Sahajyog Sagalyana Samgra Karto मुंबई (भारत)

Public Program [Hindi Translation from Marathi] HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) ऐसी विचित्र कल्पना लेकर के लोग यहाँ आते हैं। ऐसे में आपको अपनी समझदारी से चलना है। समझदारी से कार्य करना है। समझदारी तो बड़ी मुश्किल से आती है मूर्खपना तो बड़ी जल्दी से आ जाता है । ऐसे हालात में आपको अपने समझदारी को लेकर आगे बढ़ना है। मैं माँ हूँ। मैं आपकी मूर्खता और खराबियों के बारे में बताने वाली हूँ। उसे आप मत करिये, इसी में आपकी भलाई है। मैं कोई गुरु नहीं हूँ। मुझे आपसे कुछ भी नहीं चाहिए । मैं तो केवल आपकी भलाई और कल्याण चाहती हूँ। आपके हित के लिए जो अच्छा है वही में आपसे कहूँगी। इसका आप कोई बुरा न माने। अभी कुछ नये लोग आये हुए हैं। उन्हें मैं बता देती हूँ कि अगर किसी को कुछ खराब लग जायेगा तो फिर वो तो गये काम से। वाइब्रेशन्स चले जाएंगे । मैं नहीं निकालती हूँ इसे। (वाइब्रेशन्स को) आप को जो अभी आवाज आयी है वैसी ही आवाज ‘ओम’ जैसे हम कहते हैं उनकी होती है। समझ में आया क्या। मतलब ये जो एनर्जी बहती है और जब वो बहती है पर पूरी तरह से चैनलाइज्ड़ नहीं हुई होती है तब ऐसी आवाज आती है। जब यह चैनलाइज्ड़ होने लगती है तब ऐसी ‘ओम’ की आवाजें कभी अपने कानों में या फिर कभी अपने सिर में आने लगती है, तभी ये समझ लेना चाहिए कि एनर्जीपूर्ण तथा एड़जेस्ट और चैनलाइज्ड नहीं हुआ है इसलिए ऐसी आवाजें आती हैं। जब ऐसी Read More …

Public Program, Dhyan Kaise Karein, How to Meditate मुंबई (भारत)

How to Meditate, Bombay29 May 1976. …आपसे दादर में मैंने बताया था कि सहजयोग में पहले किस प्रकार [अस्पष्ट] समाधि लगती है। तादात्म्य के बाद आदमी को सामीप्य हो सकता है और उसके बाद सालोक्य हो सकता है। लेकिन तादात्म्य को प्राप्त करते ही मनुष्य का इंटरेस्ट (Interest) ही बदल जाता है। तादात्म को पाते ही साथ, मनुष्य की अनुभूति के कारण वो सालोक्य और सामप्य… सामिप्य की ओर उतरना नहीं चाहता। माने ये की जब आपके हाथ में से चैतन्य की लहरियां बहने लग गई और जब आपको दूसरों की कुंडलिनी समझने लग गईं और जब आप दूसरों की कुंडलिनी को उठा सकें, तब उसका चित्त इसी ओर जाता है कि दूसरे की कुंडलिनी देखें और अपनी कुंडली को…कुंडलिनी को समझें। अपने चक्रों..अ..चक्रों के प्रति जागरूक रहें और दूसरों के भी चक्र को समझता रहे। आकाश में भी अगर आप निरभ्र आकाश की ओर देखें या बादल हों तब भी देखें, आपको दिखाई देगा कि अनेक तरह की  कुण्डलिनी आपको दिखाई देगी। क्योंकि अब आपका चित्त कुण्डलिनी पे गया है। आपको कुण्डलिनी के बारे में जो कुछ भी जानना है, जो कुछ भी देखना है, जो कुछ भी सामिप्य है, वो जान पड़ेगा।                  बैठो…बैठो…बैठो…। बीच में आके, देर से आके, बीच में नहीं आते। चलो…।                  कुण्डलिनी के बारे में, इंटरेस्ट जो है, वो बढ़ जाता है। बाकि के इंटरेस्ट (Interests) अपने आप ही लुप्त हो जाते हैं। ऐसा ही समझ लीजिए कि आप Read More …