Seminar Day 2, Attention and Joy Bordi (भारत)

                                            [Hindi translation from Enlgish]     चित्त और आनंद                                      3 ​​दिन के शिबिर का दूसरा दिन  बोरडी (भारत), 27 जनवरी 1977। …  बहुत ज्यादा भटकाव और चित्त को स्थिर कैसे करें| अब चित्त की गुणवत्ता आपके विकास की स्थिति के अनुसार बदल जाती है। उदाहरण के लिए, एक जानवर में … तो इंसान में चित्त कहाँ रखा जाता है? यह एक निश्चित बिंदु नहीं है। आप कह सकते हैं, चित्त जागरूकता की सतह या किनारा है। जहां भी हमें जागरूक किया जाता है, चित्त उस बिंदु की तरफ मुड़ जाता है। यदि आप कोई मिलता-जुलता उदाहरण चाहते हैं, तो जैसे लोहे की सभी छीलन को चुंबक की ओर आकर्षित होने की शक्ति मिली है। , आप यह पता नहीं लगा सकते हैं कि, वह शक्ति कहां है – यह सब हो चूका है। जहां भी चुंबक रखा जाता है वहां लोह-छीलन आकर्षित होती हैं। हमारा चित्त भी ऐसा ही है कि,  जहां कहीं भी हम आकर्षित होते हैं, हमारा चित्त वहीं जाता है।  इस मायने में कि इसका रुख शरीर के बाहर या अंदर कहीं भी किया जा सकता है, यह पूरे शरीर में विद्यमान है। शरीर के अंदर भी, अगर कोई दर्द हो या कोई परेशानी हो। यह नसों पर बहता है, यह पूरे तंत्रिका तंत्र पर बहता है, लेकिन मस्तिष्क में एक नियंत्रण केंद्र है। अगर इस पर प्रहार हो तब, हम बिना चित्त के सचेत रह सकते हैं| इसके अलावा, अगर किसी के विशुद्धि चक्र पर प्रहार करें, तो भी ऐसा हो सकता है। यदि किसी पर प्रहार Read More …