54 वीं जन्मदिन पूजा, सहज योग को दिल से समझना
मुंबई (भारत), 21 मार्च, 1977
… सबसे सम्मानित सहज योगी, न्यायमूर्ति श्री वैद्य और सबसे प्यारी उनकी पत्नी। श्री बख्शी, (… टेप व्यवधान…) धूमल, मिस्टर गेविन ब्राउन जो एक पुरातत्वविद् हैं, डॉ प्रमिला शर्मा, जो हिंदी की प्रोफेसर हैं और कबीर के साहित्य की विशारद हैं, और फिर श्रीमती जेन ब्राउन जो एक भूविज्ञानी हैं , वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से हैं; और हमारे बुद्धिमान चेयरमैन मिस्टर ज़चरे, दयालु गायिका श्रीमती शोभा गोटू, जो की मेहरबानी कर आयी गाने के लिए, और मराठी में उन्होंने कहा: “मैं कुछ और करने में असमर्थ हूँ, इसलिए माँ तुम्हारे लिए, मैं सिर्फ दो भजन गाऊंगी ।”
सभी सहज योगी जो यहां आए हैं, अन्य सभी लोग जो हमारे यहां शामिल हुए हैं, जो मेरा यह सांसारिक जन्मदिन मना रहे हैं, मैं बहुत आभारी हूं, बहुत आभारी हूं और मैं बहुत आनंद और खुशी से भरी हुई हूँ । और मेरे स्पंदन मेरी आँखों से आंसू के रूप में बह रहे है, यह देख कर की, इस कलियुग में भी, ऐसे लोग हैं जो एक माँ के प्रति आभारी हैं जो केवल एक अमूर्त चीज़ जिसे चैतन्य के रूप में जाना जाता है प्रदान करती है।
वास्तव में मैं आपको नहीं देती, मैं दे या ले नहीं सकती, आपको आश्चर्य होगा। यह मेरे माध्यम से उत्सर्जित होता है यह मेरा ‘स्वभाव’ [सहज स्वभाव] है। यह इस तरह से होना चाहिए, मैं यह स्वतःकार्य करता है; यह कार्य करता चला जाता है | सभी को प्यार करने से खुद को नियंत्रित कर पाना मेरे बस के बाहर है। मुझे नहीं पता कि लोग नफरत करना कैसे सीखते हैं। मुझे लोगों से प्यार करने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिला। मुझे चौबीस घंटे बहुत कम लगते हैं!
मुझे नहीं पता कि लोग कैसे ठंडे तरीके से बैठ कर हेरफेर करते हैं और सोचते हैं कि घृणा कैसे की जाए। घृणा के पास – अपने और दूसरों के विनाश के सिवाय कोई शक्ति नहीं है ।
आज के दिन मैं आपसे हर समय प्यार के बारे में सोचने का अनुरोध करूंगी। प्रेम सम्पूर्ण ज्ञान है। ज्ञान ही सम्पूर्ण प्रेम है। उनके परे अन्य कुछ भी नहीं है। यदि आपके पास ज्ञान है, तो उसे प्यार की परीक्षा पास करनी होगी। यदि आप किसी व्यक्ति को जानते हैं, तो यह आप पर कुछ भी स्थाई दर्ज नहीं करता है, क्योंकि आप उसे बाहर से जानते हैं। लेकिन अगर आप किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं, तो आप उस व्यक्ति को हर तरह से जानते हैं। आप उसे इतनी अच्छी तरह से जानते हैं,की आप उस के बारे में सब कुछ जानते हैं, जैसा भी वह है। यह वह ज्ञान है जिसे हम कहते हैं कि यह ‘परा’ ज्ञान है। वह ज्ञान हमें प्राप्त करना है। ये सभी पुस्तकें केवल उसी ओर संकेत कर रही हैं।
