Gunateet – Beyond the Three Gunas (भारत)

गुणातीत, 13 मार्च, 1975 जिसके होने का है उसी का होगा। अब उसमें ज़रूर है कि होने से पहले बहुतों में बाधाएँ पड़ जाती हैं। आप जानते हैं, गलत हो गई बातें, बहुतों के साथ तो बहुत गलतियाँ हो गईं। इस वजह से बाधा है। लेकिन किसी तरह से इन तीनों के चक्कर चल कर के और फिर पार करना ही है -आज नहीं कल, कल नहीं परसों। यह ऐसी अभिनव चीज़ है, जिसको कि जो देखो सो ही अपना उठा कर के नहीं कह सकता, यह होना पड़ता है – कुंडलिनी आपके सामने चलती हुई दिखाई देनी चाहिए, उसका स्पंदन उठता हुआ दिखाई देगा। अब देखिये – कि जो प्रणव सिर्फ़ हृदय में सुनाई देता है वो आपको throughout करेगा। आप अगर स्टेथोस्कोप (stethoscope) लेकर देखें उस आदमी को, उस आदमी को जब आप देखेंगे कि जिसकी कुंडलिनी ऊपर उठी है तो आपको पता चलेगा कि उसका अनहत अलग अलग अलग अलग points से हो गया। अब देखिए कि कितना महत्वपूर्ण कार्य है कि त्रिगुण में बंटी हुई यह शक्ति एक शक्ति हो जाए कि जो गुणातीत है – जिसमें गुण नहीं हैं। कितना महत्वपूर्ण यह कार्य है, आज तक यह कार्य कभी हुआ नहीं पहले, और न होगा। लेकिन हमारे पास जो लोग आते हैं वह सब सारे आधे-अधूरे लोग हैं, वो समझते नहीं कि इसका महत्व क्या है। वो तो सोचते हैं कि दूसरी भी संस्थाएँ हैं और यह। दूसरी संस्थाएँ होएंगी – लेकिन सब संस्था इसी में आनी पड़ेंगी –नहीं आएंगी तो वे बेकार हैं। सारी Read More …