Updesh – Bhartiya Vidya Bhavan – II 18th March 1975 Date : Place Mumbai Seminar & Meeting Type Speech Language Hindi
इसका कैन्सर ठीक कर दो। हमारी बहन का ये ठीक कर दो। क्यों आखिर क्यों किया जाये! फिर माँ को दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। हर एक को जा के माँगना पड़ता है। ये जो बड़े बड़े रईस लोग हैं, इनका ये है कि हमारे बहन को ठीक कर दो, हमारी माँ को ठीक कर दो। और जिस वक्त पैसा देने को आया तो, हाँ, तो चॅरिटी के मामले में तो हमसे कोई वास्ता नहीं। एक मैं बता देती हूँ कि जिन लोगों ने ऐसा काम किया है, उनको मैं ब्लैक लिस्ट कर देंगी। बड़े बड़े लोग हैं और उनका नाम भी मैं सबको बताऊंगी। और आपके सामने ऐसे लोग जरूरी आना चाहिये । सब का मैं नाम बताऊंगी। छोड़ंगी नहीं मैं किसी को। (मराठी – हे घ्या. कोणी ठेवलं? त्यांचं नाव लिहा. साइड में बातचीत) बैठो बेटा, बैठो। अपना नाम लिखा लो। रसीद भी ले लो कायदे से। इसमें से कोई भी पैसा इधर उधर जाने वाला नहीं। लिख लीजिये। कोई भी पैसा इसका हम रखना ही नहीं चाहते हैं। जो जमीन ले रहे हैं, जगह ले रहे हैं, जमीन क्या वो तो फ्लैट ही है। वहाँ पे हॉल बना रहे हैं। इसलिये वो लगा लेंगे। इधर उधर जाने का कोई सवाल ही नहीं। मेरे जाने से पहले ही सब ठीक ठाक कर देंगे वो। कोई उसमें गड़बड़ की बात नहीं है। आपका रुपया किसी को चाहिये नहीं यहाँ पर। सब लोगों को रसीद लेनी पड़ेगी। उसी तरह से जो फोटो है, उसके दाम भी फिक्स है। ज्यादा मत देना कभी भी। जो दाम है, वही बता दिये जायेंगे। रुपये के मामले बिल्कुल गड़बड़ किसी को नहीं करनी चाहिये। मैं बता रही हूँ। जो भी सहजयोगी हैं, याद रखिये, अगर आपने रुपये के मामले में गड़बड़ कर दिया बड़ा गड़बड़ कर दूंगी। कोई गड़बड़ नहीं करें। ये रुपया जो है, पब्लिक का पैसा है और पब्लिक का एक एक जो है वो मेरे खून के बूँद के बराबर है। इसलिये खबरदार किसी ने गड़बड़ करी। कोई भी एक पैसे की गड़बड़ नहीं पैसा होनी चाहिये। धर्म का मतलब ये नहीं की बात एक करो और करो दूसरा काम। ये नहीं होता है। पैसों के मामले में अत्यंत पवित्रता रखनी चाहिये । वो पब्लिक का पैसा है वो पब्लिक के काम में लगाना है। इधर उधर लगाने की बिल्कुल जरूरत नहीं। रही बात मेरी तो मुझे कुछ भी नहीं चाहिये। तुम मुझे कुछ दे भी नहीं सकते। आप लोग सब ऐसे ही हाथ कर के बैठे। तो में पन्द्रह-बीस मिनिट में आपको बताऊंगी दूसरी साइड़ के बारे में, जैसे कल मैंने आपको हठयोग के बारे में बताया था। हठयोग में क्या प्रश्न हो जाते हैं और मनुष्य कैसा हठयोग के कारण एक तरह से अन्दर से छूट जाता है। अब दुसरी साइड हमारी जो है, ये आज की व्यवस्था है। इस व्यवस्था में जब सहजयोग जागता है, जब आपके अन्दर से वाइब्रेशन्स आने शुरू हो जाते हैं, तो उधर से ही सारी आपके अन्दर ग्रेस उतरने लगती है। ऑल परवेडिंग है, जो सर्वव्यापी है, वो शक्ति आपके अन्दर उतरने लग जाती है और आपका इगो और सुपर इगो दोनों हट के बीच में जगह होती है। और अब दोनों चीज़ को देखें। अब बाधा का मतलब कोई लोग सोचते हैं कि माताजी, कोई बुरी बात कर रहे हैं। बिल्कुल नहीं। हर समय आप उसे पकड़ के रहते हैं। हर समय उसका असर ন
पे रहता है। आपका आज्ञा चक्र खुला हुआ है। किसी वक्त भी वो आपके अन्दर घुस सकता है। आपके नाभि आप चक्र में खाने पीने से भी जा सकता है। किसी भी तरह से वो चीज़ आपके अन्दर जा सकती है। सिर्फ उसको साफ़ करना आपको आ सकता है। इतना ही नहीं, लेकिन आप हर मिनिट जान सकते हैं कि इस वक्त पकड़ा है या नहीं। आपकी कुण्डलिनी आप से हट जायेगी। कल सहजयोग के बारे में मैं बताऊंगी, पूर्णतया, कि सहजयोग क्या है? और किस तरह से होता है? उसका मैनिफेस्टेशन कैसे होता है? और उसके लाभ क्या हैं? वो कल बताऊंगी। अब ध्यान में कल कुछ गति खास हयी नहीं है। इसलिये फिर से आप लोग ध्यान में जायें और आपस में देखें, कि किस तरह से आप गति कर रहे हैं। फट् से मेरे पैर पे आने की कोई जरूरत नहीं । मेरे पैर पे आने से कुछ फायदा | नहीं होने वाला। सब लोग जहाँ के तहाँ बैठो। मुझे आज जल्दी वापस जाने का है। मैं आपको ध्यान में बिठा के जाऊंगी। कोई भी आज मेरे पैर ना छुयें। लेकिन यहाँ और लोग है यहाँ वो आपको दें। एक दिन ऐसा कर के देखिये कि ध्यान में शांतिपूर्वक उसको पाने का है। पाये बगैर नहीं ।