पुस्तके वे मील की पत्थर हैं, जो हमें बता रही हैं कि, “आगे बढ़ो, आगे बढ़ो।” वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने में जो समस्या है उन्हें हल नहीं करती हैं।
मैं आपसे निवेदन करती हूं कि आप सभी को अपने भीतर के ईश्वर को समझने की अवस्था में आना चाहिए, आपके भीतर ईश्वर का प्रेम, जो आपके भीतर से उमड़ने का प्रयास कर रहा है, और उत्सर्जित करने और देने की भावना का आनंद उठा रहा है। देने में सबसे बड़ा आनंद और प्रसन्नता है। लेने में कोई आनंद नहीं है। और जब आप इसे प्राप्त करते हैं, तो आप देना शुरू करते हैं।
आपने धूमल को बात करते हुए सुना है कि उन्होंने राहुरी में कैसे काम किया है। राहुरी में, जब मैं राहुरी विश्वविद्यालय जा रही थी, तो पास के गाँव के लोगों को पता था कि हमारी गाड़ी उसी रास्ते से जाएगी। वे साधारण ग्रामीण हैं। उन्होंने कभी कोई योग नहीं पढ़ा; वे आप को प्राप्त इन अनुभूतियों से अधिक वायब्रेशन के बारे में कुछ नहीं समझते हैं। यह एक व्यक्तिपरक ज्ञान है। इसका कोई शब्द नहीं है। यह एक व्यक्तिपरक अनुभव है, जिसे आप अपनी उंगलियों पर महसूस करते हैं, अपने अस्तित्व में – ईश्वर का आनंद।इस में मदद नहीं कर सकती। यह एक अस्तित्व है जैसा होना’है। आप इसे अन्य कुछ भी नहीं बना सकते। और जैसा कि मैं जा रही थी, मुझे बस कार में एक झटका लगा, क्योंकि इतने सारे लोग सड़क पर बस लेटे हुए थे और कुछ लोग कार को रोकते हुए सड़क पर खड़े थे, और उन्होंने मेरी ‘जय’ [विजय] चिल्लाना शुरू कर दिया। मैं आश्चर्यचकित थी!
मैंने कहा, “तुम्हें कैसे पता चला कि मैं इस कार में थी?”
उन्होंने कहा, “माताजी, आपने हमें चैतन्य दिया है। हमें पता था कि यह कार थी, जो हमें वायब्रेशन पहुंचा रही थी। इसलिए, अब आपको यहां उतरना होगा।”
मैं बस नीचे उतर गयी; मैंने उन सभी को गले लगा लिया, और हमारे सहज योगी दूसरे छोर पर इंतजार कर रहे थे। मैंने कहा, “कोई बात नहीं।” यह सहज ऐसा ही है – ऐसे प्यार करने वाले! और उस समय, मैंने सिर्फ यह सोचा था कि कैसे राम के साथ एक बार कैसे – आप लोगों के साथ उन चीजों को कैसे महसूस किया था, बहुत ही सरल लोगों के साथ, बहुत ही सरल दिल के साथ ‘श्रद्धा’ [विश्वास] के साथ, कैसे उन्हें आपसे प्यार और महसूस करने की भावनाएँ थीं यह।
इस दुनिया में हर किसी को प्यार की ज़रूरत है; तुम बिना प्रेम के जी नहीं सकते। तुम्हारा पूरा अस्तित्व प्रेम पर आधारित है। और मैं इस देश में आप सभी से यह समझने की कामना करती हूं कि जहाँ तक और जब तक आपके दिल में प्यार ना हो, तब तक उपरी तौर से कुछ भी करने की कोशिश न करें क्योंकि अगर आप ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में आप के बारे में सत्य पता चल जाएगा। हर इंसान समझता है कि प्यार क्या है। आपके भीतर बहुत सारी चीजें