Dhyan Aur Prathna, Second Talk मुंबई (भारत)

Dhyan Aur Prathna, Second Talk सहजयोग में सबसे आवश्यक बात ये है, कि इसमें अग्रसर होने के लिये, बढ़ने के लिये आपको ध्यान करना पड़ेगा| ध्यान बहुत ज़रूरी है|  आप और चाहे कुछ भी न करें लेकिन अगर आप ध्यान में स्थित रहें, तो सहजयोग में प्रगति हो सकती है| जैसे कि मैंने आपसे कहा था कि एक ये नया रास्ता है| नया आयाम है, dimension है; नई चीज़ है जिसमें आप कूद पड़े है| आपके अचेतन मन में, उस महान सागर में आप उतर गये हैं, बात तो सही है| लेकिन इसकी गहराई में अगर उतरना है, तो आप को ध्यान करना पड़ेगा| मैं बहुत से लोगों से ऐसा भी सुनती हूँ कि “माता जी, ध्यान के लिए हमको time (समय) नहीं मिलता है|” आज का जो आधुनिक मानव है, modern man है, उसके पास घड़ी रहती है, हर समय time बचाने के लिये, लेकिन वो ये नहीं जनता है कि वो time किस चीज के लिए बचा रहा है? उसने घड़ी बनाई है वो सहजयोग के लिये बनाई है, ये वो जानता नहीं है| एक साहब मुझ से कहने लगे कि “मुझे लंदन जाना बहुत ज़रूरी है और इसी plane (हवाई जहाज) से जाना ही है और किसी तरह मेरा टिकट बुक होना ही चाहिये और कुछ कर दिजिये आप, और Air-India वालों से कह दिजिये और कुछ कर दिजिये…|” मैंने कहा ऐसी कौन-सी आफत है? आप लंदन क्यों जाना चाहते हैं? ऐसी कौन सी आफत है? क्या विशेष कार्य आप वहां करने वाले हैं? कौन सी चीज Read More …