 1 Birla Kreeda Kendra, मुंबई (भारत)

Sarvajanik Karyakram Date 25th March 1974 : Place Mumbai Public Program Type Speech Language Hindi परम तत्त्व का अर्थ क्या है? वो किस तरह से सृजन करता है? ये चीज़ क्या है? इसके बारे में अनेक ग्रंथ, भाषणादि बहुत कुछ व्याख्यान संसार में हुये हैं। बहुत कुछ कहा गया है। परम शब्द परमात्मा का द्योतक है। ये परमेश्वरी शक्ति है, जो हर अणु-रेणु में वास कर के परमेश्वर का कार्य को संचलित करती है, चलाती है। अब ऐसे कहने से, बातचीत करने से इस जमाने में विश्वास नहीं करता। कोई इसको मान नहीं सकता। लेकिन जैसे मैंने आपसे पहले भी बरताया है, कि अभी लंडन में, हाल ही में मैंने एक चित्र देखा था, जिसमें उन्होंने सल्फर डाय ऑक्साईड के मॉलेक्यूल्स दिखाये थे । उसमें दिखाया कि सल्फर और ऑक्सिजन के बीच में, उसके अणुओं के बीच में जो बंध है, बाँड है, उनमें कोई परम जो है जिसे ये लोग भी , साइंटिस्ट भी वाइब्रेशन्स ही कहते है। आँखों देखी बात है। आँखो से आप भी देख सकते है। अणु और रेणुओं की स्थिति ये साइंटिस्ट बता सकते हैं कि ये अणु क्या हैं और रेणु क्या हैं? वो किस तरह से हैं? वो किस तरह से स्थित है ? जड़ त्त्व का पता साइंटिस्ट लगा सकते हैं। लेकिन उस में आंदोलित होने वाला चैतन्य जिसे वो वाइब्रेशन्स कहते है उसके बारे में वो बहुत ही अनजान है और उसके बारे में वो कुछ भी बता नहीं सकते। हर एक के लिये वो तत्त्व आंदोलित हो रहा है। वो Read More …