हो रही हैं। आज आपके भीतर विराट परिवर्तन घटित हो रहे हैं। मुझे पता है कि यह हो रहा है। श्री चक्र स्वयं इस पृथ्वी पर उतरा है और पहले से ही सतयुग शुरू हो चुका है। यही कारण है कि, आप अपनी उंगलियों पर इन वायब्रेशन को महसूस कर रहे हैं और इन गुरुओं और ऋषियों और उन सभी लोगों में से किसी ने भी इन चीजों का उल्लेख नहीं किया है। क्योंकि यह तभी संभव है जब श्री चक्र को नीचे लाया जाए। यह यहां पर है। आपको इसे महसूस करना होगा और इसे समझना होगा। यह आप सभी के लिए है की इसे खुले दिल से स्वीकार करें। मैं तुमसे कुछ नहीं चाहती हूँ। आप मुझे क्या दे सकते हैं ? मैं कुछ नहीं चाहती, लेकिन मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे खुश रहें। मैं उनकी खुशी के लिए प्रार्थना करती हूं। मैं हमेशा उनके लिए जीती हूँ, चाहे मैं सो रही हूं या जागृत हूं या बीच की स्थिति में, जिसे वे ‘सभ्रानता’ कहते हैं, तो मैं सिर्फ आपके साथ हूं। हर पल तुम मेरे विचारों में हो।
मैं आज आप सभी को नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देती हूं, क्योंकि यह नवरोज़ है और नवरोज़ वह दिन है जब जर्टोस्त [जरथुस्त्र का दूसरा नाम] ने इस दुनिया पर अपना काम शुरू किया। वह एक महान सहज योगी थे। वे स्वयं दत्तात्रेय के अवतार थे।
[स्पष्ट नहीं] आपको मोहम्मद साहब के बारे में बताया है। मुझे आपको बताना होगा कि वह मेरे पिता थे [फातिमा श्री माताजी के अवतार थे] और वे स्वयं दत्तात्रेय के अवतार थे। वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। यद्यपि लोगों ने उसके जीवन को यातना दी। जब तक वे जीवित रहे हर पल उसे यातना दी।
और हज़रत अली [पैगंबर मोहम्मद के दामाद] एक बहुत ही महान अवतार हैं, जहां केवल एक बार, केवल एक बार ब्रह्मदेव ने अवतार लिया है और उन्होंने हज़रत अली के रूप में अवतार लिया है। तो, ये लोग इतने महान हैं! आप उनकी आलोचना नहीं कर सकते।
वे इतने महान हैं – हर शब्द जो उन्होंने बोला है वह एक मंत्र है। इस ‘ नमाज ’के बारे में उन्होंने जो कुछ भी आपको बताया है, वह कुंडलिनी जागृति’ [जागरण] के अलावा और कुछ नहीं है।
मोहम्मद साहब ने सहज योग में सबसे बड़ा काम किया है और जहां तक कुंडलिनी जाग्रति का सवाल है, सबसे बड़ी उन्नति की है। आप उनकी आलोचना कैसे कर सकते हैं?
मैं उनके बारे में – उसके खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती । मुझे पता है कि उन पर कितना अत्याचार हुआ है।
और वही लोग, आज, इस देश में पैदा हुए हैं, जो उनके खिलाफ बात कर रहे हैं। जब आप उनके चरणों तक भी नहीं पहुँच सकते, तो आपको इतना बड़ा कदम क्यों उठाना चाहिए?
समझें कि आपने जीवन में क्या किया है? आपने स्वयं क्या पाया है, कि आप इन महान हस्तियों की आलोचना कर रहे हैं?
