Advice at Bharatiya Vidya Bhavan मुंबई (भारत)

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी सार्वजनिक प्रवचन, भारतीय विद्या भवन, बंबई, भारत 22 मार्च 1977 भारतीय विद्या भवन में सलाह (प्रश्न और उत्तर) यह प्रकाश आप को इसलिए प्रदान किए गया है, क्योंकि आप दूसरों को प्रकाश देते हैं। यदि आप इसे दूसरों को नहीं देते हैं, तो धीरे-धीरे यह प्रकाश फीका पड़ जाता है। आपको यह प्रकाश ऐसे रास्ते पर रखना चाहिए, जहां लोग अंधकार में भटक रहे हों। इस प्रकाश को मेज के नीचे ना रखें, जहां ये बुझ जाए। आप लोग यहां आएं, अगर आप को कोई समस्या है, कोई बीमार है तब हम इस के (उपचार) बारे में भी बताएंगे, और इसी प्रकार ये लोग आप को सहज योग के विषय में बताएंगे। (श्री माताजी मराठी भाषा में – फड़के और अन्य सहज योगी वहां जाइए। उन्हे कुंडलिनी और सहज योग के बारे में बताइए। ये दो दिन में समाप्त नहीं होगा। इस में समय लगेगा। अब हमारे साथ लोग हैं जो वास्तव में बहुत ही अच्छे हैं। वे कुंडलिनी के विषय में सब कुछ जानते हैं।) उन्होंने कुंडलिनी पर पूरी तरह से महारत हासिल कर ली है। कुछ लोग हैं, आप जानते हैं, लेकिन कुछ हैं जिन्हे पांच वर्ष पूर्व आत्म साक्षात्कार प्राप्त हुआ था, पर वो एक शब्द भी नहीं जानते। उसके विपरीत, वे ऐसे ही आ कर हम से पूछते हैं, ”मेरी मां बीमार हैं। कृपया उनका उपचार कीजिए। मेरे पिता बीमार हैं। मेरा उपचार कीजिए। मेरा ये बीमार है।” बस इतना ही। इसलिए वे किसी काम के नहीं हैं। तो इसलिए Read More …