Talk to Yogis, Must listen every day मुंबई (भारत)

मैं आज फिर से बता रही हूं कि निर्विचारिता आपका किला है….(योगियों से बातचीत, मुंबई, 25 जनवरी 1975 ) केवल एक ही तरीका है जो मैं हजारों बार बता चुकी हूं और आज फिर बता रहीं हूं कि निर्विचारिता आपका किला है। निर्विचारिता में कुछ भी आप जानें तो आप सब कुछ जान जायेंगे। जो कुछ भी आप करना चाहते हैं तो निर्विचारिता में चले जाइये। एक बार जब आप निर्विचारिता में सांसारिक कार्यों को करने लगते हैं तो आपको पता चलेगा कि यह कितना गतिशील या डायनेमिक हो चुका है। फूलों को खिलते हुये या फल बनते हुये किसने देखा है ? किसने इस संसार के जीवंत कार्यों को होते हुये देखा है? ये कार्य हो रहा है। आप इस क्रियाशीलता और जीवंत क्रिया में गति कर रहे हैं। ये सब निर्विचारिता में ही आ रहा है। जब आप वहां बैठे होते हैं तो पूरा विश्व पीला हो उठता है। निर्विचारिता में रहने का प्रयास करें। सारा कार्य निर्विचारिता के माध्यम से होता है और आपका भी होगा। अपने ही अंदर आपको गति करनी होगी। इसके लिये कोई आयु सीमा नहीं है कि अब हम बूढ़े हो चके हैं। आप बूढ़े नहीं हैं। आपका पुनर्जन्म तो अभी तीन चार वर्ष पहले ही हुआ है। अभी तो आप बहुत छोटे बच्चे हैं। ये उम्र का प्रश्न नहीं है। आपको तो बस निर्विचारिता में रहना है। यही आपका स्थान है…. आपकी शक्ति और आपकी संपत्ति है। ये आपका आकार है … आपकी सुंदरता है … आपका जीवन है …. निर्विचारिता। जैसे Read More …