ख्वाजा निज़ामुद्दीन साहब एक महान औलिया [संत] थे – इसमें कोई शक नहीं। और खिलजी जैसे भयानक राजा ने उन्हें परेशान करने की कोशिश की, और उसकी खुद हत्या कर दी गई! और उसका नाम मौत की धूल में मिट गया है। आज, ख्वाजा निजामुद्दीन साहेब … आप जाइए और वहां के चैतन्य देखिए! आप जाएं और एक चिश्ती देखें … चिश्ती का मकबरा [मकबरा] भी अजमेर शरीफ [भारत का एक कस्बा] में – आप वही देखेंगे। पटना में, आप पटना साहेब जाइये और देखिये, जहाँ आपको हमारे महावीर साहब भी मिले हैं – चैतन्य हैं। ये सभी लोग उसी सत्य की बात कह रहे हैं जो मैं आपको बता रही हूं। लेकिन आज आप उन्हें पहचान सकते हैं। आपको पता चल जाएगा कि वे कौन हैं।
कृपया अपने आप को नम्र करने की कोशिश करें। सबसे पहले, अपने भीतर इस शाश्वत सत्य को प्राप्त करें। यह समझने के लिए कि ईश्वर क्या है,अपने आप को व्यक्तिपरक साधन बनने दो। कुछ यहाँ कुछ वहाँ पढ़े हुए के चक्कर में ना आये। छोटे-दिल वाले विचारों और अहंकारी मुर्खता जिस के द्वारा हर चीज़ का मजाक बनाया जाता है के चक्कर में ना आये।
हे मानव ! कृपया, ज्ञान के इस महान अवसर पर स्वयं को जागृत करें। यह गतिशील बल आप में से प्रकट होने के लिए आतुर है। हमें इस दुनिया को बदलना होगा और इसे एक सुंदर रचना में परिवर्तित करना होगा, क्योंकि निर्माता अपनी रचना को नष्ट नहीं होने देगा। यदि आप सत्य को स्वीकार नहीं करते हैं, तो आप नष्ट हो जाएंगे। तो, कृपया, फिर से, एक माँ के रूप में, मैं आपसे दिव्य सत्य, दैवीय प्रेम को स्वीकार करने और उसके साथ एकाकर होने के लिए कहती हूं।
मैं आप सभी, सभी सहज योगियों और उन सभी लोगों के लिए, जो ईश्वर और उनके प्रेम की जागरूकता में सबसे बड़ी, सबसे ऊँची , सबसे महान उपलब्धि की कामना करती हूं। यह वही है। अन्यथा बाकी सब तो बेकार है। जिन लोगों ने अन्य प्रकार के सात्विक [केंद्रीय चैनल से संबंधित] या तामसिक [बाएं चैनल से संबंधित] चीजों की चाहत की उनके जीवन व्यर्थ चले गए । वे नरक में चले गए हैं और वे पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।
आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं। आप साधारण लोग हैं, सामान्य लोग हैं और इसीलिए आप सबसे अच्छे लोग हैं, क्योंकि आप किसी अतिवाद से पीड़ित नहीं हैं। आपका बहुत सरल हृदय है। आप एक बहुत ही धार्मिक जीवन और पवित्र विवाहित जीवन जी रहे हैं। यह स्थान उन लोगों के लिए है जो भगवान बुद्ध के मध्य मार्ग में हैं। सहज योग जीवन की सभी सच्चाइयों का एकीकरण है और कुंडलिनी पर मैं इसे साबित कर सकती हूं कि, जो मैं कहती हूं वह तथ्य है – तथ्य है। जब तक आप हजरत अली का नाम नहीं लेते हैं, आपका स्वाधिष्ठान चक्र ठीक नहीं हो सकता है, और सभी सहज योगियों को इसके बारे में पता है। और सहज योगी पूजा में हमें बार-बार मोहम्मद साहब का नाम लेना होगा और उन हजरत अली का भी ।
