Prem Dharma मुंबई (भारत)

Prem Dharma Date : 23rd March 1977 Place Mumbai Type Seminar & Meeting Speech Language Hindi [Hindi Transcript] ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK बहुतों को ऐसा लगता है जब वो पहली मर्तबा देखते हैं कि ये कोई बच्चों का खेल है कि कुण्डलिनी जागरण है? कुण्डलिनी जागरण के बारे में इतना बताया है दुनिया भर में कि सर के बल खड़ा होना, दुनिया भर की आफ़त करना , और इतने सहज में कुण्डलिनी का जागरण कैसे हो जाता है ? आप में से जो लोग पार हैं, यहाँ अधिक तर तो पार ही लोग बैठे हये हैं, उनकी जब कुण्डलिनी जागरण हुई तब तो आपको पता ही नहीं चला की कैसे हो गयी! लेकिन अब जब दूसरों की होती देखते हैं तो पता चलता है कि हाँ, भाई, हमारी हो गयी। क्योंकि आप एकदम से ही चन्द्रमा पर पहुँचते हैं। कैसे पहुँचे, क्या पहुँचे पता नहीं चला। उसका कारण तो है ही और उसका उद्देश्य भी है। | फलीभूत होने का समय जब आता है तभी फल लगते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की बाकी जो होता रहा वो जरूरी नहीं था। वो भी था जरूरी और अब फल होना भी जरूरी है । कोई कहता है कि दस हजार वर्ष हो गये तब से तो कोई पार नहीं हुआ , अभी कैसे हो गये ? भाई, दस हजार वर्ष पहले तो चन्द्रमा पर कभी गये नहीं थे अब क्यों जा रहे हैं? और अगर जा रहे हैं तो उसमें शंका करने की क्या बात है? रामदास स्वामी ने बताया Read More …