Public Program, Science/Trigunatmika मुंबई (भारत)

1975-03-29 Public Program Sweet Home Hall Dadar Mumbai Hindi आज तक आपको मैंने काफी मर्तबा, काफी समझा के, दिखा के प्रैक्टिकल करके, आपसे पहले भी बताया था कि सहज योग क्या चीज है उसमें क्या होता है, यह कैसे घटित होता है, उसकी काफी मैंने वैज्ञानिक व्याख्या दी थी साइंटिफिक डेफिनिशन (वैज्ञानिक परिभाषा) दिए थे। आखिर जिसे हम साइंस साइंस (विज्ञान विज्ञान) कहते हैं वह मनुष्य द्वारा बनाया हुआ नहीं है। यह मनुष्य ने जो खोजा हुआ है, उसे वह साइंस (विज्ञान )कहता है, लेकिन उसने इस संसार की कोई भी चीज बनाई हुई नहीं है। उसका कोई भी नियम उसका बनाया हुआ नहीं है। कोई सा भी शास्त्र उसका बनाया हुआ नहीं है। गणित का शास्त्र भी उसका बनाया हुआ नहीं है। उसकी नियम, उसकी विधि सब परमात्मा की बनाई हुई है। जैसे कि आप देखिए एक सर्कल (circle, वृत्त) होता है और उसका जो व्यास (diameter) होता है, उसके और उस व्यास के परिधि (circumference) में जो एक रेशों (अनुपात, ratio) होता है, प्रोपोरशन (अनुपात, proportion)  होता है, वह आपने बनाया हुआ नहीं है। उसका नियम परमात्मा ने ही बनाया हुआ है। वह इससे ज्यादा होगा या इससे कम होगा ऐसा भी नहीं हो सकता है। वह जितना है, उतना ही रहेगा, वह रेशों (अनुपात, ratio)  बंधा हुआ है। सब नियम जितने बनाए हुए हैं, वह परमात्मा के बनाए हुए हैं।  आप लोगों ने, मुझ से बहुत से पूछा है कि माता जी आप साढ़े तीन (3 1/2) कुंडल क्यों कहती हैं? कुंडलिनी के साढ़े तीन (3 1/2) Read More …