और हमें भी प्रभु यीशु का नाम भी लेना है, जो इस संसार के आश्रय ’[शरण] हैं, जिसका वर्णन श्रीमद्भगवत गीता में श्री कृष्ण ने किया है कि, – वे महाविष्णु थे। आप इसे स्वयं पढ़ सकते हैं और आपको आश्चर्य होगा कि महाविष्णु के बारे में वर्णित सभी चीजें बिल्कुल वैसी ही हैं जैसी कि ईसा मसीह की थी। अतः आपसे निवेदन है कि आप इतने छोटे मन वाले न बनें। आपने अब तक सच्चाई नहीं जानी है। इसलिए, कोशिश करें,इसे समझने की, – व्यक्तिपरक होने की, इसे महसूस करने की, इसे समझने की। सभी किताबें वही कह रही हैं जो मैं कह रही हूं। वही बात, मैं कर सकती हूं। मैं यह कर नहीं रही हूं। बस हो रहा है। मैं इस प्रज्वलन के लिए ही इस पृथ्वी पर आयी हूं। यह प्रज्वलन का अंतिम बिंदु है। ऐसा होना ही है और यही होगा। आइए, इस देश में, इस खूबसूरत योग भूमि [योग की भूमि] में, कितने लोग इसे स्वीकार करते हैं।
परमात्मा आप सबको आशीर्वाद दें। बार-बार मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूं।
मैं अब 25 तारीख को लंदन जा रही हूं और आशा करती हूं, कि आप सभी जिनको पिछले दो दिनों में आत्मसाक्षात्कार हो गया है, मंगलवार को फिर से 6.30 बजे भारत विद्या भवन में हमारे कार्यक्रम में आएंगे। अल्टामाउंट रोड में हमारा एक बहुत अच्छा केंद्र भी है। आप यहां से पता ले सकते हैं, अल्टामाउंट रोड पर, ब्यूटी पार्लर के सामने एक बहुत अच्छा ग्राउंड फ्लोर फ्लैट है जो हमें मिला है – कमल ब्यूटी पार्लर या ऐसा ही कुछ। यह मिस मोराजी का फ्लैट है जिसने हमें इस फ्लैट को उपयोग के लिए दिया है।
मुझे आशा है कि आप सभी सहज योग में गहरी रुचि लेंगे, सभी विधियों को सीखेंगे और कुंडलिनी में महारत हासिल करेंगे। हमारे बीच बहुत सारे लोग हैं जो इसके बारे में जानते हैं और आप उनसे बात कर सकते हैं; यहां तक कि कार्यक्रमों में आप मेरे व्याख्यान सुन सकते हैं जिसके द्वारा आप समझेंगे। लेकिन यह ‘ समझ ‘आपके सुनने के माध्यम से समझ नहीं है, लेकिन यह आपके दिल के माध्यम से और केवल वायब्रेशन की अनुभूति के माध्यम से ‘ समझ ‘ है, आप कुंडलिनी की परख कर सकते हैं।
कल मैंने आपसे बहुत अनुरोध किया है और फिर मैं आपसे निवेदन कर रही हूं कि सहज योग को समझने के लिए आपको बहुत दिमाग की जरूरत नहीं है। आपको जो चाहिए वह दिल है, एक श्रद्धा-वान [[विश्वास के साथ] दिल। और अगर आपके पास वह है, तो यह काम करेगा। कई फूलों के फल बनने का समय आ गया है। युग ही ऐसा है।
मैं आपको इस महान प्यार को दिखाने के लिए बार-बार धन्यवाद देती हूं। यह इस प्रकार है जैसे कि, … जब मैं अपने प्यार के सागर को महसूस करती हूं, जब यह आप सभी के दिलों के किनारों पर बहता है, तो किनारे इसे प्रतिक्रिया के रूप में वापस भेज देते है। यह एक परवलयिक आंदोलन है। जब मेरा प्यार आपके बीच से गुजरता है और प्यार के रूप में ही मेरे पास वापस आता है, तो मुझे मजा आता है। यह इतना सुंदर अनुभव है। मेरा मतलब है, यह एक अलग अनुभव है, शायद, कि इन नश्वर शब्दों में गढ़ा या नहीं डाला जा सकता है।
आपको बार-बार धन्यवाद। मैं सभी ट्रस्टियों और आप सभी को बार-बार धन्यवाद देती हूं।
ईश्वर आपको उनकी सभी समृद्धि, उनकी सभी अच्छाई, दया और शाश्वतता का आशीर्वाद दे।
परम चैतन्य आप पर और आपकी जागरूकता पर उतर आये।
(तालियां)