Atma Ki Anubhuti मुंबई (भारत)

Atma Ki Anubhuti, 28th December 1977 [Hindi Transcription]  ORIGINAL TRANSCRIPT HINDI TALK आपसे पिछली मर्तबा मैंने बताया था, कि आत्मा क्या चीज़ है, वो किस प्रकार सच्चिदानंद होती है, और किस प्रकार आत्मा की अनुभूति के बाद ही मनुष्य इन तीनों चीज़ों को प्राप्त होता है। आत्मसाक्षात्कार के बगैर आप सत्य को नहीं जान सकते। आप आनन्द को नहीं पा सकते। आत्मा की अनुभूति होना बहुत जरूरी है। अब आप आत्मा से बातचीत कर सकते हैं। आत्मा से पूछ सकते हैं। आप लोग अभी बैठे हुए हैं, आप पूछे, ऐसे हाथ कर के कि संसार में क्या परमात्मा है? क्या उन्ही की सत्ता चलती है? आप ऐसे प्रश्न अपने मन में पूछे। ऐसे हाथ कर के। देखिये हाथ में कितने जोर से प्रवाह शुरू हो गया। कोई सा भी सत्य आप जान नहीं सकते जब तक आपने अपनी आत्मा की अनुभूति नहीं ली। माने जब तक आपका उससे संबंध नहीं हुआ। आत्मा से संबंध होना सहजयोग से बहुत आसानी से होता है। किसी किसी को थोड़ी देर के लिये होता है। किसी किसी को हमेशा के लिये होता है। आत्मा से संबंध होने के बाद हम को उससे तादात्म्य पाना होता है। माने ये कि आपने मुझे जाना, ठीक है, आपने मुझे पहचाना ठीक है, लेकिन मैं आप नहीं हो गयी हूँ। आपको मैं देख रही हूँ और मुझे आप देख रहे हैं। इस वक्त मैं आपकी दृष्टि से देख सकूँ, उसी वक्त तादात्म्य हो गया। आत्मा के अन्दर प्रवेश कर के वहाँ से आप जब संसार पे दृष्टि डालते Read More …